तो यह है मोदी सरकार में 8 प्रमुख उद्योगों का सूचकांक


1.      आठ प्रमुख उद्योगों का सूचकांक (आधार: 2004-05 = 100) अनुलग्नक में दिया गया है।
2.     आठ प्रमुख उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक (आईआईपी) में शामिल मदों के भार में लगभग 38 प्रतिशत योगदान है। आठ प्रमुख उद्योगों का संयुक्त सूचकांक अगस्त 2015 में 169.6 रहा जो अगस्त 2014 के सूचकांक के मुकाबले 2.6 प्रतिशत अधिक है।
कोयला
3.    अगस्त 2014 के मुकाबले अगस्त 2015 में कोयले के उत्पादन में (भारः 4.38 प्रतिशत) 0.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अप्रैल से अगस्त, 2015-16 में इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 4.6 प्रतिशत अधिक रहा।
कच्चा तेल
4.     अगस्त 2014 के मुकाबले अगस्त 2015 में कच्चे तेल के उत्पादन में (भारः 5.22 प्रतिशत) 5.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अप्रैल से अगस्त, 2015-16 में इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 0.5 प्रतिशत अधिक रहा।
प्राकृतिक गैस
5.    अगस्त 2014 के मुकाबले अगस्त 2015 में प्राकृतिक गैस के उत्पादन में (भारः 1.71 प्रतिशत) 3.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अप्रैल से अगस्त, 2015-16 में इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 2.7 प्रतिशत कम रहा।
रिफाइनरी उत्पाद (निश्चित अवधि में कच्चे तेल उत्पादन का 93 प्रतिशत)
6.    अगस्त 2015 में पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादन में (भारः 5.94 प्रतिशत) 5.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अप्रैल से अगस्त, 2015-16 में इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 4.3 प्रतिशत अधिक रहा।
उर्वरक
7.    अगस्त 2015 में उर्वरक उत्पादन में (भारः 1.25 प्रतिशत) 12.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अप्रैल से अगस्त, 2015-16 में इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 5.9 प्रतिशत अधिक रहा।
इस्पात (मिश्र गैर मिश्र)
8.    अगस्त 2015 में इस्पात उत्पाद में (भारः 6.68 प्रतिशत) 5.9 प्रतिशत की कमी हुई। अप्रैल से अगस्त, 2015-16 में इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 0.3 प्रतिशत कम रहा।
सीमेन्ट
9.    अगस्त 2015 में सीमेन्ट उत्पादन में (भारः 2.41 प्रतिशत) 5.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अप्रैल से अगस्त, 2015-16 में इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 1.8 प्रतिशत अधिक रहा।
विद्युत
10.       अगस्त 2015 में विद्युत उत्पादन में (भारः 10.32 प्रतिशत) 5.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अप्रैल से अगस्त, 2015-16 में इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 2.8 प्रतिशत अधिक रहा।
नोट- आंकड़े अनंतिम हैं, कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात, सीमेंट और विद्युत के संबंध में पिछले वर्ष के समतुल्य माह के लिए प्राप्त संशोधित आंकड़ों के आधार पर संशोधन किया गया है। तदनुसार अगस्त, 2014 के लिए सूचियों को संशोधित किया गया है।
नोट- II सितम्बर, 2015 के लिए सूचकांक 02 नवम्बर, 2015 को जारी किया जाएगा।

आठ प्रमुख उद्योगों का कार्य निष्पादन
वार्षिक सूचकांक और विकास दर
आधार वर्षः 2004-2005 = 100
:: अनुलग्न :: 



#अप्रैल 2012 से आरआईएल (एसईजेड) उत्पादन आकड़ों को शामिल करने के कारण वर्ष 2012-13 के लिए रिफाइनरी उत्पादों की वार्षिक विकास दर तुलनात्मक नहीं है।

आठ प्रमुख उद्योगों का कार्य निष्पादन
मासिक सूचकांक और विकास दर
आधार वर्षः 2004-2005 = 100

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राहुल गाँधी का पर्दाफाश-ओवरसीज प्रमुख बोले नहीं लिया किसी सम्मलेन में भाग


कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की विदेश यात्रा को लेकर कांग्रेस की ओर से गत सोमवार को पेश किए गए सबूतों पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राहुल गांधी की विदेश यात्रा पर भाजपा के तीखे हमलों के मद्देनजर कांग्रेस ने कुछ तस्वीरें जारी कर कहा था कि राहुल ने अमेरिका के एस्पेन शहर में सम्मेलन में शिरकत की।

सूत्रों के अनुसार राहुल की विदेश यात्रा को लेकर उठे विवाद को शांत करने की कोशिश के तहत कांग्रेस को यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा लेकिन कुछ देर बाद ही विदेश में कांग्रेस की अमेरिकी इकाई इंडियन नैशनल ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख जुनेद काजी ने राहुल के किसी सम्मेलन में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया।

जुनेद काजी ने कहा कि राहुल गांधी ने ऐसे किसी भी सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया। जुनेद के इस बयान के बाद उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया। जब जुनैद ने राहुल गांधी के किसी भी दौरे की जानकारी होने से इंकार कर दिया तो कांग्रेस ने कहा कि वे कांग्रेस की ओवरसीज की अध्यक्ष है ही नहीं। 

काजी ने इस्तीफा देते हुए कहा कि वे कांग्रेस के इस बर्ताव से अपमानित महसूस कर रहा हूं।  
गौरतलब है कि कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि राहुल एक सम्मेलन में शामिल होने के लिए अमेरिका के एस्पेन शहर गए हुए हैं। हालांकि पार्टी ने इसके अलावा कोई और जानकारी नहीं दी थी। इसी के बाद राहुल पर राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो गया था।

डिजिटल इंडिया की तिरंगे वाली DP का Internet.org कोई सम्बन्ध नहीं - फेसबुक

फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनी प्रोफाइल पिक्चर को तिरंगे के रंगों में रंगने के बाद जोर-शोर से लोग अपनी प्रोफाइल पिक्चर्स पर यह फिल्टर लगा रहे हैं। मार्क का कहना है कि उन्होंने यह तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया कैम्पेन के समर्थन में लगाई है, लेकिन इंटरनेट पर चर्चा गर्म है कि मार्क इस डीपी के जरिये चुपके से अपने महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट Internet.org के लिए समर्थन जुटा रहे हैं । गौरतलब है, कि मोदी रविवार को फेसबुक के Q&A सेशन में शामिल होने के लिए फेसबुक मुख्यालय गए थे।

जकरबर्ग के अपनी प्रोफाइल पिक बदलने के बाद, कई भारतीयों ने अपनी प्रोफाइल पिक्चर को बदलना शुरू कर दिया और तिरंगे वाली डिस्प्ले पिक्चर वाइरल हो गई। हफिंगटन पोस्ट में छपी खबर के मुताबिक, इस ट्रेंड के चलते ही किसी ने गौर किया कि जब आप अपनी डिस्प्ले पिक बदलते हैं, तो इसके नीचे के html कोड में Internetorg का जिक्र होता है। 


सोशल थ्रेड रेडिट पर कुछ लोगों ने पोस्ट किया, कि आपकी प्रोफाइल पिक्चर बदलने पर डिजिटल इंडिया को आपका सपॉर्ट Internet.org के सपॉर्ट में बदल जाएगा। Internet.org फेसबुक का महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट है जिसका विरोध नेट न्यूट्रैलिटी के सिद्धांत का उल्लंघन करने के लिए पिछले दिनों व्यापक तौर पर किया गया था। फेसबुक का कहना है कि Internet.org प्रोग्राम के तहत वह रिमोट इलाकों में बेसिक इंटरनेट सर्विसेज मुफ्त में पहुंचाना चाहता है। आलोचकों का मानना है कि फेसबुक की इस पहल से गरीब इलाकों में यह समझ बन जाएगी कि इंटरनेट का मतलब सिर्फ फेसबुक है और उसके बाद फेसबुक इस बात से मुनाफा कमाएगा।

कई मीडिया स्टोरीज में भी यह तथ्य बिना यह देखे भाले उठा लिया गया है कि इस html कोड का असली मतलब क्या है।

अगर यह विचार यूजर्स के दिल में घर कर गया कि फेसबुक चुपके से Internet.org के लिए सपॉर्ट हासिल करने में जुटा है, तो फेसबुक की विश्वसनीयता के लिए यह घातक साबित हो सकता है। हफिंगटन पोस्ट का मानना है, कि यह html कोड जिसका हिस्सा 'Internetorg' है, दरअसल इस इमेज फाइल की डिस्क्रिप्शन का हिस्सा है।



इस मामले पर फेसबुक के प्रवक्ता ने बताया है कि तिरंगे वाली प्रोफाइल पिक्चर और Internet.org के बीच कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, 'डिजिटल इंडिया के लिए अपनी प्रोफाइल पिक्चर अपडेट करने का कोई भी संबंध Internet.org से नहीं है। एक इंजिनियर ने गलती से Internet.org profile picture नाम से इमेज डाली जिससे कोड में यह आ गया। आज हम यह कोड बदल रहे हैं ताकि कोई भ्रम न रहे।'

सुनिए व पूरा पढ़िए ज़क्करबर्ग के साथ फेसबुक मुख्यालय में मोदी का पूरा इंटरव्यू


Mr. Mark Zuckerberg:Prime Minister Modi, it’s an honour to welcome you to Facebook. And thank you to everyone here in Hacker Square, and in our community watching us live in India and around the world. 

You know, India is personally very important to the history of our company here. This is a story that I haven’t told publically and very few people know, but early on in our history - before things were really going well and we had hit a tough patch and a lot of people wanted to buy Facebook and thought we should sell the company – I went and I saw one of my mentors, Steve Jobs. And he told me that in order to reconnect with what I believed as the mission of the company, I should visit this temple that he had gone to in India early on in his evolution of thinking about what he wanted Apple and his vision of the future to be. 

And so I went and I travelled for almost a month, and seeing the people, seeing how people connected, and having the opportunity to feel how much better the world could be if everyone had a stronger ability to connect, reinforced for me the importance of what we were doing. And that is something that I’ve always remembered over the last 10 years as we’ve built Facebook. 

We had a great conversation last year, in Delhi. And I am looking forward to having a conversation with you and our entire community about how you see the future of India and the world. When I think about the future, I’m personally excited about India for a number of reasons. 

First, one the greatest opportunities we have in the world today, is to connect everyone to the Internet. The internet provides access, not only to entertainment and communication, but also vital information about health, education, and jobs. In fact, for every 10 people who gain access to the internet, about one person gets lifted out of poverty, and about one new job gets created. 

Now, there’s still a billion people in India who we need to connect to the internet. And connecting them represents one of the greatest opportunities available to humanity today. So I am deeply appreciative of Prime Minister Modi’s commitment to Digital India, to make this enormous opportunity a reality for all Indians, and I am personally also impressed by the example Prime Minister Modi has set of using the internet and social media to communicate directly with Indian citizens. Whether spreading messages of peace, or campaigning for women’s rights, of children’s development, or Digital India, it’s fitting that the leader of the world’s largest democracy is also setting the example for all world leaders for how they should connect with their citizens in the future. 

When everyone can make their voices heard online, that’s when we can have meaningful conversations about the future. And that’s how society can come together and achieve the shared goals. 

So, the last time that a Prime Minister of India visited California was in 1982. And a lot has changed since then. Today India is a global leader, Indian businesses and culture are transforming people’s lives around the world, and for India to keep making progress, India needs to be a leader online. 

And, Prime Minister Modi, you are an example of what that looks like. So I’m excited to hear today about how you see these goals, and why the world should be optimistic about the future of India. 

Thank you and welcome to Facebook. 

Prime Minister, Shri Narendra Modi:मार्क, मैं आपका बहुत आभारी हूं कि आज मुझे फेसबुक के हेडक्‍वार्टर पर आ करके दुनिया जिसके साथ जुड़ी है उनके साथ मुझे आज रूबरू में जुड़ने का अवसर मिला है। 

विज्ञान और आध्‍यात्‍म का नाता ऐसा हो भी सकता है, वो शायद मार्क ने आज न बताया होता, तो दुनिया को पता नहीं चलता। अमेरिका से एक नौजवान कुछ करने के सपने देखता है और विज्ञान की दुनिया में जिसने सफलता पाई है, वैसे उसके गुरू उसे कहते है कुछ भी करने से पहले हिन्‍दुस्‍तान जाओ, वहां किसी temple में जाओ. और वहां जा करके तुम अपनी बात बताओ. तुम्‍हें रास्‍ता मिल जाएगा। ये बात अपने आप में एक अजूबा है। दुनिया के लोगों के लिए आज, मार्क, आपकी बात सुन करके बहुत बड़ा आश्‍चर्य हुआ होगा। और मैं आशा करता हूं कि जो प्रेरणा आपको मिली है, जिस प्रेरणा से आपने इस काम को प्रारंभ किया है… ये सिर्फ कंपनी की बैंक अकांउट को बढ़ाने वाला काम नहीं रहेगा, ये दुनिया के करोड़ों-करोड़ों लोगों की आवाज बनेगा। ये दुनिया के करोड़ों-करोड़ों लोगों के aspiration की अभिव्‍यक्ति का माध्‍यम बनेगा, और ये आपका प्रयास सामान्‍य मानव की आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति करने की जिनकी जिम्‍मेवारी है, उनको जगाए रखेगा, और उस अर्थ में मैं आपके इस प्रयास को अभिनंदन करता हूं, धन्‍यवाद करता हूं। 

आपने सवाल पूछा कि लोग भारत के पास बड़ी आशाभरी नजर से देख रहे है। आपको क्‍या लगता है? जब आप भारत आए, आप किसी टेम्‍पल में गए बड़ी आशा भरी नजर से, और देखिए आप कहां से कहां पहुंच गए! आपका अनुभव कहता है कि जो भारत से आशाएं-अपेक्षाएं है, सामर्थ्‍य भारत में है वो आपका खुद का अनुभव बता रहा है। ये दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। अगर आर्थिक नजरिए से देखा जाए - चाहे World Bank हो, IMF हो, दुनिया की सारी Rating Agencies हो - एक स्‍वर से सब लोग कह रहे है कि आज विश्‍व के बड़े देशों की fastest growing economy अगर कोई है तो वो है भारत। 

आज हम 8 ट्रिलियन डॉलर Economy है। मेरा ड्रीम है 20 ट्रिलियन डॉलर economy में convert करने का। और उस काम को करना है मुझे तो तीन बातों पर मैं बल दे रहा हूं: Agriculture sector, Services sector and Manufacturing sector. आप वो लोग दुनिया से जुड़े हुए है, जिनका सबसे बड़ा कन्‍ट्रिब्‍यूशन सर्विस सेक्‍टर में है। और मैं सर्विस सेक्‍टर की ताकत बहुत बड़ी देख रहा हूं। 

अकेला अगर टूरिज्‍म ले लें, अकेला टूरिज्‍म। भारत के पास टूरिज्‍म के क्षेत्र में इतनी संभावनाएं पड़ी है, जॉब क्रिऐशन के लिए इतनी संभावनाएं पड़ी है और आज की technology ने विश्‍व को इतना निकट ला करके रख दिया है, इतने अपनेपन को पैदा कर दिया है। और टूरिज्‍म अगर बढ़ता है तो सर्विस सेक्‍टर को, जॉब क्रिएशन को... यानी quality of life में change लाने में एक बहुत बड़ी ताकत बनती है। और उस अर्थ में मैं देखता हूं, कि पिछले साल-सवा साल में भारत के प्रति जो नजरिया बदला है, आज कहीं पर भी किसी भारतीय को किसी विदेशी व्‍यक्ति से मिलने का अवसर मिलता है तो वो बड़े गर्व के भाव से देखता है। इतने कम समय में ये perception बदल जाना, ये उस विश्‍वास की नींव के कारण होता है। अगर 15 महीने में सबसे बड़ा काम हमारी सरकार ने किया है तो वो खोए हुए विश्‍वास को हमने वापस लाया है, एक confidence level को लाया है और मैं मानता हूं वही चीजों को बदलाव करते है। ICU में पड़ा हुआ पेशंट भी, जब उसको विश्‍वास हो जाता है कि हां मेरे डॉक्‍टर आ गए, अब मैं ठीक हो जाऊंगा, ICU वाला पेशंट भी बाहर आ जाता है। 


Mr. Mark Zuckerberg: All right, so we have the first question from the thread. We’ve received about 40,00 comments and questions on our Facebook post about this town hall. That’s pretty incredible engagement! 

And several people have flown in today to ask their questions. But before we call them up, I’m actually going to start with one for you. You were one of the early adopters of the internet and social media and Facebook. Did you, at the point, think that social media and the internet would become an important tool for governing and citizen engagement and policy? 

Prime Minister, Shri Narendra Modi:जब मैंने सोशल मीडिया को अपनाया तब मुझे ही मालूम नहीं था कि मैं कभी मुख्‍यमंत्री बनूंगा, कभी प्रधानमंत्री बनूंगा। तो मैंने ये तो सोचा नहीं था कि सोशल मीडिया का मुझे governance में भी काम आ सकता है। मैं जब सोशल मीडिया से जुड़ा तो एक technology के प्रति मेरी curiosity रहती थी। मैंने देखा कि मैं किताबों के द्वारा दुनिया को समझने की जो कोशिश कर रहा हूं, लेकिन मनुष्‍य का स्‍वभाव है कि textbook के बजाए अगर guide मिल जाए तो ज्‍यादा अच्‍छा लगता है, और guide से भी अगर कोई sure suggestions दे देता है तो अच्‍छा लगता है। मेरे लिए सोशल मीडिया ने ये काम किया। मुझे बहुत की कम समय में दो-चार शब्‍दों से, मुझे जिन चीजों की जरूरत थी वो मिल जाती थी। 

और दूसरा फायदा ये हुआ कि मैं बहुत ज्‍यादा पढ़ा-लिखा नहीं हूं। बहुत मेरे पास वो सौभाग्‍य नहीं था कि मुझे कोई ज्‍यादा ज्ञान अर्जित कर सकूं। लेकिन मेरी उस कमी को सोशल मीडिया ने भर दिया। दो-चार शब्‍दों से भी मेरी दुनिया चल जाती थी। और उसके कारण मेरी thought process में बहुत बड़ा बदलाव आया। मैं जो कभी आस पास उस दुनिया से ही सोचता था, एक पूरे विश्‍व के दायरे तक उसे छूने का मुझे अवसर मिला। मैं जुड़ता चला गया। और जैसे-जैसे मैं जुड़ता चला गया, दुनिया ने भी, मैं जैसा हूं वैसा, मुझे स्‍वीकारना शुरू कर दिया। और इंसान के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात ये होती है कि आप जैसे हो वैसे जब दुनिया आपको स्‍वीकार करती है तो उससे बड़ा आनंद का कोई अवसर नहीं होता। वरना क्या है, लोग कहते है “हाँ, आप अच्‍छे है लेकिन ये होता तो अच्‍छा होता, आप बहुत अच्‍छे है लेकिन थोड़ा ये..” सोशल मीडिया में वो problem ही नहीं है! आप जैसे है वैसे दुनिया स्‍वीकार करती है आपको। उसे कोई Question नहीं होता है। और इससे आपका दायरा बहुत तेजी से बढ़ता है। मैंने ये जो पहले अनुभव किया, वो इस दायरे को बढ़ाने वाला अनुभव किया। 

जब मैं सरकार में आया तो तो मेरे सारे दरवाजे खुल गए। मैंने देखा... सरकार का एक problem होता है। उसके और जनता के बीच एक बहुत बड़ा gap होता है, बहुत बड़ी खाई होती है। और जब पता चलता है, पांच साल हो जाते हैं चुनाव आता है, रिजल्‍ट आता है, तब पता चलता है कि भई इतनी बड़ी gap थी। Social Media के कारण daily voting होता है। मैं अभी बात रहा हूं अभी voting चलता होगा कि मोदी ठीक कर रहा है गलत कर रहा है। 

आज Social Media की ताकत है कि किसी भी सरकार को - वो गलत करता है तो रोकता है, गलत करने से डरता है, और गलती सुधारने का अवसर पहले पांच साल में एक बार चुनाव के बाद होता था, आज हर 5 मिनट के बाद होता है। मैं मानता हूं ये लोकतंत्र की बहुत बड़ी ताकत बन गया है। और इसलिए मैं सभी राजनेताओं से, दुनिया के सभी राजनेताओं को - Social Media से भागने से कुछ होने वाला नहीं है, आप जुडि़ए, आप उसको जानने की कोशिश कीजिए। अच्‍छी सरकार तब चलती है, जब Information Channel बहुत हों आपके, और Real Time Information मिलती हो। 

सरकारों के पास पहले Mechanism था भी तो बड़ा slow था। कहीं पर कुछ हो जाता था तो 24 घंटे के बाद जब Newspaper आता था तब पता था यार वहां कहीं हुआ है। आज 24 सेकेंड में पता चलता है कि दुनिया के उस कोने में ऐसा हुआ है। और इसलिए Real Time Information के लिए ये सबसे बड़ा Source है। और अगर Government जागरूक है, सतर्क है, conscious है तो Real Time Information से वो Corrective measures ले सकते हैं, Policy Framework बना सकते हैं और काम की गति को बहुत बड़ा सकते हैं। और उस अर्थ में मैं देख रहा हूं कि Social Media ने Governance में बहुत बड़ा Role Play किया है। 

आपने मुझे सवाल पूछा Diplomacy का। देखिए Diplomacy, पहले क्‍या होता था? Country, Capital एक-दूसरे से जुड़ते थे। दिल्‍ली वाशिंगटन से जुड़ता था। दिल्‍ली टोकियो से जुड़ता था। नेताओं से जुड़ते थे। Social Media के कारण एक देश दूसरे देश के नागरिकों से जुड़ता है। आज मैं चाईना में, चाईना में Social Media का अलग Structure है, लेकिन मैं वहां भी Active हूं। और मैं वहां Chinese Language में Communicate करता हूं। आपको हैरानी होगी मैंने चाईना की विबो पर उनके प्रधानमंत्री के जन्‍मदिन की बधाई दी। चाईना के नागरिकों के लिए उनके प्रधानमंत्री का जन्‍मदिन एक न्‍यूज थे और वो इतना viral हुआ था पूरे चाईना में इतना viral हुआ था। अब ये Diplomacy का रूप कहां किसी ने कभी सोचा था। कभी नहीं सोचा था। मैंने इस्राईल के Prime Minister को उनका एक Festival होता है उस Festival पे हिब्रू भाषा में शुभकामनाएं दीं। वो viral हो गई। लेकिन सबसे बड़ी वजह तब आई जब उन्‍होंने मुझे इसका जवाब, Thanks, हिन्‍दी में भेजा। अब देखिए ये, ये Diplomacy का नया रूप है जो सीधा जनता से जोड़ता है और शायद विश्‍व एक परिवार है, ये formation में, ये Social Media एक Catalytic Agent के रूप में बहुत बड़ी नई भूमिका अदा कर रहा है। 


Mr. Mark Zuckerberg: One of the reasons why so many of us here at Facebook admire your leadership so much, is that we deeply agree, in our mission, with so much of what you just said. So, thank you for that. 

Our next question is from Veer Kashyap. Veer, why don’t you tell us where you’re from? 

Mr. Veer Kashyap: Morning, Prime Minister Modi, and Mark. Thanks for having us here. I live in Bangalore right now, and I moved to India 8 years ago, and co-founded my company because I saw great promise in being able to impact India’s Digital revolution, and enable millions of people throughout the country to get better jobs using the internet. I always felt that much like governments in the past had to invest in physical infrastructure, in this day and age, one of the main roles governments should be playing is to build digital infrastructure which will allow its citizens to get connected and be productive citizens of the global society. So, Prime Minister, my question to you is, what investments is your government going to make to enable the next 800 million to a billion people in India to get connected? 

Prime Minister, Shri Narendra Modi: वीर, मैं आपका बहुत आभारी हूं कि आपने भारत आ करके अपना नसीब आजमाने के लिए प्रयास किया है। मैं इसका स्वागत करता हूं और वीर से प्रेरणा ले करके यहां के और भी नौजवान जरूर भारत आना पसंद करेंगे। ये बात सही है कि भारत को दो बातों पर equally बल देना पड़ेगा। एक Physical Infrastructure, जिसको हम नकार नहीं सकते क्‍योंकि मेरे देश की वो Requirement है। और दूसरा Digital Infrastructures, क्‍योंकि मैं पहले ये काम करूं, फिर दूसरा करूं, फिर तीसरा करूं, तो तो वक्‍त चला जाएगा। तो simultaneous मुझे सारे चीज करने पड़ेंगे। और ये मेरा conviction है कि आज की 21वीं सदी में जितना महत्‍व Highways का है उतना ही महत्‍व i-ways का है। Highway भी चाहिए Information ways भी चाहिए। भारत में 600,000 Villages हैं। ये नम्‍बर ही इतना बड़ा है कि लोगों को वहीं से डर लग जाता है। और करीब ढाई लाख पंचायतें हैं। मेरी कोशिश है कि Next Five Years में इन सभी गांवों को Optical Fibre Network से जोड़ दूं। जो लोग भारत से परिचित हैं, और दुनिया में भी आप देखोगे तो मानव संस्‍कृति का जो विकास हुआ है - पहले लोग वहां बसते थे जहां नदी हुआ करती थी। जहां नदी होगी उसके बगल में शहर बसते थे, वक्‍त बदल गया, जहां से Highways गुजरते थे शहर वहां बसने लग गए। आने वाले दिनों में जहां से Optical Fibre Network गुजरेगा वहां पर शहर बसने वाले हैं। 

ये बदलते हुए विश्‍व को हमने देखना चाहिए। और इसलिए हमारी कोशिश है कि हम, हम Governance में Technology को बहुत बड़ी मात्रा में ला रहे हैं। Transparency के लिए वो बहुत उपयोगी हो रहा है। Effective Governance करना है, Easy Governance करना है, even Economical Governance करना है। तो ये Technology बहुत बड़ी ताकत है। तो सरकार के फायदे के लिए भी मेरे लिए compulsion है कि मैं, मेरा पूरा shifting digital world की हो। तो एक तो Infrastructure world हो, जहां तक पैसों का सवाल है मैं नहीं मानता हूं आज दुनिया में पैसों की कोई कमी है। बहुत से देश हैं उनको पता नहीं है पैसे कहां लगाएं। मैं उनको Address दे रहा हूं कि, here is the place. 


Mr. Mark Zuckerberg: All right. Our next question is from TS Khurana, who actually works here at Facebook. So, TS, where are you from? 

Mr. TS Khurana: Well, I was born in India but we immigrated to the US in 1971. I learnt my English on the streets of Kentucky. Prime Minister, welcome to our campus and Mark, thank you for hosting us on this fine Sunday morning. My question for the Prime Minister is, do you think it’s become easier, in the last 15 months, to do business in India or not? You introduced a programme called “Make in India” to cut red tape. But there is a perception that the pace of reform is slow. Do you think that “Make in India” will ultimately be successful? 

Prime Minister, Shri Narendra Modi: देखिए एक स्‍कूटर जब टर्न करना होता है, ऐसे जा रहा है स्‍कूटर, it takes half a second. और आपको पता चला, हां यार स्‍कूटर ऐसे जा रहा था, इधर आ गया। लेकिन अगर 40 डिब्‍बे वाली ट्रेन को मुझे उधर से इधर लाना है, तो काफी देर लगती है कि हां यार इधर गया फिर आया, अभी तो आया नहीं, आया नहीं, आया नहीं, आया नहीं। 

तो इतना बड़ा देश - आपको एक बदलाव निरंतर होते हैं, बहुत सारे होते हैं, अब जब उसका cumulative effect कुछ समय के बाद ध्‍यान आता है, तब लगता है कैसे से कैसे हो गया। अब आप देखिए भारत में 40 साल पहले बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण हुआ। इस मकसद से हुआ कि बैंक गरीबों के काम आने चाहिए। लेकिन 40 साल में 60% Population, उसका Bank Account नहीं था। अब, अब काम हो रहा है कि नहीं हो रहा उसका हिसाब कैसे लगाओगे? 40 साल में 180 Million लोग - बैंक का Account नहीं था। 

ये सरकार आई, 100 days में 100 days – 180 million bank accounts. अब आप speed देखो, scale देखिए, ये देखो के अरे वाह कैसे हो गया भाई? जो 40 साल में नहीं हुआ वो 100 दिन में कैसे हो गया? तो ये बदलाव की speed है, बदलाव की speed है। जिस प्रकार से अभी मैंने एक अभियान चलाया और world Bank ने initiative लिया - Ease of Doing Business. Ease of Doing Business के rating में भारत दुनिया में 140 नम्‍बर पर खड़ा है। और जो रिपोर्ट देख करके सोचेगा वो कभी भारत में आने के लिए नहीं सोचेगा। स्वाभाविक है क्‍योंकि कम्‍पनी का जब बोर्ड बैठता है, तो कागज ले के बैठता है वो कोई देखने के लिए थोड़ा ही आता है, जैसे कि ये फेसबुक वाले Temple में आ गए। वो तो अपना बोर्ड देखते हैं। अब ये Mark की बात सुन करके लोग सोचेंगे यार कागज से नहीं, पहले एक बार जा करके देख लें। 

लेकिन हमने तय किया कि हमें Ease of Doing Business करना है। मैंने सभी states को On-Board लिया। We are a Federal Government, और ज्‍यादातार हमारे यहां states के पास सबसे ज्‍यादा Power है. उनको बुलाया, Ease of Doing Business के लिए क्‍या-क्‍या रुकावट है उसकी listing किया, और अभी World Bank ने rating किया मैं हैरान था, मैं खुद हैरान था, सभी राज्‍यों के बीच Ease of Doing Business का एक unprecedented competition शुरू हुआ है। एक से दूसरा राज्‍य आगे निकलना चाहता है। और Ease of Doing Business में unprecedented achievement in last six months India ने achieve कर लिया है। आने वाले दिनों में जब National Rating आएगा, मुझे विश्‍वास है हम 140 से काफी ऊपर चले जाएंगे। 

कहने का तात्‍पर्य है कि संभावना है। दूसरा, “Make In India” की सफलता का रहस्‍य क्‍या है? दुनिया का कोई भी व्‍यक्ति अपनी कम्‍पनी बंद करना नहीं चाहता है। Competitive World में वो खड़ा होना चाहता है। अगर Facebook के Headquarter को मान लीजिए 10 Million पगार देना पड़ता है, लोगों को हर महीना, और वही काम भारत में 1 Million पगार से होता है, तो आएगा कि नहीं आएगा? आएगा कि नहीं आएगा? तो low cost manufacturing, effective governance, skilled manpower, raw material and the biggest market in India, ये सारी संभावनाएं ऐसी हैं कि जो Make in India के लिए दुनिया के किसी भी Manufacturer के लिए ये स्‍वर्ग भूमि है। 

और उस अर्थ में मैं देखता हूं कि “Make in India” के लिए बहुत-बहुत संभावनाएं पड़ी हुई हैं और सफलता की ओर... आपने देखा होगा पिछले 15 महीने में अकेले अमेरिका से Foreign Direct Investment में 87% growth है 87% ! One can imagine! FII में बहुत तेजी से growth हो रहा है। और Average, हमारे देश का Foreign Direct Investment का growth 40 percent हो गया है। जो कि आज दुनिया में जो recession है, दुनिया के और देशों में 16 percent minus है, whereas India 40 percent plus है। ये बताता है कि “Make in India” की सफलताएं इसके साथ जुड़ी हुई हैं। और मैं देख रहा हूं कि make in India सफल होगा। 

दूसरी बात है भारत के इन दिनों जो सुविधाएं है उसके comparison में दुनिया के किसी के पास नहीं है। हमारे पास 3-D है, और 3-D हमारी unique strength है. Strength ऐसे नहीं - it is a unique strength - Demographic Dividend, Democracy and Demand. 800 million Population below 35 years है। जो जवान देश हो, vibrant democracy हो, vibrant judiciary हो vibrant media हो, Like-minded countries के लिए ये एक बहुत बड़ी opportunity होती है democracy. And demand - 1.25 billion people! कितनी बड़ी डिमांड है! और उसमें मैंने आ करके एक नया D जोड़ दिया है “deregulaisation”. मैं सारे सरकारी कब्जो को हटा रहा हूं। मैं सरकार को छोटी कर रहा हूं। और मेरी philosophy है “Government has no business to be in business”. ये हमारा काम नहीं होटल चलाना। लोग चलाए, और अच्‍छी तरह से चलाए। और ये चीजें जिसके कारण मैं देख रहा हूं कि, मि. खुराना, बहुत संभावना है। 


Mr. Mark Zuckerberg:All right, our next question is from Dr. Ranjana Kumari, who has, I think, just flown in from Delhi. Doctor, will you tell us where you’re from, and your question? 

Dr. Ranjana Kumari: जी हाँ, मैं भारत में, दिल्ली में, महिला सशक्तिकरण के लिए Centre for Social Research की निदेशिका हूँ. मेरा सवाल आपसे है, मोदी जी, दुनिया में, भारतीय महिलाओं को लेकर काफी कुछ कहा सुना गया है पिछले समय में, जिसकी वजह से सब लोग जानना चाहते हैं कि आपकी महिलाओं और बच्चियों के सशक्तिकरण के लिए क्या योजना है. और, ख़ास तौर से, “Progressive India” में महिलाओं की बराबरी के लिए आपकी क्या सोच है? 

Prime Minister, Shri Narendra Modi: दो पहलू है। मैं एक उन पहलूओं की जो ओर ले जाऊंगा, जो कई लोग पसंद नहीं करते है। लेकिन जब मार्क ने टेंपल की बात कह दी है तो मेरा मन करता है मैं भी कुछ ऐसा बता दूं। दुनिया में भगवान की कल्‍पना सभी समाजों में है। ईश्‍वर की कल्‍पना हर किसी समाज में हैं। लेकिन हर किसी समाज में भगवान पुरूष ही है। हर समाज में! अकेला हिन्‍दुस्‍तान है जहां स्‍त्री भगवान की कल्‍पना की गई है। दुर्गा, सरस्‍वती, अम्‍बा, काली, यानी मूलभूत हमारे चिंतन का जो अधिष्‍ठान है, उसमें नारी के इस रूप की कल्‍पना की गई है। 

ये बात सही है कि हजारों साल से चलते-चलते कभी उसमें diversion आते है, deterioration आते है, वो बदलते हुए समाज की एक तासीर रहती है। जहां तक सरकार का सवाल है, भारत को अगर अपने आर्थिक विकास के लक्ष्‍य प्राप्‍त करने है तो 50% population को घर के अंदर बंद रख करके नहीं हो सकते है। इस 50% नारी शक्ति, उसकी भारत की विकास यात्रा में कंधे से कंधा मिला करके 100% partnership होनी चाहिए। सरकार की नीतियां proactive होनी चाहिए। और उस दिशा में हम प्रयास कर रहे है। आज हिन्‍दुस्‍तान में education ले लीजिए, health ले लीजिए, तो वहां स्थिति ऐसी है कि Male के लिए reservation करना पड़ेगा! अगर आप आज Education Field की meeting करें, 1000 लोगों को बुलाए, तो 800 महिलाएं होती है और 200 ही पुरूष होते है। 

इतनी बड़ी मात्रा में पूरी education activity आज हिन्‍दुस्‍तान में महिलाओं के हाथ में है। Health sector - आज अगर आप health sector की कोई conference कर लीजिए। आपको बहुत बड़ी मात्रा में health sector में - खास करके nursing में, paramedical staff में - पूरा control महिलाओं ने लिया है। पिछले दिनों हमने निर्णय किया Police Department में, जो Union Territories है, जहां भारत सरकार निर्णय करती है वहां 30% Reservation for the women police, हमने decide किया। 

भारत, आज भी दुनिया के कई देश है, आज भी दुनिया के देश है जहां किसी महिला को चुनाव जीतना आज भी मुश्किल है। बहुत ही पढ़े-लिखे देश में भी भारत में electoral process में है, अनेक राज्‍य ऐसे है कि जहां local self-government में 50% women reservation है। अगर 100 लोगों को body है तो compulsory 50 महिलाएं होगी, होगी, होगी। ये छोटा निर्णय नहीं है और Parliament assembly में भी उसके लिए बहस चल रही है कि वहां भी महिलाओं को… ताकि Decision Making Process में उनकी भागीदारी हो। और मैं मानता हूं कि Women Empowerment में एक बात हमको achieve करनी होगी कि Decision Making Process में Women का हिस्‍सा होना चाहिए। 

सिर्फ वो मकान बनाते है, तो दीवार का कलर कैसा हो, यहां तक उसका सीमित role नहीं होना चाहिए, मकान कैसा बने तब तक का उसका involvement होना चाहिए। परिवार में भी Empowerment होना चाहिए। और इस दिशा में, अब जैसे हमने एक अभियान चलाया “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं।“ मैं जब गुजरात में था मुख्‍यमंत्री, जून महीने में 45 डिग्री temperature गुजरात में होता है। मैं जून महीने में 12, 13, 14, 15 इन जून के चार दिनों में खुद गांव चला जाता था। गांव में रहता था, 45 डिग्री temperature हुआ करता है। हर घर जा करके कहता था बेटी को स्‍कूल भेजिए, मुझे आपकी बेटी को पढ़ाना है और मैं 100% Girl Child Education को achieve करके रहा था। आज मेरी कोशिश है Girl Child Education को “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” एक बहुत बड़ा Movement Nation Wide चल रहा है और ऐसे अनेक काम है। 

जैसे, सरकार की कोई scheme है। सरकार की scheme में अगर हम गरीबों को मकान देते है। तो मेरे यहां compulsory है, वो मकान, सबसे पहले मालिक का नाम महिला का होगा second name उस घर के पुरूष का होगा। पहले भारत में बच्‍चों को स्‍कूल दाखिल करते थे, तो बच्‍चे के पीछे पिता का नाम लिखा जाता था। मैं जब गुजरात में था तो compulsory कर दिया था, बच्‍चे के साथ सिर्फ पिता का नाम नहीं माता का नाम compulsory रहेगा। आपको समाज के जीवन की जो पुरानी सोच है उसको बदलना होगा और एक के बाद एक चाहें वो सामाजिक स्‍तर हो, आर्थिक स्‍तर हो, सरकार की व्‍यवस्‍था का स्‍तर हो इन सारे विषयों में इसको जोड़ा जा रहा है और मैं मानता हूं कि उसके कारण एक बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है। 


Mr. Mark Zuckerberg: All right, so for our next one, I want to ask you a personal question. People may not realize this but there’s actually a number of things that we have in common. One them is that family is very important to both of us. In fact, both my parents are actually here today. In understand that your mother is very important in your life. So I’m hoping that you’ll tell us a bit about her. 

Prime Minister, Shri Narendra Modi: मैं उन मां-बाप को बहुत बधाई देता हूं और उनको यहां से मैं प्रणाम करता हूं कि उन्‍होंने मार्क जैसा बेटा एक ऐसे काम के लिए दिया जिसने दुनिया को जोड़ने का काम किया। I request you, will you please stand-up? We would like to see you. और मुझे लगता है शायद यह पहली घटना होगी कि मार्क ने आज आप दोनों को यहाँ बुलाया है। 

आप किसी भी व्यक्ति के जीवन में देखें, किसी की भी Biography देखें, autobiography देखें, हर किसी के जीवन में दो चीजें हमेशा आती है - कि मेरे जीवन में टीचर का क्‍या रोल रहा और मेरे जीवन में मेरी माता का क्‍या रोल रहा। हर एक के जीवन में आता है। मैं भी एक सामान्‍य परिवार से हूं। मेरे जीवन में मेरे मां-बाप का बहुत बड़ा रोल रहा है। मैं बहुत गरीब परिवार से हूं। आप जानते है मैं रेलवे स्‍टेशन पर चाय बेचता था। कोई कल्‍पना नहीं कर सकता कि दुनिया की इतनी बड़ी democracy ने एक चाय बेचने वाले को अपना नेता मान लिया। और इसलिए मैं सबसे पहले उन सवा सौ करोड़ भारतवासियों को नमन करता हूं कि जिन्‍होंने मुझ जैसे सामान्‍य व्‍यक्ति को अपना बना लिया। 

दूसरी बात है, बहुत सामान्‍य परिवार में से कैसे गुजारा करना। हमारे पिता जी तो रहे नहीं है। माता जी हैं 90 साल से भी ज्‍यादा उम्र है। आज भी अपने सारे काम खुद करती है, सब कुछ काम खुद करती है। पढ़ी-लिखी नहीं है, लेकिन टीवी के कारण उनको समाचारों का सब पता रहता है, दुनिया क्‍या चल रही है। वरना, कुछ पता नहीं होता था। जब हम छोटे थे तो हमारा गुजारा करने के लिए वे अड़ोस-पड़ोस के घरों में बर्तन साफ करना, पानी भरना, मजदूरी करना... आप कल्‍पना कर सकते हैं कि एक मां ने अपने बच्‍चों को बड़ा करने के लिए कितना कष्‍ट उठाया होगा। और ये सिर्फ नरेंद्र मोदी के case में नहीं है। भारत में ऐसी लाखों माताएं हैं, जिन्‍होंने अपने बच्‍चों के सपनों लिए अपना पूरा जीवन आहूत कर दिया है। 

और इसलिए मैं सभी माताओं को शत-शत वंदन करता हूं और उनकी प्रेरणा, उनके आर्शीवाद न सिर्फ हमें शक्ति दें; पर हमें सही रास्‍ते पर रखें। ओर वही मां की सबसे बड़ी ताकत होती है। मां कभी नहीं चाहती कि आप कुछ बन जाओ। लेकिन मां हमेशा चाहती है कि आप कैसे बनो। और यह मां का सपना होता है “कैसे बनो”। “कुछ भी बनो”, ये कभी मां का सपना नहीं होता है। ये फर्क होता है और इसलिए हर किसी के जीवन में मां का बहुत बड़ा योगदान होता है। 

Thank you, Mark. 

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