उत्तर प्रदेश में बिजली की चरम मांग 12,700 मेगावाट है जिसमें से करीब 10,700 मेगावाट की आपूर्ति की जा रही है। वर्तमान में करीब 2 हजार मेगावाट बिजली की कमी है। राज्य में 500 मेगावाट के विद्युत संयंत्र को भी बहाल कर लिया गया है और यह पूरी तरह से बिजली का उत्पादन कर रहा है।
600 मेगावाट का एक अन्य निजी क्षेत्र का अंपारा-सी संयंत्र आयातित कोयले की खरीद न होने के कारण से काम नहीं कर रहा। इस संयंत्र को कोल इंडिया से 90 प्रतिशत से ज्यादा की कोयला आपूर्ति की जाती है और यह प्लांट को दी गई अनुमति के अनुरूप है। सेंट्रल जेंनरेटिंग पॉवर स्टेशन (सीजीपीएस) से उत्तर प्रदेश को दी जाने वाली बिजली की उपलब्धता भी सामान्य है।
राज्य, गैस-आधारित स्टेशनों अंटा, ओरैया और दादरी से अपने आवंटन के समान बिजली नहीं ले रहा है और राज्य वितरण इकाईयों द्वारा करीब 300 मेगावाट की मांग को शीघ्र ही उपलब्ध कराया जा सकता है। अन्य राज्य तापीय इकाईयों की कोयला भंडार स्थिति भी उचित एवं पर्याप्त है।
राज्य सरकार के लिए उपलब्ध समाधान
उत्तर प्रदेश में बिजली का आंतरिक उत्पादन करीब 10,100 मेगावाट है जिसमें वर्तमान में सिर्फ 4,500-5,500 मेगावाट ही उपलब्ध है और इस कमी को पूरा करने के लिए राज्य इसमें सुधार कर सकता है। विद्युत के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य राज्यों से भी मांग की जा सकती है और वहां इसके लिए कोई पारेषण बाध्यता भी नहीं है।
इसके अलावा एनटीपीसी के झज्जर संयंत्र में भी 337 मेगावाट विद्युत उपलब्ध है जिसे राज्य अपील करके प्राप्त कर सकता है। चुनाव के दौरान, उत्तर प्रदेश में एनटीपीसी के झज्जर संयंत्र से 3 मई से 15 मई, 2014 तक के लिए 277 मेगावाट बिजली खरीदी थी।
इन स्रोतों के अलावा अपनी बिजली की कमी को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश विद्युत आदान-प्रदानों के माध्यम से पर्याप्त खरीद सकता है।
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