राष्ट्रपति महोदय ने चार अध्यादेश को मंजूरी दी
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने 21 फरवरी, 2019 को निम्नलिखित चार अध्यादेशों को मंजूरी दे दी :-
1. मुस्लिम महिला (मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्ष) दूसरा अध्यादेश ,2019
2. भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) दूसरा अध्यादेश, 2019
3. कंपनी (संशोधन) दूसरा अध्यादेश, 2019
4. अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध से संबंधित अध्यादेश, 2019
मुस्लिम महिला (मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्यादेश, 2019 के जरिये मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश, 2019 के प्रावधानों को बनाये रखने के लिए लाया गया है।
इस अध्यादेश के जरिये तीन तलाक को अमान्य और गैर-कानूनी करार दिया गया है। इसे एक दंडनीय अपराध माना गया है, जिसके तहत तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
यह अध्यादेश विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करेगा एवं उन्हें उनके पतियों द्वारा तत्कालिक एवं अपरिवर्तनीय ‘तलाक-ए-बिद्दत‘ के प्रचलन के द्वारा तलाक दिए जाने को रोकेगा। यह तीन तलाक यानी ‘तलाक-ए-बिद्दत‘ की प्रथा को निरुत्साहित करेगा। प्रस्तावित अध्यादेश का प्रख्यापन आजीविका भत्ता, तीन तलाक यानी ‘तलाक-ए-बिद्दत‘ के पीड़ितों के नाबालिग बच्चों का संरक्षण का अधिकार प्रदान करेगा।
भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) दूसरा अध्यादेश, 2019 पूर्व में जारी अध्यादेश के प्रावधानों के अनुरूप संचालक मंडल बीओजी द्वारा शुरू किये गये कार्यों को आगे भ्ज्ञी जारी रखने के लिए लागू किया गया है। यह अध्यादेश यह सुनिश्चित करेगा कि पूर्व अध्यादेश के प्रावधानों के तहत किये गये कार्य को मान्यता प्राप्त है तथा यह आगे भी जारी रहेगी। भारतीय चिकित्सा परिषद के निवर्तन के बाद गठित संचालक मंडल को दो वर्षों तक या परिषद के दोबार गठन तक जो भी पहले हो, तक उसके सभी अधिकारों का इस्तेमाल करने का अधिकार देता है। इसका उद्देश्य देश में चिकित्सा शिक्षा को ज्यादा पारदर्शी, गुणवत्ता युक्त और जवाबदेह बनाना है।
देश में कानून का पालन करने वाली कंपनियों को कारोबारी सुगमता का माहौल प्रदान करने के साथ ही कंपनी कानून, 2013 की कॉरपोरेट गवर्नेंस और नियमों के अनुपालन की व्यवस्था को और सख्त बनाने के इरादे से कंपनी (संशोधन) दूसरा अध्यादेश 2019 लागू किया गया है। यह कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत अपराधों की समीक्षा करने वाली समिति की अनुशंसाओं पर आधारित है ताकि कंपनी अधिनियम 2013 में वर्णित कॉरपोरेट प्रशासन तथा अनुपालन रूपरेखा के महत्वपूर्ण अंतरों/कमियों को समाप्त किया जा सके और कानून का पालन करने वाले उद्यमों को व्यापार में आसानी की सुविधा प्रदान की जा सके। इससे कानून का पालन करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा तथा उल्लंघन करने वालों को गंभीर सजा भुगतनी होगी। इसके माध्यम से केन्द्र सरकार को यह अधिकार दिया जा रहा है कि वह वित्तीय कारोबार से जुड़ी कुछ कंपनियों को ट्राइब्यूनल द्वारा तय किए गए वित्त वर्ष की बजाए विभिन्न वित्त वर्ष चुनने की अनुमति प्रदान कर सके।
इसमें तकनीकी तथा प्रक्रिया संबंधी छोटी गलतियों के लिए सिविल सजा का प्रावधान है। इससे कॉरपोरेट प्रशासन तथा अनुपालन रूपरेखा के अंतर्गत बहुत सारे मामलों की कमियों को दूर किया जाएगा जैसे :-
16 छोटे अपराधों की पुनर्सूची बनाना और इसे पूरी तरह सिविल अपराध की श्रेणी में रखना। इससे विशेष न्यायालयों के मामलों की संख्या में कमी आएगी।
एनसीएलटी के कुछ रोजमर्रा कार्याकलापों को केन्द्र सरकार को स्थानांतरित करना जैसे वित्त वर्ष में बदलाव के लिए आवेदन और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को निजी कंपनी में बदलना।
पंजीकृत कार्यालय को संचालित नहीं कर पाने और व्यापार की रिपोर्टिंग नहीं कर पाने जैसी स्थितियों में उनके नाम कंपनी रजिस्टर से हटा दिए जाएंगे।
आर्थिक दण्ड लगाने तथा इसे संशोधित करने के लिए कड़े प्रावधानों के साथ निश्चित अवधि को संक्षिप्त करना।
निदेशक की अधिकतम सीमा के उल्लंघन को अयोग्यता का आधार बनाना।
इससे कॉरपोरेट जगत को कानूनों के अनुपालन में आसानी होगी, विशेष न्यायालयों में मामलों की संख्या में कमी आएगी, एनसीएलटी पर कार्य का बोझ कम होगा और इसका उचित क्रियान्वयन होगा। वर्तमान में कुल 40,000 लंबित मामलों का 60 प्रतिशत प्रक्रियागत त्रुटियों पर आधारित हैं। इन्हें विभाग के आंतरिक व्यवस्था में स्थानांतरित किया जाएगा और उद्यमों को कानून अनुपालन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इन संशोधनों के माध्यम से एनसीएलटी के समक्ष लंबित मामलों की संख्या में कमी आएगी। विशेष न्यायालयों से मामलों को वापस ले लिया जाएगा। इसके लिए आम माफी की योजना लाई जाएगी। प्रक्रिया से जुड़े अपराधों को आपराधिक मुकदमे के स्थान पर सिविल दायित्व की श्रेणी में रखा जाएगा।
अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अध्यादेश 2019 को देश में अवैध रूप से धनराशि जमा कराने वाली योजनाओं पर नकेल कसने के लिए केन्द्र की ओर से सख्त काननू लाने के इरादे से लागू किया गया है।अभी तक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को आम जनता से विभिन जमा योजनाओ के तहत पैसा जुटाने की सारी गतिविधियां केन्द्र और राज्य सरकारों की ओर से बनाए गए विभिन्न कानूनों के तहत करने की अनुमति मिली हुयी है जिनमें कोई एकरूपता नहीं है । जिसका लाभ फरेबी पोंजी कंपनियों लोगों को उनके जमा पर ज्यादा ब्याज देने का लालच देकर ठग रही हैं। ऐसे में नए अध्यादेश के जरिए ऐसी कंपनियों पर प्रतिबंध की प्रभावी व्यवस्था की गयी है। इसके जरिए ऐसी योजना पर तुरंत रोक लगाने और इसके लिए आपराधिक दंड का प्रावधान किया गया है। इसमें जमाकर्ताओं के लिए फरेबी कंपनियों की परिसंपत्तियां कुड़की कर जमाकर्ताओं को उनका पैसा तुरंत वापस दिलाने की व्यवस्था भी है।