अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में 87 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री डॉ. नजमा हेप्तुल्ला ने कहा है कि वर्ष 2016-17 के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कौशल विकास के जरिये शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए राष्‍ट्रीय प्राथमिकता के आधार पर अपनी प्राथमिकताओं का निर्धारण किया है। 2016-17 में मंत्रालय के बजट का लगभग 50 प्रतिशत हिस्‍सा अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के शैक्षिक सशक्तिकरण में लगाया जाएगा। यह अल्‍पसंख्‍यकों के विकास के लिए अत्‍यंत आवश्‍यक है। इसके साथ ही मंत्रालय ने मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप को मांग प्रेरित बनाने के लिए प्रावधान किया है। 

डॉ. नजमा हेप्तुल्ला कल शाम अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को बजट आवटंन के संबंध में पत्रकार सम्मेलन को संबोधित कर ही थी। श्री हेप्तुल्ला ने कहा कि अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण को ध्‍यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 2016-17 के बजट में 3800 करोड़ रुपये का बजट परिव्‍यय रखा है। यह 2015-16 के 3712.78 करोड़ रुपये की तुलना में 87 करोड़ रुपये अधिक है। अल्‍पसंख्‍यकों के लिए वर्ष 2016-17 में 3800 करोड़ रुपये के आवंटन के अतिरिक्‍त केंद्र सरकार कम से कम 15 प्रतिशत वित्‍तीय संसाधन जुटाती है और अल्‍पसंख्‍यकों के कल्‍याण और विकास के लिए प्रधानमंत्री के नये 15 सूत्री कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्‍न मंत्रालयों विभागों की अग्रणी योजनाओं को लक्षित करती है। इनमें सर्वशिक्षा अभियान, राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, राष्‍ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, राष्‍ट्रीय पेय जल कार्यक्रम और एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम योजना आदि हैं। इन योजनाओं के अंतर्गत अल्‍पसंख्‍यकों के लिए 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का धन उपलब्‍ध होगा। इसके अतिरिक्‍त प्राथमिक क्षेत्र ऋण के अंतर्गत अल्‍पसंख्‍ंयकों के लिए ऋण स्‍तर 2,76,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है। 

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सबका साथ सबका विकास निर्देशक सिद्धांत के अंतर्गत देश में अल्‍पसंख्‍यकों के विकास के लिए संकल्‍पबद्ध हैं। अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्रालय ने अल्‍पसंख्‍यक समुदायों के विकास के लिए बहुआयामी रणनीति तैयार की है। इस नीति का बल शैक्षिक सशक्तिकरण, आर्थिक सशक्तिकरण और अवसंरचना विकास की विशेष जरूरतों को पूरा करना तथा अल्‍पसंख्‍यक संस्‍थानों को मजबूत बनाने पर है। मंत्रालय की कल्‍याण और विकास योजनाओं में गरीब और वंचित अल्‍पसंख्‍यक वर्गों पर बल दिया गया है। 

2016-17 में मंत्रालय का उद्देश्‍य प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण के माध्‍यम से 90 लाख अल्‍पसंख्‍यक विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति उनके बैंक खातों में देना है। 

‘स्किल इंडिया’ तथा ‘मेक इन इंडिया’ के लिए सरकार की प्राथमिकता के अनुरूप तथा देश की अर्थव्‍यवस्‍था में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के मजदूरों की भागीदारी दर बढ़ाने के लिए अल्‍पसंख्‍यकों को कौशल विकास के लिए 2016-17 के बजट में 385 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यह राशि 2015-16 में 209.45 करोड़ रुपये थी। 385 करोड़ रुपये के आवंटन में एकीकृत शैक्षिक तथा आजीविका कार्यक्रम ‘नई मंजिल’ शामिल हैं। मंत्रालय ने कौशल विकास के लिए 2015-16 में दो नये कार्यक्रम- ‘उस्‍ताद’ और ‘नई मंजिल’ शुरू किया। मंत्रालय ने 2014-15 में अल्‍पसंख्‍यक समुदायों की कौशल विकास आवश्‍यकताओं को पूरा करने और रोजगार तथा उद्यमिता पर प्राथमिक बल के साथ अल्‍पसंख्‍यक समुदायों को सतत आजीविका प्रदान करने के लिए रियायती रिण से इसे जोडने के लिए मौलाना आजाद राष्‍ट्रीय कौशल अकादमिक की स्‍थापना की। अल्‍पसंख्‍यकों के कौशल विकास के लिए शुरू किए गए कार्यक्रम ‘सीखो और कमाओ’ का विस्‍तार किया गया है। मंत्रालय का उद्देश्‍य इन योजनाओं के तहत 2016-17 में 1 लाख 40 हजार अल्‍पसंख्‍यक युवाओं को प्रशिक्षित करना है। 

नई योजना ‘नई मंजिल’ 8 अगस्‍त 2015 को प्रारंभ की गई। यह योजना उन युवाओं के लिए लाभकारी है जिनके पास औप‍चारिक रूप से स्‍कूल छोडने का प्रमाण-पत्र नहीं है। यानी ऐसे युवा जिन्‍होंने स्‍कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दी या जिन्‍होंने मदरसों जैसे सामुदायिक शैक्षिक संस्‍थानों में पढ़ाई की है। यह योजना ऐसे लोगों को संगठित क्षेत्र में बेहतर रोजगार ढूंढने योग्‍य बनाने और उन्‍हें बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए है। इससे मदरसों के विद्यार्थियों के लिए अवसरों के द्वार खुलेंगे। यह योजना पांच वर्षों के लिए 650 करोड़ रुपये की लागत से मंजूर की गई हैं। योजना का 50 प्रतिशत धन विश्‍व बैंक देगा। विश्‍व बैंक ने 50 मिलियन डॉलर धन देने की मंजूरी दी है। यह पहला मौका है जब विश्‍व बैंक भारत में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के कल्‍याण के लिए कार्यक्रम को समर्थन देने आगे आया है। 2016-17 के लिए योजना के तहत 25 हजार अल्संख्‍यक युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए 155 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। 

अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण को ध्‍यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 2016-17 के बजट में 3800 करोड़ रुपये का बजट परिव्‍यय रखा है। यह 2015-16 के 3712.78 करोड़ रुपये की तुलना में 87 करोड़ रुपये अधिक है। 

अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्रालय ने कौशल विकास के जरिये शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए राष्‍ट्रीय प्राथमिकता के आधार पर अपनी प्रथमिकताओं का निर्धारण किया है। 

2016-17 में मंत्रालय के बजट का लगभग 50 प्रतिशत हिस्‍सा अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के शैक्षिक सशक्तिकरण में लगाया जाएगा। यह अल्‍पसंख्‍यकों के विकास के लिए अत्‍यंत आवश्‍यक है। 2016-17 में मंत्रालय का उद्देश्‍य प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण के माध्‍यम से 90 लाख अल्‍पसंख्‍यक विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति उनके बैंक खातों में देना है। मंत्रालय ने मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप को मांग प्रेरित बनाने के लिए प्रावधान किया है। ‘स्किल इंडिया’ तथा ‘मेक इन इंडिया’ के लिए सरकार की प्राथमिकता के अनुरूप तथा देश की अर्थव्‍यवस्‍था में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के मजदूरों की भागीदारी दर बढ़ाने के लिए अल्‍पसंख्‍यकों को कौशल विकास के लिए 2016-17 के बजट में 385 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यह राशि 2015-16 में 209.45 करोड़ रुपये थी। 385 करोड़ रुपये के आवंटन में एकीकृत शैक्षिक तथा आजीविका कार्यक्रम ‘नई मंजिल’ शामिल हैं। मंत्रालय ने कौशल विकास के लिए 2015-16 में दो नये कार्यक्रम- ‘उस्‍ताद’ और ‘नई मंजिल’ शुरू किया। मंत्रालय ने 2014-15 में अल्‍पसंख्‍यक समुदायों की कौशल विकास आवश्‍यकताओं को पूरा करने और रोजगार तथा उद्यमिता पर प्राथमिक बल के साथ अल्‍पसंख्‍यक समुदायों को सतत आजीविका प्रदान करने के लिए रियायती रिण से इसे जोडने के लिए मौलाना आजाद राष्‍ट्रीय कौशल अकादमिक की स्‍थापना की। अल्‍पसंख्‍यकों के कौशल विकास के लिए शुरू किए गए कार्यक्रम ‘सीखो और कमाओ’ का विस्‍तार किया गया है। मंत्रालय का उद्देश्‍य इन योजनाओं के तहत 2016-17 में 1 लाख 40 हजार अल्‍पसंख्‍यक युवाओं को प्रशिक्षित करना है। 

नई योजना ‘नई मंजिल’ 8 अगस्‍त 2015 को लॉंच की गई। यह योजना वैसे युवाओं के लिए लाभकारी है जिनके पास औप‍चारिक रूप से स्‍कूल छोडने का प्रमाण-पत्र नहीं है। यानी ऐसे युवा जिन्‍होंने स्‍कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दी या जिन्‍होंने मदरसों जैसे सामुदायिक शैक्षिक संस्‍थानों में पढ़ाई की है। यह योजना ऐसे लोगों को संगठित क्षेत्र में बेहतर रोजगार ढूंढने योग्‍य बनाने और उन्‍हें बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए है। इससे मदरसों के विद्यार्थियों के लिए अवसरों के द्वार खुलेंगे। यह योजना पांच वर्षों के लिए 650 करोड़ रुपये की लागत से मंजूर की गई हैं। योजना का 50 प्रतिशत धन विश्‍व बैंक देगा। विश्‍व बैंक ने 50 मिलियन डॉलर धन देने की मंजूरी दी है। यह पहला मौका है जब विश्‍व बैंक भारत में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के कल्‍याण के लिए कार्यक्रम को समर्थन देने आगे आया है। 2016-17 के लिए योजना के तहत 25 हजार अल्संख्‍यक युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए 155 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। 

सरकार ने एक और महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम ‘उस्‍ताद’ 14 मई 2015 को वाराणसी में शुरू किया। यह कार्यक्रम कौशल बढ़ाने और पारंपरिक कला विकास प्रशिक्षण का है। इसका उद्देश्‍य कारीगरों और दस्‍तकारों के कौशल को नवीनतम बनाना है। यह योजना पारंपरिक कौशल के लिए मानक तय करेगी। प्रशिक्षित करीगर और दस्‍तकार विशेष पारंपरिक कलाओं/शिल्‍पों में अल्‍पसंख्‍क युवाओं को प्रशिक्षित करेंगे। मंत्रालय ने दस्‍तकारों को बाजार संपर्क में सुविधा के लिए ई-कॉमर्स पोर्टल shopclues.com के साथ समझौता किया है। मंत्रालय ने डिजाइन, उत्‍पादन श्रृंखला विकास, पै‍केजिंग, प्रदर्शनी, फैशन शो तथा प्रचार के लिए राष्‍ट्रीय फैशन टैक्‍नोलॉजी संस्‍थान (एनआईएफटी) ,राष्‍ट्रीय डिजाइन संस्‍थान (एनआईडी) तथा भारतीय पैकेजिंग संस्‍थान (आईआईपी) से संपर्क किया है। बिक्री बढ़ाने तथा ब्रांड विकसित करने के लिए ई-मार्केटिंग पोर्टलों से समझौता किया जा रहा है। 2016-17 में अल्‍पसंख्‍यकों की पारंपरिक कलाओं तथा शिल्‍प कला से जुड़े 32 कलस्‍टरों में काम शुरू किया जाएगा। 

बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम – जनविकास कार्यक्रम - के अंतर्गत बजट का 30 प्रतिशत हिस्‍सा अल्‍पसंख्‍यक रिहायशी इलाकों में अवसंरचना आवश्‍यकताओं को पूरा करने में लगाया जाएगा। 2011 की जनगणना आकड़ों का विश्‍लेषण करके इस कार्यक्रम को और कारगर बनाया जाएगा और इसका बल लक्षित अल्‍पसंख्‍यकों पर होगा। विद्यार्थियों, कामकाजी महिलाओं, पोलिटेक्निक आदि के लिए अवसंरचना बनाने पर बल दिया जाएगा। 

वर्तमान सरकार द्वारा 2014-15 में शुरू किए गए कार्यक्रम ‘हमारी धरोहर’ के अंतर्गत समृद्ध विरासत तथा अल्‍पसंख्‍यकों की संस्‍कृति के संरक्षण के अन्‍य कार्यक्रमों को शुरू किया जाएगा। 

2016-17 में महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम ‘नई रोशनी’ को मंत्रालय के कौशल विकास तथा उद्यमशिलता विकास कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा ताकि अल्‍पसंख्‍यक महिलाओं को आर्थिक रूप से स‍शक्‍त बनाया जा सके। 

राष्‍ट्रीय अल्‍पसंख्‍यक विकास तथा वित्‍त निगम (एनएमडीएफसी) अधिसूचित अल्‍पसंख्‍यकों के पिछड़े वर्गों के सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए रियायती दर पर स्‍व-रोजगार तथा आय सृजन करने वाले नये उद्यमों के लिए ऋण उपलब्‍ध कराता है। एनएमडीएफसी के इतिहास में पहली बार वर्तमान सरकार ने एनएमडीएफसी की अधिकृत हिस्‍सा पूंजी 1500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2015 में 3000 करोड़ रुपये कर दिया। इसके बाद मंत्रालय ने एनएमडीएफसी की इक्विटी में 150 करोड़ रुपये का योगदान दिया और 2016-17 के लिए 140 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। इससे स्‍व-रोजगार के लिए अल्‍पसंख्‍यक समुदायों को रियायती ऋण देने के लिए एनएमडीएफसी और धन का लाभ उठा सकता है। 

मंत्रालय संसद के बजट सत्र में वक्फ संपत्तियों पर अनाधिकृत रूप से कब्‍जा जमाए लोगों से संपत्ति को मुक्‍त कराने संबंधी विधेयक लाने का सभी प्रयास कर रहा है। 

‘हज’ विषय विदेश मंत्रालय से अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्रालय को दिए जा रहे हैं। 

जल संसाधन तथा गंगा संरक्षण मंत्रालय के बजट में 168% की बढ़ोतरी


जल संसाधन मंत्रालय का कुल संसाधन आबंटन 2015-16 के 7,431 करोड़ रुपये की तुलना में 2016-17 के बजट में बढ़ाकर 12, 517 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह बजटीय समर्थन और बाजार उधार से हुआ है । यह 168 प्रतिशत से अधिक वृद्धि है ।

यह जानकारी आज नई दल्ली में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने दी। उन्होंने बताया कि भू-जल के आवंटन में 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और सतत भू-जल संसाधन के लिए 6,000 करोड़ रुपये के प्रमुख कार्यक्रम को स्वीकृति मिली है ।

सुश्री उमा भारती ने शीघ्र सिचांई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) की चर्चा करते हुए बताया कि इस कार्यक्रम के तहत अब तक कुल 297 परियोजनाएं शुरू की गई हैं और जिनमें से अब तक 143 परियोजनाएं पूरी हो गई हैं। 149 चल रही परियोजनाओं में से 89 परियोजनाओं को सक्रिय पाया गया है और उनमें से 46 परियोजनाएं उच्‍च प्राथमिकता श्रेणी के तहत रखी गई हैं। ये परियोजनाएं संभवत: विभिन्‍न स्‍तरों में 2020 के अंत तक पूरी हो जाएंगी। इसके अतिरिक्‍त इन 46 परियोजनाओं में से आगे 23 परियोजनाओं को चुना गया है और इन्‍हें मार्च, 2017 तक पूरा करने का लक्ष्‍य रखा गया है। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं पर कार्य मिशन मोड में किया जा रहा है ताकि परियोजनाएं निर्धारित समय तक पूरी हो जाएं और इन परियोजनाओं से कृषकों को पूर्ण लाभ प्राप्‍त हो सके। उन्होंने बताया कि इन परियोजनाओं के लिए निधि की व्‍यवस्‍था करने के लिए एक नवाचारी निधियन प्रणाली तैयार की गई है। केन्‍द्र और राज्‍यों के वार्षिक बजट से 10-20 वर्षों के बीच पुनर्भुगतान अनुसूची सहित बाजार ऋण से निधि‍की व्‍यवस्‍था की जाएगी। प्राथमिकता वाली परियोजनाओं को पूरा करने के लिए केन्‍द्र और राज्‍य दोनों मिलकर मिशन मोड में कार्य करेंगे। इस कार्य में और तेजी लाने के लिए तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और महाराष्‍ट्र के सिंचाई मंत्रियों सहित कुछ अन्‍य राज्‍यों के प्रधान सचिवों की एक समिति गठित की गई है। 

सुश्री भारती ने कहा कि भारत में भूमि जल संसाधनों के अतिदोहन, अस्‍थायी सिंचाई और जल गुणवत्‍ता गिरने से भूमि जल आपूर्ति की विश्‍वसनीयता को खतरा हो रहा है। भारत विश्‍व भर में भूमि जल का सबसे बड़ा प्रयोक्‍ता है। कुल उपलब्‍ध 433 क्‍यूबिक किलोमीटर पुनर्भरणीय स्रोतों में से प्रति वर्ष 245 क्‍यूबिक किलोमीटर भूमि जल दोहन का अनुमान है जो कि विश्‍व के कुल जल का एक चौथाई से अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में 60 प्रतिशत से अधिक सिंचित कृषि और 85 प्रतिशत पेयजल आपूर्ति भूमि जल पर आधारित है। राष्‍ट्रीय भूमि जल प्रबंधन सुधार परियोजना में स्‍थायी भूमि जल संसाधन प्रबंधन और सुधारों के लिए एक वातावरण तैयार करने के लिए सहायता का प्रस्‍ताव है ।

उन्होंने बताया कि कुल वित्‍तीय परिव्‍यय 6000 करोड़ रूपये है जिसमें से 3000 करोड़ रूपये आईबीआरडी ऋण के रूप में मिलेंगे । परियोजना की अवधि 6 वर्ष है। परियोजना के चार प्रमुख घटक हैं- भूमि जल प्रबंधन के लिए निर्णय सहायता तंत्र, स्‍थायी भूमि जल प्रबंधन के लिए क्षेत्र विशिष्‍ट ढ़ांचा, भूमि जल पुनर्भरण को बढ़ाना और जल उपयोग दक्षता में सुधार, समुदाय आधारित प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए संस्‍थाओं का सुदृढ़ीकरण। परियोजना जल की कमी वाले पता लगाये गये 5 राज्‍यों (हरियाणा, राजस्‍थान, गुजरात, महाराष्‍ट्र और कर्नाटक) में कार्यान्वित की जानी है।

सुश्री भारती ने कहा कि सीजीडब्‍ल्‍यूबी ने विश्‍व भर में जलभृत्‍तों के मानचित्रण के संबंध में सबसे अधिक प्रयास किया है जिसके तहत देश में मानचित्र तैयार करने योग्‍य कुल क्षेत्र लगभग 23.25 लाख वर्ग किलोमीटर और कछारी क्षेत्र में इसका वर्टीकल विस्‍तार 300 मीटर और कठोर चट्टानी क्षेत्र में 200 मीटर है । जलभृत्‍त का विस्‍तार, उनकी क्षमता, संसाधन उपलब्‍धता, रासायनिक गुणवत्‍ता, उसके स्‍थायी प्रबंधन विकल्‍पों का पता लगाया जाएगा । उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से किसानों के लाभ के लिए दीर्घकालीन स्‍थायित्‍व उपलब्‍ध कराने के हेतु भूजल के सहभागिता आधारित प्रबंधन में सहायता मिलेगी ।

सुश्री भारती ने बताया कि इस समय भूमि जल की कमी वाले 8 राज्‍यों पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया है। इसमें हरियाणा, पंजाब, राजस्‍थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और बुंदेलखंड का 5.25 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र शामिल हैं। 1.16 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का मानचित्रण पूरा हो गया है। शेष का मानचित्रण मार्च, 2017 तक पूरा किया जाना है। संपूर्ण देश में यह कार्य 2022 तक पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 87 जिलों को शामिल करते हुए 10 राज्‍यों के 331 ब्‍लॉकों के अलग-थलग क्षेत्रों में आर्सेनिक संदूषण का पता लगा है। जलभृत मानचित्रण से गंगा के मैदानी क्षेत्रों में आर्सेनिक मुक्त गहरे जलभृतों का पता लगाने में सहायता मिली है। सीजीडब्ल्यूबी ने पिछले वर्ष के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में 274 कुओं का निर्माण किया है जो स्वच्छ जल की आपूर्ति के लिए राज्य सरकार को निःशुल्क सौंप दिए गए थे। इससे लगभग 30 लाख लोग लाभान्वित हुए हैं। इस वर्ष सीजीडब्ल्यूबी ने पेयजल के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए कुओं का निर्माण करके उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के चयनित क्षेत्रों में जोर देते हुए आर्सेनिक नियंत्रण कार्य शुरू किया है जिससे लगभग 8 लाख लोगों को लाभ होगा। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के बैरिया ब्लॉक और गाजीपुर जिले के करंडा ब्लॉक के आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्र में गहरे जलभृतों से जल का प्रयोग करते हुए 62 कुओं का निर्माण किया जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, ब्रह्मपुर ब्लॉक, बक्सर जिले (बिहार), साहिबगंज, राजमहल एवं उध्वा ब्लॉक, साहिबगंज जिले (झारखंड) और पंडुआ ब्लॉक, हुगली जिले (पश्चिम बंगाल) में 147 कुओं का निर्माण किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में सीजीडब्ल्यूबी ने बीएआरसी और एनईईआरआई के साथ मिलकर जारी राष्ट्रीय जलभृत प्रबंधन परियोजना (एनएक्यूयूआईएम) के अंतर्गत हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश राज्यों के कुछ भागों में पालियो चैनलों के संबंध में स्थल विशिष्ट अध्ययन शुरू किए हैं। प्रो. वाल्डिया, पद्म भूषण की अध्यक्षता में पालियो चैनल/सरस्वती नदी के संबंध में उपलब्ध सूचना की समीक्षा करने के लिए प्रतिष्ठित शोधकर्ताओं को शामिल करते हुए राष्ट्र स्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित की जा रही है

केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आम बजट के लिए वित्तमंत्री को बधाई दी


केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली को आम बजट 2016-17 पर बधाई दी। अपने बयान श्री सिंह ने कहा कि 'मैं केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली को 2016-17 के उत्तम आम बजट पेश करने पर बधाई देता हूं। यह बजट पूर्ण रूप से किसानों, गरीबों और सुधार के पक्ष में है। इस बजट में सरकार की प्राथमिकता की रूपरेखा के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का स्वप्न नजर आता है।' 

अगर यह आम बजट प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सालाना परीक्षा है तो मैं यह अवश्य कहूंगा कि श्री मोदी इस परीक्षा में पूर्ण रूप से सफल हुए हैं। बजट 2016-17 से सरकार को आर्थिक नीव को मजबूत करने और बुनियादी सुविधाओं के जाल को बढ़ाने का अवसर मिलेगा। इस वर्ष सरकार की प्राथमिकता ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और किसानों को आय सुरक्षा प्रदान करना होगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बीस हजार करोड़ के आवंटन के साथ संयोजित सिंचाई सुविधाओं को बेहतर बनाये जाने पर बल दिया जायेगा जिससे भारत में कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा। 

किसानों को कृषि संबंधी ऋण देने के लिए उच्चतम लक्ष्य 9 लाख करोड़ रखा गया है और मनरेगा के लिए 38500 करोड़ रुपये का आवंटन किया जायेगा जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना निधि को बढ़ाकर 19000 करोड़ किया जायेगा जो ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की ओर बड़ा कदम है। 

इस वर्ष बुनियादी ढांचे का विकास बजट की पहली प्राथमिकताओं में रहेगा जिसमें 55 हजार करोड़ को राजमार्गों के विकास के लिए रखा जायेगा। इस बार की एनडीए सरकार रेलवे में बड़ी राशि निवेश करने के साथ बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में पहले की तुलना में 2.2 लाख करोड़ का इजाफा करेगी। 

बजट में बीपीएल परिवारों को एक लाख से ज्यादा का स्वास्थ्य बीमा दिया की बात कही गई है जो यह दर्शाती है कि वर्तमान सरकार गरीब और जरुरतमंदों की चिंता करती है। रेलवे में पूंजी व्‍यय को जोड़ देने से राजग सरकार द्वारा बुनयादी सेक्‍टर में किया जाने वाला निवेश बढ़कर 2.2 लाख करोड़ हो जाएगा। 

बजट में यह ग्राम पंचायतों और नगर पालिकाओं को 2.87 करोड़ का वित्तीय सहायता दिये जाने की बात कही गई है जो कि लंबे समय तक पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगी। 

बजट में कई ऐसे प्रावधानों को शामिल किया गया है जो निर्माण क्षेत्र को बढ़ाने के साथ युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध करायेगा। यह बजट निश्चित रूप से हर मोर्चे पर लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरा है और अर्थव्यवस्था पर भविष्य में कई तरह के सकरात्मक प्रभाव देखे जा सकेंगे। 

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