अग्निवेश के सिर को कलम करने वाले को 5 लाख रुपए नगद इनाम - हिन्दू महासभा

हिंदू महासभा ने स्वामी ? अग्निवेश के सिर को कलम करके लाने वाले को 5 लाख रुपए नगद इनाम देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि स्वामी अग्निवेश एक देश द्रोही है.
  
यह बातें हिन्दू महासभा के प्रदेशाध्यक्ष धर्मपाल सिवाच ने जींद में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही. हिंदू महासभा ने स्वामी अग्निवेश पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि स्वामी अग्निवेश एक देशद्रोही है.

उन्होंने कहा संत समाज ने तो इस देश द्रोही को निकाल दिया अब आर्य समाज भी इस देश द्रोही को अपने समाज से निकाल दे.  उन्होंने कहा अगर आर्य समाज स्वामी अग्निवेश को नहीं निकालता तो इसका बुरा हश्र करने वाले को यह इनाम दिया जायेगा.

इसके साथ ही महासभा ने एक और एलान करते हुए कहा कि जो मसर्रत का भी सर कलम करेगा उसे भी हिंदू महासभा सम्मानित करेगा.

लोकसभा में किसानों की आत्महत्या पर प्रधानमंत्री मोदी का भावुक वक्‍तव्‍य

आदरणीय सभापति जी, 

कई वर्षों से, किसानों की आत्महत्या, समग्र देश के लिए चिंता का विषय रहा है। समय समय पर, हर सरकार ने, उनसे जो भी संभव हुआ, करती रही है। कल की घटना के कारण पूरे देश में जो पीड़ा है, उसकी अभिव्यक्ति सदन के भी सभी माननीय सदस्यों ने की है। मैं भी इस पीड़ा में सहभागी होता हूँ। यह हम सब का संकल्प रहे, हम सब मिल कर के, इस समस्या का समाधान कैसे ढूंढें। समस्या बहुत पुरानी है, समस्या बड़ी व्यापक है, और उसे उस रूप में लेना पड़ेगा। 

जो भी अच्छे सुझाव होंगे उसे ले करके चलने के लिए सरकार तैयार है। किसान की ज़िंदगी से बड़ी कोई चीज़ नहीं होती। इंसान की ज़िंदगी से बड़ी कोई चीज़ नहीं होती। और इसलिए, राजनाथ जी ने सरकार की तरफ से जो जानकारी देनी थी वह आपको दी है, लेकिन मैं, इस सदन की पीड़ा के साथ अपने आप को जोड़ते हुए..., हम सब, दल कोई भी हो, देश बहुत बड़ा होता है, समस्या पुरानी है, गहरी है, हम सबको सोचना होगा कि हम कहाँ गलत रहे, वो कौनसे गलत रास्ते पर चल पड़े, वो कौनसी कमियां रही, पहले क्या कमियां रही, पिछले दस महीनों में क्या कमियां रही, यह सबका दायित्व है। 

लेकिन किसानों की इस समस्या के समाधान का रास्ता हमको खोजना है, और मैं इस विषय पर खुले मन से, जो भी सुझाव आये, आप ज़रूर बताइये, हम कोई न कोई रास्ता निकालने का प्रयास करेंगे। किसान को असहाय नहीं छोड़ सकते। हमने उसके साथ, उसके दुःख में सहभागी होना है, उसके भविष्य के लिए भी सहभागी होना है। और उस संकल्प... आज की चर्चा में वो संकल्प उभर कर आये, सामूहिक संकल्प उभर कर आये, कि हम सब मिलकर, अब हमारे किसानों को हम न मरने दें, मैं इतनी ही प्रार्थना इस सदन को करता हूँ।" 

रेलवे ने अनारक्षित टिकट के लिए मोबाइल एप्लिकेशन [UTS]लांच किया

रेल बजट 2015-16 में किए गए एक और वादे को पूरा करते हुए रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने एक समारोह में चेन्नई के एग्मोर-ताम्बरम उपनगरीय खंड पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कागज रहित अनारक्षित टिकट के लिए मोबाइल एप्लिकेशन लांच किया। रेल बजट में की गई अपनी घोषणा का जिक्र करते हुए रेल मंत्री ने कहा कि यात्रियों की खातिर रेलवे 'ऑपरेशन पांच मिनट' के प्रति कटिबद्ध है। 'ऑपरेशन पांच मिनट' के तहत महज पांच मिनट के भीतर कोई भी अनारक्षित ट्रेन टिकट खरीदा जा सकता है और कागज रहित अनारक्षित मोबाइल टिकट को आज लांच किया जाना इस दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा कि इस सुविधा के तहत यात्री कहीं आते-जाते वक्त भी टिकट खरीद सकते हैं और अपने मोबाइल फोन पर आए टिकट संबंधी एसएमएस को दिखाकर निर्धारित ट्रेन से सफर कर सकते हैं।

इसके लिए टिकट का प्रिंट लेने की कतई जरूरत नहीं है। श्री सुरेश प्रभु ने कागज रहित अनारक्षित टिकट मोबाइल एप्लिकेशन विकसित करने के लिए 'क्रिस' के सभी सदस्यों की सराहना की और अन्य आईटी परियोजनाओं के जल्द पूरा होने की उम्मीद जताई। रेल मंत्री ने कहा कि अनूठे विचारों का सदैव ही स्वागत है। रेल मंत्री ने कहा कि उन्होंने 'कायाकल्प' परिषद का गठन किया है, जो भारतीय रेलवे की बेहतरी के लिए अनूठे विचारों पर गौर करेगी। श्री सुरेश प्रभु ने भारतीय रेलवे के एक आईटी प्रकोष्ठ रेलवे सूचना प्रणाली केन्द्र (क्रिस) में भारतीय रेलवे डाटा सेंटर की आधारशिला रखने के लिए एक पट्टिका का अनावरण भी किया, जो आवश्यक कम्प्यूटर उपकरणों को सहेज कर रखने की अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करेगा। श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि वह इस नई इमारत के पर्यावरण अनुकूल होने की उम्मीद करते है। उन्होंने उच्च गुणवत्ता एवं कम लागत सुनिश्चित करते हुए तय समयसीमा से पहले ही इस इमारत का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए अधिकारियों का आह्वान किया। 

इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए.के. मित्तल ने कहा कि वर्ष 1986 से ही भारतीय रेलवे की एक आईटी शाखा के रूप में कार्यरत क्रिस ने रेलवे से जुड़े व्यापक आईटी एप्लिकेशन जैसे यात्री आरक्षण प्रणाली, अनारक्षित टिकट प्रणाली और माल ढुलाई परिचालन सूचना प्रणाली का प्रबंधन करने में अपनी क्षमता पहले ही सफलतापूर्वक साबित कर दी है। उन्होंने कहा कि विगत वर्षों के दौरान क्रिस ने अन्य केन्द्रीकृत एप्लिकेशन जैसे कंट्रोल ऑफिसर एप्लिकेशन, क्रू मैनेजमेंट सिस्टम और एकीकृत कोचिंग प्रबंधन प्रणाली को क्रियान्वित किया है। श्री मित्तल ने कहा कि क्रिस द्वारा इन बड़ी प्रणालियों को विकसित एवं क्रियान्वित करने की चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करने से भारतीय रेलवे की परिसंपत्तियों के कारगर इस्तेमाल में व्यापक बदलाव देखने को मिलेंगे और इसके साथ ही लागत कम होगी तथा उसकी सेवाएं भी बेहतर होंगी। 

रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) श्री अजय शुक्ला ने कहा कि अनारक्षित टिकट प्रणाली क्रिस द्वारा विकसित की गई एक महत्वपूर्ण राजस्व अर्जक प्रणाली है। उन्होंने कहा कि तकरीबन दो करोड़ यात्रीगण हर दिन लगभग 11470 काउंटरों और 5836 स्थानों पर अनारक्षित टिकट खरीदते हैं, जिनसे हर रोज करीब 52 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित होता है। उन्होंने भारतीय रेलवे हेतु कागज रहित अनारक्षित टिकट प्रणाली का मोबाइल एप्लिकेशन सफलतापूर्वक विकसित करने के लिए क्रिस को बधाई दी। 

'डिजिटल इंडिया' विज़न से तालमेल बैठाते हुए क्रिस ने एंड्रॉयड एवं विंडोज़ दोनों ही प्लेटफॉर्म के लिए मोबाइल एप्लिकेशन 'अटसनमोबाइल' में कागज रहित अनारक्षित टिकट की सुविधा विकसित की है। इससे स्टेशनों पर स्थित एटीवीएम पर अनारक्षित टिकटों का प्रिंट निकालने की कोई जरूरत नहीं रह जाएगी। यूजर्स इसके लिए गूगल प्ले स्टोर या विंडो स्टोर से ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। 

दक्षिणी रेलवे में चेन्नई के एग्मोर-ताम्बरम उपनगरीय खंड पर एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में यह एप्लिकेशन लांच किया गया है, जिसके तहत 15 स्टेशनों को कवर किया गया है। कागज रहित टिकट हेतु एग्मोर-ताम्बरम उपनगरीय खंड के उपनगरीय रेलवे ट्रैक के लिए जीपीएस समन्वय स्थापित करता है। इसके अलावा पटरी के दोनों ही तरफ 15 मीटर तक के क्षेत्र को जियो-फेंसिंग क्षेत्र निर्धारित किया गया है, जिसके दायरे में किसी भी टिकट बुकिंग की इजाजत नहीं होगी, ताकि यात्रीगण सफर शुरू होने से पहले ही टिकट जरूर हासिल कर लें। कागज रहित टिकट प्रणाली के क्रियान्वयन के बाद चेन्नई-एग्मोर से लेकर ताम्बरम तक के खंड पर स्थित एटीवीएम पर टिकट प्रिंट करने की सुविधा नहीं होगी। 

इस एप्लिकेशन में ऑन-स्क्रीन अलर्ट देने की सुविधा है, जिससे बुकिंग प्रक्रिया के दौरान यात्री का मार्गदर्शन होता रहेगा। इस ऐप में दी गई 'रेलवे वॉलेट' सुविधा के जरिए टिकट का भुगतान किया जाता है। टिकट की बुकिंग के बाद संबंधित यात्री को 'टिकट पुष्टि स्क्रीन' हासिल होगी, जिसमें टिकट के बारे में सीमित सूचनाएं होंगी। सफर के कागज रहित टिकट को इनक्रिप्टेड स्वरूप में लोकल मोबाइल एप्लिकेशन डेटाबेस पर स्टोर किया जाएगा, जिसके साथ छेड़छाड़ करना कतई संभव नहीं होगा। उपनगरीय खंडों के लिए तय नीति के मुताबिक संबंधित यात्री को एक घंटे के भीतर अपना सफर शुरू कर देना होगा। कागज रहित मोड में बुक किए गए टिकट को निरस्त नहीं किया जा सकेगा। इसका मुख्य उद्देश्य सफर के बाद रिफंड का दावा करने से यात्री को रोकना है।

उपर्युक्त ट्रेन टिकट में हर दिन कोई खास कलर स्कीम होगी और उसके साथ क्विक रेस्पांस (क्यूआर) कोड होगा। इसे किसी अन्य मोबाइल पर फॉरवर्ड नहीं किया जा सकेगा और न ही उसकी एडिटिंग अथवा प्रिंटिंग हो सकेगी। पुराने अमान्य टिकटों को ऐप में दी गई एक खास सुविधा के जरिए मोबाइल फोन से हटाया जा सकेगा। 

टिकट को चेक करने के लिए एप्लिकेशन में अनेक सुविधाएं दी गई हैं। इनमें कलर स्कीम, टिकट दिखाने की सहूलियत, किसी खास दिन का गोपनीय कोड, टिकट की बुकिंग का समय और 'आईआर अनारक्षित टिकट' को स्क्रॉल करने की सुविधाएं शामिल हैं। 

भारतीय रेलवे डाटा सेंटर दरअसल 'क्रिस' के मौजूदा कार्यालय के परिसर में एक नई इमारत के रूप में होगा। भारतीय रेलवे अपने ग्राहकों से जुड़ी वाणिज्यिक गतिविधियों, रेलगाड़ियों के परिचालन और इंटरनेट के प्रबंधन के लिए सूचना प्रौद्योगिक (आईटी) पर काफी हद तक निर्भर है। 

इस मोबाइल एप्प को अपने एंड्राइड फोन पर डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें :


सार्वजनिक समारोह के बाद सफाई हेतु जमा करानी होगी 10 हज़ार से 1 लाख तक की सिक्‍यूरिटी

स्‍वच्‍छ भारत मिशन में सहयोग देते हुए शहरी विकास मंत्रालय ने सार्वजनिक सभाओं और किसी अन्‍य समारोह के दौरान और उसके बाद सफाई सुनिश्चित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है। शहरी विकास मंत्री श्री वेंकैया नायडू द्वारा मंजूर इस प्रक्रिया के अंतर्गत ऐसे समारोहों के आयोजक सफाई के लिए जवाबदेह होंगे और उन्‍हें आयोजन की इजाजत लेने के लिए सिक्‍यूरिटी जमा करानी होगी। आयोजकों द्वारा सफाई नहीं करवाने पर सम्‍बद्ध नगर निगम जमा राशि का इस्‍तेमाल करते हुए सफाई कार्य करेगा।

मंत्रालय ने सार्वजनिक समारोहों और बैठकों के दौरान पानी की बोतलें, खाने-पीने का बचा-खुचा सामान, इस्‍तेमाल किए गए फूलों, पैकेजिंग सामग्री और रैपर आदि बिखराकर गंदगी फैलाने को गंभीरता से लिया था। इसके अलावा सार्वजनिक सुविधाएं नहीं होने के कारण आसपास की जगहों में अस्‍वास्‍थ्‍यकर माहौल पैदा होता है।  नये नियमों के अंतर्गत आयोजकों को सफाई सुनिश्चित करने का वचन देना होगा और धनराशि जमा करानी होगी। नियमों का पालन नहीं करने पर धनराशि जमा करानी होगी। 500 लोगों के एकत्र होने पर 10,000 रूपये जमा कराने होंगे, 50,000 लोगों के एकत्र होने पर 50,000 रूपये और 50,000 से ज्‍यादा लोगों के एकत्र होने पर 1,00,000 रूपये सिक्‍यूरिटी देनी होगी। सिक्‍यूरिटी नहीं देने पर सम्‍बद्ध एजेंसियों को इजाजत नहीं दी जाएगी।

आयोजकों को पर्याप्‍त कूड़ेदानों और सार्वजनिक सुविधाओं की व्‍यवस्‍था करनी होगी। परिसर में उचित सफाई के लिए पर्याप्‍त संख्‍या में सफाई कर्मचारियों को तैनात करना होगा। समारोह समाप्‍त होने के बाद आयोजकों को नगर निगम द्वारा तय कूड़े को नजदीकी कूड़ाघर तक पहुंचाने की व्‍यवस्‍था करनी होगी। आयोजकों को समारोह समाप्‍त होने के छह घंटे के भीतर परिसर के मालिक को साफ-सुथरा स्‍थान सौंपना होगा। यदि आयोजक सफाई करवा देते हैं तो डिमांड ड्राफ्ट के रूप में सिक्‍यूरिटी की राशि तीन दिन के भीतर नगर निगम द्वारा लौटा दी जाएगी।

सार्वजनिक/ ऐसे स्‍थानों पर जो समारोहों के लिए निर्धारित नहीं हैं, जहां पुलिस से सीधे इजाजत लेनी पड़ती है, आयोजकों को पुलिस के पास ये वचन और सिक्‍यूरिटी की राशि जमा करानी होगी।  सफाई सुनिश्चित करने के लिए विभिन्‍न प्रावधान करते समय निम्‍नलिखित मानकों का पालन करना होगा :

सुविधा
स्‍थल का प्रकार
मानक
सार्वजनिक सुविधाएं
होटलों, रेस्‍तरां, विवाह हॉल, फार्महाउस जैसे परिसर
प्रत्‍येक 75 लोगों के लिए 1 टॉयलेट सीट

पार्कों/बगीचों आदि में समारोहों/बैठकों के लिए
25,000 लोगों तक- प्रत्‍येक 500 लोगों के लिए 1 सीट  
25,000 से ज्‍यादा लोगों के लिए- प्रत्‍येक 1000 के लिए 1 सीट
कूड़ेदान
होटल, रेस्‍तरां, विवाह हॉल आदि।
200 लोगों तक- परिसरों में 150 लीटर की क्षमता के 4 कूड़ेदान और परिसरों के बाहर प्रत्‍येक 100 लीटर की क्षमता के 2 अतिरिक्‍त कूड़ेदान

पार्कों, बगीचों आदि में
1000 लोगों तक- 100 लीटर की क्षमता के 5-5 कूड़ेदान और 1,100 लीटर की क्षमता का एक कूड़ेदान

1000 से 5000 लोगों के बीच- 100-100 लीअर की क्षमता के 10 कूड़ेदान और 1,100 लीटर की क्षमता के 2 कूड़ेदान

5000 लोगों से ज्‍यादा- प्रत्‍येक 500 लोगों के लिए 100-100 लीटरों का 1 कूड़ेदान और प्रत्‍येक 5000 लोगों के लिए 1,100 लीटर की क्षमता का एक कूड़ेदान

पढ़िए डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री का आँखे खोल देने वाला भाषण

1992 में एक सपना संजोया गया था। अम्‍बेडकर जी के प्रति आस्‍था रखने वाले सभी महानुभावों ने सक्रिय होकर के एक विश्‍व स्‍तरीय केंद्र बने, उस दिशा में प्रयास किए थे। सरकारी फाइलें चलती रही। विचार विमर्श होता रहा। बाबा साहब अम्‍बेडकर ने जो संविधान बनया था, उस संविधान के कारण जो सरकारें बनी थी, उन सरकारों को बाबा साहब को याद करने में बड़ी दिक्‍कत होती थी। इतने साल बीत गए, 20 साल से भी अधिक समय यह कागजों में मामला चलता रहा। जब मेरे जिम्‍मे काम आया, तो पीड़ा तो हुई कि भई ऐसा क्‍यों हुआ होगा। 

लेकिन मैंने यह तय किया है भले ही 20 साल बर्बाद हुए हो लेकिन अब हम 20 महीने के भीतर-भीतर इस काम को पूरा करेंगे। कभी-कभी व्‍यक्तिगत रूप से मैं सोचता हूं अगर बाबा साहब अम्‍बेडकर न होते तो नरेंद्र मोदी कहा होते? जिस पार्श्‍व भूमि पर मेरा जन्‍म हुआ, जिस अवस्‍था मैं पला-बढ़ा पैदा हुआ, अगर बाबा साहब अम्‍बेडकर न होते, तो मैं यहां तक नहीं पहुंच पाता। समाज के दलित, पीडि़त, शोषित वंचित सिर्फ उन्‍हीं का भला किया है ऐसा नहीं है। और कभी-कभी मैं जब यह सुनता हूं तो मुझे पीड़ा होती है कि बाबा साहेब अम्‍बेडकर दलितों के देवता थे। जी नहीं, वो मानव जात के लिए थे। और न ही सिर्फ हिंदुस्‍तान में विश्‍वभर के दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित, उपेक्षित उन सबके लिए एक आशा की किरण थे। और हमने भी गलती से भी बाबा साहब को छोटे दायरे में समेट करके उनको अपमानित करने का पाप नहीं करना चाहिए था। इतने बड़े मानव थे। 

आप कल्‍पना किजिए वो समय.. जीवनभर हम देखें बाबा साहब को, वो सामाजिक Untouchability का शिकार तो थे ही, लेकिन मरने के बाद भी Political Untouchability का शिकार बने रहे। देश को न सामाजिक Untouchability चाहिए, देश को न राजनीतिक Untouchability चाहिए। बाबा साहब का जीवन.. और उन्‍होंने संदेश भी क्‍या दिया, आज 21वीं सदी में भी हर सरकार के लिए वहीं काम मुख्‍य है, जो बाबा साहब कह के गए हैं। उन्‍होंने क्‍या संदेश दिया? शिक्षित बनो, संगठित बनो, संघर्ष करो। शिक्षित बनो, आज भी भारत की सभी सरकारें.. उनके सामने ये प्रमुख काम है कि हम 100% Literacy की और कैसे आगे बढ़ें, उस लक्ष्‍य को कैसे प्राप्‍त करें। हम बाबा साहब आंबेडकर के सवा सौ साल मनाने जा रहे हैं, तब बाबा साहब ने हमें जो एक मंत्र दिया है, शिक्षित बनो.. समाज के आखिरी छोर पर बैठे हुए इंसान को अगर हम शिक्षित बनाते हैं तो बाबा साहब को उत्‍तम से उत्‍तम श्रंद्धाजलि होगी। सवा सौ साल मनाने का वो उत्‍तम से उत्‍तम तरीका होगा, क्‍योंकि ये वहीं लोग है जो शिक्षा से वंचित रह गए है, जिनके लिए बाबा साहब जीते थे, जीवनभर जूझते थे और इसलिए हमारे लिए एक सहज कर्त्‍तव्‍य बनता है। उस कर्त्‍तव्‍य का पालन करना है.. भारत को ऐसा संविधान मिला है, जिस संविधान में द्वेष और कटुता को कहीं जगह नहीं है। 

आप कल्‍पना कर सकते है कि दलित मां की कोख से पैदा हुआ एक बालक, जिसने जीवनभर जाति के नाम पर कदम-कदम अपमान सहा हो, सम्‍मान से जीने के लिए कोई व्‍यवस्‍था न हो, ऐसे व्‍यक्ति के दिल में कितनी कटुता, कितना रोष, कितना बदले का भाव हो सकता था। लेकिन बाबा साहब के भीतर वो परमात्‍मा का रूप था, जिसने संविधान की एक धारा में भी.. खुद के जीवन पर जो बीती थी, वो यातनाएं कटुता में परिवर्तित नहीं होने दीं। बदले का भाव संविधान के किसी भी कोने में नहीं पैदा होता। इतिहास कभी तो मूल्‍यांकन करेगा कि जीवन की वो कौन सी ऊंचाईयां होगी इस महापुरूष में कि जिसके पास इतना बड़ा दायित्‍व था, वो चाहते तो उन स्थितियों में ऐसी बात करवा सकते थे, लेकिन नहीं करवाई। 

मूल में कटुता, द्वेष, बदले का भाव न उनके दिल में कभी पनपने दिया, न आने वाली पीढि़यों में पनपे इसके लिए कोई जगह उन्‍होंने छोड़ी। मैं समझता हूं कि हम संविधान की बात करते हैं लेकिन उन पहलुओं की ओर कभी देखते नहीं है। उस सामाजिक अवस्‍था की ओर देखते नहीं है। 

मुझे खुशी है मैं उस प्रदेश में पैदा हुआ। जहाँ Sayajirao Gaekwad ने बाबा साहब अम्‍बेडकर का गौरव किया था। उनको सम्‍मानित किया था, उनके जीवन का गर्व-भैर स्‍वीकार किया था। और बाबा साहब अम्‍बेडकर ने हमेशा न्‍याय-प्रियता को प्राथमिकता दी थी। आज हम सब, जैसे मैं कहता हूं कि संविधान मेरे जैसे व्‍यक्ति को भी कहां से कहां पहुंचा सकता है। 

यह Election Commission की रचना है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि उस समय निष्‍पक्ष चुनाव का महत्‍व क्‍या होता है, लोकतंत्र में निष्‍पक्ष चुनाव की ताकत क्‍या होती है, उस बात के बीज बोए उन्‍होंने Independent Election की रचना करके, यह बाबा साहब की सोच थी और आज हम सब एक ऐसी व्‍यवस्‍था पर भरोसा करते हैं कि हिंदुस्‍तान के सभी दल कितना ही विरोध क्‍यों न हो, लेकिन Election Commission की बात को गर्व के साथ स्‍वीकार करते हैं। बाबा साहेब ने यह व्‍यवस्‍था हमें दी। 

उनकी न्‍यायप्रियता देखिए। दुनिया के समृद्ध-समृद्ध कहे जाने वाले देश, most forward कहे जाने वाले देश उन देशों में भी महिलाओं को मत का अधिकार पाने के लिए 50-50, 60-60 साल तक लड़ाईयां लड़नी पड़ी थी। आंदोलन करने पड़े थे, महिलाओं को मत का अधिकार नहीं था, voting right नहीं था। पढ़े-लिखे देश से, प्रगतिशील देश से, धनवान देश से लोकतंत्र की दुहाई देने का जैसे उनका मनोबल ही था, लेकिन एक दलित मां की कोख से पैदा हुआ बेटा संविधान के पहले ही दिन हिंदुस्‍तान के अंदर माताओं-बहनों को वोट का अधिकार दे देता है, यह न्‍यायप्रियता ही उनकी। 

भारत एक Federal Structure है। संघीय ढांचा आगे चलकर के कैसे चलेगा, व्‍यवस्‍थाएं कैसी होगी। मैं नहीं मानता हूं कि सामान्‍य मानवीय 50-60 साल के बाद क्‍या होगा, वो देख पाता है, मैं नहीं मानता। आज हम देखते हैं क‍ि हमारे संघीय ढांचे को मजबूत बनाए रखने के लिए कितनी-कितनी बारीक चीजों पर ध्‍यान देना पड़ता है। और फिर भी कहीं न कहीं तो कोई गलती रह जाती होगी। यह बाबा साहब अम्‍बेडकर थे, जिनको इस बात की समझ थी कि उन्‍होंने संविधान की रचना के साथ एक स्‍वतंत्र Finance Commission की रचना रखी। जो Finance Commission केंद्र और राज्‍यों के संतुलन और धन के वितरण की व्‍यवस्‍था को स्‍वतंत्र रूप से गाइड करता है और आज भी वो व्‍यवस्‍था पर सब भरोसा करते है और चलते हैं। इस बार राज्‍यों को 42% तक राशि मिली है। हिंदुस्‍तान के इतिहास की बहुत बड़ी घटना है यह। यानी एक प्रकार से राज्‍यों ने कल्‍पना न की हो, उतने धन के भंडार इस बार मिल गए। पहली बार ऐसा हुआ है कि देश की जो Total जो तिजोरी, जो माने राज्‍य और केंद्र की मिलकर के तो करीब-करीब 60% से ज्‍यादा, 65% से भी ज्‍यादा amount आज राज्‍यों के पास है। भारत के पास मात्र 35% amount है। यह ताकत राज्‍यों को कैसे मिली है। सरकार के समय निर्णय हुआ एक बात है…लेकिन मूल बाबा साहब आंबेडकर के उस मूल में लिखा हुआ है, तब जा करके हुआ और इसलिए समाज के अंदर जब हम इन चीजों की ओर देखते हैं तो लगता है कि भई क्‍या हमारी आने वाली पीढ़ी को इस महापुरूष के कामों को समझना चाहिए कि नहीं समझना चाहिए, इस महापुरूष के विचारों को जानना चाहिए कि नहीं जानना चाहिए? हमारी आने वाली पीढि़यों को इस महापुरूष के आदर्शों से कुछ पा करके जीने का संकल्‍प करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? 

अगर ये हमें करना है, तो जो आज हम व्‍यवस्‍था को जन्‍म देने जा रहे है, जो 20 महीने के भीतर-भीतर, गतिविधि उसकी शुरू हो जाएं, ऐसी मेरी अपेक्षा है। ये आने वाली पीढि़यों की सेवा करने का काम है और ये सरकार कोई उपकार नहीं कर रही है, मोदी सरकार भी उपकार नहीं कर रही। एक प्रकार से समाज को अपना कर्ज चुकाना है, कर्ज चुकाने का एक छोटा सा प्रयास है। 

और इसलिए मैं समझता हूं कि बाबा साहब के माध्‍यम से जितनी भी चीजें हमारे सामने आई है.. हम कभी-कभी देखें, बाबा साहब.. women Empowerment, इसको उन्‍होंने कितनी बारिकी से देखा। आज भी विवाद होते रहते हैं। उस समय बाबा साहब की हिम्‍मत देखिए, उन्‍होंने जिन कानूनों को लाने में सफलता पाई, जो हिन्‍दुस्‍तान में विमिन Empowerment के लिए एक बहुत बड़ी ताकत रखते है। ये बाबा साहब का प्रयास था कि जिसके कारण हिंदू मैरिज़ एक्‍ट 1955 बना। ये बाबा साहब का पुरूषार्थ था कि Hindu Succession Act 1956 बना। Hindu Minority And Guardianship Act 1956 बना, Hindu Adoption और Maintenance Act 1956 बना। ये सारे कानून समाज के उन लोगों को ताकत देते थे विशेष करके महिलाओं को, ये बाबा साहब की विशेषता थी। 

आज भी मैं जब लोगों से बड़े-बड़े सुनता हूं तो आश्‍चर्य होता है कि काश इस प्रकार के भाषण करने वालों ने कभी आंबेडकर को पढ़ा होगा। खैर.. वो तो उनको गले लगाने को तैयार नहीं थे, उनके जाने के बाद उनको पढ़ने के लिए कहा से तैयार होगे। कोई कल्‍पना कर सकता है कि दुनिया में Labour Reform की बात कहें तो Communist विचारधारा की चर्चा होती है। Labour Reform की चर्चा करें तो Leftist विचारधारा के खाते में जाता है, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि जब ब्रिटिश सल्‍तनत थी, अंग्रेज वायसराय यहां बैठे थे.. और उस काउंसिल के अंदर 1942 में बाबा साहब आंबेडकर की ताकत देखिए, भारत के मजदूरों का अंग्रेज सल्‍तनत शोषण करती थी, ये बाबा साहब की ताकत थी कि 1942 के पहले मजदूरों को 12 घंटे काम करना पड़ता था। 1942 में बाबा साहब आंबेडकर ने वायसराय से लड़ाई लड़ करके 12 घंटे से 8 घंटे काम करवाने का पक्‍का कर लिया था। 

ये छोटे निर्णय नहीं है और इसलिए बाबा साहब को एक सीमा में बांध करके देखने से.. भारत की पूरी विकास यात्रा में बाबा साहब का कितना बड़ा रोल था, इसको हम समझ नहीं पाते। ये मेरा सौभाग्‍य रहा है, क्‍योंकि मैं हर पल मानता हूं और अपने जीवन को देख करके मुझे हर पल लगता है कि इस महापुरूष ने हमें बहुत कुछ दिया है, बहुत कुछ दिया है। समाज के प्रति भी उनकी भूमिका क्‍या रही, समाज को जोड़ने की भूमिका रहीं। कभी समाज को तोड़ने की भूमिका नहीं रही। 

उनके सारे विचारों को हम देखे, उनके सामने धन के ढेर कर दिए गए थे – यह बनो, यह पाओ, यह करो। मैं उसकी चर्चा में जाना नहीं चाहता हूं, इतिहास मौजूद है। लेकिन वो उससे विचलित नहीं हुए थे। और इसलिए जिस प्रकार से समता का महत्‍व है, उतना ही ममता का भी महत्‍व है। खासकर के जो अपने आप को उच्‍च मानते हैं, उन लोगों ने अपने आप को सोचना होगा कि समाज में भेद-भाव लम्‍बे अर्से तक चलने वाला नहीं है। इसे स्‍वीकार करना होगा और भारत जैसा देश जो विविधताओं से भरा हुआ है उसमें सामाजिक एकता एक बहुत बड़ी एकता रखती है। बाबा साहब के 125 वर्ष मना रहे हैं तब सामाजिक एकता के बिगुल को हम कैसे ताकतवर बनाए। 

और इसलिए मैं कहता हूं – समता + ममता = समरता। समभाव + ममभाव = समरसता। और इसलिए अपनापन यह मेरे हैं। यह मेरे ही परिवार के अंग है, यह भाव हमें जीकर के दिखाना होगा और मुझे विश्‍वास है कि यह जो हम प्रयास शुरू कर रहे हैं। उस प्रयास के माध्‍यम से समाज की धारणा बनाने में, समाज को सशक्‍त बनाने में संविधान की lateral spirit, उसको कोई चोट न पहुंचे। उसकी जागरूक भूमिका अदा करने के लिए एक प्रकार से यह चेतना केंद्र बनेगा। यह विश्‍व चेतना केंद्र बनने वाला है, उस सपने को लेकर के हमें देखना चाहिए। 

हम मार्टिन लूथर किंग की बात तो कर लेते हैं, लेकिन बाबा साहब को भूल जाते हैं और इसलिए अगर मार्टिन लूथर किंग की बात करती है दुनिया, तो हमारी कोशिश होनी चाहिए कि दुनिया जब मार्टिन लूथर किंग की चर्चा करें तो बाबा साहब अम्‍बेडकर की भी करने के लिए मजबूर हो जाए। वो तब होगा, जब हम बाबा साहब का सही रूप उनके विचारों की सही बात, उनके काम की सही बात दुनिया के पास सही स्‍वरूप में प्रस्‍तुत करेंगे। इस केंद्र को यह सबसे बड़ा काम रहेगा कि पूरा विश्‍व बाबा साहब को जाने-समझे। भारत के मूलभूत तत्‍व को जाने-समझे और यह बाबा साहब के माध्‍यम से बहुत आसानी से समझा जा सकता है। 

और इसलिए मैं कहता हूं कि हमने बाबा साहब से प्रेरणा लेकर के उनके विचारों और आदर्शों से प्रेरणा लेकर के समाज को सशक्‍त बनाने की दिशा में, राष्‍ट्र के लिए.. महान राष्‍ट्र बनाने का सपना पूरा करने के लिए, हमारी जो भी जिम्‍मेवारी है उसको पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। 

मैं विभाग के सभी साथियों को बधाई देता हूं कि 20 साल से अधिक समय से भी लटकी हुई चीज, एक प्रकार से Political untouchability का स्‍वीकार हुआ Project है। उससे मुक्ति दिलाई है। अब आने वाले 20 महीनों में उसको पूरा करे। लेकिन यह भी ध्‍यान रखे कि उसका निर्माण उस स्‍तर का होना चाहिए ताकि आने वाली शताब्‍दियों तक वो हमें प्रेरणा देता रहे, ऐसा निर्माण होना चाहिए। 

मैं फिर एक बार बाबा साहब आंबेडकर को प्रणाम करता हूं और सवा सौ वर्ष.. ये हमारे भीतर ताकत दें, हमें जोड़ने का सामर्थ्‍य दें, सबको साथ ले करके चलने का सामर्थ्‍य दें, समाज के आखिरी छोर पर बैठा हुआ इंसान, वो हमारी सेवा के केंद्र बिंदु में रहें, ऐसे आर्शीवाद बाबा साहब के निरंतर मिलते रहें ताकि उनके जो सपने अधूरे हैं, वो पूरे करने में हम लोग भी कुछ काम आएं, इसी अपेक्षा के साथ फिर एक बार मैं विभाग को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद! 

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