मुस्लिम लड़की ने अपनाया हिंदू धर्म, कारण जानकार हो जायेंगे दंग


एक मुस्लिम लड़की ने हिंदू धर्म अपना लिया। शपथपत्र देकर खुद का धर्म परिवर्तन कर हिंदू धर्म अपनाने की जानकारी लड़की ने दी। लेकिन इसके पीछे उसने जो वजह बताई है उसे जाने बिना आप नहीं रह पाएंगे।

हल्द्वानी के बनभूलपुरा निवासी एक मुस्लिम लड़की ने शुक्रवार को सिटी मजिस्ट्रेट को शपथपत्र देकर हिंदू धर्म अपनाने की जानकारी दी और परिजनों से सुरक्षा की गुहार लगाई। लड़की का कहना है कि मुस्लिम धर्म में महिलाओं के प्रति संकुचित सोच और वहां स्वतंत्रता से जीने का अधिकार न होने के कारण उसने हिंदू धर्म अपनाया है। लिहाजा भविष्य में उसे शहनवाज के बजाय सुनीता के नाम से जाना जाए। इधर, सिटी मजिस्ट्रेट ने मामले की जांच पुलिस को सौंप दी है।

जानकारी के मुताबिक बनभूलपुरा निवासी मकबूल अहमद की पुत्री शहनवाज (22) शुक्रवार को कुछ लोगों के साथ सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंची। शहनवाज ने सिटी मजिस्ट्रेट को शपथपत्र देकर खुद के हिंदू धर्म अपनाने की जानकारी दी। सिटी मजिस्ट्रेट को दिए शपथ पत्र में शहनवाज ने कहा है कि मुस्लिम धर्म में महिलाओं के प्रति संकुचित सोच के चलते उसने अन्य धर्मों के बारे में जानकारी प्राप्त की। उसे पता चला कि हिंदू धर्म में महिलाओं को स्वतंत्र होकर जीने का अधिकार है और वहां किसी तरह की कोई धार्मिक पाबंदी भी नहीं है।

शपथपत्र में शहनवाज ने कहा कि मुस्लिम परिवार में तमाम पाबंदियों के चलते उसने अपना नाम सुनीता रख लिया है। उसका कहना है कि इस संबंध में वह पहले ही जिलाधिकारी को शपथ पत्र भेज चुकी है। धर्म परिवर्तन किए जाने पर परिजनों द्वारा उसे जान से मारने की धमकी भी दी गई है। शहनवाज ने सिटी मजिस्ट्रेट से सुरक्षा की गुहार लगाते हुए अभिलेखों में भी नाम व धर्म परिवर्तन कराने की मांग की है। 

इधर सिटी मजिस्ट्रेट पंकज उपाध्याय ने बताया कि लड़की द्वारा धर्म परिवर्तन के संबंध में शपथ पत्र दिया गया है। उन्होंने इसे लड़की का व्यक्तिगत मामला बताते हुए कहा कि महिला द्वारा किन परिस्थितियों में धर्म परिवर्तन किया गया है अथवा कहीं किसी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा लड़की को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर तो नहीं किया गया है इस संबंध में जांच के लिए मामला पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया है।


तोगड़िया की लंबी उम्र के लिए अब कांग्रेसी करेंगे महाआरती


विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगड़िया की लंबी उम्र के लिए कांग्रेसी गुरुवार शाम 8 बजे भेरू चौक पर महाआरती करेंगे। पढ़कर अजीब लगा होगा। मगर यह सूचना प्रदेश कांग्रेस सदस्य बसंत मालपानी ने स्वयं की फेसबुक वॉल से पोस्ट की है। 

मालपानी ने भास्कर से चर्चा में बताया तोगड़िया स्वयं हिंदूवादी संगठन के पदाधिकारी हैं। वे ही अगर खुद की जान को खतरा बता रहे हैं तो देश के शीर्ष पटल की राजनीति के संदर्भ समझे जा सकते हैं। गौरतलब है इसी साल नवंबर में प्रदेश में विधानसभा चुनाव है। प्रदेश कांग्रेस समिति का यह बयान किस रणनीति के तहत आया है। फिलहाल तो भाजपा इसे ही सुलझाने में जुट गई है। 

मालपानी ने बताया लंबे समय से हिंदू हितों की पैरवी करने वाले डाॅ. तोगड़िया केंद्र और गुजरात में भाजपा सरकार होने के बाद भी स्वयं की जान असुरक्षित बता रहे हैं। ऐसा कैसे हो सकता है... कांग्रेस के शासनकाल में भी वो हिंदूवादी नेता के रूप में विद्रोही बयान देते आए हैं, लेकिन कभी उनकी जान को खतरा नहीं हुआ। ये हास्यास्पद है। ऐसा लगता है कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाने की कसमें खाने वाली भाजपा हिंदूवादी नेताओं से किनारा कर रही है। अन्यथा देश के शीर्षस्थ हिंदूवादी नेता डॉ. तोगड़िया मीडिया के सामने इतनी असहाय स्थिति में प्रस्तुत नहीं होते। लगता है भाजपा की केंद्र सरकार ने श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर अपने एजेंडे में बदलाव किया है। इसलिए तोगड़िया को लग रहा है कि उनकी जान को खतरा है। कांग्रेस उनकी लंबी उम्र की कामना करेगी। 

#NPPA ने 30 जरूरी दवाओं के दाम घटाए, देखिये पूरी सूची


मरीजों को राहत देते हुए नेशनल फॉर्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने बुधवार 17 जनवरी 2018 को 30 जरूरी दवाओं की कीमतें घटा दी हैं। वहीं, 3 जरूरी दवाओं की कीमतें फिर से रिवाइज की गई हैं। इनमें डायबिटीज, कैंसर और हाई बीपी में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं। बता दें कि एनपीपीए समय-समय पर दवाओं का मैक्सिमम प्राइज तय करती है, जिससे मरीजों को महंगी दवाओं से छुटकारा मिल सके। 

एनपीपीए ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा, "ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) अमेंडमेंट ऑर्डर-2013 के तहत 30 दवाओं की कीमतें घटाई गई हैं। एनपीपीए ने नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंन्शियल मेडिसिन 2015 के तहत अब तक 996 दवाओं के रेट घटाए हैं। दिसंबर तक 966 दवाओं के रेट एनपीपीए ने तय किए थे।

एनपीपीए ने कहा है, "मैन्युफैक्चरर्स तय कीमत से ज्यादा नहीं ले सकते हैं। अगर कंपनियां सीलिंग प्राइस और रूल्स का पालन नहीं करती हैं तो उन्हें वसूली गई एक्स्ट्रा कीमत ब्याज समेत जमा करानी पड़ेगी। कंपनियों को इन दवाओं की कीमतों में साल में 10% तक की ही बढ़ोतरी करने की इजाजत होगी।"

एनपीपीए ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) ऑर्डर-2013 के तहत शेड्यूल-1 में आने वाली जरूरी दवाओं की कीमत तय करता है। सरकार जरूरत के हिसाब से जरूरी दवाओं की लिस्ट तैयार करती है, जिसमें समय-समय पर नई दवाओं को शामिल किया जाता है। लिस्ट को नेशनल लिस्ट ऑफ एसेन्शियल मेडिसिन (एनएलईएम) कहा जाता है। इन लिस्ट में शामिल दवाइयों को काफी किफायती कीमत पर दिलाने की जरूरत होती है,  इसलिए समय-समय पर कीमतें कम की जाती हैं। इसका मकसद सभी ब्रांड की एक ही दवा की कीमत बराबर रखना है, जिससे कस्टमर्स अपनी सुविधा के अनुसार चुनाव कर सकें।  

दवाओं की सूची देखने के लिए नीचे दी गई लिनक्स पर जा सकतें हैं :

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