
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिल्ली और केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस घटना के बाद जिस तरह की प्रतिबद्धता दिखनी चाहिए थी वह अब तक नहीं दिखी। दोनों सरकारें कुछ कड़े कदम उठाकर लोगों में भरोसा और सुरक्षा का माहौल कायम कर सकती थीं लेकिन वे ऐसा करने में नाकाम रहीं। मेनका गांधी ने कहा कि इस पूरे मामले को जिस तरह से हैंडल किया गया उससे कई तरह के सवाल खड़े होते हैं।
गौरतलब है कि कुछ डॉक्टरों ने भी लड़की को सिंगापुर भेजने पर हैरानी जताई थी। डॉक्टरों का कहना था कि जब लड़की इस हालत में नहीं थी कि उसकी आंत ट्रांसप्लांट किया जा सके तो सिंगापुर क्यों भेजा गया। एक्सपर्ट टीम के कुछ डॉक्टरों ने कहा था कि हमसे पूछा भी नहीं गया कि आखिर क्यों सिंगापुर लड़की को शिफ्ट किया जा रहा है। केवल इतना पूछा गया कि क्या लड़की वहां जाने की स्थिति में है।
डॉक्टरों ने इस मेडिकल के बजाय राजनीतिक फैसला करार दिया था। इसके बावजूद मेनका गांधी द्वारा यह आशंका जताना कि लड़की का निधन दिल्ली में हो गया था, हैरान करने वाला है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि उनकी आशंका का आधार क्या है।
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