गुलामी का प्रतीक कहा जाने वाला अयोध्या का श्रीराम मंदिर का पुराना ढांचा 06 दिसम्बर 1996 को गिर गया। इसलिए हिन्दू देवता के मंदिर की मुक्ति के बाद अब हिन्दू राष्ट्र के लिए कोई संघर्ष बाकी नहीं है।
उक्त विचार महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर जय शिव सेना भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओंकारनाथ त्रिपाठी ने अखाड़ा गुरु पंथ त्रिशूल भगवान यात्रा के दौरान व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि अब केवल हिन्दू राष्ट्र के ढांचे को मजबूत करते हुए भारत के नियम, विधान और संविधान में केवल कुछ संशोधन करना बाकी रह गया है। जो अब धीरे धीरे हो रहा है। जय शिव सेना भारत की पूज्य पाद वेद रक्षित धर्मगुरु त्रिशूल भगवान की शोभा यात्रा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओंकारनाथ त्रिपाठी के नेतृत्व में भव्य रूप से निकाली गई।
केंद्रीय यात्रा संयोजक विशाल साहनी ने बताया कि पूज्य पाद वेद रक्षित धर्मगुरु त्रिशूल भगवान (अखाड़ा गुरु पंथ) की यात्राएं करेली, सदियापुर, हर्षवर्धन नगर, मीरापुर, अतरसुइया, लाल डिग्गी होते हुए बाबा दर्वेश्वरनाथ मंदिर से त्रिशूल भगवान और बाबा दरवेश्वरनाथ की पूजा भोग आरती के पश्चात नकाशकोना पहुंची। जहां मुट्ठीगंज एवं गढ़ीकला की यात्राएं एकत्रित हुई। इसके उपरांत सभी यात्राएं हिम्मतगंज होते हुए खुल्दाबाद गुरुद्वारा, गाड़ीवान टोला, स्टेशन रोड होते हुए जानसेनगंज, घंटाघर, लोकनाथ, रामभवन, मुट्ठीगंज, आर्य कन्या कॉलेज, चंद्रलोक चौराहा, जीरो रोड, घंटाघर, कोतवाली स्थित कोतवालेश्वर बाबा मंदिर में पूजा आरती की गई।
तत्पश्चात् सम्पूर्ण यात्रा यहां से चल कर माता कल्याणी देवी मंदिर पहुंची। मंदिर में सभी यात्रा संयोजकों द्वारा माताजी की आरती एवं मंदिर के पीठाधीश्वर द्वारा त्रिशूल भगवान की पूजा आरती एवं प्रसाद वितरण कर यात्रा का समापन हुआ। यात्रा में दर्जनों रथ, झांकियां, बैंड बाजा, घोड़े एवं ध्वज पताकाएं यात्रा को सुशोभित कर रही थीं।
यात्रा में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष ओंकारनाथ त्रिपाठी, महामंत्री राजेश केसरवानी, प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर अभिषेक सिंह, विशाल साहनी, बब्बन सिंह, सुधीर गेठे, दुर्गेश नंदिनी, बिरजू सोनकर, बादल केसरवानी, मोनू सेठ, अभिलाष केसरवानी तथा अनुज अग्रवाल ने यात्रा व्यवस्था का दायित्व संभाला। दिगंबर त्रिपाठी, राजीव बंटी, अवनीश शुक्ला, राजेश केसरवानी, संतोष अग्रहरी, आनंदजी टंडन, अनूप केसरवानी नेयात्रा मार्ग में मंचीय व्यवस्था संभाला।