यूँ लगता है कि भ्रष्टाचार का कोई आरोप हमारी केंद्र सरकार पर असर नहीं डालता. शायद इसीलिए दूरसंचार मंत्री ए राजा के बचाव के लिए केंद्र सरकार ने सारी हदें पार कर दीं हैं. राजा का बचाव करते हुए सरकार ने 2008 में 2G स्पेक्ट्रम आवंटन में अनियमितता पर कैग की रिपोर्ट के जबाब में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. दूरसंचार मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा है कि इस प्रकार के फैसले सरकारी नीति के अनुरूप लिए गए और नीतिगत मामलों में कैग को बोलने का कोई हक़ नहीं है.
क्या यही भ्रष्टाचार हमारा राष्ट्रीय स्वभाव बन चुका है? हमारा लालच हमें संवेदना से रिक्त कर चुका है और हमें अब किसी बात पर शर्म नहीं आती. ऐसे कठिन समय में हम उम्मीद से खाली हैं क्योकि इस लालच से मुक्ति की सम्भावना कहीं नज़र ही नहीं आती, राष्ट्रमंडल खेलों में भी हमने अपनी आखों से इस बेशर्मी के तमाम उदहारण देखे, पर बात लीपापोती पर जाकर समाप्त हो गई.
अब हमें इन सवालों के जबाब खोजने ही होगे और इनका जबाब सरकार से मांगना ही होगा कि शहीदों के खून से खिलवाड़ करने वाले मुख्यमंत्री को पद से हटा देने भर से क्या यह मुद्दा खत्म हो जाता है ?
देश की जनता सरकार के इस भ्रष्टाचार के नंगे नाच को चुपचाप देख रही है, न जाने कब तक ???
क्या यही भ्रष्टाचार हमारा राष्ट्रीय स्वभाव बन चुका है? हमारा लालच हमें संवेदना से रिक्त कर चुका है और हमें अब किसी बात पर शर्म नहीं आती. ऐसे कठिन समय में हम उम्मीद से खाली हैं क्योकि इस लालच से मुक्ति की सम्भावना कहीं नज़र ही नहीं आती, राष्ट्रमंडल खेलों में भी हमने अपनी आखों से इस बेशर्मी के तमाम उदहारण देखे, पर बात लीपापोती पर जाकर समाप्त हो गई.
अब हमें इन सवालों के जबाब खोजने ही होगे और इनका जबाब सरकार से मांगना ही होगा कि शहीदों के खून से खिलवाड़ करने वाले मुख्यमंत्री को पद से हटा देने भर से क्या यह मुद्दा खत्म हो जाता है ?
देश की जनता सरकार के इस भ्रष्टाचार के नंगे नाच को चुपचाप देख रही है, न जाने कब तक ???
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