प्रदेश कांग्रेस के टिकट आबंटन में वंशवाद फिर हावी रहा है। नतीजतन दूसरी पंक्ति के उन युवा तुर्कों को फिर फजीहत का सामना करना पड़ा है, जो अबकी बार भावी विधायक बनने के सपने संजोए बैठे थे। इनमें से कई दावेदार अभी भी दिल्ली की गलियों में खुद की लॉबिंग करने में व्यस्त है। खास बात यह भी है कि राहुल गांधी ने कुल्लू दौरे के दौरान ब्लॉक कांग्रेस समितियों की सिफारिश के मद्देनजर नए चेहरों को भी आगे लाने का आश्वासन दिया था, लेकिन राहुल फार्मूला अब लीक से हटता दिख रहा है। पार्टी में परिवारवाद के नाम पर फिर से नेताओं के पुत्र अगली कतार में रखे गए हैं।
हालांकि इनमें से कई मौजूदा विधायक भी हैं, मगर अभी भी दिल्ली में जो जंग चली है, उसमें भी वंशवाद को ही हवा मिल रही है। जाहिर है इससे पार्टी की प्रदेश में जो दूसरी पंक्ति टिकट की चाहत पाले बैठी थी, वह न केवल निराश होगी, बल्कि उसे प्रचार की मुख्य धारा में जुटाना भी मुश्किल भरा हो सकता है। किन्नौर से लेकर ऊना तक ऐसा कोई भी निर्वाचन क्षेत्र नहीं है, जहां से दूसरी पंक्ति के नेता टिकट की कतार में लगे थे, मगर ऐसे विरले ही दावेदारों को मौका दिया जा सका है। यही नहीं उन नेताओं को भी निराशा ही हाथ लगी है, जो टिकट की लालसा में बड़े नेताओं का झोला व झंडा उठाकर गुणगान करते आ रहे थे। वफादारी का भी उन्हें सिला नहीं मिल सका है। पार्टी में अग्रिम संगठनों के उन चाह्वानों को भी निराशा ही हाथ लगी है, जो अपने से संबंधित चुनाव क्षेत्रों में अपने पोस्टर तक लगवा चुके थे। ऐसे नेता अभी भी दिल्ली में डटे हुए हैं।
वंशवाद की नाव में बैठकर सफर पर निकले नेताओं में फिर से शामिल हैं, नीरज भारती, अजय महाजन, यादवेंद्र गोमा, भुवनेश्वर गौड, रोहित ठाकुर, विनोद सुल्तानपुरी, अनिल शर्मा। सुधीर शर्मा व चंद्रेश कुमारी के पुत्र ऐश्वर्य पर फैसला बाकी है।
हमीरपुर जिला के बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल सेवादल प्रमुख हैं। कुटलैहड़ से डा. विजय डोगरा सेवादल पदाधिकारी हैं। पांवटा से अजय बहादुर, मनाली से धर्मवीर धामी, शिमला से हरीश जनार्था, अरुण शर्मा, आदर्श सूद, कुसुम्पटी से कुलदीप राठौर, ठियोग-कुमारसैन से केहर सिंह खाची, रामपुर से सिंघीराम, चौपाल से रजनीश किमटा, सरकाघाट से एनएसयूआई के अध्यक्ष यदुपति ठाकुर उल्लेखनीय हैं।
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