पढ़िए डबलिन में प्रधानमंत्री मोदी का बेहद आत्मीय भाषण


आयरलैंड में बसे सभी भारतीयों को नमस्‍कार, 

मुझे सबसे पहले तो आप सबकी क्षमा मांगनी है, क्षमा इसलिए मांगनी है कि मुझे आपको ज्‍यादा time देना चाहिए था। बहुत लोगों की शिकायत है कि हमें आने के लिए admission नहीं मिला, प्रवेश नहीं मिला। अच्‍छा होता मैं जरा ज्‍यादा समय लेकर आया होता, तो यहां बसे हुए भारतीयों को बहुत बड़ी संख्‍या में मिल पाता। लेकिन मैं इतना कहूंगा कि यह शुभ शुरूआत है। आप में से बहुत लोग ऐसे होंगे, शायद बहुत कम ऐसे होंगे, जिनको यह याद होगा कि कभी भारत के प्रधानमंत्री यहां आएं थे। क्‍योंकि मुझे बताया गया कि करीब 60 साल के बाद भारत के कोई प्रधानमंत्री यहां आए हैं। वैसे दिल्‍ली से न्‍यूयॉर्क तो हर बार जाना पड़ता है और आकाश में तो यहीं से गुजरते हैं। तो आप लोगों के प्‍यार ने मुझे खींच लिया, तो ऊपर से मैं नीचे आ गया। 

आज मेरी यहां के प्रधानमंत्री के साथ बड़ी विस्‍तार से बातें हुई है। अब बहुत समय कम था, लेकिन meeting बहुत बढि़या रही, इतने विषयों पर चर्चा हुई है। कितनी बातों पर सहमति का माहौल है। मैं समझता हूं कि आयरलैंड के साथ भारत के संबंध और अधिक गहरे होने चाहिए। अनेक विषयों के साथ जुड़े हुए होने चाहिए। और 2016 में आयरलैंड अपनी आजादी की शताब्‍दी मना रहा है, आजादी के संघर्ष की शताब्‍दी मना रहा है। भारत भी उसी समय आजादी का संघर्ष कर रहा था और एक प्रकार से भारत भी आजादी की लड़ाई लड़ता था, आयरलैंड भी आजादी की लड़ाई लड़ता था और सच में यह हमारी सांझी विरासत है। हम सोच रहे है कि यह 2016 का, आयरलैंड का आजादी का जो संग्राम है, इस शताब्‍दी में भारत भी भागीदार बने, भारत भी आयरलैंड हो। 

आयरलैंड और भारत की जो विशेषताएं हैं कुछ मूल्‍य बहुत किसी न किसी कारण से, एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जैसे भारत में सत्‍य के लिए जीना-मरना। यह सदियों से हम सुनते आए हैं। एक आदर्श के लिए, विचार के लिए बलि चढ़ जाना। खुद को कष्‍ट देते हुए जीवन को समाप्‍त कर देना। यह हम सदियों से सुनते आए हैं, लेकिन कहते हैं 1920 में आयरलैंड में Hunger Strike हुआ और यहां के नागरिक ने अपना जीवन समर्पित कर दिया था। यानि values हमारे कितने मिलते-जुलते होंगे, इसका अंदाजा लगा सकते हो आप। मानवता से जुड़ी हुई इन बातों में अपनी एक ताकत है। और हमारी कोशिश यही है उन्‍हीं चीजों को हम बल दे। 

अब Irish बच्‍चे संस्‍कृत में मंत्रोच्‍चार कर रहे हैं, स्‍वागत गान गा रहे हैं। और वे रटे-रटाए शब्‍द बोल रहे थे, ऐसा मुझे नहीं लगा। किस शब्‍द में उनका क्‍या भाव था, वो भी अभिव्‍यक्‍त हो रहा था, मतलब उन्होंने इस बात को internalise कर लिया था। उनके जो भी शिक्षक इस काम को करते होंगे, मैं उनको बधाई देता हूं। लेकिन ये खुशी की बात है आयरलैंड में तो हम ये कर सकते हैं, लेकिन हिंदुस्तान में कुछ ऐसा करते तो पता नहीं, secularism पर सवालिया निशान खड़ा हो जाता। 

लेकिन इन दिनों बदलाव आ रहा है। आप देखिए योग, दुनिया उसको योगा कहती है। सारी दुनिया नाक पकड़ने लग गई है। विश्व के सभी देशों ने अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस मनाया। भारत के ये हजारों साल पुराना विज्ञान, आज holistic health care के लिए, preventive health care के लिए, एक बहुत बड़ी स्वीकार्य, स्वीकृत पद्धति के रूप में पूरे विश्व में फैल चुका है। और पहले हमारे यहां कल्पना क्या थी, अगर illness नहीं है, तो आप स्वस्थ हैं, अब ये विचार भारतीय चिंतन का नहीं है। illness नहीं, मतलब स्‍वस्‍थ! ये हमारी सोच नहीं है। हम उससे दो कदम आगे wellness की चर्चा करते हैं। हमारी कल्‍पना wellness थी और यही योगा उस wellness से जुड़ा हुआ है। सिर्फ रोग से मुक्‍त है, इसलिए आप स्‍वस्‍थ है ऐसा नहीं है। तो भारत की मूल बातें विश्‍व स्‍वीकार करने लगा है, लेकिन दुनिया तब स्‍वीकारती है जब भारत में दम हो। अगर भारत में दम नहीं हो, तो दुनिया क्‍यों पूछेगी भाई। 

आज पूरे विश्‍व में भारत के विकास की चर्चा हो रही है। 21वीं सदी ‘एशिया की सदी’, यह सारी दुनिया ने मान लिया है। लेकिन 21वीं सदी ‘एशिया की सदी’, फिर धीरे-धीरे देखते हैं, तो उनको लगता है यार हो सकता है हिंदुस्‍तान की हो जाए। यह दुनिया मानने लगी। 

एक BRICS concept आया 1980s में Brazil, Russia, India, South Africa, China, BRICS शब्‍द popular होगा। लेकिन कुछ वर्ष पहले कि B, R,C, S इनकी तो गाड़ी पटरी पर है। आई (I) जो है वो लुढ़क गया है। ऐसी चर्चा थी और लोग यहां तक कहते थे, शायद I (आई) इंडिया की जगह, I (आई) इंडोनेशिया ले लेगा। यह चर्चा थी। आज World Bank हो IMF हो Credit Rating Agencies हों, सब कह रहे हैं कि BRICS में अगर कोई ताकत वाला है, तो I (आई) है। सारी दुनिया की rating agencies कह रही है कि भारत दुनिया के बड़े देशों की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली economy है, सबसे तेज, पूरी दुनिया में। 

अगर यह सिलसिला और आगे बढ़ा और ज्‍यादा नहीं 30 साल, 30 साल अगर हम इस ऊँचाई पर चलते रहे, तो हिंदुस्‍तान में गरीबी का नामो-निशान नहीं रहेगा। नौजवान को रोजगार मिलेगा, लेकिन 30 साल तक इस गति को बनाए रखना यह बहुत बड़ी चुनौती है। लेकिन यह चुनौती हम पार कर पाएंगे, क्‍योंकि हम एक ऐसी ताकत के कालखंड में हैं, जिसकी हमने कभी कल्‍पना तक नहीं की है। और वो है 65 प्रतिशत जनसंख्‍या हिंदुस्‍तान की, 35 साल से कम उम्र की है। भारत नौजवान है, भारत नौजवानों का है और भारत नौजवानों की ताकत पर बनने वाला है। यह जो सामर्थ्य मिला है, यह next 30 years का सपना पूरा कर सकता है। 

देश विकास की नई ऊंचाईयों को पार कर रहा है। सभी क्षेत्रों में देश को आगे बढ़ाने के लिए सफल बनाने के प्रयास हो रहे हैं। और विश्‍वभर में फैले हुए भारतीय जन भी आज सीना तान करके, आँख में आँख मिला करके दुनिया के साथ भारत की बात करने लगे हैं। इससे बड़ा गर्व क्या हो सकता है। अब किसी भारतीय को सर झुकाने के दिन नहीं हैं, सीना तानकर के खड़े रहने का दिन है। और यही बड़ी ताकत होती है, यही बड़ी ताकत होती है। 

मैं आप सबको मुझे मिलने का मुझे अवसर मिला, मैं आपका बहुत ही, और इस समय में भी क्योंकि मेरा कार्यक्रम बहुत कम समय में बना। इतनी बड़ी संख्या में आप लोग आए और मुझे आपके Ambassador कह रहे थे कि, इतनी मारामारी चल रही है कि हम किस को रोके, किसको लाएं, ज्यादा समय मिला होता तो अच्छा होता, लेकिन फिर भी मैंने पहले कहा है ऐसे कि ये एक शुभ शुरुआत है, ये रिश्ता और...और नाता जुड़ता रहेगा और भारत के प्रधानमंत्री को यहां आने में अब 60 साल नहीं लगेंगे, ये मैं विश्वास दिलाता हूं आपको। 

बहुत-बहुत धन्यवाद। 

रबी सम्मेलन- 2015: 14 करोड़ किसानों को मिलेगा मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने 22 सितम्बर 2015 को दो दिवसीय रबी सम्मेलन- 2015 का शुभारम्भ किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने जानकारी दी कि “रबी 2014-15 के लिए निर्धारित 130.75 मिलियन टन के लक्ष्‍य की तुलना में रबी 2015-16 के लिए 132.78 मिलियन टन का महत्‍वकांक्षी खाद्यान्‍न लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है। श्री सिंह ने यह भी जानकारी दी कि दलहन के लिए एनएफएसएम के तहत 50 प्रतिशत निधियां निर्धारित कि गई है। कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री ने कहा कि मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड के अन्तरगत सभी जोतों को कवर करने के प्रयास किए जा रहे हैं और वर्तमान वर्ष 2015-16 के लिए लक्ष्‍य को 83 लाख से बढ़ाकर 100 लाख नमूने कर दिया गया है। 

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह का संबोधन निम्नवत है: 

“मुझे आज सुबह आप सबके समक्ष उपस्‍थित होकर प्रसन्‍नता का अनुभव हो रहा है। हम सब यहां देश के सफल रबी फसलन कार्यक्रम के लिए विचार-विमर्श करने के लिए एकत्र हुए हैं। मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि रबी सम्‍मेलन 2015-16 आगामी रबी मौसम के लिए कार्यक्रम तैयार करने में सफल विचार-विमर्श, चिंतन व अनुभव बांटने के लिए मंच प्रदान करेगा। रबी 2014-15 के लिए निर्धारित 130.75 मिलियन टन के लक्ष्‍य की तुलना में रबी 2015-16 के लिए 132.78 मिलियन टन का महत्‍वकांक्षी खाद्यान्‍न लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है। 

मुझे यह जानकर खुशी है कि कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में लक्षित 4 प्रतिशत वार्षिक विकास प्राप्‍त करने के लिए वर्ष 2014-15 से कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय की विभिन्‍न स्‍कीमों को विशिष्‍ट मिशनों, स्‍कीमों व कार्यक्रमों में पुन:संरचित किया गया है। 17.8.2015 को जारी चतुर्थ अग्रिम आकलन के अनुसार 2013-14 के दौरान 265.04 मिलियन टन उत्‍पादन की तुलना में 2014-15 के दौरान कुल खाद्यान्‍न उत्‍पादन 252.68 मिलियन टन था। उत्‍पादन में कमी असमान व असामयिक वर्षा व प्राकृतिक आपदाओं के कारण थी। 886.9 मिमी की सामान्‍य वर्षा की तुलना में वर्ष 2014-15 में देश में 777.5 मिमी वर्षा हुई जो 12 प्रतिशत कम थी। रबी 2014-15 में बाढ़ व ओलावृष्‍टि जैसी प्राकृतिक आपदा आई जिससे उत्‍पादन प्रभावित हुआ। मॉनसून की ऐसी अनियमितताओं के बावजूद हमारे मेहनती किसानों ने देश में पर्याप्‍त उत्‍पादन सुनिश्‍चित किया है। 

जैसा कि आप सब जानते हैं, इस वर्ष भारत में सामान्‍य से कम वर्षा हुई (दक्षिण पश्‍चिम मॉनसून) जिससे राष्‍ट्रीय स्‍तर पर 21 सितम्‍बर यानी आज की स्‍थिति के अनुसार 14 प्रतिशत कम वर्षा हुई। देश के कुछ क्षेत्रों में इससे भी कम वर्षा हुई। उत्‍तर पश्‍चिमी भारत में 20 प्रतिशत व प्रायद्वीपीय भारत में 14 प्रतिशत कम वर्षा हुई। दूसरी तरफ असम व गुजरात में विनाशकारी बाढ़ आई। कुल मिलाकर देश में 317 जिलों (जिलों का 52 प्रतिशत) में कम वर्षा हुई। देश ने सूखे से उत्‍पन्‍न आकस्‍मिक स्‍थिति से निपटने के लिए अपने आपको तैयार कर लिया है। केंदीय शुष्‍कभूमि क्षेत्र अनुसंधान संस्‍थान (सीआरआईडीए) ने देश में सूखा प्रभावित जिलों के लिए जिला-वार आकस्‍मिक योजना तैयार की। राष्‍ट्रीय कृषि विश्‍वविद्यालयों (एसएयू) के परामर्श से राज्‍य सरकारों ने आकस्‍मिक स्‍थिति से निपटने के लिए अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्‍त योजनाओं में संशोधन किया। जून, 2015 में कुछ सीमा तक प्रारंभिक कमी पूरी की गई। इसके कारण सितम्‍बर, 2015 को खरीफ अनाज के तहत फसल कवरेज 54.94 मिलियन है जो 2014-15 के इसी सप्‍ताह के लिए सामान्‍य से अधिक है। मुझे खुशी है कि चावल, दलहन व तिलहन के तहत कुल कवरेज संतोषजनक रही है। दुर्भाग्‍य से ज्‍वार जैसे मोटे अनाज में सामान्‍य से कम क्षेत्रफल रिकार्ड किया गया। हालांकि देश के लिए खरीफ में समग्र फसल कवरेज संतोषजनक रही है। 

हालांकि दलहन उत्‍पादन में भारत का पहला स्‍थान है, लेकिन उत्‍पादन व खपत में अभी भी अंतर है। इसलिए भारत सरकार क्षेत्र विस्‍तार व उत्‍पादकता वृद्धि के जरिए दालों के उत्‍पादन में वृद्धि करने के लिए देश में फसल विकास कार्यक्रम अर्थात्‍राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) व राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के माध्‍यम से रबी दलहन को बढ़ावा देने पर ध्‍यान दे रही है। दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए पहाड़ी और पूर्वोत्‍तर राज्‍यों सहित 27 राज्‍यों के 622 जिलों में एनएफएसएम – दलहन का कार्यान्‍वयन किया जा रहा है। भारत के लिए दलहन के महत्‍व को ध्‍यान में रखते हुए हमने दलहन के लिए एनएफएसएम के तहत 50 प्रतिशत निधियां भी निर्धारित की है। इससे पोषाहारीय सुरक्षा में योगदान मिलेगा। रबी के दौरान अरहर, मटर व मसूर को बढ़ावा देने के लिए 2012-13 से रबी/ग्रीष्‍म के दौरान दलहन उत्‍पादन बढ़ाने के लिए अतिरिक्‍त क्षेत्रफल कवरेज कार्यक्रम का कार्यान्‍वयन किया जा रहा है। वर्तमान वर्ष के दौरान 440 करोड़ रुपये भारत सरकार का 220 करोड़ रुपये का अंशदान परिव्‍यय प्रस्‍तावित है। दलहन उत्‍पादन को बढ़ाने के लिए दूसरा कार्यक्रम जिसे अनुमोदित किया गया है, वह 27 दलहन उगाने वाले राज्‍यों में कृषि विज्ञान केंद्रों को शामिल करना है। 12 करोड़ रुपये के परिव्‍यय से इनमें नई बीज किस्‍मों और प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया जाएगा ताकि अधिक उत्‍पादन किया जा सके। 

हाल के वर्षों में खाद्य तेलों की घरेलू खपत में काफी वृद्धि हुई है और वर्ष 2013-14 के दौरान इसका स्‍तर 21.06 मिलियन टन हो गया है। अभी भी वर्ष 2013-14 के दौरान हमने 56000 करोड़ रुपये से भी अधिक की लागत से 11 मिलियन टन वनस्‍पति तेल का आयात किया है ताकि वनस्‍पति तेल के उत्‍पादन और खपत के बीच के अंतर को समाप्‍त किया जा सके। अत: तिलहन उत्‍पादन एक बड़ी चुनौती है ताकि घरेलू मांग को पूरा किया जा सके और आयात बिल में कमी की जा सके। 

खरीफ और रबी/ग्रीष्‍म मौसम के दौरान लगभग 27 मिलियन हैक्‍टेयर क्षेत्र में देश भर में तिलहन की खेती की जाती है। मूंगफली और सोयाबीन दो प्रमुख तिलहन फसलें हैं जिन्‍हें अधिक निवेश जोखिम के साथ वर्षा सिंचित स्‍थिति में बृह्त स्‍तर पर बोया जाता है। तोरिया और सरसों प्रमुख रबी फसलें हैं जिन्‍हें पछेती खरीफ वर्षा पर निर्भर करते हुए 6-7 मिलियन हैक्‍टेयर क्षेत्र में बोया जाता है। सरसों की फसल में निम्‍न बीज दर (4-5 किग्रा. प्रति हैक्‍टेयर) का अतिरिक्‍त लाभ है और गेहूं (बीज 80-100 किग्रा. प्रति हैक्‍टेयर) की तुलना में सिंचाई सहित अन्‍य आदान का लाभ है। अत: गेहूं के कुछ वर्षा सिंचित क्षेत्रों में पहले से ही सरसों की खेती की जा रही है। अत: गेहूं के मामले में सरप्‍लस उत्‍पादन है और खाद्य तेलों के मामले में बहुत अधिक कमी है। कम गेहूं उत्‍पादक क्षेत्रों में सरसों की खेती की शुरूआत से न केवल आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी बल्‍कि किसानों को बेहतर लाभ भी मिलेगा। 

तिलहन के आयात को कम करने के लिए आयात शुल्‍क को कच्‍चे खाद्य तेल पर 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया था और रिफाइन्‍ड तेल के मामले में यह शुल्‍क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है। एनएमओओपी के तहत देश में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तिलहन के उत्‍पादन हेतु 200 करोड़ रुपये के परिव्‍यय से एक अतिरिक्‍त कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। 8 करोड़ रुपये के परिव्‍यय से कृषि विज्ञान केंद्रों के तहत नई बीज प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन के लिए दूसरे कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। ऐसे राज्‍य, जहां चावल की परती भूमि वाले क्षेत्र उपलब्‍ध हैं, उनमें पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाने के तहत प्रदर्शन की शुरूआत की गई। यह उपयोगी होगा यदि अन्‍य राज्‍य भी इस प्रकार के क्षेत्रों, जिनमें परती भूमि को तिलहन और दलहन की खेती के लिए उपयोग में लाया जा सके, को चिन्‍हित करें। इससे उपलब्‍ध नमी का लाभ लेने में मदद मिलेगी और देश की फसल गहनता में भी वृद्धि होगी। 

विलम्‍ब से और कम वर्षा की स्‍थिति में किसानों को प्रतिपूर्ति के लिए तिलहन फसलों हेतु वर्धित बीज राजसहायता प्रदान की गई थी। यह एनएमओओपी के तहत सामान्‍य किस्‍मों के मामले में 1200 से बढ़कर 1800 रुपये प्रति क्‍विंटल और तिलहन की संकर किस्‍मों के लिए 2500 रुपये से बढ़कर 2750 रुपये हो गई। एनएफएसएम के तहत चावल, गेहूं, दलहन और मोटे अनाजों के लिए भी इसी प्रकार की वृद्धि की गई है ताकि विलम्‍बित और कम मॉनसून की स्‍थिति में फसलों की पुन:बुआई के लिए किसानों को प्रतिपूर्ति प्रदान की जा सके।

जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी देश के किसानों के कल्‍याण के लिए कार्य करने हेतु तत्‍पर और कृतसंकल्‍प हैं। 15 अगस्‍त, 2015 को उन्‍होंने घोषणा की है कि हमारा मंत्रालय किसान कल्‍याण पर ध्‍यान केंद्रित करेगा ताकि हम कृषि क्षेत्र के दीर्घावधिक विकास को बढ़ावा दे सकें। अब हमारे मंत्रालय का नाम कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय हो गया है। हमारे विभाग का नाम कृषि, सहकारिता और किसान कल्‍याण विभाग हो गया है। एक संयुक्‍त सचिव स्‍तरीय अधिकारी की देखरेख में किसान कल्‍याण के लिए विभाग के भीतर एक प्रभाग तैयार किया गया है। अब से हम न केवल फसलों के उत्‍पदन और उत्‍पादकता को बढ़ाने के लिए काम करेंगे बल्‍कि किसानों की निवल आय को बढ़ाने पर भी ध्‍यान देंगे। रणनीति में निम्‍न लागत प्रौद्योगिकी को अपनाने के माध्‍यम से खेती की लागत को कम करना, समेकित राष्‍ट्रीय मंडी के माध्‍यम से उत्‍पाद का बेहतर मूल्‍य प्रदान करना, समग्र बीमा योजना के माध्‍यम से जोखिम कम करना और अन्‍य महत्‍वपूर्ण कल्‍याणकारी कार्यकलाप शुरू करना शामिल हैं। मैं अपने किसानों के जीवन को बेहतर बनाने में नवाचारी कार्यक्रम तैयार करने और शुरू करने में सभी राज्‍यों की सक्रिय भागीदारी की आशा करता हूं। इस संबंध में बेहतर परिणाम प्राप्‍त करने में केंद्र और राज्‍य दोनों को मिलकर काम करने की आवश्‍यकता है। 

सरकार किसानों के दीर्घावधिक हित के लिए कई कदम उठा रही है। मृदा स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देना इस प्रकार के महत्‍वपूर्ण कार्यक्रमों में से एक हैं। फरवरी, 2015 में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा एक नई योजना – मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड की शुरूआत की गई थी। देश में 14 करोड़ जोतों में मृदा परीक्षण आधारित उर्वरकों और आवश्‍यक मृदा पोषकतत्‍वों के प्रयोग को बढ़ावा देने का लक्ष्‍य है। 12 मापदंडों पर मृदा आधारित सेंपलिंग और परीक्षण में एकरूपता लाने पर जोर है। इन मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्डों का प्रत्‍येक 3 वर्ष में नवीनीकरण किया जाएगा ताकि मृदा स्‍वास्‍थ्‍य स्‍थिति में किसी भी प्रकार के परिवर्तन का लगातार मॉनिटरिंग किया जा सके। शुरूआत में योजना की अवधि 3 वर्ष की है। तथापि प्रथम चरण के दौरान 2 वर्षों के भीतर अर्थात वर्ष 2015-16 और 2016-17 में सभी जोतों को कवर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अत: वर्तमान वर्ष 2015-16 के लिए लक्ष्‍य को 83 लाख से बढ़ाकर 100 लाख नमूने कर दिया गया है। मृदा नमूना संकलन फील्‍ड स्‍तर पर सकारात्‍मक वातावरण सृजित करके अभियान मोड में किया जाएगा। मैं आपकी पूरी सहायता चाहता हूं। आप सभी यह जानते हैं कि वर्ष 2015 को ‘अंतर्राष्‍ट्रीय मृदा वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है। 

हम राज्‍य सरकार की सक्रिय भागीदारी से इस लक्ष्‍य को पूरा करने के लिए कृतसंकल्‍प है और वे आईसीएआर संस्‍थानों, एसएयू और केवीके को भी शामिल कर सकते हैं। राज्‍य सरकार अपने स्‍टाफ और प्रयोगशालाओं का उपयोग कर सकते हैं तथा वे मृदा परीक्षण के प्रयोजन के लिए निजी एजेंसियों को भी ऑउटसोर्स कर सकते हैं। दिशा निर्देशों में कुछ नमूनों के संकलन हेतु स्‍थानीय व्‍यक्‍ति को भी काम पर लगाने की व्‍यवस्‍था की गई है। इस स्‍कीम से ऐसे उर्वरकों, जो लागत की बचत करने वाले हैं, के संतुलित उपयोग को अपनाने के लिए किसानों को भी लाभ मिलेगा तथा प्रति यूनिट फसल उपज में सुधार होगा। 

नई मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं शीघ्र स्‍थापित करके तथा वर्तमान प्रयोगशाला जिनके पास सूक्ष्‍म पोषकतत्‍व पैरामीटरों को विश्‍लेषण करने की सुविधा नहीं है, को उन्‍नत बनाकर मृदा परीक्षण अवसंरचना को अद्यतन बनाया जाए तथा साथ ही आईसीएआर के सभी केंद्रों, एसएयू तथा केवीके की प्रयोगशाला सुविधाओं का भी उपयोग किया जाए। राज्‍य सरकार, आईसीएआर, एसएयू और केवीके के सेवा क्षेत्र तथा विभिन्‍न परीक्षण प्रयोगशाला के बीच विस्‍तृत मानचित्रण किया जाए ताकि मृदा नमूना संकलन तथा एसएचसी के वितरण के बीच में एक कड़ी हो। राज्‍य सरकारों सहित विभिन्‍न एजेंसियों के नियंत्रणाधीन सभी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को प्रतिदिन न्‍यूनतम 2 शिफ्ट में काम करने की सलाह दी जाए। स्‍थैतिक और गतिशील मृदा परीक्षण प्रयोगशाला को मजबूत बनाने के अलावा किए गए विस्‍तृत मानचित्रण के आधार पर जहां आवश्‍यक हो, अंतर को पाटने के लिए मिनी प्रयोगशालाओं का इस्‍तेमाल किया जाए। आईसीएआर ने ‘मृदा-परीक्षक’ नामक मिनी प्रयोगशाला विकसित की है। 

मुझे इस बात की जानकारी है कि राज्‍यों द्वारा इस संबंध में की गई प्रगति संतोषजनक है और कुछ राज्‍यों ने 60 प्रतिशत से भी अधिक लक्ष्‍य की प्राप्‍ति की है। फिर भी, हम मार्च 2016 तक 100 लाख मृदा संकलन और परीक्षण प्राप्‍त करना चाहेंगे। आपको अधिक तेजी से स्‍कीम की योजना बनानी होगी तथा उसे कार्यान्‍वित करना होगा। हमारे पास शेष मृदा नमूनों के संकलन के लिए अक्‍तूबर और नवम्‍बर दो महीने का अल्‍प समय होगा। हम इसके लिए तत्‍पर हैं कि किसान शीघ्र ही मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड प्राप्‍त करें तथा इससे लाभ उठाएं। मंत्रालय में मेरे अधिकारी इस कार्य को समय पर पूरा करना सुनिश्‍चित करने के लिए सभी संभावित सहायता प्रदान करेंगे। 

हमारी सरकार ने देश में केवल नीम कोटिड यूरिया उत्‍पादित करने के लिए इस वर्ष एक महत्‍वपूर्ण निर्णय लिया। यह पौधों को आसानी से पोषकतत्‍व उपलब्‍ध कराएगा। मैं आपको इसके उपयोग को बढ़ावा देने तथा अत्‍यधिक उपयोग तथा बरबादी से बचने की सलाह दूंगा। 

अन्‍य उभरती चिंता विभिन्‍न प्रकार उर्वरकों के उपयोग, जिससे मृदा स्‍वास्‍थ्‍य बिगड़ रही है, में असंतुलन को लेकर है। जैव कृषि को बढ़ावा देने तथा जैव उत्‍पादों को सक्षम मंडियों का विकास करने के लिए मेरे मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) के तहत ‘परम्‍परागत कृषि विकास योजना’ के अधीन दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। यह व्‍यापक जैव कृषि पद्धति को बढ़ावा देता है और यह मुख्‍यत: वर्षा सिंचित और पहाड़ी क्षेत्रों पर अपना ध्‍यान केंद्रित करेगा। राज्‍यों को उन क्षेत्रों में किसानों को प्रेरित करना चाहिए जो कम अकार्बनिक उर्वरकों का उपयोग करते हैं तथा उन्‍हें 50 एकड़ के समूह में संघटित करना चाहिए। यदि क्षेत्र कम्‍पैक्‍ट है तो जैव उत्‍पादों को अपनाना आसान होगा। किसानों को अपने आप को जैव किसान में परिवर्तित करने के लिए 3 वर्षों के दौरान प्रति एकड़ 20000 रुपये दिए जाएंगे। हमारा लक्ष्‍य देश में 5 लाख एकड़ तक प्रमाणित क्षेत्र बढ़ाने के लिए प्रत्‍येक 50 एकड़ के 10000 समूह का विकास करना है। हम प्रमाणीकरण की सहभागी प्रणाली अपना रहे हैं जिसमें किसान स्‍वयं जिम्‍मेवार होंगे। आपको यह सुनिश्‍चित करना होगा कि पीजीएस – इंडिया सफल हो तथा बाजार में विश्‍वसनीयता प्राप्‍त करे। 

सरकार ने वर्ष 2015-16 हेतु 300 करोड़ रुपये का आबंटन किया है। 6068 समूहों के विकास के लिए भारत सरकार के शेयर के 214.68 करोड़ रुपये से 22 राज्‍यों और एक संघशासित क्षेत्र की वार्षिक कार्य योजना का अनुमोदन किया गया है; इसमें से 163 करोड़ रुपये राज्‍यों को पहले ही निर्गत किए जा चुके हैं। जिन राज्‍यों में अब तक अपनी वार्षिक कार्य योजना नहीं भेजी है, वे शीघ्र ही प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत करें और जिन राज्‍यों ने निधियां प्राप्‍त कर लीं हैं प्रस्‍तावित समूह के गठन हेतु कार्य शुरू करें। 

अब हम जल के संबंध में विचार-विमर्श करना चाहते हैं क्‍योंकि यह फसल उत्‍पादन के लिए महत्‍वपूर्ण साधन है। इस संबंध में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) शुरू की गई जिसके अंतर्गत 5 वर्षों (2015-16 से 2019-20) के लिए 50000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय को पीएमकेएसवाई के कार्यान्‍वयन हेतु नोडल विभाग के रूप में अभिनामित किया गया है। वर्तमान वित्‍तीय वर्ष के लिए 5300 करोड़ रुपये का परिव्‍यय किया गया है जिसमें कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय के लिए 1800 करोड़ रुपये शामिल हैं। 

पीएमकेएसवाई सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला के संपूर्ण समाधान के परिकल्‍पना करती है अर्थात जल संसाधन, वितरण नेटवर्क फार्म स्‍तर अनुप्रयोग और नई प्रौद्योगिकियों एवं सूचना पर विस्‍तार सेवाएं। स्‍कीम को ‘विकेन्‍द्रीकृत राज्‍य स्‍तर योजना एवं परियोजनात्‍मक निष्‍पादन’ अपनाते हुए क्षेत्र विकास पद्धति से कार्यान्‍वित किया जाएगा जिसमें राज्‍यों को उनकी स्‍वयं की सिंचाई विकास योजनाएं तैयार करने के लिए अनुमत्‍य किया जाएगा। यह स्‍कीम उप जिला/जिला/राज्‍य स्‍तर पर व्‍यापक सिंचाई योजना के माध्‍यम से खेत स्‍तर पर सिंचाई में निवेश की समाभिरूपता के लिए एक प्‍लेटफॉर्म के रूप में सेवा करेगी। कृपया याद रहे कि ये स्‍कीमें केवल स्रोत सृजन पर फोकस की गई पिछली सिंचाई स्‍कीमों से भिन्‍न हैं और पीएमकेएसवाई का उद्देश्‍य स्रोत सृजन और जल प्रयोग कौशल दोनों पर है। माननीय प्रधानमंत्री ने सलाह दी है कि नौजवान आईएएस एवं आईएफएस अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाए और जिला सिंचाई योजनाएं तैयार करने के लिए नियोजित किया जाए। मैं इस बारे में आपका सक्रिय समर्थन चाहूंगा। 

बागवानी क्षेत्र में विभिन्‍न स्‍कीमों के कार्यान्‍वयन में संकेन्‍द्रित दृष्‍टिकोण के साथ भारत विश्‍व में फलों के विश्‍व में सबसे बड़े उत्‍पादक के रूप में उभरा है। इसी प्रकार भारत सब्‍जियों के लिए भी विश्‍व का सबसे बड़ा उत्‍पादक के रूप में उभरा है। हमनें फूलों, मसालों इत्‍यादि के उत्‍पादन में भी पर्याप्‍त उपलब्‍धि हासिल की है। बागवानी क्षेत्र के विकास के लिए कार्यान्‍वित की गई सभी स्‍कीमों एवं मिशनों को अब एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के छाते के तहत लाया गया है। इस क्षेत्र को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी द्वारा भी आदान मिल रहे हैं। हमने 2014 में ‘सीएचएएमएएन’ (चमन) प्रारंभ किया है जो बागवानी फसल के उत्‍पादन एवं क्षेत्र मूल्‍यांकन के लिए नई दूर संवेदी सुविधा है। उपभोक्‍ताओं को उचित दरों पर फल एवं सब्‍जियां उपलब्‍ध कराने के लिए दिल्‍ली में किसान मंडी स्‍थापित की जा रही है। इस बीच में किसान उत्‍पादन संगठनों (एफपीओ) द्वारा फलों एवं सब्‍जियों का सीधा विक्रय भी प्रारंभ किया गया है। मेरा मंत्रालय अनाजों के साथ-साथ फलों, सब्‍जियों, दलहनों एवं तिलहनों को बढ़ावा देने का इच्‍छुक है जिससे कि न केवल खाद्य सुरक्षा से संतोष किया जाए बल्‍कि देश की पोषक तत्‍व सुरक्षा भी हासिल की जा सके।

सतत उत्‍पादन पर जोर देने के साथ-साथ, हमें उस लाभ को भी ध्‍यान में रखना आवश्‍यक है जो एक किसान को उसके उत्‍पाद से प्राप्‍त होता है। वर्तमान में भारतीय कृषि बाजार एपीएमसी द्वारा विभाजित है। ये बाजार किसानों के लाभ के लिए अकुशल हैं। हमारी सरकार एक एकीकृत राष्‍ट्रीय बाजार सृजन करने के लिए प्रतिबद्ध है, वह किसानों को बेहतर लाभ वसूली में मदद करेगा। इस बारे में सरकार ने पहले ही ‘राष्‍ट्रीय कृषि बाजार’ के कार्यान्‍वयन की पहल कर दी है जिसे जुलाई, 2015 में घोषित किया गया था। स्‍कीम के अनुसार, देश में चुनिंदा 585 थोक विक्रय विनियंत्रित बाजारों को जोड़ने के लिए एक सांझा ई-नीलामी प्‍लेटफार्म नियोजित किया जाएगा। सरकार संबंधित अवसंरचना/उपस्‍कर अधिप्राप्‍त करने के लिए प्रति मंडी 30 लाख रू. और राज्‍यों को नि:शुल्‍क साफ्टवेयर उपलब्‍ध कराएगी। सफलता प्रत्‍येक मंडी में मानकीकरण एवं ग्रेडिंग सुविधाएं स्‍थापित करने पर निर्भर करेगी। ऐसी सहायता के लिए अर्हता के लिए राज्‍यों को अपने एपीएमसी अधिनियम को संशोधित करना होगा जिससे कि एकल बिन्‍दु शुल्‍क प्राप्‍ति, एकल व्‍यापार लाइसेंस, राज्‍य के मध्‍य जिंसों का मुक्‍त संचलन और ई-नीलामी प्‍लेटफार्म पर व्‍यापार को समर्थ बनाया जा सके। हमारा साफ्टवेयर दिसंबर के मध्‍य तक प्रारंभ किया जाएगा और आप सभी प्‍लेटफार्म प्रयोग करने के लिए तब तक तैयार रहें। हमारा लक्ष्‍य मार्च, 2016 तक कम से कम थोक बाजारों को जोड़ने का है। 

सूखा प्रभावित क्षेत्रों की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए हमारी सरकार ने 100 करोड़ रू. के आवंटन से फसलों की सिंचाई हेतु डीजल सब्‍सिडी स्‍कीम के कार्यान्‍वयन; बीजों की उपयुक्‍त किस्‍मों की पुन: बुवाई और/अथवा खरीद में किए गए अतिरिक्‍त व्‍यय हेतु किसानों को आंशिक रूप से क्षतिपूर्ति करने के लिए बीज सब्‍सिडी पर सीमा में वृद्धि; समेकित बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत 150 करेाड़ रू. के अतिरिक्‍त आवंटन से बारहमासी बागवानी फसलों से संबंधित कार्यों के कार्यान्‍वयन; और 50 करोड़ के आवंटन से राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना की उप स्‍कीम के रूप में अतिरक्‍त चारा विकास कार्यक्रम (एएफडीपी) के कार्यान्‍वयन की घोषणा की। 

सूखे की लंबी अवधि के वर्षा पैटर्न में हाल ही में हुए परिवर्तन जिसके परिणामस्‍वरूप कुछ क्षेत्रों में भू-जल के अति दोहन के साथ-साथ सूखे की स्‍थिति में भू-जल स्‍तर में तेजी से कमी आई है, पर विचार करते हुए केन्‍द्रीय भू-जल बोर्ड ने लगभग 150 ऐसे प्रखंडों/तालुकाओं को अधिसूचित किया है जो सर्वाधिक संवेदनशील है। ये क्षेत्र नियमित रूप से कृषि संकट का सामना कर रहे हैं तथा किसान दबाव की स्‍थिति में है। स्‍थिति की गंभीरता को महसूस करते हुए भारत सरकार ने सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने के लिए पहली बार प्रयास किया है जिनमें प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत जल संरक्षण हेतु तत्‍काल ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है। कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्‍याण विभाग ने हाल में सूखे के प्रभाव को कम करने तथा भू-जल पुनर्भरण में सुधार करने की प्रक्रिया में पहल करने के लिए 20 राज्‍यों/संघ शासित क्षेत्रों में भू-जल प्रखंडों को कवर करने के लिए वर्तमान वित्‍तीय वर्ष के दौरान 410 करोड़ रू. की राशि का आवंटन किया है।

चूंकि रबी मौसम आ रहा है, इसलिए राज्‍य सरकारें फसलों की अपेक्षित किस्‍मों की गुणवत्‍ता बीजों की पर्याप्‍त मात्रा की खरीद की योजना शुरू कर सकते हैं, किसानों के लिए उर्वरकों की पर्याप्‍त मात्रा एकत्र कर सकते हैं तथा सुनिश्‍चित कर सकते हैं कि बुआई मौसम के दौरान आदानों की कोई कमी ना रहे। राज्‍य सरकारें नहर प्रणाली तथा विद्युत में सिंचाई जल की पर्याप्‍त मात्रा छोड़ने के लिए भी प्रयास कर सकते हैं, जहां समय पर बुआई तथा रबी फसलों के क्षेत्र कवरेज में टयूबवेल सिंचाई प्रचलन में है। ऋण संपर्क एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण संपर्क है जिसे हमें सुनिश्‍चित करने की आवश्‍यकता है। उपज क्षमता सुनिश्‍चित करने में समय पर बुआई बहुत महत्‍वपूर्ण है। समय समय पर किसानों के साथ उत्‍पादन प्रौद्योगिकी शेयर करने के लिए विस्‍तार कर्मियों को प्रोत्‍साहित किया जाना चाहिए। समय पर किसानों के लिए महत्‍वपूर्ण सूचना पहुंचाने के लिए हमें सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है। मेरे मंत्रालय ने इस उद्देश्‍य से सॉफ्टवेयर विकसित किया है। कृपया उचित परामर्श भेजने के लिए एसएमएस सुविधा तथा किसान कॉल केन्‍द्र का उपयोग करें। हमने इस वर्ष किसान चैनल की शुरूआत की है, जो कृषि क्षेत्र के लिए समर्पित है। राज्‍य सरकारों द्वारा प्रभावपूर्ण तरीके से इसका उपयोग किया जाना चाहिए। 

अंत में, एक बार फिर मैं आप सबको तथा किसानों को कृषि क्षेत्र में प्राप्‍त महत्‍वपूर्ण उपलब्‍धियों के लिए बधाई देना चाहूंगा। हमारे किसान राष्‍ट्र की खाद्य सुरक्षा उपलब्‍धियों के लिए उत्‍तरदायी हैं। वे कई अन्‍य उत्‍पादों का भी उत्‍पादन कर रहे हैं जो कृषि-प्रसंस्‍करण उद्योग को बढ़ावा देता है तथा ऑफ-फार्म नौकरियां भी पैदा करता है। मुझे विश्‍वास है कि हमारे सम्‍मिलित प्रयासों से, हम 12 वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान परिकल्‍पित 25 मिलियन टन अतिरिक्‍त खाद्यान उत्‍पादन का लक्ष्‍य प्राप्‍त करने के योग्‍य होंगे। आज हमारे पास कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्‍याण विभाग, पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षण विभाग, उर्वरक विभाग के साथ नाबार्ड के प्रशासक एवं वैज्ञानिक हैं। हमारे पास आईसीएआर के वैज्ञानिक भी हैं। वे सभी आपकी सेवा में हैं। केन्‍द्र तथा राज्‍य सरकार दोनों को भारत के किसानों के हित में एक साथ कार्य करना होगा तथा मैं आप सभी से सम्‍मिलित तरीके से काम करने के लिए अपील करता हूं। 

मैं इस आशा के साथ भाषण समाप्‍त करता हूं कि राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों तथा अन्‍य विशिष्‍ट सहभागियों के बीच इस 2 दिवसीय परस्‍पर वार्ता से नई कार्य नीतियों के निर्माण में सहायता प्राप्‍त होगी जिससे देश को रबी मौसम में सफलता प्राप्‍त करने तथा देश के आर्थिक विकास तथा किसानों के कल्‍याण के लिए योगदान के लिए सहायता मिलेगी। 

मैं सम्‍मेलन के सफल होने की कामना करता हूं। 

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का राजदीप सरदेसाई को करारा थप्पड़

प्रिय राजदीप, 

आम तौर पर मैं वरिष्ठ पत्रकारों के सार्वजनिक पत्रों का जवाब नहीं देता, लेकिन आपका पत्र पढ़ने के बाद सोचा कि अगर जवाब नहीं दिया तो गोबल्स नीति सफल हो सकती है। आपका पत्र यानी सही जानकारी न लेकर सरकार को फटकारने की शानदार मिसाल है।
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आपने मुझे 2010 में देखा है ऐसा कहा है पर मैं तो आपको 2000 से देख और सुन रहा हूं। एक साहसी पत्रकार कालांतर में निजी एजेंडे और विशिष्ट वैचारिक निष्ठा से अभिभूत होकर किस तरह बेहद पक्षपाती हो सकता है यह देखना वेदनापूर्ण है!
राज्य सरकार के नाम पर कई अच्छे कामों की मुहर लगने के बावजूद आप अपनी मर्जी से तीन मुद्‌दे चुनकर सरकार के कामकाज का मूल्यांकन करना चाहते हैं। पर मैं आपसे कहना चाहता हूं कि पिछली सरकार के गलत व भ्रष्ट कामों के बारे में ठोस भूमिका अपनाने के संकल्प से मैं जरा भी विचलित नहीं हुआ हूं। इसका अनुभव आपको राज्य भ्रष्टाचार प्रतिबंधक ब्यूरो की ओर से की जा रही कई मामलों की जांच से आसानी से मिल सकता है।

मांसाहार पर पाबंदी लगाने के बारे में मेरी सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया। इस बारे में मेरे कार्यकाल से एक भी नया आदेश नहीं दिया गया। 2004 में कांग्रेस सरकार ने पर्यूषण पर्व के दौरान दो दिन कत्लखाने बंद रखने का फैसला किया था। मुंबई को लेकर ऐसे निर्णय पर 1994 से अमल किया जा रहा है। आश्चर्य है कि हमारे सत्ता में आने से पहले आप में से किसी ने आपत्ति नहीं जताई। यानी पहले की सरकार कितनी भी भ्रष्ट व अकार्यक्षम रही हो, उसकी ढोंगी एवं कथित धर्मनिरपेक्षता आपके विचारों से मेल खाती थी, इसलिए आपको आक्षेप नहीं था।

श्री राकेश मारिया के मामले में आप भ्रमित लगते हैं, इसीलिए दोनों तरह की बातें कह रहे हैं। पत्र के अंत में आपने लिखा, ‘चटपटी खबरों के पीछे पड़ा मीडिया भी उतना ही दोषी है। क्रूर हत्या के मामलों में उन्हें दिलचस्पी होती है, जबकी किसानों की मौत का जिक्र भी नहीं किया जाता।’ अब आप ही मुझे बताइए कि आप भी इसी कत्ल के मामले का संबंध पुलिस कमिश्नर के तबादले से कैसे लगा रहे हैं? पुलिस प्रमुख जांच अधिकारी नहीं होता। वह हमेशा नियंत्रक की भूमिका निभाता है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को उनकी तरक्की की तय तारीख से पहले उच्च पद पर नियुक्त करना नई बात नहीं है। सितंबर और अक्तूबर गणेश चतुर्दशी, बकरीद व नवरात्रि के होते हैं। त्योहार शुरू होने से पहले ही नया अधिकारी आए तो उसे सुरक्षा संबंधी योजनाएं बनाने के लिए समय मिलता है। योग्य फैसला करने का काम सरकार पर सौंप देना चाहिए।

आपकी राजद्रोह विषय पर लिखी टिप्पणी भी जानकारी के अभाव में तर्कहीन है। सरकार को आरोपी के पिंजरे में खड़ा करने की जिद में कोई व्यक्ति किस स्तर तक पक्षपाती बन सकता है, यह इसका उत्तम उदाहरण है। क्या माननीय हाईकोर्ट के किसी आदेश को पुलिस तक पहुंचाना गलत है? हमारी सरकार ने कोई भी फैसला नहीं किया। पिछली कांग्रेस सरकार ने मामले में माननीय हाईकोर्ट में एक हलफनामा पेश किया था। उस पर माननीय हाईकोर्ट ने विस्तार से फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया था कि राजद्रोह संबंधी आरोप कब और किस आधार पर लगाए जा सकते हैं। साथ ही कहा था कि ये निर्देश सभी पुलिस वालों को भेजे जाएं। फैसले का मराठी अनुवाद कर सभी पुलिस थानों के प्रमुखों को सर्कुलर के जरिये भेजा गया। अगर आपने सावधानी से उसे पढ़ा हो तो उसमें यह स्पष्ट तौर पर लिखा है कि सिर्फ अदालत के फैसलों पर निर्भर न रहें, राजद्रोह का आरोप लगाने से पहले स्वतंत्र रूप से कानूनी सलाह लें। और हां, यह बात जोर देकर कहना चाहूंगा कि राजद्रोह के बारे में कोई भी फैसला न तो हमारे मंत्रिमंडल ने लिया है न वह मान्यता के लिए राज्य सरकार के सामने लाया गया।

लेकिन श्रीमान सरदेसाई, आपको गहराई में जाकर मुद्‌दे को समझने की इच्छा नहीं है, क्योंकि आपको अपना वामपंथी झुकाव वाला एजेंडा पुरजोर तरीके से आगे ले जाना है। राज्य को अकालमुक्त करने के लिए चलाई जा रही जलयुक्त शिवार योजना का जिक्र करते हुए आपको कितना कष्ट हुआ। यह योजना बेहद सफल रही है। राज्य की जनता ने बेहद उदारता से 300 करोड़ रुपए का योगदान इसमें दिया है। इससे 6 हजार गांवों में तकरीबन एक लाख काम हम छह महीनों में पूरे कर सके। अब थोड़ी-सी बारिश में भी गांवों में पानी का विकेंद्रित जलसंचय उपलब्ध है। साथ ही जलस्तर भी बढ़ गया है। भारत के जलपुरुष राजेंद्र सिंहजी ने स्टाकहोम की अंतरराष्ट्रीय जल परिषद में इसे ऐतिहासिक मोड़ देने वाला प्रयोग घोषित किया है।

बुरा लगता है कि अपनी थाली में दो दिन मांसाहारी पदार्थ नहीं होंगे, यह सोचकर ही आप जैसे लोग बेचैन हो जाते हैं। दूसरी तरफ हमारा अन्नदाता किसान कुदरती प्रकोपों के कारण जिंदा रहने के लिए तड़प रहा है। श्रीमान सरदेसाई, मुझे आपसे ज्यादा किसान की थाली की चिंता है, इसीलिए राज्य सरकार ने 60 लाख किसानों को दो रुपए किलो गेहूं और तीन रुपए किलो चावल वितरित करने वाली अन्न सुरक्षा योजना तैयार की है। पिछले 15 साल के कुशासन व किसान आत्महत्या की यह विरासत हमारे लिए वास्तव में चुनौती है। इस कारण हमें नींद भी नहीं आती, लेकिन हमारी सरकार की ओर से शुरू की गई कुछ योजनाएं निश्चित रूप से अच्छे परिणाम सामने लाएंगी इसका मुझे भरोसा है। आपको अगर इसमें रुचि हो तो आइए और देखिए।

एक बात तो सच है कि मांसाहार बंदी हो या न हो, सामान्य जनता को इतनी ही आशा होती है कि उसकी थाली में रोटी या चावल होना चाहिए। मुझे इसी बात की ज्यादा चिंता है। आप अपनी थाली में क्या खा रहे हैं यह देखने के लिए मेरे पास समय नहीं है और न मैं उस बारे में चिंतित हूं। एअरकंडीशन्ड कमरों में बैठने वालों के लिए किसानों की चिंता के अलावा बाकी एजेंडे हो सकते हैं। श्रीमान सरदेसाई, आपके पत्र का ब्योरा आपके व्यावसायिक काम का हिस्सा हो सकता है, पर यह जवाब मेरी ओर से शुरू किए गए अभियान का हिस्सा है और मैं उसे पूरा किए बिना चैन से नहीं बैठूंगा। करो या मरो, यही मेरे जीवन का मंत्र है और आने वाला समय ही मेरा भाग्य तय करेगा।
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किसी भी तरह की द्वेषभावना के बिना, आपका नम्र, 
देवेंद्र फडणवीस 

बिहार चुनाव में राजनीतिक दलों को यूँ मिला है रेडियो और टीवी पर समय


बिहार विधान सभा के लिए आम चुनाव -2015- राजनीतिक दलों को प्रसारण/टेलेकास्ट के समय आबंटन के संबंध में
जन साधारण की सूचना के लिए विधान सभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों को प्रसारण /टेलेकास्ट समय आबंटन के संबंध में निर्वाचन आयोग द्वारा 18 सितंबर , 2015 को जारी सूचना आदेश संख्या 437/टीए-एलए 2015 की प्रति संलग्न है।

                  भारत निर्वाचन आयोग
             निर्वाचन सदन, अशोक रोड , नई दिल्ली-110001  
 संख्या 437/टीए-एलए 2015/ सूचना            तिथिः 18 सितंबर, 2015
लोक सभा आम चुनाव 1998 के अवसर पर 16 जनवरी , 1998 को आयोग के आदेश से मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सरकारी धन पोषण से सरकार के  स्वामित्व वाले टेलीविजन तथा रेडियो के निःशुल्क उपयोग करने का नया कार्यक्रम प्रारंभ हुआ । इस योजना का विस्तार 1998 के बाद राज्य विधान सभा के सभी आम चुनावों तथा 1999 , 2004 , 2009 तथा 2014 के लोक सभा आम चुनावों में किया गया ।
चुनाव तथा अन्य संबंधित कानून(संशोधन) अधिनियम , 2003 के माध्यम से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम , 1951 में संशोधन तथा उसके उपरांत अधिसूचित नियमों के साथ मीडिया पर मान्यता प्राप्त दलों द्वारा चुनाव प्रचार अभियान के लिए उचित समय की साझेदारी को वैधानिक आधार दिया गया है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम , 1951 के अनच्छेद 39 ए के नीचे वर्णित धारा (ए) का उपयोग करते हुए केंद्रीय सरकार ने  पूर्ण रूप से  नियंत्रित या ठोस रूप से धन पोषित प्रसारण मीडिया को इस उद्देश्य के लिए इलेक्ट्रानिक मीडिया के रूप में अधिसूचित किया है। इसलिए आयोग ने  बिहार विधान सभा आम चुनाव के लिए इलेक्ट्रानिक मीडिया पर उचित समय देने के लिए इस योजना का विस्तार किया है।
प्रसारण समय तथा टेलेकास्ट समय सुविधा बिहार से संबंधित केवल राष्ट्रीय पार्टियों तथा राज्य स्तर की मान्यता प्राप्त दलों को उपलब्ध होगी।
 योजना की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैः  

1.       यह सुविधा आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के क्षेत्रीय केंद्रों और बिहार मुख्यालयों में उपलब्ध होगी और इसे बिहार के अंदर अन्य स्टेशन  रिले करेंगे।
 टेलेकास्ट/ प्रसारण के लिए आबंटित समयः
2.       प्रत्येक राष्ट्रीय दल तथा मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी(बिहार के संबंध में मान्यता प्राप्त)  को  दूरदर्शन नेटवर्क के क्षेत्रीय केंद्रों तथा बिहार राज्य में आकाशवाणी के नेटवर्क पर समान रूप से 45 मिनट का आधार समय दिया जाएगा।
3.      बिहार राज्य के पिछले विधान सभा चुनाव में प्रदर्शन के आधार पर राजनीतिक दलों को अतिरिक्त समय देने का निर्णय लिया गया है।
4.      एकल प्रसारण सत्र में  किसी भी दल को 15 मिनट से अधिक समय नहीं दिया जाएगा।

 टेलेकास्ट/ प्रसारण का समयः 
5.       प्रसारण और टेलेकास्ट की अवधि बिहार राज्य में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि और मतदान से दो दिन पहले (प्रत्येक चरण में) के बीच की होगी।
6.      प्रसार भारती निगम आयोग के साथ परामर्श करके प्रसारण और टेलेकास्ट की वास्तविक तिथि और समय का निर्णय लेगा। यह दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के ट्रांसमिशन उपलब्धता को संचालित करने वाली तकनीकी अवरोधों  के अधीन होगा।
अग्रिम रूप से प्रतिलिपियों को सौंपनाः
7.       टेलेकास्ट तथा प्रसारण के लिए आयोग द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों का कड़ाई से  पालन किया जाएगा । पार्टियों को अग्रिम रूप से प्रतिलिपि और रिकार्डिंग प्रस्तुत करना होगा। राजनीतिक दल अपने खर्च पर प्रसार भारती निगम या दूरदर्शन/आकाशवाणी द्वारा निर्धारित तकनीकी मानकों को पूरा करने वाले स्टूडियो में रिकार्डिंग करा सकते हैं।  अग्रिम अनुरोध पर राजनीतिक दल विकल्प के रूप में दूरदर्शन तथा आकाशवाणी के स्टूडियो में भी रिकार्डिंग कर सकते हैं।  ऐसे मामलों में रिकार्डिंग राज्य की राजधानी में और अग्रिम रूप से दूरदर्शन और आकाशवाणी द्वारा इंगित समय में होगी।
पैनल संवाद तथा बहस  
8.       राजनीतिक दलों द्वारा प्रसारण के अतिरिक्त प्रसार भारती निगम दूरदर्शन/आकाशवाणी  के  केंद्र / स्टेशन पर अधिकतम दो पैनल संवाद या बहस आयोजित करेगा। ऐसे कार्यक्रम के लिए प्रत्येक योग्य दल अपना एक प्रतिनिधि नामांकित कर सकते हैं।
9.      भारत निर्वाचन आयोग प्रसार भारती निगम के साथ परामर्श करके एसे पैनल संवादों और बहस के लिए समन्वय करने वालों के नामों को मंजूरी देगा। 

टेलेकास्ट/ प्रसारण में दिशा-निर्देशों का पालनः  
10.   दूरदर्शन/आकाशवाणी पर टेलेकास्ट/ प्रसारण में निम्नलिखित बातों की अनुमति नहीं होगी।
·        अन्य देशों की आलोचना
·        धर्मों या समुदायों पर हमला
·        कोई भी अभद्र या मानहानि जनक बात
·        हिंसा को उकसाना
·        कोई भी बात जिससे न्यायालय की अवमानना न हो
·        राष्ट्रपति तथा न्यायपालिका की ईमानदारी पर टिप्पणी
·        राष्ट्र की एकता, संप्रभुता तथा अखण्डता को प्रभावित करने वाली कोई बात
·        किसी व्यक्ति का नाम लेकर आलोचना करना
राजनीतिक दलों के लिए टाइम बाउचर
11.  टाइम बाउचर पांच मिनट वर्ग में उपलब्ध होंगे और एक बाउचर में एक से दो मिनट का आवंटित समय होगा। राजनीतिक दल इसे अपनी सुविधा के अनुसार मिलाने के लिए स्वतंत्र हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों को समय का आवंटन इस प्रकार होगाः-

 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के नाम
राष्ट्रीय/क्षेत्रीय पार्टी का नाम
कुल आवंटित समय मिनट में
बाउचर कितने बार जारी हुए


प्रसारण
टेलीकास्ट
प्रसारण
टेलीकास्ट
बिहार

















TOTAL
बीजेपी
137
137
27 (5 मिनट प्रत्येक) + 1 (2मिनट)
27 (5 मिनट प्रत्येक) + 1 (2मिनट)
बीएसपी
63
63
12 (5 मिनट प्रत्येक) + 1 (3मिनट)
12 (5 मिनट प्रत्येक) + 1 (3मिनट)
सीपीआई
55
55
11 (5 मिनट प्रत्येक)
11 (5 मिनट प्रत्येक)
सीपीआई (एम)
49
49
9 (5 मिनट प्रत्येक) + 1 (4मिनट)
9 (5 मिनट प्रत्येक) + 1 (4मिनट)
आईएनसी
92
92
18 (5 मिनट प्रत्येक) + 1 (2मिनट)
18 (5 मिनट प्रत्येक) + 1 (2मिनट)
एनसीपी
55
55
11 (5 प्रत्येक)
11 (5 प्रत्येक)
जेडी (यू)
171
171
34 (5 मिनट प्रत्येक) + 1 (1मिनट)
34 (5 मिनट प्रत्येक) + 1 (1मिनट)
एलजेपी
83
83
16 (5 मिनट प्रत्येक) + 1 (3मिनट)
16 (5 मिनट प्रत्येक) + 1 (3मिनट)
आरजेडी
150
150
30 (5 मिनट प्रत्येक)
30 (5 मिनट प्रत्येक)
आरएलएसपी
45
45
9 (5  मिनट प्रत्येक)
9 (5  मिनट प्रत्येक)

900
900
            

राजनीतिक पार्टियों की सूची

क्रम सं.
संक्षिप्त नाम
स्थिति
पार्टी के नाम
1
बीजेपी
राष्ट्रीय पार्टी
भारतीय जनता पार्टी
2
बीएसपी
राष्ट्रीय पार्टी
बहुजन समाज पार्टी
3
सीपीआई
राष्ट्रीय पार्टी
भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी
4
सीपीआई (एम)
राष्ट्रीय पार्टी
भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (मार्कसवादी)
5
आईएनसी
राष्ट्रीय पार्टी
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
6
एनसीपी
राष्ट्रीय पार्टी
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
7
जेडी (यू)
राज्य पार्टी
जनता दल (यूनाइटेड)
8
एलजेपी
राज्य पार्टी
लोक जन शक्ति पार्टी
9
आरजेडी
राज्य पार्टी
राष्ट्रीय जनता दल
10
आरएलएसपी
 राज्य पार्टी
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी

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