किसानों हेतु क्रॉप इंश्योरेंस व एग्रीमार्केट मोबाइल एप लांच, डाउनलोड करें


केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने किसानों के लिए दो मोबाइल एप लांच किया। मोबाइल एप “क्रॉप इंश्योरेंस” से किसानों को न केवल उनके क्षेत्र में उपलब्ध बीमा कवर के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी बल्कि ऋण लेने वाले किसानों को अधिसूचित फसल के लिए इंश्योरेंस प्रीमियम, कवरेज राशि तथा ऋण राशि की गणना में भी मदद मिलेगी। मोबाइल एप “एग्रीमार्केट मोबाइल” का 50 किलोमीटर के दायरे इस्तेमाल करते हुए किसान 50 किलोमीटर के दायरे की मंडियों में फसलों का मूल्य तथा देश की अन्य मंडियों में मूल्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है।

श्री राधामोहन सिंह ने दोनों मोबाइल एप जारी करते हुए कहा कि कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय श्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा चौधरी चरण सिंह की जयंती मनाने के लिए 25 दिसंबर से किसान जय विज्ञान सप्ताह आयोजित कर रहा है। मोबाइल एप की लांचिंग सप्ताहभर के समारोह का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय का प्रयास किसानों तथा अन्य हितधारकों को सभी आवश्यक सूचनाएं समय पर उपलब्ध कराना है ताकि कृषि उत्पादकता और विश्वस्तरीय आय के लिए उचित वातावरण बनाया जा सके। इस दिशा में कृषि क्षेत्र में राष्ट्रीय ई-गर्वंनेंस योजना लांच की गई है। सभी राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों में ब्लॉक स्तरों तक हार्डवेयर देने के अतिरिक्त परियोजना में 12 क्लस्टर सेवाओं (65 से अधिक सचेत वेबसाइटों/एप्लीकेशनों के साथ) का विकास शामिल है।

कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि इनमें से 36 एप्लीकेशन तथा वेबपोर्टल चालू कर दिए गए हैं और इनका उपयोग विभिन्न विभाग तथा केन्द्र और राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के हितधारकों द्वारा किया जा रहा है। इनमें से कुछ हैं एम किसान, किसान पोर्टल, इंश्योरेंस पोर्टल, नाउकास्ट, प्लांट क्वारेंटाइन इंफॉरमेशन सिस्टम, एगमार्कनेट तथा किसान नॉलेज प्रबंधन सिस्टम। परियोजना में टच स्क्रीन कियोस्क, एसएमएस, यूएसएसडी तथा मोबाइल के जरिए वेब आधारित चैनलों से सेवाएं उपलब्ध कराना शामिल है। ग्रामीण भारत में इंटरनेट की पहुंच अभी काफी कम है लेकिन किसानों तथा दूरदराजों के लोगों में मोबाइलों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय ने मोबाइल प्लेटफॉर्मों से अपनी सभी वर्तमान और भविष्य की सेवाओं को उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। मंत्रालय के एम किसान पोर्टल को भारी सफलता मिली है। आज एसएमएस से सलाह प्राप्त करने के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या लगभग दो करोड़ है। यह सलाह अधिकारियों तथा सभी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के विज्ञानिकों, आईसीएआर, आईएमडी और कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा दी जाती है।

श्री राधामोहन सिंह ने कहा कि सरकार अगले महीने नई फसल बीमा योजना लांच करेगी। इसका उद्देश्य कम प्रीमियम के साथ दावों का तेजी से निपटारा होगा।

लांच किए गए मोबाइल एप की विशेषताएः

क्रॉप इंश्योरेंस मोबाइल एप:

भारत सरकार किसानों को फसल बीमा प्रदान करने के लिए बड़ी राशि खर्च करती है ताकि किसानों को अप्रत्याशित परिस्थितियों में राहत दी जा सके। सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियां फसल बीमा प्रदान करती हैं। जिलों/ब्लॉकों में विभिन्न फसलों के लिए बीमा कवच प्रदान करने के लिए बीमा कंपनियों को राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश नामित करते है। एक विशेष अवधि के तहत किसान इस सुविधा का लाभ उठाते है। प्राशसनिक तथा तकनीकी कारणों से सूचना किसानों तक समय पर नहीं पहुंच पाती ताकि वे लाभ उठा सके। “क्रॉप इंश्योरेंस मोबाइल एप” से किसानों को न केवल उनके क्षेत्र में उपलब्ध बीमा कवर के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी बल्कि ऋण लेने वाले किसानों को अधिसूचित फसल के लिए इंश्योरेंस प्रीमियम, कवरेज राशि तथा ऋण राशि की गणना में भी मदद मिलेगी। इसका इस्तेमाल सामान्य बीमा राशि, विस्तारित बीमा राशि, प्रीमियम ब्यौरा तथा अधिसूचित क्षेत्र में किसी अधिसूचित फसल की सब्सिडी सूचना के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

एग्रीमार्केट मोबाइल एप:

सही बाजार सूचना के अभाव में किसानों को बिक्री में नुकसान उठाना पड़ता है। इस मोबाइल एप से किसान बाजार भावों के बारे में सूचना एकत्र कर अपना निर्णय ले सकते हैं और यह समझ सकते हैं कि बिक्री के लिए उन्हें आस-पास की किस मंडी में उत्पाद ले जाना चाहिए। यह एप किसानों को आस-पास के फसल मूल्यों से अवगत कराने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। एग्रीमार्केट मोबाइल एप के इस्तेमाल से 50 किलोमीटर के दायरे की मंडियों में फसलों का बाजार मूल्य प्राप्त किया जा सकता है। यह एप स्वतः मोबाइल जीपीएस इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति के स्थान की पहचान करता है और 50 किलोमीटर के दायरे में आने वाले बाजारों में फसलों की कीमतों को उपलब्ध कराता है। यदि कोई व्यक्ति जीपीएस लोकेशन का उपयोग करना नहीं चाहता तो उसके लिए भी किसी अन्य बाजार या फसल का मूल्य प्राप्त करने का विकल्प है। मूल्य एगमार्कनेट पोर्टल से लिए जाते है|

यह दोनों मोबाइल एप कृषि सहकारिता तथा किसान कल्याण विभाग के आईटी प्रभाग द्वारा विकसति किए गए हैं और इन्हें गूगल स्टोर या एम किसान पोर्टल http://mkisan.gov.in/Default.aspx से डाउनलोड किया जा सकता है। 

यदि कोई राज्य इन मोबाइल एप्लीकेशनों को अपनी भाषा में बदलना चाहता है तो ऐसा अपनी भाषा में कुछ महत्वपूर्ण शब्दों के नाम उपलब्ध कराकर कर सकते है। यह एप्लीकेशन उस भाषा में तैयार हो जाएगा।

अच्छे दिन: लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के पहले चरण को मंजूरी मिली



प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के पहले चरण (1-ए) को मंजूरी दे दी है। 22.878 किलोमीटर लंबी इस परियोजना में 22 स्‍टेशन होंगे। 

इस परियोजना की लागत 6,928 करोड़ रूपये होगी। इसमें भारत सरकार इक्विटी और ऋण के रूप में 1,300 करोड़ रूपये की मदद करेगी। यह परियोजना लखनऊ मेट्रो रेल कार्पोरेशन (एलएमआरसी) द्वारा कार्यान्वित की जायेगी, जिसका पुनर्गठन केंद्र सरकार और उत्‍तर प्रदेश सरकार के बीच 50:50 की संयुक्‍त स्‍वामित्‍व वाली कंपनी के तौर पर होगा। 

कुल 22.878 किलोमीटर लंबे मार्ग में से 19.438 किलोमीटर मार्ग एलिवेटिड (जमीन से ऊपर) होगा, जबकि 3.440 किलोमीटर मार्ग भूमिगत होगा। इस पूरे मार्ग पर 19 एलिवेटिड और तीन भूमिगत मेट्रो स्‍टेशन होंगे। मेट्रो ट्रेन चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया के बीच चलेगी। 

यह परियोजना समय-समय पर संशोधित मेट्रो रेलवे (निर्माण यानि कंस्‍ट्रशन ऑफ वर्क) अधिनियम 1978, मेट्रो रेल (संचालन एवं रखरखाव) अधिनियम 2002 और रेलवे अधिनियम 1979 के कानूनी ढांचे के दायरे में आयेगी। 

पृष्‍ठभूमि :

लखनऊ के परिवहन ढांचे पर निरंतर दबाव बढ़ता जा रहा है। पिछले दो दशकों में लखनऊ जबरदस्‍त विकास का गवाह रहा है। भारत की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लखनऊ की शहरी आबादी का जमाव 29 लाख है। लखनऊ मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र की आबादी 50 लाख से ज्‍यादा है। 

शहर में 14.24 लाख वाहन हैं जिसमें 80 प्रतिशत दुपहिया और 14 प्रतिशत कारे हैं। 

कौशल विकास मंत्रालय की 2015 में उपलब्‍धियां और सफलता की गाथाएं


कौशल भारत क्‍यों?

कौशल भारत का उद्देश्‍य सभी भारतीयों को स्‍वयं और अपने परिवारों के लिए बेहतर भविष्‍य प्राप्‍त करने और इच्‍छाओं को पूर्ण करने के लिए अवसर प्रदान करना है। जनसांख्यिकीय, आर्थिक और सामाजिक कारकों का संयोजन कौशल विकास के लिए भारत में एक तत्‍काल नीति की प्राथमिकता के अंतर्गत आता है।

चुनौती व्‍यापक है। भारत की जनसंख्‍या का 54 प्रतिशत 25 वर्ष की आयु से कम है और जनसंख्‍या का 62 प्रतिशत से ज्‍यादा कामकाजी आयु समूह है। इसके बावजूद भी, भारत की जनसंख्‍या मात्र 4.69 प्रतिशत ही औपचारिक कौशल शिक्षा के अंतर्गत आता है। वर्ष 2025 तक दुनिया की कामकाजी आयु जनसंख्‍या (18.3 प्रतिशत) के 5 व्‍यक्तियों में से एक भारतीय होगा। हाल की कौशल अंतर रिपोर्ट सुझाव देती हैं कि वर्ष 2022 तक 24 प्रमुख क्षेत्रों में अकेले भारत में ही 109 मिलियन से ज्‍यादा वृद्धिशील मानव संसाधनों की आवश्‍यकता होगी। असंगठित क्षेत्र में 93 प्रतिशत भारतीय श्रमिक कार्य करते हैं और वे अनौपचारिक चैनलों और औपचारिक प्रमाणीकरण  की कमी के साथ कौशल प्राप्‍त करते हैं। इन विविध चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की कौशल प्रशिक्षण प्रारिस्थितिकी तंत्र को कैसे सुसज्जित किया जा सकता है।

उपर्युक्‍त चुनौतियों के समाधान के लिए विशेष रूप से इन पर ध्‍यान केंद्रित करते हुए युवा मामले और खेल मंत्रालय के अंतर्गत जुलाई, 2014 में भारत के प्रथम कौशल विकास एवं उद्यमिता विभाग की स्‍थापना की गई। श्री राजीव प्रताप रुड़ी को मंत्रिपरिषद में शामिल करने के बाद नवंबर, 2014 में यह विभाग एक पूर्ण कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) बन गया। एमएसडीई का प्राथमिक ध्‍यान भारत में त्‍वरित गति और बड़े पैमाने पर गुणवत्‍ता उत्‍पादनों को सुनिश्चित करते हुए कौशल विकास प्रयासों में वृद्धि करने के लिए मजबूत नीतिगत ढांचे और कार्ययोजना को विकसित करने पर है। एमएसडीई के द्वारा विगत 9 महीनों में की गई प्रमुख पहलों के क्रम में देश में कौशल विकास और उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मजबूत आधार बनाने का विवरण इस प्रकार है-

1.      एक स्पष्‍ट नीतिगत ढांचे की स्‍थापना: नीति, अभियान, समान मानदंड:

एमएसडीई ने अपने अस्तित्‍व के कुछ महीनों के दौरान ही तीन प्रमुख नीतिगत पहल की हैं।
  • राष्‍ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता नीति-2015, जुलाई, 2015 में शुभारंभ: इस नी‍ति में उच्‍च गुणवत्‍ता वाले परिणामों को सुनिश्चित करते हुए त्‍वरित और व्‍यापक स्‍तर पर कौशल के लिए एक रूप-रेखा को आकार देना है। नीति कार्यान्‍वयन इकाई (पीआईयू) का गठन और नीति के प्रमुख घटकों की तिमाही निगरानी के लिए एक प्रणाली स्‍थापित की गई है।
  • जुलाई-2015 में राष्‍ट्रीय कौशल विकास अभियान को स्‍वीकृति: ये अभियान अखिल भारतीय स्‍तर पर कौशल गतिविधियों की निगरानी और अभियान के अभिमुखीकरण, समन्‍वय और कार्यान्‍वयन की दिशा में निरंतर प्रगति पर है।
  • समस्‍त केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों में सभी कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए समान मानदंडों को अधिसूचित किया जा चुका है। समान मानकों को अपनाने के लिए बैठकों और विचार-विमर्शों का आयोजन किया गया है। इनका पूर्ण रूप से संरेखण 1.4.2016 तक किया जाना है।
  • भारत में अब संपूर्ण देश में कौशल विकास पहलों की बड़े पैमाने पर वृद्धि के लिए एक मजबूत नीतिगत ढांचा है। नीतिगत ढांचा तैयार करने के बाद, एमएसडीर्इ एक सुसंगत कार्ययोजना को बनाने पर भी कार्य कर चुका है।

2.      एक कार्ययोजना का विकास: प्रमुख उपलब्धियां
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई): एमएसडीई की कौशल प्रशिक्षण आधारित इस प्रमुख योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 15 जुलाई, 2015 को किया गया था। इस योजना के एक प्रारंभिक चरण की पहल 25 मई, 2015 को की गई थी। पीएमकेवीवाई का उद्देश्‍य एक संबद्ध प्रशिक्षण प्रदाता के साथ एक स्‍वीकृत कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले प्रत्‍येक युवा व्‍यक्ति को मौद्रिक पुरस्‍कार प्रदान करते हुए कौशल विकास पहलों में युवा लोगों को शामिल होने के लिए प्रोत्‍साहन देना है। पीएमकेवीवाई भारत सरकार के द्वारा वित्‍त पोषित है और इसे राष्‍ट्रीय कौशल विकास निगम के द्वारा कार्यान्वित किया गया है। अगले एक वर्ष में पीएमकेईवाई के अंतर्गत संपूर्ण भारत वर्ष में 24 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया जायेगा, जिनमें से 14 लाख नवांतुक प्रशिक्षु होंगे। पीएमकेवीवाई के अंतर्गत 50 हजार नि:शक्‍त व्‍यक्तियों को भी प्रशिक्षण दिया जायेगा। इसके अलावा ऐसे युवा जिनके पास औपचारिक प्रमाणीकरण नहीं है उनका मूल्‍यांकन किया जायेगा और पीएमकेवीवाई में प्राथमिक शिक्षण की मान्‍यता (आरपीएल) के रूप में जाने जाने वाली पहल के माध्‍यम से प्रमाणित किया जायेगा। आरपीएल पहल के अंतर्गत, अगले 1 वर्ष में 10 लाख युवाओं को प्रशिक्षण दिया जायेगा। यह असंगठित क्षेत्र में कार्यरत अथवा अनौपचारिक चैनलों के माध्‍यम से कौशल प्राप्‍त करने वाले युवा भारतीयों के विशाल बहुमत के लिए नये रोजगार अवसरों को खोलने और कौशलों को मान्‍यता देने के लिए एक महत्‍वपूर्ण प्रयास होगा।
  • पीएमकेवीवाई के अंतर्गत उपलब्धियां: नवीन प्रशिक्षण में 5.17 लाख दाखिले हुये और संतुलन लक्ष्‍य आवंटित किया गया; आरपीएल में प्रारिम्‍भक लक्ष्‍य पूर्ण किया गया और 5 लाख का लक्ष्‍य आवंटित किया गया। मार्च, 2016 तक 14 लाख नवीन प्रशिक्षण और 10 लाख आरपीएल का लक्ष्‍य प्राप्‍त किया जायेगा।
  • औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थाएं (आईटीआई), संस्‍थाएं जो पहले श्रम और रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत थे उन्‍हें इस वर्ष अप्रैल में एमएसडीई को स्‍थानांतरित कर दिया गया। इन संगठनों के पुनरुद्धार के लिए अनेक पहलें की जा रही है। उदाहरण के तौर पर इनमें उनके पाठ्यक्रम का उन्‍नयन (उद्योग विशेषज्ञों के सहयोग से), औद्योगिक संपर्कों को मजबूत बनाना, प्रशिक्षुता में वृद्धि, आईटीआई के साथ सुविधाएं और उपकरणों को आधुनिक बनाना आदि शामिल हैं। इसके अलावा इन क्षेत्रों में युवाओं के लिए रोजगार अवसरों के सृजन के लिए 34 वाम चरम पंथ प्रभावित जिलों में 34 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान और 68 कौशल विकास केन्‍द्रों की स्‍थापित की जा रही है। इन पहलों का उद्देश्‍य इन संस्‍थानों में प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार लाना और यह सुनिश्चित करना है कि आईटीआई पाठ्यक्रमों को पूर्ण करने वाले छात्रों के लिए यह रोजगार योग्‍य हों।

उपलब्धियां: 

पिछले एक वर्ष में 1141 आईटीआई के साथ 1.73 लाख सीटे बढ़ाई गई। 126 ट्रेडों में अब कुल 18.7 लाख सीटों के साथ 13,105 आईटीआई;

  • प्रशिक्षुता: अधिक प्रशिक्षुओं को शामिल करने के लिए नियोक्‍ताओं को प्रोत्‍साहन देने हेतु वर्ष 2014 में प्रशिक्षुता अधिनियम में सुधार किया गया। प्रशिक्षुओं में चार गुना वृद्धि को सक्षम बनाने के लिए 18 जून, 2015 को नवीन प्रशिक्षु नियम अधिसूचित किये गये। उद्योगों के बीच समर्थन अभियान चलाये गये और ऑन लाइन पोर्टल का शुभारम्‍भ किया गया। इस वर्ष नामांकन में वृद्धि भी दर्ज की गई, जिसका उल्‍लेख पहले भी किया गया है।
  • सामरिक साझेदारियां: विशेष क्षेत्रों में कौशल विकास गतिविधियों में वृद्धि के लिए केन्‍द्र सरकार के विभिन्‍न मंत्रालयों/विभागों और एमएसडीई के बीच रणनीतिक साझेदारियां प्रारम्‍भ की गई। एमएसडीई अब सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय (नि:शक्‍त जन सशक्तिकरण विभाग) इनमें स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण, इस्‍पात, खान, रेलवे, रक्षा और (रसायन एवं उर्वरक (रसायन और पेट्रो रसायन विभाग), उर्वरक विभाग, औषध विभाग) (अनुलग्‍नक) मंत्रालयों/विभागों के साथ रणनीतिक साझेदारी रखता है। इन क्षेत्रों से जुड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों और संबंधित अनुबंधकर्ता इन रणनीतिक साझेदारियों के माध्‍यम से डीजीटी अथवा एनएसडीसी के सहयोग के साथ उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्रों की स्‍थापना और कौशल प्रशिक्षण उद्देश्‍यों के लिए सीएसआर कोषों के उपयोग के लिए एनएसक्‍यूएफ के साथ रोजगार भूमिकाओं में प्रमाणीकृत श्रमिकों को कार्य के लिए ले सकेंगे। ये साझेदारियां प्रत्‍येक क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण वृद्धि में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि कौशल प्रशिक्षण उच्‍च गुणवत्ता के स्‍तर पर हो।
  • प्रवासी रोजगार: प्रवासी रोजगार अवसरों पर अध्‍ययन रिपोर्ट प्राप्‍त हुई हैं और कार्य योजना तैयार की जा रही है। प्रवासियों के प्रस्‍थान-पूर्व सह उन्‍मुखीकरण कार्यक्रम के लिए प्रवासी कौशल विकास योजना का शुभारम्‍भ करने के लिए प्रवासी भारतीय मामलें मंत्रालय (एमओआईए) के साथ एक समझौते पत्र को अंतिम रूप दिया गया है।
  • राष्‍ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी): कौशल विकास के क्षेत्र में शामिल निजी क्षेत्र की भागीदारी को उत्‍प्रेरित करने के लिए वर्ष 2010 में राष्‍ट्रीय कौशल विकास निगम की स्‍थापना की गई थी। पिछले एक वर्ष के दौरान एनएसडीसी के साझेदारों ने 24.93 लाख लोगों को दक्ष किया है और अपने पारिस्थितिकी तंत्र के माध्‍यम से करीब 12 लाख लोगों को नियुक्‍त किया है। 31 अक्‍टूबर, 2015 को एनएसडीसी ने कुल 59.3 लाख छात्रों को प्रशिक्षित किया है। 24.5 लाख छात्रों कार्य प्रदान किया गया। एनएसडीसी से वित्त पोषण साझेदारों के लिए रोजगार प्रतिशत करीब 64 प्रतिशत है (सभी विशेष योजनाओं के अंतर्गत प्रशिक्षण के अलावा)।     यह सुनिश्चित करने के लिए की किसी मान्‍यता प्राप्‍त प्रशिक्षण नियोक्‍ता के द्वारा कार्यान्वित किये जा रहे प्रशिक्षण उद्योगों के अनुकूल हैं, एनएसडीसी क्षेत्र कौशल परिषदों के नेतृत्‍व में उद्योगों को वित्त पोषित कर रहा है जिससे राष्‍ट्रीय व्‍यवसाय मानकों (एनओएस) का निर्माण होता है। अद्यतन, एनएसडीसी बोर्ड ने 39 क्षेत्रीय कौशल परिषदों को स्‍वीकृति दे दी है, जिनमें से 28 को वित्त पोषित किया जा चुका है और 31 संचालन में है। 

       नवम्‍बर, 2014 के बाद निम्‍नलिखित आठ नवीन एसएससी को स्‍वीकृति दी जा चुकी है:

1.  रसायन और पेट्रोकैमिकल एसएससी
2.  पेंट्स और कोटिंग्स एसएसी (आईपीए)
3.  प्रबंधन एसएससी
4.  हरित रोजगार एसएससी
5.  सामरिक विनिर्माण एसएससी
6.  फर्नीचर और फिटिंग एसएससी
7.  पी डब्‍ल्‍यू डी एसएससी
8.  इस्‍ट्रूमेंटेशन एसएससी

  • राष्‍ट्रीय व्‍यावसायिक मानकों (एनओएस) को विकसित करने वाले एसएससी की संख्‍या नवम्‍बर, 2014 के 22 से बढ़कर अक्‍टूबर 2015 के अंत तक 31 पहुंच गई। इस एक वर्ष के दौरान एसएससी ने 614 रोजगार भूमिकाओं के लिए क्‍यूपी (योग्‍यता पैक) विकसित किये, 8302 एनओएस के साथ अद्यतन कुल 1507 क्‍यूपी हैं जिनमें से 3523 विशिष्‍ट एनओएस हैं। एसएससी के द्वारा तैयार 1016 क्‍यूपी को राष्‍ट्रीय मानकों के तहत दर्ज किया जा चुका है।
  • कौशल अंतराल अध्‍ययन: 26 (24+2) क्षेत्रों के लिए पूर्ण किया गया, सभी राज्‍यों के लिए जिला वार अध्‍ययन पूर्ण किये गये, संबंधित मंत्रालयों/एसएससी के संयुक्‍त समूहों के द्वारा प्रारम्‍भ की गई पर्यावरणीय जांच की देख-रेख की जायेगी।
  • उड़ान: जम्‍मू-कश्‍मीर के युवाओं (स्‍तानकों) के लिए विशेष उद्योग पहल के अंतर्गत एनएसडीसी द्वारा कार्यान्वित ग्रह मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित इस विशेष पहले के तहत पांच वर्षों में 40,000 युवाओं को शामिल किया जायेगा।
  • राष्‍ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (एनएसडीए): एनएसडीए मंत्रालय की पहल का एक अंग है और मानक निकाय के तौर पर एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है इसका केन्‍द्रबिंदु यह सुनिश्चित करना हैं कि कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्‍ट्रीय कौशल योग्‍यता प्रारूप (एनएसक्‍यूएफ) के अनुरूप हो और गुणवत्ता आश्‍वासन तंत्र परिचालित हो। अद्यतन एनएसडीए 1461 योग्‍यताओं (एसएससी से 1345 और एनसीवीटी से 116) को एनएसक्‍यूएफ के समानुरूप बना चुका है। एनएसडीए, एनएसक्‍यूएफ को संचालित करने के लिए 10 अन्‍य केन्‍द्रीय मंत्रालयों को राज्‍य सरकारों के साथ कार्यशालाएं आयोजित कर चुका है।
  • उद्यमशीलता: एनआईईएसडीयूडी पहले से ही सीडी आधारित उद्ययमशीलता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) के अंतर्गत 1,98000 प्रशिक्षुओं को शामिल कर चुका है। यह संस्‍थान 31 मार्च, 2015 तक 2,00,000 और प्रशिक्षुओं को शामिल करेगा।
  • अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग: एमएसडीई ने उद्यमशीलता, समर्थन, प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम विकास में वृद्धि और देश भर में कौशल प्रशिक्षण में उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्रों के निर्माण और मानकों को सुनिश्चित करने के लिए जर्मनी, ब्रिटेन, चीन और ऑस्‍ट्रेलिया के साथ समझौते पत्र पर हस्‍ताक्षर किये गये हैं।       

सफलता की गाथाएं:

  • विश्‍व कौशल: एनएसडीसी वर्ष 2010 से विश्‍व कौशल प्रतिस्‍पर्धाओं में भारत की भागीदारी में वृद्धि कर रहा है। भारत ने देश भर से चयनित 29 प्रतिस्‍पर्धाओं के 27 कौशलों में भाग लिया। डब्‍ल्‍यूएससी 2015 के लिए, मॉडलिंग, वायुमान रख-रखाव, ईंट बिछाने, दीवार और फर्श पर टाईल लगाने और दृश्‍य बिक्री नामक पांच नये कौशलों की पहचान की गई। भारत ने सुन्‍दरता चिकित्‍सा, वैल्डिंग, ग्राफिक डिजाइन, प्रौद्योगिकी, विविध प्रकार की मॉडलिंग, जेवरात डिजाइन, प्‍लास्टिक डाई, अभियांत्रिकी,  हेयर ड्रेसिंग और ब्रिकलेइंग में उत्‍कृष्‍टता के आठ पदक जीते। 14 कौशलों में उम्‍मीदवारों और प्रशिक्षितों की तैयारी के लिए न्‍यूजीलैंड में ओशिनिया प्रतिस्‍पर्धा में उन्‍हें अंतर्राष्‍ट्रीय पहचान दी गई। भारत के अलावा 6 अन्‍य देशों (चीन, ऑस्‍ट्रेलिया, मलेशिया, न्‍यूजीलैंड, कनाडा और कोरिया ने इस प्रतिस्‍पर्धा में भाग लिया। भारतीय दस्‍ते में 14 कौशलों में 34 सदस्‍य शामिल थे और वे सुन्‍दरता चिकित्‍सा में स्‍वर्ण पदक, जेवरात निर्माण और पेस्‍ट्री और कनफैक्‍शनरी में रजत पदक, ब्रिक लेइंग, ऑटो बॉडी मरम्‍मत और दीवार एवं फर्श टाइलिंग में कास्‍य पदक के साथ छह पदक लेकर स्‍वदेश लौटे। 44वीं डब्‍ल्‍यूएससी प्रतिस्‍पर्धाओं का आयोजन संयुक्‍त अरब अमीरात के आबूधाबी में 14 से 19 अक्‍टूबर, 2017 को होगा।      

        अनुलग्‍नक

कौशल विकास के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों के समझौते पत्रों पर हस्‍ताक्षर

1)      नि:शक्‍त जन सशक्तिकरण विभाग
2)      रक्षा मंत्रालय
3)      रेल मंत्रालय
4)      स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय
5)      उर्वरक विभाग
6)      रसायन और पेट्रोकैमिकल विभाग
7)      औषध विभाग
8)      इस्‍पात मंत्रालय
9)      खान मंत्रालय
10)   कोल इंडिया (कोयला मंत्रालय)
11)   राष्‍ट्रीय तापीय ऊर्जा निगम, विद्युत ग्रिड (विद्युत मंत्रालय)
12)   भारी उद्योग विभाग
13)   प्रवासी भारतीय मामले मंत्रालय (समझौते पत्र को अंतिम रूप दिया गया)
14)   भारतीय विमान प्राधिकरण (समझौते पत्र को अंतिम रूप दिया गया)
                  
समझौते पत्रों के समग्र प्रमुख घटक:
  • कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने के लिए मौजूदा बुनियादी ढांचे का उन्‍नयन
  • कौशल को सहायता देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों के सीएसआर कोषों की व्‍यवस्‍था
  • आईटीआई और एनएसडीसी/एसएससी से संबद्ध प्रशिक्षण प्रदाताओं के साधनों का उन्‍नयन
  • डीजीटी के साथ सहयोग से सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों में प्रशिक्षु प्रशिक्षण में वृद्धि और प्रोत्‍साहन
  • एनएसक्‍यूएफ मान्‍यता प्राप्‍त कार्मिकों को कार्य हेतु लेने के लिए प्रोत्‍साहित करना तकनीकी और संसाधन समर्थन के प्रावधान सहित सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों के द्वारा आईटीआई के अधिग्रहण के लिए प्रोत्‍साहन
  • मंत्रालयों/सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों द्वारा संचालित विद्यालयों में पेशेवर पाठ्यक्रमों को लाना
  • उच्‍च गुणवत्ता प्राप्‍त कौशल प्रशिक्षण के लिए ‘उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र’ को स्‍थापित करना
  • प्राथमिक शिक्षण की मान्‍यता (आरपीएल) के कार्य स्‍थल और एनएसक्‍यूएफ के अनुकूल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का समायोजन 

भारतीय रेल: दृढ़ता, गति, प्रगति: सुरेश प्रभु की ई-बुक डाउनलोड करें


Dear Rail user,

Our respected Prime Minister, Shri Narendra Modi Ji has a vision for this great nation and in this vision Indian Railways has an important place to be the "backbone of India's economic development".

During my tenure I have tried to bring about a change and to usher in new practices and new work culture. All Budget Announcements have been broken up into actionable points and are being monitored on a regular basis. I am happy to inform that 103 Budget Announcements already stand implemented.

In the past one year a number of milestones have been achieved. However, I am aware that the journey for transforming the Indian Railways will be long and winding. There are many more challenges to be overcome and expectations to be fulfilled. But I have been fortunate to always have your unstinting support and cooperation.

It is, therefore, important to communicate with you about the work being done in Indian Railways. Please Download Booklet containing the recent initiatives taken by the Railways. I look forward to your suggestions and I am confident that together we will make the Indian Railways much better.

With regards,
Yours sincerely,
(Suresh Prabhu)

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