पढ़िए वाराणसी में रिक्शा संघ के कार्यक्रम में मोदी का अभूतपूर्व भाषण


विशाल संख्या में आए भाईयो और बहनों, 

यहां जो कार्यक्रम हो रहा है, ये कार्यक्रम सिर्फ कुछ गरीब परिवारों का जीवन बदलेगा, ऐसा नहीं है। ये कार्यक्रम एक ऐसी शुभ शुरूआत है, जो काशी के भाग्‍य को बदलेगा। यहां के गरीब के जीवन में अगर हम थोड़ा सा आवश्‍यक बदलाव ला ले, समय के आधारित जीवन में technology का प्रवेश करें, तो गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति की पहले जितना परिश्रम करके कमाता था, उससे भी थोड़ा कम परिश्रम करके, वो ज्‍यादा कमा सकता है। आज यहां उस प्रकार की सुविधाएं दी जा रही हैं, जिसमें बैंक का सहयोग है, American Foundation का सहयोग है, भारत सरकार बहुत बड़ी मात्रा में इन चीजों को promote कर रही है और गरीब को सबसे पहला प्रयास है कि वो आत्‍मनिर्भर कैसे बने। 

हम करीब-करीब पिछले 40-50 साल से गरीबी हटाओ, इस बात को सुनते आए हैं। हमारे देश में चुनावों में भी गरीबों का कल्‍याण करने वाले भाषण लगातार सुनने को मिलते हैं। हमारे यहां राजनीति करते समय कुछ भी करते हो लेकिन सुबह-शाम गरीबों की माला जपते रहना, ये एक परंपरा बन गई है। इस परंपरा से जरा बाहर आने की जरूरत है और बाहर आने का मतलब है कि क्‍या हम प्रत्‍यक्ष रूप से गरीबों को साथ ले करके, गरीबी से मुक्‍ति का अभियान चला सकते हैं क्‍या? अब तक जितने प्रयोग हुए हैं, उन प्रयोगों से जितनी मात्रा में परिणाम चाहिए था, वो देश को मिला नहीं है। गरीब की जिन्‍दगी में भी जिस तेजी से बदलाव आना चाहिए, वो बदलाव हम ला नहीं पाए हैं। मैं किसी सरकार को दोष देना नहीं चाहता हूं, किसी दल को दोष देना नहीं चाहता हूं, लेकिन कुछ अच्‍छा करने की दिशा में एक नए सिरे से गरीबों के कल्‍याण के लिए मूलभूत बातों पर focus करना। वो कौन सी चीजें करें ताकि गरीब जो सचमुच में मेहनत करने को तैयार है, गरीबी की जिन्‍दगी से बाहर निकलने को तैयार है। आप किसी भी गरीब को पूछ लीजिए, उसे पूछिए कि भाई क्‍या आप अपने संतानों को ऐसी ही गरीबी वाली जिन्‍दगी जीएं, ऐसा चाहते हो कि अच्‍छी जिन्‍दगी जीएं चाहते हो। गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति भी ये कहेगा कि मैं मेरे संतानों को विरासत मैं ऐसी गरीबी देना नहीं चाहता। मैं उसे एक ऐसी जिन्‍दगी देना चाहता हूं कि जिसके कारण वो अपने कदमों पर खड़ा रहे, सम्‍मान से जीना शुरू करें और अपनी जिन्‍दगी गौरवपूर्व बताएं, ऐसा हर गरीब मां-बाप की इच्‍छा होती हैं। उसको वो पूरा कैसे करें। आज कभी हालत ऐसी होती है कि वो मजदूरी करता है, लेकिन अगर थोड़ा-सा skill development कर दिया जाए, उसको थोड़ा हुनर सिखा दिया जाए तो पहले अगर वो सौ रुपया कमाता है, थोड़ा हुनर सिखा दिया तो वो 250-300 रुपए कमाना शुरू कर देता है और एक बार हुनर सीखता है तो खुद भी दिमाग लगाकर के उसमें अच्‍छाई करने का प्रयास करता है और इसलिए भारत सरकार ने एक बहुत बड़ा अभियान चलाया है skill development का, कौशल्‍यवर्धन का। गरीब से गरीब का बच्‍चा चाहे स्‍कूल के दरवाजे तक पहुंचा हो या न पहुंचा हो, या पांचवीं, सातवीं, दसवीं, बारहवीं पढ़कर के छोड़ दी हो, रोजी-रोटी तलाशता हो। अगर उसे कोई चीज सिखा ली जाए तो वो देश की अर्थनीति को भी बल देता है, आर्थिक गतिविधि को भी बल देता है और स्‍वयं अपने जीवन में कुछ कर-गुजरने की इच्‍छा रखता है और इसलिए छोटी-छोटी चीजें ये कैसे develop करे उस दिशा में हमारा प्रयास है। 

आज मैं यहां ये सब ई-रिक्‍शा वाले भाइयों से मिला। मैंने उनको पूछा क्‍या करोगे, चला पाओगे क्‍या? तो उन्‍होंने कहा साहब पहले से मेरा confidence level ज्‍यादा है। मैंने कहा क्‍यों? वो मेरा skill development हो गया। उसे skill शब्‍द भी आता था। बोले मेरा skill development हो गया। बोले मेरी training हुई और मेरा पहले से ज्‍यादा विश्‍वास है। पहले मैं pedal वाले रिक्‍शा चलाता था। मैंने कहा speed कितनी रखोगे? बोले साहब मैं कानून का पालन करूंगा और मैं कभी ऐसा न करूं ताकि मेरे परिवार को भी कोई संकट आए और मेरे passenger के परिवार को भी संकट आए, ऐसा मैं कभी होने नहीं दूंगा और काशी की गलियां तो छोटी है तो वैसे भी मुझे संभाल के चलना है। उसकी ये training हुई है। काशी में दुनिया भर के लोग आते हैं। काशी का tourism कैसा हो, काशी कैसा है, काशी के लोग कैसे है? उसका पहला परिचय यात्री को किसके साथ होता है, रिक्‍शा वाले के साथ होता है। वो उसके साथ किस प्रकार से व्‍यवहार करता है, वो उसके प्रति किस प्रकार का भाव रखता है, उसी से उसकी मन में छवि बनती है। अरे भाई, ये तो शहर बहुत अच्‍छा है। यहां के रिक्‍शा वाले भी इतने प्‍यार से हमारी चिन्‍ता करते हैं, वहीं से शुरू होता है और इसलिए यहां जो टूरिस्‍टों के लिए एक स्‍पेशल रिक्‍शा का जो सुशोभन किया गया है, कुछ व्‍यवस्‍थाएं विकसित की गई हैं। मैं उनसे पूछ रहा था, मैंने कहा आप Guide के नाते मुझे सब चीजें बता सकते हों, बोले हां बता सकता हूं। मैं हर चीज बता सकता हूं रिक्‍शा चलाते-चलाते और बोले मुझे विश्‍वास है कि मेरे रिक्‍शा में जो बैठेगा, उसको ये संतोष होगा कि काशी उसको देखने को सहज मिल जाएगा। चीजें छोटी-छोटी होती हैं, लेकिन वे बहुत बड़ा बदलाव लाती है। 

आज चाहे pedal रिक्‍शा को आधुनिक कैसे किया जाए, pedal रिक्‍शा से ई-रिक्‍शा की ओर shifting कैसे किया जाए, यात्रियों की सुविधाओं को कैसे स्‍थान दिया जाए, बदलते हुए युग में environment friendly technology का कैसे उपयोग किया जाए? इन सारी बातों का इसके अंदर जोड़ हैं और सबसे बड़ी बात है उनके परिवार की। आज इसमें जो लोग select किए गए हैं, वो वो लोग है, जिनकी खुद की कभी रिक्‍शा नहीं थी। वो बेचारे किराए पर रिक्‍शा लेकर के दिनभर मजदूरी करते थे। 50 रुपया, 60 रुपया उस रिक्‍शा मालिक को उनको देना पड़ता था। बचा-खुचा घर जाकर के ले जाता था। बच्‍चों के लिए डबलरोटी साथ ले जाता था, उसी से रात का गुजारा हो जाता था। इस प्रयोग का सबसे बड़ा लाभ उन गरीब रिक्‍शा वालों को है कि अब उनको वो जो ऊंचे ब्‍याज से पैसे देने पड़ते थे, उससे अब मुक्‍ति हो गई। अब वो जो पैसे होंगे वो बैंक के बहुत ही कम rate से पैसा जमा करेगा और कोई साल के अंदर और कोई दो साल में इस रिक्‍शा का मालिक हो जाएगा। जब उसे पता है, इसका मतलब ये हुआ कि उसकी ये बचत होने वाली है। ये पैसे उसके किसी ओर की जेब में नहीं जाने वाले, खुद की जेब में जाने वाले है ताकि वो एक साल-दो साल के बाद इसका मालिक बन जाने वाला है और मुझे विश्‍वास है कि इस प्रकार की व्‍यवस्‍था के कारण आने वाले दिनों में जितने परिवार है, उनको फिर गरीबी की हालत में रहने की नौबत नहीं आएगी, वो आगे बढ़ेंगे। 

मैंने उनसे पूछा कि बच्‍चों को पढ़ाओगे क्‍या? बोले साहब अब तक तो कभी-कभी मन में रहता था कि कितना पढ़ाऊं, कहां से पैसा लाऊं, लेकिन ये जो आपने व्‍यवस्‍था की है, अब मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, मैं बच्‍चों को पढ़ाऊंगा। मेरी बात तो ये पांच-छह लोगों के साथ हुई है लेकिन यहां जिन लोगों को आज रिक्‍शा मिल रही है, उन सबसे मेरा आग्रह है कितनी ही तकलीफ क्‍यों न हो, मेरे प्रति नाराजगी व्‍यक्‍त करनी है, तो जरूर करना, आपको हक है। लेकिन बच्‍चों को पढ़ाई से कभी खारिज मत करना, बच्‍चों की पढ़ाई को प्राथमिकता देना। गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का सबसे बड़ा औजार और सस्‍ते से सस्‍ता औजार कोई है, तो अपनी संतानों को शिक्षा देना। अगर हम अपने बच्‍चों को शिक्षा देंगे, तो दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो हमें गरीब रहने के लिए मजबूर कर दे। देखते ही देखते स्थिति बदलना शुरू हो जाएगा। और इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि ये जो नई सुविधाएं जिन-जिन परिवारों को मिल रही हैं, वे अपने बच्‍चों को पढ़ाने के विषय में कोई compromise न करें, अपने बच्‍चों को जरूर पढ़ाएं। 

आज मुझे एक परिवार से मिलना हुआ। वो बहन चौराहे पर दरी बिछाकर के सब्‍जी बगैरा बेचती रहती थी, आज उसको एक ठेला मिल गया है। मैंने उसको पूछा क्‍या फर्क पड़ेगा। बोले जी पहले तो मैं जहां बैठती थी कोई आया तो माल ले के जाता था, अब मैं अलग-अलग इलाकों में जाऊंगी, अपना समय पत्रक बना दूंगी कि इस इलाके में सुबह 9 बजे जाना है, इस इलाके में सुबह 10 बजे जाना है इस इलाके में 11 बजे जाना है, तो लोगों को भी पता रहेगा कि मैं कितने बजे वहां माल अपना लेकर जाऊंगी, तो वो जरूर उस समय पर मेरा माल ले लेंगे। अब देखिए अनपढ़ महिला! लेकिन उसे मालूम है कि मैं ऐसा टाईम-टेबल बनाऊंगी कि इस इलाके में 9 बजे जाती हूं तो रोज, हर रोज 9 बजे वहां पहुंच जाऊंगी, इस इलाके में दोपहर को 12 बजे पहुंचती हूं, मतलब 12 बजे पहुंच जाऊंगी। यानी उसको business का perfect management मालूम है। ठेला चलाते-चलाते भी अपनी जिंदगी बदली जा सकती है, इसका विश्‍वास उसके अंदर आया है। ये छोटी-छोटी चीजें हैं, जिसके द्वारा हम एक बहुत बड़ा बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। 

अभी प्रधानमंत्री जन-धन खाते खोलने का जो अभियान चलाया, हमारे देश में सालों से कहा जाता था कि गरीबों के लिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया है, लेकिन बैंकों के राष्ट्रीयकरण के 40-50 साल के बाद भी, बैंक के दरवाजे पर कभी कोई गरीब दिखाई नहीं दिया था और इस देश में कभी उसकी चर्चा भी नहीं थी। इस देश में ऐसा क्‍यों ? ये सवाल इस देश के किसी बुद्धिमान व्‍यक्ति ने किसी राजनेता को नहीं पूछा, किसी सरकार को नहीं पूछा। 50 साल में नहीं पूछा। Taken for granted था। हमने आकर के बीड़ा उठाया कि बैंकों के दरवाजे पर मेरा गरीब होगा, बैंकों के अंदर मेरा गरीब होगा। ये बैंक गरीबों के लिए होगी, बड़ा अभियान उठाया। मैंने 15 अगस्‍त को घोषणा की थी, 26 जनवरी तक पूरा करने का संकल्‍प लिया था और सभी बैंकों ने जी-जान से मेरे साथ जुड़ गए, कंधे से कंधा जुड़ गए और आज देश में करीब 18 करोड़ से ज्‍यादा बैंकों के खाते गरीबों के खुल गए। 

हिन्‍दुस्‍तान में कुल परिवारों में जितने थे करीब-करीब सारे आ गए और हमने तो कहा था कि हम गरीबों का account कोई भी प्रकार का पैसा लेकर कर के नहीं खोलेंगे। बिना पैसे, बैंक खर्चा करेगी फॉर्म का खर्चा होगा, जो होगा करेंगे, गरीबों का एक बार मुफ्त में खाता खोल देंगे। आदत लगेगी उसको धीरे-धीरे और खाते खोल दिए लेकिन देखिए, गरीबों की अमीरी देखिए, सरकार ने तो कहा था एक रुपया नहीं दोगे लेकिन गरीबों ने करीब-करीब 30 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा रकम जमा कर दी है। इसका मतलब ये हुआ कि गरीब को पैसे बचाने की अब इच्‍छा होने लगी है। अगर गरीब को पैसे बचाने की इच्‍छा होगी तो उसके आर्थिक जीवन में बदलाव आना स्‍वाभाविक शुरू हो जाएगा। धीरे-धीरे बैंक के खाते उपयोग करने की आदत भी अब धीरे-धीरे बन रही है। मैं हैरान हूं जिन्‍होंने खाते नहीं खोले कभी, वो आज मेरा हिसाब मांग रहे हैं कि खाते खोल तो दिए हैं, लेकिन उसका उपयोग करने वालों की संख्‍या बढ़ नहीं रही है। जिन्‍होंने खाते तक खोलने की परवाह नहीं की थी, उनको अभी खाते operate हो रहे कि नहीं हो रहे, इसकी चिन्‍ता होने लगी है। अच्‍छा होता, ये काम अगर आपने 40-50 साल पहले कर दिया होता तो आज operate करने का सवाल मुझे नहीं पूछना पड़ता देश के सभी गरीब के खाते हो जाते। लेकिन आपने जो काम 50 साल नहीं किया है वो 50 महीने में मैं पूरा करके रहूंगा, ये मैं बताने आया हूं। 

गरीब का भला कैसे हो, अभी काशी के अंदर रक्षाबंधन को सुरक्षाबंधन बनाने का बड़ा अभियान चलाया और मैं काशी की माताओं-बहनों का विशेष रूप से, सार्वजनिक रूप से आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि इस रक्षाबंधन के पर्व पर मुझे इतनी राखियां मिली हैं बनारस से, इतने आशीर्वाद मिले हैं, माताओं-बहनों के, मैं सिर झुकाकर उन सभी माताओं-बहनों को नमन करता हूं। आपने जो मेरे प्रति सद्भाव व्‍यक्‍त किया है, मेरी रक्षा की चिन्‍ता की है और सुरक्षा का बंधन की जो बात कही है, मैं उसके लिए काशी की सभी माताओं-बहनों का ह्दय से बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। मैं इन सभी महानुभावों का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि योजना में हमारे साथ, ये partner बने हैं और एक Model के रूप में ये काम आने वाले दिनों में विकसित होगा। अब आप धीरे-धीरे देखिए काशी के अंदर एक नया....और इसके कारण गति आने वाली है, इन चीजों के कारण गति आने वाली है, इन चीजों के कारण शहर की एक नई पहचान बनने वाली है। इन चीजों के कारण सामान्‍य मानव के जीवन में सुविधा का अवसर शुरू होने वाला है। 

ऐसी इस योजना के निमित्‍त मैं आज उन सभी बधुंओं को जिन्‍हें आज ये साधन मिल रहे हैं, मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और काशी की आर्थिक प्रगति में गरीब से गरीब व्‍यक्ति की ताकत काम में आए, उस दिशा के प्रयत्‍नों में हमें सफलता मिले, यही भोलेनाथ हम पर आशीर्वाद बरसाएं, इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद। 

नाबालिगों का महीनों से बलात्कार करने वाला मौलाना गिरफ्तार

वडाला पुलिस ने दो नाबालिगों का यौन शोषण करने वाले एक मौलाना को अरेस्ट किया है। २८ साल का यह मौलाना बंगालीपुरा में एक मदरसा चलाता था और इसने एक नाबालिग का तो कई बार यौन शोषण किया था।

इस मदरसे में पीड़ित बच्चे स्कूल के बाद आते थे। परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने यहां से १३ साल के एक लडके और उसकी ११ साल की बहन को एक ऑपरेशन के तहत सुरक्षित निकाला। यह मौलाना नाबालिग लड़के का पिछले पांच महीनों से रेप कर रहा था।

पुलिस के मुताबिक इस मदरसे में करीब ४० बच्चे स्कूल के बाद धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाते थे। यहां पर ये बच्चे दो से तीन घंटे तक रहते थे। पुलिस ने मौलाना को १३ साल के बच्चे के रेप और ११ साल की बच्ची के रेप की कोशिश के आरोप में अरेस्ट किया गया है। पुलिस ने बताया कि आरोपी भिवंडी का रहने वाला है, पर पिछले १० सालों से अपने भाई के साथ मदरसे में रह रहा था।

बच्चों के परिजनों का कहना है कि मौलाना का उनके परिवार के प्रति दोस्ताना व्यवहार रहा था। इसलिए जब उसके बेटे ने उनसे मौलाना के बुरे व्यवहार की शिकायत की तो उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। कुछ दिनों पहले उनकी बेटी मदरसे से रोते हुए घर आई और उसने कहा कि वह फिर से वहां नहीं जाएगी, क्योंकि मौलाना ने उसके साथ रेप करने की कोशिश की। इसके बाद घरवालों ने पुलिस से शिकायत की।

एफआईआर दर्ज होने के कुछ घंटों बाद ही मौलाना को अरेस्ट कर लिया गया। डेप्युटी पुलिस कमिश्नर किरन चव्हाण के मुताबिक आरोपी को स्थानीय अदालत में पेश किया गया था। यहां से उसे २१ सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। वडाला पुलिस घटनास्थल के आस-पास रहने वाले लोगों को ऐसी घटना के प्रति सचेत रहने का संदेश दे रही है।

किसानों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार ने किये है ये उपाय

खरीफ 2015 के दौरान बारिश की कमी को ध्यान में रखते हुए किसानों के शीघ्र कल्याण के लिए भारत सरकार ने कई निर्णय किये हैं। सभी राज्य सरकारों के लिए इन उपायों पर आदेश जारी किये गए हैं, जो मूल्यांकन से जुड़ी आवश्यकता के आधार पर उन्हें कार्यान्वित करेंगी।

1. सूखा प्रभावित क्षेत्रों में परिवारों के लिए महात्मा गांधी नरेगा के अधीन अतिरिक्त कार्यदिवस का आवंटन : 

सरकार ने अकुशल कामगारों के लिए सूखा अथवा प्राकृतिक आपदा के लिए अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों में जॉब कार्डधारकों के लिए वित्तवर्ष में 100 दिन के सुनिश्चित रोजगार के अलावा 50 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इससे राज्य सरकार सूखा प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीण निर्धनों के लिए अतिरिक्त रोजगार प्रदान करने में सक्षम होगी। इससे निर्धनतम ग्रामीण परिवार लाभान्वित होंगे, क्योंकि इससे गांव में सीजन आधारित बेरोजगारी की समस्या का तत्काल निदान होगा और ग्रामीण समस्याओं में कमी आयेगी।

2. प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के लिए डीजल पर राजसहायता योजना : 

सूखा और कम बारिश वाले क्षेत्रों में डीजल पंपों के माध्यम से जीवन रक्षक सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए किसानों को डीजल पर राजसहायता ( 100 करोड़ रुपये आवंटित ) देने का निर्णय किया गया है, ताकि खरीफ फसलों की सुरक्षा की जा सके। 30 सितम्बर 2015 तक मौजूदा दक्षिण – पश्चिम मानसून की अवधि के दौरान प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को इसके दायरे में रखा जायेगा। राज्य सरकारों/ केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन की भागीदारी के साथ डीजल पर राजसहायता योजना कार्यान्वित होगी। यह योजना ऐसे जिलों/ तालुकों/ क्षेत्रों के लिए लागू होगी, जहां 15 जुलाई 2015 तक बारिश में 50 प्रतिशत से अधिक कमी (भारतीय मौसमविज्ञान विभाग की रिपोर्ट के अनुसार) हुई है।

3. बीज पर राजसहायता की अधिकतम सीमा बढ़ाना : 

सूखा प्रभावित जिले में किसानों को बुआई में अतिरिक्त लागत और / अथवा बीजों की सूखा प्रतिरोधक उपयुक्त नस्लों की खरीद के लिए मुआवजे के क्रम में यह निर्णय लिया गया है कि सूखे के लिए अधिसूचित जिले में वितरण के लिए मौजूदा स्तरों के अतिरिक्त 50 प्रतिशत राजसहायता बीजों पर दी जाए। यह वृद्धि 31 दिसम्बर 2015 तक मान्य है।

4. चिरस्थायी बागवानी फसलों को बचाने के लिए उपाय : 

जल की कमी वाली बागवानी फसलों को पुनर्जीवित करने के लिए समुचित उपाय करने के लिए 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है। देश के सभी सूखा प्रभावित जिले/ ब्लॉकों में यह योजना लागू की जा रही है, जो समन्वित बागवानी विकास मिशन के अधीन शामिल किये गए हैं और कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। सूखा प्रभावित जिले/ ब्लॉकों के किसानों को प्रति लाभार्थी अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लागत के आधार पर 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान की जाएगी। राजसहायता के माध्यम से इस प्रकार दी जाने वाली सहायता में भारत सरकार और संबंधित राज्य सरकार/ केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन 50:50 के आधार पर हिस्सेदारी करेंगे।

5. अतिरिक्त चारा विकास कार्यक्रम का कार्यान्वयन : 

पशुधन पर सूखे के प्रतिकूल प्रभाव में कमी लाने के उद्देश्य से चारा उत्पादन के लिए अतिरिक्त सहायता (50 करोड़ रुपये का आवंटन) दी जायेगी। सूखा प्रभावित जिले/ ब्लॉकों के किसानों को अतिरिक्त चारा उत्पादन के लिए प्रति लाभार्थी अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लागत के आधार पर 3200 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान की जाएगी। राजसहायता के माध्यम से इस प्रकार दी जाने वाली सहायता में भारत सरकार और संबंधित राज्य सरकार/ केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन 50:50 के आधार पर हिस्सेदारी करेंगे।

6. आरकेवीवाई और केंद्र प्रायोजित अन्य योजनाओं के अधीन लोचशील आवंटन :

राज्यों को सलाह दी गई है कि वे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के अधीन आवंटित लगभग 5 से 10 प्रतिशत धनराशि को अलग रखें, ताकि कृषि क्षेत्र पर मानसून के प्रतिकूल प्रभाव में कमी लाने के उद्देश्य से आवश्यक उपाय किये जा सकें।

7.  आकस्मिक फसल योजना : 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – केंद्रीय शुष्कभूमि कृषि अनुसंधान संस्थान (सीआरआईडीए), हैदराहबाद के माध्यम से कृषि मंत्रालय ने 600 जिलों के लिए विस्तृत आकस्मिक फसल योजनाएं तैयार की हैं। राज्यों को सीआरआईडीए – आईसीएआर और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों से परामर्श करके प्रत्येक आकस्मिक फसल योजना तैयार करने/ अद्यतन बनाने की सलाह दी गई है।

8. राज्यों के लिए चेतावनियां : 

राज्य सरकारों को सलाह दी गई है कि वे महात्मा गांधी नरेगा और अन्य ऐसी योजना के अधीन जल संभरण संरचनाओं के निर्माण जैसे अग्रिम निदान की दिशा में पहल करें।

9. खरीफ 2015 के लिए बीजों और अन्य संसाधनों की उपलब्धता : 

कृषि विभाग में साप्ताहिक फसल मौसम निगरानी समूह (सीड्ब्ल्यूड्ब्ल्यूजी) की बैठकों में बीजों और अन्य संसाधनों की उपलब्धता की निरंतर निगरानी/ समीक्षा की जाती है।

10. एसएमएस के जरिये चेतावनी : 

मंत्रालय की ओर से पंजीकृत किसानों को एम-किसान पोर्टल के जरिये एसएमएस चेतावनी भेजी जाती है।

11. वर्ष 2015 में सूखे के लिए संकट प्रबंधन योजना : 

कृषि मंत्रालय के कृषि और सहकारिता विभाग की वेबसाइट पर सूखे के लिए एक संकट प्रबंधन योजना (सीएमपी) उपलब्ध कराई गयी है।
 
12. एसडीआरएफ/ एनडीआरएफ कोष – एसडीआरएफ की पहली किस्त जारी : 

प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में आवश्यक राहत प्रदान करने के लिए राज्य सरकार प्राथमिक तौर पर उत्तरदायी है। भारत सरकार वित्तीय सहायता के माध्यम से राज्य सरकारों के प्रयासों में मदद करती है। राहत संबंधी उपायों के संचालन के लिए राज्य आपदा मोचन निधि के रुप में राज्य सरकारों के पास धन उपलब्ध हैं। इसकी पहली किस्त राज्य सरकारों के लिए जारी की गई है।  

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