खाद्य प्रसंस्‍करण में सुधार हेतू हरसिमरत कौर ने फिक्की और सीआईआई चर्चा की

खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कल शाम 6 जून 2014 को भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंडल महासंघ (फिक्‍की) तथा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। फिक्‍की के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्‍व महानिदेशक श्री दीदार सिंह ने किया। 

प्रतिनिधिमंडल में उनके खाद्य सलाहकार समिति के सदस्‍य और अन्‍य प्रमुख उद्योग प्रतिनिधि शामिल थे। सीआईआई अध्‍यक्ष श्री अजय एस श्रीराम ने सीआईआई प्रति‍निधि मंडल का नेतृत्‍व किया। 

बैठक में, देश में खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र में सुधार से संबंधित विभिन्‍न मुद्दों पर बात की गई। निवेश वातावरण, किसानों की आय बढ़ाना, मूल्‍य संवर्धन, रोजगार पैदा करना, नियामक व्‍यवस्‍था की समीक्षा, राजकोषीय प्रोत्‍साहन को तर्क संगत बनाना और कर लाभ से लेकर बड़े खाद्य पार्कों तथा जल्‍द खराब होने वाले फल-सब्जियों के संरक्षण पर विचार-विमर्श किया गया। 

इसके अलावा पश्चिमी देशों में उत्‍पादों को स्‍वीकार करने की प्रक्रिया, एफएसएसएआई की भूमिका का व्‍यापार में बाधा बनना, सब्जियों के परिवहन में एपीएमसी की भूमिका और खाद्य प्रसंस्‍करण में कौशल विकास के मुद्दों पर भी चर्चा की गई। 

श्रीमती हरसिमरत कौर ने उद्योग प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि उनके सुझावों पर विचार किया जाएगा। 

पर्यावरण संरक्षण में भारत दुनिया के लिए एक नई शब्दावली देगा: प्रकाश जावड़ेकर

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि सतत विकास और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों की सामूहिक भागीदारी जरूरी है। मंत्रालय की नई पहल वैसी होनी चाहिए जिसमें सभी हितधारकों का विजन और रोडमैप पूरा हो। विश्‍व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि लोगों का एक जगह से दूसरी जगह जाना तो जरूरी है लेकिन इसमें प्रकृति के अनुकूल प्रयासों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। भारत की समृद्ध विरासत और सकारात्‍मक सोच ने पर्यावरण के मुद्दों को समझने के लिए एक नई शब्दावली दी है। 

इस अवसर पर श्री जावडेकर ने मंत्रालय का नाम बदल कर " पर्यावरण मंत्रालय, वन एवं जलवायु परिवर्तन" करने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के विजन की चर्चा करते हुए कहा इसके पीछे गहरी सोच है। उन्‍होंने आश्‍वस्‍त किया कि आने वाले दिनों में भारत पर्यावरण से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं में एक सकारात्‍मक भूमिका का निर्वहन करेगा। 

श्री जावडेकर ने घोषणा की कि पर्यावरण मंजूरी के लिए आनलाइन सबमिशन की जो प्रणाली पहले शुरू की गई थी वह आज से पूरी तरह से काम करने लगेगी। उन्‍होंने कहा कि पहली जुलाई 2014 के बाद पर्यावरण मंजूरी के लिए आनलाइन छोड़कर किसी अन्‍य प्रणाली से आवेदन स्‍वीकार नहीं किये जाएंगे। यह कदम शासन में पारदर्शिता और मंत्रालय के बेहतर कामकाज को बढ़ावा देने का एक संकेत था। 

उन्‍होंने कहा कि 42 साल तक लगातार विश्‍व पर्यावरण दिवस को मनाने के बाद अब समय की मांग है कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाए गए प्रयासों एवं कदमों का आत्मविश्लेषण और मूल्यांकन करें। समुदाय के समक्ष चुनौती यह थी कि सभी जलाशयों को साफ करें और हवा की गुणवत्ता में विकृतियों को दूर करने के लिए कार्य करें। इस समय ठोस कचरा प्रबंधन से संबंधित मसले भी चुनौती का रूप धारण किये हुए है। उन्‍होंने सदियों पुरानी ''धरती मां'' के दर्शन पर बल देते हुए कहा अभी भी प्रकृति और समुदाय के बीच संतु‍लन बनाने के दुरूह कार्य अंजाम देना होगा।

अपने संबोधन के दौरान मंत्री ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सांसदों समेत सभी हितधारकों को इस कार्य में शामिल कराने का उनका प्रयास होगा। उन्‍होंने बताया कि इसी उद्येश्‍य के लिए सभी सांसदों को एक-एक पौधा भेजा गया है ताकि वह भी पर्यावरण के प्रति जागरूक हो सकें। उन्‍होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस तरह के कई और कदम उठाए जाएंगे। 

श्री जावड़ेकर ने भारत के द्वीप समूह और तटीय क्षेत्रों पर एक विशेष पोस्टर का भी विमोचन किया। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का थीम "छोटे द्वीप विकासशील राज्‍य" है। 

असम के बक्सा जिले में 638वां कृषि विज्ञान केन्‍द्र शुरू होगा

देश में असम कृषि विश्‍वविद्यालय, जोरहाट के सहयोग से 638वां कृषि विज्ञान केन्‍द्र शुरू हो रहा है। असम कृषि विश्‍वविद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान संगठन-आईसीएआर ने इस आशय के समझौते ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए। 

समझौता ज्ञापन पर उपमहानिदेशक (कृषि विस्‍तार) डॉ. ए के सिक्‍का, आईसीएआर और असम कृषि विश्‍वविद्यालय के उप कुलपति डॉ. के एम बुजरबरूआ ने डीएआरई के सचिव डॉ. एस अयप्‍पन तथा आईसीएआर के महानिदेशक श्री अरविन्‍द आर कौशल की उपस्थिति में हस्‍ताक्षर किए। कृषि विज्ञान केन्‍द्र, असम के बक्‍सा जिले में कृषि एवं इससे संबंधित कार्यों को प्रोत्‍साहित करने के लिए कार्य करेगा। 

बक्‍सा जिले में 15 विकास खंड एवं 687 गांव हैं। यह जिला 2400 स्‍क्‍वायर किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह कृषि विज्ञान केन्‍द्र गोरेश्‍वर राजस्‍व केन्‍द्र, मोजा कोरभा के गांव धेपरगांव में स्थित है। जिले के कृषि समुदाय की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए इसका निर्माण किया गया है। 

स्मृति ईरानी ने छात्रों को समय पर डिग्री न मिल पाने के मामले में निर्देश दिए

मानव संसाधन विकास मंत्री ने उच्‍च शिक्षा विभाग की प्र‍गति की समीक्षा करते हुए एसपीए भोपाल, एसपीए विजयवाड़ा और आईआईआईटीडी एंड एम कांचीपुरम में करीब 700 छात्रों को उनकी डिग्री नहीं मिलने पर गहरी चिंता व्‍यक्‍त की है। 

उन्‍होंने संबंधित अ‍धिकारियों को निर्देश दिया कि इस मामले को संसद के अगामी सत्र में तुरंत उठाया जाए ताकि दोनों विधेयक जो तैयार है पारित किये जा सके। इस बीच, इन संस्‍थानों में से एक संस्‍थान को केन्‍द्र घोषित किये जाने संभावना पर विचार किया जाएगा ताकि छात्रों को डिग्री प्रदान करने की अतिरिक्‍त व्‍यवस्‍था की जा सके। 

कच्चे तेल, सोयाबीन तेल, सोने और चाँदी के टैरिफ मूल्‍य में परिवर्तन हुआ

सीमा शुल्‍क अधिनियम1962 (1962 की 52) की धारा 14 की उपधारा (2) की शक्तियों का उपयोग करते हुए,  ऐसा आवश्‍यक समझा गया है कि केन्‍द्रीय आबकारी एवं सीमा शुल्‍क बोर्ड (सीबीइसी) द्वारा भारत सरकार के वित्‍त मंत्रालय (राजस्‍व विभाग)  की अधिसूचना संख्‍या 36/2001-सीमा शुल्‍क (एनटी)दिनांक 3 अगस्‍त2001 जिसे भारत के गजटमें विशेष रूप से भाग-।।,अनुभाग-3उप-अनुभाग (ii) में संख्‍या एस.ओ. 748 (ई)दिनांक 3 अगस्‍त2001 प्रकाशित किया गया हैमें निम्‍नलिखित संशोधन किया गया है,:-
कथित अधिसूचना मेंतालिका-1तालिका-2 और तालिका-3 के लिए निम्‍नलिखित तालिकाओंको रखा जायेगा :-
तालिका-1
 क्र. सं.

अध्‍याय/शीर्षक/उपशीर्षक/ शुल्‍क मद

माल का विवरण
शुल्‍क दर अमरीकी डॉलर (प्रति
मीट्रिक टन)
(1)
(2)
(3)
(4)
1
1511 10 00
कच्‍चा पाम तेल
    897
2
1511 90 10
आरबीडी पाम तेल
945
3
1511 90 90
अन्‍य - पाम तेल
921
4
1511 10 00
कच्‍चा पॉमोलीन
953
5
1511 90 20
आरबीडी पॉमोलीन
956
6
1511 90 90
अन्‍य - पॉमोलीन
955
7
1507 10 00
कच्‍चा सोयाबीन तेल
962
8
7404 00 22
पीतल की कतरन (सभी ग्रेड्स)
3890
9
1207 91 00
पोस्‍ता दाना
3255

तालिका-2
क्र. सं.

अध्‍याय/शीर्षक/उपशीर्षक/ शुल्‍क मद

माल का विवरण
शुल्‍क दर (अमरीकी डॉलर प्रति)

(1)
(2)
(3)
(4)
1
71 या 98
किसी भी रूप में सोनाअधिसूचना संख्‍या 12/2012- सीमा शुल्‍क दिनांक 17.03.2012 की क्रम संख्‍या 321 और 323 में दर्ज प्रवि‍ष्टियां का लाभ उठाया गया है
408 प्रति 10 ग्राम
2
71 या 98
किसी भी रूप में चांदीअधिसूचना संख्‍या 12/2012- सीमा शुल्‍क  दिनांक 17.03.2012 की क्रम संख्‍या 322 और 324 में दर्ज प्रवि‍ष्टियां का लाभ उठाया गया है
617 प्रति किलोग्राम

तालिका-3

क्र. सं.

अध्‍याय/शीर्षक/उपशीर्षक/ शुल्‍क मद

माल का विवरण
शुल्‍क दर (अमरीकी डॉलर प्रति
मीट्रिक टन)
(1)
(2)
(3)
(4)
1
080280
सुपारी
1908

पहले पखवाड़े में कच्‍चे तेल और पेट्रोलियम घाटा कम हुआ

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत पेट्रोलियम नियोजन और विश्‍लेषण प्रकोष्‍ठ (पीपीएसी) ने मई, 2014 के दूसरे पखवाडे़ के दौरान कच्‍चे तेल और पेट्रोलियम उत्‍पादों की अंतर्राष्‍ट्रीय कीमतों की समीक्षा की है। इसके अनुसार 2 जून, 2014 से प्रभावी जून के पहले पखवाड़े के लिए लागू हाई-स्‍पीड डीजल पर घाटा कम होकर 2.80 रू प्रति लीटर हो जाएगा। यह 16 मई, 2014 से प्रभावी मई 2014 के दूसरे पखवाड़े के दौरान 4.41 रु प्रति लीटर था। जहां तक मिट्टी के तेल और रसोई गैस का संबंध है। जून 2014 के पहले पखवाड़े के लिए घाटा क्रमश:  32.87 रु प्रति लीटर (पिछले पखवाड़े में 33.84 रु प्रति लीटर) और 432.71 रु. प्रति सिलेंडर (पिछले पखवाड़े में 449.13 रु प्रति सिलेंडर) होगा।

      सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) का उत्‍पाद-वार घाटा:

उत्‍पाद
इकाई
02.06.2014 को मूल्य से प्रभावी घाटा (16.05.2014 से प्रभावी पिछला पखवाड़ा)
डीजल
रूपये/लीटर
2.80               (4.41)
मिट्टी का तेल*
रूपये/लीटर
32.87 (33.84)
रसोई गैस
रूपये/सिलेंडर
432.71      (449.13)


*इसके अलावा सरकार द्वारा मिट्टी के तेल पर 0.82 रु./प्रति लीटर और रसोई गैस पर 22.58 रु./सिलेंडर सबसीडी दी जाती है। उनके शोधनशाला से बाहर जाने के मूल्‍य मासिक आधार पर तय किये जाते है।
      तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) डीजल, मिट्टी के तेल और रसोई गैस की बिक्री पर 2 जून, 2014 से प्रभावी अब संयुक्‍त दैनिक घाटा लगभग 262 करोड़ रुपये वहन कर रही है। यह पिछले पखवाड़े के दौरान हुए दैनिक घाटे 318 करोड़ रुपये से कम है।
आज प्रकाशित सूचना के अनुसार भारतीय बॉस्‍केट के कच्‍चे तेल की अंतर्राष्‍ट्रीय दैनिक कीमत 30 मई, 2014 को घटकर 107.14 अमरिकी डॉलर प्रति बैरल रह गई, जबकि 29 मई, 2014 को यह 107.59 अमरिकी डॉलर प्रति बैरल थी। रुपये के संदर्भ में कच्‍चे तेल की कीमत 30 मई, 2014 को घटकर 6324.47 रुपये प्रति बैरल रह गई जबकि 29 मई, 2014 को यह 6330.60 रुपये प्रति बैरल थी। रुपया 30 मई, 2014 को कमजोर होकर 59.03 रुपये प्रति अमरिकी डॉलर पर बन्‍द हुआ, जबकि 29 मई, 2014 को 58.84 रुपये प्रति अमरिकी डॉलर था।  

विवरण
इकाई
30.06.2014 को मूल्य (पिछला कारोबारी दिवस अर्थात् 29.05.2014)
प्रभावी तिथि 01.06.2014 (पिछला पखवाड़ा 14मई2014 से 28 मई2014
कच्‍चा तेल (भारतीय बॉस्‍केट)
(डॉलर/प्रति बैरल)
107.14              (107.59)
107.65
(रूपये/प्रति बैरल)
6324.47           (6330.60)
6330.90
विनिमय दर
(रूपये/ डॉलर)
59.03               (58.84)
58.81

कच्‍चे तेल का दैनिक मूल्‍य-02.06.2014

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