वरुण गाँधी के भाषण में दिखी राहुल गाँधी से ज्यादा देशभक्ति

पढ़िए वरुण का पूरा भाषण...

इस आंदोलन ने देश के युवाओं को संगठित कर दिया है। उनकी आवाज को एक कर दिया और यह सुनिश्चित कर दिया है कि जब युवा खड़े होंगे तो देश में बदलाव आएगा। यह भारत के लिए एक नया अनुभव है।

पिछले दो तीन हफ्तों से मैं भी इस बहस को सुन-देख रहा हूं। मुझे लगता है कि संसद और देश के लोगों के बीच एक खाई पैदा की जा रही है। यदि ऐसा है तो फिर यह देश के भविष्य के लिए खतरा है।

जब आप इतिहास को पढ़ते हैं तो यह एहसास होता है कि गुलामी के वक्त सरकार सर्वोपरि थी लेकिन आजादी के बाद देश की जनता सर्वोपरी हो गई। आज बीजेपी और कई अन्य पार्रटियों ने संसद में देश की जनता के प्रति विश्वास जाहिर किया है। यह लोगों की आस्था का सम्मान है। हम यह कह सकते हैं कि यह एक शांत क्रांति थी। लेकिन यह भी सच है कि यह शांत नहीं रही है। इस क्रांति ने देश को जगा दिया है।

आज देश हमारी ओर उम्मीद से देख रहा है। देश को हम पर विश्वास है। पिछले दो हफ्तों में हमने देखा है कि लोग इस बात पर बहस कर रहे हैं कि संसद की गरिमा को बचाया जाना चाहिए। लेकिन यहां सवाल यह है कि सांसदों की गरिमा की हम ख्याल रखते हैं तो फिर लोगों की गरिमा का ख्याल कौन रखेगा।

हमे यह स्वीकार करना पड़ेगा की लोग ही सर्वोपरि है हमारे लोकतंत्र में एक बार चुने जाने के बाद नकारे जाने का प्रवाधान नहीं है। लोग ही हमारी ताकत हैं। हमें जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरा चाहिए। आज हम भ्रष्टाचार पर बहस कर रहे हैं। इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या संसद का यह बहस सत्र बुलाया जाना सही है या नहीं। मैं इस बात पर बहस नहीं करना चाहूंगा।

मैं उत्तर प्रदेश से आता हूं। उत्तर प्रदेश और बिहार के कई इलाकों में बाढ़ आ गई है। लोगों को ज्यादा से ज्यादा हजार रुपए की राहत मिलती हैं। लेकिन जब हम कॉमनवेल्थ या २जी घोटाले पर नजर डालते हैं तो यह लाखों करोड़ में होता है। यह इतनी रकम होती है जिससे कई हजार गांवों का विकास किया जा सकता है। कई हजार कॉलेज खोले जा सकते हैं।

लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। आप मेरी आवाज को बंद नहीं कर सकते। मैं सवाल करता हूं कि क्या हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त नहीं हो गई है? तथ्य अभी भी वही है।

हमारे सभी व्यवस्थाएं टूट गई हैं। कारण हमारे पास धन नहीं है। कितनी योजनाए हैं जो सही उद्देश्य के साथ शुरु की जाती हैं लेकिन पैसे की कमी के कारण पूरी नहीं हो पाती। क्यों? हम भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं। लेकिन क्या हमारे पास भ्रष्टाचार से लड़ने का कोई सिस्टम है? क्या हम न्यायव्यवस्था, सतर्कता विभाग, सीबीआई पर सवाल नहीं उठा सकते?

देश की सड़कों से आ रही आवाजों से साफ होता है कि हमारे देश में अब कोई व्यवस्था नहीं रह गई है। हम ये क्यों सोच लेते हैं कि एक बार चुने जाने के बाद हम ही सबकुछ हैं। हमें यह समझना होगा कि युवा सड़क पर क्यों हैं।

वो सड़क पर इसलिए हैं कि हमारे देश को भ्रष्टाचार ने ध्वस्त कर दिया है। रिश्वत देकर नौकरी पाने वाले उम्र भर के लिए अपना आत्मसम्मान खो देते हैं। युवा सड़क पर इसलिए हैं क्योंकि वो सम्मान से जीना चाहते हैं। रिश्वत और भ्रष्टाचार सिर्फ एक खास वर्ग को ही प्रभावित नहीं करता है। इससे हमारा पूरा समाज प्रभावित होता है।

इस बात को बार बार कहा जा रहा है कि अन्ना हजारे के आंदोलन के पीछे बीजेपी है। लेकिन तथ्य यही है कि यह आंदोलन लोगों का है। ये वो ज्वालामुखी है जो लंबे वक्त से शांत था। लेकिन आज अन्ना हजारे और लोगों के पीछे खड़े होकर बीजेपी सम्मानित महसूस कर रही है। और अब हम सामने आकर इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।

मेरे जीवन का सबसे अच्छा अनुभव वह था जब मैं रामलीला मैदान में युवाओं के बीच जाकर बैठा। वहां एक व्यक्ति ने मुझसे कहा कि अन्ना हजारे एक व्यक्ति नहीं है एक सोच है वो हमारे देश को फिर से महान बनाने के लिए इस सोच की जीत आवश्यक है। मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि हम सब लोग, चाहे कांग्रेस हो, हम हो या वामपंथी हो उन्हें हमारे देश के नवनिर्माण के लिए इस सोच को जिताना चाहिए।

अन्ना को एक बार फिर धोका दे रही कांग्रेस

प्रशांत भूषण ने कहा कि कल उन्हें यह भरोसा दिया गया था कि आज संसद में वोटिंग होगी लेकिन संसद में वोटिंग नहीं हो रही। प्रशांत भूषण ने कहा कि हमें अभी यह बताया गया है कि इस पर वोटिंग नहीं होगी। बहस नियम १९३ के तहत हो रही है इसलिए इस बहस के आधार पर प्रस्ताव पास नहीं होगा।

हमारा
कहना यह है कि कल जब नियम १८४ के तहत नोटिस दिया गया था तो फिर उसके तहत बहस क्यों नहीं हुई। पूरे देश की जनता को यह जानने का हक है कि कौन सी पार्टी और कौन से सांसद किस तरफ खड़े हैं। आज सदन में वोटिंग न कराना अन्ना हजारे की मांग की अनादर है।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार धोखा कर रही है। चार दिन में तीन बार ऐसा हो गया है कि सरकार एक बार बात मानती है, फिर मुकर जाती है। सरकार कह रही है कि भाजपा आपके खिलाफ वोट करना चाहती है। पर यह सदन को तय करने दिया जाना चाहिए। कल रात को वोटिंग का भरोसा दिया गया था, लेकिन अब कहा जा रहा है कि वोटिंग में भाजपा आपके विरोध होगी।

टीम
अन्‍ना की ओर से सरकार का यह रुख सामने आने के कुछ ही मिनट पहले रामलीला मैदान के मंच से टीम अन्‍ना की सदस्‍य किरण बेदी ने कह दिया कि देश को जीत मुबारक हो। बेदी ने बताया कि टीम अन्‍ना सरकार से मिलने गई है। संसद में ज्‍यादातर पार्टियों ने अन्‍ना की मांगों का समर्थन किया है। कांग्रेस ने भी कुछ शर्तों के साथ प्रस्‍ताव का समर्थन कर दिया है।

लेकिन
माना जा रहा है कि बेदी ने जोश में आकर तथ्‍यों की जांच किए बिना जीत का ऐलान कर दिया, क्‍योंकि कुछ ही देर बाद उन्‍होंने भूल सुधार करते हुए कहा कि अभी प्रार्थना की जरूरत है। अन्‍ना जैसा प्रस्‍ताव चाहते हैं, वैसा कुछ होता नहीं दिख रहा। इसलिए प्रार्थना करें कि उन्‍हें सदबुद्धि आए।

9 सितम्बर को फांसी चड़ेंगे, राजीव गाँधी के हत्यारे

अधिकारियों ने कहा है कि पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के तीन दोषियों को नौ सितंबर को फांसी चढ़ा दिया जाएगा.राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेंरबदूर में की गई थी.

तमिलनाडु
की जिस जेल में ये तीनों दोषी क़ैद हैं, वहां के एक अधिकारी ने कहा है कि इन्हें नौ सितंबर तड़के मृत्युदंड दिया जाएगा.फांसी देने फ़ैसला राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ख़ारिज किए जाने के बाद लिया गया है. इन तीन दोषियों के नाम हैं मुरुगन, संथन और पेरारीवालन.

राजीव गांधी की मौत एलटीटीई के आत्मघाती हमले में हुई थी. इन तीनों को उस हत्या की साज़िश रचने के लिए दोषी पाया गया था.

गंगा में राजीव गांधी की अस्थियां विसर्जित करते राहुल गांधी.मुरुगन और संथन श्रीलंका के नागरिक हैं जबकि पेरारीवालन भारतीय तमिल है.साल 2006 में एलटीटीई ने राजीव गांधी की हत्या पर खेद व्यक्त किया था.वर्ष 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने इन तीनों को नीचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सज़ा को सही ठहराया था.

सुप्रीम
कोर्ट ने एक भारतीय तमिल महिला और मुरुगन की पत्नी नलिनी श्रीहरन की मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में तबदील कर दिया था.दोषियों के वकील पुगाज़ेंधी ने बताया, "तीनों दोषियों को शुक्रवार को व्यक्तिगत तौर पर बता दिया गया है कि उन्हें फांसी लगाई जाएगी.

"वकील ने कहा कि उनके मुवक्किलों को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के व्यक्तिगत हस्ताक्षेप की उम्मीद थी

राहुल गांधी के बयान की चौतरफा आलोचना

लोकपाल को अलग संवैधानिक संस्था बनाने के राहुल गांधी के बयान पर टीम अन्ना ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.अन्ना की सहयोगी किरन बेदी ने बिना राहुल का नाम लिए कहा कि एक लोकपाल से भ्रष्टाचार दूर नहीं होगा तो कम से कम एक लोकपाल तो बनाना चाहिए.

किरन ने आगे कहा कि एवरेस्ट पर चढ़ने से पहले एक पहाड़ी पर तो चढ़ना होगा, कम से कम एक कदम तो आगे बढ़ाना चाहिए.

अन्ना के सहयोगी जस्टिस संतोष हेगड़े ने भी राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले वो जनलोकपाल बिल पास करवाएं क्योंकि लोकपाल को संवैधानिक संस्था बनाने में सरकार को 20-30 साल लगेंगे औऱ हम इसका इंतजार नहीं कर सकते.

गौरतलब है कि राहुल ने संसद में कहा था कि सिर्फ लोकपाल से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा, लोकपाल भी भ्रष्ट हो सकता है. राहुल गांधी ने पूरी बहस को एक नई दिशा देते हुए कहा कि चुनाव आयोग की तरह ही लोकपाल एक अलग संवैधानिक संस्था हो.

बीजेपी अन्ना हजारे के प्रयासों को प्रोत्साहित कर रही है - किरण बेदी

सूत्रों के हवाले से खबर रही है कि सरकार भी अन्ना हजारे से यह लिखित आश्वासन चाहती है कि वह लोकपाल विधेयक पर प्रस्ताव पारित होने के बाद अपना अनशन तोड़ देंगे। कहा जा रहा है कि सरकार विपक्ष की सहमति के बाद प्रस्ताव पेश करेगी।

संसदीय
कार्य राज्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि प्रस्ताव में सभी की भावनाओं का समावेश होगा।

इस बीच, टीम अन्ना के एक सदस्य ने कहा कि एक बार संसद लोकपाल विधेयक पर प्रस्ताव पारित कर दे तो हजारे अपना अनशन वापस ले लेंगे।

हजारे ने अपना अनशन समाप्त करने के लिए तीन शर्तें निर्धारित की हैं। इन शर्तों में सभी सरकारी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने, सभी सरकारी ऑफिसों में एक सिटीजन चार्टर बनाने और सभी प्रदेशों में लोकायुक्त की नियुक्ति पर संसद में चर्चा शामिल है।

74 वर्षीय हजारे ने कहा है कि अगर संसद जन लोकपाल विधेयक पर विचार-विमर्श करती है और सदन में इन तीन शर्तों पर कोई समझौता होता है, तो वह अपना अनशन समाप्त कर देंगे।

हजारे पक्ष की सदस्य किरण बेदी ने कहा, ' हमारी गरुवार रात बीजेपी नेतृत्व के साथ एक सार्थक
बातचीत हुई। हमें लगा कि वे हजारे के प्रयासों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। पेश किए गए प्रस्ताव पर गेंद अब सरकार के पाले में है। '

उन्होंने कहा, ' जैसा कल रात की बैठक में दिखा, अगर बीजेपी अहम मुद्दों का समर्थन करती है, तो आगे की जिम्मेदारी सरकार की बनती है। हजारे केवल तभी अपना अनशन तोड़ेंगे, जब संसद इन तीन मुद्दों पर प्रस्ताव पारित करेगी। '

संसद से सड़क तक बीजेपी अन्ना हजारे के साथ - गडकरी

बीजेपी ने अन्ना हजारे के जन लोकपाल विधेयक को संसद के बाहर और भीतर समर्थन का ऐलान किया है। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अन्ना को पत्र लिखकर संसद से सड़क तक उनके आंदोलन का समर्थन किया है। उन्होंने जनलोकपाल बिल को आधार बनाकर संसद में चर्चा कराने की भी मांग की।

उधर, देर रात बीजेपी के लालकृष्ण आडवाणी समेत दूसरे सीनियर नेताओं और टीम अन्ना के मेंबर्स की मीटिंग के बाद दोनों पक्षों ने इसे पॉजिटिव बताया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अन्ना के सहयोगी केजरीवाल ने कहा, 'बीजेपी हमारे बिल के ज्यादातर मुद्दों पर सहमत है। अब हम सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।'

सरकार और टीम अन्ना के बीच चल रहे टकराव के बीच अपनी भूमिका साफ न करने के लिए बीजेपी पार्टी के भीतर व बाहर हो रही आलोचनाओं से उबर आई है। गडकरी ने सरकार से अन्ना को लिखित आश्वासन देने व इस मामले में संसद को प्रक्रियाओं में न बांधने की भी मांग की ताकि अन्ना का अनशन जल्द से जल्द खत्म हो सके।

गडकरी का पत्र लेकर महासचिव जेपी नड्डा व विनय सहस्त्रबुद्धे अन्ना से मिले और जन लोकपाल विधेयक पर उनका समर्थन किया। इसके बाद गडकरी ने खुद इस मुद्दे पर पार्टी का रुख स्पष्ट किया। इसके बाद पार्टी में हलचल भी हुई और शाम को सर्वदलीय बैठक में पार्टी ने सरकारी लोकपाल को खारिज करते हुए अन्ना के जन लोकपाल विधेयक को दृष्टि में रखते हुए संसद में नया विधेयक लाने की मांग भी की।

सूत्रों के अनुसार, देर रात टीम अन्ना के साथ हुई चर्चा में बीजेपी नेताओं ने साफ किया कि वे प्रधानमंत्री को इसके दायरे में लाने पर सहमत हैं, साथ ही पार्टी न्यायपालिका के लिए अलग से न्यायिक आयोग के पक्ष में भी है। सासंदों के सदन से बाहर के आचरण को इसके दायरे में लाने व लोकपाल चयन समिति में सरकार के बाहर का बहुमत रखने के भी हक में है।

पार्टी लोकपाल को हटाने के मामले में भी पार्टी सरकार को अधिकार देने के बजाए महाभियोग की प्रक्रिया अपनाने के पक्ष में है। बीजेपी शुक्रवार को सदन में होने वाली बहस में अपने इन मुद्दों को पूरी ताकत से रखेगी।

नोट फॉर वोट मामले में अमर सिंह के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल

अमर सिंह पूर्व में समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे हैं लेकिन अब उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली है. उनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए हैं.यह मामला 2008 का है जब बीजेपी के कुछ सांसद संसद में वोटिंग के दौरान सूटकेसों में पैसा भरकर ले गए थे और उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें सरकार के हक में वोट देने के लिए पैसा दिया गया गया था.

इन
सांसदों में से एक अशोक अर्गल के ख़िलाफ़ मामला चलेगा जबकि बाकी दोनों सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोड़ा पर पहले ही घूस लेने का मामला चल रहा है.भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के तत्कालीन सलाहकार सुधींद्र कुलकर्णी पर भी आरोप है कि उन्होंने इस पूरे अभियान की योजना बनाई ताकि यूपीए सरकार की रिश्वत देने की मंशा का पर्दाफाश किया जा सके.

कुलकर्णी
पर भी आपराधिक मामला चल सकता है जिसमें रिश्वत का प्रस्ताव देने का आरोप लगाया जा सकता है.सन् 2008 में परमाणु सौदे के मुद्दे पर वोटिंग हुई थी. यूपीए सरकार को वोटिंग में बहुमत मिला लेकिन रिश्वत देकर वोट खरीदने का मामला बहुत विवादित रहा.बीजेपी का कहना है कि यूपीए ने तीन भाजपा सांसदों अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोड़ा को रिश्वत की पेशकश की गई थी और वो यही पैसा लेकर संसद में पहुंचे थे ताकि वो अपनी बात संसद के सामने रख सकें.

इस
मामले में एक टीवी चैनल की निष्पक्षता भी संदेह के घेरे में आई थी जिसके साथ मिलकर रिश्वत के लेन देन की प्रक्रिया का एक स्टिंग आपरेशन भी किया गया था.बाद में बीजेपी सांसद कुलस्ते और भगोड़ा पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया और आरोपपत्र दायर किया गया जबकि पुलिस ने अर्गल के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर करने के लिए लोकसभा स्पीकर से अनुमति मांगी है क्योंकि अर्गल अभी भी सांसद हैं

मुहम्मद हनीफ ने मनीष तिवारी पर मानहानि करने का मुकदमा किया

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी के खिलाफ यहां की अदालत में याचिका दर्ज की गई है। तिवारी पर अन्ना हजारे को भ्रष्ट कहने और उनके समर्थक गांधीवादियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है।

याचिकाकर्ता
मुहम्मद हनीफ चिश्ती ने मंगलवार को मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपील की कि तिवारी के खिलाफ अन्ना की मानहानि करने का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

इस
मामले पर 28 अगस्त को सुनवाई होगी।उल्लेखनीय है कि 14 अगस्त को कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे पर 'सिर से पांव तक भ्रष्टाचार में डूबे' होने का आरोप लगाया था।

कांग्रेस के नेतागण भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं,राहुल गांधी क्या बोलेंगे

भाजपा सांसद मेनका गांधी ने अन्ना हजारे के अनशन पर राहुल गांधी की चुप्पी पर पूरी कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि ऐसे में जबकि कांग्रेस के नेतागण भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हो राहुल गांधी क्या बोलेंगे और उनकी बात पर विश्वास कौन करेगा.

मेनका
गांधी ने अन्ना के अनशन पर राहुल गांधी की चुप्पी पर कहा कि भ्रष्टाचार के सारे आरोप कांग्रेस नेताओं पर हैं, ऐसे में राहुल गांधी क्या बोलेंगे, उनकी बात पर विश्वास कौन करेगा.

इसी
क्रम में उन्होंने कहा कि आज देश में कोई भी मूर्ख नहीं है और वह आपकी जुबान नहीं नीयत देखता है.अन्‍ना के आंदोलन पर विशेष कवरेजअपने संसदीय क्षेत्र में आने वाले दातागंज तहसील के बाढ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर जाने के लिए पहुंची मेनका ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उनके पुत्र वरुण गांधी व्यक्तिगत रुप से अन्ना के आंदोलन में पहुंचे.

भाजपा
सहित विपक्षी दलों द्वारा अन्ना के समर्थन में खुलकर आवाज नहीं उठाने के बारे में सवाल पूछे जाने पर मेनका ने कहा कि अन्ना नहीं चाहते कि राजनीतिक दल उनके साथ आयें, इसीलिए विपक्षी दलों ने अपने आप को पीछे कर लिया है.

उनका
कहना है कि प्रधानमंत्री और नौकरशाही के साथ ही न्यायपालिका को भी लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिए, भाजपा सांसद ने कहा कि भाजपा राष्ट्रहित में अन्ना हजारे का पूरा समर्थन करेगी और उन्हें यकीन है कि अन्ना जो भी रास्ता दिखायेंगे, पार्टी उस पर चलेगी.

भाजपा सत्ता की भूखी और अवसरवादी - अभिषेक सिंघवी

वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पद छोड़ने और नया जनादेश पाने संबंधी बयान देने के बाद कांग्रेस ने दावा किया कि इससे सत्ता की भूखी भाजपा की अवसरवादी राजनीति का खुलासा हुआ है जिसे भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में कोई रूचि नहीं है.

कांग्रेस
प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा कि विपक्षी पार्टी का एकमात्र एजेंडा यही है कि स्थायी तौर पर प्रतीक्षारत प्रधानमंत्री के सपने को पूरा किया जाए और इस बयान ने भाजपा की अवसरवादी, अस्थायी और इच्छानुकूल राजनीति का खुलासा हुआ है.

उन्होंने
कहा कि भाजपा को भ्रष्टाचार विरोधी अभियान, लोकपाल और भ्रष्टाचार से लड़ने वाली संस्थाओं को मजबूती प्रदान करने में कोई रूचि नहीं है बल्कि वह सिर्फ सत्ता की भूखी है.

बीजेपी के युवा सांसद वरुण गांधी अन्ना का समर्थन करने रामलीला मैदान पहुंचे

बीजेपी के युवा सांसद वरुण गांधी बुधवार की सुबह रामलीला मैदान पहुंच गए हैं और अन्ना समर्थकों के बीच जाकर बैठ गए हैं। वरुण गांधी से जब पूछा गया कि आप के रामलीला मैदान में आने का क्या मतलब है, तो उन्होंने कहा कि मैं यहां देश के एक नागरिक के तौर पर आया हूं। मैं अन्ना का समर्थन करना चाहता हूं। जब वरुण से पूछा गया कि वह मंच पर जाएंगे तो उन्होंने कहा कि वे मंच पर नहीं जाएंगे। अन्ना से मुलाकात की बात पर पीलीभीत से बीजेपी के सांसद ने कहा कि उनकी ऐसी कोई योजना नहीं है।

वरुण गांधी पहले भी जन लोकपाल बिल को प्राइवेट मेंबर्स बिल के तौर पर पेश करने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। हालांकि उनकी पार्टी ने जन लोकपाल बिल का समर्थन नहीं किया है। बीजेपी ने अन्ना का तो समर्थन किया है, लेकिन उनके बिल पर पार्टी ने अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई राय नहीं दी है।

इस बीच, जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने एक बार फिर अन्‍ना के आंदोलन पर निशाना साधा है। उनका दावा है कि टीम अन्‍ना की सदस्य किरण बेदी ने सोमवार रात उनके घर पर उनसे मिली थीं। बेदी ने उनसे आंदोलन के लिए समर्थन मांगा था। लेकिन बुखारी के मुताबिक वह समर्थन पर तभी विचार करेंगे, जब इस आंदोलन में सांप्रदायिकता को भी शामिल किया जाएगा। शाही इमाम का दावा है कि बेदी ने उनसे रामलीला मैदान के मंच पर आने की अपील की, लेकिन उन्‍होंने इनकार कर दिया।

बुखारी ने अन्‍ना के आंदोलन को गैर इस्‍लामी बताते हुए मुस्लिमों को इससे दूर रहने की हिदायत दी थी। उनका कहना था कि इस आंदोलन में वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाए जा रहे हैं, इसलिए मुसलमानों को इससे दूर रहना चाहिए। हालांकि उनकी अपील को मुस्लिमों ने खारिज कर दिया था।

अन्ना समर्थकों का नारा - गली-गली में शोर है, राहुल गांधी चोर है

रामलीला मैदान पर कुछ दिनों से एक स्लोगन(नारा) गली-गली में शोर है, राहुल गांधी चोर है,छात्रों और युवा पेशेवरों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया है। पिछले कई सालों में शायद पहली बार ऐसा हो रहा है कि इस प्रकार का स्लोगन युवा कांग्रेस के महासचिव के खिलाफ लगाए गए हैं।

जो यह नारे लगा रहे हैं वे मोटे तौर पर अराजनैतिक हैं और उन्हें हल्के में लेकर खारिज करना असंभव है।

राहुल गांधी युवाओं में खासे लोकप्रिय हैं। राहुल को इससे पहले जब उनकी पार्टी की आलोचना हो रही थी तब भी उन्हें कभी निशाना नहीं बनाया गया। लेकिन ऐसा लगता है कि दो मुद्दों,पहला राहुल की अन्ना के अनशन पर चुप्पी और दूसरा पार्टी के अन्ना मुद्दे पर की गई गलतियों ने सब कुछ बदल कर रख दिया है।

लोग गांधी वंशज के युवा नेता से अन्ना के अनशन पर कोई कार्रवाई न करने से नाराज हैं,खासकर तब जब देश भर में हजारों युवा अन्ना के समर्थन और मजबूत लोकपाल बिल की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आएं हैं।

ऐसा नहीं है कि सिर्फ राहुल गांधी ही जनता की नाराजगी झेल रहे है बल्कि कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। जब से रामलीला मैदान पर अनशन शुरू हुआ है लोग इनके खिलाफ नारे लगा लगा रहे हैं।

अन्ना की मांग पूरी नहीं हुई तो वह न्यूड डांस करेगी

दिल्ली की रहने वाली मॉडल और ऐक्ट्रेस सलीना वली खान ने कहा है कि अगर अन्ना की मांग पूरी नहीं हुई तो वह विरोध जताने के लिए न्यूड होकर डांस करेगी।

सलीना ने कहा कि उन्होंने पब्लिसिटी के लिए ऐसा स्टेटमेंट नहीं दिया है। उनका कहना है, ' मेरा सामना कई बार भ्रष्टाचार से हो चुका है। सरकारी ऑफिसों में काम करवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है, बिना पैसे दिए कहीं काम नहीं होता है। आम आदमी को जगह जगह परेशान होना पड़ता है। '

सलीना ने बताया कि मुझे भी राशन कार्ड बनवाने के लिए 500 रुपये एक्स्ट्रा देने पड़े थे। अगर अन्ना की मांग पूरी हुई तो सबका भला है। उन्होंने कहा कि अन्ना ने यह आंदोलन अपने लिए नहीं बल्कि देश के लिए किया है। सलीना ने कहा कि जब अन्ना ने पहली बार आंदोलन किया था, तबसे वह उनसे प्रभावित हैं।

वीरभद्र सिंह ने अन्ना हजारे की तुलना मदारी से की

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री ने कहा है की अन्ना हजारे के आदोलन में जुटने वाली भीड़ से चकित होने की जरुरत नहीं है.

एक
अरब से अधिक की आबादी वाले देश में एक मदारी भी अच्छी भीड़ जुटा लेता है .

अन्ना हजारे देश की संवैधानिक प्रक्रिया को खोखला करने का प्रयास कर रहें हैं ..

पीएम के हाथों डिग्री लेंगे से आईआईटी खड़गपुर के छात्रों ने किया इंकार

आईआईटी खड़गपुर के छात्रों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन को समर्थन दिखाने के लिए दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हाथों डिग्री नहीं लेने का फैसला किया है।

सोमवार को (22 अगस्त) को आईआईटी खड़गपुर में 57वां दीक्षांत समारोह है। इसमें प्रधानमंत्री छात्रों को डिग्री देंगे। आईआईटी खड़गपुर कैंपस के बाहर पिछले छह दिनों से स्टूडेंट अन्ना हजारे के समर्थन में आंदोलन कर रहे हैं। 16 अगस्त से ही अनशन कर रहे रितेश सिंह ने बताया कि हमारे साथ करीब 200 छात्र जुड़े चुके हैं।

पीएम के हाथों डिग्री न लेने का फैसला करने वालों में से एक छात्र शशि शेखर सिंह ने कहा है कि वह अपने इस फैसले से इंडिया अगेंस्ट करप्शन के समर्थन में आईआईटीएन की मुहिम को और तेज करने की कोशिश करेंगे।

आईआईटी, खड़गपुर छात्रों द्वारा छोटा टेंगरा में जारी धरने में शामिल हुए शशि शेखर ने कहा कि वह दीक्षांत समारोह की सारी प्रक्रिया पूरी करने के बावजूद इसमें शामिल नहीं होंगे। ऐसा कदम किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं है, बल्कि यह अन्ना हजारे की मुहिम को समर्थन देने के लिए है।

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