मानव संसाधन मंत्रालय ने कर्ण सिंह को ऑरोविले फाउंडेशन का पुनः अध्यक्ष चुना


मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले स्वायत्त निकाय ऑरोविले फाउंडेशन के अध्यक्ष के तौर पर फिर से नामित हुए डॉ. कर्ण सिंह 

प्रख्यात विद्वान, राज्यसभा सदस्य और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले स्वायत्त निकाय ऑरोविले फाउंडेशन के संचालक मंडल के अध्यक्ष के रूप में फिर से नामित किया गया है। 

डॉ सिंह को चार साल के कार्यकाल के लिए फिर से नामित किया गया है (मानव संसाधन विकास की अधिसूचना संख्या 27-9/2012-यूयू, दिनांक 23 नवंबर, 2016)। 

इस पद के लिए कुछ विशिष्ट हस्तियों के नाम सुझाए गए थे। परिश्रम, कार्य के प्रति प्रतिबद्धता और योग्यता जैसे मानकों पर विचार करने के बाद डॉ. कर्ण सिंह के नाम को फिर से नामित करने की सिफारिश की गई। 

अनियमित लेन-देन करने वाले बैंक अधिकारियों पर हुई कड़ी कार्रवाई


सरकार द्वारा 8 नवम्बर, 2016 की मध्यरात्रि से कुछ विशेष बैंक नोटों का चलन बंद करने के बाद आरबीआई के निर्देशों का उल्लंघन कर अनियमित लेन-देन करने में लिप्त पाए गए बैंक अधिकारियों के मामले में कार्रवाई की गई

8 नवम्बर, 2016 की मध्यरात्रि से कुछ विशेष बैंक नोटों का चलन बंद करने संबंधी सरकारी निर्णय के बाद बैंकों ने अपने यहां बैंकिंग लेन-देन के समुचित प्रबंधन के लिए लंबे समय तक अथक प्रयास कर सराहनीय कार्य किया है।

हालांकि, कुछ बैंक अधिकारियों द्वारा अनियमित लेन-देन करने और आरबीआई के निर्देशों का उल्लंघन किए जाने के कुछ मामले सामने आए हैं। इन सभी मामलों में कार्रवाई की गई है और सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न बैंकों के 27 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है तथा 6 अधिकारियों को गैर संवेदनशील पदों पर स्थानांतरित कर दिया गया है।

चूंकि वास्तविक लेन-देन सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं, इसलिए अवैध लेन-देन को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अनियमित एवं अनधिकृत गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ समुचित कार्रवाई की जाएगी।

कराधान कानून (दूसरा संशोधन) विधेयक के बारे में कुछ स्पष्टीकरण


कराधान कानून (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2016 के परिणामस्‍वरूप, जोकि लोकसभा में पारित हो गया है तथा राज्‍यसभा में विचाराधीन है, कुछ अफवाहों का दौर बना दिया गया है कि पैतृक आभूषणों सहित सोने के सभी आभूषणों पर 75 प्रतिशत की दर से कर और उपकर लगाया जाएगा। इसके साथ ही भुगतान योग्‍य कर की 10 प्रतिशत देयता पर अतिरिक्‍त शास्‍ति भी लगेगी।

2. यह एतद्द्वारा स्‍पष्‍ट किया जाता है कि उपर्युक्‍त विधेयक में आभूषणों पर कर लगाने संबंधी कोई नया प्रावधान अंत: स्‍थापित नहीं किया गया है। इस विधेयक का उद्देश्‍य केवल आयकर अधिनियम, 1961 (इस अधिनियम) की धारा 115 खखड़ के तहत लागू कर की मौजूदा दर को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत करना है, जिसमें 25 प्रतिशत अधिभार तथा उस पर उपकर भी शामिल है। इस धारा में केवल आभूषण सहित परिसंपत्‍तियों में अस्‍पष्‍ट निवेश के मामले में लगाए जाने वाली कर की दर का उपबंध किया गया है। आय के रूप में इन परिसंपत्‍तियों की प्रभार्यता धारा 69, 69क तथा 69ख के प्रावधानों के द्वारा शासित होती हैं, जोकि 1960 से इस अधिनियम का भाग है। इस विधेयक का उद्देश्‍य इन धाराओं के प्रावधानों में संशोधन करना नहीं है। 

धारा 115 खखड़ के तहत कर की दर को बढ़ाए जाने का प्रस्‍ताव है क्‍योंकि यह रिपोर्ट मिली है कि कर अपवंचक अपनी अघोषित आय को बिजनेस आय या अन्‍य स्रोतों से होने वाली आय के रूप में आय की विवरणी में शामिल करने का प्रयास कर रहें हैं। धारा 115 खखड़ के प्रावधान उन मामलों में लागू होते हैं जहां परिसंपत्‍ति अथवा नकदी आदि को ‘अस्‍पष्‍ट नकदी अथवा परिसंपत्‍ति‘ के रूप में घोषित किया जाना प्रार्थित है अथवा जहां इसे निराधार बिजनेस आय के रूप में छिपाया गया हो, तथा निर्धारिती अधिकारी ने इसका पता लगा लिया हो। ये कार्रवाइयां मुख्‍यत: उन मामलों में की जाती हैं, जहां विवरणी दाखिल की गई हो।

3. यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि अघोषित आय अथवा छूट प्राप्‍त आय जैसे कृषि से होने वाली आय या युक्‍तियुक्‍त घरेलू बचतों या कानूनी रूप से प्राप्‍त विरासत, जोकि स्‍पष्‍ट स्रोतों से अर्जित की गई हो, से खरीदे गए आभूषण/सोने पर न तो वर्तमान प्रावधानों के तहत, न ही प्रस्‍तावित संशोधित प्रावधानों के तहत कर लगता है। इस संबंध में, अनुदेश सं. 1916 के संदर्भ में भी ध्‍यान आकर्षित किया जाता है, जिसमें यह प्रावधान है कि तलाशी अभियानों के दौरान प्रति विवाहित महिला से 500 ग्राम, प्रति अविवाहित महिला से 250 ग्राम तथा परिवार के प्रति पुरूष सदस्‍य से 100 ग्राम तक सोने के आभूषणों तथा गहनों की जब्‍ती नहीं की जाएगी। इसके अतिरिक्‍त किसी भी सीमा तक वैध तरीके से आभूषणों को रखना पूरी तरह से सुरक्षित है।

4. उपर्युक्‍त को देखते हुए, यह शंका व्‍यक्‍त की जानी कि अघोषित स्रोतों या छूट प्राप्‍त आय से अर्जित घरेलू आभूषणों को प्रस्‍तावित संशोधन के अंतर्गत कर योग्‍य बनाया जाएगा, पूरी तरह से निराधान तथा बेबुनियाद है। 

ऊना में एक वन बेटियों को समर्पित करने की अनूठी पहल


ऊना (हिमाचल प्रदेश) उना ज़िला प्रशासन ने इस वर्ष देश में अपनी किस्म की एक अनूठी पहल करते हुए एक वन बेटियों को समर्पित किया है और जनसाधारण को नारा दिया है- 'बेटी बचाओ, पेड़ लगाओ । इसके पीछे उनकी सोच यही है कि बेटियों के प्रति समाज का नजरिया और विकसित हो और पौधारोपण के लिए लोग आगे आएं व पर्यावरण सरंक्षण में उनकी सहभागिता बढ़े। एक वन बेटियों को समर्पित करने की उनकी इस पहल ने ऊना जिला के टकारला गांव को भी एक नया गौरव प्रदान किया है।

मेहतपुर-अंब राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ लगती 20 कनाल जमीन में  बरसात के सीज़न में  जिला के सभी विभागों के अफसरों व स्थानीय जनता की सहभागिता से विभिन्न प्रजातियों के 200 ऐसे पेड़ रोपे गए जो तेजी से आकार लेते हैं। तीन साल की उम्र के 6 से 8 फुट ऊंचे इन पेड़ों की पौध को प्रदेश में पहली बार ऊना जिला में वन विभाग की नर्सरियों में मनरेगा लेबर द्वारा तैयार किया गया है और अगले दो सालों के भीतर ये पेड़ वन का रूप ले लेंगे। इस समय इस वन के साथ लोगों का भावनात्मक लगाव भी रहे और समाज के बीच बेटियों के प्रति एक सकारात्मक सोच भी उत्पन्न हो, इसके लिए  उना ज़िला प्रशाशन ने  यह पूरा वन बेटियों को समर्पित कर दिया है। लहराते इन पेड़ों को देखकर अब अपार खुशी होती है। यहां कई होर्डिंग लगाए गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग से अपने वाहनों में गुजरने वाले लोगों से यह अपील की गई है कि वे कुछ क्षण यहां रूकें और अपनी बोतलों में बचे पानी को इन पेड़ों में भी डालकर पर्यावरण सरंक्षण में अपना योगदान दें। 

बेटियों को समर्पित इस वन में रोपे गए पेड़ों को पशु नुक्सान न पहुंचा पायें, इसके लिए सीमेंट के 80 खंबे लगाकर पूरे वन क्षेत्र की तारबंदी की गई है और लोगों के भीतर जाने के लिए एक रोटेशन वाला गेट लगाया गया है। इन पेड़ों की पौध को चूंकि मनरेगा के तहत वन विभाग की नर्सरियों में तैयार किया गया है, इसलिए इस वन क्षेत्र को विकसित करने में स्थानीय पंचायत के साथ- साथ मनरेगा कार्यरत लोगों की पूरी सहभागिता भी सुनिश्चित की जायेगी। वन विभाग ने इस वन की देखभाल के लिए कर्मचारियों की तैनाती भी इस क्षेत्र में कर दी है और लोगों से अपील की गई है कि वे स्‍वेच्‍छा से इसमें सहयोग करें।  

उना ज़िला के टकाराला गांव में बेटियों को समर्पित यह वन तैयार करने के लिए पौधारोपण की विधिवत तकनीक  वन विभाग के आधिकारियों द्वारा उपस्थित लोगों को सिखाई गई ताकि नर्सरी में तैयार किए गए इन पौधों को जमीन में रोपे जाते समय कोई नुक्सान न पहुंचे और ये नई जमीन में अपनी जड़ें सहजता से पकड़ सकें। इन पेड़ों को लगाने के लिए खोदे गए गडढों में पहले अच्छी किस्म की मिट्टी की भरायी की गई। इन वन की खासियत यह भी होगी कि इसमें आम, आंवला, जामुन, शहतूत जैसे फलदार पेड़ों के अलावा पीपल, अर्जुन, हरड़, बेहड़ा, शीशम, बांस , सिल्वर ओक के पेड़ भी लहलहायेंगे। 

वन विभाग के आधिकारियों तथा उना ज़िला प्रशाशन नें  बेटियों को समर्पित इस वन को संरक्षित वन की श्रेणी में लाने का प्रदेश सरकार से आग्रह किया  है  ताकि इस वन का भविष्य सुरक्षित रहे और 'बेटी बचाओ- पेड़ लगाओ का संदेश हमेशा प्रेरणादायक रहे।  टकारला गांव में तैयार किए जाने वाले इस वन के साथ ही प्रसिद्ध देवालय भी है लिहाजा इससे इस देवालय में शीश नवाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को यहां छाया भी उपलब्ध होगी और इस स्थल के प्राकृतिक सौंदर्य में भी इजाफा होगा। 

हिमाचल प्रदेश भले ही पर्वतों व वनों से आच्छादित प्रदेश कहलवाता है लेकिन इस प्रदेश के बार्डर क्षेत्र में अपेक्षाकृत कम पेड़ हैं और यहां पौधारोपण के अभियान को गति देकर पर्यावरण संतुलन बरकरार रखा जा सकता है। उना ज़िला प्रशाशन नें सभी पंचायत पदाधिकारियों से   अपील की है कि वे अपने अपने क्षेत्र में इसी तरह बेटी बचाओ मुहिम को पेड़ लगाने से जोड़ें और जिला को एक नया गौरव प्रदान करें।  उना ज़िला प्रशाशन नें कहा कि विभिन्न पंचायतों में वन भूमि चिन्हित करके उन्हें वनों में तबदील किया जायेगा। 

ऊना में चलाई गयी  बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ और पेड़ लगाओ विशेष मुहिम की शुरूआत  टकारला गांव से की गयी और इस मुहिम में जनसाधारण की भी पूरी सहभागिता सुनिश्चित की गयी। भविष्य में ऊना जिला बेहतर लिंगानुपात के लिए भी आदर्श जिला बनकर सामने आयेगा। 

यह वन बेटियों को समर्पित करके ऊना ज़िला प्रशाशन  ने पूरे देश को एक नया संदेश व नई सोच दी है।  आवश्‍यकता इस बात की है कि प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओं, संदेश को जन-जन तक पहुंचाया जाए। आज लोगों की सोच में अंतर तो आया है, लेकिन जरूरत इस बात की है कि सरकार द्वारा पंचायत और जिला प्रशासन स्‍तर पर इस तरह के कार्यक्रम और योजनाएं बनाई जाएं, जिससे बेटियों को पढ़ने और आगे बढ़ने के लिए सुरक्षित माहौल मुहैया कराया जाए। पर्यावरण संतुलन और भावी पीढि़यों के लिए स्‍वच्‍छ हवा तथा स्‍वच्‍छ वातावरण के लिए वृक्षा रोपण वक्‍त की मांग है। इस दिशा में हम सभी को जहां तक संभव हो सके, एक-एक पौधा अवश्‍य लगाना चाहिए और उसकी देखभाल भी करनी चाहिए। केन्‍द्र सरकार ने विद्यालय स्‍तर पर ही यह कार्यक्रम चलाया है। देश के हर विद्यालय में विद्यार्थियों को बचपन से ही वृक्षों की हिफाजत करना और अपने लगाए पौधों को पनपते हुए देखने का सुअवसर दिया जाना चाहिए, ताकि हमारी भावी पीढि़यां पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हो सके। आज बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं के साथ-साथ वन लगाओ भी आवश्‍यक हो गया है। प्रत्‍येक देशवासी को इस कार्य में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए और लोगों को इस विषय पर जानकारी 

#NDRF की कैशलेस व्यवस्था के प्रोत्‍साहन हेतु अनोखी पहल

राष्‍ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने भारत सरकार के डिजिटलीकरण के अभियान को प्रोत्‍साहन देने के लिए कई पहल की हैं। बल ने वर्तमान प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में सैन्‍य बलों को जानकारी देने और नकदी रहित अर्थव्‍यवस्‍था को प्रोत्‍साहन देने के लिए नई दिल्‍ली स्थित अपने मुख्‍यालय में बैंक प्रतिनिधियों के द्वारा विभिन्‍न जागरूकता कार्यक्रमों का प्रबंधन किया है ताकि सैन्‍य बल दैनिक व्‍ययों के लिए अपने ई-वॉलेट का उपयोग कर सके।

एनडीआरएफ के महानिदेशक श्री आर. के. पचनंदा ने सभी बटालियनों के कमांडेन्‍ट को निर्देश दिया है कि वे अपने सभी अधीनस्‍थ अधिकारियों अथवा गैर-अधिकारियों को सभी तरह की खरीद प्रक्रिया के लिए नकदी रहित लेन-देन हेतु अपने मोबाइल फोन में एप को इंस्‍टॉल करने के लिए प्रोत्‍साहन दें। देश भर की सभी एनडीआरएफ बटालियनों में ऑनलाइन प्रणाली के बारे में एनडीआरएफ कर्मियों में जागरूकता लाने के लिए बैंक प्रतिनिधि विशेष सत्रों का आयोजन कर रहे हैं।

इस कदम से एनडीआरएफ कर्मियों को नवीन युग की बैंकिंग प्रणाली को जानने में मदद मिलेगी। इसके अलावा ऑनलाइन बुनियादी ढांचे में सुधार के भी प्रयास किये जा रहे हैं ताकि प्रत्‍येक एनडीआरएफ कर्मी इससे लाभान्वित हो सके और इसके उपयोग के लिए अपने परिवार के सदस्‍यों और रिश्‍तेदारों को प्रोत्‍साहित कर सके।

इस पहल के शुभारंभ से एनडीआरएफ कर्मी अत्‍यंत प्रसन्‍नता का अनुभव कर रहे है क्‍योंकि लेन-देन की ये प्रणाली न सिर्फ आसान और सुरक्षित है बल्कि उनके परिवार के सदस्‍य लंबी लाइनों में खड़े होकर धन जमा करने के झंझट से बचने के अलावा अपने समय का भी सदुपयोग कर सकते हैं। ये कदम निश्चित रूप से न सिर्फ उनके समग्र प्रदर्शन बल्कि खरीद प्रणाली में भी सुधार लायेगा और सभी कार्मिकों को अपनी सुविधा, सुरक्षा और समय एवं लागत की बचत के लिए नकदी रहित व्‍यवस्‍था को अपनाने के लिए प्रोत्‍साहन देगा। 

#POS उपकरण और इसके निर्माण के लिए माल पर 31 मार्च, 2017 तक एक्साइज में छूट

प्‍वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) उपकरण और इसके निर्माण के लिए आवश्‍यक माल पर 31 मार्च, 2017 तक केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क में छूट रहेगी 

सरकार ने 8 और 9 नवम्‍बर, 2016 की आधी रात से 500 और 1000 रुपये के करंसी नोट का लेनदेन बंद कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया है।

प्‍वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) उपकरण का उपयोग भुगतान करने या नगद पैसा देने में बिना नगदी के लेनदेन में किया जाता है। पीओएस पर कोई बुनियादी सीमा शुल्‍क नहीं लगता है। ऐसे उपकरणों का मूल्‍य और कम करने तथा डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इन उपकरणों पर केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क में छूट दी है। इसके परिणामस्‍वरूप इन उपकरणों पर अतिरिक्‍त सीमा शुल्‍क (आमतौर पर सीवीडी और एसएडी कहे जाने वाले) भी नहीं लगेगा। इसके साथ ही इन उपकरणों के घरेलू निर्माताओं को बढ़ावा देने के लिए पीओएस उपकरण बनाने के लिए सभी आवश्‍यक माल को भी उत्‍पाद शुल्‍क और बाद में सीवीडी और एसएडी से मुक्‍त किया गया है। यह छूट 31 मार्च, 2017 तक मान्‍य होगी।

इस संबंध में दिनांक 28 नवम्‍बर, 2016 को केन्‍द्रीय उत्‍पाद अधिसूचना संख्‍या- 35/2016 अधिसूचित की गई है।

कराधान कानून (द्वितीय संशोधन) विधेयक लोकसभा में पेश,पढ़िए क्या बदला


कराधान कानून (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 लोकसभा में पेश, ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, 2016 (पीएमजीकेवाई) के लिए कराधान और निवेश व्‍यवस्‍था’ नामक योजना विधेयक में प्रस्तावित 

करों की चोरी के कारण राष्ट्र महत्वपूर्ण संसाधनों से वंचित हो जाता है, जिनका उपयोग सरकार गरीबी उन्मूलन और विकास कार्यक्रमों को शुरू करने में कर सकती है। काले धन पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम के तहत भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को वापस ले लिया है। 

इस बात को लेकर चिंता जताई गई है कि काले धन को छिपाने के मकसद से आयकर अधिनियम, 1961 (अधिनियम) के कुछ मौजूदा प्रावधानों का संभवतः इस्तेमाल किया जा सकता है। अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन के लिए कराधान कानून (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 को संसद में पेश कर दिया गया है, ताकि कर अदायगी में चूक करने वाले करदाताओं पर अपेक्षाकृत उच्च दर से टैक्‍स लगाने के साथ-साथ कठोर दंड का प्रावधान भी सुनिश्चित किया जा सके। 

‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, 2016 (पीएमजीकेवाई) के लिए कराधान और निवेश व्‍यवस्‍था’ नामक एक वैकल्पिक योजना को इस विधेयक में प्रस्तावित किया गया है। इस व्यवस्था के तहत घोषणा करने वालों को अपनी अघोषित आय के 30 प्रतिशत की दर से कर का भुगतान करना होगा और अपनी अघोषित आय के 10 प्रतिशत की दर से पेनाल्‍टी देनी होगी। इसके अलावा 'प्रधानमंत्री गरीब कल्याण उपकर' के नाम से एक अधिभार (सरचार्ज) भी कुल टैक्स राशि के 33 प्रतिशत की दर से लगाने का प्रस्‍ताव है। टैक्स, सरचार्ज और पेनाल्‍टी (कुल मिलाकर लगभग 50 प्रतिशत) के अतिरिक्त घोषणा करने वालों को अपनी अघोषित आय के 25 प्रतिशत को एक जमा योजना में जमा कराना होगा, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण जमा योजना, 2016’ के तहत अधिसूचित किया जाएगा। इस राशि को सिंचाई, आवास, शौचालयों, बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य, आजीविका, इत्‍यादि से जुड़ी योजनाओं में उपयोग किया जाना प्रस्तावित है, ताकि न्याय और समानता को सुनिश्चित किया जा सके। 

स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने अंगदान करने की प्रतिज्ञा ली


केन्‍द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी.नड्डा ने नई दिल्ली के केन्द्र सरकार के सभी अस्पतालों के अधिकारियों, कर्मचारियों, चिकित्‍सकों, नर्सों और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों के साथ हजारों उत्साही लोगों के साथ अपने अंग दान करने की शपथ ली। इस अवसर पर, अंगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आज सुबह इंडिया गेट पर आयोजित वॉकथान में भाग लेने के लिए हजारों प्रतिभागी भी उपस्‍थित थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अंगों का दान एक उपहार है और यह एक परोपकारी, भेदभावहीन और नैतिक कार्य है। उन्होंने कहा कि हम अपने अंगों को दान देने के साथ 'एक जीवन के अंत' को एक नई शुरुआत में बदल सकते हैं। श्री नड्डा ने कहा कि हमें अंगदान को एक राष्ट्रीय आंदोलन बनाते हुए दुनिया है यह दिखाना है कि मृत्‍यु के मामले में भी हम व्‍यापक रूप में अपने साथी नागरिकों और मानवता की देखभाल करते हैं। उन्होंने कहा अंग एक राष्ट्रीय संसाधन है और एक भी अंग बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उनका मंत्रालय अंग दान को सुविधाजनक बनाने के लिए वर्तमान में नियमों, विनियमों और प्रोटोकॉल तैयार कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि देश में हर साल लगभग 1.5 लाख लोगों की मृत्यु मस्तिष्क के कारण हो रही है और उन रोगियों के अंगों को कई लाख लोगों की जान बचाने में उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि देश के भीतर मौजूदा अंग दान और प्रत्यारोपण दर आवश्यकता के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि शव अंगों और ऊतकों को सुरक्षित निकालने और रखने के लिए निर्णायक कदम उठाए जा रहे है और इसके परिणामस्‍वरूप बहुत से लोगों की जान बचाई जा सकी है।

श्री नड्डा ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय मृतक व्यक्तियों के अंग दान को बढ़ावा देने और इस तरह के प्रत्यारोपण के लिए अंगों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम लागू कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत बड़ी संख्या में गतिविधियों को शुरू किया गया है। राज्य सरकारों को भी अंग दान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के संदर्भ में अवगत करा दिया है। उन्‍होंने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है और इनमें तेजी लायी जाएगी।

इस प्रतिज्ञा ग्रहण समारोह में श्री सी.के.मिश्र सचिव (एचएफडब्‍ल्‍यू), स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ जगदीश प्रसाद और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

4,041 शहरों/कस्बों को नकदी रहित लेनदेन व्‍यवस्‍था में परिवर्तित करने को कहा गया


सभी 4,041 शहरों/कस्बों को नकदी रहित लेनदेन व्‍यवस्‍था में परिवर्तित करने को कहा गया, मध्‍यप्रदेश अगले वर्ष मार्च तक इसे पूरा करेगा 

 इंटरनेट बैंकिंग, ऑनलाइन भुगतान और पीएफएम को  अपनाया जाएगा

श्री एम. वैंकेया नायडू ने विशाखापत्तनम निगम की नकदी रहित लेनदेन सुविधा का शुभारंभ किया

सभी तरह की व्‍यवस्‍था को नकदी रहित लेन-देन में परिवर्तित करने के लिए जारी प्रयासों के तहत, शहरी विकास मंत्रालय ने सभी वैधानिक 4041 शहरी स्थानीय निकायों को जल्द से जल्द ई-भुगतान में परिवर्तित करने को कहा है। देश के इन शहरों और कस्बों की 40 करोड़ शहरी आबादी का यह लगभग 75% है।

केन्द्र सरकार के इस संदेश से 4041 शहरी स्थानीय निकायों के अधिकारियों को परस्‍पर संवादात्‍मक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शहरी विकास सचिव श्री राजीव गाबा ने अवगत कराया। नकदी रहित लेनदेन को सुनिश्चित करने के विभिन्न पहलुओं पर आधे दिन हुए इस वार्तालाप में संबंधित राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।

राज्य और शहर स्तर के अधिकारियों को वित्त मंत्रालय द्वारा विकसित लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएम) का उपयोग करने के अलावा शहरों और कस्बों के स्तर पर नकदी रहित लेनेदेन के लिए इंटरनेट बैंकिंग, क्रेडिट और डेबिट कार्ड का उपयोग करते हुए ऑनलाइन बैंकिंग(आरटीजीएस/ एनईएफटी) को बढ़ावा देने के लिए कहा गया था।

श्री गाबा ने जोर दिया कि शहरी स्थानीय निकायों के आय और व्यय दोनों से संबंधित सभी लेन-देन को ई-पेमेंट मोड में स्थानांतरित किए जाने की आवश्‍यकता है। इनमें संपत्ति कर का भुगतान, व्‍यावसायिक कर, पानी और बिजली के बिल के सभी उपयोगकर्ता शुल्क, सभी प्रकार के शुल्क और लाइसेंस शुल्क, सामुदायिक हॉलों की ऑनलाइन बुकिंग, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्रों को जारी करना, दुकानों का पंजीकरण और अन्य प्रतिष्ठानों के नवीकरण, पुस्तकालय सदस्यता का नामांकन आदि शामिल हैं।
इसके अलावा सभी नियमित और अनुबंध कर्मचारियों को वेतन का भुगतान, सभी अनुबंध और कार्य भुगतान, खरीद, सामाजिक सुरक्षा, लाभार्थी भुगतान आदि के लिए व्‍यय को नकदीरहित बनाया जाना भी शामिल है।

शहरी प्रशासनों को सभी श्रेणियों के कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों हेतु खाते खोलने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और क्षमता निर्माण एवं जागरूकता अभियान चलाने को कहा गया है।

राज्यों को शहर स्‍तर पर विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत धन के हस्तांतरण, लेखा और निगरानी को सक्षम बनाने के लिए लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएम) अपनाने के लिए कहा गया है।

लेनदेन की मात्रा को स्पष्ट करने के लिए, नवंबर के दौरान अब तक बकाया राशि देय सहित 59 शहरों ने 1,722 करोड़ रूपए का राजस्व एकत्र किया है। इसमें शामिल है: 

अहमदाबाद- 187 करोड़ रूपए, 
भोपाल-27 करोड़ रूपए, 
चेन्नई की 80 करोड़ रूपए, 
फरीदाबाद- 17 करोड़ रूपए, 
गुवाहाटी 14 करोड़ रूपए,  
हैदराबाद- 208 करोड़ रूपए,  
इंदौर-32 करोड़ रूपए, 
काकीनाडा (एपी) 20 करोड़ रूपए,  
कल्याण (महाराष्ट्र) -170 करोड़ रूपए, 
लखनऊ-23 करोड़ रूपए,  
रायपुर-17 करोड़ रूपए, 
विशाखापट्टनम-16 करोड़ रूपए, 
अमृतसर-12 करोड़ रूपए, 
कानपुर-30 करोड़ रूपए, 
मुंबई-167 करोड़ रूप्‍ए और 
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद- 84 करोड़ रुपए।

मध्य प्रदेश के अधिकारियों ने बताया कि प्रमुख 7 शहरों में पहले से ही नकदरहित लेनदेन व्‍यवस्‍था सक्षम है और सभी 378 शहरों और कस्बों में अगले वर्ष मार्च तक ये व्‍यवस्‍था पूर्ण हो जाएगी। उत्तर प्रदेश और गोवा ने शहरी स्तर पर पीएफएम का उपयोग करने की जानकारी दी है और इसे बहुत उपयोगी पाया है।

शहरी विकास मंत्री श्री नायडू एम. वैंकेया नायडु ने विशाखापत्तनम नगर निगम और ई-पेमेंट पर नागरिकों को शिक्षित करने के लिए नकदी रहित भुगतान प्रणाली और अनुकूलन शिविरों का उद्घाटन किया।

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कर रहें, जी तोड़ प्रयास : कृषि मंत्री


किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केन्द्र सरकार अनाज का उत्पादन बढाने, लागत कम करने तथा किसानों की आमदनी के अन्य साधनों खोलने के साथ उनकी उपज की उचित मार्केटिंग का जी तोड़ प्रयास कर रही है- श्री राधा मोहन सिंह 

किसानों को उपभोक्‍ताओं से सीधे जोड़ने के लिए वर्तमान सरकार किसानों के खेत से उत्‍पाद की सीधा खरीद को प्रोत्‍साहित कर रही है- श्री सिंह 

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केन्द्र सरकार अनाज का उत्पादन बढाने, लागत कम करने तथा किसानों की आमदनी के अन्य साधनों खोलने के साथ उनकी उपज की उचित मार्केटिंग का जी तोड़ प्रयास कर रही है। कृषि मंत्री ने यह बात सेंगरि ला इरोज होटेल में एसोचेम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम का विषय था - किसानों को बाजार से कैसे जोड़ा जाए। 

कृषि मंत्री ने कहा कि अब यह जरूरी हो गया है कि बाजार, किसान की पहुच के अन्दर हो और उनके और उपभोक्ताओं के बीच कोई बिचौलिया नहीं हो, उपज का मूल्य पारदर्शी तरीके से तय हो और किसान को उनकी उपज का अविलंब भुगतान हो। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार देश भर में एक ऐसा ढांचा खड़ा कर रही है जिसमें बाजार सीधे खेत से जुड़ जाएंगे और उपभोक्ता सीधे किसान के खेत से उपज खरीद सकेंगे। 

कृषि मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों को उनकी उपज की अच्छी कीमत दिलाने के लिए पहले ही राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम अप्रैल 2016 में लांच कर चुकी है। ई-नाम पोर्टल से मार्च, 2018 तक कुल 585 मंडियों को जोड़े जाने की योजना हैI सितम्बर-2016 तक 200 मंडियों के लक्ष्य के सापेक्ष 10 राज्‍यों की 250 मंडियों को ई-नाम से जोड़ दिया गया हैI उन प्रदेशों की मंडिया ई-नाम से जुड़ सकती हैं जिन्होंने अपने विपणन कानूनों में तीन सुधार कर लिये हैं - ई ट्रेडिंग की व्यवस्था, एकल बिंदु पर मंडी शुल्क की उगाही और सिंगल लाइसेंस से पूरे प्रदेश में व्यापार। दो प्रमुख राज्‍य बिहार और केरल कोई मंडी कानून न होने से अभी ई-नाम परियोजना से नहीं जुड़ पा रहे हैं। कृषि मंत्री ने इन राज्‍यों की सरकारों से किसान हित में मंडी कानून बनाकर ई-नाम परियोजना से जोड़ने का अनुरोध किया है। 

कृषि मंत्री ने कहा कि ई-नाम की इस नयी व्यवस्था में अब किसान कहीं भी बैठकर ऑनलाइन ट्रेडिंग के जरिए अपनी फसल बेच सकता है तथा इसके जरिए वह उपज की गुणवत्ता के अनुसार उत्तम मूल्य प्राप्त कर सकता है I यदि उसे मूल्य पसंद ना हो तो वह ऑनलाइन की गयी सर्वोच्च बोली खारिज भी कर सकता है। किसान को ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था भी है। 

इसके अतिरिक्‍त किसानों को उपभोक्‍ताओं से सीधे जोड़ने के लिए वर्तमान सरकार किसानों के खेत से उत्‍पाद की सीधा खरीद को प्रोत्‍साहित कर रही है। इसके लिए 22 राज्‍यों ने अपने विपणन कानूनों में बदलाव भी कर लिया है। 

कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि देश में कृषि उपज का विपणन, राज्य सरकारों की विनियमित मंडियों के माध्‍यम से किया जाता है, जिनकी कुल संख्या 6746 हैI उन्होंने कहा कि वैसे तो किसानों पर गठित राष्ट्रीय आयोग की सिफारिश के अनुसार 80 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक मंडी होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में लगभग 580 वर्ग किलोमीटर में एक मंडी हैI मंडियों की संख्‍या बढ़ाने के लिए सरकार मंडी कानून में सुधार करवाकर निजी क्षेत्र की मंडियां स्‍थापित करवाने का प्रयास कर रही है। अब तक 21 राज्‍यों ने इस संबंध में अपने विपणन कानूनों में सुधार कर लिया है। 

#JNU : कुलपति को बंधक बनाने के मामले में कन्हैया समेत 20 छात्रों को नोटिस


देश के विवादित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन ने देशद्रोह के आरोपी पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद समेत २० लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन छात्रों से पिछले महीने कुलपति और अन्य अधिकारियों को अवैध तरीके से २० घंटे से ज्यादा समय तक प्रशासनिक भवन में बंधक बनाए रखने के मामले में उत्तर मांगा है।

नोटिस में उनसे प्रॉक्टोरियल कमिटी के सामने सफाई पेश करने को कहा गया है आैर पूछा है कि, उन लोगों ने क्यों विश्वविद्यालय अधिकारियों को अवैध तरीके से दफ्तर में बंद किया था?”

उत्तर प्रदेश के बदायूं का रहने वाला अहमद एक रात पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों से परिसर में कथित झगड़े के बाद १५ अक्तूबर को लापता हो गया था। वह जेएनयू के बायोटेक्नोलॉजी विभाग का छात्र है।

गौरतलब है कि २७ वर्षीय छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी पर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए जाने का आरोप लगाते हुए छात्रों ने विश्वविद्यालय के कुलपति समेत कई अधिकारियों को पिछले महीने १९ अक्टूबर को प्रशासनिक भवन में ही बंधक बना लिया था। उन्हें कार्यालय से बाहर आने नहीं दिया था। जब कुलपति ने बाहर निकलने की कोशिश की थी तब छात्रों ने उनके साथ धक्कामुक्की की थी।

सभी कामगारों के लिए बैंक खाता खुलवाने के लिए देशव्‍यापी अभियान शुरू


श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ,वित्‍तीय सेवा विभाग और वित्‍त मंत्रालय के सहयोग से संगठित और असंगठित क्षेत्र के सभी कर्मचारियों के लिए कल से बैंक खाता खुलवाने के लिए देशव्‍यापी अभियान शुरू हुआ । 26 नवंबर ,2016 से शुरू किए इस अभियान के तहत कर्मचारियों को बैंक में खाता खुलवाने के लिए प्रत्‍येक जिलों में विशेष शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, सरकार ने कारोबार को डिजिटीकरण के इस रास्‍ते को अधिक तीव्रता से लागू करने का फैसला किया है।

श्रम एवं रोजगार राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री बंडारू दत्‍तात्रेय ने बताया कि हमलोगों ने राज्‍य सरकारों के सक्रिय सहयोग के लिए इस आशय की सूचना सभी राज्‍य सरकारों को भेजी दी है। उन्‍होंने कहा कि इन शिविरों को लगाने के तरीकों तथा स्‍थान का निर्धारण जिलाधीशों ,बैंक के प्रबंधकों और श्रम अधिकारी और केंद्र व राज्‍य सरकारें तय करेंगी।

श्री दत्‍तात्रेय ने प्रतिष्‍ठानों ,कर्मचारियों एवं कर्मचारी संगठनों का आह्वान किया है कि वे जरूरतमंद कर्मचारियों को इन शिविरों तक पहुंचने में तथा इस सेवा को उपलब्‍ध कराने में अपना सक्रिय सहयोग दें। यह अभियान जरूरत अनुसार आनेवाले दिनों में भी संबंधित बैंकों उनके बैंक मित्रों और शिविरों के जरिये जारी रहेगा।

पढ़िए 27 नवंबर को प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का पूरा भाषण


मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। पिछले महीने हम सब दिवाली का आनंद ले रहे थे। हर वर्ष की तरह इस बार दिवाली के मौके पर, मैं फिर एक बार जवानों के साथ दिवाली मनाने के लिये, चीन की सीमा पर, सरहद पर गया था। ITBP के जवान, सेना के जवान - उन सबके साथ हिमालय की ऊंचाइयों में दिवाली मनाई। मैं हर बार जाता हूँ, लेकिन इस दिवाली का अनुभव कुछ और था। देश के सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने, जिस अनूठे अंदाज़ में, यह दिवाली सेना के जवानों को समर्पित की, सुरक्षा बलों को समर्पित की, इसका असर वहाँ हर जवानों के चेहरे पर अभिव्यक्त होता था। वो भावनाओं से भरे-भरे दिखते थे और इतना ही नहीं, देशवासियों ने जो शुभकामनायें-सन्देश भेजे, अपनी ख़ुशियों में देश के सुरक्षा बलों को शामिल किया, एक अद्भुत response था। और लोगों ने सिर्फ़ सन्देश भेजे, ऐसा नहीं, मन से जुड़ गए थे; किसी ने कविता लिखी, किसी ने चित्र बनाए, किसी ने कार्टून बनाए, किसी ने वीडियो बनाए, यानि न जाने हर घर सेनानियों की जैसे चौकी बन गया था। और जब भी ये चिट्ठियाँ मैं देखता था, तो मुझे भी बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि कितनी कल्पकता है, कितनी भावनायें भरी हैं और उसी में से MyGov को विचार आया कि कुछ चुनिन्दा चीज़ें निकाल करके उसकी एक Coffee Table Book बनाई जाए। काम चल रहा है, आप सबके योगदान से, देश के सेना के जवानों की भावनाओं को आप सबकी कल्पकता से, देश के सुरक्षा बलों के प्रति आपका जो भाव-विश्व है, वह इस ग्रन्थ में संकलित होगा।

सेना के एक जवान ने मुझे लिखा - प्रधानमंत्री जी, हम सैनिकों के लिये होली, दिवाली हर त्योहार सरहद पर ही होता है, हर वक्त देश की हिफाज़त में डूबे रहते हैं। हाँ, फिर भी त्योहारों के समय घर की याद आ ही जाती है। लेकिन सच कहूँ, इस बार ऐसा नहीं लगा। ऐसा कतई feel नहीं हुआ कि त्योहार है और मैं घर नहीं हूँ। ऐसा महसूस हुआ मानो हम भी, सवा-सौ करोड़ भारतवासियों के साथ दिवाली मना रहे हैं।

मेरे प्यारे देशवासियो, जो अहसास इस दिवाली, इस माहौल में जो अनुभूति, हमारे देश के सुरक्षा बलों के बीच, जवानों के बीच जगा है, क्या ये सिर्फ़ कुछ मौकों पर ही सीमित रहना चाहिये? मेरी आपसे appeal है कि हम, एक समाज के रूप में, राष्ट्र के रूप में, अपना स्वभाव बनाएँ, हमारी प्रकृति बनाएँ। कोई भी उत्सव हो, त्योहार हो, खुशी का माहौल हो, हमारे देश के सेना के जवानों को हम किसी-न- किसी रूप में ज़रूर याद करें। जब सारा राष्ट्र सेना के साथ खड़ा होता है, तो सेना की ताक़त 125 करोड़ गुना बढ़ जाती है।

कुछ समय पहले मुझे जम्मू-कश्मीर से, वहाँ के गाँव के सारे प्रधान मिलने आये थे। Jammu-Kashmir Panchayat Conference के ये लोग थे। कश्मीर घाटी से अलग-अलग गाँवों से आए थे। क़रीब 40-50 प्रधान थे। काफ़ी देर तक उनसे मुझे बातें करने का अवसर मिला। वे अपने गाँव के विकास की कुछ बातें लेकर के आए थे, कुछ माँगें लेकर के आए थे, लेकिन जब बात का दौर चल पड़ा, तो स्वाभाविक था, घाटी के हालात, क़ानून व्यवस्था, बच्चों का भविष्य, ये सारी बातें निकलना बड़ा स्वाभाविक था। और इतने प्यार से, इतने खुलेपन से, गाँव के इन प्रधानों ने बातें की, हर चीज़ मेरे दिल को छूने वाली थी। बातों-बातों में, कश्मीर में जो स्कूलें जलाई जाती थीं, उसकी चर्चा भी हुई और मैंने देखा कि जितना दुःख हम देशवासियों को होता है, इन प्रधानों को भी इतनी ही पीड़ा थी और वो भी मानते थे कि स्कूल नहीं, बच्चों का भविष्य जलाया गया है। मैंने उनसे आग्रह किया था कि आप जाकर के इन बच्चों के भविष्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करें। आज मुझे ख़ुशी हो रही है कि कश्मीर घाटी से आए हुए इन सभी प्रधानों ने मुझे जो वचन दिया था, उसको भली-भाँति निभाया; गाँव में जाकर के सब दूर लोगों को जागृत किया। अभी कुछ दिन पहले जब Board की exam हुई, तो कश्मीर के बेटे और बेटियों ने क़रीब 95%, पचानबे फ़ीसदी कश्मीर के छात्र-छात्राओं ने Board की परीक्षा में हिस्सा लिया। Board की परीक्षाओं में इतनी बड़ी तादाद में छात्रों का सम्मिलित होना, इस बात की ओर इशारा करता है कि जम्मू-कश्मीर के हमारे बच्चे उज्ज्वल भविष्य के लिये, शिक्षा के माध्यम से - विकास की नई ऊँचाइयों को पाने के लिये कृतसंकल्प हैं। उनके इस उत्साह के लिये, मैं छात्रों को तो अभिनन्दन करता हूँ, लेकिन उनके माता-पिता को, उनके परिजनों को, उनके शिक्षकों को और सभी ग्राम प्रधानों को भी ह्रदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

प्यारे भाइयो और बहनों, इस बार जब मैंने ‘मन की बात’ के लिये लोगों के सुझाव मांगे, तो मैं कह सकता हूँ कि एकतरफ़ा ही सबके सुझाव आए। सब कहते थे कि 500/- और 1000/- वाले नोटों पर और विस्तार से बातें करें। वैसे 8 नवम्बर, रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन करते हुए, देश में सुधार लाने के एक महाभियान का आरम्भ करने की मैंने चर्चा की थी। जिस समय मैंने ये निर्णय किया था, आपके सामने प्रस्तुत रखा था, तब भी मैंने सबके सामने कहा था कि निर्णय सामान्य नहीं है, कठिनाइयों से भरा हुआ है। लेकिन निर्णय जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही उस निर्णय को लागू करना है। और मुझे ये भी अंदाज़ था कि हमारे सामान्य जीवन में अनेक प्रकार की नयी–नयी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। और तब भी मैंने कहा था कि निर्णय इतना बड़ा है, इसके प्रभाव में से बाहर निकलने में 50 दिन तो लग ही जाएँगे। और तब जाकर के normal अवस्था की ओर हम क़दम बढ़ा पाएँगे। 70 साल से जिस बीमारियों को हम झेल रहे हैं उस बीमारियों से मुक्ति का अभियान सरल नहीं हो सकता है। आपकी कठिनाइयों को मैं भली-भांति समझ सकता हूँ। लेकिन जब मैं आपका समर्थन देखता हूँ, आपका सहयोग देखता हूँ; आपको भ्रमित करने के लिये ढेर सारे प्रयास चल रहे हैं, उसके बावजूद भी, कभी-कभी मन को विचलित करने वाली घटनायें सामने आते हुए भी, आपने सच्चाई के इस मार्ग को भली-भांति समझा है, देशहित की इस बात को भली-भांति आपने स्वीकार किया है।

पाँच सौ और हज़ार के नोट और इतना बड़ा देश, इतनी करेंसियों की भरमार, अरबों-खरबों नोटें और ये निर्णय - पूरा विश्व बहुत बारीक़ी से देख रहा है, हर कोई अर्थशास्त्री इसका बहुत analysis कर रहा है, मूल्यांकन कर रहा है। पूरा विश्व इस बात को देख रहा है कि हिन्दुस्तान के सवा-सौ करोड़ देशवासी कठिनाइयाँ झेल करके भी सफलता प्राप्त करेंगे क्या! विश्व के मन में शायद प्रश्न-चिन्ह हो सकता है! भारत को भारत के सवा-सौ करोड़ देशवासियों के प्रति, सिर्फ़ श्रद्धा ही श्रद्धा है, विश्वास ही विश्वास है कि सवा-सौ करोड़ देशवासी संकल्प पूर्ण करके ही रहेंगे। और हमारा देश, सोने की तरह हर प्रकार से तप करके, निखर करके निकलेगा और उसका कारण इस देश का नागरिक है, उसका कारण आप हैं, इस सफलता का मार्ग भी आपके कारण ही संभव हुआ है।

पूरे देश में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय स्वराज संस्थाओं की सारी इकाइयाँ, एक लाख तीस हज़ार bank branch, लाखों बैंक कर्मचारी, डेढ़ लाख से ज़्यादा पोस्ट ऑफिस, एक लाख से ज़्यादा बैंक-मित्र - दिन-रात इस काम में जुटे हुए हैं, समर्पित भाव से जुटे हुए हैं। भाँति-भाँति के तनाव के बीच, ये सभी लोग बहुत ही शांत-चित्त रूप से, इसे देश-सेवा का एक यज्ञ मान करके, एक महान परिवर्तन का प्रयास मान करके कार्यरत हैं। सुबह शुरू करते हैं, रात कब पूरा होगा, पता तक नहीं रहता है, लेकिन सब कर रहे हैं। और उसी का कारण है कि भारत इसमें सफल होगा, ये स्पष्ट दिखाई दे रहा है। और मैंने देखा है कि इतनी कठिनाइयों के बीच बैंक के, पोस्ट ऑफिस के सभी लोग काम कर रहे हैं। और जब मानवता के मुद्दे की बात आ जाए, तो वो दो क़दम आगे दिखाई देते हैं। किसी ने मुझे कहा कि खंडवा में एक बुज़ुर्ग इंसान का accident हो गया। अचानक पैसों की ज़रूरत पड़ गई। वहाँ स्थानीय बैंक के कर्मचारी के ध्यान में आया और मुझे ये जान करके खुशी हुई कि ख़ुद जाकर के उनके घर, उस बुज़ुर्ग को उन्होंने पैसे पहुँचाए, ताकि इलाज़ में मदद हो जाए। ऐसे तो अनगिनत किस्से हर दिन टी.वी. में, मीडिया में, अख़बारों में, बातचीत में सामने आते हैं। इस महायज्ञ के अन्दर परिश्रम करने वाले, पुरुषार्थ करने वाले इन सभी साथियों का भी मैं ह्रदय से धन्यवाद करता हूँ। शक्ति की पहचान तो तब होती है, जब कसौटी से पार उतरते हैं। मुझे बराबर याद है, जब प्रधानमंत्री के द्वारा जन-धन योजना का अभियान चल रहा था और बैंक के कर्मचारियों ने जिस प्रकार से उसको अपने कंधे पर उठाया था और जो काम 70 साल में नहीं हुआ था, उन्होंने करके दिखाया था। उनके सामर्थ्य का परिचय हुआ। आज फिर एक बार, उस चुनौती को उन्होंने लिया है और मुझे विश्वास है कि सवा-सौ करोड़ देशवासियों का संकल्प, सबका सामूहिक पुरुषार्थ, इस राष्ट्र को एक नई ताक़त बना करके प्रशस्त करेगा।

लेकिन बुराइयाँ इतनी फैली हुई हैं कि आज भी कुछ लोगों की बुराइयों की आदत जाती नहीं है। अभी भी कुछ लोगों को लगता है कि ये भ्रष्टाचार के पैसे, ये काले धन, ये बेहिसाबी पैसे, ये बेनामी पैसे, कोई-न-कोई रास्ता खोज करके व्यवस्था में फिर से ला दूँ। वो अपने पैसे बचाने के फ़िराक़ में गैर-क़ानूनी रास्ते ढूंढ़ रहे हैं। दुःख की बात ये है कि इसमें भी उन्होंने ग़रीबों का उपयोग करने का रास्ता चुनने का पसंद किया है। ग़रीबों को भ्रमित कर, लालच या प्रलोभन की बातें करके, उनके खातों में पैसे डाल करके या उनसे कोई काम करवा करके, पैसे बचाने की कुछ लोग कोशिश कर रहे हैं। मैं ऐसे लोगों से आज कहना चाहता हूँ - सुधरना, न सुधरना आपकी मर्ज़ी, क़ानून का पालन करना, न करना आपकी मर्ज़ी, वो क़ानून देखेगा क्या करना? लेकिन, मेहरबानी करके आप ग़रीबों की ज़िंदगी के साथ मत खेलिए। आप ऐसा कुछ न करें कि record पर ग़रीब का नाम आ जाए और बाद में जब जाँच हो, तब मेरा प्यारा ग़रीब आपके पाप के कारण मुसीबत में फँस जाए। और बेनामी संपत्ति का इतना कठोर क़ानून बना है, जो इसमें लागू हो रहा है, कितनी कठिनाई आएगी। और सरकार नहीं चाहती है कि हमारे देशवासियों को कोई कठिनाई आए।

मध्य प्रदेश के कोई श्रीमान आशीष ने इस पाँच सौ और हज़ार के माध्यम से भ्रष्टाचार और काले धन के ख़िलाफ़ जो लड़ाई छेड़ी गयी है, उन्होंने मुझे टेलीफ़ोन किया है, उसे सराहा है: -

“सर नमस्ते, मेरा नाम आशीष पारे है। मैं ग्राम तिराली, तहसील तिराली, ज़िला हरदा, मध्य प्रदेश का एक आम नागरिक हूँ। आप के द्वारा जो मुद्रा हज़ार-पाँच सौ के नोट बंद किए गए हैं, यह बहुत ही सराहनीय है। मैं चाहता हूँ कि ‘मन की बात’ में कई उदाहरण लोगों को बताइए कि लोगों ने असुविधा सहन करने के बावजूद भी उन्होंने राष्ट्र उन्नति के लिये यह कड़ा क़दम के लिए स्वागत किया है, जिससे लोग एक तरह से उत्साहवर्द्धित होंगे और राष्ट्र निर्माण के लिए cashless प्रणाली बहुत आवश्यक है और मैं पूरे देश के साथ हूँ और मैं बहुत खुश हूँ कि आपने हज़ार-पाँच सौ के नोट बंद करा दिए।’

वैसा ही मुझे एक फ़ोन कर्नाटक के श्रीमान येलप्पा वेलान्कर जी की तरफ़ से आया है: -

‘मोदी जी नमस्ते, मैं कर्नाटक का कोप्पल डिस्ट्रिक्ट का इस गाँव से येलप्पा वेलान्कर बात कर रहा हूँ। आपको मन से मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, क्योंकि आपने कहा था कि अच्छे दिन आएँगे, लेकिन किसी ने भी नहीं सोचा कि ऐसा बड़ा क़दम आप उठाएँगे। पाँच सौ का और हज़ार का नोट, ये सब देखकर के काला धन और भ्रष्टाचारियों को सबक सिखाया। हर एक भारत के नागरिक को इससे अच्छे दिन कभी नहीं आएँगे। इसी के लिए मैं आपको मनपूर्ण धन्यवाद करना चाहता हूँ।

कुछ बातें मीडिया के माध्यम से, लोगों के माध्यम से, सरकारी सूत्रों के माध्यम से जानने को मिलती हैं, तो काम करने का उत्साह भी बहुत बढ़ जाता है। इतना आनंद होता है, इतना गर्व होता है कि मेरे देश में सामान्य मानव का क्या अद्भुत सामर्थ्य है। महाराष्ट्र के अकोला में National Highway NH-6 वहाँ कोई एक restaurant है। उन्होंने एक बहुत बड़ा board लगाया है कि अगर आप की जेब में पुराने नोट हैं और आप खाना खाना चाहते हैं, तो आप पैसों की चिंता न करें, यहाँ से भूखा मत जाइए, खाना खा के ही जाइए और फिर कभी इस रास्ते से गुजरने का आ जाए आपको मौका, तो ज़रूर पैसे दे कर के जाना। और लोग वहाँ जाते हैं, खाना खाते हैं और 2-4-6 दिन के बाद जब वहाँ से फिर से गुजरते हैं, तो फिर से पैसे भी लौटा देते हैं। ये है मेरे देश की ताक़त, जिसमें सेवा-भाव, त्याग-भाव भी है और प्रामाणिकता भी है।

मैं चुनाव में चाय पर चर्चा करता था और सारे विश्व में ये बात पहुँच गई थी। दुनिया के कई देश के लोग चाय पर चर्चा शब्द भी बोलना सीख गए थे। लेकिन मुझे पता नहीं कि चाय पर चर्चा में, शादी भी होती है। मुझे पता चला कि 17 नवम्बर को सूरत में, एक ऐसी शादी हुई, जो शादी चाय पर चर्चा के साथ हुई। गुजरात में सूरत में एक बेटी ने अपने यहाँ शादी में जो लोग आए, उनको सिर्फ़ चाय पिलाई और कोई जलसा नहीं किया, न कोई खाने का कार्यक्रम, कुछ नहीं - क्योंकि नोटबंदी के कारण कुछ कठिनाई आई थी पैसों की। बारातियों ने भी उसे इतना ही सम्मान माना। सूरत के भरत मारू और दक्षा परमार - उन्होंने अपनी शादी के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ़, काले धन के खिलाफ़, ये जो लड़ाई चल रही है, उसमें जो योगदान किया है, ये अपने आप में प्रेरक है। नवपरिणीत भरत और दक्षा को मैं बहुत-बहुत आशीर्वाद भी देता हूँ और शादी के मौके को भी इस महान यज्ञ में परिवर्तित करके एक नये अवसर में पलट देने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। और जब ऐसे संकट आते हैं, लोग रास्ते भी बढ़िया खोज लेते हैं।

मैंने एक बार टीवी न्यूज़ में देखा, रात देर से आया था, तो देख रहा था। असम में धेकियाजुली करके एक छोटा सा गाँव है। Tea-worker रहते हैं और Tea-worker को साप्ताहिक रूप से पैसे मिलते हैं। अब 2000 रुपये का नोट मिला, तो उन्होंने क्या किया? चार अड़ोस-पड़ोस की महिलायें इकट्ठी हो गयी और चारों ने साथ जाकर के ख़रीदी की और 2000 रुपये का नोट payment किया, तो उनको छोटी currency की जरुरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि चारों ने मिलकर ख़रीदा और तय किया कि अगले हफ़्ते मिलेंगे, तब उसका हिसाब हम कर लेंगे बैठ करके। लोग अपने-आप रास्ते खोज रहे हैं। और इसका बदलाव भी देखिए! सरकार के पास एक message आया, असम के Tea garden के लोग कह रहे हैं कि हमारे यहाँ ATM लगाओ। देखिए, किस प्रकार से गाँव के जीवन में भी बदलाव आ रहा है। इस अभियान का कुछ लोगों को तत्काल लाभ मिल गया है। देश को तो लाभ आने वाले दिनों में मिलेगा, लेकिन कुछ लोगों को तो तत्काल लाभ मिल गया है। थोड़ा हिसाब पूछा, क्या हुआ है, तो मैंने छोटे-छोटे जो शहर हैं, वहाँ की थोड़ी जानकारी पाई। क़रीब 40-50 शहरों की जानकारी जो मुझे मिली कि इस नोट बंद करने के कारण उनके जितने पुराने पैसे बाक़ी थे, लोग पैसे नहीं देते थे tax के - पानी का tax नहीं, बिजली का नहीं, पैसे देते ही नहीं थे और आप भली-भाँति जानते हैं - ग़रीब लोग 2 दिन पहले जा कर के पाई-पाई चुकता करने की आदत रखते हैं। ये जो बड़े लोग होते हैं न, जिनकी पहुँच होती है, जिनको पता है कि कभी भी उनको कोई पूछने वाला नहीं है, वो ही पैसे नहीं देते हैं। और इसके लिए काफ़ी बकाया रहता है। हर municipality को tax का मुश्किल से 50% आता है। लेकिन इस बार 8 तारीख़ के इस निर्णय के कारण सब लोग अपने पुराने नोटें जमा कराने के लिए दौड़ गए। 47 शहरी इकाइयों में पिछले साल इस समय क़रीब तीन-साढ़े तीन हज़ार करोड़ रुपये का tax आया था। आपको जान कर के आश्चर्य होगा, आनंद भी होगा - इस एक सप्ताह में उनको 13 हज़ार करोड़ रुपये जमा हो गया। कहाँ तीन-साढ़े तीन हज़ार और कहाँ 13 हज़ार! और वो भी सामने से आकर के। अब उन municipality में 4 गुना ये पैसा आ गया, तो स्वाभाविक है, ग़रीब बस्तियों में गटर की व्यवस्था होगी, पानी की व्यवस्था होगी, आंगनबाड़ी की व्यवस्था होगी। ऐसे तो कई उदाहरण मिल रहे हैं कि जिसमें इसका सीधा-सीधा लाभ भी नज़र आने लगा है।

भाइयो-बहनो, हमारा गाँव, हमारा किसान ये हमारे देश की अर्थव्यवस्था की एक मज़बूत धुरी हैं। एक तरफ़ अर्थव्यवस्था के इस नये बदलाव के कारण, कठिनाइयों के बीच, हर कोई नागरिक अपने आपको adjust कर रहा है। लेकिन मैं मेरे देश के किसानों का आज विशेष रूप से अभिनंदन करना चाहता हूँ। अभी मैं इस फ़सल की बुआई के आँकड़े ले रहा था। मुझे ख़ुशी हुई, चाहे गेहूँ हो, चाहे दलहन हो, चाहे तिलहन हो; नवम्बर की 20 तारीख़ तक का मेरे पास हिसाब था, पिछले वर्ष की तुलना में काफ़ी मात्रा में बुआई बढ़ी है। कठिनाइयों के बीच भी, किसान ने रास्ते खोजे हैं। सरकार ने भी कई महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं, जिसमें किसानों को और गाँवों को प्राथमिकता दी है। उसके बाद भी कठिनाइयाँ तो हैं, लेकिन मुझे विश्वास है कि जो किसान हमारी हर कठिनाइयाँ, प्राकृतिक कठिनाइयाँ हो, उसको झेलते हुए भी हमेशा डट करके खड़ा रहता है, इस समय भी वो डट करके खड़ा है।

हमारे देश के छोटे व्यापारी, वे रोजगार भी देते हैं, आर्थिक गतिविधि भी बढ़ाते हैं। पिछले बजट में हमने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया था कि बड़े-बड़े mall की तरह गाँव के छोटे-छोटे दुकानदार भी अब चौबीसों घंटा अपना व्यापार कर सकते हैं, कोई क़ानून उनको रोकेगा नहीं। क्योंकि मेरा मत था, बड़े-बड़े mall को 24 घंटे मिलते हैं, तो गाँव के ग़रीब दुकानदार को क्यों नहीं मिलना चाहिये? मुद्रा-योजना से उनको loan देने की दिशा में काफी initiative लिए। लाखों-करोड़ों रुपये मुद्रा-योजना से ऐसे छोटे-छोटे लोगों को दिए, क्योंकि ये छोटा कारोबार, करोड़ों की तादाद में लोग करते हैं और अरबों-खरबों रुपये के व्यापार को गति देते हैं। लेकिन इस निर्णय के कारण उनको भी कठिनाई होना स्वाभाविक था। लेकिन मैंने देखा है कि अब तो हमारे इन छोटे-छोटे व्यापारी भी technology के माध्यम से, Mobile App के माध्यम से, मोबाइल बैंक के माध्यम से, क्रेडिट कार्ड के माध्यम से, अपने-अपने तरीक़े से ग्राहकों की सेवा कर रहे हैं, विश्वास के आधार पर भी कर रहे हैं। और मैं अपने छोटे व्यापारी भाइयो-बहनों से कहना चाहता हूँ कि मौका है, आप भी digital दुनिया में प्रवेश कर लीजिए। आप भी अपने मोबाइल फ़ोन पर बैंकों की App download कर दीजिए। आप भी क्रेडिट कार्ड के लिए POS मशीन रख लीजिए। आप भी बिना नोट कैसे व्यापार हो सकता है, सीख लीजिए। आप देखिए, बड़े-बड़े मॉल technology के माध्यम से अपने व्यापार को जिस प्रकार से बढ़ाते हैं, एक छोटा व्यापारी भी इस सामान्य user friendly technology से अपना व्यापार बढ़ा सकता है। बिगड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता है, बढ़ाने का अवसर है। मैं आप को निमंत्रण देता हूँ कि cashless society बनाने में आप बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं, आप अपने व्यापार को बढ़ाने में, mobile phone पर पूरी banking व्यवस्था खड़ी कर सकते हैं और आज नोटों के सिवाय अनेक रास्ते हैं, जिससे हम कारोबार चला सकते हैं। technological रास्ते हैं, safe है, secure है और त्वरित है। मैं चाहूँगा कि आप सिर्फ़ इस अभियान को सफल करने के लिए मदद करें, इतना नहीं, आप बदलाव का भी नेतृत्व करें और मुझे विश्वास है, आप बदलाव का नेतृत्व कर सकते हैं। आप पूरे गाँव के कारोबार में ये technology के आधार पर काम कर सकते हैं, मेरा विश्वास है।I मैं मज़दूर भाइयों-बहनों को भी कहना चाहता हूँ, आप का बहुत शोषण हुआ है। कागज़ पर एक पगार होता है और जब हाथ में दिया जाता है, तब दूसरा होता है। कभी पगार पूरा मिलता है, तो बाहर कोई खड़ा होता है, उसको cut देना पड़ता है और मज़दूर मजबूरन इस शोषण को जीवन का हिस्सा बना देता है। इस नई व्यवस्था से हम चाहते हैं कि आपका बैंक में खाता हो, आपके पगार के पैसे आपके बैंक में जमा हों, ताकि minimum wages का पालन हो। आपको पूरा पैसा मिले, कोई cut ना करे। आपका शोषण न हो। और एक बार आपके बैंक खाते में पैसे आ गए, तो आप भी तो छोटे से मोबाइल फ़ोन पर - कोई बड़ा smart phone की ज़रूरत नहीं हैं, आजकल तो आपका mobile phone भी ई-बटुवे का काम करता है - आप उसी mobile phone से अड़ोस-पड़ोस की छोटी-मोटी दुकान में जो भी खरीदना है, खरीद भी सकते हैं, उसी से पैसे भी दे सकते हैं। इसलिए मैं मज़दूर भाइयों-बहनों को इस योजना में भागीदार बनने के लिए विशेष आग्रह करता हूँ, क्योंकि आखिरकार इतना बड़ा मैंने निर्णय देश के ग़रीब के लिये, किसान के लिये, मज़दूर के लिये, वंचित के लिये, पीड़ित के लिये लिया है, उसका benefit उसको मिलना चाहिए।

आज मैं विशेष रूप से युवक मित्रों से बात करना चाहता हूँ। हम दुनिया में गाजे-बाजे के साथ कहते हैं कि भारत ऐसा देश है कि जिसके पास 65% जनसंख्या, 35 साल से कम उम्र की है। आप मेरे देश के युवा और युवतियाँ, मैं जानता हूँ, मेरा निर्णय तो आपको पसन्द आया है। मैं ये भी जानता हूँ कि आप इस निर्णय का समर्थन करते हैं। मैं ये भी जानता हूँ कि आप इस बात को सकारात्मक रूप से आगे बढ़ाने के लिए बहुत योगदान भी करते हैं। लेकिन दोस्तो, आप मेरे सच्चे सिपाही हो, आप मेरे सच्चे साथी हो। माँ भारती की सेवा करने का एक अद्भुत मौका हमारे सामने आया है, देश को आर्थिक ऊंचाइयों पर ले जाने का अवसर आया है। मेरे नौजवानो, आप मेरी मदद कर सकते हो क्या? मुझे साथ दोगे, इतने से बात बनने वाली नहीं है। जितना आज की दुनिया का अनुभव आपको है, पुरानी पीढ़ी को नहीं है। हो सकता है, आपके परिवार में बड़े भाई साहब को भी मालूम नहीं होगा और माता-पिता, चाचा-चाची, मामा-मामी को भी शायद मालूम नहीं होगा। आप App क्या होती है, वो जानते हो, online banking क्या होता है, जानते हो, online ticket booking कैसे होता है, आप जानते हो। आपके लिये चीज़ें बहुत सामान्य हैं और आप उपयोग भी करते हो। लेकिन आज देश जिस महान कार्य को करना चाहता है, हमारा सपना है cashless society. ये ठीक है कि शत-प्रतिशत cashless society संभव नहीं होती है। लेकिन क्यों न भारत less-cash society की तो शुरुआत करे। एक बार अगर आज हम less-cash society की शुरुआत कर दें, तो cashless society की मंज़िल दूर नहीं होगी। और मुझे इसमें आपकी physical मदद चाहिए, ख़ुद का समय चाहिए, ख़ुद का संकल्प चाहिए। और आप मुझे कभी निराश नहीं करोगे, मुझे विश्वास है, क्योंकि हम सब हिंदुस्तान के ग़रीब की ज़िंदगी बदलने की इच्छा रखने वाले लोग हैं। आप जानते हैं, cashless society के लिये, digital banking के लिये या mobile banking के लिये आज कितने सारे अवसर हैं। हर बैंक online सुविधा देता है। हिंदुस्तान के हर एक बैंक की अपनी mobile app है। हर बैंक का अपना wallet है। wallet का सीधा-सीधा मतलब है e-बटुवा। कई तरह के card उपलब्ध हैं। जन-धन योजना के तहत भारत के करोड़ों-करोड़ ग़रीब परिवारों के पास Rupay Card है और 8 तारीख़ के बाद तो जो Rupay Card का बहुत कम उपयोग होता था, गरीबों ने Rupay Card का उपयोग करना शुरू किया और क़रीब-करीब 300% उसमें वृद्धि हुई है। जैसे mobile phone में prepaid card आता है, वैसा बैंकों में भी पैसा ख़र्च करने के लिये prepaid card मिलता है। एक बढ़िया platform है, कारोबार करने की UPI, जिससे आप ख़रीदी भी कर सकते हैं, पैसे भी भेज सकते हैं, पैसे ले भी सकते हैं। और ये काम इतना simple है जितना कि आप WhatsApp भेजते हैं। कुछ भी ना पढ़ा-लिखा व्यक्ति होगा, उसको भी आज WhatsApp कैसे भेजना है, वो आता है, forward कैसे करना है, आता है। इतना ही नहीं, technology इतनी सरल होती जा रही है कि इस काम के लिए कोई बड़े smart phone की भी आवश्यकता नहीं है। साधारण जो feature phone होता है, उससे भी cash transfer हो सकती है। धोबी हो, सब्ज़ी बेचनेवाला हो, दूध बेचनेवाला हो, अख़बार बेचनेवाला हो, चाय बेचनेवाला हो, चने बेचनेवाला हो, हर कोई इसका आराम से उपयोग कर सकता है। और मैंने भी इस व्यवस्था को और अधिक सरल बनाने के लिए और ज़ोर दिया है। सभी बैंक इस पर लगी हुई हैं, कर रही हैं। और अब तो हमने ये online surcharge का भी ख़र्चा आता था, वो भी cancel कर दिया है। और भी इस प्रकार के कार्ड वगैरह का जो ख़र्चा आता था, उसे आपने देखा होगा पिछले 2-4 दिन में अख़बारों में, सारे ख़र्चे ख़त्म कर दिए, ताकि cashless society की movement को बल मिले।

मेरे नौजवान दोस्तो, ये सब होने के बाद भी एक पूरी पीढ़ी ऐसी है कि जो इससे अपरिचित है। और आप सभी लोग, मैं भली-भांति जानता हूँ, इस महान कार्य में सक्रिय हैं। WhatsApp पर जिस प्रकार के creative message आप देते हैं - slogan, कवितायेँ, किस्से, cartoon, नयी-नयी कल्पना, हंसी-मज़ाक - सब कुछ मैं देख रहा हूँ और चुनौतियों के बीच ये हमारी युवा पीढ़ी की जो सृजन शक्ति है, तो ऐसा लग रहा है, जैसे ये भारत भूमि की विशेषता है कि किसी ज़माने में युद्ध के मैदान में गीता का जन्म हुआ था, वैसे ही आज इतने बड़े बदलाव के काल से हम गुजर रहे हैं, तब आपके अन्दर भी मौलिक creativity प्रकट हो रही है। लेकिन मेरे प्यारे नौजवान मित्रो, मैं फिर एक बार कहता हूँ, मुझे इस काम में आपकी मदद चाहिए। जी-जी-जी, मैं दुबारा कहता हूँ, मुझे आपकी मदद चाहिए और आप, आप मुझे विश्वास है मेरे देश के करोड़ों नौजवान इस काम को करेंगे। आप एक काम कीजिए, आज से ही संकल्प लीजिए कि आप स्वयं cashless society के लिए ख़ुद एक हिस्सा बनेंगे। आपके mobile phone पर online ख़र्च करने की जितनी technology है, वो सब मौजूद होगी। इतना ही नहीं, हर दिन आधा-घंटा, घंटा, दो घंटा निकाल करके कम से कम 10 परिवारों को आप ये technology क्या है, technology का कैसे उपयोग करते हैं, कैसे अपनी बैंकों की App download करते हैं? अपने खाते में जो पैसे पड़े हैं, वो पैसे कैसे ख़र्च किए जा सकते हैं? कैसे दुकानदार को दिए जा सकते हैं? दुकानदार को भी सिखाइये कि कैसे व्यापार किया जा सकता है? आप स्वेच्छा से इस cashless society, इन नोटों के चक्कर से बाहर लाने का महाभियान, देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का अभियान, काला-धन से मुक्ति दिलाने का अभियान, लोगों को कठिनाइयों-समस्याओं से मुक्त करने का अभियान - इसका नेतृत्व करना है आपको। एक बार लोगों को Rupay Card का उपयोग कैसे हो, ये आप सिखा देंगे, तो ग़रीब आपको आशीर्वाद देगा। सामान्य नागरिक को ये व्यवस्थायें सिखा दोगे, तो उसको तो शायद सारी चिंताओं से मुक्ति मिल जाएगी और ये काम अगर हिंदुस्तान के सारे नौजवान लग जाएँ, मैं नहीं मानता हूँ, ज्यादा समय लगेगा। एक महीने के भीतर-भीतर हम विश्व के अन्दर एक नये आधुनिक हिंदुस्तान के रूप में खड़े हो सकते हैं और ये काम आप अपने mobile phone के ज़रिये कर सकते हो, रोज़ 10 घरों में जाकर के कर सकते हो, रोज़ 10 घरों को इसमें जोड़ करके कर सकते हो। मैं आपको निमंत्रण देता हूँ – आइए, सिर्फ समर्थन नहीं, हम इस परिवर्तन के सेनानी बनें और परिवर्तन लेकर ही रहेंगे। देश को भ्रष्टाचार और काले-धन से मुक्त करने की ये लड़ाई को हम आगे बढ़ाएँगे और दुनिया में बहुत देश हैं, जहाँ के नौजवानों ने उस राष्ट्र के जीवन को बदल दिया है और ये बात माननी पड़ेगी, जो बदलाव लाता है, वो नौजवान लाता है, क्रांति करता है, वो युवा करता है। केन्या, उसने बीड़ा उठाया, M-PESA ऐसी एक mobile व्यवस्था खड़ी की, technology का उपयोग किया, M-PESA नाम रखा और आज क़रीब-क़रीब Africa के इस इलाक़े में केन्या में पूरा कारोबार इस पर shift होने की तैयारी में आ गया है। एक बड़ी क्रांति की है इस देश ने।

मेरे नौजवानो, मैं फिर एक बार, फिर एक बार बड़े आग्रह से आपको कहता हूँ कि आप इस अभियान को आगे बढ़ाइए। हर school, college, university, NCC, NSS, सामूहिक रूप से, व्यक्तिगत रूप से इस काम को करने के लिए मैं आपको निमंत्रण देता हूँ। हम इस बात को आगे बढ़ाएँ। देश की उत्तम सेवा करने का हमें अवसर मिला है, मौक़ा गंवाना नहीं है।

प्यारे भाइयो-बहनो, हमारे देश के एक महान कवि - श्रीमान हरिवंशराय बच्चन जी का आज जन्म-जयंती का दिन है और आज हरिवंशराय जी के जन्मदिन पर श्रीमान अमिताभ बच्चन जी ने “स्वच्छता अभियान” के लिये एक नारा दिया है। आपने देखा होगा, इस सदी के सर्वाधिक लोकप्रिय कलाकार अमिताभ जी स्वच्छता के अभियान को बहुत जी-जान से आगे बढ़ा रहे हैं। जैसे लग रहा है कि स्वच्छता का विषय उनके रग-रग में फैल गया है और तभी तो अपने पिताजी की जन्म-जयंती पर भी उनको स्वच्छता का ही काम याद आयाI उन्होंने लिखा है कि हरिवंशराय जी की एक कविता है और उसकी एक पंक्ति उन्होंने लिखी है ”मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन, मेरा परिचय।“ हरिवंशराय जी इसके माध्यम से अपना परिचय दिया करते थेI ‘मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन, मेरा परिचय’, तो उनके सुपुत्र श्रीमान अमिताभ जी ने, जिसकी रगों में स्वच्छता का mission दौड़ रहा है, उन्होंने मुझे लिखकर के भेजा है हरिवंशराय जी की कविता का उपयोग करते हुए - “‘स्वच्छ तन, स्वच्छ मन, स्वच्छ भारत, मेरा परिचय”’। मैं हरिवंशराय जी को आदर-पूर्वक नमन करता हूँ। श्रीमान अमिताभ जी को भी ‘मन की बात’ में इस प्रकार से जुड़ने के लिये और स्वच्छता के काम को आगे बढ़ाने के लिये भी धन्यवाद करता हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियो, अब तो ‘मन की बात’ के माध्यम से आपके विचार, आपकी भावनायें आपके पत्रों के माध्यम से, MyGov पर, NarendraModiApp पर लगातार मुझे आपको जोड़ करके रखती हैं। अब तो 11 बजे ये ‘मन की बात’ होती है, लेकिन प्रादेशिक भाषाओं में इसे पूरा करने के तुरंत बाद शुरू करने वाले हैं। मैं आकाशवाणी का आभारी हूँ, ये नया उन्होंने जो Initiative लिया है, ताकि जहाँ पर हिंदी भाषा प्रचलित नहीं है, वहाँ के भी मेरे देशवासियों को ज़रूर इससे जुड़ने का अवसर मिलेगा। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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