साईं मंदिर तोड़ने के आदेश के विरोध में हिन्दू संगठनों का प्रदर्शन

पुराना बदरीनाथ मंदिर मार्ग पर बने साई मंदिर को तोड़ने के आदेश से नाराज साई भक्तों तथा हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने तहसील में प्रदर्शन कर उप जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है।

प्रदर्शन के दौरान पूर्व दायित्वधारी संदीप गुप्ता ने कहा कि कुछ शरारती तत्वों द्वारा जान बूझकर मंदिर को तोड़ने की साजिश की जा रही है। 

हिंदू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष विवेक गोस्वामी ने कहा कि नगर में तमाम अतिक्रमण हैं। मगर, उन्हें हटाने के बजाय प्रशासन सिर्फ मंदिर को हटाने के ही आदेश जारी कर रहा है जो गलत है। 

प्रदर्शन करने वालों में भाजपा के जिलाध्यक्ष ज्योति सजवाण, अशोक थापा, ओपी मुल्तानी, सुरेंद्र मल्होत्रा, वेदप्रकाश धींगड़ा आदि शामिल थे।

पेरू निवासी युवक दाह संस्कार की रस्म से प्रभावित होकर हिन्दू बना

सात समंदर पार दक्षिण अमेरिका के पेरू निवासी एक ड्रम प्लेयर ने दाह संस्कार की रस्म से प्रभावित होकर हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है।

काशी आकर उसने तीर्थ पुरोहित की मदद से बृहस्पतिवार सुबह गंगा तट पर अपने पिता और चाचा की अस्थियां विसर्जित की। साथ ही सविधि कर्मकांड भी किया। उसकी मानें तो मोक्ष के लिए जल्द ही उसके वतन के और लोग भी इस संस्कृति से जुड़ सकते हैं। इससे पहले वह ईसाई था।

पेरू के लिमा शहर निवासी सेरजियो विल्लाविसेन्सियो के हिंदू संस्कृति से प्रभावित होने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। वह 2010 में वाराणसी घूमने आया तो जीवन में पहली बार मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर शवों को चिताओं पर रखकर जलाते देख कौतूहल से भर गया था।

इसके बाद सेरजियो ने अंतिम संस्कार की इस भारतीय परंपरा को समझने के लिए हिंदू आचार्यों की भी मदद ली।

वतन जाने के बाद जब उसके पिता हिपोलिटो विल्लाविसेन्सियो का निधन हुआ, तब मां लूरदेच और अन्य रिश्तेदारों, पड़ोसियों की तमाम जिद के बाद भी सेरजियो ने अपने पिता के शव को दफनाने नहीं दिया।

उसकी पत्नी निकोल जो अमेरिकन कहानीकार है, वह भी अपने श्वसुर को दफनाने के ही पक्ष में थी। फिर भी सेरजियो ने पेरू में हिंदू प्राइस्ट (पुजारी) की तलाश की और हिंदू रीति के अनुसार अपने पिता के शव को चिता पर जलाया। मुंह में सोना, तुलसी डालने की भी रस्म पूरी की गई थी।

चिता पर शव रखने से पहले स्नान कराने के बाद घी का लेप भी कराया गया था। इसके बाद उसके चाचा अलजेंद्रो ओरे का निधन हुआ तब उनका भी उसने दाह संस्कार किया लेकिन इतना विधि-विधान नहीं हो सका था। पिता और चाचा की अस्थियां चुनकर घर में रख ली थी।

बृहस्पतिवार को सेरजियो ने अपने पिता और चाचा की अस्थियां गंगा में विसर्जित की। तुलसी घाट से लगे भदैनी पंप घाट पर उसने अस्थियों के विसर्जन के बाद श्राद्ध और पिंडदान कर अपने पुरखों के मोक्ष की रस्म भी पूरी कर ली।

सेरजियो ने अमर उजाला को बताया कि पूर्वजों को दफनाने की ही परंपरा थी लेकिन जब वह अपने पिता के शव को चिता पर मुखाग्नि दे रहा था तब वह दृश्य देखने के लिए न सिर्फ तमाम लोग पहुंचे बल्कि इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी भी ली।

उसे उम्मीद है कि अंतिम संस्कार की इस परंपरा का और लोग भी वहां जल्द ही अनुकरण कर सकते हैं।

सपा सरकार कर रही विहिप की संकल्प सभा पर रोक लगाने की तैयारी

विश्व हिंदू परिषद और प्रदेश सरकार के बीच एक बार फिर टकराव की नौबत आ गयी है। चौरासी कोसी परिक्रमा के बाद सरकार 18 अक्टूबर को होने जा रही विहिप की संकल्प सभा पर रोक लगाने की तैयारी कर रही है। 

इसके लिए जिलों के डीएम और एसपी को जिम्मेदारी सौंपी गयी है और इस बात के संकेत दे दिए गये हैं कि संकल्प सभा नहीं होने दी जायेगी।

इस सिलसिले में अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था मुकुल गोयल ने बताया कि जिला प्रशासन इसे देख रहा है। अगर शांति-व्यवस्था के लिए इन सभाओं से दिक्कत हुई तो इसके आयोजन की अनुमति नहीं दी जायेगी। 

प्रदेश में चौरासी कोसी परिक्रमा और पंचकोसी परिक्रमा के बाद अब विश्व हिंदू परिषद राम मंदिर निर्माण के लिए हर जिले में संकल्प सभा को सफल बनाने के अभियान में पूरी तरह से जुटी है। विहिप प्रमुख अशोक सिंहल ने देशभर में एक लाख स्थानों पर संकल्प सभाओं का आयोजन करने का एलान किया है।

कश्मीर में हिंदू मंदिरों के संरक्षण संबंधी बिल को सरकार ने टाला

कश्मीर में हिंदू मंदिरों व धर्मस्थलों के संरक्षण संबंधी बिल फिर अगले सत्र के लिए टल गया है। बुधवार को हंगामे और शोर शराबे के बीच ही सदन ने इस बिल को अगले सत्र में पेश किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।

स्पीकर मुबारक गुल द्वारा सदन के मौजूदा सत्र को अनिश्चतकाल के लिए स्थगित किए जाने से पूर्व विधानसभा ने चार प्रस्ताव मंजूर किए। राज्य विधानसभा में जिस समय पूर्व थलसेना प्रमुख जनरल वीके सिहं के मुद्दे पर समूचा विपक्ष हंगामा कर रहा था, उस समय विधि एवं संसदीय मामलों के मंत्री मीर सैफुल्ला ने कश्मीरी हिंदू श्राइन एवं रिलिज्यस प्लेसिस (मैनेजमेंट एंड रेग्युलेशन) बिल, 2009 (एलए बिल संख्या: 11, वर्ष 2009) पर चयन समिति की रिपोर्ट को अगले सत्र के अंतिम दिन तक पेश किए जाने का प्रस्ताव पेश किया। 

विपक्ष नारेबाजी और हंगामे में व्यस्त रहा और सत्तापक्ष के विधायकों के ध्वनिमत में यह प्रस्ताव पारित हो गया। इसी तरह जम्मू-कश्मीर मेंकृषि योग्य भूमि के गैर कृषि कार्यों के लिए इस्तेमाल संबधी बिल पर संयुक्त चयन समिति की रिपोर्ट को पेश करने के लिए अगले सत्र के अंतिम दिन तक की अनुमति के लिए प्रस्ताव पेश किया। यह प्रस्ताव भी ध्वनिमत से पारित हो गया। 

जम्मू-कश्मीर निजी सुरक्षा एजेंसियों के संदर्भ में बिल पर गठित चयन समिति की रिपोर्ट को भी अगले सत्र के अंतिम दिन तक पेश किए जाने का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया। मध्य और उत्तरी कश्मीर में वेटलैंड पर हुए कब्जों और काचराई व कृषि भूमि के गैर कृषि कार्यों के इस्तेमाल पर गठित हाऊस कमेटी की रिपोर्ट को अगले सत्र के अंतिम दिन तक पेश किए जाने की इजाजत के लिए प्रस्ताव ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया।

सपा के नेता शिवपाल के साथ घूमा दंगे का आरोपी मौलाना

मुजफ्फरनगर में भड़के सांप्रदायिक दंगे के नामजद आरोपियों पर एक तरफा कार्रवाई के आरोपों में कहीं न कहीं सच्चाई भी दिखाई देती है। खासकर सत्ता पक्ष से जुड़े आरोपियों की ओर से तो शायद पुलिस-प्रशासन ने आंख ही मूंद रखी है। जानसठ क्षेत्र में भड़की हिंसा में नामजद हुए आरोपियों में से एक मौलाना नजीर इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। उन पर दंगा और हिंसा भड़काने का मुकदमा दर्ज है, लेकिन सूबे की सरकार इसकी साफ अनदेखी कर रही है। अभी हाल ही में मौलाना नजीर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से मिलने विशेष विमान से लखनऊ गए थे। अब शनिवार को जब उप्र सरकार के मंत्री शिवपाल यादव कवाल आए तो वहां भी मौलाना मंत्री के बगलगीर बने रहे। इतना ही नहीं, मंत्री की मौजूदगी में उन्होंने उत्तेजक बयान भी दे डाला।

कवाल में मौलाना नजीर ने शिवपाल के सामने कहा- 'जानसठ महाभारतकालीन इलाका है। यहां महादेव मंदिर पर हुई कौरव-पांडव की बैठक ने युद्ध टाल दिया था। जानसठ आने पर दोनों पक्षों को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। हमारी कौम शुरू से ही अमन पसंद रही है, लेकिन कोई हमारा गला काटने आएगा तो हम बख्शेंगे नहीं।'

मलिकपुरा की महिलाओं व पुरुषों ने शिवपाल से कहा, घटनाओं पर अंकुश लगाना है तो पहले अपनी पार्टी के नेताओं को काबू में करो।

आरोप लगाया कि २७ अगस्त से सात व आठ सितंबर की घटनाओं तक सपा के मंत्री आजम खां और कई क्षेत्रीय नेताओं ने अहम भूमिका निभाई थी। अगर समय रहते इन नेताओं पर काबू पा लिया होता तो दंगे की आग में न जलता। महिलाओं ने कहा कि सपा नेताओं पर लगाम नहीं लगी तो दंगे होते रहेंगे।

यह है अखिलेश यादव सरकार का दोगलापन । जिस अखिलेश सरकार ने भाजपा के हिंदू विधायकों पर दंगा भडकाने के नाम पर रासुका लगाकर उन्हें जेल भेज दिया है, उसी अखिलेश सरकार ने दंगा फैलाने वाले मौलाना को सरकारी मेहमान बनाकर शांति कायम रखने के लिए सहयोग मांगा है । अब सभी हिंदूओं को हिंदूद्रोही अखिलेश सरकार के खिलाफ वैध मार्ग से विरोध करना चाहिए । यह स्थिती बदलने के लिए सभी हिंदूओं को संगठित होकर शीघ्रातीशीघ्र ‘हिंदूराष्ट्र’ की स्थापना करनी चाहिए ।

छत्तीसगढ़ के 19 परिवारों के 109 लोग ईसाई से पुनः हिंदू बने

छत्तीसगढ़ में ग्राम पंचायत जामजुनवानी के गांव नवराटिकरा के जनजातीय परिवारों ने युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से भटकते देख फिर से अपने पुरखों का धर्म अपना लिया। गांव के 19 परिवारों के 109 लोग ईसाई से हिंदू बन गए। स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां के वनवासियों को प्रलोभन देकर वर्षों पहले उनका धर्मांतरण कराया गया था। इस कारण आदिवासियों की प्राचीन संस्कृति विलुप्त होने के कगार पर है और युवा पीढ़ी पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है।

गांव नरवाटिकरा में 'जात भीतर' कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें पूर्व अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री गणेश राम भगत भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि वनवासियों का धर्मांतरण रोकने के लिए सभी को अपनी भागीदारी निभाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वनवासियों का धर्मांतरण होने के बाद इस वर्ग के युवक जघन्य अपराधों की ओर प्रेरित होने लगे हैं। विकास की राह से भटकने वाले इन युवकों को अच्छे रास्ते पर ले जाने के लिए जात भीतर कार्यक्रम आदिवासियों के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

भगत ने ग्राम नरवाटिकरा में 19 परिवार के 109 लोगों को उनके मूल धर्म हिंदू में वापसी कराई। यहां के सरना स्थल में एकत्रित ग्रामवासियों ने अपने धर्मांतरण को लेकर पश्चाताप किया। इस कार्यक्रम में हिंदू धर्म में वापसी करने वाला परिवार कोरोंजो एक्का, कपील एक्का, संजय लकड़ा व बीरबल मिंज का कहना था कि उनके पुरखों ने धर्मांतरण कर लिया था, दूसरे धर्म में रहकर वे घुटन और अकेलापन महसूस कर रहे थे

जुलू राम का कहना था कि हिंदू धर्म से भटकने के बाद उनकी युवा पीढ़ी अपराध की दुनिया में भटक गई थी। अपने प्राचीन त्योहार और समाज के रीति रिवाजों से दूर चले जाने का उन्हें बेहद अफसोस है, इसलिए उन्होंने हिंदू धर्म में लौटने का फैसला किया है। जात भीतर कार्यक्रम होने से पूरे गांव में उत्साह का माहौल है। पुराने हिंदू परिवार के लोगों ने इन्हें एक दिन पहले सरना स्थल पर बैठाकर उन्हें हिंदू धर्म अपनाने का संकल्प दिलाया था। इसके बाद गांव में जनसभा का भी आयोजन किया गया।

पूर्व मंत्री भगत ने जनसभा में कहा कि जब भी मनुष्य अपनी भूल को समझ लेता है, उसी दिन से उसका नया सबेरा शुरू हो जाता है। उन्होंने कहा कि नरवाटिकरा के लोगों ने पाश्चात्य संस्कृति को छोड़ने का जो साहस दिखाया है, इससे अन्य सैकड़ों लोगों को भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ने की प्रेरणा मिलेगी।

भगत ने कहा, 'हम लोग अपने दिवंगत नेता दिलीप सिंह जूदेव के दिखाए मार्ग पर चलकर उनके सपनों को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं।' उन्होंने कहा कि जूदेव ने भी 'आपरेशन घर वापसी' कार्यक्रम चलाकर हजारों वनवासियों को नया रास्ता दिखाया था। जनसभा में जशपुर के प्रमुख हिंदू नेता रामप्रकाश पांडेय, सत्यप्रकाश तिवारी, डॉ.आजाद, रम्मू शर्मा, बिशु शर्मा, रोशन साय पैंकरा, बलदेव जोशी सहित वनवासी कल्याण आश्रम के कई प्रमुख लोग उपस्थित थे।

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