उज्जवला योजना के तहत एक लाख से ज्यादा गैस कनेक्शन जारी



पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेंद्र प्रधान ने उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना को लागू करने में हुई प्रगति की समीक्षा के लिए 8.6.2016 को समीक्षा बैठक की। इसमें वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हर जिले के नोडल अफसरों (डीएनओ) ने हिस्सा लिया। नई दिल्ली में हुई इस बैठक में तेल विपणन कंपिनयों के शीर्ष अधिकारियों और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में इस बात पर जोर था कि उज्जवला स्कीम को लागू करने की प्रक्रिया तेज की जाए और इसे युद्धस्तर पर आगे बढ़ाया जाए। 

मंत्री महोदय ने पूरे राज्य में इस स्कीम को लागू करने के लिए नोडल अफसरों को बधाई दी और पहले ही महीने एक लाख से अधिक गैस कनेक्शन जारी करने के उनके प्रयास की तारीफ की। उन्होंने नोडल अफसरों से हर योग्य लाभार्थी तक पहुंच कर यह सुनिश्चित करने को कहा कि कनेक्शन समय पर जारी हो जाए। 

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लाभार्थियों को सुरक्षा मानकों के बारे में जागरुक और शिक्षित किया जाए और साथ ही ऐसे उपभोक्ताओं को इंश्योरेंस कवरेज भी मुहैया कराया जाए। अगर गैस कनेक्शन हासिल करने का किसी का दावा खारिज हो जाता है तो इस संबंध में उसके आवेदन का दस्तावेज रखा जाए और इसे सार्वजनिक किया जाए। इस संबंध में पारदर्शिता अपनाई जाए। 

नोडल अफसरों ने उज्जवला स्कीम लागू करने की दिशा में अपने अनुभवों को साझा किया और लाभार्थियों की ओर से इस योजना को मिल रही प्रतिक्रिया पर फीडबैक भी दी। उन्होंने बताया कि इस योजना को काफी प्रचार मिल रहा है और लाभार्थियों की प्रतिक्रिया बेहद उत्साहवर्धक है। लाभार्थियों को नए कनेक्शन देने के लिए स्थानीय सांसद के नेतृत्व में पहल की जा रही है। मेला लगाकर गैस कनेक्शन जारी किए जा रहे हैं। 

श्री प्रधान ने इस मौके पर निर्देश दिया कि डीएनओ की ओर से उठाए गए मुद्दों और चिंताओं का तेजी से निराकरण हो और इस संदर्भ में उपयुक्त निर्देश जारी किए जाएं। 

प्रेरणादायक: उसने बकरी बेचकर और पायल गिरवी रख बनवाया शौचालय

गत दिनों छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में 104 वर्षीय वृद्धा श्रीमती कुंवरबाई द्वारा बकरियां बेचकर शौचालय निर्माण करने और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कुंवरबाई के चरण स्पर्श करने के वाकये की देशभर में चर्चा रही। लेकिन, महानगरीय चमक-धमक से दूर, राजस्थान के डूंगरपुर जिले के एक आदिवासी परिवार ने लाज बचाने के लिए अपनी आजीविका के प्रमुख साधन बकरी को बेचकर तथा चांदी के आभूषण को गिरवी रखकर कुंवरबाई जैसा ही शौचालय निर्माण का दूसरा अनूठा उदाहरण पेश किया है।

गरीब परिवार की दास्तान:

कहानी है डूंगरपुर-रतनपुर-अहमदाबाद मार्ग पर सड़क किनारे एक टूटी-फूटी झोंपड़ी में रहने वाले श्री कांतिलाल रोत और उसके परिवार की। शहर की एक मिल में दिहाड़ी मजदूरी करने वाला श्री कांतिलाल रोत अपनी विधवा मां, स्वर्गीय छोटे भाई की पत्नी व बच्चों के साथ अपनी पत्नी-बच्चों वाले बड़े परिवार का पालन पोषण कर रहा था। गत दिनों स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर परिषद डूंगरपुर द्वारा चलाए गए विशेष अभियान के तहत काम कर रहे फिनिश सोसायटी के प्रतिनिधियों ने उससे संपर्क किया और परिवारजनों को शौचालय बनवाने के लिए समझाया। शहर से सटी बस्ती के कारण विधवा मां श्रीमती लाली रोत भी अपनी दोनों बहुओं और खुद के लिए शौचालय की आवश्यकता महसूस कर रही थी। उसे बताया गया कि नगरपरिषद द्वारा प्रोत्साहन राशि के रूप में केन्द्र सरकार की ओर से 4 हजार, राज्य सरकार के 4 हजार रुपये तथा नगरपरिषद की ओर से 4 हजार रुपये मिलाकर कुल 12 हजार रुपये दिए जाएंगे तो पूरा परिवार खुशी-खुशी शौचालय बनवाने के लिए तैयार हो गया।

प्रोत्साहन राशि के चार हजार की प्रथम किश्त मिलने के साथ ही पूरे परिवार ने खुद के हाथों गड्डा खोदना प्रारंभ किया। शेष राशि मिलने के बाद आवश्यक सामग्री खरीद कर उपर का ढांचा और पानी की टंकी भी बना ली परंतु अब उनके पास कारीगरों को चुकाने के लिए राशि खत्म हो चुकी थी। विधवा मां की जिद थी कि शौचालय तो बनेगा ही। उसकी सलाह पर श्री कांतिलाल ने अपने घर की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली सात बकरियों में से एक बकरी 5 हजार रुपये में बेच दी और कारीगरों को मजदूरी का भुगतान किया। अब शौचालय के दरवाजे और अन्य सामग्री के लिए और धनराशि की आवश्यकता हुई तो उसकी पत्नी श्रीमती गौरी ने अपनी शादी में पीहर से आई हुई चांदी की पायल को गिरवी रखने के लिए दे दिया। बस फिर क्या था, श्री कांतिलाल ने बाजार में पायल को गिरवी रखकर चार हजार रुपये लिए और अपने शौचालय को पूर्ण करवाया और अब पूरा परिवार इसी शौचालय का उपयोग करता है।


शौचालय के लिए बकरी बेचने और पायल गिरवी रखने वाला आदिवासी परिवार

सभापति गुप्ता पहुंचे गौरी के घर:

इधर, अपने घर में शौचालय बनाने के लिए बकरी बेचने और पायल को गिरवी रखने वाले आदिवासी परिवार के समर्पण की सूचना नगर परिषद के सभापति श्री के.के.गुप्ता के पास पहुंची तो वह तत्काल ही गौरी के घर पहुंचे और पूरे वाकये की जानकारी लेते हुए गिरवी रखी गौरी की पायल को छुड़वाने के लिए अपनी तरफ से नकद चार हजार रुपये, अंतिम किश्त के चार हजार रुपये का चेक दिया और साथ ही, पूरे परिवार के इस समर्पण के लिए परिवार के मुखिया श्री कांतिलाल, उसकी पत्नी श्रीमती गौरी और विधवा मां श्रीमती लाली रोत का माल्यार्पण से अभिनंदन किया।


आदिवासी परिवार को पुरस्कार राशि देते नगर परिषद सभापति के.के.गुप्ता और आयुक्त


सभापति श्री गुप्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के संकल्‍पों को सार्थक करने के लिए डूंगरपुर नगर परिषद प्रतिबद्ध है और नगर परिषद को राजस्थान में पहली ओडीएफ बनाने के लिए युद्धस्तर पर कार्य जारी है। परिषद के आयुक्त श्री दिलीप गुप्ता ने इस मौके पर जानकारी दी कि परिषद द्वारा 30 जून तक 16 वार्डों को खुले में शौचमुक्त कर दिया जाएगा। प्रताप जयंती होने पर उनके त्याग और समर्पण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्‍हें प्रताप की प्रतिमा भी भेंट की।


आदिवासी परिवार को प्रताप की प्रतिमा भेंट करते नगर परिषद के सभापति श्री के.के.गुप्ता और आयुक्त

इस मौके पर शौचालय निर्माण के विषय पर विधवा श्रीमती लाली का कहना था कि बहुओं की लाज बचाने के लिए वो बकरी और चांदी की पायल तो क्या अपना घर भी गिरवी रखना पड़े तो रख देती। श्रीमती लाली और श्रीमती गौरी के इस समर्पण पर न सिर्फ परिवार अपितु आस-पड़ोस के लोग भी बड़े खुश दिखे। इस दौरान फिनिश सोसायटी के श्री निहाल अहसन और नगरपरिषद के कार्मिक भी मौजूद थे।

लेखक - गोपेंद्र नाथ भट्ट


पढ़िए अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र में प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन हिंदी में



श्रीमान स्पीकर,
श्रीमान उप राष्ट्रपति,
अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिष्ठित सदस्यगण,
देवियों एवं सज्जनों,


मैं अमेरिकी कांग्रेस की इस संयुक्त बैठक को संबोधित करने के लिए दिए गए निमंत्रण से काफी सम्मानित महसूस कर रहा हूं।

इस भव्य कैपीटोल के द्वार खोलने के लिए श्रीमान स्पीकर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

लोकतंत्र के इस मंदिर ने विश्व भर में अन्य लोकतंत्रों को प्रोत्साहित किया है एवं सशक्त बनाया है।

यह इस महान देश की भावना को अभिव्यक्त करता है, जो अब्राहम लिंकन के शब्दों में स्वतंत्रता में परिकल्पित हुई थी और इस अवधारणा के प्रति समर्पित हुई थी कि सभी व्यक्ति समान हैं।

मुझे यह अवसर देकर, आपने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और इसके 1.25 अरब लोगों को सम्मानित किया है।

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में, यह मेरा सौभाग्य है कि दुनिया के सबसे प्राचीन लोकतंत्र के नेताओं को मैं संबोधित कर रहा हूं।

स्पीकर महोदय,

दो दिन पहले मैंने अपनी यात्रा आरलिंगटन राष्ट्रीय सेमेटरी से शुरू की थी जहां इस महान भूमि के अनेक वीर जवानों की समाधि है।

मैं उनके साहस और आजादी एवं लोकतंत्र के आदर्शों के लिए उनके बलिदान का सम्‍मान करता हूं।

यह इस निर्णायक दिवस की 72वीं वर्षगांठ है।

उस दिन इस महान देश के हजारों जवानों ने स्वतंत्रता की लौ को जलाए रखने के लिए उस सुदूर भूमि के तटों पर जंग लड़ी थी जिसे वे जानते तक नहीं थे।

उन्होंने अपने जीवन का बलिदान किया, ताकि दुनिया आजादी की सांस लेती रहे।

आजादी की इस भूमि और वीर जवानों के इस देश के पुरुषों एवं महिलाओँ द्वारा मानवता की सेवा के लिए दिए गए महान बलिदान की मैं सराहना करता हूं, भारत सराहना करता है।

भारत यह जानता है कि इसका क्या मतलब है, क्योंकि हमारे सैनिकों ने भी इन्हीं आदर्शों के लिए सुदूर स्थित युद्ध भूमि पर अपने जीवन का बलिदान किया है।

यही कारण है कि स्वतंत्रता एवं आजादी के धागों से हमारे दो लोकतंत्र मजबूत बंधन में बंधे हुए हैं।

स्पीकर महोदय,

हमारे इन दोनों राष्ट्रों का इतिहास, संस्कृति एवं आस्थाएं भले ही अलग-अलग हों,

लेकिन लोकतंत्र में हमारी आस्था और हमारे देशवासियों की आजादी इन दोनों राष्ट्रों के लिए एकसमान हैं।

सभी नागरिक समान हैं, यह अनुपम विचार भले ही अमेरिकी संविधान का केन्द्रीय (मुख्य) आधार हो,

लेकिन हमारे संस्थापक भी इसी विश्वास को साझा करते थे और वे भारत के प्रत्येक नागरिक की व्यक्तिगत आजादी चाहते थे।

एक नव स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में हमने जब लोकतंत्र में अपनी आस्था व्यक्त की थी, तो ऐसे अनेक लोग थे जिन्होंने भारत को लेकर संशय व्यक्त किया था।

निश्चित रूप से, हमारी विफलता पर दांव लगाए गए थे

लेकिन भारत की जनता कतई नहीं डगमगाई।

हमारे संस्थापकों ने एक आधुनिक राष्ट्र का सृजन किया, जिसकी अंतरात्मा का सार आजादी, लोकतंत्र और समानता थी।

और ऐसा करते समय उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हम अपनी युगों पुरानी विविधता का उत्सव निरंतर मनाते रहें।

आज

• अपनी समस्त सड़कों एवं संस्थानों
• अपने गांवों एवं शहरों
• सभी आस्थाओं के प्रति समान सम्मान, और
• अपनी सैकड़ों भाषाओं और बोलियों के माधुर्य

के लिहाज से भारत एक है, भारत एक ही देश के रूप में आगे बढ़ रहा है, भारत एक ही देश के रूप में उत्सव मना रहा है।

स्पीकर महोदय,

आधुनिक भारत अपने 70वें वर्ष में है।

मेरी सरकार के लिए, संविधान ही वास्‍तविक पवित्र ग्रंथ है।

और उस पवित्र ग्रंथ में किसी की चाहे जैसी भी पृष्‍ठभूमि रही हो, सभी नागरिकों के लिए समान रूप से विश्‍वास की आजादी, बोलने और मताधिकार, और समानता के अधिकार को मौलिक अधिकारों के रूप में प्रतिस्‍थापित किया गया है।

हमारे 800 मिलियन देशवासी हरेक पांच वर्षों पर अपने मताधिकार के अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।

लेकिन हमारे सभी 1.25 बिलियन नागरिकों को भय से स्‍वतंत्रता प्राप्‍त है जिसका उपयोग वे अपने जीवन के हर क्षण में करते हैं।

सम्‍मानित सदस्‍यों,

हमारे लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍थाओं के बीच भागीदारी उस प्रकार से दृष्टिगोचर होती रही है जिसमें हमारे चिंतकों ने एक-दूसरे को प्रभावित किया है और हमारे समाजों की धाराओं को आकार दिया है।

नागरिक असहयोग के थोरोस के विचार ने हमारे राजनीतिक विचारों को प्रभावित किया है।

और इसी प्रकार, भारत के महान संत स्‍वामी विवेकानंद द्वारा मानवता को अंगीकार करने का सर्वाधिक विख्‍यात आह्वान शिकागो में ही किया गया था

गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांत ने मार्टिन लूथर के साहस को प्रेरित किया।

आज टाइडल बेसिन में स्थित मार्टिन लूथर किंग स्‍मारक स्‍थल मैसऐचूसैटस एवेन्‍यू में गांधी जी की प्रतिमा से केवल तीन मील की दूरी पर स्थित है।

वाशिंगटन में उनके स्‍मारक स्‍थलों के बीच की यह निकटता उन आदर्शों और मूल्‍यों की प्रगाढ़ता को प्रतिबिम्बित करता है जिनमें उन्‍हें विश्‍वास था।

डॉ. बी आर अम्‍बेडकर की प्रतिभा का परिपोषण एक सदी पहले उन वर्षों में ही किया गया था, जो उन्‍होंने कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में व्‍यतीत किए थे।

उन पर अमेरिकी संविधान का प्रभाव, लगभग तीन दशक बाद, भारतीय संविधान के आलेखन में प्रतिबिम्बित हुआ। हमारी स्‍वतंत्रता भी उसी आदर्शवाद से प्रज्‍वलित हुई, जिसने स्‍वतंत्रता के लिए आपके संघर्ष को प्रोत्‍साहित किया।

इसमें कोई आश्‍चर्य की बात नहीं कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत और अमरीका को ‘स्‍वभाविक मित्र’ करार दिया था।

इसमें कोई संदेह नहीं कि आजादी के साझा आदर्शों और समान दर्शन ने ही हमारे रिश्‍तों को आकार दिया था।

इसमें कोई संदेह नहीं कि राष्‍ट्रपति ओबामा ने हमारे संबंधों को 21वीं शताब्‍दी की विशिष्‍ट साझेदारी करार दिया है।

स्पीकर महोदय,

15 वर्ष पहले भारत के तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यहां खड़े हुए थे और उन्‍होंने अतीत के ‘हिचकिचाहट के साए’ से बाहर निकलने की अपील की थी।

तब से हमारी मित्रता के पृष्‍ठ एक उल्‍लेखनीय कहानी सुनाते हैं।

आज हमारे संबंध इतिहास की हिचकिचाहटों से उबर चुके हैं।

आराम, स्‍पष्‍टवादिता और अभिसरण हमारे संभाषणों को परिभाषित करते हैं।

चुनावों के चक्र और प्रशासनों के परिवर्तनकाल के जरिए हमारे संबंधों की प्रगाढ़ता और बढ़ी ही है।

और इस रोमांचक यात्रा में अमेरिकी कांग्रेस ने इसके कम्‍पास की तरह कार्य किया है।

आपने हमें बाधाओं को साझेदारी के सेतुओं के रूप में बदलने में सहायता की है।

2008 में, जब कांग्रेस ने भारत-अमेरिका नागरिक नाभिकीय सहयोग समझौते को पारित किया, इसने हमारे संबंधों के रंगों को ही परिवर्तित कर दिया।

हम आपको वहां उस वक्‍त खड़े रहने के लिए धन्‍यवाद देते हैं, जब साझेदारी को आपकी सबसे अधिक आवश्‍यकता थी।

आप दु:ख के क्षणों में भी हमेशा हमारे साथ खड़े रहे हैं।

भारत कभी भी अमेरिकी कांग्रेस द्वारा दिखाई गई एकजुटता को नहीं भूलेगा, जब हमारी सीमा के पार आतंकवादियों ने नवंबर, 2008 में मुम्‍बई पर हमला किया था।

स्पीकर महोदय,

जैसा कि मुझे बताया गया है, अमेरिकी कांग्रेस का काम करने का तरीका बेहद सद्भावपूर्ण है। मुझे ये भी बताया गया कि आप लोग अपने द्विदलिय व्यवस्था के लिए जाने जाते हैं।

इस तरह की व्यवस्था को मानने वाले आपलोग अकेले नहीं हैं।

पहले भी और आज भी मैंने देखा है कि हमारे भारतीय संसद में भी इसी तरह का उत्साह रहता है। सतौर से ऊपरी सदन में हमारी परंपराएं काफी मिलती-जुलती हैं।



स्पीकर महोदय, 

जैसा कि ये देश अच्छी तरह जानता है, हर यात्रा का एक पथप्रदर्शक होता है।

पुराने नेताओं ने काफी कम समय में विकास की एक साझेदारी तैयार की, वो भी तब जबकि हमारे बीच इतनी मुलाकातें नहीं होती थी।

नॉर्मन बोरलॉग जैसे प्रतिभावान व्यक्ति भारत में हरित क्रांति और खाद्य क्रांति ले आए। अमेरिकी विश्वविद्यालयों की उत्क्रृष्ठता ने भारतीय तकनीकी और प्रबंधन संस्थाओं को काफी विकसित किया है।

हम अपनी सहभागिता की इस गति को आज और तेज कर सकते हैं। हमारी साझेदारी की स्वीकार्यता पूरी तरह से हमारे लोगों की कोशिशों की वजह से संभव हुई है। हमारी साझेदारी समुद्र की गहराई से लेकर आसमान की ऊंचाई तक नजर आती है।

हमारा विज्ञान और तकनीकी सहयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्य और कृषि के क्षेत्र की पुरानी समस्याओं को खत्म करने में लगातार सहयोग कर रहा है।

वाणिज्य और निवेष के क्षेत्र में हमारी साझेदारी लगातार बढ़ रही है। हमारा अमेरिका के साथ व्यापार किसी भी दूसरे देश के मुकाबले ज्यादा है।

हमारे बीच सामान, सेवाओं और पैसों का लेनदेन बढ़ने से दोनों तरफ नौकरियों के मौके बढ़ रहे हैं।

जैसा व्यापार में है, वैसा ही रक्षा क्षेत्र में भी है।

भारत का अमेरिका के साथ सैन्य सहयोग किसी भी दूसरे देश की अपेक्षा ज्यादा है। एक दशक से भी कम अवधि में हमारे रक्षा सामानों की खरीदारी करीब 0 से 10 अरब डॉलर तक पहुंच गई है।

हमारे आपसी सहयोग से हमारे शहरों और वहां के नागरिकों की आतंकवादियों से रक्षा और आधारभूत संरचनाओं को साइबर खतरों से बचाव सुनिश्चित होता है।

जैसा कि मैंने कल राष्ट्रपति ओबामा को बताया था, हमारे बीच असैन्य परमाणु सहयोग एक वास्तविकता है।

स्पीकर महोदय, दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध बेहद मजबूत हैं। दोनों देशों के लोगों के बीच बेहद करीबी सांस्कृतिक संबंध रहे हैं।

सीरी ने बताया, भारत की प्राचीन धरोहर योगा का अमेरिका में 30 मिलियन लोग अभ्यास कर रहे हैं। अनुमान के मुताबिक अमेरिका में योगा के लिए झुकने वालों की संख्या कर्व बॉल के लिए झुकने वालों से भी ज्यादा है।

और स्पीकर महोदय, हमने योगा पर कोई प्रज्ञात्मक संपत्ति अधिकार भी नहीं लगाया है।

हमारे 30 लाख भारतीय अमेरिकी दोनों देशों को जोड़ने के लिए एक अद्वितिय और सक्रिय सेतु का काम करते हैं।

आज वो अमेरिका के बेहतरीन सीईओ, शिक्षाविद, अंतरिक्षयात्री, वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, चिकित्सक और यहां तक की अंग्रेजी वर्तनी की प्रतियोगिता के चैंपियन भी हैं।

ये लोग आपकी ताकत हैं। ये लोग भारत की शान भी हैं। ये लोग हमारे दोनों समाजों के प्रतिनिधि की तरह हैं।



स्पीकर महोदय,

आपके इस महान देश के बारे में मेरी समझ सार्वजनिक जीवन में आने से काफी पहले ही विकसित हो गई थी।

पदभार ग्रहण करने से बहुत पहले ही मैं, तट से तट होते हुए 25 से अधिक अमेरिकी राज्य घूम चूका हूँ।

तब मुझे अहसास हुआ की अमेरिका की असली ताकत इसके लोगों के सपनो में और उनकी आकांक्षाओं में है।

स्पीकर महोदय,

आज वही ज़ज्बा भारत में भी उध्वित हो रहा है।

800 मिलियन युवा जो कि खास कर बेसब्र हैं।

भारत में एक बहुत बड़ा सामाजिक-आर्थिक बदलाब आ रहा है।

करोड़ों भारतीय पहले से ही राजनीतिक तौर पर समर्थ हैं। मेरा सपना उन्हें सामाजिक-आर्थिक बदलाव द्वारा आर्थिक रूप से सक्षम करने का है।

2022 में भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ है।

मेरी कार्यसूची लंबी और महत्वाकांक्षी है, जिसे आप समझ सकते हैं। इसमें शामिल है..

- एक विस्तृत ग्रामीण अर्थव्यवस्था जिसमें सुदृढ़ कृषि क्षेत्र शामिल है।
- सभी नागरिकों के लिए एक घर और बिजली की व्यस्था
- हमारे लाखों युवाओं को कौशल प्रदान करना
- 100 स्मार्ट शहरों का निर्माण
-एक अरब लोगों को इंटरनेट मुहैया कराना और गांवों को डिजिटल दुनिया से जोड़ना
-21वीं सदी के मुताबिक रेल, सड़क और पोत की आधारभूत संरचना तैयार करना

ये महज हमारी मह्त्वाकांक्षा नहीं हैं बल्कि इन्हें एक तय समय में पूरा करना हमारा लक्ष्य है।

इन सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक सुनियोजित योजना बनाई गई है जिसमें नवीकरण पर हमारा खास ध्यान है।

स्पीकर महोदय, भारत के आगे बढ़ने की इन सभी योजनाओं में मैं अमेरिका को एक अनिवार्य सहयोगी की तरह देखता हूं।

आप सब में से भी ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि मजबूत और संपन्न भारत का होना अमेरिका के सामरिक हितों दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

आइए साथ मिलकर एक दूसरे के आदर्शों को साझा कर व्यावहारिक सहयोग की दिशा में आगे बढ़े।

इस बात में कोई संदेह नहीं कि इस रिश्ते की मजबूती से दोनों देशों को कई स्तरों पर फायदा पहुंचेगा।

अमेरिकी व्यापार जगत को उत्पादन और निर्माण के लिए आर्थिक विकास के नए क्षेत्रों, वस्तुओं के लिए नए बाजार, कुशल कामगार और वैश्विक जगहों की तलाश है। भारत उसका आदर्श सहयोगी हो सकता है.

भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और 7.6 प्रतिशत प्रतिवर्ष की विकास दर हमारे आपसी समृद्धि के नए अवसर प्रदान कर रही है।

भारत में परिवर्तनकारी अमेरिकी प्रौद्योगिकियों और भारतीय कंपनियों की ओर से संयुक्त राज्य अमेरिका में बढ़ रहा निवेश दोनों का ही हमारे नागरिकों के जीवन पर सकारात्मक असर पड़ रहा है।

आज, अपने वैश्विक अनुसंधान और विकास केन्द्रों के लिए भारत ही अमेरिकी कंपनियों का पसंदीदा गंतव्य है।

भारत से पूर्व की ओर देखने पर, प्रशांत के पार, हमारे दोनों देशों की नवाचार क्षमता कैलिफोर्निया में आकर एक साथ मिलती है।

यहां अमेरिका की अभिनव प्रतिभा और भारत की बौद्धिक रचनात्मकता भविष्य के नए उद्योगों को आकार देने का काम कर रही हैं।

स्पीकर महोदय,

21वीं सदी अपने साथ महान अवसर लेकर आई है।

हालांकि, यह अपने साथ खुद से जुड़ी अनेकानेक चुनौतियां भी लेकर आई है।

परस्पर निर्भरता बढ़ रही है।

लेकिन जहां एक ओर दुनिया के कुछ हिस्से बढ़ती आर्थिक समृद्धि के द्वीप हैं, वहीं दूसरी ओर अन्य हिस्से संघर्षों से घि‍र गए हैं।

एशिया में, किसी आपसी सहमति वाली सुरक्षा संरचना का अभाव अनिश्चितता पैदा करता है।

आतंक के खतरे बढ़ते जा रहे हैं और नई चुनौतियां साइबर एवं बाहरी अंतरिक्ष में उभर रही हैं।

और 20वीं सदी में परिकल्पि‍त वैश्विक संस्थान नई चुनौतियों से निपटने या नई जिम्मेदारियां लेने में असमर्थ नजर आ रहे हैं।

अनेकानेक बदलावों एवं आर्थिक अवसरों; बढ़ती अनिश्चितताओं और राजनीतिक जटिलताओं; मौजूदा खतरों और नई चुनौतियों की इस दुनिया में हमारी वचनबद्धता निम्नलिखि‍त को बढ़ावा देकर अहम फर्क ला सकती हैं:

• सहयोग, प्रभुत्व नहीं;
• कनेक्टिविटी, अलगाव नहीं;
• वैश्विक आम जनता के लिए आदर;
• समावेशी व्यवस्था, वंचित रखने वाली नहीं; और सबसे ज्यादा अहम
• अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों का पालन।

भारत हिंद महासागर क्षेत्र को सुरक्षित रखने संबंधी अपनी जिम्मेदारियां पहले से ही संभाल रहा है।

एक मजबूत भारत-अमेरिकी साझेदारी एशिया से लेकर अफ्रीका तक और हिंद महासागर से लेकर प्रशांत क्षेत्र तक में शांति, समृद्धि और स्थिरता ला सकती है।

यह वाणिज्य के समुद्री मार्गों की सुरक्षा और समुद्र पर नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में भी मदद कर सकती है।

लेकिन, हमारे सहयोग की प्रभावशीलता में वृद्धि तभी होगी जब 20वीं सदी की मानसिकता के साथ तैयार अंतरराष्ट्रीय संस्थान आज की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करेंगे।

स्पीकर महोदय,

वाशिंगटन डीसी आने से पहले मैं पश्चिमी अफगानिस्तान स्थित हेरात गया था, जहां मैंने अफगान-इंडिया फ्रेंडशिप डैम (अफगान-भारत मित्रता बांध) का शुभारंभ किया। यह पनबिजली परियोजना 42 मेगावाट क्षमता की है, जिसे भारत के सहयोग से बनाया गया है।

मैं बीते साल क्रिसमस पर भी वहां गया था और वहां की संसद को राष्ट्र को समर्पित किया गया। यह हमारे लोकतांत्रिक संबंधों का प्रमाण है।

अफगानिस्तान ने स्वाभाविक तौर पर अमेरिका के बलिदान को मान्यता दी है, जिससे उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद मिली है। हालांकि क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए किए गए आपके अंशदान को इससे आगे तक सराहा गया है।

भारत ने भी अफगान लोगों के साथ अपनी मित्रता को समर्थन देने के लिए खासा योगदान और बलिदान किया है। एक शांतिपूर्ण और स्थिर व संपन्न अफगानिस्तान का निर्माण करना हमारा साझा उद्देश्य है।

सम्मानित सदस्यों, अभी तक न सिर्फ अफगानिस्तान के लिए, बल्कि दक्षिण एशिया में कहीं भी और वैश्विक स्तर पर भी आतंकवाद बड़ा खतरा बना हुआ है।

पश्चिमी भारत से अफ्रीका की सीमा तक के क्षेत्र में इसके लश्कर-ए-तैय्यबा, तालिबान, आईएसआईएस (ISIS) तक इसके विभिन्न नाम हो सकते हैं। लेकिन इनके लक्ष्य समान हैं-घृणा, हत्या और हिंसा।

भले ही इसकी छाया पूरी दुनिया में है, लेकिन यह भारत के पड़ोस में पनप रहा है।

मैं अमेरिकी कांग्रेस की इस बात के लिए प्रशंसा करता हूं कि वह राजनीतिक लाभ के लिए धर्म और आतंकवाद का इस्तेमाल करने वालों को कड़ा संदेश दे रही है।

उनको पुरस्कृत करने से मना करना, उनके कार्यों के लिए उन्हें जिम्मेवार ठहराने की दिशा में पहला कदम है।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कई स्तरों पर लड़ी जानी है। और सेना, गुप्तचर सेवा या सिर्फ कूटनीति के दम पर यह लड़ाई जीतना संभव नहीं होगा।

स्पीकर महोदय,

हमने इसके खिलाफ लड़ाई में अपने नागरिक और सैनिकों का बलिदान किया है।

हमारे सुरक्षा सहयोग को मजबूत बनाना वक्त की जरूरत है।

और ऐसी नीति बनाई जाए, जो-

-ऐसे लोगों को अलग-थलग करती हो जो आतंकवाद को शरण, सहयोग और प्रायोजित करते रहे हैं।

-अच्छे और बुरे आतंकवाद के बीच फर्क नहीं करती हो।

-जो धर्म और आतंकवाद को अलग रखे।

और हमें इस में सफल बनाये कि जो मानवता में विश्वास करते हैं, वो सब इस से लड़ने के लिए एकसाथ आएं और इस बुराई के खिलाफ एक सुर में बोलें। आतंकवाद को गैरवैधानिक बनाया जाना चाहिए।

स्पीकर महोदय,

हमारी साझेदारी के फायदे अन्य देशों और क्षेत्रों के को होने के साथ-साथ, हमनें अपनी और हमारी क्षमताओं को मिलाकर एक साथ मिलकर आपदाओं के समय जब मानवीय राहत की जरूरत होती है अन्य वैश्विक चुनौतियों का समाना किया है।

हमारे देश से मीलों दूर हमने यमन से हजारों भारतीयों, अमेरिकियों और अन्य देशों के लोगो को बाहर निकाला था

हमारे पड़ोस में नेपाल में भूकंप मालदीव में जल संकट और हाल ही में श्रीलंका में भू-स्खलन के समय राहत पहुंचाने वाले भारत पहला देश था

भारत संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना कार्यक्रम में सैनिकों को भेजने वाले देशों में से सबसे बड़ा देश भी है।

अकसर भारत और अमेरिका विश्व के विभिन्न हिस्सों में भुखमरी, गरीबी बीमारियों और निरक्षरता से लड़ने के लिए विज्ञानप्रौद्योगिकी और इनोवेशन के क्षेत्र में अपनी शक्तियों को साझा करते हैं।

हमारी साझेदारी की सफलता एशिया से लेकर अफ्रीका तक शिक्षा, सुरक्षा और विकास के लिए नए अवसरों को खोल रही है।

और, पर्यावरण संरक्षण और धरती की देखभाल एक यथार्थ विश्व के निर्माण हेतु हमारे साझा विज़न में मुख्य विषय है

भारत में, हमारे लिए धरती माँ के साथ सौहार्दपूर्वक रहना हमारी प्राचीन मान्यता है।

और, प्रकृति से केवल जरूरत की चीजों को ग्रहण करना हमारी सभ्यता का नैतिक मूल्य है।

इसलिए हमारी साझेदारी का लक्ष्य क्षमताओं के साथ जिम्मेदारियों को संतुलित करना है।

और, यह नवीकरणीय ऊर्जा की उपलब्धता और उसके प्रयोग को बढाने की दिशा में भी केन्द्रित है

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को बनाने की हमारी पहल को अमेरिका का पुरजोर समर्थन इस प्रकार का एक प्रयास है।

हम न सिर्फ हमारे बेहतर भविष्य के लिए एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं बल्कि हम पूरे विश्व के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे हैं।

जी-20, पूर्वी एशिया सम्मेलन और जलवायु परिवर्तन सम्मेलनों में यह हमारे प्रयासों का लक्ष्य रहा है।

अध्यक्ष महोदय और माननीय सदस्यों,

जैसे-जैसे हमारी साझेदारी घनिष्ठ बनेगी उस दौरान ऐसा भी समय आएगा जब हमारे विचार अलग-अलग होंगे।

लेकिन, हमारे हित और चिंताएं एक समान होने के कारण, निर्णय लेने की प्रक्रिया में स्वायत्ता और हमारे दृष्टिकोणों में विविधता हमारी साझेदारी के लिए उपयोगी साबित होगी।

हम एक नई यात्रा की शुरूआत करने जा रहे हैं, और नए लक्ष्य बना रहे हैं, इसलिए, हमारा ध्यान न सिर्फ रोजमर्रा के मामलों पर होना चाहिए बल्कि रूपांतरकारी विचारों पर भी होना चाहिए,

जिन विचारों पर ध्य़ान दिया जा सकता है वे हैं:

• हमारे समाजों के लिए सिर्फ धन-दौलत और संपदा न बनाकर नैतिक मूल्यों का भी निर्माण किया जा सकता है.
• हमें सिर्फ तात्कालिक लाभ के लिए कार्य नहीं करना बल्कि दीर्घकालिक फायदों के लिए भी विचार करना चाहिए,
• हमें न सिर्फ अच्छी कार्य प्रणाली के लिए काम करना है बल्कि साझेदारी को बढ़ाने पर भी विचार करना चाहिए।
• हमें न सिर्फ हमारे लोगों के अच्छे भविष्य़ के लिए सोचना चाहिए बल्कि हमें अधिक संयुक्त, एकजुट मानवीय और समृद्ध विश्व के सेतु के रूप में कार्य करना चाहिए,

और हमारी नई साझेदारी की सफलता के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि हम इसे एक नए दृष्टिकोण और संवेदना से देखें,

ऐसा करने से हम इस असाधारण रिश्ते के वादों को महसूस कर सकेंगें।



स्पीकर महोदय,

मेरे अंतिम शब्द और विचार इस बात को पुन: याद दिलाते हैं कि हमारे संबंधों का मुख्य उदेश्य शानदार और प्रभावशाली भविष्य का निर्माण करना है,

पिछले समय की बाधाएं पीछे छुट चुकी हैं और नए भविष्य की दृढ़ स्थापना हो चुकी है,

वाल्ट व्हीटमैन के शब्दो में,

“वादक समूह (The Orchestra) ने अपने यंत्रों को अच्छे से सजा लिया है और छड़ी ने अपना संदेश दे दिया है” (The Orchestra have sufficiently tuned their instruments, the baton has given the signal)

और इसमें मैं जोड़ना चाहूंगा कि अब इस सरगम में एक नयी जुगलबंदी (symphony) बनी है.

इस सम्मान के लिए अध्यक्ष महोदय और माननीय सदस्यों का हार्दिक धन्यवाद बहुत-बहुत धन्यवाद,

Join our WhatsApp Group

Join our WhatsApp Group
Join our WhatsApp Group

फेसबुक समूह:

फेसबुक पेज:

शीर्षक

भाजपा कांग्रेस मुस्लिम नरेन्द्र मोदी हिन्दू कश्मीर अन्तराष्ट्रीय खबरें पाकिस्तान मंदिर सोनिया गाँधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राहुल गाँधी मोदी सरकार अयोध्या विश्व हिन्दू परिषद् लखनऊ जम्मू उत्तर प्रदेश मुंबई गुजरात दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश श्रीनगर स्वामी रामदेव मनमोहन सिंह अन्ना हजारे लेख बिहार विधानसभा चुनाव बिहार लालकृष्ण आडवाणी मस्जिद स्पेक्ट्रम घोटाला अहमदाबाद अमेरिका नितिन गडकरी सुप्रीम कोर्ट चुनाव पटना भोपाल कर्नाटक सपा सीबीआई आतंकवाद आतंकवादी पी चिदंबरम ईसाई बांग्लादेश हिमाचल प्रदेश उमा भारती बेंगलुरु केरल अरुंधती राय जयपुर पंजाब इस्लामाबाद उमर अब्दुल्ला डा़ प्रवीण भाई तोगड़िया धर्म परिवर्तन महाराष्ट्र सैयद अली शाह गिलानी हिन्दुराष्ट्र अरुण जेटली मोहन भागवत राष्ट्रमंडल खेल वाशिंगटन शिवसेना इंदौर गंगा हिंदू कश्मीरी पंडित गोधरा कांड दवा उद्योग बलात्कार भाजपायूमो मंहगाई यूपीए साध्वी प्रज्ञा सुब्रमण्यम स्वामी चीन बी. एस. येदियुरप्पा भ्रष्टाचार शिवराज सिंह चौहान हिंदुत्व हैदराबाद इलाहाबाद काला धन गौ-हत्या चंडीगढ़ चेन्नई तमिलनाडु नीतीश कुमार शीला दीक्षित सुषमा स्वराज हरियाणा अशोक सिंघल कोलकाता जन लोकपाल विधेयक नई दिल्ली नागपुर मायावती मुजफ्फरनगर मुलायम सिंह रविशंकर प्रसाद स्वामी अग्निवेश अखिल भारतीय हिन्दू महासभा आजम खां उत्तराखंड फिल्म जगत ममता बनर्जी लालू यादव अजमेर प्रणव मुखर्जी बंगाल मालेगांव विस्फोट विकीलीक्स अटल बिहारी वाजपेयी आशाराम बापू ओसामा बिन लादेन नक्सली अरविंद केजरीवाल एबीवीपी कपिल सिब्बल क्रिकेट तरुण विजय तृणमूल कांग्रेस बजरंग दल बसपा बाल ठाकरे राजिस्थान वरुण गांधी वीडियो सोहराबुद्दीन केस हरिद्वार असम गोवा मनीष तिवारी शिमला सिख विरोधी दंगे सिमी इसराइल एनडीए कल्याण सिंह पेट्रोल प्रेम कुमार धूमल सैयद अहमद बुखारी अनुच्छेद 370 जदयू भारत स्वाभिमान मंच हिंदू जनजागृति समिति आम आदमी पार्टी विडियो-Video हिंदू युवा वाहिनी कोयला घोटाला मुस्लिम लीग छत्तीसगढ़ हिंदू जागरण मंच सीवान
registration for Z.com Research India

लोकप्रिय ख़बरें

ख़बरें और भी ...

राष्ट्रवादी समाचार. Powered by Blogger.

नियमित पाठक