आंध्र प्रदेश, गुजरात व राजस्थान के 89 नगरों के लिए अटल मिशन को मंजूरी


शहरी विकास मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश, गुजरात एवं राजस्थान के 89 नगरों के लिए 2,786 करोड़ रुपये के बराबर की अमृत परियोजनाओं के पहले समूह को मंजूरी दी 

पर्याप्त जल आपूर्ति एवं सीवरेज नेटवर्क सुनिश्चित करने पर फोकस

केन्द्र सरकार 1,356 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान करेगी

सीवरेज परियोजनाओं के लिए 1,471 करोड़ रुपये तथा जल आपूर्ति योजनाओं के लिए 1,225 करोड़ रुपये

मंत्रालय ने राज्यों से सभी उपभोक्ताओं को पानी का मीटर सुनिश्चित करने को कहा

शहरी विकास मंत्रालय ने पुनरोद्धार एवं शहरी रूपांतरण के लिए अटल मिशन (अमृत) के तहत राज्य स्तरीय कार्य योजनाओं के पहले समूह को मंजूरी दे दी है। इनका उद्देश्य नियमों के अनुसार जल आपूर्ति सुनिश्चित करना तथा सभी शहरी परिवारों को जलापूर्ति एवं सीवरेज कनेक्शन मुहैया कराना है। शहरी विकास सचिव श्री मधुसूदन प्रसाद की अध्यक्षता में अमृत की एक अंतः मंत्रीस्तरीय शीर्ष समिति ने कल आंध्र प्रदेश, गुजरात एवं राजस्थान राज्यों के 89 नगरों के लिए 2,786 करोड़ रुपये के बराबर की परियोजना को मंजूरी दी।

ऐसा पहली बार हुआ है कि शहरी विकास मंत्रालय ने राज्य स्तरीय योजनाओँ को मंजूरी दी है। इससे पहले अभी तक एकल परियोजनाओं का मूल्यांकन करने तथा उन्हें मंजूरी देने का प्रचलन था।

मंजूरी प्राप्त कार्य योजनाओं की इन तीन राज्यों के 89 अमृत नगरों में कुल 143 परियोजनाएं हैं। इनमें 47 योजनाएं जलापूर्ति कनेक्शन सुनिश्चित करने और जल की आपूर्ति बढ़ाने से संबंधित हैं जबकि 31 परियोजनाएं चिन्हित नगरों एवं शहरों में सीवरेज नेटवर्क सेवाओं के विस्तार से संबंधित हैं। शेष परियोजनाएं आंधी जल निकासी, शहरी, परिवहन तथा हरित स्थलों एवं उद्यानों से संबंधित हैं।

सीवरेज परियोजनाओँ को सबसे अधिक 1471.07 करोड़ रूपये प्राप्त हुए जबकि जल आपूर्ति संबंधित योजनाओं के लिए 1225 करोड़ रूपये की मंजूरी दी गयी।

अमृत की शीर्ष समिति ने तीन राज्यों के लिए वित्त वर्ष 2015-16 के लिए राज्य वार्षिक कार्य योजनाओं (एसएएपी) को मंजूरी दी। गुजरात द्वारा प्रस्तावित एसएएपी में 1204.42 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता थी जबकि राजस्थान के लिए 909 करोड़ रुपये तथा आंध्र प्रदेश के लिए 662.86 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव रखा गया।

मंजूरी प्राप्त एसएएपी के तहत गुजरात 916 करोड़ रुपये की लागत से 25 अमृत नगरों में सीवरेज परियोजनाएं शुरू करेगा तथा 233.65 करोड़ रुपये की लागत से 11 शहरों में जलापूर्ति योजनाएं प्रारंभ करेगा।

राजस्थान 555 करोड़ रुपये की लागत से 6 नगरों में सीवरेज योजनाएं शुरू करेगा तथा 344 करोड़ रुपये की लागत से 10 नगरों में जलापूर्ति परियोजनाएं प्रारंभ करेगा।

आंध्र प्रदेश 646.29 करोड़ रुपये की लागत से 26 नगरों में जलापूर्ति परियोजनाएं प्रारंभ करेगा तथा 16.57 करोड़ रुपये की लागत से 30 नगरों में हरित स्थलों एवं उद्यानों का प्रावधान करेगा।

अमृत के तहत केन्द्र सरकार 10 लाख प्रत्येक की आबादी वाले नगरों के लिए परियोजनाओं की लागत के 50 फीसदी की सहायता देगी और 10 लाख प्रत्येक से अधिक की आबादी वाले नगरों के लिए परियोजना लागत की एक तिहाई का व्यय वहन करेगी। परियोजना लागत की शेष राशि का भाग राज्यों एवं शहरी स्थानीय निकायों द्वारा वहन की जाएगी। इन नियमों के अनुसार तीन राज्यों में मंजूरी प्राप्त परियोजनाओं के लिए केन्द्रीय सहायता 1,356.23 करोड़ रुपये के बराबर की होगी।

शीर्ष समिति ने तीन घंटे तक चले विचार-विमर्शों एवं राज्यों द्वारा प्रस्तावित योजनाओँ की जांच करने के बाद इन तीनों राज्यों के एसएएपी को मंजूरी दी। प्रत्येक राज्य का एसएएपी संबंधित राज्यों में सभी अटल मिशन नगरों की सभी नगर स्तरीय सेवा स्तर बेहतरी योजनाओं (एसएलआईपी) का समेकन है।

नगर स्तरीय एसएलआईपी का निर्माण जलापूर्ति, सीवरेज नेटवर्क सेवाओं, तूफान जल निकासी, शहरी परिवहन आदि से संबंधित बुनियादी ढांचे की उपलब्धता में अंतरालों के विस्तृत आकलन के आधार पर किया जाता है।

शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन 135 लीटर पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना तथा सभी शहरी परिवारों को जलापूर्ति एवं सीवरेज कनेक्शन मुहैया कराना राष्ट्रीय प्राथमिकता है जिसे हासिल करना अटल मिशन का ध्येय है।

शहरी विकास सचिव श्री मधुसूदन प्रसाद ने सभी राज्यों से बिना शुल्क लिए (गैर-राजस्व जल) जल आपूर्ति के बेहतर प्रबंधन तथा जल आपूर्ति में कमी के लिए शहरी क्षेत्रों में सभी उपभोक्ताओँ के लिए पानी का मीटर सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। राज्यों से कहा गया है कि वे अगले वर्ष के बाद से इस पर ध्यान केन्द्रित करें।

अटल मिशन के तहत गुजरात के लिए 118.03 करोड़ रुपये, राजस्थान के लिए 91.90 करोड़ रुपये तथा आंध्र प्रदेश के लिए 66.29 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता की पहली किस्त जल्दी ही जारी कर दी जाएगी।
राज्यों ने इनके लिए समयसीमा सहित 11 सुधारों के एक समूह के क्रियान्वयन पर एक विस्तृत प्रस्तुतिकरण पेश किया। आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान 22.23 करोड़ रुपये की लागत से शहरी स्थानीय निकायों के क्षमता निर्माण का काम भी शुरू करेंगे।

भारतीय रेल के आ गए अच्छे दिन, पढ़िए कैसे ?


रेल पटरियों की त्रुटियों का समय पर पता लगाने के लिए स्थिति आधारित निगरानी प्रणाली लागू करने की भारतीय रेल की योजना 

रेलवे बोर्ड के मेंबर मैकेनिकल ने इस निगरानी प्रणाली को रेलगाड़ियों के संचालनों में सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया 

बिजली एवं डीजल दोनों से चलने वाली एक लोकोमोटिव का भी विकास किया जा रहा है 

रेलवे बोर्ड के मेंबर मैकेनिकल श्री हेमंत कुमार ने आज रेलवे के मैकेनिकल डायरेक्टोरेक्ट द्वारा हाल में शुरू की गई नवीन पहलों की सूची की जानकारी देने के लिए यहां एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया। श्री हेमंत कुमार ने कहा कि रेलवे, रेल पटरियों की त्रुटियों का समय पर पता लगाने के लिए तथा पटरियों की स्थानीय रूप से निगरानी करने के लिए एक स्थिति आधारित निगरानी प्रणाली लागू करने की योजना बना रही है। श्री हेमंत कुमार ने रेल ईटीरियरों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एवं अंतर्राष्ट्रीय रेल उपकरण प्रदर्शनी (आईआरईई) नामक हाल में आयोजित दो सम्मेलनों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। श्री हेमंत कुमार ने यह भी बताया कि वाराणसी के डीजल लोकोमोटिव वर्क्स में बिजली एवं डीजल दोनों से चलने वाली एक लोकोमोटिव का भी विकास किया जा है। यह लोको न केवल संचालनों को अधिक लचीला बनाकर प्रवाह क्षमता बनाएगा, बल्कि इसका परिणाम ईंधन की बचत के रूप में भी सामने आएगा। रेलवे बोर्ड के मेंबर मैकेनिकल द्वारा उद्धृत बिन्दुओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार हैः

1. हाल के सम्मेलन:

क. रेल ईटीरियरों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन- का आयोजन 9 एवं 10 अक्टूबर, 2015 को कोच ईंटीरियरों में नई अवधारणाओं और प्रौद्योगिकियों को साझा करने एवं संभावनाओं की तलाश करने के लिए किया गया था, जिसका उद्देश्य यात्रियों को बेहतर आराम एवं सुरक्षा मुहैया कराना था।

ख. अंतर्राष्ट्रीय रेल उपकरण प्रदर्शनी (आईआरईई)- का आयोजन 14 से 16 अक्टूबर, 2015 तक भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से किया गया। आईआरईई के लिए जापान साझेदार देश था। इसमें 20 देशों के प्रदर्शकों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया और रेलवे से संबंधित नवीनतम प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित करते हुए लगभग 400 स्टॉल लगाए गए।

इन दोनों सम्मेलनों में कोच ईंटीरियरों के लिए निम्नलिखित विषयों की पहचान की गई, जिससे कि वेंडरों का और अधिक मूल्यांकन, क्रियान्वयन और विकास किया जा सकेः

  1. टिकाऊ और अग्निरोधी कुशनों जैसी नई फर्निशिंग सामग्रियां
  2. श्रम-दक्षता की दृष्टि से डिजाइन किए गए बर्थ एवं सीट
  3. आग का पता लगाने एवं उसे बुझाने की प्रणालियां
  4. कोच के विभाजन एवं दीवारों के लिए नई सामग्री एवं डिजाइन की अवधारणा
  5. स्क्रैच रोधी कोटिंग्स
  6. थर्मल एवं ध्वनि रोधक सामग्रियां एवं पेन्टस चादरों के लिए गंदगी रोधी एवं टिकाऊ सामग्रियां
  7. ज्ञानरंजन प्रणालियां
  8. सुरक्षा प्रणालियां
  9. कंपोजिट्स जैसी हल्के वजन की सामग्रियां


इन विषयों का और आगे अनुसरण किया जाएगा तथा उनके क्रियान्वयन योजना पर एक महीन के भीतर फैसला कर लिया जाएगा।

2. स्थिति आधारित निगरानी प्रणाली:

भारतीय रेलवे रेल पटरियों की त्रुटियों का समय पर पता लगाने के लिए तथा पटरियों की स्थानीय रूप से निगरानी करने के लिए एक स्थिति आधारित निगरानी प्रणाली लागू करने की योजना बना रही है। इस प्रणाली में दो उप-प्रणालियां-ऑनबोर्ड प्रणाली तथा रोडसाइड प्रणाली। ऑनबोर्ड प्रणाली रॉलर बियरिंग्स, कोच संस्पेंशन एवं अस्थानीय पटरियों से संबंधित त्रुटियों का पता लगाएगी, जबकि रोडसाइड प्रणाली पहियों की त्रुटियों, लटकते हिस्सों, टूटे स्प्रंगस आदि का पता लगाएगी।

कोच के पानी के टेंकों में जल स्तर संकेतक लगाने की योजना है, जिससे कि यात्रियों को होने वाली असुविधाओं को समय पर दूर किया जा सके। टेंक भरते समय यह जल की बर्बादी को भी कम करने में सहायक होगा।

3. यात्रियों की सुविधा के लिए अन्य कदम

i) रेलगाडि़यों में सफाई के लिए उठाए गए कदम

ऑन बोर्ड हाउस कीपिंग सेवाएं (ओबीएचएस):

कुल मिलाकर 571 रेलगाडि़यों में यह सुविधा उपलब्‍ध कराई है जिसमें 2015-16 के दौरान उपलब्‍ध कराई गई 46 रेलगाडि़यां भी शामिल हैं। 140 अन्‍य रेलगाडि़यों की भी इसके लिए पहचान की गई है इससे यह सुविधा वाली रेलगाडि़यों की कुल संख्‍या 711 हो जाएगी। ओबीएचएस के प्रावधान के मानदंडों को अब अभी हाल ही में संशोधित किया गया है जिससे सभी मुख्‍य रेलगाडि़यों में यह सुविधाएं लागू की जा सकें। ऐसा करने से लगभग 414 और अधिक रेलागाडि़यों में यह सुविधा उपलब्‍ध होने से 2016-17 तक ऐसी रेलगाडि़यों की कुल संख्‍या 1125 हो जाएगी।

स्‍वच्‍छ रेल स्‍टेशन योजना (सीटीएस):

भारतीय रेलों में पहचान किए गए 43 स्‍थलों में से 37 सीटीएस कार्यरत हैं और शेष स्‍टेशनों के लिए निविदाएं प्रक्रियाधीन हैं।

रेलगाडि़यों में कचरा निस्‍तारण थैलों का प्रावधान:

ए. मध्‍य और उत्‍तरी रेलवे में बजट घोषित, पायलट परीक्षण पहले ही शुरू हो चुके हैं। कुछ रेलगाडि़यों में परीक्षण की योजना है।
बी.  दोहरे उद्देश्‍य के लिए लीनेन थैलों को पुन: डिजाइन किया गया है।
सी. यात्रियों से सकारात्‍मक फीडबैक मिल रहा है।

लांड्रीज:

·ए. 38 लांड्रीज पहले स्‍थापित की जा चुकी हैं। इस वर्ष लगभग 10 और लांड्री शुरू किए जाने की उम्‍मीद है। अगले दो वर्षों के दौरान कुल 64 लांड्रीज स्‍थापित करने की योजना है।

·बी. मैसूर, चंडीगढ़, लखनऊ, वाराणसी, डिब्रूगढ़, अमृतसर और तिरूपति में कार्य प्रगति पर है।
·
ii) डिब्‍बों में बायो-टॉयलट का प्रावधान:

अभी तक 8700 डिब्‍बों में 25,500 बायो-टॉयलेट फिट किए गए हैं। इनमें से इस वर्ष सितंबर तक 5700 बायो-टॉयलेट फिट किए गए हैं। इंटेग्रल कोच फैक्‍ट्री और रेलकोच फैक्‍ट्री कपूरथला अब सभी डिब्‍बों में केवल बायो-टॉयलेट ही लगा रहा है।

iii) अनुभूति डिब्‍बों का निर्माण:

बजट में घोषित अनुभूति क्‍लास रेल डिब्‍बों (प्रोटोटाइप) की आईसीएफ चेन्‍नई में योजना बनाई गई है।

iv) उन्‍नत इंटीरियर वाले मॉडल रेक:

उन्‍नत सुविधाओं युक्‍त पहले मॉडल रेक को बीपीएल वर्कशाप में तैयार किया जाएगा।

v) डेमू युक्‍त वातानुकूलित डिब्‍बा:

इस वर्ष आईसीएफ ने डेमू युक्‍त वातानुकूलित डिब्‍बों का निर्माण शुरू किया है।

vi) 1 (डीपीसी) + 4 टीसी विन्‍यास युक्‍त 1600 एचपी देश में विकसित 3 फेस एसी-एसी डेमू को अपनाना-1+3 ऑफ 1400 एचपी-डीसी के सापेक्ष जिसे पिछले महीने तैयार किया गया है।
vii) 200 किमी./प्रति घंटे दौड़ने में उपयुक्‍त प्रोटोटाइप डिब्‍बा-आरसीपी में विकास के अंतर्गत है।

4. पर्यावरण संक्षरण के लिए कदम:

i) बायोडीजल-5 प्रतिशत बायोडीजल सम्मिश्रण लागू किया गया है। 13 रेलों द्वारा 6200 किलो लीटर के आदेश दिए गए हैं जिनमें से 1200 किलो लीटर की आपूर्ति की गई है।

ii) सौर ऊर्जा का उपयोग- भारतीय रेल ने रेलवे कर्मशालाओें/उत्‍पादन इकाइयों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्‍थापित करने की पहल की है। 1.8 मेगावाट का एक ऐसा ही संयंत्र पटियाला स्थिति डीजल आधुनिकीकरण वर्क्‍स पर स्‍थापित किया जाएगा। बडनेरा विशाखापट्टनम और विदिशा स्थिति वैगन पीओएच कर्मशालाओं में सौर पीवी पैनल लगाए जा रहे हैं।

iii) ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली के लिए प्रत्‍यायन - 3 सार्वजनिक उपक्रम और एक वर्कशाप को ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली आईएसओ 50001 पर प्रत्‍यायन के लिए पायलट आधार पर कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।

iv) वाटर रिसाइक्लिंग संयंत्र – 2014-15 तक 29 स्‍थानों पर वाटर रिसाइक्लिंग संयंत्र उपलब्‍ध कराए गए हैं जिससे प्रतिदिन 12 मिलियन लीटर जल की प्रतिदिन बचत हो रही है। 2015-16 के दौरान 10 प्रमुख डिपो और 32 प्रमुख स्‍टेशनों पर वाटर रिसाइक्लिंग संयंत्र लगाने की स्‍वीकृति दी गई है।

v) ऊर्जा रूपांतरण संयंत्रों के लिए अपशिष्‍ट – नई दिल्‍ली और जयपुर में दो पायलट संयंत्र स्‍थापित करने के लिए परियोजना प्रबंधन कार्य राइट्स को सौंपा गया है। जिसने सौंपी गई मसौदा रिपोर्ट में प्रौद्योगिकी और कार्यप्रणाली का अध्‍ययन शुरू कर दिया है।

vi) डबल मोड लोकोमोटिव – बिजली और डीजल दोनों पर चलने वाले लोकोमोटिव का डीजल लोकोमोटिव वर्क्‍स वाराणसी में विकास किया जा रहा है यह लोकोमोटिव न केवल परिचालन को अधिक लचीला बनाएगा बल्कि प्रवाह क्षमता बढ़ने से ईंधन की बचत भी करेगा।

जमाखोरी के खिलाफ अभियान तेज, 35,000 टन से अधिक दालें जब्त


राज्‍य सरकारों ने दालों की जमाखोरी के खिलाफ अभियान और तेज कर दिया है। विभिन्‍न राज्‍यों में 35,000 से अधिक मीट्रिक टन दालें जब्त की गई है। राज्यवार जब्‍त की गई दालों का ब्‍यौरा इस प्रकार है :
केन्‍द्र सरकार हाल ही में राज्‍यों को आवश्यक वस्तु अधिनियम में सुधार कर उन्‍हें दालों के भंडारण की सीमा तय करने का अधिकार दे दिया था। इसके तहत निर्यातकों और आयातकों, बड़ी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां और बड़े विभागीय खुदरा विक्रेताओं के लिए दालों की भंडारण सीमा तय कर दी थी।  इसके साथ ही राज्‍य सरकारों को आकस्मिक निरीक्षण और छापे  मारने करने के लिए प्रोत्‍साहित किया जा रहा है।

हरियाणा में दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एमडी और हेडैड को दालों की खरीद और अपनी दुकानों के माध्यम से इसे बेचने के लिए निर्देशित किया गया है।

उत्तराखंड में, देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर में मंडी समितियों द्वारा खुदरा काउंटर खोले गये है, जहां अरहर दाल 145 रूपये प्रति किलोग्राम बेची जा रही है। सभी जिलों को निर्देश दिया गया है कि वे उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से तय की गई कीमतों पर दालें बेचें।

दिल्ली में अरहर दाल 120 रूपये प्रति किलोग्राम सफल और केंद्रीय भंडार की दुकानों के माध्यम से बेची जा रही है।

तमिलनाडु सरकार से मिली जानकारी के अनुसार उड़द की दाल 30 रूपये प्रति किलोग्राम राज्य की सरकारी दुकानों में बेची जा रही है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में काला चना 50 रूपये  प्रति‍ किलोग्राम सरकारी दुकानों में बेचा जा रहा है।

#CAETS 2015: ऊर्जा,गतिशीलता व हेल्थकेयर इंजीनियरिंग पर सिफारिशें तैयार


ऊर्जा, गतिशीलता एवं हेल्थकेयर इंजीनियरिंग क्षेत्रों में स्थितरता पर आयोजित शिखर सम्मेलन- सीएटीएस 2015 की सिफारिशें सौंपने के लिए तैयार 

इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्लोनोलॉजिकल साइंसेज की सिफारिशें सरकारों को सुपुर्द करने के लिए तैयार हैं। ‘पाथवेज टू स्सटैनबीलिटी फॉर एनर्जी, मोबेलिटी एंड हेल्थकेयर इंजीनियरिंग’, (सीएटीएस 2015) शिखर सम्मेलन का इस महीने के 13 से 15 के दौरान आयोजन किया गया। तीन दिवसीय कार्यक्रम में बेल्जियम, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, हंगरी, भारत, जापान, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्वीडन, स्वीट्जरलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका और उरुग्वे जैसे आदि देशों के प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय विद्वानों ने ऊर्जा, गतिशीलता एवं हेल्थकेयर पर अपने विचार रखे। ‘सीएईटीएस कनवोकेशन-2015’ के रूप में इस कार्यक्रम का समापन किया गया। इस दौरान ये सिफारिशें तैयार की गईं। भारत में भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी द्वारा सिफारिंशें सरकार को सौंपी जाएंगी।

सामान्य रूप से दीर्घकालिक स्थिरता हासिल करने के लिए ऊर्जा, गतिशीलता और स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में तकनीकी चुनौती प्रमुख हैं।

ये हैं सिफारिशें :

ऊर्जा:

ऊर्जा संसाधनों में 'स्थिरता और उनकी लागत क्षमता के लिहाज से कम कार्बन गैर जीवाश्म ऊर्जा प्रणालियां का ही दबदबा रहेगा।

वैश्विक ऊर्जा खपत 2010 से 2040 के दौरान 524 से 820 शंख बीटीयू तक चला जाएगा। इसकी वजह से सामान्य परिदृश्य के रूप में वर्तमान में जीएचजी उत्सर्जन वृद्धि दर बढ़कर 40 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। जनसंख्या एवं धन संवर्द्धन के लिहाज से उर्जा विकास की गतिशीलता संचालित हो रही है। इसकी वजह से दुनिया के विभिन्न देशों में इस गतिशीलता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

ऊर्जा / उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों और समयसीमा स्थापित करने को लेकर कम कार्बन उत्सर्जन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान ऊर्जा और उत्सर्जन के भार का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन की करने की आवश्यकता है।

उपयोग पर आधारित ऊर्जा परिदृश्यों का विकास भविष्य की ऊर्जा कुशल प्रणाली तैयार करने के लिए आवश्यक है। बिजली आपूर्ति प्रणाली, परिवहन एवं हिटिंग क्षेत्र इस एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।कोयला आधारित ऊर्जा ने इंजीनियरों को हमेशा से सफाई प्रणाली एवं जीएचजी उत्सर्जन को कम करने की प्रणाली विकसित करने को आकर्षित किया है। इसमें कोयला और बायोमास के लाभकारी उन्नयन, अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल दहन और गैसीकरण के लिए एकीकृत गैस संयुक्त चक्र की अवधारणा, को-फायरिंग की प्रक्रिया आदि शामिल है। सिलिकॉन से परे अगली पीढ़ी के सौर सेल ऊर्जा सामग्री, संयुग्म ऑर्गेनिक्स, अकार्बनिक क्वांटम डॉट्स और मिश्रित अर्धचालक आक्साइड के लिए / पेरोक्साइड को स्वीकार किए जाने की जरूरत है।

इसी तरह की चुनौतियां ईंधन सेल्स के लिए उपलब्ध सामग्री और उच्च ऊर्जा घनत्व बैटरी के क्षेत्र में दिख रही है। प्रौद्योगिकी भविष्य की ऊर्जा कुशल प्रणाली को विकसित करने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकती है। इसके लिए एकीकृत  फोटोनिक एवं बायो फोटोनिक प्रौग्योगिकी की जरूरत है।

इन मुद्दों पर विचार विमर्श करने वाले विशेषज्ञ समिति ने नैनो कंपोजिट और नैनो संरचित स्टील्स सहित उच्च शक्ति वाले हल्के वजन सामग्री विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। जिसे निर्माण और परिवहन क्षेत्र में आसानी से स्वीकार किया जा सके।

गतिशीलता:

भविष्य में अर्ध या पूरी तरह से स्वचालित परिवहन के वाहन तैयार करना और भारी भार उठाने के लिए मल्टी एक्सल हाइड्रोलिक ट्रेलरों का निर्माण करना इंजीनियरिंग क्षेत्र के लिए चुनौती होगी। डिजिटल प्रौद्योगिकी क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास के कारण रेल के बिजलीकरण, हवाई, समुद्री यातायात वाहनों के लिए नए द्वार खुलेंगे।पांच डिजिटल शक्तियां जैसे कि कलाज कप्यूंटिंग, मोबाइल प्रौद्योगिकी, सोशल नेटवर्क्स, बिग डाटा एवं रोबोटिक्स इन विकास गतिविधियों पर बड़ा प्रभाव डालेंगे।

निर्माण के दौरान शहरी और ग्रामीण परिवहन के पुनर्गठन के साथ पुल के डिजाइन एवं निर्माण प्रौद्योगिकियों, आभासी गतिशीलता और कार्बन पदचिह्न न्यूनीकरण में ये रोमांचक गतिविधियां जगह ले रही हैं। पुरातन प्रौद्योगिकी के नवीकरण के लिए यह आवश्यक है। सिविल इंजीनियरों के लिए पुलों के डिजाइन, निर्माण, रखरखाव, जीर्णोद्धार भविष्य की प्राथमिकताएं होंगी।

चीन में हुए शहर की रैपिड रेल परिवहन प्रणाली में हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए भारत और जापान ने भूमिगत सुरंगों और संरचनाओं के निष्पादन में योजना, डिजाइन और अधिग्रहीत नए इंजीनियरिंग कौशल को लेकर उत्सुकता दिखाई है। इंजीनियरिंग के नजरिये से देखा जाए तो पुर्नचक्रण एवं क्रियाशील सामग्री अनुप्रयोगों ही स्थायी रोडवेज में उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों रहे हैं। उभरती अर्थव्यवस्थाओं में जन परिवहन को लेकर कई दुविधाएं हैं। यह निर्बाध संपर्क, बेहतर गतिशीलता, उन्नत सुरक्षा उपायों के प्रवर्तन, वाहनों और समय संस्करण यातायात के कई मांगों को लेकर सड़क के लिए न्यायसंगत आवंटन पर विचार करने के लिए महत्वपूर्ण है।


स्वास्थ्य क्षेत्र:

नए डायग्नोस्टिक उपकरण, अगली पीढ़ी के चिकित्सा उपकरणों और सूचना एवं विश्लेषण के आवेदन के संदर्भ में इंजीनियरिंग चुनौतियों की स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को इंतजार है।

हाल के नैनो के क्षेत्र में नैनो और डायग्नोस्टिक देखभाल के अग्रिम, बड़े पैमाने पर चिकित्सा एवं दूरदराज के नव निगरानी प्रणाली जल्दी और सुलभ निदान की संभावना में वृद्धि की है। इस व्यवस्था के लिए जमीनी तौर पर तैयार संरचनागत प्रणाली में सहयोगी हो सकता है। इसमें अग्रिम देश की इंजीनियर्स, प्रोडक्ट डिजायनर्स, बिजनेस एनालिस्ट और क्लीनिशियनों की बहुउद्देशीय टीम मददगार साबित हो सकती है।

टीसू इंजीनियरिंग, मैटेरियल साइंस, सेल फिजिक्स एवं डेवेलपमेंटल बॉयोलॉजी सहित रिजेनेरिटिव इंजीनियरिंग अगली पीढ़ी की मेडिकल उपकरण बनाने में कारगर हो सकती है। लोगों में बधिरता एवं दृष्टी दोष की बीमारी की समस्या से निपटने में बायोनिक इयर और आई तकनीकी ने काफी मदद की है। साथ ही इससे इस क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। संक्रामक एवं गैर संक्रामक रोगों के इलाज को लेकर हाल में तैयार सेंसर, दूरसंचार, गतिशीलता इंजीनियरिंग के लिए अगली पीढ़ी के उपकरण प्रौद्योगिकियां प्रमुख भूमिका निभाएंगी। सेंसिंग और डेटा विश्लेषणात्मक कौशल ने गहन स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में नई परिवर्तनकारी सामग्री के अवसर मुहैया कराएंगे। उन्नत कंप्यूटर आधारित उपकरण सूक्ष्म बायोम डेटा विश्लेष्ण में भारी मात्रा में जैविक रूप से सार्थक अंतर्दृष्टि के लिए आवश्यक हैं।

विशेषज्ञों की एक समिति ने इंजीनियरिंग और स्वास्थ्य देखभाल विज्ञान के अभिसरण के मुद्दे की जांच की। अभिसरण के कारण स्वास्थ्य प्रणालियों में आईसीटी और बड़े एनालिटिक्स प्रभावशाली साबित हों, इसके लिए वे कुछ-कुछ कर रहे हैं। उनके बीच नई दवाओं की खोज में ग्रामीण और शहरी वातावरण और इंजीनियरों की भूमिका में अच्छी तरह से इंजीनियर प्रणालियों की खरीदने की क्षमता सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी डॉ मंत्री हर्षवर्धन ने पिछले सप्ताह सप्ताह दीक्षांत समारोह का उद्घाटन किया। उन्होंने इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मजबूत रणनीति सुझाने को लेकर वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय से आग्रह किया है। मंत्री ने ‘ट्रांसिशिनिगं टू लोवर कार्बन इकोनॉमीः टेक्नोलॉजिकल एंड इंजीनियरिंग कंसीडिरेशंस फॉर बिल्डिंग एंड ट्रांस्पोर्टेशन सेक्टर्स’ पर आधारित सीएईटीएस के वर्जन की रिपोर्ट को भी औपचारिक तौर पर शुरू किया है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर अशुतोष शर्मा ने विकासशील देशों में चुनिंदा विषयों के महत्वपूर्ण तथ्यों का उल्लेख किया है।

वैश्विक निकाय सीएईटीएस और कननोकेशन-2015 की अगुवाई करने वाले पहले भारतीय बने प्रख्यात परमाणु वैज्ञानिक डॉ. बलदेव राज को भारत में पहली बार इस तरह के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय डोमेन विशेषज्ञों के अभिसरण की अनूठी विशिष्टता के साथ श्रेय दिया जाता है।

#CPAC केन्‍द्रीय प्रेस मान्‍यता समिति का पुनर्गठन हुआ, पढ़िए किन्हें मिली जगह

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने केन्‍द्रीय प्रेस मान्‍यता समिति (सीपीएसी) का पुनर्गठन किया है। सीपीएसी के नये सदस्‍य इस प्रकार हैं -   

क्रम संख्‍या
प्रतिनिधि का नाम
ए‍सोसिएशन/यूनियन/फेडरेशन
1
श्री फ्रैंक नरोन्‍हा (अध्‍यक्ष),महानिदेशक (मीडिया एवं संचार),पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकारनई दिल्‍ली
पदेन
2
श्री प्रमोद कुमार
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्‍ट्स (इंडिया), इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्‍ट्स
3
श्री सुरेन्‍द्र वर्मा
एसोसिएशन ऑफ एक्रेडिटेड न्‍यूज कैमरामैन (रजि.)
4
श्री श्‍याम बाबू
इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्‍ट्स
5
श्री रवि रथ
एसोसिएशन ऑफ स्‍मॉल एंड मीडियम न्‍यूजपेपर्स ऑफ इंडिया
6
सुश्री मीनाक्षी पंडित
ऑल इंडिया जर्नलिस्‍ट्स वेलफेयर एसोसिएशन
7
श्री सुप्रिय प्रसाद
न्‍यूज ब्रॉडकास्‍टर्स एसोसिएशन
8
श्री राहुल कंवल
ब्रॉडकास्‍ट एडिटर्स एसोसिएशन
9
सुश्री इरा झा
प्रेस एसोसिएशन
10
श्री एल.सी भरतिया
ऑल इंडिया स्‍मॉल एंड मीडियम न्‍यूजपेपर्स फेडरेशन
11
सुश्री सबीना इन्‍द्रजीत
इंडियन जर्नलिस्‍ट्स यूनियन
12
श्री एम.के. महादेव राव
वर्किंग न्‍यूज कैमरामैंस एसोसिएशन

मनोनीत सदस्‍यों के नाम इस प्रकार हैं -
क्रं.सं.
प्रतिनिधि का नाम
संगठन
1
सुश्री नविका कुमार
टाइम्‍स नाऊ
2
श्री दिवाकर अस्‍थाना
द टाइम्‍स ऑफ इंडिया
3
सुश्री कूमी कपूर
इंडियन एक्‍सप्रेस
4
श्री जयंतो घोषाल
एबीपी
5
श्री अमिताभ सिन्‍हा
आईबीएन-7 टीवी
6
श्री अखिलेश शर्मा
एनडीटीवी
7
श्री कल्‍याण बरूआ
असम ट्रिब्‍यून
8
श्री इफ्तिखार गिलानी
डीएनए
9
सुश्री निस्‍तुला हेब्‍बर
द हिन्‍दू
10
श्री शेखर अय्यर
डेक्‍कन हेराल्‍ड  

सीपीएसी का कार्यकाल इसकी पहली बैठक की तारीख से दो वर्ष की अवधि के लिए होगा।

नत्थूराम गोडसे जी का बलिदान दिवस पूरे देश में मनाया जाएगा: हिन्दू महासभा


हिंदु महासभा ने यह घोषणा की है कि वह 15 नवंबर को मोहनदास करमचंद गांधी का वध करने वाले नत्थूराम गोडसे का बलिदान दिवस मनाएगी। गौरतलब है कि गोडसे महासभा का सदस्य था और उसे 15 नवंबर 1949 को अंबाला जेल में फांसी दी गई थी।

अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश कौशिक ने देशभर में स्थित महासभा के 120 ऑफिसों से कहा है कि वे जिला स्तर पर बलिदान दिवस मनाने के तैयारी करें।


हिंदु महासभा का प्लान है कि वह नत्थूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे द्वारा लिखी गई किताब ‘गांधीवध क्यों’ की संक्षिप्त कॉपियां बांटने का भी है। यह कॉपियां कार्यक्रम में आने वाले दक्षिण पंथी संगठन के सदस्यों में बांटी जाएगी। कौशिक के मुताबिक इस मौके पर नत्थूराम गोडसे की जिंदगी पर आधारित नाटक आयोजित किए जाएंगे और महासभा के सदस्य ट्रायल के दौरान दी गई गोडसे की स्पीच के हिस्से भी पढ़ कर सुनाएंगे।

कौशिक ने बताया कि राजस्थान और महाराष्ट्र ने इस आयोजन के लिए सबसे ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है। नई दिल्ली में यह कार्यक्रम मंदिर पर बिरला मंदिर के पास स्थित हिंदू महासभा के ऑफिस में होगा।

कौशिक ने कहा, ‘गोडसे गांधी से कहीं ज्यादा देशभक्त था। मुझे यकीन है कि देश में बहुत से लोग ऐसा ही सोचते हैं। ‘बलिदान दिवस’ एक मौका होगा जब देश के लोग यह सोचें की गोडसे ने गांधी की हत्या क्यों की।’

महासभा का प्लान गोडसे का एक बड़ा रथ तैयार करने की है। इस रथ में भगत सिंह और विनायक दामोदर सावरकर की भी तस्वीरें होंगीं। कौशिक ने कहा कि हम इस रथ को देश के अलग-अलग हिस्सों में ले जाएंगे। इसकी शुरूआत वेस्टर्न यूपी से करेंगे। इस तरह से गोडसे और उन जैसे नेताओं के त्याग की कहानियां लोगों तक पहुंचाई जाएगी।

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