रेलवे में, 'मेक इन इंडिया' शुरू: जानिये क्या होंगें लाभ

रेल राज्‍य मंत्री श्री मनोज सिंहा ने जानकारी देते हुए बताया कि रेल मंत्रालय ने नवम्‍बर, 2014 में घरेलू/ विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश के संबंध में निर्माण, परिचालन और अनुरक्षण के निम्‍नलिखित निर्धारित क्षेत्रों में खंडीय दिशा-निर्देश जारी किए है: 



1) सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिए उननगरीय गलियारे; 
2) उच्‍च रफ्तार गाड़ी परियोजनाएं; 
3) समर्पित माल यातायात लाइनें; 
4) गाड़ी सेट एवं रेल इंजन/सवारी डिब्‍बा विनिर्माण सहित चल स्‍टॉक और अनुरक्षण सुविधाए; 
5) रेल विद्युतीकरण; 
6) सिगनल प्रणाली; 
7) फ्रेट टर्मिनल; 
8) यात्री टर्मिनल; 
9) जांच सुविधाएं और प्रयोगशालाएं; 
10) ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोत; 
11) रेल तकनीकी प्रशिक्षण संस्‍थान; 
12) विशिष्‍ट यात्री गलियारों (शाखा लाइनों, पर्वतीय रेल आदि) को रियायती बनाना; 
13) मशीनीकृत लॉड्री; 
14) चल स्‍टॉक खरीद; 
15) जैव शौचालय; 
16) चौकीदार वाले और बिना चौकीदार वाले समपारों का प्रौद्योगिकीय समाधान; 
17) संरक्षा बढ़ाने और दुर्घटनाओं में कमी करने के लिए प्रौद्योगिकीय समाधान। 

इन दिशा-निर्देशों से 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के अंतर्गत विदेशी निवेशकों को निवेश करने के लिए प्रोत्‍साहन मिलेगा। विदेशी निवेशकों को निवेश हेतु प्रोत्‍साहित करने के लिए 5 दिसम्‍बर, 2014 को एक निवेशक बैठक भी आयोजित की गई थी। 

विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2014 लोकसभा में पेश

इस विधेयक का उद्देश्य प्रतिस्‍पर्धा को बढ़ावा देना, परिचालन में दक्षता लाना और बिजली आपूर्ति की गुणवत्‍ता में सुधार लाना है.

बिजली, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने लोक सभा में विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2014 पेश किया। इन संशोधनों से विद्युत क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित सुधारों का मार्ग प्रशस्‍त होगा। इससे प्रतिस्‍पर्धा को बढ़ावा मिलेगा, परिचालन में दक्षता आएगी और देश में बिजली आपूर्ति की गुणवत्‍ता में सुधार होगा। इस तरह बिजली उत्‍पादन की क्षमता में बढ़ोतरी होगी और अंतत: उपभोक्‍ता लाभान्वित होंगे। 

प्रस्‍तावित संशोधनों की खास बातें भारतीय विद्युत अधिनियम 1910, विद्युत (आपूर्ति) अधिनियम 1948 और विद्युत नियामक आयोग अधिनियम, 1998 जैसे पूर्ववर्ती विद्युत कानूनों का आपस में विलय करने तथा उन्‍हें आधुनिक बनाने के उद्देश्‍य से विद्युत अधिनियम, 2003 बनाया गया था। वर्ष 2004 तथा वर्ष 2007 में इस अधिनियम की दो बार समीक्षा की गई, ताकि आवश्‍यक समझे जाने वाले बदलावों को मूर्त रूप दिया जा सके। 

विगत वर्षों में हासिल अनुभवों के आधार पर प्रावधानों की फिर से समीक्षा करने की जरूरत महसूस की गई ताकि वितरण क्षेत्र में दक्षता एवं प्रतिस्‍पर्धा सुनिश्चित हो सके, ग्रिड की सुरक्षा को मजबूती प्रदान की जा सके और शुल्‍क दरों को तर्कसम्‍मत बनाया जा सके। 

व्‍यापक सलाह-मशविरा के बाद विद्युत अधिनियम, 2003 में कुछ खास संशोधनों का प्रस्ताव किया गया, जिनमें निम्‍नलिखित क्षेत्रों को कवर किया गया है: 

क. ग्रिड की सुरक्षा बढ़ाना: ग्रिड की सुरक्षा बढ़ाने तथा उसे मजबूती प्रदान करने के लिए कुछ खास उपायों पर विचार किया गया है। स्पिनिंग रिजर्व की देख-रेख करना और राज्‍यों तथा क्षेत्रीय लोड प्रेषण केन्‍द्रों इत्‍यादि द्वारा दिये गए निर्देशों के उल्‍लंघन पर ज्‍यादा जुर्माना लगाने के रूप में इसकी रोकथाम की कारगर व्‍यवस्‍था करना इनमें शामिल हैं। 

ख. वितरण क्षेत्र में कैरेज (वितरण नेटवर्क) एवं कन्‍टेंट को अलग करना : बिजली बाजार के विभिन्‍न खण्डों में प्रतिस्‍पर्धा के जरिये उपभोक्‍ताओं को विकल्‍प देने और दक्षता बढ़ाने के लिए वितरण क्षेत्र में कैरेज एवं कन्‍टेंट को अलग करते हुए एकाधिक आपूर्ति वाले लाइसेंसों की अवधारणा का प्रस्‍ताव किया गया है। इसमें बाजार सिद्धांतों के आधार पर शुल्‍क दरों के निर्धारण पर भी ध्‍यान केन्द्रित किया गया है। उपभोक्‍ताओं के हितों की रक्षा के लिए बिजली की खुदरा बिक्री की दरों की सीमा नियामक द्वारा तय किये जाने का प्रस्‍ताव है। इसके अलावा, मौजूदा वितरण लाइसेंसधारकों की सेवाएं उनका कार्यकाल समाप्‍त होने तक जारी रखने का प्रस्‍ताव है। 

ग. नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा : नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों के विकास में तेजी लाने के लिए अनेक उपायों पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया है। एक अलग राष्‍ट्रीय नवी‍करणीय ऊर्जा नीति के लिए प्रावधान करना, नवीकरणीय ऊर्जा उद्योग का विकास करना, कोयला एवं लिग्‍नाइट आधारित ताप विद्युत संयंत्रों पर नवीकरणीय उत्‍पादन प्रतिबद्धता और ओपन एक्‍सेस के अधिभार से नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों को विशेष छूट देना भी इन उपायों में शामिल हैं। 

घ. दरों को तर्कसम्‍मत बनाना : वितरण क्षेत्र की लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए ठोस वित्‍तीय सिद्धांतों के आधार पर शुल्‍क ढांचे को तर्कसम्‍मत बनाने एवं बिना किसी अंतर के लाइसेंसधारकों की राजस्‍व जरूरतों की वसूली के लिए शुल्‍क (टैरिफ) नीति के प्रावधानों को अनिवार्य बनाने का प्रस्‍ताव किया गया है ताकि दरों का निर्धारण हो सके। इस विधेयक में विद्युत क्षेत्र से जुड़े निकायों द्वारा दर संबन्‍धी याचिकाओं को समय पर दाखिल करने का भी उल्‍लेख किया गया है। 

पेटेंटेड औषधियों को अनिवार्य लाइसेंस जारी होना शुरू हुआ

पेटेंड, डिजाइन और व्‍यापार चिह्न महानियंत्रक ने अभी तक एक औषधि विनिर्माता कंपनी अर्थात मैसर्स नैटको फार्मा लिमिटेड को कैंसर रोधी दवा के लिए अनिवार्य लाइसेंस प्रदान किया है। 

इस दवा में ‘सोराफिनीब टोसिलेट’ घटक मौजूद है और इसका गुर्दे और जिगर के कैंसर के इलाज में उपयोग किया जाता है। यह स्‍वीकृति पेटेंट अधिनियम 1970 (यथा संशोधित) की धारा-84 के तहत दी गई है। यह पेटेंट मूल रूप से भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा मैसर्स बेयर कोरपोरेशन, यूएसए को दिया गया था। 

यह जानकारी वाणिज्‍य और उद्योग राज्‍य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती निर्मला सीतारमण ने  लोक सभा में दी। 
अनिवार्य लाइसेंस के प्रावधान पेटेंट अधिनियम में मौजूद हैं और ये प्रावधान उचित स्थिति में लागू किए जाएंगे। 

उन्‍होंने बताया कि स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने जनवरी 2013 में भारत में औषधियों के अनिवार्य लाइसेंसिंग का प्रावधान शुरू करने के लिए गठित समिति की बैठक का कार्यवृत्‍त इस विभाग को भेजा था। इस कार्यवृत्‍त में सिफारिश की गई थी कि पेटेंट अधिनियम 1970 की धारा 92 के प्रावधानों के अनुसार तीन औषधियों- हर्सेप्टिन, डेसाटिनिब और एलजाबिपाइलोन को अनिवार्य लाइसेंसिंग के तहत लाया जाये। 

इस विभाग ने इस सिफारिश की विस्‍तृत जांच की और स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय से संबंधित सूचना भेजने का अनुरोध किया। इसके बाद पेटेंटी ने हर्सेप्टिन के पेटेंट का नवीकरण नहीं किया तथा एलजाबिपाइलोन को स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय द्वारा असुरक्षित पाया गया। इसके बाद स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय से डेसाटिनिब के बारे में अतिरिक्‍त जानकारी मांगी गई। 

नौकरी दिलाने के नाम पर हिन्दू को मुस्लिम बना दिया

तहसील दिवस पर लखनऊ की पिण्डरा तहसील में कुछ इसी तरह की फरियाद लेकर पहुंचे पुरारघुनाथपुर निवासी कृष्ण मोहन मिश्र ने सनसनी फैला दी।

एयरपोर्ट में संविदा पर नौकरी दिलाने के नाम पर इस्लाम धर्म कुबूल कराने का आरोप लगाते हुए उप जिलाधिकारी (पिण्डरा) एके शुक्ल को प्रार्थनापत्र दिया।

धर्मातरण के मुद्दे पर फरियादी ने आरोप लगाया कि एयरपोर्ट पर पिछले सात साल से वह संविदा पर बतौर लोडर काम कर रहा है। एक समुदाय के कई लोगों को स्थायी नौकरी दे दी गई लेकिन मेरे लिए इस्लाम धर्म कुबूल करने पर ही नौकरी देने की शर्त रख दी गई। 

कृष्ण मोहन मिश्र के अनुसार उसे मजबूरन इस्लाम धर्म कुबूल करना पड़ा। यह सुनकर तहसील दिवस में मौजूद अधिकारी सकते में आ गए। बहरहाल, उप जिलाधिकारी एके शुक्ल ने थानाध्यक्ष फूलपुर को मामले की जांचकर कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

भारत में घुसपैठ के लिए पाकिस्तान दे रहा अल-कायदा का साथ

जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों से पूछताछ के बाद इस बात का पता चला कि पाकिस्तान का इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) सभी प्रकार के आतंकवादियों को आश्रय, संरक्षण और धन उपलब्ध करा कर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। 

03 सितंबर, 2014 को एक वीडियो अपलोड किया गया था, जिसमें अल-कायदा के शेख अय्यम अल-जवाहिरी का भाषण शामिल है। इसमें अल-जवाहिरी ने 'भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा' (एक्यूआईएस) नामक अल-कायदा की एक नई शाखा स्थापित करने की घोषणा की थी। पता चला है कि असीम उमर और उस्माना महमूद को एक्यूआईएस का क्रमशः 'अमीर' और 'प्रवक्ता' नियुक्त किया गया है। 

सरकार ने गृह/आंतरिक मंत्री/सचिव स्तरीय वार्ताओं, विदेश सचिव स्तरीय वार्ताओं आदि जैसे अनेक मंचों पर विभिन्न आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान की ओर से मिल रही सहायता का मुद्दा उठाया है और पाकिस्तान के अधिकारियों को संबंधित तथ्य/डोजियर सौंपे गए हैं। इतना ही नहीं, सरकार अपनी ओर से भारत में पाकिस्तान आधारित/समर्थित आतंकवादी संगठनों की नापाक गतिविधियों को विफल करने के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रही है। 

घर वापसी में सरकार भी करे सहयोग - योगी आदित्यनाथ

भाजपा के सांसद योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि जिन हिंदुओं को जबरदस्ती अन्य धर्मो में शामिल कर लिया गया है, अगर वे अपने फिर से हिंदू धर्म में वापस आना चाहते हैं तो इसमें सरकार को सहयोग करना चाहिए और ऐसे लोगों का स्वागत होना चाहिए। 21वीं सदी के युवा सांसद ने सर्द मौसम में ठिठुरते संतों में गर्मी भरने का प्रयास भी किया। बिहार के वैशाली जिले के वैशाली गढ़ में धर्म जागरण मंच द्वारा आयोजित 'संत समागम' में सांसद आदित्यनाथ ने संतों को एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि वर्ष 1992 में संत एकजुट हुए थे तो उनकी शक्ति विश्व ने देखी थी और बाबरी मस्जिद का ढांचा धूल में मिल गया था।

आज एक बार फिर भारत विरोधी ढांचों को ध्वस्त करने के लिए संतों को एकजुट होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश के 15 लाख संत अगर देश के 6.23 लाख गांवों में निकल जाएं तो उस क्षेत्र में पादरी और मौलवी कुछ नहीं कर पाएंगे। आजादी के बाद या पहले जितने लोगों का धर्म-परिवर्तन कराया गया है, उन्हें पुन: अपने धर्म में लाने का कार्य किया जाएगा। सांसद ने हालांकि जबरदस्ती धर्म-परिवर्तन को गलत बताया और कहा कि सरकार को धर्म-परिवर्तन बंद करना चाहिए और इसके लिए कानून भी बनना चाहिए, परंतु ऐसे लोगों का स्वागत भी करना चाहिए जिन्हें पूर्व में जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराया गया है और वे हिंदू धर्म में वापसी कर रहे हैं।

उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय का उदाहरण देते हुए कहा कि आज इस विश्वविद्यालय को पुन: स्थापित किया जा रहा है, लेकिन इसके समाप्त होने के कारणों पर विचार नहीं किया जा रहा है। भाजपा सांसद ने बिहार सरकार पर 'मुस्लिम तुष्टिकरण' का आरोप लगाते हुए कहा कि आज उनके पास मदरसों के विकास के लिए पैसा है, लेकिन सामान्य विद्यालयों के विकास के लिए पैसा नहीं है। उन्होंने कहा कि धार्मिक न्यास बोर्ड का पैसा हिंदू संगठनों के लिए खर्च किया जाना चाहिए। इस समागम में बिहार के विभिन्न मंदिरों और मठों के 2,200 संत समेत देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में साधु-संत पहुंचे।

मध्यप्रदेश में 10 मुस्लिमों ने विधिवत घर वापसी की

मध्यप्रदेश के खनियांधाना के बुकर्रा व छिरवाहा गांव के कुछ दलित परिवारों का धर्मातरण कर मुस्लिम धर्म अपनाने के मामले का गुरूवार को नाटकीय पटाक्षेप हो गया। हिन्दूवादी संगठनों और दलित समाज के नेताओं की मौजूदगी में मनीराम, तुलाराम, सरदार व अनरत सहित 10 लोगों ने खनियांधाना के टेकरी सरकार मंदिर में विधिवत मंत्रोच्चार के बीच पुन: हिन्दू धर्म अपना लिया है।

इस पूरे घटनाक्रम के दौरान अब्दुल्ला बन चुके मनीराम ने न केवल इस्लामिक पहनावा उतार दिया, बल्कि उसने दाढ़ी भी कटवा दी। हिन्दू धर्म को पुन: अपनाने की इच्छा के बाद गुरूवार दोपहर इन सभी नहला धुलाकर व पुरूषों को सफेद धोती व बनियान कुर्ता पहनाया गया,जबकि महिलाओं को नई साड़ी, मंदिर में हिन्दू धर्म से जुड़े मंत्रों के उच्चारण और यज्ञ के बीच इन लोगों ने पुन: हिन्दू धर्म अपनाने की घोषणा की।

इस पूरे मामले की खास बात यह रही कि पुन: हिन्दू धर्म अपनाने वाले इन लोगों का इस बार भी यही कहना था कि वे बिना किसी दबाव के पुन: हिन्दू धर्म अपना रहे हैं।

गुरूवार को हिन्दू रीति रिवाजों के साथ जिन 10 लोगों ने पुन: हिन्दू धर्म अपनाया है,उनमें तुलाराम (अब्दुल करीम) पुत्र प्रीतम, मनीराम (अब्दुल्ला) पुत्र रघुवर, नीलेश पुत्र मनीराम, मक्खो (अमीना) पत्नी मनीराम, प्रीतम पुत्र रघुना, गीता पत्नी प्रीतम, समरत पुत्र रघुना तथा सरदार (इलियास) पुत्र समरत, राजेश उर्फ राजू पुत्र समरत एवं समरत की पत्नी शामिल हैं।

पूरा पढ़िए 14 दिसंबर को प्रधानमंत्री ने क्या कहा अपनी 'मन की बात' में

मेरे प्यारे देशवासियों, 

आज फिर मुझे आप से मिलने का सौभाग्य मिला है। आपको लगता होगा कि प्रधानमंत्री ऐसी बातें क्यों करता है। एक तो मैं इसलिए करता हूँ कि मैं प्रधानमंत्री कम, प्रधान सेवक ज्यादा हूँ। बचपन से मैं एक बात सुनते आया हूँ और शायद वही ‘मन की बात’ की प्ररेणा है। हम बचपन से सुनते आये हैं कि दुःख बांटने से कम होता है और सुख बांटने से बढ़ता है। ‘मन की बात’ में, मैं कभी दुःख भी बांटता हूँ , कभी सुख भी बांटता हूँ। मैं जो बातें करता हूँ वो मेरे मन में कुछ पीड़ाएं होती हैं उसको आपके बीच में प्रकट करके अपने मन को हल्का करता हूँ और कभी कभी सुख की कुछ बातें हैं जो आप के बीच बांटकर के मैं उस खुशी को चौगुना करने का प्रयास करता हूँ।

मैंने पिछली बार कहा था कि लम्बे अरसे से मुझे हमारी युवा पीढ़ी की चिंता हो रही है। चिंता इसलिए नहीं हो रही है कि आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया है, चिंता इसलिए हो रही है कि किसी मां का लाल, किसी परिवार का बेटा, या बेटी ऐसे दलदल में फंस जाते हैं तो उस व्यक्ति का नहीं, वो पूरा परिवार तबाह हो जाता है। समाज, देश सब कुछ बरबाद हो जाता है। ड्रग्स, नशा ऐसी भंयकर बीमारी है, ऐसी भंयकर बुराई है जो अच्छों अच्छों को हिला देती है।

मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में काम करता था, तो कई बार मुझे हमारे अच्छे-अच्छे अफसर मिलने आते थे, छुट्टी मांगते थे। तो मैं पूछता था कि क्यों ? पहले तो नहीं बोलते थे, लेकिन जरा प्यार से बात करता था तो बताते थे कि बेटा बुरी चीज में फंसा है। उसको बाहर निकालने के लिए ये सब छोड़-छाड़ कर, मुझे उस के साथ रहना पड़ेगा। और मैंने देखा था कि जिनको मैं बहुत बहादुर अच्छे अफसर मानता था, वे भी सिर्फ रोना ही बाकी रह जाता था। मैंनें ऐसी कई माताएं देखी हैं। मैं एक बार पंजाब में गया था तो वहां माताएं मुझे मिली थी। बहुत गुस्सा भी कर रही थी, बहुत पीड़ा व्यक्त कर रही थीं।

हमे इसकी चिंता समाज के रूप में करनी होगी। और मैं जानता हूँ कि बालक जो इस बुराई में फंसता है तो कभी कभी हम उस बालक को दोशी मानते हैं। बालक को बुरा मानते हैं। हकीकत ये है कि नशा बुरा है। बालक बुरा नही है, नशे की लत बुरी है। बालक बुरा नही है हम अपने बालक को बुरा न माने। आदत को बुरा मानें, नशे को बुरा मानें और उससे दूर रखने के रास्ते खोजें। बालक को ही दुत्कार देगें तो वो और नशा करने लग जाएगा। ये अपने आप में एक Psycho-Socio-Medical problem है। और उसको हमें Psycho-Socio-Medical problem के रूप में ही treat करना पड़ेगा। उसी के रूप में handle करना पड़ेगा और मैं मानता हूँ कि कुछ समस्याओं का समाधान मेडिकल से परे है। व्यक्ति स्वंय, परिवार, यार दोस्त, समाज, सरकार, कानून, सब को मिल कर के एक दिशा में काम करना पड़ेगा। ये टुकड़ों में करने से समस्या का समाधान नहीं होना है।

मैंने अभी असम में डी0जी0पी0 की Conference रखी थी। मैंने उनके सामने मेरी इस पीड़ा को आक्रोश के साथ व्यक्त किया था। मैंने पुलिस डिपार्टमेंट में इसकी गम्भीर बहस करने के लिये, उपाय खोजने के लिए कहा है। मैंने डिपार्टमेंट को भी कहा है कि क्यों नहीं हम एक टोल-फ्री हैल्पलाईन शुरू करें। ताकि देश के किसी भी कोने में, जिस मां-बाप को ये मुसीबत है कि उनके बेटे में उनको ये लग रहा है कि ड्रग की दुनिया में फंसा है, एक तो उनको दुनिया को कहने में शर्म भी आती है, संकोच भी होता है, कहां कहें? एक हैल्पलाईन बनाने के लिए मैंने शासन को कहा है। वो बहुत ही जल्द उस दिशा में जरूर सोचेंगे और कुछ करेंगे।

उसी प्रकार से, मैं जानता हूँ ड्रग्स तीन बातों को लाता है और मैं उसको कहूँगा, ये बुराइयों वाला Three D है - मनोरंजन के Three D की बात मैं नहीं कर रहा हूँ।

एक D है Darkness, दूसरा D है Destruction और तीसरा D है Devastation।

नशा अंधेरी गली में ले जाता है। विनाश के मोड़ पर आकर खड़ा कर देता है और बर्बादी का मंजर इसके सिवाय नशे में कुछ नहीं होता है। इसलिये इस बहुत ही चिंता के विषय पर मैंने चर्चा की है।

जब मैंने पिछले ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इस बात का स्पर्श किया था, देश भर से करीब सात हजार से ज्यादा चिट्ठियां मुझे आकाशवाणी के पते पर आईं। सरकार में जो चिट्ठियां आईं वो अलग। ऑनलाइन, सरकारी पोर्टल पर, MyGov.in पोर्टल पर, हजारों ई-मेल आए। ट्विटर, फेसबुक पर शायद, लाखों कमेन्ट्स आये हैं। एक प्रकार से समाज के मन में पड़ी हुई बात, एक साथ बाहर आना शुरू हुआ है।

मैं विशेषकर, देश के मीडिया का भी आभारी हूँ कि इस बात को उन्होनें आगे बढ़ाया। कई टी. वी. ने विशेष एक-एक घंटे के कार्यक्रम किये हैं और मैंने देखा, उसमें सिर्फ सरकार की बुराइयों का ही कार्यक्रम नहीं था, एक चिन्ता थी और मैं मानता हूं, एक प्रकार से समस्या से बाहर निकलने की जद्दो-जहद थी और उसके कारण एक अच्छा विचार-विमर्श का तो माहौल शुरू हुआ है। सरकार के जिम्मे जो बाते हैं, वो भी Sensitised हुई हैं। उनको लगता है अब वे उदासीन नहीं रह सकते हैं।

मैं कभी-कभी, नशे में डूबे हुए उन नौजवानों से पूछना चाहता हूँ कि क्या कभी आपने सोचा है आपको दो घंटे, चार घंटे नशे की लत में शायद एक अलग जिन्दगी जीने का अहसास होता होगा। परेशानियों से मुक्ति का अहसास होता होगा, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि जिन पैसों से आप ड्रग्स खरीदते हो वो पैसे कहां जाते हैं? आपने कभी सोचा है? कल्पना कीजिये! यही ड्रग्स के पैसे अगर आतंकवादियों के पास जाते होंगे! इन्हीं पैसों से आतंकवादी अगर शस्त्र खरीदते होंगे! और उन्हीं शस्त्रों से कोई आतंकवादी मेरे देश के जवान के सीने में गोलियां दाग देता होगा! मेरे देश का जवान शहीद हो जाता होगा! तो क्या कभी सोचा है आपने? किसी मां के लाल को मारने वाला, भारत मां के प्राण प्रिय, देश के लिए जीने-मरने वाले, सैनिक के सीने में गोली लगी है, कहीं ऐसा तो नहीं है न? उस गोली में कहीं न कहीं तुम्हारी नशे की आदत का पैसा भी है, एक बार सोचिये और जब आप इस बात को सोचेंगे, मैं विश्वास से कहता हूँ, आप भी तो भारत माता को प्रेम करते हैं, आप भी तो देश के सैनिकों को सम्मान करते हैं, तो फिर आप आतंकवादियों को मदद करने वाले, ड्रग-माफिया को मदद करने वाले, इस कारोबार को मदद कैसे कर सकते हैं।

कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि जब जीवन में निराशा आ जाती है, विफलता आ जाती है, जीवन में जब कोई रास्ता नहीं सूझता, तब आदमी नशे की लत में पड़ जाता है। मुझे तो ऐसा लगता है कि जिसके जीवन में कोई ध्येय नहीं है, लक्ष्य नहीं है, उंचे इरादे नहीं हैं, एक वैक्यूम है, वहां पर ड्रग का प्रवेश करना सरल हो जाता है। ड्रग से अगर बचना है, अपने बच्चे को बचाना है तो उनको ध्येयवादी बनाइये, कुछ करने के इरादे वाले बनाइये, सपने देखने वाले बनाइये। आप देखिये, फिर उनका बाकी चीजों की तरफ मन नही लगेगा। उसको लगेगा नहीं, मुझे करना है।

आपने देखा होगा, जो खिलाड़ी होता है...ठण्ड में रजाई लेकर सोने का मन सबका करता है, लेकिन वो नहीं सोता है। वो चला जाता है खुले मैदान में, सुबह चार बजे, पांच बजे चला जाता है। क्यों ? ध्येय तय हो चुका है। ऐसे ही आपके किसी बच्चे में, ध्येयवादिता नहीं होगी तो फिर ऐसी बुराइयों के प्रवेश का रास्ता बन जाता है।

मुझे आज स्वामी विवेकानन्द के वो शब्द याद आते हैं। हर युवा के लिये वो बहुत सटीक वाक्य हैं उनके और मुझे विश्वास है कि वाक्य, बार-बार गुनगुनायें स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है - ‘एक विचार को ले लो, उस विचार को अपना जीवन बना लो। उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो। उस विचार को जीवन में उतार लो। अपने दिमाग, मांसपेशियां, नसों, शरीर के प्रत्येक हिस्से को उस विचार से भर दो और अन्य सभी विचार छोड़ दो’।

विवेकानन्द जी का यह वाक्य, हर युवा मन के लिये है, बहुत काम आ सकता है और इसलिये, मैं युवकों से कहूँगा ध्येयवादी बनने से ही बहुत सी चीजों से बचा जा सकता।

कभी-कभी यार दोस्तों के बीच रहते हैं तो लगता है ये बड़ा Cool है। कुछ लोगों को लगता है कि ये Style statement है और इसी मन की स्थिति में कभी- कभी पता न रहते हुए ही, ऐसी गम्भीर बीमारी में ही फंस जाते हैं। न ये Style statement है और न ये Cool है। हकीकत में तो ये बरबादी का मंजर है और इसलिए हम सब के हृदय से अपने साथियों को जब नशे के गौरव गान होते हो, अब अपने अपने मजे की बाते बताते हो, तालियां बजाते हो, तब ‘No’ कहने की हिम्मत कीजिए, reject करने की हिम्मत कीजिए, इतना ही नही, उनको भी ये गलत कर रहे हो, अनुचित कर रहे हो ये कहने की आप हिम्मत जताइए।

मैं माता- पिता से भी कहना चाहता हूँ। हमारे पास आज कल समय नही हैं दौ़ड़ रहे हैं। जिंदगी का गुजारा करने के लिए दौड़ना पड़ रहा है। अपने जीवन को और अच्छा बनाने के लिये दौड़ना पड़ रहा है। लेकिन इस दौड़ के बीच में भी, अपने बच्चों के लिये हमारे पास समय है क्या ? क्या कभी हमने देखा है कि हम ज्यादातर अपने बच्चों के साथ उनकी लौकिक प्रगति की ही चर्चा करते हैं? कितने marks लाया, exam कैसे गई, ज्यादातर क्या खाना है ? क्या नहीं खाना है ? या कभी कहाँ जाना है? कहां नहीं जाना है , हमारी बातों का दायरा इतना सीमित है। या कभी उसके हृदय के भीतर जाकर के अपने बच्चों को अपने पास खोलने के लिये हमने अवसर दिया है? आप ये जरूर कीजिये। अगर बच्चे आपके साथ खुलेंगे तो वहां क्या चल रहा है पता चलेगा। बच्चे में बुरी आदत अचानक नहीं आती है, धीरे धीरे शुरू होती है और जैसे-जैसे बुराई शुरू होती है तो घर में उसका बदलाव भी शुरू होता है। उस बदलाव को बारीकी से देखना चाहिये। उस बदलाव को अगर बारीकी से देखेंगे तो मुझे विश्वास है कि आप बिल्कुल beginning में ही अपने बालक को बचा लेंगे। उसके यार दोस्तों की भी जानकारी रखिये और सिर्फ प्रगति के आसपास बातों को सीमित न रखें। उसके जीवन की गहराई, उसकी सोच, उसके तर्क, उसके विचार उसकी किताब, उसके दोस्त, उसके मोबाइल फोन्स....क्या हो रहा है? कहां उसका समय बीत रहा है, अपने बच्चों को बचाना होगा। मैं समझता हूं जो काम मां-बाप कर सकते हैं वो कोई नहीं कर सकता। हमारे यहां सदियों से अपने पूर्वजों ने कुछ बातें बड़ी विद्वत्तापूर्ण कही हैं। और तभी तो उनको स्टेट्समैन कहा जाता है। हमारे यहां कहा जाता है -

5 वर्ष लौ लीजिये

दस लौं ताड़न देई

5 वर्ष लौ लीजिये

दस लौं ताड़न देई

सुत ही सोलह वर्ष में

मित्र सरिज गनि देई

सुत ही सोलह वर्ष में

मित्र सरिज गनि देई

कहने का तात्पर्य है कि बच्चे की 5 वर्ष की आयु तक माता-पिता प्रेम और दुलार का व्यवहार रखें, इसके बाद जब पुत्र 10 वर्ष का होने को हो तो उसके लिये डिसिप्लिन होना चाहिये, डिसिप्लिन का आग्रह होना चाहिये और कभी-कभी हमने देखा है समझदार मां रूठ जाती है, एक दिन बच्चे से बात नहीं करती है। बच्चे के लिये बहुत बड़ा दण्ड होता है। दण्ड मां तो अपने को देती है लेकिन बच्चे को भी सजा हो जाती है। मां कह दे कि मैं बस आज बोलूंगी नहीं। आप देखिये 10 साल का बच्चा पूरे दिन परेशान हो जाता है। वो अपनी आदत बदल देता है और 16 साल का जब हो जाये तो उसके साथ मित्र जैसा व्यवहार होना चाहिये। खुलकर के बात होनी चाहिये। ये हमारे पूर्वजों ने बहुत अच्छी बात बताई है। मैं चाहता हूं कि ये हमारे पारिवारिक जीवन में इसका कैसे हो उपयोग।

एक बात मैं देख रहा हूं दवाई बेचने वालों की। कभी कभी तो दवाईयों के साथ ही इस प्रकार की चीज आ जाती हैं जब तक डॉक्टर के Prescription के बिना ऐसी दवाईयां न दी जायें। कभी कभी तो कफ़ सिरप भी ड्रग्स की आदत लेने की शुरूआत बन जाता है। नशे की आदत की शुरूआत बन जाता है। बहुत सी चीजे हैं मैं इसकी चर्चा नहीं करना चाहता हूं। लेकिन इस डिसिप्लिन को भी हमको स्वीकार करना होगा।

इन दिनों अच्छी पढ़ाई के लिये गांव के बच्चे भी अपना राज्य छोड़कर अच्छी जगह पर एडमिशन के लिये बोर्डिंग लाइफ जीते हैं, Hostel में जीते हैं। मैंने ऐसा सुना है कि वो कभी-कभी इस बुराइयों का प्रवेश द्वार बन जाता है। इसके विषय में शैक्षिक संस्थाओं ने, समाज ने, सुरक्षा बलों ने सभी ने बड़ी जागरूकता रखनी पड़ेगी। जिसकी जिम्मेवारी है उसकी जिम्मेवारी पूरा करने का प्रयास होगा। सरकार के जिम्मे जो होगा वो सरकार को भी करना ही होगा। और इसके लिये हमारा प्रयास रहना चाहिये।

मैं यह भी चाहता हूं ये जो चिट्ठियां आई हैं बड़ी रोचक, बड़ी दर्दनाक चिट्ठियां भी हैं और बड़ी प्रेरक चिट्ठियां भी हैं। मैं आज सबका उल्लेख तो नहीं करता हूं, लेकिन एक मिस्टर दत्त करके थे, जो नशे में डूब गये थे। जेल गये, जेल में भी उन पर बहुत बंधन थे। फिर बाद में जीवन में बदलाव आया। जेल में भी पढ़ाई की और धीरे धीरे उनका जीवन बदल गया। उनकी ये कथा बड़ी प्रचलित है। येरवड़ा जेल में थे, ऐसे तो कईयों की कथाएं होंगी। कई लोग हैं जो इसमें से बाहर आये हैं। हम बाहर आ सकते हैं और आना भी चाहिये। उसके लिये हमारा प्रयास भी होना चाहिये, उसी प्रकार से। आने वाले दिनों में मैं Celebrities को भी आग्रह करूंगा। चाहे सिने कलाकार हों, खेल जगत से जुड़े हुए लोग हों, सार्वजनिक जीवन से जुड़े हुए लोग हों। सांस्कृतिक सन्त जगत हो, हर जगह से इस विषय पर बार-बार लोगों को जहां भी अवसर मिले, हमें जागरूक रखना चाहिये। हमें संदेश देते रहना चाहिये। उससे जरूर लाभ होगा। जो सोशल मीडिया में एक्टिव हैं उनसे मैं आग्रह करता हूं कि हम सब मिलकर के Drugs Free India hash-tag के साथ एक लगातार Movement चला सकते हैं। क्योंकि इस दुनिया से जुड़े हुए ज्यादातर बच्चे सोशल मीडिया से भी जुड़े हुए हैं। अगर हम Drugs Free India hash-tag, इसको आगे बढायेंगे तो एक लोकशिक्षा का एक अच्छा माहौल हम खड़ा कर सकते हैं।

मैं चाहता हूं कि इस बात को और आगे बढायें। हम सब कुछ न कुछ प्रयास करें, जिन्होंने सफलता पाई है वो उसको Share करते रहें। लेकिन मैंने इस विषय को इसलिये स्पर्श किया है मैंने कहा कि दुख बांटने से दुख कम होता है। देश की पीड़ा है, ये मैं कोई उपदेश नहीं दे रहा हूं और न ही मुझे उपदेश देने का हक है। सिर्फ अपना दुख बांट रहा हूं, या तो जिन परिवारों में ये दुख है उस दुख में मैं शरीक होना चाहता हूं। और मैं एक जिम्मेवारी का माहौल Create करना चाहता हूं। हो सकता है इस विषय में मत-मतान्तर हो सकते हैं। लेकिन कहीं से तो शुरू करना पड़ेगा।

मैंने कहा था कि मैं खुशियां भी बांटना चाहता हूं। मुझे गत सप्ताह ब्लाइंड क्रिकेट टीम से मिलने का मौका मिला। World Cup जीत कर आये थे। लेकिन जो मैंने उनका उत्साह देखा, उनका उमंग देखा, आत्मविश्वास देखा, परमात्मा ने जिसे आंखें दिये है, हाथ-पांव दिये हैं सब कुछ दिया है लेकिन शायद ऐसा जज्बा हमारे पास नहीं है, जो मैंने उन ब्लांइड क्रिकेटरों में देखा था। क्या उमंग था, क्या उत्साह था। यानि मुझे भी उनसे मिलकर उर्जा मिली। सचमुच में ऐसी बातें जीवन को बड़ा ही आनंद देता है।

पिछले दिनों एक खबर चर्चा में रही। जम्मू कश्मीर की क्रिकेट टीम ने मुम्बई जाकर के मुम्बई की टीम को हराया। मैं इसे हार-जीत के रूप में नहीं देख रहा हूं। मैं इस घटना को दूसरे रूप में देख रहा हूँ। पिछले लम्बे समय से कश्मीर में बाढ़ के कारण सारे मैदान पानी से भरे थे। कश्मीर संकटों से गुजर रहा है हम जानते हैं कठिनाइयों के बीच भी इस टीम ने जो Team- Spirit के साथ, बुलन्दी के के हौसले के साथ, जो विजय प्राप्त किया है वो अभूतपूर्व है और इसलिये कठिनाइंयां हैं, विपरीत परिस्थितियां हो, संकट हो उसके बाद भी लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया जा सकता है, ये जम्मू कश्मीर के युवकों ने दिखाया है और इसलिये और इसलिये मुझे इस बात को सुन करके विशेष आनन्द हुआ, गौरव हुआ और मैं इन सभी खिलाडि़यों को बधाई देता हूं।

दो दिन पहले यूनाइटेड नेशन ने, योग को, पूरा विश्व 21 जून को योग दिवस के रूप में माने इसके लिये स्वीकृति दी है। भारत के लिये बहुत ही गौरव का, आनन्द का अवसर है। सदियों से हमारे पूर्वजों ने इस महान परम्परा को विकसित किया था, उससे आज विश्व जुड़ गया। योग व्यक्तिगत जीवन में तो लाभ करता था, लेकिन योग ने ये भी दिखा दिया वो दुनिया को जोड़ने का कारण बन सकता है। सारी दुनिया योग के मुद्दे पर यू.एन. में जुड़ गई। और मैं देख रहा हूं कि सर्वसम्मति से प्रस्ताव दो दिन पहले पारित हुआ। और 177 देश, Hundred and Seventy Seven Countries Co-Sponsor बनी। भूतकाल में नेल्सन मंडेला जी के जन्म दिन को मनाने का निर्णय हुआ था। तब Hundred and Sixty Five Countries Co- Sponsor बनी थी। उसके पूर्व International Toilet Day के लिये प्रयास हुआ था तो Hundred and Twenty Two Countries Co- Sponsor हुई थी। उससे पहले 2 अक्तूबर को Non-Violence Day के लिये Hundred and Forty Countries Co- Sponsor बनी थी। इस प्रकार के प्रस्ताव से Hundred and Seventy Seven Countries ने Co-Sponsor बनना यानि एक World Record हो गया है। दुनिया के सभी देशों का मैं आभारी हूं जिन्होंने भारत की इस भावना का आदर किया। और विश्व योग दिवस मनाने का निर्णय किया। हम सबका दायित्व बनता है कि योग की सही भावना लोगों तक पहुंचे।

पिछले सप्ताह मुझे मुख्यमंत्रियों की मीटिंग करने का अवसर मिला था। मुख्यमंत्रियों की मीटिंग तो 50 साल से हो ही रही है, 60 साल से हो रही है। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री के निवास स्थान पर मिलना हुआ और उससे भी अधिक हमने एक Retreat का कार्यक्रम प्रारंभ किया, जिसमें हाथ में कोई कागज नहीं, कोई कलम नहीं, साथ में कोई अफसर नहीं, कोई फाइल नहीं। सभी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बराबर के मित्र के रूप में बैठे। दो ढाई घण्टे तक समाज के, देश के भिन्न भिन्न विषयों पर बहुत गम्भीरतापूर्वक बातें की, हल्के फुल्के वातावरण में बातें कीं। मन खोलकर के बातें कीं। कहीं उसको राजनीति की छाया नहीं दी। मेरे लिये ये बहुत ही आनन्ददायक अनुभूति थी। उसको भी मैं आपके बीच Share करना चाहता हूं।

पिछले सप्ताह मुझे Northeast जाने का अवसर मिला। मैं तीन दिन वहां रहा। मैं देश के युवकों को विशेष आग्रह करता हूं कि आपको अगर ताज महल देखने का मन करता है, आपको अगर सिंगापुर देखने का मन करता है, आपको कभी दुबई देखने का मन करता है। मैं कहता हूं दोस्तो, प्रकृति देखनी है, ईश्वर का प्राकृतिक रूप देखना है तो आप Northeast जरूर जाइये। मैं पहले भी जाता था। लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में जब गया, तो वहां की शक्ति को पहचानने का प्रयास किया। अपार शक्तियों की संभावनाओं से भरा हुआ हमारा Northeast है। इतने प्यारे लोग हैं, इतना उत्तम वातावरण है। मैं सचमुच में बहुत आनन्द लेकर आया हूं। कभी कभी लोग पूछते हैं न? मोदी जी आप थकते नहीं हैं क्या? मैं कहता हूं Northeast जाकर के तो लगता है कि कहीं कोने भी थकान हुई होगी, वो भी चली गई। इतना मुझे आनन्द आया। और जो प्यार दिया वहां के लोगों ने जो मेरा स्वागत सम्मान वो तो एक बात है। लेकिन जो अपनापन था वो सचमुच में, मन को छूने वाला था, दिल को छूने वाला था। मैं आपको भी कहूंगा ये सिर्फ मोदी को ही ये मजा लेने का अधिकार नहीं है भारत के हर देश वासी को है। आप जरूर इसकी मजा लीजिये।

अगली ‘मन की बात’ होगी तब तो 2015 आ जायेगी। 2014 का ये मेरा शायद ये आखिरी कार्यक्रम है। मेरी आप सबको क्रिसमस की बहुत बहुत शुभकामनायें हैं। 2015 के नववर्ष की मैं Advance में आप सबको बहुत बहुत शुभकामनायें देता हूं। मेरे लिये ये भी खुशी की बात है कि मेरे मन की बात को Regional Channels की जो Radio Channels हैं आपके जो प्रादेशिक चैनल हैं उसमें जिस दिन सुबह मेरे ‘मन की बात’ होती है उस दिन रात को 8 बजे प्रादेशिक भाषा में होती है। और मैंने देखा है कुछ प्रादेशिक भाषा में तो आवाज भी मेरे जैसे कुछ लोग निकालते हैं। मैं भी हैरान हूं कि इतना बढि़या काम हमारे आकाशवाणी के साथ जो कलाकार जुड़े हुए हैं वो कर रहे हैं मैं उनको भी बधाई देता हूं। और ये लोगों तक पहुंचने के लिये मुझे बहुत ही अच्छा मार्ग दिखता है। इतनी बड़ी मात्रा में चिट्ठियां आई हैं। इन चिट्ठियों को देखकर के हमारे आकाशवाणी ने इसका जरा एक तरीका ढूंढा है। लोगों को सहूलियत हो इसलिये उन्होंने पोस्ट-बॉक्स नम्बर ले लिया है। तो ‘मन की बात’ पर अगर आप कुछ बात कहना चाहते हैं तो आप पोस्ट-बॉक्स पर लिख सकते है अब।

मन की बात

पोस्ट बॉक्स 111, आकाशवाणी

नई दिल्ली

मुझे इंतजार रहेगा आपके पत्रों का। आपको पता नहीं है, आपके पत्र मेरे लिये प्रेरणा बन जाते हैं। आपके कलम से निकली एक-आध बात देश के काम आ सकती है। मैं आपका आभारी हूं। फिर हम 2015 में जनवरी में किसी न किसी रविवार को जरूर 11 बजे मिलेंगे बाते करेंगे।

बहुत बहुत धन्यवाद।

गंगा संरक्षण कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया गया

केन्‍द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने सचि‍वों के एक समूह की सि‍फारिशों को ध्‍यान में रखते हुए गंगा संरक्षण कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जिसमें तीन समूह, सात उद्देश्‍य और 21 बिन्‍दु शामिल होंगे। 

गंगा के अवि‍रल प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए गठित मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारियों और सात आईआईटी के संकायों की एक समिति इस महीने के अंत तक अपनी अंतिम रिपोर्ट सौपेगी। मंत्री ने केन्‍द्रीय जल आयोग (सीडब्‍ल्‍यूडी) को गैर मानसून सीजन के दौरान गंगा, यमुना और उसकी सहायक नदियों के पास जलाश्‍यों का निर्माण करने के लिए योजना तैयार करने के निर्देश दिए। 

गंगा और यमुना की सफाई सुनिश्चित करने के लिए सीडब्‍ल्‍यूसी विशेषज्ञों की 41 टीमों ने इन नदियों में खुले नालों के गिरने के प्रभाव और सीवेज प्रशोधन संयंत्रों (एसटीपी) की स्थिति का जायजा लेने के लिए कई स्‍थानों का दौरा किया। नए एसटीपी स्‍थापित करने और मौजूदा एसटीपी के आधुनिकीकरण के लिए उपायों के बारे में सलाह देने के लिए तीन विशेषज्ञ टीम गठित की गई हैं। ये समितियां अब तक 18 प्रमुख सुझावों की जांच पड़ताल कर चुकी हैं। नदी के आगे के भाग के विकास और घाटों के सौन्‍दर्यीकरण के लिए डीपीआर ने दिल्‍ली और हरिद्वार में इस तरह के दो घाट तैयार किए हैं। मथुरा, वृंदावन और अन्‍य स्‍थानों पर पीपीपी प्रणाली में घाटों के विकास के लिए जल्‍द ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। 

गंगा संरक्षण कार्यक्रम का समुचित कार्यान्‍वयन सुनिश्चित करने के लिए गंगा कार्यबल गठित करने का निर्णय लिया गया है। रक्षा मंत्रालय इसके लिए श्रम‍शक्ति उपलब्‍ध कराएगा। 

घर वापसी कार्यक्रम रोका तो भुगतने होंगे गंभीर परिणाम-विहिप

अलीगढ़ में क्रिसमस पर प्रस्तावित 'घर वापसी' (धर्म परिवर्तन) के कार्यक्रम को संघ परिवार हर कीमत पर करने पर आमादा है। विश्व हिंदू परिषद ने को एलान कर दिया कि सरकार ने कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

विहिप के ब्रज प्रांत अध्यक्ष प्रमोद जाजू ने शुक्रवार को कासगंज में कहा कि इस कार्यक्रम को धर्मांतरण कहना गलत है, क्योंकि हम सिर्फ उन लोगों को वापस बुला रहे हैं, जो पूर्व में विभिन्न कारणों से हिंदू धर्म को छोड़ गए थे। लिहाजा, यह घर वापसी कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ का कार्यक्रम तय है, जिसमें कोई तब्दीली नहीं होगी।

संघ परिवार की गुरिल्ला नीति सबसे सफल रणनीति मानी जाती है। जब भी विवादित कार्यक्रम हुए, संघ परिवार ने इसी रणनीति का सहारा लिया। तैयारी यह है कि अगर सरकार कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाती है और हिंदू नेताओं की गिरफ्तारी होती है, तब भी कार्यक्रम में लोग पहुंचेंगे। इसके लिए दो-दो तीन-तीन टीमें तैयार की जा रही हैं। अगर प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी भी हो जाती है, तब भी कार्यक्रम में लोग पहुंचेंगे। चाहे भेष बदलकर जाना पड़े या अन्य किसी भी तरह, मगर कार्यक्रम जरूर होगा।

अलीगढ़ जैसा ही कार्यक्रम पिछले वर्ष क्रिसमस के दिन यहां कछला गंगा घाट पर हो चुका है। इस कार्यक्रम में प्रदेश के 11 जिलों से आए 5500 लोगों ने ईसाई धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया था।

जबसे धर्मांतरण का मुद्दा सुर्खियों में आया है, सरकारी मशीनरी हरकत में है। गृह सचिव ने पिछले वर्षों में एटा-कासगंज में हुए धर्मांतरण कार्यक्रमों की रिपोर्ट मांगी है। यह जानकारी भी भेजने को कहा गया है कि धर्म जागरण समिति का नेटवर्क कैसा है। कौन-कौन लोग इससे जुड़े हैं। इस पर खुफिया तंत्र सभी जानकारी जुटा रहा है।

अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस घोषित होने की प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त करने के लिए शब्‍द नहीं - मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा 21 जून को 'अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस' घोषित करने का स्‍वागत किया है।

प्रधानमंत्री ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया कि संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा 21 जून को 'अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस' घोषित करने के निर्णय पर अपनी प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त करने के लिए मेरे पास शब्‍द नहीं हैं। मैं इस निर्णय का स्‍वागत करता हूं।

श्री मोदी ने अपने एक अन्‍य ट्वीट में लिखा विश्‍वभर में असंख्‍य लोगों ने योग को अपने जीवन का एक हिस्‍से के रूप में अपनाया है। उन सभी को बधाई। इस निर्णय से अन्‍य लोगों को भी योग को अपनाने की प्रेरणा मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने लिखा कि योग में मानव मात्र को एक डोर से जोड़ने की शक्ति है। यह शानदार ढंग से ज्ञान (जानकारी), कर्म (कार्य) और भक्ति (समर्पण) का मिश्रण करता है।

श्री मोदी ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर अपने एक भाषण का लिंक भी दिया है जिसमें उन्‍होंने योग के विभिन्‍न पहलुओ और इसकी अद्वितीयता के बारे में बताया है। प्रधानमंत्री के इस भाषण को इस लिंक पर देखा जा सकता है-



रूस के राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान नरेन्द्र मोदी का वक्तव्य

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और मीडिया के सदस्यों, 

राष्ट्रपति पुतिन का भारत में स्वागत करते हुए सचमुच बहुत प्रसन्नता हो रही है। हम पहले दो बार विश्व की दो विपरीत अलग-अलग धुरियों-ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया में मिले थे। मुझे दिल्ली में वार्षिक शिखर बैठक के लिए उनकी मेजबानी करने का सम्मान मिला है। नई शताब्दी की शुरूआत से श्री पुतिन दोनों देशों के बीच भागीदारी के प्रमुख रचनाकार रहे हैं। 

राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2000 में वार्षिक शिखर बैठकों की शुरूआत की थी। नवम्बर, 2001 में जब प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी ने मास्को में पहले शिखर सम्मेलन में भाग लिया उस समय मैं गुजरात और अस्तराखान के बीच सहयोगी राज्य यानी सिस्टर स्टेट के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए वहीं मास्को में था। 

राष्ट्रपति पुतिन एक ऐसे महान राष्ट्र के नेता हैं जिसके साथ हमारी अनूठे आपसी विश्वास और सदभाव की मैत्री है। हमारी सामरिक भागीदारी की विषय वस्तु की कहीं कोई समानता नहीं की जा सकती। रूस की जनता का भारत के प्रति समर्थन हमारे इतिहास में कठिन क्षणों में भी बना रहा है। यह भारत के विकास, सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की मजबूती का स्तम्भ भी रहा है। भारत अपनी चुनौतियों का सामना करते हुए भी रूस के साथ हमेशा खड़ा रहा। 

वैश्विक राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के स्वरूप और चरित्र में परिवर्तन आ रहा है। इस संबंध का महत्व और भारत की विदेश नीति में इस के अद्वितीय स्थान में हालाकि परिवर्तन नहीं आएगा। दोनों देशों के लिए हमारे संबंधों का महत्व कई तरीकों से आने वाले वर्षों में और बढ़ेगा। 

रूस कई दशकों से भारत का प्रमुख रक्षा भागीदार रहा है। प्रधानमंत्री के रूप में दिल्ली से बाहर मैं पहली यात्रा पर वायुसेना के नये कैरियर जहाज आईएनएस विक्रमादित्य में गया। यह हमारे समुद्र में हमारे रक्षा सहयोग के महान प्रतीक के रूप में तैरता दिखाई देता है। आज हालांकि भारत के सामने विकल्प बढ़ गये हैं फिर भी रूस हमारा अत्यंत महत्वपूर्ण रक्षा भागीदार बना रहेगा। हमने पिछले छः महीनों में सेना के तीनों अंगों के संयुक्त अभ्यास किए हैं।

राष्ट्रपति पुतिन और मैंने रक्षा परियोजनाओं के व्यापक क्षेत्र पर परिचर्चा की है। हमने मेक इन इंडिया समेत भारत की प्राथमिकताओं के अनुरूप दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध बनाने के तौर तरीकों पर भी चर्चा की।

मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि रूस ने अपने अति उन्नत हेलिकॉप्टरों का पूरी तरह भारत में निर्माण करने की पेशकश की है। इसमें भारत से निर्यात की संभावना भी शामिल है। इसे सैन्य और असैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हम इस पर तेजी से आगे कार्रवाही करेंगे।

मैंने प्रस्ताव किया कि रूस को अपने देश के रक्षा उपकरणों के हिस्से पुर्जों के निर्माण की सुविधाएं भारत में विकसित करनी चाहिएं। श्री पुतिन ने मेरे अनुरोध पर बहुत अनुकूल प्रतिक्रिया दी।

भारत के आर्थिक विकास और यहां के युवकों के लिए रोजगार विकसित करने के लिए ऊर्जा सुरक्षा महत्वपूर्ण है। रूस भी इस क्षेत्र में प्रमुख भागीदार है। 

मुझे खुशी है कि कुडंनकुलम परमाणु विद्युत संयंत्र की पहली इकाई में उत्पादन हो रहा है। इससे भारत की मौजूदा परमाणु विद्युत क्षमता में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हम कम से कम एक-एक हजार मेगावाट क्षमता की तीन और इकाइयां संस्थापित करने की स्थिति में हैं। हमने आज कम से कम दस और रियेक्टरों के साथ परमाणु ऊर्जा के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई है। इसमें सुरक्षा के ऐसे मानक होंगे जो विश्व में सबसे सुरक्षित माने जाएंगे। इसमें भारत में ही उपकरणों और हिस्सों पुर्जों का निर्माण किया जाएगा। इससे हमारी मेक इन इंडिया नीति को बल मिलेगा। 

रूस विश्व में पेट्रोलियम संसाधनों का शीर्ष स्रोत है और भारत विश्व में इनका सबसे बड़ा आयातक है। हमारी घनिष्ठ मैत्री के बावजूद इस क्षेत्र में हमारा सहयोग निराशाजनक रहा है। हमने आज कुछ महत्वपूर्ण समझौतों के साथ नई शुरूआत की है। इतना ही नहीं हम तेल और प्राकृतिक गैस में भागीदारी का महत्वाकांक्षी एजेंडा बनाएंगे।

हमने आज कई फैसले लिए हैं और कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इनसे आज के विश्व में हमारे साझे विश्वास की झलक मिलती है और हमारे जीवंत आर्थिक संबंधों से सशक्त सामरिक भागीदारी की बुनियाद बनती है। इसी तरह शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों की जनता के बीच घनिष्ठ संपर्क भी महत्वपूर्ण है। 

मैं यूराएशियन आर्थिक संघ के साथ भारत के घनिष्ठ संबंधों के लिए समर्थन देने पर राष्ट्रपति पुतिन का धन्यवाद करता हूं। अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा हमें यानी दोनों देशों को बेहतर तरीके से जोड़ेगा और आज हम दोनों मिलकर विश्व हीरा सम्मेलन-वर्ल्ड डायमंड कांफ्रेस में उपस्थित रहेंगे। इससे आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने के लिए हमारा नया दृष्टिकोण उजागर होता है।

राष्ट्रपति पुतिन और मैं इस बात पर सहमत हैं कि विश्व में यह एक चुनौतीपूर्ण क्षण है। हमारी भागीदारी और एक दूसरे के हितों के लिए सदैव रही सशक्त संवेदनशीलता दोनों देशों की मजबूती का स्रोत बनेगी।

मैं चेचेन्या में आतंकी हमलों में मारे गये लोगों के प्रति अपनी ओर से गहरा शोक व्यक्त करता हूं। इससे हमारी कई साझी चुनौतियों का भी पता चलता है। सहयोग के लिए हमारे प्राथमिकता के क्षेत्र में आतंकवाद और उग्रवाद को काबू पाना; अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना; स्थिर, संतुलित, शांतिपूर्ण और समृद्ध एशिया प्रशांत के लिए काम करना; और अन्य देशों में विकास के लिए सहयोग देना शामिल है। 

ब्रिक्स, पूर्व एशिया शिखर बैठक और जी-20 जैसे संगठनों ने हमारे सहयोग का दायरा भी विस्तृत बना दिया है। यह राष्ट्रपति पुतिन की 11वीं वार्षिक शिखर बैठक और मेरी पहली ऐसी बैठक है। इस शिखर बैठक से इस भागीदारी के असाधारण महत्व और मूल्य तथा शक्ति में मेरी प्रतिबद्धता मजबूत हुयी है। मुझे विश्वास है कि हमारे द्विपक्षीय सहयोग और हमारी अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी में आने वाले वर्षों में नई ऊर्जा आयेगी और यह नयी बुलंदियों को छूएगी।

हिमाचल को हिन्दू राज्य घोषित करेगा विहिप

विश्व हिन्दू परिषद मार्च व अप्रैल में होने वाले सम्मेलनों में हिमाचल को हिन्दू राज्य घोषित करेगा। इसकी तैयारी परिषद ने कर ली है। चार मई, 2015 को विश्व हिन्दू परिषद 40 हजार जनसंख्या एकत्र कर शिमला में इसकी संकल्पना दोहराएगी। 

विश्व हिन्दू परिषद के हिमाचल संगठन मंत्री मनोज कुमार ने धर्मशाला में एक कार्यक्रम के दौरान इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल के हिन्दू राज्य घोषित होने के बाद किसी भी मुस्लिम या इसाई को प्रदेश में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। देश भर में विश्व हिन्दू परिषद के 800 जिले हैं, इनमें से हिमाचल में 24 जिले शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना का 50वां स्वर्णिम वर्ष चल रहा है और ऐसे में हिन्दू शक्ति का विजय योद्धा तैयार करने का निर्णय लिया गया है। देश में एक लाख परिवार के पांच लाख लोगों को परिषद से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए जल्द ही सोशल मीडिया पर साइट के माध्यम से भी विश्व हिन्दू परिषद कार्य करना शुरू कर देगा। उन्होंने कहा कि 'लविंग जेहाद' के नाम पर मुस्लिम हिन्दू लड़कियों को भगाकर ले जा रहे हैं और हिन्दू लड़कियों को विदेशों में बेचा जा रहा है। अभी तक हिमाचल से ही 16 लड़कियों को भगाया जा चुका है।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद की 2015 तक भव्य राम मंदिर बनाने की भी योजना है।

भाजपा ने ब्रिटिश राज के कॉलेज का नाम बदलकर पृथ्वीराज चौहान के नाम पर किया

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कैबिनेट की बैठक में अजमेर के राजकीय महाविद्यालय (जीसीए) का नाम बदलकर सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय करने का प्रस्ताव पारित कर दिया। करीब 178 साल पुराना यह महाविद्यालय अब इसी नाम से जाना जाएगा। महाविद्यालय का नाम बदले जाने पर भारतीय जनता पार्टी आैर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने सीएम का आभार जताया है।

भाजपा के शहर अध्यक्ष अरविंद यादव ने बताया कि राज्य की केबिनेट बैठक में जीसीए का नाम बदलकर सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय किए जाने का निर्णय लिया गया। भाजपा, कांग्रेस शासन काल से ही कॉलेज का नाम बदलने की मांग करते आ रही है। प्रदेश में भाजपा की सत्ता आने के बाद मुख्यमंत्री से मिलकर तत्काल कॉलेज का नाम बदलकर यशस्वी हिंदू सम्राट पृथ्वीराज के नाम पर किए जाने का आग्रह किया गया था। भाजपा नेताओं ने केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री सांवरलाल जाट, वरिष्ठ भाजपा नेता आेंकार सिंह लखावत, उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ, शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल का भी आभार जताया है। वहीं एबीवीपी महानगर मंत्री हंसराज चौधरी ने राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत कर सीएम को धन्यवाद ज्ञापित किया है। चौधरी ने बताया कि एबीवीपी लंबे समय से जीसीए का नाम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के नाम पर करवाने के लिए प्रयासरत थी। कांग्रेस शासनकाल में इसके लिए आंदोलन किया गया था।

ब्रिटिश शासन काल में ब्ल्यू कैसल के नाम से पहचाने जाने वाले जीसीए में 178 वर्ष पूर्व सन् 1836 में ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक ने अंग्रेजी स्कूल की  स्थापना की थी। 1868 में यहां इंटर मीडिएट कक्षाएं प्रारंभ हुई। 17 फरवरी सन 1868 में राजपूताना के गर्वनर जनरल के एजेंट जनरल कीपिंग ने जीसीए की नींव रखी थी। नब्बे के दशक में अजमेर के लोगों द्वारा एकत्रित 44 हजार रुपए के चंदे की राशि से यहां डिग्री कॉलेज शुरू किया गया। विज्ञान संकाय यहां 1913 में प्रारंभ हुआ। जीसीए 1946 में पीजी कॉलेज बना। 1949 में यहां वाणिज्य आैर 1951 में विधि कक्षाएं प्रारंभ की गई। पूर्व में इस कॉलेज का एफीलिएशन कलकत्ता यूनिवर्सिटी से था, फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हुआ। 1886 के बाद आगरा यूनिवर्सिटी से एफीलिएटेड हुआ। वर्ष 1956 में राजस्थान के एकीकरण के दौरान इस कॉलेज का एफीलिएशन राजस्थान यूनिवर्सिटी से हुआ। जीसीए वर्ष 1987 में अजमेर की महर्षि दयानंद  यूनिवर्सिटी (एमडीएसयू) से एफीलिएट हुआ।

शिक्षा का स्तर सुधारा जाए, नाम बदलने से क्या होगा :  इधर, एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष लोकेश कोठारी का कहना है कि 178 सालों बाद ही क्यों भाजपा को जीसीए का नाम बदलने की आवश्यकता महसूस हुई। जबकि प्रदेश में कई बार भाजपा की सरकार रही है। तब ऐसा क्यों नहीं हुआ। नाम बदलने से कॉलेज का स्तर नहीं बदल सकता। इसके लिए कॉलेज में पर्याप्त संसाधन जुटाने की जरूरत है।

जबरन धर्मांतरण न होता तो आज इस्लाम अस्तित्व में नहीं होता - तसलीमा

धर्मांतरण विवाद में जानी-मानी लेखिका तसलीमा नसरीन ने भी दखल देते हुए दो टूक शब्दों से सच्चाई स्वीकार करते हुए कहा है कि अगर गरीब मुस्लिम पैसे और भोजन के लिए हिंदू धर्म ग्रहण करना चाहते हैं तो उन्हें ऐसा करने दिया जाए। गरीब हिंदू भी इसी कारण इस्लाम और ईसाइयत को अपनाते हैं। दरअसल मजहब बिकता है।

अपने बेबाक लेखन के कारण कट्टरपंथियों के निशाने पर रहने वालीं तसलीमा ने ट्वीट के जरिये यह भी कहा है कि इस्लाम में जबरन धर्मांतरण की मनाही है। बाद में ऐसा होने लगा। जबरन धर्मांतरण न होता तो आज इस्लाम अस्तित्व में नहीं होता। तसलीमा ने जबरन धर्मांतरण का विरोध करते हुए कहा है कि वह हिंदुओं के धर्मांतरण के लिए मुस्लिम और ईसाइयों को दोषी ठहराती रही हैं और यही कारण है कि जब हिंदू भी ऐसा करते हैं तो उन्हें बुरा लगता है।

उनके मुताबिक उपासना पद्धति के चयन की स्वतंत्रता होनी चाहिए। लोगों को हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, यहूदी या फिर नास्तिक बनने की छूट मिलनी चाहिए। तसलीमा ने अपने पूर्वजों को मूर्तिपूजक बताते हुए कहा कि वे हिंदू से मुसलमान बने।

दिल्ली में रैन बसैरों को बनाने के लिए खरीदी जा रही है जमीन

आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय में राज्यमंत्री श्री बाबुल सुप्रियो ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी कि जून, 2014 के दिल्ली सरकार द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 1366 महिलाओं और 1648 बच्चों समेत कुल 16,760 लोग बेघर पाए गए थे।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के अनुसार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं कि सर्दियों में सभी बेघर लोगों को रैन बसैरों में जगह मिले। दिल्ली शहर आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) दिल्ली विकास प्रधिकरण के साथ दिल्ली के विभिन्न भागों में पांच और भू-खंडों को खरीदने के लिए मामले को उठा रहा है, जिसका ब्यौरा इस प्रकार हैः

(i) सेक्टर 26, सेवा केन्द्र, द्वारका
(ii) सेक्टर 26, फेस-II (एचएएफ, पॉकेट-II), द्वारका
(iii) सेक्टर 18, पॉकेट एफ, रोहिणी
(iv) नरेला, मंडी के पास, और
(v) नरेला, ट्रक टर्मिनल के पास

इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय शहरी आजिविका मिशन (एनयूएलएम) के अंतर्गत 'शहरी बेघर लोगों के आश्रय हेतु स्कीम' के दिशा-निर्देशों के अनुसार इस संबंध में पता लगाए गए सात स्थानों पर स्थाई रैन बसेरों के निर्माण के लिए कार्रवाई की जा रही है, जिनका ब्यौरा इस प्रकार हैः-

i.                   आईएफसी, गाजीपुर
ii.                   सेवा केन्द्र, सेक्टर-9, द्वारका
iii.                   पीएसपी क्षेत्र, सेक्टर-22, द्वारका
iv.                   ककरोला, सेक्टर-16-बी, द्वारका
v.                   ओसीएफ पॉकेट, आईएफसी, नरेला
vi.                   सेक्टर-5, रोहिणी
vii.                   नांगलोई, फेस-II

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में रैन बसेरों का जिलावार ब्यौरा इस प्रकार हैः-

राजस्व जिला
कुल
केन्द्रीय
75
पूर्वी
12
नई दिल्ली
13
उत्तरी
16
उत्तरी पूर्वी
09
उत्तरी पश्चिम
07
शहादरा
08
दक्षिण
02
दक्षिण पूर्व
16
दक्षिण पश्चिम
06
पश्चिम
20
पश्चिम
184

सीमा के खुले भागों से आतंकियों की घुसपैठ होगी नाकाम

बांग्‍लादेश में स्थित और वहां से संचालित हो रहे भारतीय उपद्रवी समूह (आईआईजी) दोनों देशों के बीच खुली सीमा का फायदा उठाते हुए भारत में घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं। राज्‍यसभा में एक प्रश्‍न का लिखित उत्‍तर देते हुए गृह राज्‍यमंत्री श्री किरेण रिजिजु ने बताया कि केवल भारत-बांग्‍लादेश, भारत-पाकिस्‍तान की सीमा के साथ और भारत-म्‍यांमा के छोटे से भाग पर बाड़ लगाई गई है। भारत-बांगलादेश और भारत-पाकिस्‍तान सीमाओं पर बाड़ रहित यानी खुले भागों की सीमा सुरक्षा बल ने पहचान कर ली है। भारत-बांगलादेश सीमा पर ऐसे 783 और भारत-पाकिस्‍तान सीमा पर 149 स्‍थान है। 

सरकार ने खुले सीमा भागों को मजबूत बनाने के लिए बहुधारीय दृष्टिकोण अपनाया है इस दिशा में उठाए गए कदमों में निम्‍नलिखित शामिल हैं : 

सीमा पर गश्‍त नाकाओं द्वारा 24 घंटे निगरानी और देश की अंतर्राष्‍ट्रीय सीमा पर निगरानी चौकियों की मौजूदगी के जरिए सीमा पर निगरानी तंत्र का प्रभुत्‍व बनाया गया। देश की अंतर्राष्‍ट्रीय सीमाओं पर नदी क्षेत्र पर सीमा सुरक्षाबल की स्‍पीड बोट, पानी के वाहनों, तैरती सीमांत चौकियों की मदद से गश्‍त की जा रही हैं और निगरानी तंत्र का प्रभुत्‍व बनाया गया। 

बलों की संख्‍या में कई गुना बढ़ोतरी करना और अति तकनीकी निगरानी उपकरणों की तैनाती। सीमा पर निगरानी तंत्र के प्रभुत्‍व को और मजबूत करने के लिए दिन और रात में समुचित प्रकाश में काम करने वाले नवीनतम निगरानी उपकरण प्राप्‍त करने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं। 

सीमा पर आउट पोस्‍ट के उन कमजोर इलाकों जो सीमा पर अवैध घुसपैठ और सीमापर अपराधों की दृष्टि से संवेदनशील हैं उनका मानचित्रीकरण किया गया। इन चयनित चौकियों को बलों की अतिरिक्‍त तैनाती, विशेष निगरानी उपकरणों, वाहनों, अन्‍य आधारभूत सहायक उपकरणों से मजबूत बनाया गया। 

खुफिया नेटवर्क और सहयोगी एजेंसियों के साथ तालमेल को उन्‍नत बनाया गया और सीमाओं पर विशेष अभियान चलाए गए। 

15 हजार मुसलमानों की घर वापसी की घोषणा

उत्‍तर प्रदेश के आगरा में धर्म परिवर्तन के मामले में नया मोड़ आ गया है। मुसलमान से हिंदू बनने के एक दिन बाद ही दो शख्‍स ने बजरंग दल के लोगों पर जबरदस्‍ती धर्म परिवर्तन करवाने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया है। बुधवार को यह मामला संसद में भी उठा। इस पर चर्चा की मांग करते हुए विपक्ष ने हंगामा किया। लेकिन आरएसएस से जुड़े धर्म जागरण मंच के उत्‍तर प्रदेश प्रमुख ने एलान किया है कि 25 दिसंबर को 15 हजार लोगों का धर्म परिवर्तन करा कर उन्‍हें हिंदू बनाया जाएगा। वहीं, इस पूरे मामले पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि अगर इस तरह की घटनाओं को नहीं रोका गया तो इससे पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो जाएगा।

मायावती ने कहा, ‘‘आगरा में धर्म परिवर्तन का मुद्दा गंभीर है। इस तरह की खबरें हैं कि आगरा के बाद अलीगढ़ में भी यही दोहराया जाने वाला है। केंद्र और यूपी सरकार को इस मामले को गंभीरता से देखना चाहिए। चूंकि, कानून व्यवस्था राज्य का विषय है इसलिए सपा सरकार को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। धर्म परिवर्तन के लिए लालच दिया गया है और इसके पीछे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस के सहयोगी संगठन बजरंग दल का हाथ है।’’

सोमवार को मुस्लिम परिवारों के ३८७ सदस्यों की हिंदू धर्म में वापसी कराई गई थी। इन लोगों ने धर्म परिवर्तन की रस्‍म के बाद पूजा की और काली माता की आरती उतारी। लेकिन मंगलवार को इन्‍हीं लोगों ने नमाज पढ़ी और कहा कि वे मुस्लिम हैं। उन्होंने आरोप लगाए हैं कि धर्म जागरण प्रकल्प और बजरंग दल के लोगों ने उन्हें बीपीएल कार्ड और प्लॉट का लालच देकर फोटो खिंचाने के लिए कहा था। उन्हें ये नहीं मालूम था कि उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। लेकिन इस बारे में मुकदमा दर्ज कराने वाले इस्‍माइल ने सोमवार को अपना नाम राजकुमार बताया था। वो प्रसाद भी बांट रहे थे।

धर्म जागरण प्रकल्प का कहना है कि सभी मुस्लिमों को उनकी मर्जी से हिंदू बनाया गया था। सोमवार को देवरी रोड स्थित वेद नगर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्म जागरण प्रकल्प और बजरंग दल ने धर्मांतरण कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसमें वेद नगर के रहने वाले करीब ६० परिवारों के ३८७ सदस्यों को हवन कराकर हिंदू बनाया गया। धर्म जागरण प्रकल्प ने कहा था कि इन परिवारों के पूर्वज कभी हिंदू थे। अब इन लोगों की फिर से घर वापसी हुई है।

मंगलवार को अखबारों में यह खबर छपी तो मुसलमानों ने इसे धोखा बताया। उन्‍होंने काली माता की मूर्ति को वहीं रहने वाले एक क्षत्रिय के कमरे में रख दिया और नमाज अता की। उन्होंने बताया कि उनसे कहा गया था कि संगठन के किसी बड़े पदाधिकारी के सामने एक आयोजन में फोटो भर खिंचाना है। इसके बाद उन्हें बीपीएल राशन कार्ड और प्लॉट दिलवाए जाएंगे। उन्हें धर्म परिवर्तन के बारे में कुछ नहीं बताया गया था।

इस्‍माइल की पत्‍नी मोनिरा बेगम का कहना है कि धर्म जागरण ईसाई परियोजना के ब्रज प्रांत प्रमुख नंद किशोर पंद्रह दिन से धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश कर रहे थे। उनके मुताबिक, इस्‍माइल को बस्‍ती में मंदिर बनवाने के एवज में सभी के बीपीएल कार्ड बनवाने का वादा किया गया।

भाजपा के सांसदों की कोई भी गलत बयानबाजी बर्दाश्त नहीं - मोदी

राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के भड़काऊ बयान पर संसद में विपक्ष के हमलों के बाद गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मामले में अपना बयान दिया। उन्होंने राज्यसभा में कहाकि वे इस तरह के बयानों की कड़ी निंदा करते हैं और किसी भी व्यक्ति को मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। 

उन्होंने कहाकि मंत्री अपने बयान के लिए माफी मांग चुकी है। वे नई है और पहली बार मंत्री बनी है। मेरा मानना है कि माफी मांगने के बाद सदन में इतने अनुभवी और वरिष्ठ सदस्य बैठे हैं, मैं उनसे अपील करता हूं कि माफी मांगने के बाद हमें काम जारी करना चाहिए। इससे हम सबको भी संदेश जाता है कि हमें अपनी मर्यादा को नहीं तोड़ना चाहिए। हमें इस तरह के बयानों से बचना चाहिए। मैं इस बारे में अपने सांसदों को स्पष्ट कर चुका हूं। 

हालांकि पीएम के वक्तव्य के बाद भी राज्यसभा में हंगामा नहीं रूका और विपक्षी सदस्य मंत्री के इस्तीफे की मांग करने लगे। विपक्षी सदस्यों ने कहाकि मंत्री ने अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगी केवल खेद व्यक्त किया। गौरतलब है कि इस मामले को लेकर पिछले मतीन दिनों से संसद में हंगामा चल रहा है और काम नहीं हुआ। 

प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा के सांसदों को ताकीद की है कि वे राष्ट्र के नाम कोई संबोधन न दें। उनकी कोई भी गलत बयानबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। भाजपा संसदीय दल की बैठक में मोदी ने सांसदों को सख्त निर्देश दिए। माना जा रहा है कि यह निर्देश साध्वी निरंजन ज्योति की ओर इशारा है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट कहा है कि ऎसी हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही बैठक में पीएम मोदी ने साध्वी निरंजन ज्योति द्वारा दिए गए बयान पर निंदा व्यक्त की। 

गौरतलब है कि सोमवार को मोदी सरकार में राज्य मंत्री और उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से सांसद साध्वी निरंजन ज्योति ने दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान विवादित बयान दे डाला। पश्चिमी दिल्ली में सोमवार शाम को सभा के दौरान निरंजन ज्योति ने कांग्रेस नेताओं को गाली दे डाली। बयान पर संसद में बवाल मचने के बाद साध्वी ने अपने बयान को लेकर माफी मांगी। जबकि विपक्षी पार्टियां उनकी इस्तीफे की मांग को लेकर अड़ी हुई हैं। 

चुनाव प्रचार के दौरान साध्वी ने कहा था कि देश में रहने वाले सभी लोग राम की संतान है। फिर चाहे वो मुसलमान हो या फिर ईसाई। जो लोग इस विचारधारा में विश्वास नहीं करते वे भारतीय नहीं है, उन्हें भारत छोड़ देना चाहिए। यह तो लोगों को सोचना है कि वे राम को मानने वालों को वोट देते हैं या फिर राम को नहीं मानने वालों को। इससे पहले साध्वी ने दिल्ली में सभा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर कड़े शब्दों का वार किया।

महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा एक बार फिर एक साथ हुए

महाराष्ट्र चुनाव के दौरान सीट बंटवारे को लेकर अलग हुई शिवसेना और भाजपा एक बार फिर एक साथ हो गए हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि शिवसेना के 12 मंत्री शुक्रवार को शपथ लेंगे। जिसमें पांच कैबिनेट और सात राज्य मंत्री होंगे। पिछले कुछ दिनों से दोनों पार्टियों के साथ आने को लेकर बैठकों का दौर चल रहा था।

फडणवीस ने कहा, "हम 25 साल से साथ हैं और दोनों पार्टियां का गठबंधन विकास पर आधारित है। हमने लोकसभा चुनाव साथ में लड़े। विधानसभा चुनाव हमने अलग-अलग लड़े, लेकिन हमे कांग्रेस और एनसीपी दोनों ही पार्टियों से ज्यादा वोट मिले।" साथ ही फडणवीस ने कहा आगामी बीएमसी चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर एक नई कमेटी बनाई जाएगी। महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार की केबिनेट का शुक्रवार को विस्तार होना है। इससे पहले 31 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले फडणवीस मंत्रिमंडल में 8 केबिनेट और दो राज्य मंत्री हैं।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनावों के दौरान सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया था। इसके बाद दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, इसमें भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। चुनाव परिणाम के बाद भी दोनों पार्टियों में सुलह के प्रयास किए गए थे लेकिन बात नहीं बनी थी। इसके चलते भाजपा ने विधानसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की मदद से विश्वासमत हासिल किया था। हालांकि इस पर उसे विपक्ष की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था। 

विमान अपहरण विरोधी विधेयक 2014 को मंजूरी, अपहरणकर्ताओं को मृत्‍युदंड का प्रावधान

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एक समेकित विमान अपहरण विरोधी विधेयक, 2014 को मंजूरी दी गई। मौजूदा कानून विमान अपहरण विरोधी अधिनियम, 1982 को पिछली बार 1994 में संशोधित किया गया था।

दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस फलाइट आईसी-814 के अपहरण के बाद इस बात की जरूरत महसूस की गई थी कि अपहरणकर्ताओं के लिए मृत्‍युदंड का प्रावधान किया जाए। इसके अतिरिक्‍त 11 सितंबर की घटना के बाद मौजूदा अधिनियम में संशोधन करने की जरूरत भी महसूस की गई, क्‍योंकि उक्‍त घटना में हवाई जहाजों को हथियार के रूप में इस्‍तेमाल किया गया था।

विमान अपहरण विरोधी (संशोधन) विधेयक, 2010 को राज्‍यसभा में अगस्‍त 2010 में पेश किया गया था। संशोधन प्रक्रिया के दौरान अगस्‍त- सितंबर 2000 में बीजिंग में एक विश्‍व राज‍नयिक सम्‍मेलन भी आयोजित हुआ था। इस सम्‍मेलन में बीजिंग प्रोटोकॉल पर भारत ने हस्‍ताक्षर किए हैं।

इस विधेयक में विमान अपहरण की घटना होने पर मृत्‍युदंड का प्रावधान किया गया है, यदि इस तरह के अपराध में किसी बंधक या किसी सुरक्षाकर्मी की मृत्‍यु होती है। इसके अलावा आजीवन कारावास और अपहरणकर्ताओं की चल और अचल संपत्ति को जब्‍त करने का प्रावधान भी किया गया है।

उपरोक्‍त तथ्‍यों को ध्‍यान में रखकर मंत्रिमंडल ने निम्‍नलिखित मंजूरियां दी हैं-

1)      बीजिंग प्रोटोकॉल, 2010 को स्‍वीकृति।
2)      1994 में संशोधित विमान अपहरण विरोधी अधिनियम को रद्द करना।
3)      विमान अपहरण विरोधी संशोधन विधेयक, 2010 को वापस लेना।
4)      नये विमान अपहरण विरोधी विधेयक, 2014 को पेश करना।

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