#NRDC ने मधुमेह और मलेरिया के आयुर्वेदिक उपचार के लिए डाबर से किया समझौता


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन वैज्ञानिक एवं अनुसंधान विभाग के राष्‍ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) ने मलेरिया के उपचार के लिए आयुष-64 और मधुमेह के उपचार के लिए आयुष-82 नामक आयुर्वेदिक दवाओं को बाजार में उतारने के लिए मैसर्स डाबर इंडिया लिमिटेड के सा‍थ एक लाइसेंस-समझौता किया है। 

इन दोनों दवाओं को आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्‍सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्‍योपैथी) मंत्रालय की स्‍वायत्‍तशासी संस्‍था केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) ने विकसित किया है। उक्‍त लाइसेंस समझौते पर एनआरडीसी की तरफ से डॉ. एच. पुरुषोत्‍तम और डाबर इंडिया लिमिटेड की तरफ से वहां के स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा अनुसंधान प्रमुख डॉ. जेएलएन शास्‍त्री ने हस्‍ताक्षर किए। 

दोनों समझौतों पर हस्‍ताक्षर होने के समय विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग के वैज्ञानिक (एफ) और एनआरडीसी बोर्ड  के निदेशक श्री बी.एन. सरकार तथा एनआरडीसी और डाबर के वरिष्‍ठ अधिकारी उपस्थित थे। समझौतों का आदान-प्रदान आयुष राज्‍य मंत्री श्री श्रीपद यस्‍सो नायक और आयुष सचिव श्री अजित एम.शरण की उपस्थिति में हुआ। उल्‍लेखनीय है कि प्रौद्योगिकी लाइसेंस एजेंसी ने अब तक सीसीआरएएस द्वारा विकसित 10 प्रौद्योगिकियों का लाइसेंस भारत में 30 से अधिक कंपनियों को दिया है।

देश में महामारी के रूप में फैलने वाले मलेरिया के प्रभावशाली उपचार के लिए सीसीआरएस द्वारा विकसित आयुर्वेदिक दवा आयुष-64 बहुत कारगर है। उल्‍लेखनीय है कि प्राचीन समय से आयुर्वेद के वैद्य इसका विषम ज्‍वर के रूप में उल्‍लेख करते रहे हैं। यह दवा कई तरह की जड़ी-बूटियों से तैयार की गई है और इसकी विस्‍तृत फार्माकॉलॉजिकल, टॉक्सिकॉलॉजिकल और क्‍लीनिकल जांच की गई है।

मधुमेह की दवा आयुष-82 को भी सीसीआरएएस ने विभिन्‍न जडि़यों के मिश्रण से तैयार किया है। ये दोनों दवाएं मलेरिया और मधुमेह के उपचार के लिए लाखों लोगों को सहायता देगी।

शहरी गरीबों को भी अब #DAY-NULM योजना के तहत सहायता मिलेगी


सभी शहरी गरीब को अब आजीविका के अवसरों के तहत सहायता मिलेगी 

एनयूएलएम का दायरा और 3,250 संवैधानिक शहरी निकायों तक बढ़ाया गया 

कार्यान्‍वयन के लिए राज्‍यों को छूट दी गई 

तमिलनाडु में 681, यूपी में 566, एमपी-310, महाराष्‍ट्र-213, कर्नाटक-186, 

गुजरात-160, राजस्‍थान-145, छत्‍तीसगढ़-140 नए नगर एनयूएलएम के दायरे में 

आए 

पूर्वोत्‍तर के 130 शहरों के गरीब भी होंगे लाभान्वित 

योजना का नया नाम डीएवाई-एनयूएलएम होगा 

सरकार ने राष्‍ट्रीय शहरी आ‍जीविका मिशन (एनयूएलएम) को देश के सभी 4041 संवैधानिक स्‍थानीय शहरी निकायों तक बढ़ा दिया है। एनयूएलएम का नया नाम ‘दीनदयाल अंत्‍योदय योजना-एनयूएलएम’ होगा। इसे हिंद में ‘दीनदयाल अंत्‍योदय योजना-राष्‍ट्रीय शहरी आ‍जीविका मिशन’ के नाम से जाना जाएगा। कौशल विकास एवं प्रशिक्षण, निजी और सामूहिक सूक्ष्‍म उद्योग, स्‍वयं सहायता समूहों के गठन, बेघरों के लिए आश्रयों के निर्माण, बुनियादी ढांच के निर्माण के लिए सड़क पर सामान बेचने वालों, विकलांगों तथा कूड़ा बीनने वालों की मदद के नये तरीके से यह मिशन शहरों में रहने वाले गरीबों के लिए रोजगार के अवसर और आय बढ़ाने के उपाय खोजेगा। 

एनयूएलएम की शुरुआत वर्ष 2013 में की गई थी। इस समय यह योजना सभी जिला मुख्‍यालयों समेत देश के सिर्फ 791 शहरों में चल रही है। इसमें एक लाख से ऊपर की आबादी वाले शहर और कस्‍बे शामिल हैं। अब सभी राज्‍यों और संघ शासित प्रदेशों को शेष 3250 संवैधानिक स्‍थानीय शहरी निकायों में डीएवाई-एनयूएलएम को लागू कर सशक्‍त बनाया जाएगा। भले ही उनकी आबादी एक लाख से कम क्‍यों न हो। 

तमिलनाडु में सबसे अधिक 681 नगर अब डीएवाई-एनयूएलएम के दायरे में होंगे, जबकि गरीबों के लिए बनाई गई यह योजना इस समय राज्‍य के सिर्फ 40 शहरों में ही चल रही है। इसी तरह यूपी में 82 के बदले 566, मध्‍य प्रदेश में 54 के बदले 310, महाराष्‍ट्र में 53 के बदले 213, कर्नाटक में 34 के बदले 186, गुजरात में 35 के बदले 160, राजस्‍थान में 40 के बदले 145, छत्‍तीसगढ़ 28 के बदले 40 पंजाब 25 के बदले 118, बिहार 42 के बदले 97, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 47 के बादले 78, ओडिसा, 33 के बदले 74, पश्चिम बंगाल में 63 के बदले 66, जम्‍मू-कश्‍मीर में 22 के बजाय 64, उत्‍तराखंड में 16 के बदले 58, हरियाणा में 22 के बदले 58, हिमाचल प्रदेश में 10 के बदले 46, केरल में 14 के बदले 45 और गोवा में 2 के बदले 10 नगर इसके दायरे में आएंगे। 

पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में 130 नये नगरों को डीएवाई-एनयूएलएम में शामिल किया जाएगा। अभी यहां 88 नगर ही इसके दायरे में आते हैं। संघ शासित प्रदेशों में पुडुचेरी में एक और नगर इसके दायरे में आएगा। 

उत्तर भारत में अब 1,505 और शहरों के गरीबों को डीएवाई-एनयूएलएम का लाभ मिलेगा। इसी तरह दक्षिण में 991, पश्चिम में 375, पूर्व में 249 और पूर्वोत्तर में 130 नए नगर इस योजना के दायरे में आएंगे। पहले से चली आ रही एनयूएलएम योजना में एक और संशोधन किया गया है। पूर्व में जिन शहरों में यह योजना शुरू की गई उनके लिए इसके सभी घटकों को लागू करना आवश्‍यक था। अब इस योजना के दायरे में आने वाले नगर इसके घटकों में से किसी एक संयोजन (कांबिनेशन) को लागू कर सकते हैं। 

डीएवाई-एनयूएलएम में ‘कौशल प्रशिक्षण एवं प्‍लेसमेंट के माध्‍यम से रोजगार’ के तहत प्रत्‍येक शहरी गरीब को प्रशिक्षण के लिए 15,000 रुपये की व्‍यय राशि दी जाती है। पूर्वोत्‍तर और जम्‍मू-कश्‍मीर में इसके लिए प्रत्‍येक शहरी गरीब को 18,000 रुपये मिलते हैं। अब संशोधित मानकों के तहत प्रशिक्षण के लिए दी जाने वाली राशि में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी गई है।

‘सामाजिक गतिविधि और संस्‍थागत विकास’ के तहत गठित होने वाले स्‍वयं सहायता समूहों को सदस्‍यों के प्रशिक्षण के लिए शुरुआत में 10,000 रुपये दिए जाते हैं। ऐसे समूहों के पंजीकृत क्षेत्रीय महासंघों के लिए 50,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है 

छोटे निजी उद्यम स्‍थापित करने के लिए शहरी गरीबों को ब्‍याज में पांच से सात प्रतिशत की छूट दी जाती है। इसमें एकल निजी उद्यम के लिए दो लाख और ग्रुप इंटरप्राइजेज के लिए दस लाख तक का लोन मिलता है।

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के क्रियान्वयन में तेजी लाये असम सरकार: पासवान


केंद्रीय उपभोक्‍ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने असम सरकार से खाद्य सुरक्षा अधिनियम के क्रियान्वयन में तेजी लाने की अपील की है जिससे कि राज्‍य की लगभग 84 फीसदी ग्रामीण एवं 60 फीसदी शहरी आबादी को तीन रूपये प्रति किलोग्राम चावल एवं दो रूपये प्रति किलोग्राम गेहूं प्राप्‍त हो सके। उन्‍होंने कहा कि राज्‍य में इस अधिनियम के क्रियान्वयन में देरी आई क्‍योंकि इस अधिनियम के क्रियान्वयन के ‍लिए आवश्‍यक लाभार्थियों के रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन राज्‍य ने नहीं किया था। आखिरकार, असम में दिसंबर से यह कानून अमल में आया और अब राज्‍य के 2.52 करोड से भी अधिक लोगों को सब्सिडीप्राप्‍त खाद्यानों का लाभ प्राप्‍त होगा। श्री पासवान आज गुवाहाटी में राष्‍ट्रीय जांच गृह के आधिकारिक भवन का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। 

श्री पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों को अनिवार्य रूप से खाद्यान प्राप्‍त हो जिसके वे हकदार हैं। उन्‍होंने कहा कि इसीलिए केंद्र सरकार ने लाभार्थियों को खाद्यान प्राप्‍त न होने की स्थिति में खाद्य सुरक्षा भत्‍तों की अदायगी के लिए नियमों को अधिसूचित किया है। केंद्र सरकार ने राज्‍यों द्वारा खाद्यानों के संचालन एवं उन्‍हें लाने ले जाने पर आने वाली लागत तथा डीलरों के मार्जिन का 50 प्रतिशत (पहाडी एवं दुर्गम स्‍थानों के लिए 75 फीसदी) साझा करने का भी फैसला किया है जिससे कि इसका बोझ लाभार्थियों पर न पडे और उन्‍हें एक रूपये प्रति किलो मोटे अनाज, दो रूपये किलो गेहूं एवं तीन रूपये किलो चावल प्राप्‍त हो सके। 

मंत्री महोदय ने कहा कि प्रणाली को अधिक पारदर्शी एवं भ्रष्‍टाचार मुक्‍त बनाने के लिए खाद्यानों के ऑनलाइन आवंटन को 20 राज्‍यों/केंद्र शासित प्रदेशों में क्रियान्वित किया गया है। लगभग 71,000 एफपीएस को ‘प्‍वांइट ऑफ सेल’ उपकरणों को स्‍थापित करने के द्वारा ऑटोमेट किया गया है। 32 राज्‍यों/केंद्र शासित प्रदेशों में टॉल फ्री हेल्‍प लाइनों को स्‍थापित किया गया है तथा सभी 36 राज्‍यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ऑनलाइन शिकायत निवारण को क्रियान्वित किया गया है। टीपीडीएस के सभी संचालनों को प्रदर्शित करने के लिए 28 राज्‍यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पारदर्शी पोर्टल लांच किया गया है। 

चाय बगान के मजदूरों के लिए सब्सिडीप्राप्‍त खाद्यानों की मांग का समर्थन करते हुए श्री पासवान ने कहा कि इस भारी सब्सिडीप्राप्‍त खाद्यानों का लाभ चाय बगान के मजदूरों को भी मिलना चाहिए जिन्‍हें इससे पहले पीडीएस का प्रत्‍यक्ष लाभ नहीं प्राप्‍त हो रहा था क्‍योंकि खाद्यानों का थोक आवंटन केवल केवल चाय बगान के प्रबंधन के लिए ही किया जा रहा था। यही वजह है कि-

पहली बार चाय बगान के मजदूरों को भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान प्राप्‍त करने का हकदार बनाया गया है। 17.97 लाख चाय बगान मजदूरों ने एनएफएसए के तहत खाद्यान प्राप्‍त करना प्रारंभ कर दिया है। 

चाय बगान के मजदूरों के बीच वितरण के लिए भारत सरकार द्वारा राज्‍य सरकार को 12,590 लाख टन का मासिक आवंटन किया जा रहा है। 

चाय बगान के मजदूर अब एनएफएसए के तहत हकदारियां तथा पारंपरिक तरीके से प्रति परिवार 32.56 किलोग्राम खाद्यान भी प्राप्‍त कर रहे हैं। 

केंद्रीय खाद्य मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्‍तर उनके मंत्रालय के लिए एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। लुमडिंग से बदरपुर तक आमान परिवर्तन के कारण रेल रास्‍ते में आई बाधा के दौरान पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में मल्‍टी-मॉडल परिवहन के उपयोग के द्वारा खाद्यान्‍नों की पर्याप्‍त आपूर्ति सुनिश्चित की गई थी। क्षेत्र में 20,000 एमटी खाद्यान का भंडारण सृजित करने के अतिरिक्‍त प्रत्‍येक महीने सडकों के जरिये 80,000 एमटी खाद्यान की आवाजाही की गई। प्‍लान स्‍कीम के तहत पूर्वोत्‍तर में 62,650 एमटी खाद्यान की भंडारण क्षमता का सृजन किया गया है। 

मंत्री महोदय द्वारा उद्घाटित नया भवन सिविल इंजीनियरिंग एवं कैमिकल सामग्रियों की जांच करने के लिए अत्‍याधुनिक सुविधाओं से युक्‍त है। उन्‍होंने कहा कि पूर्वोत्‍तर में स्थित उद्योग की मांगों की पूर्ति के लिए गुवाहाटी में राष्‍ट्रीय जांच गृह का उन्‍नयन किया जाएगा

प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार जूट उत्पादों को देगी बढ़ावा: संतोष कुमार गंगवार


सरकार जूट उत्पादों को बढ़ावा देकर और लोगों को अपने रोजमर्रा जीवन में इनके उपयोग के लिए प्रोत्‍साहित करके प्रदूषण से निपटने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। केन्द्रीय कपड़ा राज्य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने यह बात कही। 

आज कोलकाता में ‘जूट विविधीकरण पर राष्ट्रीय संगोष्ठी’ का उद्घाटन करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि कैरी बैग के साथ-साथ पैकेजिंग में इस्‍तेमाल होने वाले प्लास्टिक, पॉलीथीन और अन्य सिंथेटिक सामग्री के विपरीत जूट स्‍वाभाविक तरीके से सड़नशील, पर्यावरण अनुकूल, प्राकृतिक, गैर-प्रदूषणकारी एवं गैर-विषाक्त है। श्री गंगवार ने बताया कि जूट की खेती एवं जूट आधारित उद्योग पूर्वी और पूर्वोत्‍तर भारत में एक प्रमुख कृषि-आर्थिक गतिविधि है, जो जूट की खेती करने वाले 40 लाख से अधिक परिवारों, 3.70 लाख औद्योगिक कामगारों और विकेन्द्रीकृत जूट क्षेत्र में काम करने वाले 2 लाख लोगों को आजीविका प्रदान करता है। 

मंत्री महोदय ने कहा कि 95 फीसदी जूट, जो अपनी बहुमुखी क्षमता और पर्यावरण अनुकूल के गुण की बदौलत ‘गोल्डन फाइबर’ के नाम से लोकप्रिय है, का उपयोग खाद्यान्न पैकेजिंग के लिए टाट के बोरे तैयार करने में किया जाता है। जूट पैकेजिंग सामग्री (जेपीएम) अधिनियम के तहत इसे अनिवार्य माना जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार अब जूट के उपयोग में विविधीकरण को बढ़ावा दे रही है, ताकि इससे शॉपिंग बैग, कार्यालय फोल्डर, दीवार के पर्दे, होल्‍डर, स्टेशनरी, उपहार, हस्तशिल्प सामान, सजावटी और फैशन के सामान, जूते, कपड़े एवं कठपुतलियां, घर के सजावटी सामान, फ्रेम्स, कालीन, आसन एवं पर्दे, हस्तशिल्प, वाटर बोतल होल्‍डर, पाउच बैग, हैंड बैग इत्‍यादि तैयार किए जा सकें। 

मंत्री महोदय ने कहा कि उनके मंत्रालय ने जूट विविधीकरण के प्रयासों को ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ के साथ जोड़ने के लिए अन्य मंत्रालयों, बैंकों और राज्य सरकारों के साथ सहयोग करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है।

शहरी विकास, आवास एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन राज्य मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो के अलावा श्रीमती रश्मि वर्मा, सचिव, कपड़ा और अध्यक्ष, राष्ट्रीय जूट बोर्ड ने भी इस संगोष्ठी को संबोधित किया। 

पढ़िए केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में पारित हुए प्रस्ताव


केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने सूरजकुंड (फरीदाबाद) में केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन की अध्यक्षता की। सम्‍मेलन में निम्‍नलिखित प्रस्‍ताव सर्वसम्‍मति से पारित हुए :

  1. छात्र समुदाय के शैक्षणिक प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए विश्‍वविद्यालय वरिष्ठ छात्रों और संकाय से जुड़ी एक सक्रिय सलाह प्रणाली के जरिये सहकर्मी की मदद से विद्या प्राप्ति को संस्थागत रूप प्रदान करेंगे।
  2. छात्रों, स्टाफ और संकाय सहित विश्वविद्यालय समुदाय के शिकायत निवारण के लिए एक पारदर्शी सक्रिय तंत्र सुनिश्चित करने हेतु एक भेदभाव निरोधक अधिकारी नियुक्त करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
  3. उच्च शिक्षा में किफायती और पारदर्शी पहुंच बढ़ाने के लिए ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
  4. उच्च शिक्षा में सकल दाखिला अनुपात को बढ़ाकर 30 फीसदी किया जाएगा, बुनियादी ढांचा और मानव संसाधन संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए दो पालियों (डबल शिफ्ट) में कक्षाओं की शुरुआत करके पहुंच बढ़ाई जाएगी।
  5. वैश्विक दुनिया में तेजी से उभरते ज्ञान समाज के साथ तालमेल बैठाने के लिए देश की भावी जरूरतों के अनुरूप विद्यार्थियों को तैयार करने हेतु नए एवं अभिनव पाठ्यक्रमों को शुरू करने का प्रस्ताव है :

ए) सामाजिक विज्ञान और मानविकी:

(i) विदेशी भाषाओं में अप्‍लायड पाठ्यक्रम
(ii) न्यू मीडिया और युवा
(iii) विभिन्न धर्मों का अध्ययन
(iv) संस्कृति और सभ्यताओं पर संवाद
(v) महिला एवं उद्यमिता
(vi) महामारी विज्ञान एवं लोक स्वास्थ्य
(vii)  जराविज्ञान 
(viii) नागरिकता और मूल्य शिक्षा
(ix) प्रवासी अध्ययन

बी) विज्ञान, प्रौद्योगिकी और कृषि:

(i) नैनो-प्रौद्योगिकी 
(ii) सामंजस्‍य करती प्रौद्योगिकियां 
(iii) एप्लाइड विज्ञान और गणित
(iv) कृषि प्रौद्योगिकी
(v) ग्रामीण आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन
(vi) नवीकरणीय ऊर्जा का विकास

6.  यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी छात्र भाषायी सीमाओं के कारण उच्‍चतर शिक्षा से वंचित न रहे, विश्‍वविद्यालयों को अंग्रेजी एवं एक भारतीय भाषा में, जो उस राज्‍य में लागू हो, निर्देश सुनिश्चित करना।

7. छात्रों को सही व्‍यक्तिगत एवं व्‍यावसायिक निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए विशेषज्ञों द्वारा व्‍यापक दिशा-निर्देश एवं परामर्श की एक पेशेवर प्रणाली को क्रियान्वित करना।

8. महिलाओं, छात्रों, कर्मचारियों एवं संकाय के लिए एक स्‍वस्‍थ, सुरक्षित एवं अनुकूल कार्य माहौल सुनिश्चित करने के लिए एक अनुकूल शिकायत निवारण तंत्र को संस्‍थागत बनाना एवं मौजूदा प्रणाली को मजबूत करना।
9. प्रत्‍येक विश्‍वविद्यालय के एक केन्‍द्रीय स्‍थान पर राष्‍ट्रीय ध्‍वज प्रमुखता एवं गर्वपूर्वक फहराया जाएगा।

10.  छात्रों को सामाजिक रूप से जागरूक एवं जिम्‍मेदार नागरिक बनने के लिए प्रोत्‍साहित करना और युवाओं के बीच श्रम के प्रति गर्व की भावना एवं सामाजिक उत्‍थान के लिए प्रतिबद्धता का संचार करना, उन्‍नत भारत अभियान के तहत पहले से ही जारी गांव गोद लेने के कार्यक्रम को मजबूत बनाना। 

11.  पारदर्शिता लाने एवं सेवाओं की त्‍वरित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ई-गवर्नेंस के साथ प्रशासनिक सुधारों को प्राथमिकता के आधार पर शुरू करना।

12.   उपकुलपतियों, उप उप-कुलपतियों एवं पंजीयकों के लिए दो चयनित आईआईएम में नेतृत्‍व एवं प्रबंधन पर एक सप्‍ताह का पाठ्यक्रम।        

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#NSS पर ब्‍याज दरें 1 अप्रैल, 2016 से हर तिमाही तय की जाएंगी


वित्त मंत्रालय द्वारा विनियमित राष्ट्रीय बचत योजनाओं (NSS) में आकर्षक उच्‍च रिटर्न के साथ निवेश की पूर्ण सुरक्षा की पेशकश की जाती है। ये योजनाएं मुख्‍यत: डाक घरों के जरिये क्रियान्‍वयन के कारण खासकर दुर्गम क्षेत्रों में वित्तीय समावेश के प्रपत्रों की भी भूमिका निभाती हैं।

यह निर्णय लिया गया है कि राष्‍ट्रीय बचत योजनाओं के संदर्भ में 1 अप्रैल, 2016 से निम्‍नलिखित को क्रियान्वित किया जाएगा:

  1. सुकन्या समृद्धि योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और मासिक आय योजना प्रशंसनीय सामाजिक विकास या सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लक्ष्यों पर आधारित बचत योजनाएं हैं। अत: तुलनीय परिपक्‍वता अवधि वाले जी-सेक रेट के मुकाबले इन योजनाओं को ब्‍याज दरों और वृद्धि या फैलाव (स्‍प्रेड) के मामले में जो बढ़त अर्थात 0.75 फीसदी, 1 फीसदी और 0.25 फीसदी हासिल है, उन्‍हें सरकार द्वारा अपरिवर्तित रखा गया है।
  2. इसी तरह दीर्घकालिक प्रपत्रों जैसे कि 5 साल की सावधि जमा, 5 साल वाले राष्ट्रीय बचत पत्र और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) को तुलनीय परिपक्‍वता अवधि वाले जी-सेक रेट के मुकाबले 0.25 फीसदी का जो स्‍प्रेड फिलहाल हासिल है, उसे सरकार द्वारा अपरिवर्तित रखा गया है।
  3. 1 साल, 2 साल और 3 साल की सावधि जमाओं, केवीपी और 5 साल की आवर्ती जमाओं को तुलनीय परिपक्‍वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों के मुकाबले 0.25 फीसदी का जो स्‍प्रेड फिलहाल हासिल है, उसे 1 अप्रैल 2016 से समाप्‍त कर दिया जायेगा, ताकि इन्‍हें बैंकिंग क्षेत्र के समान प्रपत्रों पर देय ब्‍याज दरों के और करीब लाया जा सके।
  4. अल्‍प बचत योजनाओं पर ब्‍याज दरों को प्रासंगिक सरकारी प्रतिभूतियों की ब्‍याज दरों के अनुरूप करने के उद्देश्‍य से अल्‍प बचत योजनाओं पर ब्‍याज दरें 1 अप्रैल, 2016 से हर तिमाही तय की जाएंगी, जैसा कि नीचे दिया गया है।


क्रम संख्‍या
जिस तिमाही के लिए ब्‍याज दर प्रभावी मानी जाएगी
जिस तारीख को संशोधन अधिसूचित किया जाएगा
जिस अवधि के संदर्भ में एफआईएमएमडीए के मासांत जी-सेक रेट पर ब्‍याज दर आधारित होगी
1.
अप्रैल-जून
15 मार्च
दिसम्‍बर-जनवरी-फरवरी
2.
जुलाई-सितम्‍बर
15 जून
मार्च-अप्रैल-मई
3.
अक्‍टूबर–दिसम्‍बर
15 सितम्‍बर
जून-जुलाई-अगस्‍त
4.
जनवरी–मार्च
15 दिसम्‍बर
सितम्‍बर-अक्‍टूबर- नवम्‍बर 

लोकल मार्केट से खरीदने पर ही फल एवं सब्‍जी क्षेत्र में FDI: हरसिमरत कौर


केंद्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने कहा है कि मल्‍टी ब्रांड खुदरा में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के दरवाजे खोलने के लिए उनका अनुरोध केवल फल और सब्‍जी क्षेत्र के लिए है, बशर्ते कि वे स्‍थानीय स्‍तर से लिए जाएं। मुम्‍बई में ‘मेक इन इंडिया’ सप्‍ताह के दौरान ‘खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र में अवसर’ विषय पर संगोष्ठि का उद्घाटन करते हुए उन्‍होंने कहा कि वह पहले से ही प्रधानमंत्री को केवल ऐसे खाद्यान्‍नों के लिए मल्‍टी ब्रांड खुदरा में 100 प्रतिशत एफडीआई की इजाजत देने के लिए लिख चुकी हैं, जिन्‍हें भारत में भारतीय किसानों द्वारा उपजाया जाता हो और ऐसे खाद्य पदार्थ जिनका निर्माण भारत में विनिर्माताओं द्वारा किया जाता हो। 

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण मंत्री ने संकेत दिया कि सरकार नीति में इस बदलाव की घोषणा करने से पहले, सभी हितधारकों को साथ जोड़ना चाहती है और इस संबंध में हितधारकों की प्रतिक्रिया काफी उत्‍साहजनक रही है। उन्‍होंने कहा कि पुरानी किराना व्‍यस्‍था का आधुनिकीकरण करते हुए उसे आधुनिक खाद्यान्‍न खुदरा में परिवर्तित करने और किसानों को उचित दाम उपलब्‍ध कराने की दिशा में यह एक महत्‍वपूर्ण कदम साबित होगा।

श्रीमती बादल ने निवेशकों को भरोसा दिलाया कि सरकार पूरे खाद्यान्‍न क्षेत्र को एक समग्र क्षेत्र के रूप में देख रही है, जबकि पिछली सरकार इसे एक-दूसरे के विरूद्ध कार्य करने वाले पृथक-पृथक क्षेत्रों के रूप में देखती रही। उन्‍होंने कहा कि इसके विपरीत हमारी सरकार कृषि के उतार-चढ़ाव, खाद्यान्‍न मूल्‍य, खाद्यान्‍न की उपलब्‍धता और उपभोक्‍ताओं की पसंद से निपटने के लिए संबद्ध मंत्रालयों के साथ एकजुट होकर कार्य कर रही है।

श्रीमती बादल ने इस बात की पुरजोर वकालत की कि भारत में समग्र खाद्यान्‍न नीति होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री ने खेतों का यंत्रीकरण करने और देश के समस्‍त खेतों को सिंचाई का पानी उपलब्‍ध कराने के लिए प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की है। उन्‍होंने कहा कि भारत, किसानों को आधुनिक प्रौद्योगिकी से संचालित कृषि पद्धतियों के साथ जोड़ना चाहता है।

उन्‍होंने घोषणा की कि खाद्य उत्‍पादों के परेशानी रहित समेकित उत्‍पादन के लिए भारत की विनियामक व्‍यवस्‍था लाइसेंस व्‍यवस्‍था से पंजीकरण व्‍यस्‍था की ओर बढ़ रही है और उसके अनुरूप, एफएसएससआई द्वारा हजारों संघटक मानक अधिसूचित किए गए हैं। हम नए और स्‍थापित निवेशकों के लिए प्रतिबद्ध हैं और इंस्‍पेक्‍टर राज की विरासत को खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग की प्रगति को प्रभावित नहीं करने दे सकते।

इस अवसर पर श्रीमती बादल ने कहा कि वर्तमान सरकार ऐसा वातावरण उपलब्‍ध कराने के लिए पूरी तरह समर्पित है, जो भारत में उद्यम लगाने के इच्‍छुक निवेशकों के लिए सहज, पारदर्शी और सुगम हो। उन्‍होंने कहा कि देश की वृद्धि दर पहले ही चीन से आगे बढ़ चुकी है और विश्‍व बैंक तथा अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत को अगले कुछ वर्षों तक दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था घोषित किया है। श्रीमती बादल ने उद्योग जगत से भारत, साथ ही साथ दुनिया भर के लोगों के लाभ के लिए इस क्षेत्र में मौजूद अपार अवसरों का सर्वोत्‍तम लाभ उठाने का आह्वान किया, क्‍योंकि ‘’मेक इन इंडिया में निवेश करने का वक्‍त अभी है’’ । 

मीडिया के साथ संवाद के दौरान केंद्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण मंत्री ने कहा कि उन्‍होंने मेगा फूड पार्क में स्‍थापित की जाने वाली खाद्य प्रसंस्‍करण इकाइयों को 10 वर्ष तक कर से मुक्‍त रखने का अनुरोध किया है। उन्‍होंने खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र के लिए ब्‍याज संबंधी आर्थिक सहायता की योजना जारी रखने और निम्‍नतम लागू दरों पर जीएसटी की उपयुक्‍तता का भी अनुरोध किया है। 

खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्‍होंने सूचित किया कि वर्ष 2008-2014 की अवधि में जहां सिर्फ दो मेगा फूड पार्क बनाये गये थे , वहीं वर्तमान सरकार पहले ही पांच अतिरिक्‍त मेगा फूड पार्क चालू कर चुकी है और अगले 30 महीनों में सभी मेगा फूड पार्क चालू हो जाएंगे।

सरकार ने 607 करोड़ रुपये के #FDI के दस प्रस्‍तावों को दी मंजूरी

विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की 22 जनवरी 2016 को आयोजित 231वीं बैठक की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने तकरीबन 607 करोड़ रुपये के प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के दस प्रस्‍तावों को मंजूरी दी है और 5856.51 करोड़ रुपये के एफडीआई वाले एक प्रस्‍ताव के लिए सीसीईए से अनुमोदन लेने की सिफारिश की है।

निम्‍नलिखित दस (10) प्रस्‍तावों को मंजूरी दी गई है:

क्रम
संख्‍या
मद संख्‍या
आवेदक का नाम
 प्रस्‍ताव का सार
क्षेत्र
एफडीआई(करोड़ रुपये में )
1
2
मेसर्स एट्रिया कन्वर्जेन्स टेक्‍नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड
वर्तमान अप्रवासी शेयरधारकों से अपने शेयर अरगन (मॉरीशस) लिमिटेड और टीएएफवीसीआई इंवेस्‍टर्स लिमिटेड को हस्‍तांतरित करने के लिए मंजूरी मांगी गई है।
दूरसंचार
कुछ नहीं
2
4
 मेसर्स ग्‍लेनमार्क फार्मास्‍यूटिकल्‍स लिमिटेड
1,03,000 इक्विटी शेयरों का कर्मचारियों (विदेशी नागरिक) के लिए उनके पूंजी विकल्‍प के आधार पर आवंटन के लिए मंजूरी मांगी गई है, जो कंपनी की चुकता शेयर पूंजी का 0.03 प्रतिशत है।
फार्मा
3.34
3
6
मेसर्स यूरोनेट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बेंगलुरू
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 20 अक्‍टूबर 2015 को जारी किए गए परिपत्र के अनुसार भारत बिल भुगतान प्रणाली परिचालन इकाई (बीबीपीओयू) के रूप में कार्य करने की मंजूरी मांगी गई है।
एनबीएफसी
कुछ नहीं
4
7
मेसर्स एमक्‍योर फार्मास्‍यूटिकल्‍स लिमिटेड
 चार अप्रवासी कर्मचारियों को 0.28 प्रतिशत तक के  अतिरिक्‍त ईएसओपी जारी करने की मंजूरी मांगी गई है।
फार्मा
57.4
5
8
मेसर्स एवीएच रिसोर्सेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
मेसर्स एकरमैन्‍स एंड वैन हारेन एनवी, बेल्जियम के डब्‍ल्‍यूओएस द्वारा अपनी प्रबंधकीय सलाहकार और निवेश कंपनी को एक कोर निवेश कंपनी में बदलने के लिए मंजूरी मांगी गई है।
सीआईसी
कुछ नहीं
6
9
मेसर्स सिप्ला लिमिटेड
एफआईएल कैपिटल इनवेस्‍टमेंट्स (मॉरीशस) IIलिमिटेड से मेसर्स सिप्ला हेल्‍थ केयर लिमिटेड (सिप्ला लिमिटेड की एक डब्‍ल्‍यूओएस) में शुरुआती 128.96 करोड़ रुपये के निवेश और शुरुआती निवेश बंद होने के बाद एफआईएल कैपिटल इनवेस्‍टमेंट्स (मॉरीशस) IIलिमिटेड द्वारा एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी (यानी सिप्ला हेल्‍थ केयर लिमिटेड) में 16.26 करोड़ रुपये तक के निवेश की मंजूरी मांगी गई।
फार्मा
145.22
7
15
मेसर्स अल्‍सटॉम
मैन्‍यूफैक्‍चरिंग इंडिया लिमिटेड
(i) मेसर्स अल्स्‍टोम
मैन्‍यूफैक्‍चरिंग इंडिया लिमिटेड ने 20-11-2015 से 20-07-2017 की अवधि के लिए पूंजी रोक कर अपनी निवेश कंपनी मेसर्स मधेपुरा एसपीवी के लिए निवेश करने की मंजूरी मांगी।

(ii)  इसके बाद एफआईपीवी मंजूरी की आश्‍यकता नहीं है और बाद की अवधि में मैसर्स अल्स्‍टोम मैन्‍यूफैक्‍चरिंग इंडिया लिमिटेड केवल एक निवेश कंपनी होगी तथा अपना कार्य शुरू कर देगी।
रेलवे इंफ्राट्रक्‍चर
400
8
17
मेसर्स कैप्रिकॉर्न
वेंचर्स लिमिटेड
मेसर्स कैप्रिकॉन
वेंचर्स लिमिटेड ने मैक्‍स इंडिया के शेयर धारकों के शेयर मैक्‍स इंडिया लिमिटेड में जारी करने की मंजूरी मांगी है जहां मैक्‍स इंडिया के प्रत्‍येक शेयर धारक कंपनी में 5:1 के अनुपात से अपना शेयर जारी करेंगे और मेसर्स कैप्रिकोर्न, मैक्‍स स्‍पेशियेलिटिज फिल्‍मस लिमिटेड की धारक कंपनी बन जाएगी।
स्‍वास्‍थ्‍य, चिकित्‍सीय अनुसंधान और संबंधित गतिविधियां
कुछ नहीं
9
24
डेन नेटवर्क्‍स  लिमिटेड
डेन नेटवर्क्‍स  लिमिटेड को दिनांक 14-8-2015 के अनुमोदन पत्र में एफआईआई/एनआरआई/एफपीआई की ओर  से 74 प्रतिशत तक कंपनी में निवेश की  मंजूरी प्रदान की गई थी। अब कंपनी ने शेयरों या क्‍यूआईआई/ एडीआर/ जीडीआर/ एफसीसीबी जैसी प्रतिभू‍तियों या अन्‍य अनुमति प्राप्‍त प्रतिभूतियों के जरिये  कंपनी में विदेशी निवेश की अनुमति मांगी है। अनुमोदित सीमा के भीतर निवेश की मंजूरी मांगी गई है।
दूरसंचार     
कुछ नहीं
10
26
मेसर्स सेलेस्टिस फार्मास्‍यूटिकल्‍स प्राइवेट लिमिटेड
कंपनी के 51 प्रतिशत शेयरों को  मौजूदा शेयरधारकों (निवासी भारतीय) के 32354 पूर्ण चुकता इक्विटी का  हस्‍तांतरण कर और कंपनी के 38053 नये शेयर खरीद कर मेसर्स अभाया इंवेस्‍टमेंट्स लिमिटेड, ब्रिटेन में निवेश करने  की मंजूरी मांगी गई है।
फार्मा
1.06
 प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश नीति 2015 के पैराग्राफ 5.2.2 के अंतर्गत  
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईएद्वारा मंजूरी के लिए निम्‍नलिखित एक (01)प्रस्‍ताव की सिफारिश की गई है।

क्रम संख्‍या
मद संख्‍या
आवेदक का नाम 
प्रस्‍ताव का सार
क्षेत्र
एफडीआई (करोड़ रुपये में)






1
1
मेसर्स एटीसीएशिया पे‍सिफिकपीटीई. लिमिटेड
मेसर्स एटीसी एशिया पे‍सिफिक पीटीई. लिमिटेड (एटीसी सिंगापुर) द्वारा मौजूदा शेयरधारकों से शेयर हस्‍तांतरण के जरिये मेसर्स विओम नेटवर्क्‍स लिमिटेड की 51 प्रतिशत शेयरधारिता के अधिग्रहण की मंजूरी मांगी गई है।
दूरसंचार
(आईपी-I)
5856.51


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