बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतू शुरू हुई ग्राम ज्योति योजना

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रीमंडल की बैठक में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) को प्रारंभ करने को अनुमति दे दी गई। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और गैर-कृषि उपभोक्ताओं को विवेकपूर्ण तरीके से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करना सुलभ बनाने के लिए कृषि और गैर–कृषि फीडर सुविधाओं को अलग –अलग किया जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण और उप - पारेषण प्रणाली को मजबूत किया जाएगा जिसमें वितरण ट्रांसफार्मर, फीडर और उपभोक्‍ताओं के लिए मीटर लगाना सम्मिलित होगा। योजना के अंतर्गत दोनों घटकों की कुल अनुमानित लागत 43,033 करोड़ रूपये है जिसमें पूरे क्रियान्‍वयन अवधि के लिए भारत सरकार द्वारा 33,453 करोड़ रूपये की बजट सहायता भी शामिल है। 

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) द्वारा अगस्‍त 2013 में स्‍वीकृत ग्रामीण विद्युतीयकरण से संबंधित शेष कार्य के लिए वर्तमान में 12वीं और 13वीं पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत आरजीजीवीवाई के चल रहे कार्यों को दीनदयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना में सम्मिलित किया जाएगा। इस कार्य के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 39,275 करोड़ रूपये की लागत को मंजूरी दी है, जिसमें 35,477 करोड़ रूपये की बजट सहायता भी शामिल है। 43,033 करोड़ रूपये के कुल प्रावधान के अतिरिक्‍त परिव्‍यय राशि भी दीनदयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना में सम्मिलित जाएगी। 

दीनदयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत वितरण की अवधि में सुधार होगा। इसके साथ ही अधिक मांग के समय में लोड में कमी, उपभोक्‍ताओं को मीटर के अनुसार खपत पर आधारित बिजली बिल में सुधार और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की अधिक सुविधा दी जा सकेगी। 

परियोजनाओं को अनुमति देने की प्रक्रिया शीघ्र ही प्रारम्‍भ होगी। अनुमति मिलने के बाद परियोजनाओं को पूरा करने के लिए राज्‍यों की वितरण कंपनियों और वितरण विभाग को ठेके दिए जाएंगे। ठेके देने की अवधि से 24 महीने के भीतर परियोजनाओं को पूरी किया जाना चाहिए। 

डेयरी विकास बोर्ड ने 221 करोड़ रुपये लागत की 42 डेयरी परियोजनाओं को मंजूरी दी

राष्‍ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड- एनडीडीबी ने 12 राज्‍यों में 22,102.72 लाख रुपये के कुल परिव्‍यय की 42 डेयरी परियोजनाओं को मंजूरी दी है। ये राज्‍य हैं बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्‍य प्रदेश, महाराष्‍ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, उत्‍तर प्रदेश, उत्‍तराखंड, और पश्चिम बंगाल। कुल परिव्‍यय की राशि में से 15,895.02 लाख रुपये अनुदान राहत और 6,207.70 लाख रुपये अंतिम छोर पर कार्यान्‍वयन एजेंसियों का हिस्‍सा होंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह के विशेष प्रयासों और पहल से यह संभव हो सका है। 

ये 42 उप-परियोजनाएं चारा विकास (9 परियोजनाएं), राशन संतुलन कार्यक्रम (13 परियोजनाएं), गांव आधारित दुग्‍ध वसूली प्रणाली (14 परियोजनाएं), भ्रूण स्‍थानांतरण (4 परियोजनाएं), भैंसों का आयात (एक परियोजना) और वीर्य केंद्र की मजबूती (1 परियोजना) जैसी गतिविधियों के लिए क्रियान्वित की जाएंगी। इन परियोजनाओं को मार्च 2012 में शुरू की गई राष्‍ट्रीय डेयरी योजना-1 के अंतर्गत मंजूरी दी गई है। 

राष्‍ट्रीय डेयरी योजना-1 को निम्‍नलिखित उद्देश्‍यों को 2011-12 से 2016-17 के बीच अमल में लाने के लिए शुरू किया गया- 

•दुधारू पशुओं की उत्‍पादकता बढ़ा कर दुग्‍ध उत्‍पादन में वृद्धि करते हुए दूध की बढ़ती मांग को तेजी से पूरा करना। 

•संगठित दुग्‍ध प्रसंस्‍करण क्षेत्र तक अधिक पहुंच के लिए ग्रामीण दुग्‍ध उत्‍पादकों को सहायता प्रदान करना। 

यह स्‍कीम राज्‍य सरकारों, राज्‍य पशु धन बोर्ड, राज्‍य सरकारी डेयरी परिसंघों, जिला सहकारी दुग्‍ध उत्‍पादक संघों, उत्‍पादक कंपनियों, न्‍यासों (एनजीओ, धारा 25 कंपनियों), वैधानिक संस्‍थानों की सहायक कंपनियों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संस्‍थानों और पशु चिकित्‍सा/डेयरी संस्‍थाओं/विश्‍वविद्यालयों और योजना के अंतर्गत स्‍थापित राष्‍ट्रीय संचालन समिति द्वारा तय किए गए अन्‍य संगठनों के अंतिम छोर पर कार्यान्‍वयन एजेंसियां के जरिए राष्‍ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा क्रियान्वित की जा रही है। 

राष्‍ट्रीय डेयरी योजना-1 प्रमुख दुग्‍ध उत्‍पादक 14 राज्‍यों- उत्‍तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु आंध्र प्रदेश, ओडिशा और केरल पर विशेष ध्‍यान केंद्रित करेगा। इन राज्‍यों में कुल दुग्‍ध का 90 प्रतिशत उत्‍पादन होता है। स्‍कीम से होने वाले फायदों की दृष्टि से राष्‍ट्रीय डेयरी योजना-1 की कवरेज हालांकि पूरे देश में रहेगी। 

नई खोज : पैरासिटामोल से हो सकता है, ब्लड कैंसर

अगर आप सिर दर्द या बुखार में आंख बंद कर पैरासिटामोल लेते हैं तो आपको ब्लड कैंसर हो सकता है। नई रिसर्च के मुताबिक, इस दवा के अधिक सेवन से रक्त कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

रिसर्चरों ने पाया कि पैरासिटामोल में एसिटामिनोफेन नामक रसायन पाया जाता है, जो कैंसर का मुख्य कारक है। स्टडी में दर्द निवारक दवा और उनसे कैंसर के खतरे की बात में एक नया मोड़ ला दिया है।

रिसर्च में शामिल सिएटल स्थित हचीसन कैंसर रिसर्च सेंटर की एमिली वाइट ने कहा, ' हमारे पास कुछ साक्ष्य मौजूद हैं जिनके आधार पर पता चलता है कि एसिटामिनोफेन से रक्त कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। शुरुआत में एसेटामिनोफेन को दमा के लिए जिम्मेदार समझा जाता था। '

रिसर्चरों ने वॉशिंगटन में 65 हजार लोगों पर की गई स्टडी में पिछले 10 वर्षों में उनके द्वारा इस्तेमाल की दर्दनिवारक दवाओं के बारे में पूछा। पहले इनमें किसी को भी कैंसर नहीं था। लेकिन पिछले छह सालों में इनमें से 577 लोगों में ब्लड कैंसर के लक्षण पाए गए। जिन लोगों में कैंसर के लक्षण पाए गए उनमें से 9 % ने इस दौरान काफी मात्रा में एसेटामिनोफेन का सेवन किया था।

हेड रिसर्चर डॉ. रेमंड ने कहा, 'एसिटामिनोफेन अन्य दर्दनिवारकों के मुकाबले अलग तरह से काम करता है। इसलिए इसका कैंसर पर अलग प्रभाव होता है। यह चौंकाने वाला तथ्य है कि एसिटामिनोफेन के इस्तेमाल से ब्लड कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।'

जानिये, दूध न देने वाली गाय से कैसे कमाए जाते सकते हैं हर महीना 10 हजार

जो गाय दूध नही देती है। उससे कैसे 10 हजार रुपये प्रतिमाह कमाए जा सकते हैं। इसकी जानकारी राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने मंच से लोगों को दी। इसके साथ ही संघ का उदेश्य भारत की एकता और अखंडता को बचाना भी बताया।

शुक्रवार को बांदा मुख्यालय स्थित जीआईसी मैदान में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ का एकत्रीकरण किया गया। इस मौके पर अखिल भारतीय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख वी गागैय्या ने स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र हैं, यहां का रहने वाला समाज हिंदू समाज के आधार पर ही विश्व में पहचान होती है। विविधता में एकात्मता को देखना ही हिंदुत्व है। 

इसी के साथ गौ रक्षा, कृषि विकास, साक्षरता पर विशेष जोर देते हुए कहा कि गो-मूत्र, गोबर से किसानों में एक कांति का निर्माण हुआ है। गांव में कृषि करना किसानों के लिए सम्मान का विषय होना चाहिए। जो गाय दूध नहीं भी देती है। उससे भी हम 5 से 10 हजार रुपये कमा सकते हैं। यह बात स्थानीय स्वंय सेवक किसानों को समझाएं। ताकि वह ऐसी गाय को बाजार में कटने के लिए न बेंचे। इस मौके पर प्रांत प्रचारक अनिल, सह प्रांत प्रचारक वीरेंद्र चतुर्वेदी, अजय, सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

ऐसे कमाए जा सकते हैं रुपए:

- गौ मूत्र दवा बनाने के काम आती है।
- गाय के गोबर से कागज, मोटा कागज, झोले इत्यादि बनाए जा सकते हैं।
- चर्म रोग जैसे रोगों के लिए गाय का काफी लाभदायक होता है।
- वायु विकार, गैस इत्यादि जैसी बीमारियों के लिए गौ-मूत्र बेहद फायदे मंद होता है।
- गाय के गोबर से बनी खाद खेती के लिए बेहद ही लाभदायक व उर्वरक बढ़ाने वाली होती।

पाकिस्तानी हिंदू भारतीय नागरिकता के लिए बिना पासपोर्ट कर सकेंगे आवेदन

केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से आने वाले हिंदू और सिख शरणार्थियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को मानते हुए उन्हें यहां की नागरिकता पाने के नियम में कई राहत देने की घोषणा की है। यह सुविधा पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान के भी लोगों को समान रूप से मिलेगी। होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने गुरुवार को इस पर अपनी मंजूरी दी।

नए नियम के अनुसार 31 दिसंबर 2009 से पहले भारत में आए पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक देश में नागरिकता के लिए ऑनलाइन की जगह हाथ से लिखे आवेदन भी दे सकते हैं। ये अब अपने आवेदन पासपोर्ट के साथ दे सकते हैं। हालांकि आवेदक का लंबी अवधि का वीजा, नागरिकता के लिए आवेदन पत्र जमा कराने के समय वैध होना चाहिए। 

इन दोनों देशों के अल्पसंख्यक, जिनमें अधिकतर हिंदू और सिख हैं, जो माता-पिता के पासपोर्ट के आधार पर भारत आ गए थे, वे भी भारतीय नागरिकता के लिए पासपोर्ट के बिना आवेदन कर सकते हैं।

आज से फिर मिलेंगे किसान विकास पत्र,100 महीनों में पैसा होगा दुगना

आज केंद्रीय वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली, केंद्रीय संचार एवं आईटी मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद, वित्‍त राज्‍य मंत्री श्री जयंत सिन्‍हा एवं अन्‍य लोगों की मौजूदगी में किसान विकास पत्र (केवीपी) फिर से लांच करेंगे। सत्‍ता संभालने के वक्‍त नई सरकार की प्राथमिकताओं में बचत दर बढ़ाना भी शामिल था। जोरदार मांग और अल्‍प बचत में नई जान फूंकने की जरूरत को ध्‍यान में रखते हुए वित्‍त मंत्री ने अपने बजट भाषण के 27वें पैराग्राफ में घोषणा की थी कि छोटी बचत वालों के बीच काफी लोकप्रिय किसान विकास पत्र को फिर से लांच किया जाएगा। यह प्रपत्र उन सभी लोगों को आकर्षित करेगा जिनकी निवेश योग्‍य बचत राशि या तो बैंकों में है या खुद के पास रखी हुई है। इसे ही ध्‍यान में रखते हुए किसान विकास पत्र को फिर से जारी करने का निर्णय लिया गया है। सभी राष्‍ट्रीय बचत योजनाओं (एनएसएस) से संबंधित केवाईसी मानक जनवरी 2012 से ही डाकघरों और बैंकों में लागू हैं। 

फिर से लांच किए जाने वाला किसान विकास पत्र निवेशकों के लिए 1000, 5000, 10000 और 50000 रुपए के मूल्‍य वर्ग में उपलब्‍ध होगा। इसमें निवेश की कोई ऊपरी सीमा तय नहीं की गई है। इन्‍हें एकल अथवा संयुक्‍त नामों से जारी किया जा सकता है और इन्‍हें एक व्‍यक्ति से किसी दूसरे व्‍यक्ति/व्‍यक्तियों को कई बार हस्‍तांरित किया जा सकता है। एक डाकघर से देश भर में कहीं भी स्थित दूसरे डाकघर में इसे हस्‍तांतरित करने की सुविधा होगी। इसी तरह किसी एक मनोनीत व्‍यक्ति से दूसरे मनोनीत व्‍यक्ति को हस्‍तांतरित करने की भी सुविधा होगी। बैंकों से कर्ज लेने के लिए किसान विकास पत्र को बतौर गिरवी भी रखा जा सकेगा। इसी तरह जहां भी रेहन की जरूरत पड़ेगी वहां किसान विकास पत्र को गिरवी रखा जा सकेगा। आरंभ में इनकी बिक्री केवल डाकघरों के जरिए होगी, लेकिन बाद में इन्‍हें राष्‍ट्रीयकृत बैंकों की अधिकृत शाखाओं के जरिए भी निवेश करने वाले लोगों को मुहैया कराया जाएगा। 

किसान विकास पत्र में तरलता की अनूठी सुविधा है। अगर किसी निवेशक को जरूरत महसूस होती है तो वह ढाई साल की लॉक-इन अवधि के बाद और फिर छह माह की किसी भी समयावधि के बाद पूर्व निर्धारित परिपक्‍वता मूल्‍य पर अपने किसान विकास पत्र का नकदीकरण कर सकेगा। किसान विकास पत्र में किया गया निवेश 100 महीनों में दोगुना हो जाएगा। 

किसान विकास पत्र योजना छोटे निवेशकों को धोखाधड़ी वाली स्‍कीमों से दूर रखने में भी मददगार साबित होगी। किसान विकास पत्र की परिपक्‍वता अवधि 8 साल 4 माह होने के कारण इस योजना के तहत सरकार को काफी लंबी अवधि के लिए राशि मिलेगी, जिसका इस्‍तेमाल केंद्र एवं राज्‍य सरकारों की विकास योजनाओं के वित्‍त पोषण में किया जा सकेगा। यही नहीं, इससे देश में घरेलू पारिवारिक वित्‍तीय बचत को भी बढ़ाने में सहायता मिलेगी। 

किसान विकास पत्र दरअसल एक प्रमाण पत्र बचत स्‍कीम है, जिसे सरकार ने 1 अप्रैल, 1988 को लांच किया था। जब इसे लांच किया गया था तो योजना के तहत परिपक्‍वता अवधि साढ़े पांच साल होती थी और परिपक्‍वता पर ही निवेश की गई राशि दोगुनी हो जाती थी। यह योजना निवेशकों के बीच बेहद लोकप्रिय रही थी। वर्ष 2010-11 में इस योजना के तहत 21631.16 करोड़ रुपए का सकल संग्रह हुआ था, जो उस वर्ष हुए कुल सकल संग्रह का 9 फीसदी था। 

भारत और चीन के बीच हैंड इन हैंड की शानदार शुरूआत

भारत और चीन के बीच चौथे संयुक्‍त प्रशिक्षण अभ्‍यास हैंड इन हैंड 2014 की पुणे में औंध सैनिक छावनी में शानदार शुरूआत हुई। इस संयुक्‍त अभ्‍यास का उद्देश्‍य आतंकवाद के माहौल की पृष्‍ठ भूमि में दोनों देशों की सेनाओं को एक दूसरे की कार्य संचालन प्रक्रिया से अवगत कराना है। 

इससे पहले, 16 नवम्‍बर को 13 ग्रुप आर्मी, चेंगदु सैनिक क्षेत्र की चीनी टुकड़ी चीन से सीधा लोहेगांव वायुसैनिक अड्डे पर उतरी। दो आईएल- 76 विमानों में इनके साथ पैदल सेना की एक कंपनी और अन्‍य कर्मचारी भी पहुंचे। 12 दिन का अभ्‍यास बाधाओं से निपटने, विशेष हेलीबोर्न ऑपरेशन, विभिन्‍न हथियारों को चलाने, विस्‍फोटक सामग्री के प्रबंधन तथा विद्रोही और आतंकवादी गतिविधियों में घेरो और तलाशी कार्रवाई पर केन्द्रित होगा। 

समारोह की शुरूआत औंध सैनिक शिविर में परेड ग्राउंड पर हुई। इसमें भारतीय सेना के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बॉबी मैथ्‍यूज, और पीपल्‍स लिबरेशन आर्मी की चेंगदु सैनिक कमान के उप कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल श्री चेंग युवान के अलावा दोनों देशों के अनेक वरिष्‍ठ सैनिक अधिकारी शामिल हुए। 

इस प्रशिक्षण का उद्देश्‍य दोनों देशों की सेनाओं के बीच विश्‍वास बढ़ाना है। 

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