एक हजार फ़लस्तीनियों के बदले होगी इसराइली सैनिक गिलाद शालित की रिहाई

इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू ने कहा है कि हमास और इसराइल के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हो गए हैं जिसके तहत अपहृत इसराइली सैनिक गिलाद शालित की रिहाई हो सकेगी. इसके बदले में इसराइल हिरासत में रखे गए करीब हज़ार फ़लस्तीनियों को छोड़ेगा.

गिलाद
शालित को 2006 में अग़वा कर लिया गया था और तब से ये मामला इसराइल में सुर्ख़ियों में रहा है.कई बार उनकी रिहाई के प्रयास हो चुके हैं लेकिन सब विफल रहे हैं. इसराइल में इस मामले को लेकर कैबिनेट की विशेष बैठक बुलाई गई थी.

बैठक
के बाद पत्रकारों को इसराईली प्रधानमंत्री ने बताया कि गिलाद शालित कुछ दिनों में घर लौट आएँगे. वहीं फ़लस्तीनी चरमपंथी गुट हमास ने एक बयान में कहा है कि हज़ारों लोग सड़कों पर उतरकर समझौते का स्वागत कर रहे हैं. ग़ज़ा हमास के नियंत्रण में है.

हमास
के नेता खालिद मिशाल ने टीवी पर इस समझौते को फ़लस्तीनी लोगों के लिए जीत बताया है.

शालित
और फ़लस्तीनी बंदियों के परिवारों को तब तक यकीन नहीं होगा जब तक ये लोग घर वापस नहीं आ जाते.

जम्‍मू-कश्‍मीर भारत का अभिन्‍न अंग न तो अभी है और न कभी पहले था - पाकिस्‍तान

पाकिस्तान ने एक बार फिर कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन् अंग नहीं है। साथ ही, संयुक् राष्ट्र के नेतृत् में कश्मीरी जनता की राय जानने के लिए रायशुमारी कराने की मांग की। पाकिस्तान की इस मांग से भारत गुस्से में है। इसे भारत ने बेतुका बता कर खारिज कर दिया है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र में पाकिस्‍तान के दूत ताहिर हुसैन अंदराबी ने महासभा में एक बहस के दौरान कहा कि जम्‍मू-कश्‍मीर भारत का अभिन्‍न अंग न तो अभी है और न कभी पहले था।

संयुक्‍त राष्‍ट्र में पाकिस्‍तान के स्‍थायी उप प्रतिनिधि रजा बशीर तरार ने भी यही सुर आलापा। उन्‍होंने कहा, 'जम्‍मू कश्‍मीर में लोगों के आत्‍मनिर्णय के अधिकार को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्‍तावों में मान्‍यता दी गई है। सच कहा जाए तो जम्‍मू-कश्‍मीरी विवाद पर प्रस्‍ताव के बिना संयुक्‍त राष्‍ट्र की उपनिवेशवाद खत्‍म करने की पहल ही अधूरी रह जाएगी।'

बयान के जवाब में भारत के प्रतिनिधि आर रवींद्र ने कहा कि पाकिस्‍तान की ओर से दिया गया बयान बेतुका है। जिस समिति में यह बयान दिया गया, उसके कामकाज से कश्‍मीर का कोई लेना-देना नहीं है। उन्‍होंने कहा, 'मैं पाकिस्‍तान के सम्‍माननीय प्रतिनिधि को याद दिलाना चाहता हूं कि जम्‍मू कश्‍मीर भारत का अभिन्‍न अंग है। भारतीय संविधान अपने हर नागरिक को मौलिक अधिकार की गारंटी देता है।

जम्‍मू कश्‍मीर में हर बार विधानसभा चुनाव में जनता भाग लेती है और अपनी इच्‍छा जाहिर करती है।'

निलंबित आईपीएस संजीव भट्ट की याचिका खारिज

गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें दो दशक पुराने एक मामले में राहत देने की मांग की गई थी।मामला साल 1990 में जामनगर जिले में हुए कथित पुलिस अत्याचार से संबंधित है जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति आर एच शुक्ला ने भट्ट की याचिका को खारिज करते हुए आदेश पर आठ नवंबर तक के लिए रोक लगा दी ताकि वह इसे आगे चुनौती दे सकें।

इसके
अलावा उन्होंने जामनगर सत्र न्यायालय से कहा कि वह भट्ट के खिलाफ इस संबंध में आरोप तय नहीं करे।गुजरात सरकार ने सोमवार को स्थानीय अदालत के समक्ष दावा किया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोधवाडिया भी उस अपराध में शामिल हैं जिसके लिए निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को गिरफ्तार किया गया है।

विशेष
लोक अभियोजक एस वी राजू ने सत्र न्यायाधीश वी के व्यास की अदालत में भट्ट की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए यह आरोप लगाया। भट्ट को सबूतों के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।जमानत अर्जी पर सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी, क्योंकि सरकार की ओर से दलीलें अब तक पूरी नहीं हुई हैं।

भट्ट
को एक कांस्टेबल को झूठे हलफनामे में हस्ताक्षर कराने के लिए धमकाने और दबाव डालने के आरोप में 30 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने गोधरा कांड के बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 27 फरवरी 2002 को बुलाई गई बैठक में अपनी मौजूदगी के संबंध में कांस्टेबल पर गलत हलफनामा देने का दबाव बनाया।कांस्टेबल के डी पंत की ओर से कुछ महीने पहले दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, पुलिसकर्मी को भट्ट 16 जून की रात मोधवाडिया के आवास पर ले गए थे।

विशेष
लोक अभियोजक ने कहा कि फोन कॉल के रिकॉर्ड बताते हैं कि मोधवाडिया ने पंत की ओर से कथित तौर पर हलफनामा तैयार करने वाले वकील को उस दिन मध्यरात्रि के बाद कई बार फोन किया और तड़के करीब तीन बजे एसएमएस भी भेजे।राजू ने कहा कि इस बात की फोन कॉल रिकॉर्ड तथा वकीलों और नोटरी के बयानों से पुष्टि होती है।

यह
दर्शाता है कि भट्ट के साथ ही कांग्रेस नेता भी अपराध को अंजाम देने में संलिप्त हैं।उन्होंने जानना चाहा कि मोधवाडिया जैसे कांग्रेस नेता को ऐसे वक्त पर पंत से बात करने की क्या जरूरत थी।राजू ने कहा कि इससे साबित होता है कि कांस्टेबल 'मनगढंत और झूठे' हलफनामे पर हस्ताक्षर च्रने का इच्छुक नहीं था।

पंत
ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 16 जून की रात को भट्ट उन्हें मोधवाडिया के आवास पर ले गए थे। कांग्रेस नेता ने उन्हें आश्वासन दिया था कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है और उन्हें भट्ट के निर्देशों को मानना चाहिए।

आडवानी जी के साथ मनमुटाव की खबरें अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय - मोदी

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ मनमुटाव की अटकलों पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने विराम लगा दिया। मोदी ने भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ आडवाणी की यात्रा की प्रशंसा करते हुए कहा कि मनमुटाव की खबरें अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय हैं।

मोदी ने अपने ब्लॉग पर कहा है कि आदरणीय आडवाणी जी के साथ बहुत निकट से काम करने का गौरव मुझे हासिल है। यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ निहित स्वार्थ अफवाह फैला रहे हैं।

इससे पहले यह खबर उड़ाई गई थी कि रथयात्रा के फैसले से मोदी नाखुश हैं क्योंकि आडवाणी इसके जरिए अगले चुनाव में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल होने के लिए मैदान में उतरना चाहते हैं।

उन्होंने
कहा कि बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद यह यात्रा लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूक बनाएगी।

ओशो की संपत्ति पर नेताओं की टेडी नजर

ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन की कोरेगांव पार्क इलाके की करीब एक हजार करोड़ की 35 एकड़ जमीन पर नेताओं की नजर है। इसे लेकर ओशो के भक्तों में ही विवाद खड़ा हो गया है।

दो भक्तों ने मुंबई के चैरिटी कमिश्नर से अनुरोध किया है कि पुणे की संपत्ति को बेचने के आवेदन को ठुकरा दिया जाए। योगेश ठक्कर (उर्फ स्वामी प्रेम गीत) और किशोर रावल (उर्फ स्वामी प्रेम आनंद) ने बुधवार को चैरिटी कमिश्नर के सामने याचिका दाखिल की है।

इसमें
बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट्स (बीपीटी) एक्ट 1950 की धारा 36 के तहत किए गए आवेदन का विरोध किया है। बीपीटी एक्ट की धारा 36 कहती है कि किसी भी सार्वजनिक ट्रस्ट की अचल संपत्ति को बेचने या गिरवी रखने से पहले चैरिटी कमिश्नर की अनुमति जरूरी है।

याचिका
में कहा गया है कि ओशो के विचारों को विस्तार देने के लिए भक्तों ने कड़े परिश्रम, समय, पैसे और समर्पण के साथ यह संपत्ति खड़ी की है। फाउंडेशन की गतिविधियों और ट्रस्टियों को मुख्य रूप से तीन व्यक्ति प्रभावित कर रहे हैं।

इनकी
पहचान माइकल ओ‘बायर्न (उर्फ स्वामी जयेश),जॉर्ज मेरेडिथ (उर्फ स्वामी अमृतो) और डार्सी ओ‘बायर्न (उर्फ स्वामी योगेंद्र)के रूप में की गई हैं। ये लोग मुंबई और पुणे के नेताओं को ट्रस्ट की संपत्ति बेचने की कोशिश में है।

ये भक्तों के उस धड़े से जुड़े हैं,जिसने 19 जनवरी 1990 को ओशो के निधन के बाद ट्रस्टों पर नियंत्रण हासिल किया था। फाउंडेशन की गतिविधियों को कंपनी में तब्दील करने की कोशिशें हो रही हैं। ओशो मल्टीमीडिया एंड रिसोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड बनाई गई है, जिसमें ट्रस्टी डायरेक्टर हैं।

कई प्रयासों के बावजूद ओशो इंटरनेशनल रिसोर्ट की प्रवक्ता मां अमृत साधना से संपर्क नहीं हो सका। ओशो के वरिष्ठ भक्तों में शामिल साधना उस धड़े में शामिल हैं, जो पुणे की संपत्ति का प्रबंधन करता है। उन्हें प्रेस से बातचीत करने की जिम्मेदारी दी गई है।

ओशो के निधन के करीब एक दशक बाद 2001 में ओशो कम्यून की संपत्ति का सौदा हुआ था। जेन प्रापर्टीज लिमिटेड के जरिए ओशो कम्यून ने गोदरेज प्रापर्टीज एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के साथ संयुक्त उपक्रम शुरू किया। इसी जमीन पर गोदरेज मिलेनियम कॉम्प्लेक्स खड़ा किया गया।

लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ सीवान में एफआईआर

बिहार के सीवान ज़िले में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराया गया है। एफआईआर सर्किल अफ़सर शंकर महतो ने दर्ज कराया।

लालू
पर बिना अनुमति के चुनावी सभा करने का आरोप है। इसके क साथ ही अधिकारियों से बद्तमीज़ी से बात करने का आरोप लगाया है।

लालू
ने दरौंदा विधान सभा के लिए उपचुनाव में दो दिन से चुनावी सभा संबोधित कर रहे हैं। लालू यादव कई मामलों में आरोपी शहाबुद्दीन के फार्म हाउस पर रहे हैं।

गजल किंग जगजीत सिंह ने दुनिया को अलविदा कहा

अनगिनत सुरीली गजलों को आवाज देने वाले जगजीत सिंह अब नहीं रहे। मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह को ब्रेन हेमरेज के बाद हाल में मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जगजीत सिंह ने अस्पताल में ही आज सुबह आठ बजे अंतिम सांस ली। पद्मभूषण जगजीत सिंह के निधन से संगीत की दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई है।

करीब 15 दिन पहले अस्‍पताल में भर्ती कराए गए जगजीत सिंह का डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया था लेकिन उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। जिस दिन जगजीत सिंह को अस्‍पताल में भर्ती कराया गया, उस दिन मुंबई में उन्‍हें एक कार्यक्रम देना था। 70 साल के जगजीत सिंह को उस दिन पाकिस्तान के गजल गायक गुलाम अली के साथ एक कंसर्ट में हिस्सा लेना था।

गजल गायकी को नई बुलंदियों तक पहुंचाने में जगजीत सिंह का अहम योगदान रहा। 1941 में जन्‍में जगजीत सिंह को 'गजल किंग' यानी गजल की दुनिया का बादशाह भी कहा जाता है

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