विनायक : नायक या खलनायक

छत्तीसगढ़ की एक अदालत ने मानवाधिकार कार्यकर्ता और पीपल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज के उपाध्यक्ष विनायक सेन को राजद्रोह के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई है। विनायक सेन को यह सजा नक्सलियों के साथ संबंध रखने और उनको सहयोग देने के आरोप साबित होने के बाद सुनाई गई है।

अदालत द्वारा विनायक सेन को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद देशभर के चुनिंदा वामपंथी लेखक, बुद्धिजीवी आदोलित हो उठे हैं। इन्हें लगता है कि न्यायपालिका ने विनायक सेन को सजा सुनाकर बेहद गलत किया है और उसने राज्य की दमनकारी नीतियों का साथ दिया है। उन्हें यह भी लगता है कि यह विरोध की आवाज को कुचलने की एक साजिश है। विनायक सेन को हुए सजा के खिलाफ वामपंथी छात्र संगठन से जुड़े विद्यार्थी और नक्सलियों के हमदर्द दर्जनों बुद्धिजीवी दिल्ली के जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए और जमकर नारेबाजी की। बेहद उत्तेजक और घृणा से लबरेज भाषण दिए गए।जंतर-मंतर पर जिस तरह के भाषण दिए जा रहे थे वह बेहद आपत्तिजनक थे। वहा बार-बार यह दुहाई दी जा रही थी कि राज्य सत्ता विरोध की आवाज को दबा देती है और अघोषित आपातकाल का दौर चल रहा है।

वहा मौजूद एक वामपंथी विचारक ने शकर गुहा नियोगी और सफदर हाशमी की हत्या को सरकार-पूंजीपति गठजोड़ का नतीजा बताया। उनका तर्क था जब भी राज्य सत्ता के खिलाफ कोई आवाज अपना सिर उठाने लगती है तो सत्ता उसे खामोश करने का हर संभव प्रयास करता है।शकर गुहा नियोगी और सफदर हाशमी की हत्या तो इन वामंपंथी लेखकों-विचारकों को याद रहती है, उसके खिलाफ डंडा-झडा लेकर साल दर साल धरना प्रदर्शन और विचार गोष्ठिया भी आयोजित होती हैं, लेकिन उसी साहिबाबाद में नवंबर में पैंतालीस साल के युवा मैनेजर की मजदूरों द्वारा पीट-पीट कर हत्या किए जाने के खिलाफ इन वामपंथियों ने एक भी शब्द नहीं बोला।

मजदूरों द्वारा मैनेजर की सरेआम पीट-पीटकर नृशस तरीके से हत्या पर इनमें से किसी ने भी मुंह खोलना गंवारा नहीं समझा। कोई धरना प्रदर्शन या बयान तक जारी नहीं हुआ, क्योंकि मैनेजर तो पूंजीपतियों का नुमाइंदा होता है लिहाजा उसकी हत्या को गलत करार नहीं दिया जा सकता है।

परंतु हमारे देश के वामपंथी यह भूल जाते हैं कि गाधी के इस देश में हत्या और हिंसा को किसी भी तरह जायज नहीं ठहराया जा सकता है। शकर गुहा नियोगी या सफदर हाशमी की हत्या की जिसकी पुरजोर निंदा की जानी चाहिए और दोषियों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाना चाहिए, लेकिन उतने ही पुरजोर तरीके से फैक्ट्री के मैनेजर की हत्या का भी विरोध होना चाहिए और उसके मुजरिमों को भी उतनी ही सजा मिलनी चाहिए जितनी नियोगी और सफदर के हत्यारे को।

दो अलग-अलग हत्या के लिए दो अलग-अलग मापदंड नहीं अपनाए जा सकते।ठीक उसी तरह से अगर विनायक सेन के कृत्य राजद्रोह की श्रेणी में आते हैं तो उन्हें इसकी सजा मिलनी ही चाहिए और अगर निचली अदालत से कुछ गलत हुआ है तो वह हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट से निरस्त हो जाएगा। अदालतें सुबूत और गवाहों के आधार पर फैसला करती हैं। आप अदालतों के फैसले की आलोचना तो कर सकते हैं, लेकिन उन फैसलों को वापस लेने के लिए धरना प्रदर्शन करना घोर निंदनीय है।

भारतीय संविधान में न्याय की एक प्रक्रिया है और यदि निचली अदालत से किसी को सजा मिलती है तो उसके बाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का विकल्प खुला हुआ है। अगर निचली अदालत में कुछ गलत हुआ है तो ऊपर की अदालत उसको हमेशा सुधारती रही है। ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं जहा निचली अदालत से मुजरिम बरी करार दिए गए हैं, लेकिन ऊपरी अदालत ने उनको कसूरवार ठहराते हुए सजा मुकर्रर की है।दिल्ली के चर्चित मट्टू हत्याकाड में आरोपी संतोष सिंह को निचली अदालत ने बरी कर दिया, लेकिन उसे ऊपरी अदालत से जमानत मिली। ठीक इसी तरह से निचली अदालत से दोषी करार दिए जाने के बाद भी कई मामलों में ऊपर की अदालत ने मुजरिमों को बरी किया है।

लोकतंत्र में संविधान के मुताबिक एक तय प्रक्रिया है तथा संविधान और लोकतंत्र में आस्था रखने वाले सभी जिम्मेदार नागरिकों से उस तय संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करने की अपेक्षा की जाती है।विनायक सेन के मामले में भी उनके परिवार वालों ने हाईकोर्ट जाने का ऐलान कर दिया है, लेकिन बावजूद इसके यह वामपंथी नेता और बुद्धिजीवी अदालत पर दबाव बनाने के मकसद से धरना-प्रदर्शन और बयानबाजी कर रहे हैं।

दरअसल इन वामपंथियों के साथ बड़ी दिक्कत यह है कि अगर कोई भी संस्था उनके मन मुताबिक चले तो वह संस्था आदर्श है, लेकिन अगर उनके सिद्धातों और चाहत के खिलाफ कुछ काम हो गया तो वह संस्था सीधे-सीधे सवालों के घेरे में आ जाती है। अदालतों के मामले में भी ऐसा ही हुआ है जो फैसले इनके मन मुताबिक होते हैं उसमें न्याय प्रणाली में इनका विश्वास गहरा जाता है, लेकिन जहा भी उनके अनुरूप फैसले नहीं होते हैं वहीं न्यायप्रणाली संदिग्ध हो जाती है।

रामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद विवाद के पहले यही वामपंथी नेता कहा करते थे कि कोर्ट को फैसला करने दीजिए वहा से जो तय हो जाए वह सबको मान्य होना चाहिए, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला उनके मनमुताबिक नहीं आया तो अदालत की मंशा संदिग्ध हो गई। इस देश में इस तरह के दोहरे मानदंड नहीं चल सकते।

अगर हम वामपंथ के इतिहास को देखें तो उनकी भारतीय गणतंत्र और संविधान में आस्था हमेशा से शक के दायरे में रही है। जब भारत को आजादी मिली तो उसे शर्म करार देते हुए उसे महज गोरे बुर्जुआ के हाथों से काले बुर्जुआ के बीच शक्ति हस्तातरण बताया गया था।यह भी ऐतिहासितक तथ्य है कि कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया यानी सीपीआई ने फरवरी 1948 में नवजात राष्ट्र भारत के खिलाफ हथियारबंद विद्रोह शुरू किया था और उस पर काबू पाने में तकरीबन तीन साल लग गए थे और वह भी रूस के शासक स्टालिन के हस्तक्षेप के बाद ही संभव हो पाया था। 1950 में सीपीआई ने संसदीय व्यवस्था में आस्था जताते हुए आम चुनाव में हिस्सा लिया, लेकिन साठ के दशक के शुरुआत में पार्टी दो फाड़ हो गई और सीपीएम का गठन हुआ।

सीपीएम हमेशा से रूस के साथ-साथ चीन को भी अपना रहनुमा मानता आया है। तकरीबन एक दशक बाद सीपीएम भी टूटा और माओवादी के नाम से एक नया धड़ा सामने आया। सीपीएम तो सिस्टम में बना रहा, लेकिन माओवादियों ने सशस्त्र क्राति के जरिए भारतीय गणतंत्र को उखाड़ फेंकने का ऐलान कर दिया।

विचारधारा के अलावा भी वह हर चीज के लिए चीन का मुंह देखते थे।माओवाद में यकीन रखने वालों का एक नारा उस समय काफी मशहूर हुआ था कि चीन के चेयरमैन हमारे चेयरमैन। माओवादी नक्सली अब भी सशस्त्र क्राति के माध्यम से भारतीय गणतंत्र को उखाड़ फेंकने की मंशा पाले बैठे हैं। क्या इस विचारधारा को समर्थन देना राजद्रोह नहीं है?नक्सलियों के हमदर्द हमेशा से यह तर्क देते हैं कि वो हिंसा का विरोध करते हैं, लेकिन साथ ही वह यह जोड़ना नहीं भूलते कि हिंसा के पीछे राज्य की दमनकारी नीतिया हैं।

देश में हो रही हिंसा का खुलकर विरोध करने के बजाय नक्सलियों को हर तरह से समर्थन देना कितना जायज है इस पर राष्ट्रव्यापी बहस होनी चाहिए।एंटोनी पैरेल ने ठीक कहा है कि भारत के मा‌र्क्सवादी पहले भी और अब भी भारत को मा‌र्क्सवाद के तर्ज पर बदलना चाहते हैं, लेकिन वह मा‌र्क्सवाद में भारतीयता के हिसाब से बदलाव नहीं चाहते हैं। एंटोनी के इस कथन से यह साफ हो जाता है कि यही भारत में मा‌र्क्स के चेलों की सबसे बड़ी कमजोरी है।

विनायक सेन अगर बेकसूर हैं तो अदालत से वह बरी हो जाएंगे, लेकिन अगर कसूरवार हैं तो उन्हें सजा अवश्य मिलेगी। भारत के तमाम बुद्धिजीवियों को अगर देश के संविधान और कानून में आस्था है तो उनको धैर्य रखना चाहिए और अंतिम फैसले का इंतजार करना चाहिए। इसलिए न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े करने अथवा किसी तरह दबाव बनाने की राजनीति से बाज आना चाहिए और इसके लिए किए जा रहे धरने-प्रदर्शन को तत्काल बंद कर दिया जाए।

चीन ने कश्मीर के लिए स्टेपल वीजा बंद किया

जम्मू-कश्मीर के बाशिंदों के लिए चीन ने अब स्टेपल वीजा देना बंद कर दिया है। चीन ने यह कदम बिना किसी आधिकारिक घोषणा के उठाया है। आला सरकारी अधिकारियों के मुताबिक चीन ने इसकी आधिकारिक घोषणा इसलिए नहीं की है क्योंकि यह जाहिर नहीं होने देना चाहता है कि यह कदम भारत के दबाव में उठाया गया है।

नई दिल्ली में एक आला सरकारी सूत्र ने कहा है कि स्टेपल वीजा मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए भारत की ओर से भी इस बारे में आधिकारिक तौर पर बयान नहीं जारी किया जा रहा है।

चीन के प्रधानमंत्री वन च्या पाओ ने 15-17 दिसंबर के भारत दौरे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत के दौरान अपनी ओर से ही नत्थी वीजा के मसले को छेड़ा था और कहा था कि यह मसला अधिकारियों के बीच बातचीत में सुलझा लिया जाएगा। इस तरह चीनी प्रधानमंत्री वन च्या पाओ ने यह कहने की कोशिश की थी कि यह इतना बड़ा मसला नहीं है कि इस पर दो प्रधानमंत्रियों के बीच बातचीत हो। अब यहां आला अधिकारियों का कहना है कि चीन ने बिना किसी सार्वजनिक ऐलान के जम्मू-कश्मीर के बाशिंदों को सामान्य वीजा जारी करना शुरू कर दिया है।

वास्तव में, प्रधानमंत्री वन च्या पाओ के भारत आने के पहले ही चीन ने एशियाई खेलों के लिए गई जम्मू की एक कलाकार को सामान्य वीजा जारी किया था। लेकिन तब इसे एशियाई खेलों से जोड़कर देखा गया था और यहां चीनी दूतावास की प्रवक्ता ने इस बारे में जवाब दिया था कि चीन की वीजा नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।

चीन ने पिछले कुछ सालों से जम्मू-कश्मीर के लोगों के पासपोर्ट पर नत्थी वीजा जारी करना शुरू किया था, क्योंकि चीन ने जम्मू-कश्मीर को एक विवादास्पद इलाका बताया था। लेकिन इसी साल जुलाई में जब थलसेना के उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बी. एस. जसवाल को जम्मू-कश्मीर में तैनात होने की वजह से चीन ने स्टेपल वीजा देने की कोशिश की, तो भारत ने उनकी अगुवाई में चीन जा रहे सैन्य शिष्टमंडल का चीन दौरा रद्द कर दिया। इसके बाद भारत ने चीन के साथ रक्षा संबंध स्थगित करने की घोषणा की।

छत्तीसगढ़ में राहुल गाँधी पर एक और मुकदमा

विकीलीक्स के खुलासे के अनुसार हिंदुवादी संगठनों के बारे में की गयी कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग वाली याचिका छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में जिला न्यायालय में दाखिल की गयी है।

भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष सौरभ कोठारी ने सांसद और कांग्रेस महासचिव राहुल के खिलाफ स्थानीय अदालत में आज यह याचिका दाखिल की।

यह याचिका राहुल के हिंदू संगठनों को लश्कर ए तैयबा से ज्यादा खतरनाक बताये जाने संबंधी कथित टिप्पणी के खिलाफ दाखिल की गयी है।

गौरतलब है कि विकीलीक्स के एक खुलासे के मुताबिक, राहुल ने अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर से कहा था कि लश्कर ए तैयबा से हिंदुवादी चरमपंथी संगठन ज्यादा खतरनाक हैं।

यहां संवाददाता सम्मेलन में जिला भाजयुमो अध्यक्ष कोठारी ने कहा कि राहुल ने महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए बेहद गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी की है। उन्होंने हिंदू संगठनों की तुलना दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन से की है।

उन्होंने कहा कि यही नहीं, राहुल ने बिना किसी तथ्य और प्रमाण के हिंदू संगठनों को देश के लिये लश्कर ए तैयबा से ज्यादा खतरनाक करार दिया है। इससे देश और दुनिया के तमाम हिंदू संगठन और आम जनता आहत है। राहुल गांधी की इस टिप्पणी ने देश में अशांति फैलाने वाला काम किया है और इसके जिम्मेदार वह खुद हैं।

दोपहर भाजयुमो कार्यकर्ताओं के साथ कोठारी जिला न्यायालय पहुंचे और मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी वी. टोको की अदालत में परिवाद दायर करते हुए गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 :क:, धारा 153 :ख:, 295 :क:, धारा 504 के तहत प्रकरण दर्ज करने का आग्रह करते हुए याचिका दाखिल की।

संजय गांधी की नीतियाँ गलत थीं - रीता बहुगुणा

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने आज कहा कि कांग्रेस के दिवंगत पूर्व नेता संजय गांधी द्वारा अपनी नीतियों पर अमल के लिये उतावलापन दिखाया जाना और बलप्रयोग करना गलत था।

बलिया में एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने आईं रीता ने संवाददाताओं से कहा ‘‘हर नेता की अपनी विचारधारा होती है लेकिन संजय गांधी ने अपनी नीतियों पर अमल के लिये जिस तरह उतावलापन दिखाया और उसके लिये दबाव और बल का प्रयोग किया, वह गलत था।’’ हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि संजय गांधी के ज्यादातर विचार कांग्रेस की विचारधारा से मेल खाते थे।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा सम्पादित किताब ‘द कांग्रेस एण्ड द मेकिंग आफ द इंडियन नेशन’ में संजय गांधी के बारे में किये गए आकलन के बारे में पूछे जाने पर रीता ने कहा कि वह व्यक्तिगत राय है।

उन्होंने कहा कि मुखर्जी एक वरिष्ठ मंत्री होने के साथ-साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और इतिहासकार भी हैं।

ढाई साल की जांच के बाद सीबीआई ने अरुषि हत्या कांड की जांच की फाइल बंद की

नोएडा के बहुचर्चित आरुषि तलवार मर्डर केस में करीब ढाई साल की जांच के बाद भी केंद्रीय जांच ब्यूरो ( सीबीआई ) के हाथ कुछ भी नहीं लगा। सीबीआई ने गाजियाबाद के स्पेशल कोर्ट में जांच करने के लिए पर्याप्त सबूत मिलने की बात कहते हुए इसकी जांच को बंद करने की रिपोर्ट फाइल कर दी। सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि उसे घटना स्थल पर पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाए थे।।

नोएडा के जलवायु विहार अपार्टमेंट में 16 मई 2008 को आरुषि का शव मिला था। अगले ही दिन यानी 17 मई को घर की छत पर नौकर हेमराज भी मृत मिला था। 15 दिनों तक केस पर काम करने के बाद यूपी पुलिस के किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाने के कारण इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। एक जून 2008 को जॉइंट डायरेक्टर अरुण कुमार के नेतृत्व में सीबीआई ने आरुषि के पिता राजेश तलवार की गिरफ्तारी के साथ ही इस मामले की जांच शुरू की।

राजेश तलवार 50 दिनों तक जेल में भी रहे थे। बीआई ने इस मामले में आरुषि के पिता डॉ. राजेश तलवार के कपाउंडर कृष्णा को आरोपी बनाया था। उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना था कि शवों के पोस्टमार्टम के बाद यह बात सामने आई कि दोनों हत्याओं में एक ही तरह के हथियार का इस्तेमाल किया गया।

फिर भौंका दिग्गी - शहीद करकरे पर दिए बयान पर दी सफाई

मुंबई एटीएस के पूर्व प्रमुख दिवंगत हेमंत करकरे को मुस्लिमों के लिये खुदा बताने वाले अपने बयान को हल्का करते हुए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सफाई दी कि उन्होंने सिर्फ यह कहा था कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को महसूस हुआ कि उन्हें पुलिस अधिकारी की शक्ल मेंखुदा का पैगाम देने वालामिल गया है।

कांग्रेस इस बयान पर अपना पल्ला झाड़ती नजर आई। इसी कड़ी में कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘किसी भी मजहब में आप इंसान की तुलना ईश्वर से नहीं कर सकते हैं। उन्होंने :दिग्विजय: शायद मुहावरे में यह बात कह दी।’’ वहीं दिग्विजय सिंह ने प्रेट्र को बताया, ‘‘मैंने कहा था कि हेमंत करकरे ने मालेगांव धमाके के सिलसिले में हिंदू संगठनों से जुड़े कुछ लोगों को गिरफ्तार किया तो मुस्लिमों को राहत मिली। उन्हें महसूस हुआ कि कम से कम इस ईमानदार पुलिस अधिकारी ने यह कार्रवाई ऐसे समय में की जब आतंकवादी मामलों में केवल मुस्लिमों को पकड़ा जाता है। उन्हें महसूस हुआ कि करकरे की शक्ल में खुदा का पैगाम देने वाला मिल गया। इसके लिये मुस्लिम करकरे का बेहद सम्मान करते थे।’’

इससे पूर्व मीडिया में आई खबरों में दिग्विजय के हवाले से कहा गया था ‘‘हेमंत करकरे देश में मुसलमानों के लिए खुदा के रूप में आए..उन्होंने समुदाय को कलंकित होने से बचाया।’’ दिग्विजय ने यह टिप्पणी मुम्बई में एक किताब के विमोचन समारोह के दौरान की थी ।

अपराधी को टिकेट नहीं तो करूँगा ममता की पार्टी का प्रचार - स्वामी रामदेव

योग गुरु स्वामी रामदेव अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा के चुनाव में तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के लिए प्रचार करेंगे। उन्होंने कहा कि वह ऐसा करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते ममता यह वादा करें कि वह किसी आपराधिक छवि वाले व्यक्ति को चुनाव में टिकट नहीं देंगी।

योग गुरु सोमवार को मर्चेट चैंबर ऑफ कामर्स की ओर से आयोजित प्रश्नोत्तर सत्र में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के बारे में काफी सुना है। उनका राजनीतिक जीवन साफ-सुथरा है। वह चाहते हैं कि बंगाल में राजनीतिक सत्ता का परिवर्तन हो और राज्य के विकास का मार्ग प्रशस्त हो।स्वामी रामदेव ने कहा कि बंगाल पहले काफी शक्तिशाली हुआ करता था, लेकिन अब इसमें ठहराव आ गया है। लंबे समय से सत्ता में बने रहने के कारण वामो सरकार निरंकुश हो गई है।

उन्हें उम्मीद है कि 2011 में सत्ता परिवर्तित होगी। रविवार को ममता के बेहद करीबी पार्थ चटर्जी से बाबा रामदेव की फोन पर बात हुई थी।उन्होंने कहा कि ममता से वह आग्रह करेंगे कि अगले साल होने वाले राज्य विधान सभा चुनाव के लिए साफ छवि वाले लोगों को ही उम्मीदवार बनाएं। यदि ऐसा होता है तो वे बंगाल के गांवों में रहने वाले अपने अनुयायियों से तृणमूल का समर्थन करने के लिए कहेंगे। इतना ही नहीं वह खुद भी चुनाव प्रचार करेंगे।

बलूचिस्तान के 27 हिंदू परिवारों ने भारत में शरण माँगी

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंदू समुदाय के सदस्यों की हत्या और फिरौती के लिए अपहरण की घटनाएं बढ़ जाने के कारण 27 हिंदू परिवारों ने भारत में राजनीतिक शरण मांगी है। इन परिवारों ने भारत जाने के कारण के रूप में फिरौती के लिए अपहरण और हत्या की घटनाओं में वृद्धि का जिक्र किया है।

समाचार पत्र 'डॉन' में सोमवार को प्रकाशित खबर के अनुसार संघीय मानवाधिकार मंत्रालय से सम्बद्ध क्षेत्रीय निदेशक, सईद अहमद खान ने 'बलूचिस्तान संकट पर प्रांतीय सम्मेलन' शीर्षक पर आयोजित एक संगोष्ठी में यह जानकारी दी है। खान ने कहा है कि बलूचिस्तान में सदियों से हिंदू निवास कर रहे हैं। लेकिन, हाल के सप्ताहों में अल्पसंख्यक समुदाय के कई सदस्यों को या तो अगवा कर लिया गया या फिर उनकी हत्या कर दी गई। इस कारण वे भारत में शरण लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

अखबार ने खान के हवाले से कहा है, 'बलूचिस्तान के 27 हिंदू परिवारों ने भारत में शरण लेने के लिए भारतीय दूतावास में आवेदन भेजा है।' खान ने कहा है कि यह एक गम्भीर चिंता का विषय है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि वह बलूचिस्तान में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए।

मानवाधिकार मंत्रालय के आंकड़े भी बताते हैं कि बलूचिस्तान में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और लोगों को फिरौती के लिए अगवा किया जा रहा है। नेशनल पार्टी के उपाध्यक्ष इशाक बलूच ने कहा कि बलूच युवक निराश हो गए हैं, क्योंकि उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया है और उनकी राष्ट्रीय पहचान को मान्यता नहीं दी गई है। हजारा डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष अब्दुल खालिक हजारा ने बलूचिस्तान में कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति के लिए अराजक तत्वों को जिम्मेदार ठहराया है। बलूचिस्तान में फिरौती के लिए अपहरण करने वाले 100 से अधिक समूह सक्रिय हैं।

भ़डकाऊ सवाल पूछने पर कश्मीर यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर गिरफ्तार

कश्मीर यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर को एक प्रश्न-पत्र में भ़डकाने वाले प्रश्न पूछने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इस प्रश्न-पत्र में कई सवाल भ़डकाने वाले माने जा रहे हैं।

प्रोफेसर नूरमोहम्मद भट्ट ने बीएससी के छात्रों के लिए बनाए प्रश्न-पत्र में एक सवाल पूछा है- क्या पत्थर फेंकने वाले वास्तविक हीरो हैं! गौरतलब है कि कश्मीर में पिछले तीन महीनों में पत्थर फेंकने और उसके बाद पुलिस कार्रवाई में 110 लोगों की मौत हो चुकी है। इसी प्रश्न-पत्र में एक प्रश्न में उर्दू से अंग्रेजी में अनुवाद करना था जो इस तरह था- कश्मीरियों का खून पानी की तरह बहाया गया है। कश्मीरी बच्चे पुलिस द्वारा मारे जा रहे हैं और कश्मीरी औरतों पर गोलियों की बौछार हो रही है।

यूनिवर्सिटी में बीस साल से पढ़ा रहे नूरमोहम्मद भट्ट को कारण बताओ नोटिस भी दिया गया है। प्रोफेसर के साथ उनके इस कृत्य से हैरान हैं, क्योंकि वे शांत प्रवृत्ति के माने जाते हैं। उनके कई साथी यह भी मानते हैं कि वह लंबे प्रदर्शन और पत्थर फेंकने के तरीके को निर्रथक मानते थे।

अब परीक्षा नियंत्रक सभी प्रश्न-पत्रों की जांच करवा रहे हैं जिससे कि किसी और प्रश्न-पत्र में ऎसे सवाल छात्रों तक न पहुंचें।

भाजपा ने प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग की

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रविशंकर प्रसाद ने प्रधानमंत्री से नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग करते हुए रविवार को यहां आधिकारिक दस्तावेज जारी किए। ये दस्तावेज तत्कालीन दूरसंचार मंत्री राजा और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के बीच पत्राचार से जुड़े हैं। उन्होंने दावा किया कि पीएमओ को नवंबर, 2007 से अनियमितताओं की जानकारी थी। उन्होंने जेपीसी की मांग फिर दोहराई।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि वे ईमानदार हैं तो फिर वे जनता के पैसे की लूट पर चुप्पी कैसे साध सकते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और अन्य पार्टी नेताओं को कॉपरेरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया से जोड़े जाने के मामले में कांग्रेस को बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।

What is a Joint Parliamentary Committee (JPC) ?


Mandated to inquire into a specific subject, a JPC is constituted either through a motion adopted by one House and concurred by the other, or, through communication between the presiding officers of the two Houses. The members are either elected by the Houses or nominated by the presiding officers. As in the case of other parliamentary committees, they are drawn from different groups. The strength of a JPC may vary. For instance, one JPC comprised 15 members, while two others had 30 members each. The Lok Sabha share is double than that of the Rajya Sabha.

What happens if the term of a Lok Sabha expires before a JPC completes its work?

When a committee is unable to complete its work before the expiry of its term or before the dissolution of the Lok Sabha, it reports that fact to the House. In such cases, any preliminary report, memorandum or note that may have been prepared by the committee is made available to the succeeding committee.


What are the powers of a JPC?

A JPC can obtain evidence of experts, public bodies, associations, individuals or interested parties suo motu or on requests made by them. If a witness fails to appear before a JPC in response to summons, his conduct constitutes a contempt of the House.

The JPC can take oral and written evidence or call for documents in connection with a matter under its consideration. The proceedings of parliamentary committees are confidential, but in the case of the joint committee which went into "Irregularities in Securities and Banking Transactions", the committee decided that considering the widespread public interest in the matter, the chairman should brief the press about deliberations of the committees.

Ministers are not generally called by the committees to give evidence. However, in case of the Irregularities in Securities and Banking Transactions probe again, an exception was made, with the JPC, with the permission of the Speaker, seeking information on certain points from ministers and calling Ministers of Finance and Health and Family Welfare.

The government may withhold or decline to produce a document if it is considered prejudicial to the safety or interest of State. The Speaker has the final word on any dispute over calling for evidence against a person or production of a document.

How many JPCs have been there till date? What have been their findings? Has anyone been convicted by them?

There have been only four investigative JPCs so far.

The first was instituted to inquire into the Bofors contract on a motion moved by then defence minister K C Pant in the Lok Sabha on August 6, 1987. The Rajya Sabha endorsed it a week later. The committee, headed by B Shankaranand, held 50 sittings and gave its report on April 26, 1988. Opposition parties boycotted the committee on the ground that it was packed with Congress members. The JPC report was tabled in Parliament, but it was rejected by the Opposition.

The second investigative JPC, headed by former Union minister and senior Congress leader Ram Niwas Mirdha, was set up to probe Irregularities in Securities and Banking Transactions in the aftermath of the Harshad Mehta scandal. The motion was moved by then minister for parliamentary affairs Ghulam Nabi Azad in the Lok Sabha on August 6, 1992. The Rajya Sabha concurred with it the next day. The recommendations of the JPC were neither accepted in full nor implemented.

The third investigative JPC was assigned to probe the market scam. Then parliamentary affairs minister Pramod Mahajan piloted a motion in the Lok Sabha on April 26, 2001, to put it in place. Senior BJP member Lt Gen Prakash Mani Tripathi (retd) was named the chairman. The committee held 105 sittings and gave its report on December 19, 2002. The committee recommended sweeping changes in stock market regulations. However, many of these recommendations were diluted later.

The last JPC was set up in August 2003 to look into pesticide residues in soft drinks, fruit juice and other beverages and to set safety standards. The committee, headed by NCP chief Sharad Pawar, held 17 sittings and submitted its report to Parliament on February 4, 2004. The report confirmed that soft drinks did have pesticide residues and recommended stringent norms for drinking water.

Why does the Opposition want a JPC?

The Public Accounts Committee of Parliament is supposed to conduct a detailed examination of the reports of the Comptroller and Auditor-General (CAG), scrutinising the yearly accounts of the Government. Having 15 members of the Lok Sabha and seven members of the Rajya Sabha, the chairmanship of the PAC conventionally goes to a nominee of the main opposition party. The PAC calls upon ministries to explain cases of financial irregularities. The Opposition argument is that the 2G spectrum scam goes far beyond accounting. A JPC can spread its net wider and go into the larger gamut of allocation and look into the role of various players. More, once a JPC gets going, it would help the Opposition keep the heat on the government through consistent reporting of proceedings. The moot point is that PAC chairman Murli Manohar Joshi is already waiting in the wings to go into the CAG report. In case the government accepts the demand for a JPC, in effect, it may mean both a JPC and PAC.

Source: The Indian Express

विविधताओं के बावजूद हम एक हैं और यही हिंदुत्व है - भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि संघ देश और समाज की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है और अनेकता में एकता में विश्वास रखता है।

कांग्रेस द्वारा संघ की आलोचना की ओर संकेत करते हुए भागवत ने कहा, ‘‘ हम अनेकता में एकता में विश्वास करते हैं। जाति, संस्कृति, धर्म और क्षेत्र की विविधताओं के बावजूद हम एक हैं और यही हिंदुत्व है । यहां तक कि जिनके पास सोचने समझने की क्षमता नहीं है, चाहे अनचाहे वे भी इस विचारधारा का पालन करते हैं। ’’ भागवत अखिल भारतीय विद्यार्थी पार्टी :एबीवीपी: के विकास के लिए देश में काम करने वाले आरएसएस पदाधिकारी पदमनाभ आचार्य के 80 वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित मुंबई में भाजपा कार्यालय पर जमा भीड़ को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम पर आंतरिक और बाहरी तौर पर प्रहार किया गया है। उनके लिए कठिन समय है, जो इन समस्याओं के बारे में सोचते हैं। हम हमेशा से निदान के बारे में सोचते हैं और अपनी विचारधारा के बारे में प्रतिबद्ध हैं। ’’ भागवत ने कहा है कि आरएसएस कार्यकर्ता किसी अपेक्षा के बिना अनवरत काम करते हैं ।

काग्रेस की सरकार में एक ही मुस्लिम मंत्री वो भी हिंदुस्तान से नहीं कश्मीर से - आज़म खान

हाल ही में दोबारा सपा में शामिल हुए आजम खां का जम्मू-कश्मीर पर दिया बयान कश्मीर के नेताओं को भी बेहद नागवार गुजरा है। जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज ने तो आजम को याद दिलाया है कि वे जिसे 'कश्मीर' राज्य बता रहे हैं, वह दरअसल 'जम्मू-कश्मीर' है।

सपा नेता ने कश्मीर के संदर्भ में दिए अपने बयान के सिलसिले में जिस तरह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के नाम का इस्तेमाल किया है, उससे वे भी आहत हैं। हालांकि इस बारे में पूछने पर आजाद ने सिर्फ इतना ही कहा कि इस पर राज्य के नेताओं ने पहले ही प्रतिक्रिया दे दी है।

आजम के बयान को सरासर गलत बताते हुए सोज ने कहा, 'वह यह भूल रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर हिंदुस्तान का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा।' उन्होंने कहा कि आजम का यह कहना भी पूरी तरह से गलत है कि कांग्रेस मुसलमानों पर यकीन नहीं करती। यह कहना भी तथ्यात्मक रूप से सरासर गलत है कि केंद्र में सिर्फ एक मुसलमान मंत्री है। सिर्फ जम्मू-कश्मीर से ही दो केंद्रीय मंत्री इस सरकार में मौजूद हैं।

उल्लेखनीय है कि आजम खां ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा था कि कांग्रेस ने इस सरकार में सिर्फ एक मुसलमान गुलाम नबी आजाद को ही मंत्री बनाया है, वो भी हिंदुस्तान से न होकर कश्मीर से हैं।

कलमाड़ी के आशियानों पर सीबीआई के छापे

कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान वित्तीय गड़बडियों को लेकर ऑर्गनाइजिंग कमिटी के अध्यक्ष रहे कांग्रेस एमपी सुरेश कलमाड़ी के घरों पर सीबीआई ने शुक्रवार सुबह छापे मारे। सीबीआई ने कलमाड़ी के दिल्ली और पुणे स्थित आवासों पर छापे मारे हैं।

सीबीआई ने इन दोनों जगहों पर स्थित उनके कुल चार ठिकानों पर छापे मारे हैं। सूत्रों का कहना है कि कॉमनवेल्थ घोटाले से संबंधित कई महत्वपूर्ण कागजातों के गायब होने के बाद यह छापे मारे जा रहे हैं। सीबीआई इससे पहले आयोजन समिति से जुड़े कई अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है।

सीबीआई यह बात पहले भी कह चुकी है कि कलमाड़ी और उनके साथी सीबीआई के काम में टांग अड़ा रहे हैं। उनके सहयोगी टी एस दरबारी और संजय मोहिन्द्रू फिलहाल जेल में हैं। आज शाम तक कलमाड़ी के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है।

अयोध्या मुद्दे पर हिन्दू महासभा ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी

अखिल भारत हिन्दू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या में विवादास्पद जमीन के मालिकाना हक के बारे में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।

हिन्दू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने सुप्रीम कोर्ट पहुंच कर हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी। इससे पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड और जमाते उलेमा ए हिन्द ने भी सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए थे। हाई कोर्ट के फैसले में विवादास्पद भूमि को तीन हिस्सों में बांटते हुए उसके दो हिस्से हिन्दुओं और एक मुसलमानों को दिया गया है।

हिन्दू महासभा ने अपनी याचिका में अनुरोध किया है कि सुप्रीम कोर्ट 30 सितंबर को न्यायमूर्ति धर्मवीर द्वारा दिए गए अल्पमत फैसले का समर्थन करे। इस फैसले में पूरी भूमि हिन्दुओं को सौंपने की बात कही गयी थी।

हिन्दू महासभा की याचिका में कहा गया कि न्यायमूर्ति एस. यू. खान और न्यायमूर्ति सुधीर द्वारा दिए गए फैसले को दर किनार किया जाए, जिसमें एक तिहाई संपत्ति को मुस्लिमों के पक्ष में दिया गया है।

राजस्‍थान में हाईकोर्ट ने आरक्षण पर लगाई रोक, गुर्जरों का पुलिस चौकी पर कब्ज़ा

सरकारी नौकरियों में पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर पटरियों पर धरना दे रहे गुर्जरों ने राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देश को मानने से इनकार करते हुए आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। पीलूपुरा और रसेरी गांव के समीप दिल्ली-मुंबई ट्रैक पर जमे गुर्जरों को आरक्षण के मुद्दे पर जाट समुदाय का भी समर्थन मिलने लगा है।

प्रदेशभर में ट्रेनें रोके जाने और सड़कें जाम करने की चेतावनी का असर नहीं दिखा। गुर्जरों ने हिंडौन-महवा मार्ग पर खेड़ला में, नादौती सहित कई जगह रास्ते जाम किए। इस बीच गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैसला ने कहा कि सरकार को बातचीत करनी है तो ट्रैक पर आए। गृहमंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि हम वार्ता को तैयार हैं, पर यह टेबल पर होगी।

पीलूपुरा में रेलवे ट्रैक पर गुर्जरों की संख्या बढ़ती जा रही है। उधर, कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला और उनके साथी 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि सरकार कुछ भी करे, उन्हें तो 5 प्रतिशत आरक्षण चाहिए। उन्होंने गुर्जरों की मांगों के संबंध में सरकार की ओर से किए गए प्रयासों की जानकारी देने के उद्देश्य से अखबारों में प्रकाशित विज्ञापन को भी छलावा बताया।

पीलूपुरा में जिस रेलवे ट्रैक पर आंदोलनकारी गुर्जर बैठे हैं, वहां कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। मंगलवार सुबह इस इलाके में घासफूंस और वाहनों के शीशे और छत पर बर्फ की परत जमी थी। गुर्जर अलावों के सहारे ट्रैक पर जमे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि सरकार गुर्जरों के साथ गत 6 मई को हुए समझौते को लेकर गंभीर है। गुर्जर समाज कानून के प्रति विश्वास और शांति बनाए रखे। दो-तीन दिन में सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। बांदरसिंदरी में मंगलवार दोपहर प्रशासन गांव के संग शिविर का आकस्मिक निरीक्षण करने पहुंचे गहलोत ने कहा कि सरकार समझौते के हर बिंदु का पालन कर रही है। कोर्ट में पैरवी की जा रही है।

बैसला ने पूर्व सांसद विश्वेन्द्रसिंह और भरतपुर कलेक्टर की ओर से दिया गया वार्ता का प्रस्ताव ठुकरा दिया। विश्वेन्द्रसिंह ने वार्ता के लिए सरकार का निमंत्रण पत्र सौंपने के साथ ही मुख्यमंत्री से बैसला की फोन पर बात भी करवाई, लेकिन बैसला ने जयपुर जाने से इनकार कर दिया। इधर भरतपुर कलेक्टर ने भी फोन पर वार्ता के लिए बैसला को न्यौता दिया, लेकिन उन्हें भी साफतौर पर मना कर दिया गया।

उधर, करौली कलेक्टर रहे और वर्तमान में पाली के कलेक्टर नीरज के.पवन, वाणिज्य कर आयुक्त निरंजन आर्य, भरतपुर संभागीय आयुक्त व जयपुर रेंज द्वितीय आईजी राजीव दासोत ने भी बैसला से फोन पर संपर्क साधने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने बात नहीं की। राष्ट्रीय जाट आरक्षण समिति ने भी गुर्जरों के आंदोलन को समर्थन दिया है। मंगलवार को पीलूपुरा में समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक की ओर से भेजे गए प्रतिनिधिमंडल ने इसकी घोषणा की।

उधर, इस समिति के हरियाणा में प्रदेशाध्यक्ष हवासिंह सागवा ने भी आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाने की बात कही है। गुर्जरों ने मंगलवार को बयाना की छौंकड़ा पुलिस चौकी पर कब्जा कर लिया। हालांकि पुलिस का कहना है कि यह चौकी सोमवार को ही खाली कर दी गई थी। गुर्जर चौकी के कमरों और छत पर बैठे हैं।

राहुल की तमिलनाडु यात्रा के दौरान दिखा गुटबाजी का नज़ारा

कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की उपस्थिति में बुधवार को तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी में गुटबाजी एक बार फिर दिखाई दी, जब हवाई अड्डे पर कई कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने द्रमुक के साथ कांग्रेस के गठबंधन पर अपना नजरिया पेश किया।

यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब गहमंत्री पी चिदंबरम के करीबी माने जाने वाले कांग्रेसी नेता कराटे त्यागराजन ने राहुल गांधी से कहा कि कांग्रेस को अन्नाद्रमुक के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहिए और द्रमुक के साथ पार्टी के रिश्ते में कोई दखलअंदाजी नहीं होनी चाहिए।

तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष केवी थंगकाबालू ने उनकी निंदा करते हुए कहा कि हवाई अड्डा गठबंधन जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने की जगह नहीं है। त्यागराजन ने उनसे कहा कि अगर कार्यकर्ताओं का नजरिया पार्टी हाईकमान तक पहुंचाना है तो यह राहुल के द्वारा ही हो सकता है। राहुल ने हालांकि त्यागराजन की बात पर कोई जवाब नहीं दिया।

हिंदूवादी आतंकवाद शब्द का प्रयोग कर आतंकवाद के ध्रुवीकरण की कोशिश - नीतीश

भगवा आतंकवाद शब्द को बार-बार दोहराए जाने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कांग्रेस को आड़े हाथ लिया। मुख्यमंत्री निवास पर संवाददाताओं से बातचीत में एक प्रश्न के उत्तर में नीतीश ने कहा कि हर प्रकार का आतंकवाद खतरनाक होता है। हिंदूवादी आतंकवाद पर कांग्रेस का आरोप ठीक नहीं है।

हिंदूवादी आतंकवाद शब्द का प्रयोग कर आतंकवाद के ध्रुवीकरण की कोशिश हो रही है, जो ठीक नहीं है।

दूरसंचार मंत्रालय में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने से कांग्रेस के इंकार करने पर नीतीश ने कहा कि कांग्रेस जेपीसी से इनकार कर हठधर्मिता कर रही है। इस घोटाले की जांच लोकलेखा समिति नहीं बल्कि जेपीसी कराने की विपक्ष की मांग जायज है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य जुड़े हुए हैं जिसकी जांच केवल संसद की ही समिति उचित तरीके से कर सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी जब भी सत्ता में आती है भ्रष्टाचार एवं महंगाई बढ़ जाती है और संघीय ढांचे पर प्रहार होने के साथ राज्यों का मजाक उड़ाया जाता है।

कांग्रेस में अन्तर्कलह : चूर हो रहे राहुल के सपने

कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2012 में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए कारगर उम्मीदवारों की तलाश की जिम्मेदारी दस पर्यवेक्षकों को सौंपी है। इनमें इक्के-दुक्के को छोड़ दें तो अधिकांश पर्यवेक्षक राहुल के मंसूबों को ध्वस्त करते नजर रहे हैं। अन्तर्कलह की आंच पार्टी को अलग झुलसा रही है।

उम्मीदवारों के चयन के लिए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने एक नई प्रक्रिया अपनायी और इसकी जिम्मेदारी विभिन्न राज्यों से चयनित 10 पर्यवेक्षकों को सौंपी है। लेकिन अधिकांश पर्यवेक्षक या तो तैनाती वाले क्षेत्रों में जा नहीं रहे और अगर जा रहे हैं तो भी उनका काम रस्मअदायगी से ऊपर नहीं उठ पा रहा है। कानपुर में अभी तक कोई पर्यवेक्षक नमूदार नहीं हुआ। कहा जा रहा है कि पर्यवेक्षक की आमद महाधिवेशन के बाद होगी। इटावा के पर्यवेक्षक मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री डा. गोविन्द सिंह ने तीन-चार दौरे जरूर किये, लेकिन उनका समय असंतुष्टों को समझाने-बुझाने में ही बीत गया। फर्रुखाबाद में पर्यवेक्षक ने होटल में बैठकर ही सारी औपचारिकता पूरी कर डाली। वाराणसी अंचल में कोई पर्यवेक्षक ही अब तक नहीं आया।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और पूरब की चालीस विधान सभा क्षेत्रों के पर्यवेक्षक सईद मुजफ्फर हुसैन कहते हैं कि दावेदारों के संबंध में पब्लिक से सीधी बात की जानी है। जनता के लिए पार्टीजन के प्रयास का लिटमस टेस्ट शुरू है। अबकी केवल कार्यकर्ताओं से नारेबाजी करवाने वाले टिकट नहीं हासिल कर पाएंगे। वह विधानसभा क्षेत्रों में चौपाल लगाकर संभावित प्रत्याशी की खोज का अभियान चलाकर चर्चा में हैं।

आगरा, मेरठ, अलीगढ़ में कांग्रेस की जनसंदेश यात्रा में कांग्रेस की गुटबाजी साफ नजर आई। मेरठ जिले में कांग्रेस के पर्यवेक्षक पवन घटोवार और एआरओ जेडी सीलम ने अब तक पांच बैठकें की। इन दौरान खेमेबाजी उभर कर सामने आई। असंतुष्टों ने घटोवर और सीलम के पुतले भी फूंके। मुजफ्फर नगर में हरियाणा से सांसद रामप्रकाश को बतौर पर्यवेक्षक भेजा गया। सहारनपुर में रिटायर्ड आईएएस व पूर्व लोकसभा प्रत्याशी देवीदयाल को पर्यवेक्षक नियुक्त जरूर किया गया मगर उनके आगमन पर कांग्रेसी एक-दूसरे से भिड़ गए।

आगरा की जनसंदेश यात्रा में संयोजक के अलावा यात्रा में कोई दिग्गज नेता नहीं पहुंचा। अलीगढ़ में पर्यवेक्षक भारत भूषण ने भी पार्टी की नब्ज गेस्ट हाउस से ही टटोली। जनता के बीच जाना उन्होंने ठीक नहीं समझा। आंवला में स्थानीय नेताओं ने पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं पर खूब भड़ास निकाली। प्रदेश में इस छोर से लेकर उस छोर तक संगठन में खींचतान बनी हुई है।

जहां-जहां पार्टी की जनसंदेश यात्रा निकली वहां-वहां आपसी रार और तकरार देखने को मिली। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्यों के चयन में तो इस कदर भद पिटी कि पूछिये मत। कई बार जारी की गयी सूची में बदलाव का क्रम बना रहा। हास्यास्पद तब हो गया जब प्राय: सभी जिलों में बनाने और हटाने का खेल चलता रहा। निसंदेह वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के जरिए प्रदेश में ढाई दशक बाद वापस लौटने का सपना देख रही कांग्रेस की राह में कांटे ही कांटे हैं। खोई ताकत पाने के लिए पार्टी के बनाये फार्मूले पर अमल नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि कांग्रेस अपने युवराज राहुल गांधी के सपनों को कैसे पूरा करेगी।

कांग्रेस महाधिवेशन में मनमोहन के भाषण में हंगामा

दिल्ली के बुराड़ी में चल रहे कांग्रेस महाधिवेशन के तीसरे और अंतिम दिन भी बिहार के प्रतिनिधियों ने हंगामा किया, वह भी उस वक्त जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मंच पर भाषण दे रहे थे।

प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान लगभग 11 बजे इन कार्यकर्ताओं ने हंगामा शुरू किया, जिसके चलते अधिवेशन स्थल पर लगभग 10 मिनटों तक अजीबोगरीब माहौल बना रहा। पार्टी के नेताओं और सेवा दल के कार्यकर्ताओं को हंगामा कर रहे प्रतिनिधियों को शांत कराने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।

बिहार चुनाव के नतीजों से नाराज इन प्रतिनिधियों ने केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक के खिलाफ नारेबाजी की और उनके खिलाफ पोस्टर पिचकाए व परचे भी बांटे। इन नेताओं ने वासनिक पर चुनाव के दौरान टिकट बेचने का आरोप लगाया।

गौरतलब है कि महाधिवेशन में रविवार को भी बिहार विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे के मुद्दे पर राज्य इकाई के प्रतिनिधियों ने जमकर हंगामा मचाया था और इसके चलते महाधिवेशन का माहौल कुछ समय के लिए गरमा गया।

सोनिया वेटिकन की एजेंट, राहुल मंदबुद्धि बालक - अशोक सिंघल

विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी दिग्विजय सिंह पर भोपाल में एक धर्मसभा में जमकर बरसे।

सिंघल ने सोनिया को वेटिकन की महिला और राहुल को मंदबुद्धि बताया। दिग्विजय सिंह के बारे में उन्होंने कहा कि उन पर पागलपन सवार हो गया है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए छोला दशहरा मैदान पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए सिंघल ने कहा कि वेटिकन की यह महिला किसी उद्देश्य से भारत आई है। अब समय गया है कि इस विदेशी महिला को वेटिकन भेज दें।

राहुल गांधी को उन्होंने छोटा सा बालक बताते हुए कहा कि उनकी इतनी हिम्मत, संघ को लश्कर--तैयबा से भी खतरनाक बताता है। दिग्विजय सिंह के बारे में उन्होंने कहा कि लगता है उनपर पागलपन सवार हो गया है।

विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल ने हनुमत शक्तिजागरण समिति द्वार यहां आयोजित धर्मसभा में आरोप लगाया कि सोनिया गांधी के कहने पर सरकार हिंदू संतो, धर्माचार्यो और श्रद्धा केंद्रों का अपमान कर रही है।

इसके लिए उन्होंने कांची के शंकराचार्य को जेल भेजने, साध्वी प्रज्ञा का नाकरे टेस्ट होने और रामसेतु से संबंधित मामले में दिए हलफनामे में राम का अस्तित्व नकारने जैसे कई उदाहरण दिए।

एक भीड़ भरी सभा में उन्होंने कहा इस देश पर राज कर रही सोनिया हिंदू संगठनों को समाप्त करने का काम कर रही है और भगवा को आतंकवादी कह रही है।

सिंघल ने जोर देकर कहा कि राम मंदिर आंदोलन केवल मंदिर निर्माण का आंदोलन नहीं है,बल्कि संस्कृति की स्थापना का आंदोलन है। सभा को संतों और विहिप पदाधिकारियों ने भी संबोधित किया। हनुमत शक्तिजागरण समिति के अध्यक्ष डॉ.शंकरलाल पाटीदार ने सभा की अध्यक्षता की।

सभा के बाद पत्रकारों से चर्चा में सिंघल ने कहा कि सोनिया वेटिकन की खुफिया एजेंसी ओपुस्दाई की एजेंट है। यह संस्था विश्वभर में धर्मातरण पर नजर रखती है। सवालों के जवाब में सिंघल ने राहुल को मंदबुद्धि बताया और कहा कि कोई मंदबुद्धि ही विदेशी राजदूत के सामने ऐसी बातें कर सकता है।

सिंघल ने संघ प्रचारकों की जीवनशैली का जिक्र करते हुए चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि किसी भी संघ पदाधिकारी को आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया तो देशभर में तीव्र विरोध होगा।

उमा भारती के बारे में पूछे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वे राजनीति हमसे पूछ कर नहीं करतीं। लेकिन उनके जुड़ने से मंदिर आंदोलन को लाभ हुआ था।

गिरफ्तारी की आशंका से राजा अपोलो में भर्ती हुए

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में पूर्व टेलिकॉम मंत्री . राजा को तलब किया गया है। उन्हें सीबीआई ने समन भेज दिया है। सीबीआई उनसे पूछताछ करना चाहती है। मगर अचानक राजा की तबीयत खराब हो गई और वह अस्पताल में भर्ती हो गए हैं।

अब राजा अब किसी भी वक्त गिरफ्तार हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियों को उनके खिलाफ काफी सबूत मिल चुके हैं और उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक सीबीआई राजा से उनके निवेश, रकम के स्रोत और पिछले कुछ वर्षों के बैंक ट्रांजैक्शंस के बारे में पूछताछ करना चाहती है।

सूत्रों के मुताबिक खुद राजा को भी इस बात का अंदाजा हो गया है कि वह कभी भी सीबीआई के हत्थे चढ़ सकते हैं। उन्होंने पार्टी प्रमुख करुणानिधि से मुलाकात के लिए समय मांगा है।

इसी बीच सीबीआई का समन मिलते ही अचानक राजा की तबीयत खराब हो गई। खबर है कि वह चेन्नै के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती हो गए हैं। डॉक्टर उनकी जांच कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक राजा सेहत के ही आधार पर अंतरिम जमानत पाने की भी कोशिश कर रहे हैं।

भोपाल गैस त्रासदी के पुराने दस्तावेज गायब

क्या भोपाल गैस त्रासदी से जुडे़ दो दशक पुराने दस्तावेज गायब हो गए हैं? इसमें सरकार और त्रासदी के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड कंपनी के बीच अदालत के बाहर समझौते का उल्लेख है।

सूचना अधिकार [आरटीआइ] कानून के तहत मांगी गई जानकारी पर रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने कहा कि ये दस्तावेज मिल नहीं सके हैं। फरवरी, 1989 में किए गए इस समझौते के मुताबिक यूनियन कार्बाइड कंपनी इस हादसे की आपराधिक और नागरिक जिम्मेदारी लेते हुए ब्याज सहित 47 करोड़ डॉलर का भुगतान करने पर सहमत हो गई थी।

उल्लेखनीय है कि 2-3 दिसंबर, 1984 की रात भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी जहरीली मिथाइल आइसो साइनाइट गैस ने करीब 25 हजार लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। एक आरटीआइ कार्यकर्ता ने इस समझौते से जुडे़ सारे दस्तावेजों की जानकारी विदेश मंत्रालय से मांगी थी।

शुरुआत में मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया। जब केंद्रीय सूचना आयोग ने कैबिनेट सचिवालय को कारण बताओ नोटिस जारी किया, तो उसने कहा कि आवेदन गलत जगह किया गया था। सचिवालय ने इसे रसायन और उर्वरक मंत्रालय के पास भेज दिया। मंत्रालय ने आवेदक को दिए अपने जवाब में कहा, 'समझौते से जुड़े दस्तावेजों को खोजा नहीं जा सका है।' मंत्रालय ने कहा कि इन्हें सुप्रीम कोर्ट से हासिल किया जा सकता है।

आरएसएस कार्यकर्ता सुनील जोशी के हत्यारे संघी ही हैं - दिग्विजय सिंह

भाजपा और संघ परिवार पर हमले तेज करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को आरएसएस कार्यकर्ता सुनील जोशी की हत्या की गहराई से जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि उनकी हत्या इसलिए की गई क्योंकि वे संगठन की गतिविधियों के बारे में कुछ ज्यादा ही जानते थे।

कांग्रेस महासचिव सिंह ने मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर तथ्यों का पता लगाए बगैर जोशी हत्या कांड मामले को बंद करने का आरोप लगाया। मामले की बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी और राजस्थान एटीएस ने जांच की थी।

सिंह ने दावा किया कि हत्या के इस मामले में गिरफ्तार किए गए सभी लोगों ने कभी न कभी आरएसएस के लिए काम किया है। उन्होंने कहा, 'ये सभी आरएसएस के स्वयंसेवक हैं।'

कांग्रेस नेता ने कहा, 'जब वे अपने प्रचारक को माफ नहीं कर सकते तो औरों के साथ वे क्या कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हत्या के इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए। जोशी की दिसंबर 2007 में हत्या हुई थी। सिंह ने कहा कि उन्होंने तो इस मामले की सीबीआई जांच की मांग भी की थी लेकिन यह नहीं हुआ।

राहुल गांधी के बयान से पाकिस्तान को मदद - मोदी

कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी द्वारा हिंदू आतंकवाद पर की गई टिप्पणी के विकिलीक्स के जरिए सामने आने पर भाजपा नेता गरम हैं। पार्टी दो वरिष्ठ नेताओं नरेंद्र मोदी और वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस नेताओं का यह रुख आतंकवाद के विरुद्ध देश की लड़ाई को कमजोर कर रहा है। उन्होंने राहुल की टिप्पणी को तथ्यों से परे करार दिया।

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेता वेंकैया नायडू शनिवार को दो अलग-अलग समारोहों में भाग लेने के लिए मुंबई में थे। मोदी ने कहा कि राहुल गांधी का बयान आतंकवाद के खिलाफ लड़ी जा रही देश की लड़ाई को खोखला करने वाला है। इससे पाकिस्तान को मदद मिलेगी।

मोदी के अनुसार पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और वहीं से आतंकियों का निर्यात चल रहा है। यह जानने के बावजूद अमरीका पाकिस्तान की मदद कर रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या आतंकवाद के मामले में कांग्रेस नेता अमेरिका को गुमराह कर रहे हैं? मोदी ने कोई वक्तव्य देने से इंकार कर दिया।

दूसरी ओर भाजपा के महाराष्ट्र प्रभारी वेंकैया नायडू ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राहुल गांधी ही नहीं, दिग्विजय सिंह और पी चिदंबरम जैसे कांग्रेस नेता भी इन दिनों एक सोची-समझी साजिश के तहत बयानबाजी कर रहे हैं। हिंदू आतंकवाद के बारे में बयानबाजी करने से पहले राहुल गांधी को देश का मानस समझना चाहिए। वह पहले संघ की तुलना सिमी से कर चुके हैं। वह संघ के बारे में जानते नहीं, इसलिए उन्होंने ऐसी बात कही।

इससे पहले नायडू ने भ्रष्टाचार पर 100 पृष्ठों की पुस्तक- द ईयर ऑफ स्कैम 2010 का विमोचन किया। इस पुस्तक को भाजपा सांसद डा. किरीट सोमैया ने लिखा है।

भगवा आतंकवाद इस्लामी आतंकवाद से ज़्यादा खतरनाक - राहुल गाँधी

कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की नज़र में भगवा आतंकवाद इस्लामी आतंकवाद से ज़्यादा खतरनाक है। उन्होंने अमेरिकी राजदूत से बातचीत में अपनी यह राय प्रकट की थी।

विकिलीक्स के ताजा खुलासे से यह बात सामने आई है कि राहुल गांधी ने अमेरिकी राजदूत टिमोथी जे. रोमर से कहा था कि देश को सबसे ज्यादा खतरा भगवा आतंकवाद से है। इस बातचीत में राहुल गांधी ने अमेरिकी राजदूत से कहा था, 'लश्कर-ए-तैयबा जैसे इस्लामी आतंकवादी संगठनों को कुछ मुसलमानों का समर्थन मिला हुआ है,लेकिन देश को उससे बड़ा ख़तरा तेजी से पांव पसार रहे कट्टरपंथी हिंदू संगठनों से है। ये संगठन धार्मिक तनाव और राजनैतिक वैमनस्य पैदा कर रहे हैं।'

तीन अगस्त 2009 को भेजे गए इस गोपनीय अमेरिकी राजनयिक संदेश में रोमर ने 20 जुलाई 2009 को राहुल के साथ दोपहर भोज के दौरान हुई बातचीत का ब्यौरा दिया है। इसके अनुसार राहुल गांधी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे बीजेपी नेताओं द्वारा फैलाए जा रहे तनाव का जिक्र कर रहे थे। इसमें कहा गया था कि देश के भीतर इस्लामी समूहों की ओर से हो रहे आतंकी हमलों की प्रतिक्रिया में हिंदू चरमपंथ के उभरने का खतरा एक बड़ी चिंता का विषय है जिस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

बीजेपी ने राहुल गांधी के इस स्टैंड की निंदा की है और कहा है कि इस तरह का बयान नासमझी भरा है।

विकिलीक्स के खुलासे से उत्पन्न विवाद पर कांग्रेस ने आज सफाई दी कि राहुल गांधी का विचार यह है कि हरतरह का आतंकवाद और सांप्रदायिकता भारत के लिए खतरा है और हमें इसके खिलाफ चौकस रहना है।

सोहराबुद्दीन मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की खिंचाई की

उच्चतम न्यायालय ने आज केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की इस बात के लिए जमकर खिंचाई की कि उपयुक्त स्थानांतरण याचिका तथा विशेष कारणों के बिना आखिर किस आधार पर वह सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले का स्थानांतरण गुजरात से बाहर करने की अनुमति मांग रही है।

गौरतलब है कि सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी की हत्या के मामले में गुजरात के पूर्व गृह राज्यमंत्री अमित शाह और 12 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों पर मुकदमा चल रहा है और इनमें से कई अधिकारी जेल की सीखचों के पीछे हैं।

न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति आर. एम. लोढ़ा की खंडपीठ ने सीबीआई से पूछा कि उपयुक्त स्थानांतरण याचिका दाखिल किए बिना तथा अन्य कारणों को बिना बताए वह किस आधार पर इस मामले के गुजरात से बाहर स्थानांतरण की अनुमति मांग सकती है।

सीबीआई ने गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा अमित शाह को जमानत देने के मामले में उसकी जमानत रद्द करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उच्चतम न्यायालय ने आज इस मामले की सुनवाई 24 जनवरी तक टाल दी और तब तक अमित शाह को गुजरात से बाहर ही रहना पड़ेगा।

दिल्ली में अपराध के लिए प्रवासियों को जिम्मेदार बताने पर चिदंबरम पर केस दर्ज

गृहमंत्री पी चिदंबरम के दिल्ली में अपराध के लिए प्रवासियों के खिलाफ दिये गये बयान के विरूद्ध आज यहां की अदालत में एक वाद पंजीकृत कराया गया

रांची के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आज आशीष कुमार सिंह नामक एक व्यक्ति ने समाज के विभिन्न वर्गों में शत्रुता पैदा करने और अशांति पैदा वाला बयान देने का आरोप लगाते हुए गृहमंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ यह मुकदमा दर्ज कराया ।

अपनी याचिका में उसने कहा कि देश के गृहमंत्री का काम कानून और व्यवस्था कायम करना है । ऐसे में गृहमंत्री स्वयं ऐसा गैरजिम्मेदाराना बयान कैसे दे सकते है ।

याचिकाकर्ता ने भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत गृहमंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का अदालत से अनुरोध किया है ।

डॉ. कर्ण सिंह ने चीन का मैत्री पुरस्कार ठुकराया

वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने चीन के प्रधानमंत्री वान च्यापाओ द्वारा दिए जाने वाले मैत्री पुरस्कार को लेने से इंकार कर दिया है। कर्ण सिंह खुद को चीन समर्थक के तौर पर प्रदर्शित नहीं करना चाहते हैं।

कर्ण सिंह का यह कदम ऐसे समय सामने आया है, जब भारत में चीन द्वारा कश्मीर के लोगों को नत्थी किया हुआ वीजा देने के कदम पर विरोध हो रहा है। चीन के इस कदम का मतलब उस चीन द्वारा कश्मीर के भारत में एकीकरण पर सवालिया निशान लगाया जाना माना जाता है।

राज्यसभा सदस्य और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष कर्ण सिंह पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं हुए। समारोह में सीपीएम नेता सीताराम येचुरी को भी सम्मानित किया गया। उनके साथ ही प्रफेसर तान चुंग, जी. विश्वनाथन, जी. बनर्जी, एम. मोहंती, एस. चक्रवर्ती, भास्करन, शेरदिल और पल्लवी अय्यर को भी सम्मानित किया गया।

संपर्क किए जाने पर कर्ण सिंह ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

मनमोहन की सरकार औद्योगिक घराने चला रहे हैं: आडवाणी

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने नीरा राडिया और फोन टैपिंग मामले में प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि फोन टैपिंग मामले से ऐसा लगता है कि उनकी सरकार को औद्योगिक घराने के लोग चला रहे हैं। आडवाणी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठन (राजग) की ओर से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा, "वे कैसी बात करते हैं, बड़े लॉबिइस्टों की। बड़े-बड़े व्यापारिक घरानों की।"

उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री ने इस संप्रग सरकार का गठन नहीं किया है।" आडवाणी ने कहा कि उन्हें लगता था कि संप्रग सरकार के गठन का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का था।""अब हमें लग रहा है कि इस सरकार का गठन सोनिया गांधी ने भी नहीं किया था। ऐसे लोगों को देखिए जो यह तय कर रहे हैं कि किसे कौन-सा विभाग मिलना चाहिए।"

राजग ने यह संवाददाता सम्मेलन इस बात की घोषणा करने के लिए ही बुलाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराए जाने के लिए राजग का संघर्ष जारी रहेगा।
आडवाणी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से साबित हो गया है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने कैबिनेट की गतिविधियों से ही अनभिज्ञ हैं।
आडवाणी ने कहा, "अब हमें पता चला है कि प्रधानमंत्री यहां तक कि अपने कैबिनेट में घट रही कई घटनाओं से ही वाकिफ नहीं हैं।"
कर्नाटक में करोड़ों रुपये के भू-आवंटन घोटाले में मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा की संलिप्तता के सवाल पर आडवाणी ने कहा कि इस मामले से प्रभावी तरीके से निपटा जा रहा है।

आडवाणी ने कहा, "पार्टी ने कर्नाटक की घटना को संज्ञान में लिया है और उसके साथ प्रभावी तरीके से निपटा जाएगा।"

ज्ञात हो कि येदियुरप्पा ने बेंगलूरु में और उसके आसपास के इलाकों में अपने रिश्तेदारों को प्रमुख भूखंड आवंटित करने में कथित रूप से पक्षपात किया था। इस कारण उन पर इस्तीफे का भारी दबाव बना था। लेकिन पार्टी ने अंतत: उन्हें कुर्सी पर बनाए रखने का निर्णय किया।आडवाणी ने कहा, "मैं कर्नाटक में अपनी खुद की विश्वसनीयता को लेकर चिंतित हूं।

मामले से निपटा जा रहा है और प्रभावी तरीके से निपटा जाएगा।"आडवाणी ने मध्यावधि चुनाव के मुद्दे पर कहा कि संसद में गतिरोध पैदा होने के बाद सांसदों में भय पैदा करने के लिए जान-बूझकर मध्यावधि चुनाव की बात फैलाई गई। आडवाणी ने कहा, "यह केवल भय पैदा करने के लिए है। सांसदों को डराने और विपक्षी एकता को तोड़ने के लिए है।"

भाजपा नेता ने कहा, "मध्यावधि चुनाव की बात आधिकारिक तौर पर मंत्रियों की ओर से आई है, जिनके नाम मैं नहीं लेना चाहता। उन्हें पता है कि अभी डेढ़ साल पहले ही चुनाव हुए हैं। पांच साल के लिए निर्वाचित हुआ कोई सांसद भला अपना बाकी कार्यकाल क्यों खलल में डालना चाहेगा।"

आडवाणी ने कहा कि राजग ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव इसलिए नहीं लाया, क्योंकि गैर राजग विपक्षी सदस्यों से समर्थन मिलने की सम्भावना नहीं थी। ज्ञात हो कि संसद का पूरा शीतकालीन सत्र, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जेपीसी से जांच कराए जाने की विपक्ष की मांग की भेंट चढ़ गया.

करुणानिधि की बेटी कनीमोझी के NGO पर CBI का छापा

सीबीआई द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में समूचे तमिलनाडु में मारे जा रहे छापों के क्रम में आज मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की बेटी एवं सांसद कनीमोझी से जुड़े एक गैर सरकारी संगठन :एनजीओ: तथा पूर्व दूरसंचार मंत्री राजा के एक लेखा परीक्षक के कार्यालय की तलाशी ली गई

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जांच एजेंसी ने पेरंबलूर स्थित राजा के पैतृक गांव वेलूर स्थित घर पर भी छापा मारा ।

राजा के आवास के अतिरिक्त अधिकारियों ने वरिष्ठ पत्रकार एवं तमिल पत्रिका ‘नक्कीरन’ के सह संपादक कामराज राजा के लेखा परीक्षक सुब्रमण्यम तथा तिरुचिरापलली चेन्नई और पेरंबलूर स्थित राजा के रिश्तेदारों तथा घनिष्ठ सहयोगियों के परिसरों पर भी छापे मारे ।

कामराज को द्रमुक के काफी करीब माना जाता है ।

खुद को गैर लाभ वाला संगठन बताने वाले एनजीओ ‘तमिल मैयम’ पर भी सीबीआई ने छापा मारा । कनीमोझी इस संगठन के निदेशक मंडल में शामिल हैं जबकि रेव जगत गस्पर राज इसके प्रबंध ट्रस्टी हैं ।

का बिलकुल ही पगला गए हो दिग्गी ???


कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सोमवार को दावा किया था कि उनके पास इस बात के सबूत मौजूद हैं कि 26/11 के मुंबई हमले से ऐन पहले उनकी हेमंत करकरे के साथ बातचीत हुई थी। लेकिन मंगलवार को उन्होंने इस बयान से पलटते हुए कहा कि वह इस बातचीत के फोन रिकॉर्ड पेश करने में सक्षम नहीं हैं। अलबत्ता, वह अपनी इस बात पर कायम रहे कि करकरे की जिंदगी को दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों से खतरा था।

यहां पत्रकारों से बातचीत में मंगलवार को दिग्विजय ने कहा- मैं झूठा आदमी नहीं हूं और मुझे यह गलतबयानी करने की कोई जरूरत नहीं है कि हेमंत करकरे के साथ मेरी बातचीत हुई थी। गौरतलब है कि असम में चुनाव होने वाले हैं और दिग्गी राजा को हाल ही में राज्य में पार्टी का प्रभारी बनाया गया है।

दिग्विजय ने दावा किया कि मैंने दूरसंचार मंत्रालय से निवेदन किया था कि वे पुणे स्थित अपने केंद्र से करकरे के साथ हुई मेरी बातचीत के कॉल रिकॉर्ड मुझे मुहैया कराएं। मैंने इस संबंध में भोपाल स्थित बीएसएनएल के महानिदेशक को निवेदन भेजा था। लेकिन मुझे उनसे लिखित रूप में जवाब आया कि वे मुझे इस बातचीत के डिटेल मुहैया करा पाने में अक्षम हैं, क्योंकि ऐसे रिकॉर्ड केवल 12 महीने के लिए ही रखे जाते हैं। दिग्विजय ने दावा किया कि मैंने भोपाल में रजिस्टर्ड अपने मोबाइल से करकरे से बातचीत की थी।

दिग्विजय ने कहा, मुझे झूठी बात फैलाने की कोई जरूरत नहीं है। मैंने जो कहा, उस पर कायम हूं। यह नई बात नहीं है और इसे मैंने कई दफा इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में कहा है। उन्होंने इस बात को पूरी तरह बकवास कहकर खारिज कर दिया कि वह मुंबई हमले की जांच पर सवाल उठा रहे हैं या फिर उनके कहने का अर्थ यह है कि करकरे के एनकाउंटर में पाकिस्तानी आतंकवादियों का हाथ नहीं था।

भ्रष्टाचार पर बिहार की एनडीए सरकार का करार प्रहार : विधायक निधि खत्म

चुनाव के दौरान जनता से किए वादे के मुताबिक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ हमला बोल दिया है। इसके तहत सबसे पहले उन्होंने क्षेत्र में विकास के नाम पर हर साल हर एमएलए और एमएलसी को मिलने वाले 1 करोड़ रुपये के फंड को खत्म करने का फैसला लिया है। हालांकि इस पर अभी तक सैद्धांतिक रूप से ही निर्णय लिया गया है।

बिहार कैबिनेट ने हर एमएलए और एमएलसी को क्षेत्र में विकास के नाम पर हर साल मिलने वाले 1 करोड़ रुपये के फंड को सैद्धांतिक रूप से खत्म करने का फैसला ले लिया है। हालांकि विपक्षी दल आरजेडी ने इस पर कुछ सवाल जरूर उठाए, पर वह भी इसके समर्थन में है। मालूम हो कि यह फंड भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। ऐसी शिकायते हैं कि सभी विधायक अपने-अपने क्षेत्र में इस फंड की 30 फीसदी राशि का कॉन्ट्रेक्ट पसंदीदा लोगों को दिलवाते हैं।

भ्रष्टाचार की नकेल कसने के क्रम में सीएम नीतीश कुमार ने एक और कदम उठाया है। अब अप्रैल 2011 तक बिहार के मुख्यमंत्री, मंत्री, नौकरशाह और थर्ड ग्रेड के कर्मचारी अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश करेंगे। इसी तरह से आनेवाले बजट सत्र में विधानसभा में राइट टू सर्विस बिल पास होगा, जिसके तहत निश्चित अवधि के दौरान लोगों को सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।

कुछ दिन पहले बिहार कोर्ट स्पेशल ऐक्ट, 2010 के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए सरकार ने एक भ्रष्ट अधिकारी की लगभग 44 लाख रुपये की प्रॉपर्टी जब्त कर ली।

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