विश्व हिन्दू परिषद का हनुमान चालीसा पाठ कार्यक्रम पटियाला में सफल
आसाराम आश्रम ने उजागर की, 'आज तक' द्वारा किये गए तथाकथित स्टिंग ऑपरेशन की वास्तविकता
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भारत पाक में हो सकता है युद्ध : पीटर बर्गेन
अमेरिका के आतंकवाद रोधी रणनीतिक पहले के विशेषज्ञ पीटर बर्गेन ने कहा कि मैं समझता हूं कि यह गंभीर चिंता का विषय है और हम सभी को इसके लिए चिंतित होना चाहिए। न्यू अमेरिका फाउंडेशन के सह निदेशक बर्गेन ने सदन की आंतरिक सुरक्षा कमेटी के समक्ष गवाही में कहा कि यदि मुंबई हमले जैसा कोई हमला दोबारा हुआ तो उससे दक्षिण एशिया क्षेत्र के रणनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।
उन्होंने समिति से कहा कि मैं समझता हूं कि भारतीयों ने पिछले मुंबई हमले के बाद अत्यधिक संयम का परिचय दिया, लेकिन देश की जनता यह मांग कर सकती है कि यदि भारतीय धरती पर पाकिस्तानी गुटों की तरफ से कोई बड़ा हमला हुआ तो सरकार कठोर कदम उठाए। मेरा मानना है कि यह आने वाले समय में हमारी विदेश नीति के लिए प्रमुख चुनौतियों में एक होगा। बर्गेन ने कहा कि अमेरिकी विदेश नीति के समक्ष आने वाले वर्षो में 'मुंबई दो' एक बड़ी चुनौती होगी।
पाकिस्तानी आतंकियों के किसी बड़े भारतीय शहर पर किए जाने वाले इस भीषण हमले में सैकड़ों लोगों की जाने जा सकती हैं। इस हमले से संभवत: भारत सरकार पर 'कुछ करने के लिए' भारी राजनीतिक दबाव बनेगा। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप भारत सीमापार आतंकी गुटों के प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट करने के लिए अचानक हमला कर सकता है।
यह कार्रवाई भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1947 के बाद से चौथे पूर्ण युद्ध में बदल सकती है। बर्गेन ने कहा कि इस प्रकार के युद्ध में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना रहेगी। ऐसे में पाकिस्तान पश्चिमी सीमा पर तालिबान आतंकियों से संघर्ष कर रही अपनी सेनाओं को पूर्वी सीमा पर भेजेगा। इससे अलकायदा समेत अन्य आतंकी गुटों पर से दबाव कम हो जाएगा।
राम जन्मभूमि पर फैसला टालने की याचिका की सुनवाई आज
लेकिन विवादित स्थल के प्रमुख दावेदारों ने इसका विरोध किया है और वे अदालत के पूर्व निर्धारित तिथि 24 सितंबर को फैसला सुनाए जाने के पक्ष में हैं। मुकदमे के एक प्रतिवादी रमेशचंद्र त्रिपाठी ने अपने प्रार्थनापत्र में 1994 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के एक पैराग्राफ का उल्लेख किया है, जिसमें कहा गया है कि इस तरह का संवेदनशील विवाद आपसी बातचीत और सहमति से तय होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी केंद्र सरकार के इस सवाल को नामंजूर करते हुए की थी जिसमें अदालत से पूछा गया था कि उस विवादित स्थान पर पहले कोई मंदिर को तो़डकर मस्जिद बनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हाईकोर्ट को निर्णय के लिए वापस भेज दिया था।
सुप्रीम कोर्ट की इस 16 साल पुरानी टिप्पणी का हवाला देते हुए प्रार्थनापत्र में आशंका व्यक्त की गई है कि कोर्ट का फैसला आने से देश में हिंसा भ़डक सकती है। प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि इस अदालत ने स्वयं भी सुनवाई पूरी होने के बाद 27 जुलाई को आपसी सहमति से मामला हल करने का प्रयास किया था, जो विफल रहा। लेकिन अदालत ने कहा था कि मुकदमे के वादी-प्रतिवादी कभी भी समझौते से मामला हल कर सकते हैं।
इसमें सिविल प्रोसीजर कोड की धारा 89 का हवाला दिया गया है कि अदालत ऎसे मामलों का वादियों की परस्पर सहमति से हल करवाने का प्रयास कर सकती है। मगर मुकदमे के एक पक्षकार हिंदू महासभा के वकील हरिशंकर जैन का कहना है कि अब समझौते से मामले हल करने की कोई गुंजाइश नहीं है।
हरिशंकर जैन ने कहा, हिंदू पक्ष यह साफ कर चुका है कि चूंकि यह राम जन्मभूमि का मामला है इसलिए इसकी एक इंच जमीन भी समझौता नहीं हो सकता। इस समझौते के पीछे कोई राजनीतिक साजिश है जो नहीं चाहती कि यहां कानून का राज हो और अदालत अपना काम कर सके और फैसला दे सके।
हिंदू महासभा के अलावा सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने भी अदालत को लिखकर दे दिया है कि अब फैसला टालने का कोई कारण नहीं बनता। बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति के पूर्व संयोजक मोहम्मद आजम खान ने समझौते की बात को एक मजाक बताया और कहा कि अदालत को कानून के मुताबिक अपना फैसला देना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अदालत का जो भी फैसला आए, किसी को उस पर बहुत उत्साह या नाराजगी नहीं प्रकट करनी चाहिए और संयम बरतना चाहिए।
अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी जाएगा। विवादित स्थल के अन्य प्रमुख दावेदार निर्मोही अख़ाडे के वकील रणजीतलाल वर्मा ने कहा कि प्रतिवादी रमेश त्रिपाठी की भावना अच्छी है, मगर समझौते के लिए अब बहुत देर हो चुकी है। इस मामले में नया पेंच यह है कि मामले की सुनवाई कर रही विशेष पीठ के एक जज धर्मवीर शर्मा एक अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं, अगर किसी वजह से फैसला तब तक टाल दिया जाता है, तो पूरे मामले की सुनवाई फिर से करनी प़डेगी।
अदालत का निर्णय स्वाभाविक और सर्वोपरि : विनय कटियार
भाजपा मुख्यालय में कटियार ने कहा कि केन्द्र को अयोध्या में स्वामित्व को लेकर चल रहे मुकदमे में पहल कर वादी/पक्षकार या जो भी कानूनी रूप से उचित हो, बनकर समस्या के समाधान के लिए कार्य करना चाहिए। कटियार ने कहा कि 1905 में फैजाबाद अदालत ने बातचीत के माध्यम से समस्या के समाधान पर बल दिया था। ठीक उसी प्रकार केन्द्र सरकार को समस्या का हल बातचीत से निकालना चाहिए।
विनय कटियार ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल, देवेगौड़ा ने अयोध्या मामले में रुचि नहीं दिखाई थी। उन्होंने रहस्योद्घाटन किया और कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने एवं पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या मामले में दोनों पक्षों से बातचीत करने के लिए तारीख भी तय कर दी थी, किन्तु दुर्भाग्य से बातचीत प्रारम्भ न हो सकी। कटियार ने कहा यदि छह माह का समय और मिल जाता और इंडिया शाइनिंग नारा न होता तो आज स्थिति और होती।
भाजपा नेता ने कहा कि इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर, विश्वनाथ प्रताप सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायमसिंह ने आपसी वार्ता प्रारम्भ की किन्तु श्रेय की होड़ में मामला अटक गया। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहराव ने उनसे कहा था कि वहाँ राम मंदिर निर्माण होना चाहिए, किन्तु बातचीत के माध्यम से।
उन्होंने कहा कि राव ने अयोध्या में 2.77 एकड़ परिसर के अंदर निर्माण छोड़कर अन्य जगह निर्माण कराने को कहा था। इसी के मद्देनजर 6 दिसंबर 92 को हमने काम शुरू कराया था।
भाजपा नेता ने कहा कि अयोध्या मामले का बातचीत से ही स्थायी हल निकलेगा क्योंकि आने वाला फैसला जिसके भी पक्ष में नहीं होगा वह उच्चतम न्यायालय जाएगा। कटियार ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बने यह केवल उनकी ही नहीं बल्कि दुनिया भर के राम भक्तों की इच्छा है।
उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनने के लिए इससे पहले 78 बार युद्ध हुए हैं और साढ़े चार लाख लोगों ने अपना बलिदान दिया है। उन्होंने कहा कि अब यह विषय अदालत में है और अदालत सर्वोच्च है। उन्होंने कहा कि अदालत का निर्णय स्वाभाविक, सर्वोपरि है।
विनय कटियार का मानना है कि राम मंदिर श्रद्धा विश्वास का मामला है और इस मामले में न्यायालय में एक दो लोगों की दरखास्त देने वाले करोड़ों हिन्दुओं के प्रतिनिधि नहीं हो सकते। अतः सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू के समय जब सोमनाथ मंदिर बनवाया गया तब मुसलमानों ने आवाज नहीं उठाई तो अब मुसलमान अयोध्या मामले में आवाज क्यों उठा रहे हैं?
उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश सरकार लोगों को भयाक्रांत बना रही है, जबरन गुंडा एक्ट लगाया जा रहा है। मायावती को मुलायम के रास्ते पर चलने की आवश्यकता नहीं है।
बातचीत करके समय बर्बाद न करे मनमोहन : मीरवाइज
जम्मू एवं कश्मीर के अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के प्रमुख मीरवाइज ने बोला कि "मनमोहन सिंह को यह नहीं समझना चाहिए कि किसी रोजगार पैकेज की घोषणा कर देने से कश्मीर की समस्या सुलझ जाएगी। यह कोई बेरोजगारी की समस्या नहीं है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक मुद्दा है।"
मीरवाइज ने कहा कि भारत सरकार को समस्या के समाधान के प्रति गंभीरता दिखानी चाहिए और बातचीत के बहाने समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।
बुधवार को कश्मीर पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक पर चर्चा करते हुए मीरवाइज ने कहा, "भारतीय नेताओं को कश्मीर की वास्तविकता को ईमानदारी के साथ स्वीकार करनी चाहिए और इसे एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा मानना चाहिए। उन्हें चिकनी-चुपड़ी घोषणाओं, पैकेज और प्रतीकात्मक सहानुभूति की योजना नहीं बनानी चाहिए।"
हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े के प्रमुख सैयद अली गिलानी और जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक से सहमति जताते हुए मीरवाइज ने कहा, "कश्मीर के ताजा हालात पर और उसके समाधान के बुनियादी दृष्टिकोण को लेकर हम सभी, यानी मैं, गिलानी साहेब और मलिक का एक संयुक्त दृष्टिकोण है।"
मीरवाइज ने कहा, "81 वर्षीय गिलानी से लेकर पथराव करने वाले किशोर तक, कश्मीर की चार पीढ़ियां 63 वर्ष पुराने इस मुद्दे के समाधान के लिए उत्सुक हैं।"
नरेंद्र मोदी को लेकर नीतीश कुमार अपने रुख पर कायम
फिर उन्होंने कहा, यह पक्ष बीजेंपी को हल करना है। हम चाहते हैं पुराना स्टैंड बना रहे। हमें लगता है कि बीजेपी इस मसले को ठीक ढंग से सुलझा लेगी। शिवानंद तिवारी के उस बयान पर कि पार्टी को भाजपा से संबंध तो़ड लेने चाहिए, नीतीश ने कहा कि हमारी पार्टी लोकतांत्रिक है, जहां सभी को अपने विचार रखने का अधिकार है। अयोध्या मुद्दे को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 24 सितंबर को सुनाए जाने वाले फैसले के बारे में पूछे जाने पर नीतीश कुमार ने कहा, जदयू का रूख शुरू से ही स्पष्ट रहा है। हमारी यह मान्यता है कि इस विवाद का समाधान अदालत के फैसले से या आपसी बातचीत से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालत का फैसला सभी को मान्य होना चाहिए और उसे लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए, किसी भी प्रकार से माहौल नहीं बिग़डना चाहिए।
जल्द ही दिवालिया हो जाएगा पाकिस्तान : वित्त मंत्री अब्दुल हाफ़िज शेख
पाकिस्तान पर दो साल पहले छह खरब रुपये का कर्ज था, जो फ़िलहाल 875 खरब रुपये तक पहंच गया है. ब्याज अदायगी पर पाकिस्तान का खर्च साल दर साल बढ़ता जा रहा है. इसके बावजूद पाकिस्तान रक्षा खर्च कम करने के बजाय बढ़ाता ही रहा है. आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में भी आइएसआइ के जरिए सरकार की बड़ी रकम खर्च होती है. इस पर हाल में आई भीषण बाढ़ ने पहले से खस्ताहाल देश को बर्बाद कर दिया है.
बाढ़ में करीब 2000 लोग मरे हैं और दो करोड़ से ज्यादा प्रभावित हए हैं. 50 लाख लोगों की नौकरियां भी चली गई हैं. बाढ़पीड़ितों के लिए दुनिया भर से मदद आ रही है, लेकिन इस मदद को सही लोगों तक पहंचा पाने में भी सरकार नाकाम रही है. राहत का सामान खुले आम बाजार में बिका है. फ़िर भी, पाकिस्तान सरकार बाढ़ के नाम पर कर्ज माफ़ी और मदद की गुहार लगा रही है.
वित्त मंत्री ने किफ़ायत बरतने की अपील भी की है. पाकिस्तान का कर्ज इसके जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद के आधे से भी अधिक के बराबर है. वित्त मंत्री ने कहा, हालात इसी तरह रहे तो दो महीने बाद हमारे पास कर्मचारियों को तनख्वाह देने के पैसे नहीं रहेंगे.
प्रधानमंत्री यूसुफ़ रजा गिलानी भी देश में आई भीषण बाढ़ से डरे हए हैं. उन्होंने हाल में कहा था कि पिछले साल देश की जीडीपी दर 41 फ़ीसदी थी, जो बाढ़ की वजह से इस साल मात्र 25 फ़ीसदी रह जाएगी. इसका असर यह होगा कि बड़े पैमाने पर लोग बेरोजगार हो जाएंगे और हजारों-लाखों परिवारों को खाने के लाले पड़ जाएंगे.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा था कि बाढ़ के चलते देश की अर्थव्यवस्था को 43 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है. इसका असर देश के समाज पर भी पड़ेगा. लोगों को जब खाने की कमी होगी तो लूटपाट जैसी घटनाएं बढ़ेंगी और कानून-व्यवस्था के हालात बिगड़ सकते हैं.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की संस्था अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान में बाढ़ से हई तबाही के कारण 50 लाख लोगों को नौकरियां खत्म हो गई हैं.
विवादित ढांचा गिराये जाने के लिए राजीव गांधी जिम्मेदार थे: क्रिस्टॉफ जैफरलट
लेखक क्रिस्टॉफ जैफरलट ने राजीव गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा है कि उन्होंने एक समुदाय का प्रयोग दूसरे समुदाय के खिलाफ किया.
उन्होंने कहा : विहिप को देशभर में राममंदिर अभियान चलाया गया. और राजीव ने हिंदु और मुसलमानों को एक दूसरे के खिलाफ़ इस्तेमाल किया.विवादित ढांचा 18 साल पहले 6 दिसंबर 1992 को गिराया गया था.
इससे पहले 27 सितंबर 1989 को केंद्र ने विहिप के साथ करार के तहत अयोध्या में गैर-विवादित भूमि पर शिलान्यास की अनुमति दी थी. समझौते के तहत देश भर में रामशिला से जुड़े कार्यक्रम को मंजूरी दी गयी थी. लेकिन शर्त भी रखी गयी थी कि राम मंदिर का शिलान्यास गैर विवादित भूमि पर ही होगा.
राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर जैफरलट की पुस्तक का नाम है रीलिजन,कास्ट एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया. उन्होंने कहा कि 24 सितंबर को आनेवाला फ़ैसला भारतीय राजनीति को लिए ऐतिहासिक होगा. साथ ही यह भारत के मुसलमानों को राजनीति की मुख्यधारा में लाने का बेहतरीन मौका है.लेखक के अनुसार हिंदू दलों को अपने फ़ैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है.
उनका मानना है कि 2009 के चुनावों में इसका असर देखा गया था. लेखक का कहना है कि समय आ गया है कि यह दिखाया जाये कि मुसलमान भी भारत का हिस्सा है.
महबूबा मुफ्ती की प्रधानमंत्री से बिना शर्त बातचीत की अपील
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर पर पांच घंटे तक चली सर्वदलीय बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया,
"हम प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि वे बिना शर्त बातचीत की घोषणा करें।"
महबूबा ने कहा कि बातचीत शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री और अलगाववादियों को कोई शर्त नहीं रखनी चाहिए। महबूबा ने कहा, "बल्कि सरकार को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए युवकों को रिहा कर देना चाहिए। कश्मीरियों को पीड़ा पहुंचा रहे कर्फ्यू को भी उठा लिया जाना चाहिए।"
सशस्त्र सेना विशेष शक्तियां अधिनियम (एएफएसपीए) को हटाए जाने के मुद्दे पर महबूबा ने कहा, "ऊपरी मरहम लगाने के बदले हमारे पास निश्चित रूप से कुछ वास्तविक और ठोस समाधान होना चाहिए।"
महबूबा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि बातचीत मानवता के दायरे में होना चाहिए। हमें उनकी बातों पर गौर करना चाहिए।
महबूबा ने आगे कहा, "सभी पार्टियों को अपने राजनीतिक हित से ऊपर उठना चाहिए। आइए हम सभी मिल कर कश्मीर की जटिल समस्या का समाधान तलाशें।"
अटल जी मेरे पिता समान - लता मंगेशकर
अटल जी को अपने पिता तुल्य मानने वाली लता ने माइक्रो ब्लागिंग वेबसाइट टि्वटर पर कहा कि मैं अटल जी को महान कवि और लेखक मानती हूं। उन्होंने हिंदी भाषा के प्रसार के लिए बहुत कुछ किया। वह मेरे पिता समान हैं।
अपनी सुरीली आवाज से करोड़ों लोगों को दीवाना बनाने वाली लता ने हिंदी दिवस के अवसर पर कहा कि हिंदी दिवस पर आज मुझे वह सब महान लोग याद आ रहे हैं जिनका हिंदी भाषा के प्रसार और उत्क्रांति में एक अतुलनीय योगदान रहा है तथा जिनसे मैं प्रभावित हूं।
उन्होंने कहा कि इन लोगों में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, महाकवि हरिवंश राय बच्चन, सुमित्रानंद पंत, दिनकरजी, राष्ट्रकवि प्रदीपजी और मेरे बहुत पूज्य पंडित नरेंद्र शर्मा जैसे नाम शामिल हैं। इन सभी विभूतियों का हिंदी भाषा के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान रहा। इन सभी लोगों का मुझपर भी असीम प्रभाव रहा।
ईद पर बांग्लादेश के शिव मंदिर में तोड़फोड़
बांग्लादेश में दक्षिण पूर्वी चटगांव जिले में असामाजिक तत्वों ने एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की, जिसके बाद अल्पसंख्यक समुदाय विरोध स्वरूप सड़क पर उतर आया। स्थानीय लोगों और मंदिर की प्रबंधन समिति के अधिकारियों ने कहा कि शराब के नशे में धुत छह से सात युवक शनिवार को शिव मंदिर में घुस गए।
शनिवार को ईद उल फितर का त्योहार मनाया जा रहा था और संयोग से उस दिन गणेश चतुर्थी भी थी। पुलिस और मंदिर के पुजारियों ने कहा कि देवी देवताओं की दो प्रतिमाओं को क्षतिग्रस्त करने और सोने के कुछ आभूषणों को लूटने के बाद हमलावर भाग खड़े हुए। हालांकि कुछ लोगों ने उन्हें दूर तक खदेड़ा भी। शरारती तत्वों को दंडित करने की मांग को लेकर हिंदू समुदाय ने प्रदर्शन किया।
कांग्रेस कमाई में भी नंबर वन - 600 करोड़ कमाए
पार्टी ने इस अवधि में ब्याज के जरिए 38 करोड़ रुपये जुटाए। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी ने इस अवधि के दौरान चंदे से 297.7 करोड़ रुपये जुटाए। इसके अलावा ब्याज के रूप में उसे 21.29 करोड़ रुपये मिले। पार्टी ने आजीवन सहयोग निधि के जरिए भी कुछ राशि जुटाई। आरटीआई के तहत स्वयंसेवी संगठन ‘एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स’ ने यह जानकारी प्राप्त की है। बसपा ने भी योगदान के जरिये 202. 94 करोड़ रुपये प्राप्त किए। पार्टी सदस्यता और ब्याज से उसे क्रमशः 43. 20 करोड़ और 5.18 करोड़ रुपये मिले। पार्टियों की आय के अन्य प्रमुख स्रोतों के तहत वर्ष 2007-08 और 2008-09 में माकपा ने जहां ‘लेवी’ के रूप में 46 करोड़ रुपये जुटाए, वहीं राकांपा ने कूपन की बिक्री के जरिये 50 करोड़ रुपये प्राप्त किए।
इस अवधि में कांग्रेस ने सर्वाधिक 215 करोड़ रुपये चुनाव पर खर्च किए जबकि विज्ञापन पर 58 करोड़ रुपये व्यय किए गए। पार्टी ने ‘अन्य’ के लिए सहायता के रूप में 56 करोड़ रुपये बांटे। इसी क्रम में भाजपा ने विज्ञापन एवं प्रचार-प्रसार पर 89. 16 करोड़ रुपये खर्च किये जबकि बसपा ने 85 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति खरीदी। इस अवधि के दौरान कांग्रेस की अधिकतम सकल आय 718 करोड़ रुपये रही जबकि भाजपा और बसपा की सकल आय क्रमशः 344 करोड़ रुपये और 252 करोड़ रुपये रही। भाकपा एकमात्र ऐसी पार्टी रही जिसका आय में आलोच्य अवधि के दौरान गिरावट दर्ज की गई। वर्ष 2007-08 में पार्टी की आय 1. 24 करोड़ थी, जो 2008-09 में यह घटकर 1. 16 करोड़ रुपये रह गई।
2007-09 में विभिन्न पार्टियों की आमदनी
कांग्रेस---------718 करोड़ रु.
भाजपा---------344 करोड़ रु.
बसपा---------252 करोड़ रु.
राम जन्मभूमि के मुद्दे का समाधान संवैधानिक दायरे में ही - भागवत
उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला अगर उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा तो इस मुद्दे पर संघ कानूनी और संवैधानिक दायरे में आगे बढ़ेगा। कोर्ट के फैसले के बाद तनाव बढ़ने की आशंका को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि संघ हिंसा और उग्रता में यकीन नहीं करता। उन्होंने लोगों से अपील की कि कोर्ट का फैसला चाहे जो हो, वे शांत रहें और कानून के दायरे में समाधान तलाशें। भागवत ने कहा कि यदि देश के मुस्लिम, मंदिर निर्माण में सहयोग दें और देश में सद्भाव बढ़ेगा।
आस्था के मुद्दे पर यदि सभी गौर करें तो टकराव नहीं होगा और सभी टकराव टालने की कोशिश करेंगे। ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द के प्रयोग पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि हिंदुत्व में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है। जिहाद या माओवाद की तरह हिंसा के लिए हिंदुत्व में विचारधारा नहीं है। इस्लाम जिहाद का समर्थन करता है और माओवाद भी कहता है कि सत्ता बंदूक की नली से मिलती है, लेकिन इस तरह की बात हिंदुत्व नहीं करता है।
अयोध्या मसले पर आने वाले हाईकोर्ट के फैसले से पहले, पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह ने कहा है कि 1989 में विश्व हिंदू परिषद के साथ बतौर गृहमंत्री किया गया उनका समझौता अभी भी लागू हो सकता है और पार्टी चाहे तो वह इस मसले पर मध्यस्थता को तैयार हैं। तत्कालीन राजीव गांधी सरकार में गृहमंत्री रहे बूटा ने 27 सितंबर 1989 को विहिप के साथ करार किया था जिसके तहत अयोध्या में गैर विवादित भूमि पर शिलान्यास की अनुमति दी गई थी।
करार के तहत केंद्र सरकार ने देशभर में रामशिला पूजा से जुड़े कार्यक्रम को मंजूरी दे दी थी बशर्ते राम मंदिर के लिए शिलान्यास गैर विवादित भूमि पर हो।बूटा ने कहा,‘मैने खुद शिलान्यास को मंजूरी दी थी। इससे पहले बाबरी एक्शन कमेटी और विहिप के नेताओं के साथ एनडी तिवारी के घर बैठक भी की गई। केंद्र सरकार का मानना था कि कोर्ट के फैसले को सभी पक्ष मानें। इसी संबंध में मैने विहिप के साथ समझौता भी किया, लेकिन बाद में उसने इसकी अवहेलना कर दी। इस बात को 21 साल बीत गए हैं, लेकिन वह समझौता अभी भी लागू हो सकता है। केंद्र सरकार और सोनियाजी चाहें तो मैं इस मामले पर सेवायें देने को तैयार हूं।
कश्मीर में सरकार नाम की कोई चीज नहीं : आडवाणी
भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि यह बेहद शर्मनाक है कि जहां कांग्रेस के एक प्रधानमंत्री ने 1971 में पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, वहीं उसके एक अन्य प्रधानमंत्री पाकिस्तान के छद्म युद्ध के सामने घुटने टेक रहे हैं।
भाजपा के प्रवक्ताओं व मीडिया प्रकोष्ठ के देश भर के संयोजकों के सम्मेलन का समापन करते हुए आडवाणी ने केंद्र की संप्रग सरकार पर आरोप लगाया कि उसने कश्मीर में अलगाववादियों के सामने पूरी तरह समर्पण कर दिया है। सरकार उन्हें करारा जवाब देने के बजाए राजनीतिक हल निकालने की कोशिश कर रही है। इसके लिए सुरक्षा बलों का मनोबल तोड़ा जा रहा है और उनके अधिकारों में कटौती की जा रही है।
आडवाणी ने इस बात पर गहरी निराशा जताई कि 1971 में करारी हार के बाद पाकिस्तान के सैन्य शासक कश्मीर को लेकर जो सपना देखते रहे, उसे अब अलगाववादी पूरा कर रहे हैं। आडवाणी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पंडित जवाहरलाल नेहरू का 27 नवंबर, 1963 का भाषण भी याद दिलाया, जिसमें उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 370 के बारे में स्पष्ट किया था कि यह कुछ समय के लिए या दूसरे शब्दों में अस्थायी प्रावधान है।
भाजपा नेता ने कहा कि लगता है मौजूदा कांग्रेस सरकार अब अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी भूल गई है। इससे पहले जब जून, 2000 में राज्य सरकार ने विधानसभा से स्वायत्तता प्रस्ताव पारित करा कर केंद्र को भेजा था तो तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने उसे पूरी तरह नकार दिया था क्योंकि वह राष्ट्रीय एकता के खिलाफ था। उन्होंने संप्रग सरकार को आगाह किया कि अगर उसने अलगाववादियों के सामने घुटने टेके तो देश उसे कभी माफ नहीं करेगा।
आशाराम बापू के मणिमहेश पर्वत के बयान पर तीखी आलोचना
जुलाई-अगस्त के दौरान पवित्र मणिमहेश झील हजारों तीर्थयात्रियों से भर जाता है। यहीं पर सात दिनों तक चलने वाले मेला का आयोजन भी किया जाता है। यह मेला जन्माष्टमी के दिन समाप्त होता है। जिस तिथि को यह उत्सव समाप्त होता है उसी दिन भरमौर के प्रधान पूजारी मणिमहेश डल के लिए यात्रा प्रारंभ करते हैं। यात्रा के दौरान कैलाश चोटि (18,556) झील के निर्मल जल से सराबोर हो जाता है। कैलाश चोटि के ठीक नीचे से मणीमहेश गंगा का उदभव होता है। इस नदी का कुछ अंश झील से होकर एक बहुत ही खूबसूरत झरने के रूप में बाहर निकलती है। पवित्र झील की परिक्रमा (तीन बार) करने से पहले झील में स्नान करके संगमरमर से निर्मित भगवान शिव की चौमुख वाले मूर्ति की पूजा अर्चना की जाती है। कैलाश पर्वत की चोटि पर चट्टान के आकार में बने शिवलिंग का इस यात्रा में पूजा की जाती है। अगर मौसम उपयुक्त रहता है तो तीर्थयात्री भगवान शिव के इस मूर्ति का दर्शन लाभ लेते हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार कैलाश उनकी अनेक आपदाओं से रक्षा करता है, यही वजह है कि स्थानीय लोगों में महान कैलाश के लिए काफी श्रद्धा और विश्वास है। यात्रा शुरू होने से पहले गद्दी वाले अपने भेड़ों के साथ पहाड़ों पर चढ़ते हैं और रास्ते से अवरोधकों को यात्रियों के लिए हटाते हैं। ताकि यात्रा सुगम और कम कष्टप्रद हो। कैलाश चोटि के नीचे एक बहुत बड़ा हिमाच्छादित मैदान है जिसको भगवान शिव के क्रीड़ास्थल 'शिव का चौगान' के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि यहीं पर भगवान शिव और देवी पार्वती क्रीड़ा करते हैं। वहीं झील के कुछ पहले जल का दो स्रोत है। इसको शिव क्रोत्रि और गौरि कुंड के नाम से जाना जाता है।
चंबा के पुलिस उपायुक्त देवेश कुमार ने बताया, ""छ़डी यात्रा के लिए सारे प्रबंध कर लिए गए हैं। यह यात्रा चंबा जिले में 1,000 वर्ष पुराने लक्ष्मीनारायण मंदिर से शुरू होगी।"" वर्ष में एक बार एक महीने तक चलने वाली पवित्र "मणिमहेश तीर्थयात्रा" की शुरूआत 20 अगस्त को हुई थी और यह 15 सितंबर को राधाअष्टमी के दिन समाप्त हो जाएगी। राधाअष्टमी के दिन ही हजारों श्रद्धालू मणिमहेश झील में स्नान करते हैं। इस तीर्थस्थान के बारे में कहा जाता है कि श्रद्धालु कैलाश पर्वत का दर्शन तभी कर पाते हैं जब भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। जब यह चोटी बादलों के पीछे छुप जाती है तो माना जाता है कि भगवान शिव प्रसन्न नहीं हुए।
तो इस बार आशाराम बापू भी अपने हेलीकाप्टर से इस यात्रा के लिए पहुचे और वापस आने पर उन्होंने कहा वहां कोई मणि - वणी नहीं है, असली मणि तो मेरे पास है, जो मेरे सत्संग का लाभ उठाता है उसे इस यात्रा करने को कोई जरुरत ही नहीं है. मेरे लिए यह यात्रा एक सजा के सामान थी.
आशाराम जी के इस बयान की स्थानीय लोगों में काफी आलोचना हो रही है और सभी धार्मिक और सामाजिक संघटनो ने भरी रोष भी जताया है, हिन्दू जागरण मंच ने कहा की आशाराम जी ने मणि तो नहीं देखी लेकिन उनका स्टिंग ऑपरेशन सभी ने देखा है.
शिवसेना ने कहा है कि आशाराम जी को अपने इस बयान के लिए पूरे देश से माफ़ी मांगनी चाहिए.
पूरा हिमाचल प्रदेश आशाराम जी के इस बयान से अचंभित है और आशाराम जी के प्रति लोगो की आस्था में भारी कमी आ गई है, लोग तो यहाँ तक बोल रहें हैं कि आशाराम जी को दंभ हो गया है, वो टीवी के भगवान् बन गएँ हैं.
दिग्विजय का संतुलन गड़बड़ा गया : शिवराज सिंह चौहान
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने गत दिवस नगर प्रवास के दौरान अपने बयान में कहा था कि एनडीए के शासन काल में महंगाई बढ़ी थी। इसी के साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार के कामकाज पर सवालिया निशान लगाते हुए उसे कटघरे में खड़ा किया था। 11.40 बजे आये और 1.40 पर रवाना हुए मुख्यमंत्री अपने प्रवास के दौरान मात्र दो घंटे शहर में रहे।
कांग्रेस की बैठक में मारपीट और हाथापाई
बाद में निषाद ने कहा - रीता बहुगुणा जोशी के लोगों ने मेरे साथ गली गलौज और मारपीट की । इसकी शिकायत मैंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और दिग्विजय सिंह से की है । इस तरह पिछड़े तबके के लोगो को पार्टी क्या सन्देश देना चाहती है । मै तो सिर्फ
पिछड़े तबके का सवाल उठा रहा हूँ । इससे पहले पीसीसी की बैठक में खेमेबंदी के बीच एक प्रस्ताव लेकर अध्यक्ष का चुनाव कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी पर छोड़ दिया गया ।
पीसीसी के प्रस्ताव में कहा गया -आज १३ सितंबर को चुनाव की बैठक में हम सभी उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के डेलीगेट सर्व सम्मति से यह प्रस्ताव करते है कि उत्तर प्रदेश हमारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी का गृह प्रदेश है इसलिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ,पदाधिकारी ,कार्यकारिणी ,सभी समितियों और एकआईसीसी सदस्यों का मनोनयन सोनिया गाँधी ही करें । इसलिए हम में से कोई भी डेली गेट प्रदेश अध्यक्ष समेत किसी भी पद के लिए नामांकन नहीं करेगा । इस प्रस्ताव के साथ ही प्रदेश नेतृत्व के चयन का अधिकार अब सोनिया गाँधी को दे दिया गया है । पर उनके लिए भी यह आसान फैसला नहीं है । प्रदेश कांग्रेस की उठापटक खुलकर सामने आ चुकी है। रीता और प्रमोद खेमे में से एक के भी बनने से दूसरा खेमा चुप नहीं बैठेगा । दुसरे पिछड़े ,दलित और मुसलमानों का सवाल भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ।
उमर अब्दुल्ला सोनिया से ईदी लेने पहुंचे
गौरतलब है कि कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) को आंशिक तौर पर हटाने के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया और उमर की मुलाकात करीब 15 मिनट तक चली। कैबिनेट समिति की बैठक में कश्मीर में जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए ‘ईद पैकेज’ पर चर्चा की उम्मीद है।
उमर अब्दुल्ला लंबे समय से केंद्र से माँग कर रहे हैं कि वह राज्य के कुछ हिस्सों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून हटाए और कुछ राजनीतिक पहल की घोषणा करे। उमर ने कहा कि वह विश्वास बहाली के उपायों पर केंद्र के साथ काम कर रहे हैं ताकि घाटी में सामान्य स्थिति बहाल की जा सके।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कल कहा था कि इस बारे में सवाल उठेंगे कि हिंसा के जारी रहने पर इस प्रक्रिया को कैसे आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा ‘यह मुर्गी और अंडा वाली स्थिति है कि पहले कौन आया।’
बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने अपने कैबिनेट सहयोगियों से चर्चा की थी। चर्चा के बाद ऐसे संकेत मिले थे कि घाटी में पिछले तीन महीने से जारी हिंसा के अंत के लिए सरकार कुछ पहल की घोषणा कर सकती है।
हिन्दू विरोधी फैसला बाध्यकारी नहीं - महंत आदित्यनाथ
योगी ने कहा कि राम जन्मभूमि के स्वामित्व से जुड़े प्रश्न वाला मुकदमा बेवकूफी भरा है। उन्होंने कहा कि राम का जन्म अयोध्या में हुआ इसके लिए कोई प्रमाण की आवश्यकता नहीं, अयोध्या में बाबर या फिर मीरबाकी का जन्म तो हुआ नहीं। यदि मुस्लिम पक्ष ने हेराफेरी कर राजस्व रिकॉर्ड पेश किया तो उसमें कोई दम नहीं। योगी ने साफ शब्दों में कहा कि मुस्लिमों ने अयोध्या का फैसला माना ही कब।
गोरखपुर से नई दिल्ली यात्रा के दौरान योगी आदित्यनाथ ने आदित्यनाथ ने कहा कि विभाजन और हिन्दुत्व से जुड़े तीनों स्थान अयोध्या, काशी और मथुरा हिन्दुओं को सौंपे जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि शाहबानों के मामले पर यदि कानून बदला जा सकता है तो राम मन्दिर के लिए भी संसद में कानून बनाना चाहिए।
महंत आदित्यनाथ ने कहा कि मुसलमान न्यायालय के निर्णय मानते ही कब हैं। बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले में और गोवध के पूर्ण प्रतिबंध के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को मुसलमानों ने नहीं माना। उन्होंने कहा कि मुसलमान देश के संविधान से ज्यादा शरीयत को मानते हैं।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरक्षपीठ वर्ष 1949 से रामलला के प्राकट्य के बाद से राममंदिर आंदोलन से जुड़ी है, लेकिन 1983 में राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति ने राम जन्मभूमि का ताला खोलने का जबरदस्त अभियान चलाया था।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 1986 में अयोध्या में ताला कैसे खुला? उन्होंने कहा कि बिना सरकार के सहयोग से यह संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस या सेक्युलर किस मुँह से अयोध्या में भगवान राम के अस्तित्व को नकारेंगे जब 1989 में राजीव गाँधी ने रामराज्य की स्थापना का नारा देकर अपने चुनाव अभियान का श्रीगणेश फैजाबाद में एक जनसभा कर किया था।
एक प्रश्न के उत्तर में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रशासन द्वारा हनुमत शक्ति जागरण यात्रा पर रोक लगाना विनाशकाले विपरीत बुद्धि जैसी बात है। उन्होंने कहा कि यदि उत्तरप्रदेश सरकार ने ऐसा आदेश जिला प्रशासन को दिया तो यह आग में खेलने का काम किया है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि धार्मिक सांस्कृतिक अभियान को रोकने का काम नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि मायावती मुलायम बनना चाहती हैं तो बनें।