पंजाब में 5 खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल


राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने पाकिस्तान से ड्रोन के माध्यम से हथियारों, विस्फोटकों और मादक पदार्थों की तस्करी से संबंधित मामले में इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आईएसवाईएफ) के प्रमुख समेत पांच खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ यहां एक विशेष अदालत में शुक्रवार को आरोपपत्र दायर किया।

एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि आईएसवाईएफ के प्रमुख लखबीर सिंह रोडे उर्फ बाबा (पंजाब के मोगा निवासी) के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया जो पाकिस्तान में छिपा है।

उसके चार गिरफ्तार हो चुके साथियों-हरमेश सिंह उर्फ काली (फिरोजपुर के किलचे गांव निवासी), दरवेश सिंह उर्फ शिंदा (भैंके वाले झुग्गे निवासी), गुरमुख सिंह (जालंधर के न्यू हरदयाल नगर निवासी) और फगवाड़ा-कपूरथला के गुरू नानकपुरा निवासी गगनदीप सिंह के खिलाफ भी आरोपपत्र दायर किया गया।

एनआईए ने कहा कि शुरू में फिरोजपुर के ममदोट थाने में 25 अगस्त, 2021 को मामला दर्ज किया गया था और बाद में छह नवंबर, 2021 को एजेंसी ने पुन: मामला दर्ज किया।

एनआईए ने कहा कि रोडे और उसके साथियों ने पाकिस्तान से ड्रोन से हथियार आदि की अवैध खेप भेजी थी।

कनाडा में मंदिरों पर हमले और चोरी की घटनाओं में 3 गिरफ्तार


कनाडा में मंदिरों पर हमले और चोरी के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है वहीं एक की तलाश जारी है। इन दिनों कनाडा में धार्मिक स्थलों में लूट और हिंसा की घटनाएं बढ़ गई थीं। मुख्यतः मंदिरों में हमले हो रहे थे। ऐसे में हिंदू समुदाय आक्रोशित था। कनाडा की पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। 

एक बयान में बताया गया, 'नवंबर 2021 से मार्च 2022 के बीच कई मंदिरों में लूट की घटना हुई है। मंदिरों मे दान पात्र से धन की चोरी कई बार हो चुकी है। कई जगहों पर चोर पूरा दानपात्र लेकर ही फरार हो गए।' इंडो-कनाडियन शख्स को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है।

पील पुलिस ने बताया कि वहां ऐसी 13 घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें से 9 घटनाएं हिंदू मंदिरों मे हुईं। इसके अलावा जैन मंदिर और गुरुद्वारे में भी कुछ घटनाएं हो चुकी हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया, 'चौथे आरोपी की भी पहचान हो गई है लेकिन अभी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। उसे भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।  ये अपराध घृणा की वजह से किए गए हैं।' पुलिस ने कहा कि जांच प्रक्रिया सभी ऐंगल को ध्यान में रखते हुए चल रही है। 

पुलिस अधिकारी 16 फरवरी को भी धर्मगुरुओं से मिले थे। इसके अलावा ब्राम्प्टन के मेयर भी बैठक में मौजूद थे। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि ऐसी करीब 18 घटनाएं हो चुकी हैं। वहीं पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि मंदिरों की सुरक्षा बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा।

हिन्दू धर्म में वापिसी कर चुके वसीम रिजवी की रिहाई को संत करेंगे अनशन


शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन हिंदू धर्म अपनाने के बाद वसीम रिजवी से जीतेंद्र नारयण सिंह त्यागी की रिहाई की मांग को लेकर संतों का जत्था दिल्ली के राजघाट जा रहा है। शुक्रवार को सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहर नाथ मंदिर में प्रवास के दौरान यह बात पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कही। कहा इस्लाम के बारे में किताब में टिप्पणी को लेकर हिंदू धर्म में वापसी करने वाले वसीम रिजवी को जेल भेज दिया गया है।

जबकि जामा मस्जिद के इमाम सहित, धर्म विशेष के कई व्यक्तियों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप और आतंकी गतिविधियों में संलग्न रहने वालों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होती। बतातें चलें कि हिंदू धर्म अपनाने के बाद वसीम रिजवी का नाम जीतेंद्र नारयण सिंह त्यागी का नाम रखा गया है। कहा कि 2029 तक भारत इस्लामिक देश हो जाएगा। हिंदुओं को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा। कहा भारत तभी तक धर्म निरपेक्ष और लोकतांत्रिक है जब तक हिंदू बाहुल्य है।

उन्होंने गांधी और नेहरू की नीतियों की आलोचना की। कहा पांच दिन बाद संतों का जत्था दिल्ली राजघाट पहुंचेगा। वहां पर जीतेंद्र नारायण सिंह त्यागी की रिहायी की मांग को लेकर आमरण अनशन किया जाएगा। प्रेसवार्ता में महंत नीलिमानंद, प्रज्ञाचक्षु, दिव्यांग संत ज्ञाननाथ, कृष्णानंद आदि संत मौजूद रहे। 

मेरठ में संप्रदाय विशेष के लोगों ने भाजपा व हिंदू संगठन के नेताओं को पीटा

कंकरखेड़ा में कैलाशी अस्पताल के पास डबल स्टोरी के सामने खाली मैदान में संप्रदाय विशेष के द्वारा शव दफनाने को लेकर गुरुवार रात को सांप्रदायिक बवाल हो गया। निजी जमीन पर शव दफनाने का विरोध करने पहुंचे भाजपा नेता दुष्यंत रोहटा, नबाव सिंह लखवाया और हिंदू जागरण मंच के सचिन सिरोही व संजय को भीड़ ने घेर लिया और गिराकर डंडों से पीटा।

यह सारा नजारा पुलिस की मौजूदगी में हुआ। पुलिस ने ही दुष्यंत व नबाव को भीड़ से छुड़ाया, जबकि सचिन व संजय मौका पाकर भाग गए। एसपी सिटी, एसीएम और सीओ ने मौका मुआयना किया। पुलिस की ओर से पांच नामजद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। जबकि दूसरा मुकदमा नबाव सिंह की तहरीर पर अज्ञात के खिहलाफ दर्ज किया है। कंकरखेड़ा में सरधना रोड स्थित लक्ष्य हास्पिटल के स्वामी डा. सागर तोमर ने कंकरखेड़ा हाईवे पर डबल स्टोरी के पास चार दिन पूर्व 1190 मीटर जमीन खरीदी थी। जमीन का बैनामा एमडीए ने डा. सचिन के नाम किया था। डा. सागर की मां अनुराध तोमर पत्नी डा. सुधीर तोमर ने बताया कि गुरुवार शाम को कुछ लोगों ने उन्हें जानकारी दी कि उनके प्लाट में नंगलाताशी निवासी संप्रदाय विशेष के एक व्यक्ति की बेटी के शव को दफनाने के लिए गड्ढा खोद रहे हैं। मौके पर जाकर देखा तो सूचना सही पाई गई।

उसके बाद एमडीए और कंकरखेड़ा थाना पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस मौके पर पहुंची और प्रकरण जाना। मगर, संप्रदाय विशेष के लोगों ने सारी जमीन को कब्रिस्तान की होना बताया। प्लाट कहां से कहां तक है, यह मौके पर पता नहीं हो पा रहा था। खोदे गए गड्ढे में पुलिस के सामने शव दफना दिया गया। पुलिस के मुताबिक अनुराधा तोमर की सूचना पर करीब आधे घंटे बाद भाजपा नेता दुष्यंत रोहटा, हिंदू जागरण मंच के सचिन सिरोही व ब्रह्मपुरी निवासी संजय ने मौके पर पहुंचकर शव दफनाने का विरोध किया। संप्रदाय विशेष के लोगों ने नारेबाजी करते हुए तीनों को घेर लिया। वहीं थोड़ी दूर खड़े भाजपा नेता नबाव सिंह लखवाया को भी भीड़ ने घेरकर बुरी तरह पीटा। इस बीच सचिन व संजय मौका पाकर भाग गए, जबकि दुष्यंत व नबाव सिंह गिर गए, जिस वजह से भीड़ ने लाठी डंडों से जानलेवा हमला किया। मौजूद दो पुलिसकर्मी ने किसी तरह बचाया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप में दुष्यंत रोहटा को पकड़ लिया, जबकि गंभीर रूप से घायल नबाव सिंह को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

निजी जमीन में शव दफनाने के विरोध में भाजपा व हिंदू संगठन के नेता ने धार्मिक उन्माद फैलाया था। वर्तमान में जमीन कब्रिस्तान की प्रतीत होती है। पुलिस की ओर से दुष्यंत रोहटा, सचिन सिरोही, संजय, अनुराधा तोमर, डा. सागर तोमर के खिलाफ केस दर्ज किया जा रहा है।

- विनीत भटनागर, एसपी सिटी।

भीलवाड़ा राजस्थान में कांग्रेस की सरकार टीचर ने बांटी हिन्दू विरोधी किताबे


राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में हिन्दू धर्म के विरुद्ध पुस्तक बाँटें जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। इस पुस्तक का नाम “हिन्दुइज़्म, धर्म या कलंक” है। यह किताब एल आर बाली द्वारा लिखी गई है। इसे बाँटने का आरोप स्कूल की टीचर निर्मला कामड़ पर लगा है। जिला शिक्षा अधिकारी ने इस पर संज्ञान लेते हुए जाँच बिठा दी है।


जानकारी के मुताबिक मामला भीलवाड़ा के आसींद थाना क्षेत्र का है। यहाँ के गाँव रूपपुरा के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल की शिक्षिका निर्मला कावड़ को निलंबित करने की माँग को लेकर प्रदर्शन हो रहा है। सोशल मीडिया पर भी ‘हिन्दू धर्म विरोधी टीचर निर्मला कामड़ को गिरफ्तार करो’ हैशटैग से ट्रेंड चलाया जा रहा है। धरने पर कई पुरुषों के साथ महिलाएं भी बैठी दिखाई दे रही हैं। मौके पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस बल तैनात है।


एक अन्य वीडियो में उसी स्कूल के बताए जा रहे एक छात्र का कहना है, “वो किताबें बाँटती थी। वो कहती थीं कि ये किताब लो, जो दिमाग में होगा वो निकल जाएगा। वो क्लास में दूसरे धर्म का प्रचार करती थीं। वो हमें कहती थीं कि ब्रह्मा जी देवता नहीं हैं। ब्रह्मा ने अपनी बेटी के साथ बलात्कार किया है। और राम जी दशरथ की औलाद नहीं हैं।” इसे नागपुर के समता पब्लिकेशंस द्वारा प्रकाशित किया गया है।

विवादित किताब को हरे रंग में प्रिंट किया गया है। इसके तीनों भाग एक साथ ही हैं। इसमें सबसे ऊपर जवाहर लाल नेहरू के शब्द बता कर लिखा गया है, “हिन्दू धर्म निश्चित तौर पर उदार व सहनशील नहीं है। हिन्दू से ज्यादा संकीर्ण व्यक्ति दुनिया में कहीं नहीं है।”



ट्विटर हैंडल जीतमल गुर्जर ‘जीतू’ ने इस किताब के कुछ पन्नों के स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं। इन पन्नों में लिखा है कि विष्णु और कुत्ते में कोई फर्क नहीं। साथ ही उपनिषदों के मंत्रों को भी एन एन राय द्वारा उनके शब्दों में बताया गया है। साथ ही ब्रह्मा और विश्वामित्र के नामों के साथ आपत्तिजनक बातें कही गईं हैं। हिन्दू देवताओं के लिए ‘नायक नहीं खलनायक’ जैसे शब्द लिखे गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्कूल के प्रिंसिपल मुकेश कुमार को किताबें बाँटे जाने की शिकायत मिली है। लेकिन ये किताबें किसने बाँटी ये उन्हें अब तक नहीं पता। स्थानीय मनरूप गुर्जर ने आरोपित को सस्पेंड करने की माँग की है। वहीं शिक्षिका निर्मला कामड ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि वो दलित समुदाय से हैं इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। साथ ही उन्होने आगे बताया कि उनके कार से आने, बाल खुले रखने और चश्मा पहनने से कुछ लोगों को बहुत दिक्कत है।


कांग्रेस नेता शशि थरूर मोदी सरकार की विदेश नीति से खुश


कांग्रेस प्रवक्ता टीवी चैनलों पर यूक्रेन से भारतीयों की वापसी के मुद्दे पर सरकार की असफलता गिनाते नहीं थक रहे लेकिन पार्टी सांसद शशि थरूर सरकार की विदेश नीति से गदगद हैं। उन्होंने विदेश मंत्री और उनकी टीम की जमकर तारीफ की है। थरूर ने विदेश मंत्रालय की तरफ से बुलाई गई मीटिंग में शामिल होने के बाद कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनकी टीम ने एक-एक सवाल का जिस गहराई से जवाब दिया है, वह बेहद प्रशंसनीय है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि विदेश नीति तो ऐसी ही होनी चाहिए। इस मीटिंग में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल थे।

विदेश मंत्रालय ने रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए संकट पर गुरुवार को सलाहकार समिति की बैठक बुलाई। बैठक में छह राजनीतिक दलों के नौ सांसदों ने हिस्सा लिया। इन सभी ने मौजूदा संकट से निपटने के लिए सुझाव तो दिए ही, एक-से-बढ़कर एक सवाल भी दागे जिनका विदेश मंत्रालय ने विस्तृत जवाब दिया। इससे शशि थरूर इतने संतुष्ट हुए कि उन्होंने विदेश मंत्री की तारीफों के पुल बांध दिए।

थरूर ने ट्वीट कर कहा, 'यूक्रेन पर विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति की आज सुबह बुलाई गई बैठक जबर्दस्त रही। हमारे सवालों और चिंताओं पर विस्तृत और बिल्कुल सटीक जवाबों के लिए डॉ. एस जयशंकर और उनके सहयोगियों का धन्यवाद।' थरूर ने मोदी सरकार की विदेश नीति की तारीफ में कसीदे पढ़ डाले। उन्होंने लिखा, विदेश नीति में यही जोश-ओ-खरोश दिखनी चाहिए। हमने कई बिंदुओं पर बातचीत की। विदेश मंत्री इसकी जानकारी देगा। यह शानदार मीटिंग थी। हम सभी एकजुट हैं।

थरूर ने कहा कि बैठक में शामिल सांसदों ने विदेश मंत्रालय से ही बयान जारी करने का आग्रह किया है। उन्होंने लिखा, 'मैंने मीडिया के आग्रह पर कोई टिप्पणी नहीं की क्योंकि यह गुप्त बैठक थी। हालांकि, हमने विदेश मंत्रालय से रटा-रटाया नहीं, विस्तृत बयान जारी करने की अपील की है। मीटिंग बेहत रचनात्मक भावना से संचालित हुई और सभी दलों ने हमारे नागरिकों की सुरक्षित घर वापसी के मुद्दे पर एकजुटता का इजहार किया।' सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने मीटिंग में चीन और पाकिस्तान के रूस के करीब आने का मुद्दा उठाया, फिर कहा कि प्राथमिकता अभी यूक्रेन से छात्रों को निकालना है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हमें प्रतिक्रिया में देर हुई और एडवाइजरी भ्रमित कर रही थीं।

वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मौजूदा हालात पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र अपने को लेकर उधेड़बुन में थे, लेकिन यूक्रेन सरकार ने उन्हें भरोसा दिलाया। सूत्रों ने बताया कि जयशंकर ने मीटिंग में भारतीयों की घर वापसी और ताजा हालात पर प्रजेंटेशन दिया। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस सांसदों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहने की नीति का समर्थन किया। थरूर ने कहा कि जब भी राष्ट्रीय हितों की बात होती है तो भारत सर्वप्रथम की नीति पर पक्ष-विपक्ष एकजुट हो जाते हैं। वहीं, विदेश मंत्री ने भी मीटिंग पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बैठक में मुद्दे के सामरिक और मानवीय पहलुओं पर अच्छी चर्चा हुई।

शाकाहारी और मांसाहारी फूड आइटम्स पर दिल्ली हाई कोर्ट का अहम आदेश


दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने  अपने एक फैसले में बुधवार को कहा कि किसी खाद्य पदार्थ (Food Item) के शाकाहारी (Vegetarian) या मांसाहारी (Non-Vegetarian) होने का पूरी तरह खुलासा होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि थाली में परोसी जाने वाली वस्तु से हर व्यक्ति के मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं.

इसी के साथ हाईकोर्ट (High Court) ने बुधवार को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को निर्देश दिया कि वह एक खाद्य पदार्थ की सामग्री पर स्पष्ट खुलासा करने के दायित्व पर सभी संबंधित अधिकारियों को नया आदेश जारी कर अवगत कराए

बता दें कि न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति डी के शर्मा की पीठ ने जनता द्वारा उपयोग की जाने वाली "सभी वस्तुओं" को शाकाहारी या मांसाहारी और " मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेस में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं" के रूप में लेबल करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया.अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील से सहमति जताई कि आम लोगों की बजाय सिर्फ अधिकारियों को इस तरह का संचार जारी करना व्यर्थ है, क्योंकि इससे आम जनता के मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं.

कोर्ट ने कहा कि संविधान के मुताबिक थाली में क्या परोसा गया है इससे " अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) और अनुच्छेद 25 (विवेक की स्वतंत्रता और स्वतंत्र पेशे, अभ्यास और धर्म का प्रचार) के तहत प्रत्येक व्यक्ति के मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं. अदालत ने आगे कहा कि  खाद्य पदार्थ के शाकाहारी या मांसाहारी होने के बारे में एक पूर्ण और पूर्ण प्रकटीकरण को उपभोक्ता जागरूकता का एक हिस्सा बनाया जाना जरूरी है. ” अदालत ने कहा, किसी भी पैक्ड खाद्य पदार्थ शाकाहारी या मांसाहारी होने का पूर्ण खुलासा करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने में अगर प्राधिकरण विफल रहता है तो इससे FSSAI के गठन का उद्देश्य भी हासिल नहीं हो सकेगा.

बता दें कि बेंच गायों के कल्याण के लिए काम करने वाले ट्रस्ट राम गौ रक्षा दल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका के अनुसार, एफएसएसएआई द्वारा 22 दिसंबर, 2021 का एक संचार अभी भी बहुत अस्पष्ट है. इस याचिका पर कोर्ट में अगली सुनवाई की तारीख 21 मई तय की गई है.

क्या हिन्दूराष्ट्र की स्थापना 6 दिसम्बर 1992 में हो चुकी है


गुलामी का प्रतीक कहा जाने वाला अयोध्या का श्रीराम मंदिर का पुराना ढांचा 06 दिसम्बर 1996 को गिर गया। इसलिए हिन्दू देवता के मंदिर की मुक्ति के बाद अब हिन्दू राष्ट्र के लिए कोई संघर्ष बाकी नहीं है।

उक्त विचार महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर जय शिव सेना भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओंकारनाथ त्रिपाठी ने अखाड़ा गुरु पंथ त्रिशूल भगवान यात्रा के दौरान व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि अब केवल हिन्दू राष्ट्र के ढांचे को मजबूत करते हुए भारत के नियम, विधान और संविधान में केवल कुछ संशोधन करना बाकी रह गया है। जो अब धीरे धीरे हो रहा है। जय शिव सेना भारत की पूज्य पाद वेद रक्षित धर्मगुरु त्रिशूल भगवान की शोभा यात्रा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओंकारनाथ त्रिपाठी के नेतृत्व में भव्य रूप से निकाली गई।

केंद्रीय यात्रा संयोजक विशाल साहनी ने बताया कि पूज्य पाद वेद रक्षित धर्मगुरु त्रिशूल भगवान (अखाड़ा गुरु पंथ) की यात्राएं करेली, सदियापुर, हर्षवर्धन नगर, मीरापुर, अतरसुइया, लाल डिग्गी होते हुए बाबा दर्वेश्वरनाथ मंदिर से त्रिशूल भगवान और बाबा दरवेश्वरनाथ की पूजा भोग आरती के पश्चात नकाशकोना पहुंची। जहां मुट्ठीगंज एवं गढ़ीकला की यात्राएं एकत्रित हुई। इसके उपरांत सभी यात्राएं हिम्मतगंज होते हुए खुल्दाबाद गुरुद्वारा, गाड़ीवान टोला, स्टेशन रोड होते हुए जानसेनगंज, घंटाघर, लोकनाथ, रामभवन, मुट्ठीगंज, आर्य कन्या कॉलेज, चंद्रलोक चौराहा, जीरो रोड, घंटाघर, कोतवाली स्थित कोतवालेश्वर बाबा मंदिर में पूजा आरती की गई।

तत्पश्चात् सम्पूर्ण यात्रा यहां से चल कर माता कल्याणी देवी मंदिर पहुंची। मंदिर में सभी यात्रा संयोजकों द्वारा माताजी की आरती एवं मंदिर के पीठाधीश्वर द्वारा त्रिशूल भगवान की पूजा आरती एवं प्रसाद वितरण कर यात्रा का समापन हुआ। यात्रा में दर्जनों रथ, झांकियां, बैंड बाजा, घोड़े एवं ध्वज पताकाएं यात्रा को सुशोभित कर रही थीं।

यात्रा में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष ओंकारनाथ त्रिपाठी, महामंत्री राजेश केसरवानी, प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर अभिषेक सिंह, विशाल साहनी, बब्बन सिंह, सुधीर गेठे, दुर्गेश नंदिनी, बिरजू सोनकर, बादल केसरवानी, मोनू सेठ, अभिलाष केसरवानी तथा अनुज अग्रवाल ने यात्रा व्यवस्था का दायित्व संभाला। दिगंबर त्रिपाठी, राजीव बंटी, अवनीश शुक्ला, राजेश केसरवानी, संतोष अग्रहरी, आनंदजी टंडन, अनूप केसरवानी नेयात्रा मार्ग में मंचीय व्यवस्था संभाला।

गुलाम नबी आजाद के भतीजे मुबाशिर आजाद भाजपा में शामिल हुए


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के भतीजे मुबाशिर आजाद रविवार, २७ फ़रवरी, २०२२ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जमीनी स्तर पर किए गए विकास कार्यों से प्रभावित हैं। गुलाम नबी आजाद के सबसे छोटे भाई लियाकत अली के बेटे मुबाशिर आजाद ने यह भी कहा कि कांग्रेस नेतृत्व ने उनके चाचा का ''अपमान'' किया, जिससे उन्हें दुख हुआ और उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया।

हालांकि, मुबाशिर ने यह भी कहा कि उन्होंने भाजपा में शामिल होने की योजना को लेकर अपने चाचा के साथ चर्चा नहीं की।

मुबाशिर आजाद और उनके समर्थकों का भाजपा की जम्मू कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रविंदर रैना और पूर्व विधायक दलीप सिंह परिहार सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी में स्वागत किया। रैना ने इन लोगों के भाजपा में शामिल होने को एक ''निर्णायक मोड़'' बताया, जो चिनाब घाटी क्षेत्र के डोडा, किश्तवाड़ और रामबन जिलों के युवा कार्यकर्ताओं के लिए पार्टी में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा, 'भाजपा विपक्षी दलों के राजनीतिक नेताओं, हिंदू, मुस्लिम, गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी सभी समुदायों के सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने साथ लाकर तेजी से आगे बढ़ रही है।'

अप्रैल २००९ में आजाद के भाई गुलाम अली भी भाजपा में शामिल हुए थे। मुबाशिर आजाद ने कहा, '(कांग्रेस) पार्टी अंदरूनी कलह में उलझी हुई है... जबकि मोदी के नेतृत्व में जमीन पर लोगों के कल्याण का काम हो रहा है।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पार्टी के करिश्माई नेताओं में शुमार पूर्व मुख्यमंत्री (गुलाम नबी) आजाद के साथ जिस तरह का व्यवहार किया, उससे आम जनता की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

मुबाशिर ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिए उनकी प्रशंसा की, लेकिन पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया।' गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के उन असंतुष्ट नेताओं के समूह में शामिल थे, जिसने अगस्त २०२० में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठनात्मक सुधारों की मांग की थी।

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