साध्वी चिदर्पिता ने भूल सुधारी, धोकेबाज बी पी गौतम का छोड़ा साथ


जैसा कि तथाकथित पत्रकार बी पी गौतम के व्यवहार से पहले से ही अंदेशा था, साध्वी चिदर्पिता के गृहस्थ आश्रम की गाड़ी भी पटरी से उतर ही गई, 9 अगस्त की रात कुछ ऐसा हुआ जो सबने देखा। आवास-विकास की सड़कों पर बचाव के लिए दौड़ती चिदर्पिता को यूं देख सभी दंग रह गए। उन्होंने अपने पति बी पी गौतम पर मारपीट का आरोप लगाया है। एक पड़ोसी की मदद से थाने तक पहुंचीं चिदर्पिता ने फिलहाल गौतम का साथ छोड़ दिया है। 

वह अपना सामान समेटकर चली गई हैं। उन्होंने आरोप लगाए है कि गौतम उनके पैसे हड़प चुका है अब उसकी नजर उनके जेवरों पर है, वह जेवर के लिए उन पर दबाव बना रहा था, आए दिन मारपीट करता था। एसपी सिटी पीयूष श्रीवास्तव ने बताया कि चिदर्पिता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए गए हैं। चिदर्पिता ने अपनी तहरीर में गौतम पर उत्पीड़न, मारपीट करने गाली देने और जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया है। तहरीर में चिदर्पिता ने अपने निवास का पता मुमुक्षु आश्रम, शाहजहांपुर दिया है।

बकौल चिदर्पिता गुरुवार की रात उनके सिर में दर्द हो रहा था। इस दौरान गौतम ने उन्हें चार-पांच तमाचे जड़ दिए। आरोप है कि इसके बाद वह कमरे में टंगी बेल्ट से भी चिदर्पिता की पिटाई की। खुद को बचाने के लिए उन्होंने (चिदर्पिता ने) शोर मचाया और घर के सामने रहने वाले अधिवक्ता चंद्रभान गुप्ता के घर में शरण ली। गौतम ने उन्हें घर से बुलाने का प्रयास भी किया लेकिन भीड़ इकट्ठा होने पर ऐसा नहीं हो सका और खुद तड़के ही कहीं गायब हो गया। 

दूसरे दिन शुक्रवार को चिदर्पिता ने सिविल लाइंस पुलिस को मामले की जानकारी दी और पुलिस को बताया कि शादी के बाद से ही गौतम उनका एटीएम कार्ड अपने पास रखता था और खाते से रकम निकालकर मनचाहा खर्च करते रहा। उसकी जरूरतें बढ़ती रही और पिछले कुछ दिनों से जेवर बेचने का दबाव बना रहा था। मंशा पूरी न होने पर कई बार गौतम ने उनके साथ मारपीट भी की। शुक्रवार को पुलिस ने गौतम को बुलाकर घर की चाभियां चिदर्पिता को दिलवा दीं। शाम को वह घर खाली करके चली गईं। इससे पहले उनके घर पर पुलिस तैनात कर दी गई थी।

गौरतलब है कि थाना इस्लामनगर क्षेत्र के गांव नूरपुर पिनौनी निवासी बीपी गौतम वर्तमान में शहर की आवास विकास कॉलोनी स्थित ए-201 में रह रहे हैं। उनकी पत्नी चिदर्पिता ने बताया कि अगस्त 2011 में उनकी दिल्ली में गौतम से मुलाकात हुई। एक माह बाद 29 सितंबर को दोनों ने वैदिक रीति से बरेली में विवाह कर लिया। इसके बाद कुछ दिन दोनों तक शहर की श्रीरामनगर कॉलोनी में किराए के घर में रहे। अक्तूबर में आवास-विकास निवासी पीडब्ल्यूडी के अवर अभियंता ओपी आर्या के घर में किराए पर रहने लगे थे। 

महल से सड़क तक का सफर तय करने वाली चिदर्पिता गौतम दोबारा साध्वी बनने जा रही हैं। उनकी मानें तो स्वामी जी (चिन्मयानंद) का फोन आया था। उन्होंने कहा है जिस हाल में हो चली आओ, तुम्हारे लिए आश्रम के दरवाजे हमेशा खुले हैं। चिदर्पिता का कहना है कि वह अभी असमंजस में हैं लेकिन इस नरक भरी जिंदगी से तो वे अच्छे हैं, जिन्होंने बुरे वक्त पर साथ दिया।

चिदर्पिता को अपने किए पर पछतावा है। कहती हैं कि बीपी गौतम ने उनके साथ छल किया है, उनके विश्वास का गला घोंटा है। गौतम उनसे नहीं, उनके पैसे से प्यार करता है। पैसा खत्म होने के बाद अब वह जेवर ठगने की कोशिश कर रहा था। छोटी-छोटी बातों पर मारपीट करता था। 

चिदर्पिता की मानें तो गौतम ने ही स्वामी जी पर कार्रवाई के लिए उन्हें मजबूर किया। लोगों से पता लगा है कि वह उनसे ब्लैकमेलिंग करना चाहता था। स्वामी जी ने इसके बावजूद उनको मोबाइल पर फोन किया। वक्त करीब चार बजे का रहा होगा। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि जिस हालत में हो आ जाओ, आश्रम के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं। स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने भी स्वीकार किया कि उन्होंने चिदर्पिता को फोन किया था। बोले- चिदर्पिता परेशानी में थीं इसलिए उन्होंने इस कष्ट से बाहर आने को कहा था

यह पूछे जाने पर कि अगला कदम क्या होगा? चिदर्पिता बोलीं- अभी सोचा नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि क्या दोबारा साध्वी बनेंगी तो बोलीं, साध्वी थी और रहूंगी भी। कुछ दिन गृहस्थ आश्रम में आई थी लेकिन इससे बढ़िया तो वही जिंदगी थी। तो क्या उसी जिंदगी में लौट रही हैं पूछने पर कहती हैं, ‘बॉर्डर पर जाकर सोचूंगी।’

उधर बी पी गौतम का कहना है कि धोखा उन्होंने नहीं, साध्वी ने उनके साथ किया है। जिन चेक की वो बात कर रही हैं वह अगर एक भी बी पी गौतम के नाम कटा हुआ दिखा दें तो पूरी जिंदगी उनकी गुलामी करेंगे। गौतम की मानें तो जो भी खर्च हुआ है वह चिदर्पिता ने अपने ऊपर किया है। वह हाईप्रोफाइल थीं, एसी गाड़ी में चलती थी जबकि इतना सब करना उनकी औकात से बाहर था। वह पियर्स से नहाते हैं, लेकिन चिदर्पिता महंगा साबुन और शैंपू इस्तेमाल करती थीं। अन्य खर्चे भी हाईफाई थे। वह अपना सामान खुद बरेली के माल से खरीदकर लाती थीं। रही बात स्वामी जी पर कार्रवाई की तो उन्होंने अफसरों और कोर्ट में बयान स्वेच्छा से दिए हैं न कि उनके दवाब में आकर। 

हिंदू शरणार्थीयों को ठग रही उत्तराखंड सरकार

पूर्वी पाकिस्तान में हिंदुओं के दमन के बाद आए हजारों शरणार्थियों को उत्तराखंड में बसाया गया. लेकिन पंजाब से आए शरणार्थियों की तरह उन्हें जमीन पर अधिकार नहीं मिला. बंगाली शरणार्थियों में ज्यादातर दलित हैं. राज्य में उनकी संख्या सवा लाख से ज्यादा है. 

ऊधमसिंह नगर जिले के शक्तिफार्म में बसे बंगालियों में 65 वर्षीय पुतुल मंडल के पास पांच एकड़ जमीन थी, लेकिन गरीबी और बाढ़ ने आधी जमीन निगल ली और अब ढाई एकड़ जमीन ही उनके पास बची है. उसी में वे बहू और सात नाती-पोतों के साथ जिंदगी की गाड़ी चला रही हैं. बुजुर्ग का बेटा बेरोजगार है, ऐसे में नए नियम के तहत पट्टा लेने के लिए उनके पास टैक्स भरने का भी पैसा नहीं है. चेहरे पर दर्द और मजबूरी साफ दिख रही है.

वे कहती हैं, ''गरीबों की कोई सुनता ही नहीं है. नया पट्टा लेकर क्या होगा.'' इसी इलाके में पिछले चार दशक से बंगालियों के हक-हकूक के लिए आवाज उठा रहे 57 वर्षीय गोपाल सरकार खुद एक विस्थापित बंगाली हैं. गोपाल कहते हैं, ''चुनाव हो गया, सरकार स्थिर हो गई लेकिन वायदे पूरे नहीं हुए हैं. सरकार जिस वर्ग-9 के तहत पट्टे दे रही है वह पूर्ण भूमिधरी नहीं है. क्षेत्र की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है.''

उत्तराखंड की बंगाली जनता नए शासनादेश से असमंजस में है. पहले और नए पट्टे में सिर्फ हस्तांतरण के अधिकार का ही फर्क है. वर्ग-9 में सरकार ने विशेष अधिकार तो दिए हैं लेकिन सरकारी आदेश के मुताबिक फ्रीहोल्ड का अधिकार नहीं होगा. ऐसे में लोग टैक्स भरकर पट्टे को वर्ग -9 में बदलवाने की जहमत नहीं उठा रहे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्व मंत्री यशपाल आर्य कहते हैं, ''पट्टे की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. टैक्स भरने को लेकर विलंब हो रहा है. पट्टे के वर्ग को लेकर कोई समस्या नहीं है.''

शक्तिफार्म के बंगालियों की उम्मीद के हीरो बने किरन मंडल, अब कुमायूं मंडल विकास निगम के अध्यक्ष बन गए हैं, कहते हैं, ''बीजेपी वाले गुमराह कर रहे थे, लेकिन अधिकारियों ने समझया तो लोगों की शंकाएं दूर हो गई हैं.'' लेकिन पूर्व मंत्री और सितारगंज उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी रहे प्रकाश पंत कहते हैं, ''क्षेत्र की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है. नए नियम के पट्टे से भी उनके मकान अवैध रहेंगे क्योंकि इसमें हस्तांतरण का हक तो होगा, लेकिन इसमें भी सिर्फ कृषि का ही प्रावधान होगा.''

सिर्फ भूमिधरी ही नहीं, क्षेत्र में बाढ़ की समस्या के समाधान का वादा भी मंडल-बहुगुणा डील का हिस्सा था, लेकिन उपचुनाव की घोषणा के वक्त 9 करोड़ रु. जारी कर मिट्टी भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई. लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा सो फिर आई बाढ़ से सारी मिट्टी बह गई और फिलहाल यह भी चुनावी वायदा भर रह गया है.

बंगालियों को शिड्यूल्ड कास्ट का दर्जा दिलाना, पॉलिटेक्निक, डिग्री कॉलेज, शक्तिफार्म की एकमात्र मुख्य सड़क को पक्का करने और सिडकुल उद्योग में 70 फीसदी स्थानीय लोगों को मौका देने का वादा भी फिलहाल अधर में ही लटका है. जाहिर है कि उत्तराखंड का बंगाली समाज एक बार फिर खुद को ठगा महसूस कर रहा है.

हिंदू युवती का बलात्कार और जबरन शादी को मजबूर करने के आरोप में एक मुस्लिम गिरफ्तार


पाकिस्तान में हिंदू युवती को जबरदस्ती विवाह के लिए मजबूर करने के आरोप में एक मुस्लिम युवक को गिरफ्तार किया गया। 

युवती ने आरोपी के उस दावे को ठुकरा दिया था जिसमें कहा गया था कि उसने इस्लाम धर्म स्वीकार करने के बाद विवाह कर लिया है।




युवती ने सरवर सोलंगी पर अपहरण करने एवं कई महीनों तक बलात्कार करने का आरोप लगाया। सिंध उच्च न्यायालय ने सोमवार को सरवर को पुलिस हिरासत में लेने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर ने सरवर की याचिका पर सुनवाई करने के बाद यह आदेश दिया। सरवर ने याचिका में कहा था कि युवती ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया है। आरोपी के अधिवक्ता गुलाम हैदर ने कहा कि दोनों का विवाह 25 मई को कराची में हुआ था। यद्यपि युवती ने न्यायालय में इस दावे को ठुकरा दिया। 

पीड़िता ने बताया कि वह 18 मई को किसी काम से बाहर निकली तभी सरवर ने दो लोगों के साथ मिलकर उसका अपहरण कर लिया और बार-बार बलात्कार किया। वह मौका मिलते ही सरवर के चंगुल से 30 जून को भाग निकली।

Fiza's dead body found at her residence in Mohali

Anuradha Bali alias Fiza, the estranged wife of former Haryana Deputy Chief Minister Chander Mohan aka Chand Mohammad allegedly committed suicide.

According to initial reports, Fiza's dead body found at her residence in Mohali.

Fiza made the headlines with her alliance with Mohammed Chand, former Deputy Chief Minister of Haryana. A lawyer by profession, Fiza's marriage to Mohammed Chand in 2009 and her subsequent divorce were under constant media scrutiny.

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