बाबा रामदेव को राहत केंद्र सरकार का आदेश कोर्ट ने निरस्त किया


योगगुरु बाबा रामदेव के ट्रस्टों व उनके संस्थानों के पीछे पड़ी केंद्र सरकार के एक आदेश को निरस्त करते हुए हाई कोर्ट ने शुक्रवार को बाबा रामदेव को राहत दी है।

कोर्ट ने पतंजलि योग पीठ के अधीन चल रहे पतंजलि भारतीय आयुर्विज्ञान अवाम अनुसंधान संस्थान, हरिद्वार में बीएएमएस कोर्स में दाखिले पर रोक लगाने संबंधी केंद्रीय आयुष विभाग के आदेश को निरस्त कर दिया। 

मामले की सुनवाई न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया की एकल पीठ में हुई। संस्थान की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया था कि केंद्र द्वारा 12 जुलाई को जारी शासनादेश में संस्थान में बीएएमएस कक्षाओं में दाखिले पर रोक लगा दी गई थी। शासनादेश में कहा गया था कि संस्थान मानकों को पूरा नहीं करता और संस्थान में पर्याप्त शिक्षक नहीं है। 

संस्थान ने याचिका में बताया है कि रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है और तमाम मानक पूरे कर लिए गए हैं। लिहाजा उन्हें कोर्स चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए। न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया की एकल पीठ ने मामले को सुनने के बाद केंद्र सरकार के 12 जुलाई को जारी आदेश को निरस्त कर दिया।

संघ के पूर्व सरसंघचालक के.एस. सुदर्शन नहीं रहे


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक के.एस. सुदर्शन का आज रायपुर में निधन हो गया। 81 वर्षीय सुदर्शन का निधन दिल का दौरा पड़ने से सुबह साढ़े छह बजे हुआ। उनका अंतिम संस्कार कल नागपुर में होगा।

सुदर्शन संघ प्रमुख के पद से हटने के बाद से भोपाल में रह रहे थे और संघ के विभिन्न कार्यों में मार्गदर्शक की भूमिका में थे। कल शाम वह एक पुस्तक के विमोचन के सिलसिले में रायपुर गए थे। संयोग से उनका जन्म भी रायपुर में ही हुआ था। वर्ष 2000 से 2009 तक आरएसएस के प्रमुख रहे सुदर्शन सन् 1954 से ही प्रचारक थे।

सुदर्शन सिर्फ 9 साल की उम्र में संघ की शाखा में जाने लगे थे। उन्होंने सागर के इंजीनियरिंग कॉलेज से टेलिकम्यूनिकेशन में बीई की डिग्री हासिल की और उसके बाद 23 साल की आयु में पूर्णकालिक प्रचारक निकल गए। संघ में परंपरा है कि पूर्णकालिक विवाह नहीं करते हैं। उन्होंने इस परंपरा का निर्वाह करते हुए सारा जीवन देश और संघठन को समर्पित कर दिया।

हिन्दुराष्ट समाचार उनके निधन पर अपनी भावभीनी श्रधांजलि अर्पित करता है ...

राहुल गाँधी ने फर्जी नाम से तीन साल तक नौकरी की


राजनीति में आने से पहले राहुल गांधी ने फर्जी नाम से  लंदन की एक कंपनी में तीन साल तक नौकरी की। यह सनसनीखेज खुलासा किया है आरती रामचंद्रन की किताब ‘डिकोडिंग राहुल गाँधी' में। किताब के अनुसार राहुल लंदन में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के मैनेजमेंट गुरू माइकल पोर्टर की प्रबंधन परामर्शक कंपनी मॉनिटर में काम करते थे लेकिन इसके बावजूद उनसे जुड़ी कोई जानकारी उनके सहकर्मियों तक से साझा नहीं की जाती थी।

रामचंद्रन के अनुसार ‘मॉनिटर' कंपनी बहुराष्ट्रीय कंपनियों, सरकारों और गैर-लाभकारी संस्थाओं के साथ काम करती थी। जब कंपनी से  राहुल के संबंध में जानकारी मांगी गई तो उसने कोई भी जानकारी मुहैया करवाने से इंकार कर दिया, यहां तक कि राहुल के सहकर्मियों से साक्षात्कार के लिए भी इजाजत नहीं दी। इसके बावजूद कंपनी से जुड़े माइकल गोल्डबर्ग के एक ईमेल से इस बात की पुष्टि हो गई कि राहुल ने कंपनी में जून 1996 से लेकर मार्च 1999 तक काम किया।

कंपनी में काम करने के समय से राहुल के जानकार एक सूत्र ने इस बात का खुलासा किया कि कंपनी में राहुल फर्जी नाम से नौकरी करते थे और उनके सहकर्मी भी उनकी वास्तविक पहचान से अनभिज्ञ थे। किताब में राहुल से जुड़े और भी कई पहलुओं पर रोशनी डाली गई है। हालांकि इस बात पर कोई खुलासा नहीं किया गया है कि आखिर फर्जी नाम से राहुल को नौकरी करने की जरूरत क्या थी? किताब में इस बात का हवाला भी दिया गया है कि राहुल एमबीए की डिग्री हासिल करना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं करने के बावजूद भी उन्होंने प्रबंधन परामर्श के करियर को ही चुना और इसी क्षेत्र में ‘मॉनिटर' कंपनी में काम किया।

राहुल गांधी को बचपन में भूतों से बहुत डर लगता था। नवंबर 2010 में दिल्ली के एक स्कूल में एक विज्ञान मेले के उद्घाटन के मौके पर खुद राहुल ने बताया कि उन्हें बचपन में अंधेरे से डर लगता था क्योंकि उन्हें लगता था कि अंधेरे में भूत और बुरी आत्माओं का वास होता है। तब एक दिन उनकी दादी ने उन्हें कहा कि अंधेरे में घुसकर देखो कि इसमें क्या है। लिहाजा वह अंधेरे में गए और टहलते रहे, तभी उन्होंने महसूस किया कि अंधेरे में ऐसा कुछ नहीं होता कि इससे डरा जाए।

इस किताब ने कर दिया राहुल गाँधी को एक्स्पोज...


इंग्लैंड की मशहूर पत्रिका 'द इकोनॉमिस्ट' में राहुल गांधी पर छपी एक टिप्पणी से कांग्रेस सकते में है। पार्टी ने लेख को सिरे से खारिज करते हुए राहुल के प्रति अपनी आस्था दोहराई है। दूसरी ओर विपक्ष को राहुल पर हमले का एक और मौका मिल गया है। सपा ने राहुल को पीएम पद के अयोग्य बताया तो बीजेपी ने ब्रांड राहुल अस्तित्व में न होने की बात कही। दरअसल, ‘डिकोडिंग राहुल गांधी' नाम की किताब के आधार पर 'द इकोनॉमिस्ट' में छपा है कि राहुल बड़ी जिम्मेदारी से बचते हैं, क्योंकि उनमें जिम्मेदारी निभाने की भूख ही नहीं है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर नकारात्मक टिप्पणी के बाद विदेशी मीडिया के निशाने पर अब हैं कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी। एक भारतीय लेखिका की किताब 'डिकोडिंग राहुल गांधी' के आधार पर 'द इकोनॉमिस्ट' के एक ब्लॉग में लिखा गया है कि राहुल बड़ी जिम्मेदारी से बचते हैं, क्योंकि उनमें जिम्मेदारी निभाने की भूख ही नहीं है।

अपने युवराज पर हुए इस हमले से कांग्रेस तिलमिला गई है। पार्टी ने विदेशी मीडिया की टिप्पणियों को तूल देने की पद्धति को मानसिक गुलामी बता डाला। द इकोनॉमिस्ट के ब्लॉग को सिरे से खारिज करते हुए पार्टी ने ऐलान किया कि गुजरात चुनाव में राहुल ही पार्टी का नेतृत्व करेंगे।

कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक मंच से चुनावों पर ज़ोर इसलिए दिया गया क्योंकि द इकोनॉमिस्ट ने लिखा है कि राहुल को 2014 के चुनावों के लिए अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। राहुल गांधी के साथ बड़ी समस्या यह है कि उन्होंने न तो अभी तक एक नेता के तौर पर अपनी योग्यता दिखाई है, और न ही बड़ी जिम्मेदारी के लिए उनके भीतर कोई तत्परता दिखती है। वो शर्मीले हैं। पत्रिका के अनुसार राहुल गांधी संसद में भी अपनी आवाज़ नहीं बुलंद करना चाहते, और कोई नहीं जानता है कि वो कितने काबिल हैं या फिर सत्ता और जिम्मेदारी मिलने के बाद वो आखिर क्या करेंगे।

सवाल ये है कि कांग्रेस पार्टी आखिर कब तक व्यावहारिकता पर आस्था का पर्दा डालती रहेगी। क्या ये सही नहीं कि बिहार और यूपी में राहुल के चुनावी प्रयोग बुरी तरह नाकाम हो चुके हैं। तमाम आग्रहों के बावजूद वो संगठन और सरकार में बड़ी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं। तमाम विवादित और अहम मुद्दों पर बात करने से राहुल बचते हैं। सबसे बड़ी बात ये कि कांग्रेस पार्टी और सरकार में राहुल की अहमियत आखिर कम थी ही कब। उनके आग्रह और प्रस्ताव तो पहले ही आदेश की हैसियत रखते हैं।

उधर, विदेशी मीडिया में सवाल उठे तो समाजवादी पार्टी ने राहुल गांधी पर हमला बोला। पार्टी नेता मोहन सिंह ने कहा कि पिछले डेढ़ दो सालों में राहुल गांधी का ऐसा कोई बयान सुनने में नहीं आया जिससे पता चले कि वो किसी मसले पर गंभीर राय रखते हैं।

मोहन सिंह ने कहा कि राहुल गांधी गंभीर मामलों को हैंडिल करने में फिलहाल सक्षम नहीं लगते। राहुल गांधी कितने अच्छे पीएम साबित होंगे इस पर मोहन सिंह कुछ कहते हुए रुक गए और हंसते हुए कहा कि इसपर कभी व्यक्तिगत तौर पर मिलेंगे तो बात करेंगे।

वहीं बीजेपी ने भी कहा कि देश में ब्रांड राहुल जैसी कोई चीज नहीं है। पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताव रूडी ने कहा कि राहुल को पिछले आठ साल में कभी किसी बड़े मुद्दे पर बोलते हुए नहीं सुना गया। करप्शन, महंगाई पर राहुल ने कभी कोई शब्द नहीं बोला। न ही कोलगेट पर उनके विचार जनता के सामने आए।

रूडी ने कहा कि जो व्यक्ति 42 की उम्र में फिट नहीं है वो 52 की उम्र में कैसे फिट हो जाएगा। कोकराझार के दौरे पर देश के रक्षा मंत्री राहुल गांधी को एस्कॉर्ट्स सर्विस देते नजर आए।

कंधार विमान अपहरण का आरोपी मेहराजुद्दीन गिरफ्तार


जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एयर इंडिया के IC-814 विमान अपहरण कांड के एक आरोपी को किश्तवाड़ से गिरफ्तार किया है। मेहराजुद्दीन उर्फ जावेद नाम का ये संदिग्ध आतंकी कश्मीर का ही रहने वाला है और युनाइटेड जेहाद काउन्सिल का फंड ऑर्गेनाइजर है।

लश्कर का सक्रिय मिलिटेंट रह चुका मेहराजुद्दीन 1992 में कश्मीर से पाकिस्तान गया था और ये मौलाना मसूद अजहर का दायां हाथ भी रह चुका है। यह बुधवार देर रात ही नेपाल के रास्ते जम्मू पहुंचा था और रात को किश्तवाड़ जा रहा था। जहां नाके पर उसे गिरफ्तार किया गया। पुलिस को पहले ही मेहराजुद्दीन के आने की खुफिया जानकारी मिल चुकी थी।

खबर है कि मेहराजुद्दीन लश्कर में नई भर्तियां करने के लिए भारत आया था। विमान अपहरण कांड के बाद वह नेपाल के रास्ते पाक चला गया था जिसके बाद पुनः उसने नेपाल में अपना ठिकाना बनाया था।

महिला कांस्टेबल की पिटाई के मामले में गिरफ्तारी हो सकता है टाइटलर


कांग्रेस के दिग्गज नेता और 1984 के सिक्ख विरोधी दंगों का प्रमुख अभियुक्त जगदीश टाइटलर मीडिया और स्‍थानीय पुलिस जानकारी को बिना जानकारी दिए भुवनेश्‍वर पहुंचा.  खबर है कि भुवनेश्वर में बीते छह सितंबर को आयोजित महारैली में भड़काऊ भाषण देकर कार्यकर्ताओं को उकसाने के आरोप और महिला कांस्टेबल की पिटाई के मामले में टाइटलर की गिरफ्तारी हो सकती है.

इस बीच राज्‍य के मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक ने ओडिशा के डीजीपी व राज्य प्रशासन सूचना दी है कि जगदीश टाइटलर 13 सितंबर को ओडिशा दौरे पर आ रहा  है, इसलिए उसकी सुरक्षा की व्यवस्था की जाएं, जबकि पुलिस ने टाइटल को सुरक्षा देने से हाथ खड़े कर दिए हैं.

वहीं दूसरी ओर जगदीश टाईटलर ने कहा है कि उसने सभी विडियो क्लीप एकत्र कर लिए हैं. पहले से ही कांग्रेस द्वारा विधानसभा का घेराव करने के लिए नोटिस दिया गया था.



दिल्ली में सरफिरे युवक ने 6 लोगों को गोली मारी


राजधानी में दो सिरफिरे आशिकों ने दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम दिया है। स्वरूप नगर क्षेत्र में चार वारदातों में छह लोगों को गोली मारी जिसमें चार की मौत हो गई। बाद में दोनों आरोपियों ने खुद को भी गोली मार ली। 

बताया जा रहा है कि गोलियां दागने वाले मनीष मनीष ज्योति नामक लडकी से प्यार करता था। लेकिन ज्योति के घरवालों ने उसकी सगाई किसी दूसरे लडके के साथ कर दी। 

दूसरा आरोपी राजवीर का भी अपने भाई के परिवार से संपत्ति को लेकर विवाद था और शादीशुदा होने के बावजूद वह एक टीचर से प्यार करता था। 

दोनों दोस्तों ने मिलकर अपना-अपना बदला लेने के लिए यह साजिश रची थी। 

साक्षरता में शिमला देश में पहले नंबर पर

शिमला शहर ने साक्षरता में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। मुंबई,  दिल्ली, कोलकाता व चेन्नई जैसे महानगरों को पछाड़कर शिमला ने साक्षरता में ऊंची छलांग लगाई है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में एक लाख से अधिक आबादी वाले 298 राज्य हैं।

इनमे से केरल के पांच शहरों को छोड़ दिया जाए तो शिमला शहर ने 94.14 फीसदी साक्षरता लक्ष्य छूकर देशभर के शहरों में प्रथम स्थान हासिल किया। बशर्ते साक्षरता में हिमाचल 11वें पायदान पर लुढ़क गया हो, मगर शिमला ने देश भर में प्रदेश का नाम रोशन किया है। शिमला शहर में एक लाख 71 हजार 817 लोग रह रहे हैं। इनमें 94,797 पुरुष तथा 77,020 महिलाएं शामिल हैं। 

इसी प्रकार राजधानी में 0-6 आयु वर्ष के 13,784 बच्चे रह रहे हैं। छह वर्ष से अधिक आयु वर्ग में शिमला के 94.14 फीसदी लोग साक्षर की श्रेणी में शामिल हो चुके हैं, जबकि देश में कुछ ऐसे भी शहर है, जिनकी साक्षरता दर 70 फीसदी भी नहीं है। साक्षरता में केरल देश में पहले पायदान पर काबिज है। देश की चारों मेट्रो सिटी दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई को शिमला ने काफी पीछे छोड़ दिया है। इसके अलावा पड़ोसी शहर चंडीगढ़ आदि भी शिमला को मात देने में नाकाम रहे। 

जेएनयू में गुपचुप तरीके से गोमांस पार्टी की तैयारी


देश के प्रतिष्ठित संस्थान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक संगठन गोमांस पार्टी की तैयारी कर रहा है। इस संगठन को एक वामपंथी संगठन बढ़ावा दे रहा है। माहौल बिगड़ने की आशंका को देखते हुए पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। विश्व हिंदू परिषद व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने पार्टी आयोजित करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय में भी इस तरह की एक पार्टी हुई थी। विरोध में एक छात्र को चाकू मार दिया गया। इसके बाद भड़की हिंसा में पांच छात्र बुरी तरह घायल हुए थे और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।

जेएनयू में 'द न्यू मटेरियलिस्ट' नामक एक संगठन गुपचुप तरीके से गोमांस पार्टी की तैयारी कर रहा है। छात्रसंघ चुनाव के दौरान उसने माहौल को गर्म करने के लिए शनिवार रात कई छात्र संगठनों की बैठक कर पार्टी आयोजन के लिए समिति का गठन किया है। पहले यह पार्टी 17 सितंबर को ईवीआर पेरियार के जन्म दिवस पर होनी थी, मगर अब यह छात्रसंघ चुनाव के चलते 28 सितंबर को शहीद भगत सिंह के जन्म दिवस पर होगी। इसे लेकर कैंपस में पर्चे बांटे जा रहे हैं, जिसमें जन्माष्टमी को रसिया का जन्मदिन और होली पर भांग पीने का हवाला देते हुए गोमांस पार्टी आयोजित कर खाने की स्वतंत्रता की मांग की गई है। वामपंथी छात्र संगठनों ने यह तय किया है कि गोमांस को सार्वजनिक तौर पर ना पका कर अपनी-अपनी रसोइयों में पकाएंगे। इसके बाद पार्टी में उसका सेवन किया जाएगा। दक्षिणी जिला की पुलिस उपायुक्त छाया शर्मा का कहना है कि पुलिस पूरे मामले पर नजर रखे हुए है।

कावेरी छात्रावास में हुई बैठक पर जेएनयू सेंटर फॉर अफ्रीकन स्टडीज में पीएचडी कर रहे अनूप कहते हैं कि गोमांस कहां से आएगा और कैंपस में पार्टी कहां होगी, इसका निर्णय कमेटी के सदस्य मिलकर करेंगे। हमारा उद्देश्य भाजपा, आरएसएस सहित हिंदूवादी संगठनों की राजनीति पर प्रहार करना है। ऐसे संगठनों ने गाय को राजनीति का केंद्र बनाया हुआ है। अनूप का कहना है कि जेएनयू संसद के कानून द्वारा बना शैक्षणिक संस्थान है। इसलिए गोमांस पार्टी पर दिल्ली एनसीआर एक्ट-1994 को वह नहीं मानते। गोमांस पार्टी आयोजन को लेकर अभी तक हुई बैठकों में जेएनयू व डीयू के कई प्राध्यापक भी शिरकत कर चुके हैं।

जेएनयू के कुलपति प्रो. एसके सोपोरी ने कहा है कि छात्रों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। लेकिन ऐसा आयोजन किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा। दिल्ली में गोमांस प्रतिबंधित है। ऐसा करने पर छात्रों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

वहीं विश्व हिंदू परिषद दिल्ली के महामंत्री सत्येंद्र मोहन ने इस मुद्दे पर पार्टी मनाने वालों को सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा है कि गोमांस पार्टी करने वाले को देश में नहीं रहने दिया जाएगा। गौ माता का मांस खाने वाले इस आयोजन से पहले अपने मांस की चिंता कर लें। अगर ऐसा हुआ तो उसके गंभीर नतीजे होंगे।

वहीं, जेएनयू छात्रा और एबीवीपी की प्रदेश उपाध्यक्ष गायत्री दीक्षित ने इस मसले पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि मैने कुलपति को शिकायत कर अपना विरोध जताया है। अगर जेएनयू में ऐसा हुआ तो यहां की शांति भंग हो जाएगी।

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