राहुल गाँधी के पीछे पीछे फ़ाइल दबाये चल रहे कनिष्क सिंह |
वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में राहुल गांधी के करीबी कनिष्क सिंह की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए भाजपा नेता किरीट सोमैया ने सीबीआइ को इस मामले की जांच करने के लिए चिट्ठी लिखी है। सोमैया ने शुक्रवार को सीबीआइ को पत्र लिख कर हेलीकॉप्टर डील में कनिष्क सिंह के शामिल होने की बात कही है तथा उनके और राहुल गांधी के नजदीकी संबंध होने की भी बात कही है।
हेलीकॉप्टर सौदे में हुए घोटाले के बाद अब इस मामले में लगातार नए तथ्य उजागर हो रहे हैं। इस कथित घोटाले में जिस आईडीएस इंडिया नाम की कंपनी का नाम सामने आ रहा है, दरअसल इस नाम की कंपनी मंत्रालय के रिकॉर्ड में है ही नहीं। इसके जरिए इस सौदे में 140 करोड़ रुपये की रिश्वत पहुंचाने का जिक्र इटली की अदालत में सौंपे गए दस्तावेजों में किया गया है।
भारत ने इस मामले में इंग्लैंड की कंपनी अगस्तावेस्टलैंड से 4 हजार करोड़ रुपये के 12 वीवीआई हेलीकॉप्टरों के सौदे में रिश्वत दिए जाने के बारे में सफाई देने को कहा है। केंद्र ने कंपनी से पूछा है कि इस सौदे में यदि किसी भारतीय इकाई अथवा व्यक्ति को अवैध भुगतान किया गया है तो कंपनी इसका नाम उजागर करे।
रक्षामंत्री एके एंटनी ने साफतौर पर कहा है कि यदि कंपनी इस बारे में सहयोग नहीं करेगी तो सौदा रद कर दिया जाएगा।
इटली के अभियोजन पक्ष की रिपोर्ट के मुताबिक रिश्वत के इस मामले में एयरोमैट्रिक्स, आईडीएस मॉरिशस, आईडीएस इंफोटेक नामक कंपनियों के नाम भी शामिल हैं, जिनमें से आईडीएस इंफोटेक दिखावे के लिए फिनमेकानिका और ऑगस्तावेस्टलैंड के लिए सॉफ्टवेयर बनाती रही।
सरकार के मुताबिक राजग सरकार द्वारा टेंडर में बदलाव की सिफारिश की गई थी। इटली में ऑगस्तावेस्टलैंड की मूल कंपनी फिनमेकानिका के सीईओ की गिरफ्तारी के बाद उठे विवाद के बाद सीबीआई अब इस मामले की जांच कर रही है।
हेलीकॉप्टर सौदे के टेंडर में 2003 में बदलाव किए गए, जिस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार सत्ता में थी। लेकिन इसे 2006 में अधिसूचित किया गया, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और प्रणब मुखर्जी रक्षामंत्री थे। एसपी त्यागी उस वक्त वायुसेना प्रमुख थे। केंद्र सरकार का कहना है कि यह घोटाला राजग सरकार के दौरान शुरू हुआ था। वहीं विपक्ष इसे पूरी तरह से खारिज कर रहा है।
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