शिया यूथ ऑर्गनाइजेशन देगा श्री राम मंदिर के लिए 15 लाख

लखनऊ में सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश की गई है। पहल हुई है शिया यूथ ऑर्गनाइजेशन की ओर से। संगठन ने राममंदिर के निर्माण की शुरुआत के लिए 15 लाख रुपये की मदद देने की पेशकश की है। इतना ही नहीं उसने अयोध्या विवाद पर आए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का भी विरोध किया है।

शिया हुसैनी टाइगर्स के चीफ शमील शम्सी ने शनिवार को पत्रकारों को बताया, ' हम औपचारिक तौर पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड से हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं करने की गुजारिश करेंगे। हम उनसे लंबे अरसे से चले आ रहे इस विवाद को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करने की गुजारिश भी करेंगे। ' गौरतलब है शम्सी नामी शिया धर्मगुरु और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट रह चुके मौलाना कल्बे सादिक के करीबी रिश्तेदार हैं। मौलाना कल्बे सादिक के चचेरे भाई मौलाना कल्बे जव्वाद हुसैनी टाइगर्स के मुख्य संरक्षक हैं।

जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी और समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव द्वारा फैसले की आलोचना किए जाने को शम्सी ने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। शम्सी ने मुस्लिम नेताओं को उनके उस बयान की याद दिलाई जिसमें उन्होंने कोर्ट के फैसले को स्वीकार करने की बात कही थी। शम्सी ने जोर देकर कहा, ' मुझे लगता है बोर्ड को इस विवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए पहल करनी चाहिए। '

राष्ट्रमंडल खेल शहीदों का अपमान है - स्वामी रामदेव

भारत निर्माण यात्रा पर निकले योगगुरु बाबा रामदेव ने भ्रष्ट हो चुके सिस्टम को ठीक करने के अपने संकल्प को दोहराते हुए कहा कि आसन करने वाला बाबा राजनीति के सिंहासन की कोई चाह नहीं रखता.

द्वारिका से शुरू हुई यह यात्रा शुक्रवार को कुछ घंटों के लिए अमृतसर में थी और इसी दौरान बाबा ने कहा कि जिन अंग्रेजों ने भारत देश के सात लाख क्रांतिकारियों को मौत के घाट उतार दिया था, आज उसी ब्रिटेन से जुड़े 71 देशों की आवभगत में भारत जुटा हुआ है, यह हमारे शहीदों का अपमान है.
रामदेव जी ने कहा कि कॉमनवेल्थ खेलों की आड़ में इस सरकार ने एक लाख करोड़ रूपये फूंक डाले हैं, यदि इसी पैसों को शिक्षा पर खर्च किया जाता तो देश का भविष्य सुधर सकता था. राजनेताओं के खिलाफ बोलने पर मिल रही धमकियों के सम्बध मे उन्होने कहा कि उनका किसी भी व्यक्ति से द्वेष नहीं है. अगर उन्हें कु्छ भी होता है तो उसकी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की ही होगी.

मुसलमान इस निर्णय से खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है -मुलायम सिंह यादव

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या के सदियों पुराने विवादित स्थल स्वामित्व वाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ द्वारा सुनाए गए फैसले में आस्था को कानून तथा सुबूतों से उपर रखा गया है और देश का मुसलमान इस निर्णय से खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है.

मुलायम ने यहां संवाददाताओं को जारी एक छपे हुए बयान में कहा कि इन न्यायिक निर्णयों में आस्था को कानून एवं सुबूतों से उपर रखकर फैसला दिया गया है. यह देश, संविधान और स्वयं न्यायपालिका के लिये अच्छा संकेत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस फैसले से आगे चलकर अनेक संकट पैदा हो सकते हैं.

मुलायम ने कहा कि अदालत के निर्णय से देश का मुसलमान खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है और पूरे समुदाय में मायूसी है.

उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि वह पक्ष उच्चतम न्यायालय में जाएगा जहां सुबूतों एवं कानून के आधार पर फैसला आएगा जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

मैं नहीं जाऊंगा सुप्रीम कोर्ट - मोहम्मद हाशिम अंसारी

श्रीराम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद के विवाद के सबसे बुजुर्ग पक्षकार मोहम्मद हाशिम अंसारी इस मामले को अब और ज्यादा तूल नहीं देना चाहते हैं। अंसारी ने साफ कर दिया किवे इलाहाबाद हाई कोर्ट की विशेष लखनऊ पीठ के फैसले को ही अंति मानेंगे। अंसारी ने कहा कि वे नहीं चाहते कियह मामला अब और ज्यादा सियासी रंग पकड़े।

उन्‍होंने कहा कि‍ साठ साल पुरानी इस लाश को अब लखनऊ में ही दफ़न कर देना चाहि‍ये, इसे दि‍ल्‍ली ले जाने की कोई जरूरत नहीं। इस मसले को लेकर हो रही राजनीति गहमागहमी से दुखी करीब 90 वर्षीय श्री अंसारी ने कहा कि वह हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं और वह सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएंगे। उन्‍होंने कहा कि‍ यह मेरा नहीं सभी मुसलमानों का फैसला है कि‍ हाईकोर्ट के फैसले को ही अंति‍म मान लि‍या जाये।

बस अब इस पर और सि‍यासत की जरूरत नहीं।अंसारी ने कहा कि इस विवाद ने देश को काफी नुकसान पहुंचा दि‍या है। वे अयोध्या की तरक्‍की चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि‍ अब यह एक बार फि‍र सि‍यासत का मोहरा बने। अयोध्या के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबलों की तैनाती से वह आहत दिखे और इसके लिए उन्होंने एक हद तक मीडिया को भी जिम्मेदार ठहराया।

एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान अंसारी ने कहा इन तस्‍वीरों को देखकर ऐसा लगता है जैसे कि‍ यहां माहौल बहुत तनावपूर्ण है, बल्‍कि‍ अयोध्‍या में ऐसा कुछ भी नहीं है।अंसारी पिछले साठ साल से बाबरी मस्जिद के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन उनके लिए सबसे जरूरी अमन है। अंसारी भले ही बाबरी मस्जिद के लिए लड़ रहे हों लेकिन स्थानीय हिंदू साधु-संत हों या फिर राम मंदिर की लड़ाई लड़ रहे निर्मोही अखाड़े के संत, उनकी सभी से दोस्ती है।

फैसले से खुश नहीं है भारत के मुस्लिम संघठन

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया और अयोध्या की विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का निर्णय दिया है.

वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी का कहना है, "हम अदालत के उस फैसले का विरोध करेंगे, जिसके तहत विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने की बात कही गई है. हाई कोर्ट के फॉर्मूले के मुताबिक वक्फ बोर्ड को एक तिहाई जमीन मिलनी है, जो हमें स्वीकार नहीं. हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे."

हालांकि उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड इस मामले पर समझौता करने के लिए तैयार है और अगर कहीं से बातचीत का प्रस्ताव आता है तो हम उस पर विचार कर सकते हैं.उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संयोजक एसक्यूआर इलियास ने फैसले को संतुलित करने वाला कदम बताते हुए इस पर निराशा जताई है.

जमीयत उलेमा ए हिन्द के अब्दुल हमीद नोमानी ने भी ऐसी ही राय रखी है. उनका कहना है कि यह फैसला किसी अदालत का निर्णय नहीं लग कर समझौते की कार्रवाई लगती है.इलियास ने कहा, "अगर वह जमीन किसी मंदिर की है, तो क्या तर्क है कि उसका एक हिस्सा मस्जिद के लिए दिया जाए या मस्जिद की है तो मंदिर को क्यों दिया जाए.

मिल्कियत के मामले में न्यायपालिका को स्पष्ट निर्णय देना चाहिए."ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के मंजूर आलम का कहना है कि फैसला पूरी तरह से गुमराह करने वाला और अंतर्विरोधों से भरा हुआ है. उनके मुताबिक जजों ने सबूत और तथ्यों की बजाय आस्था के आधार पर फैसला दिया.

दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी का कहना है कि अभी हमारे लिए सुप्रीम कोर्ट का रास्ता खुला है.जिलानी ने कहा कि बोर्ड के पास 90 दिन का समय है ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में अपनी अपील दायर कर सके क्योंकि हाई कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि तीन महीने तक यथास्थिति बनाए रखी जाएगी.

उन्होंने कहा, "हम जल्दबाजी में नहीं हैं. हमारे पास 90 दिन का समय है और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक के बाद हम सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे."हैदराबाद के मजलिस इत्तेहादुल मुसलेमीन ने भी फैसले पर निराशा जताई है और कहा है कि इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.

संगठन के प्रमुख असादुद्दीन उवैशी ने कहा, "इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला निराश करने वाला है. मुसलमानों को सिर्फ एक तिहाई जमीन स्वीकार नहीं होगी. इसलिए सुप्रीम कोर्ट जाना लाजिमी है."

कसाब ने जेल में एक सुरक्षाकर्मी की पिटाई की

26/11 को मुंबई पर आतंकी हमलों में गिरफ्तार किए गए आतंकी अजमल आमिर कसाब के सर से हिंसा का भूत अभी तक नहीं उतरा है। सरकारी वकील उज्जवल निकम के अनुसार कसाब ने जेल में ही एक सुरक्षाकर्मी की पिटाई कर डाली।

सरकारी वकील निकम ने इस घटना की पुष्टि करने वाली एक सीडी भी कोर्ट में पेश की है। निकम का कहना है कि सुरक्षाकर्मी को पीटे जाने की घटना सितंबर की ही है।


गौरतलब है कि मुंबई हमलों का दोषी कसाब इस समय मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद है। मामले की सुनवाई कर रही अदालत ने कसाब को फांसी की सजा सुनाई है।

सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा

सीबीआई की विशेष अदालत ने निठारी कांड के आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर के नौकर सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनायी है. रचना हत्याकांड मामले में उसे सजा दी गयी है.

सीबीआइ के वकील जेपी शर्मा ने बताया विशेष न्यायाधीश डॉ एके सिंह की अदालत ने इस मामले की सुनवाई की. फांसी के साथ सुरेंद्र कोली पर तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.

बिहार विधानसभा चुनाव: कांग्रेस की पहली सूचि में २२ मुस्लिम

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा दिल्ली में जारी की गई पहली सूची में बिहार राज्य में पहले और दूसरे चरण में होने वाले चुनाव क्षेत्रों के प्रत्याशियों के नाम जारी किये गए हैं।

सूची में प्रमुख नेताओं में कांग्रेस के बिहार इकाई के अध्यक्ष महबूब अली कैसर को सिमरी बख्तियारपुर से उम्मीदवार बनाया गया है तो हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से आये पूर्व मंत्री नागमणि को समस्तीपुर के मोरवा से टिकट दिया गया है।

इसके अलावा पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को मधेपुरा के आलमनगर विधानसभा क्षेत्र से तथा विधायक दल के नेता अशोक कुमार को कुशेश्वर स्थान से चुनाव मैदान में उतारा गया है। बीते 20 वर्षो के बाद राज्य में अकेले चुनाव लड़ रही कांग्रेस सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है।

उल्लेखनीय है कि राज्य में विधानसभा चुनाव के छह चरणों में 21 अक्टूबर से 20 नवंबर तक होगा। मतों की गिनती 24 नवंबर को होनी है।

अयोध्या पर फैसले को टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका खारिज

अयोध्या पर हाई कोर्ट के फैसले को टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका खारिज हो गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ ेंच अब इस मामले में अपना फैसला सुना सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट रमेशचंद्र त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल पर जमीन के मालिकाना हक को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला टालने वाली इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की और यह फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस कपाड़िया ने एक लाइन में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यह याचिका खारिज की जाती है।

चीफ जस्टिस एस.एच. कपाड़िया की अध्यक्षता वाली और जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस के.एस. राधाकृष्णन वाली 3 सदस्यीय बेंच ने मंगलवार को 2 बजे यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अगले 3 दिनों में इलाहाबाद कोर्ट के फैसले आने का रास्ता साफ हो गया है। गौरतलब है कि 1 अक्टूबर को लखनऊ बेंच के एक जज धर्मवीर सिन्हा रिटायर्ड हो रहे हैं और उनके रिटायर्ड होने से पहले यह फैसला आ जाएगा।

इससे पहले आज सुबह सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई और अटर्नी जनरल जी. ई. वाहनवटी सहित निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी वक्फ बोर्ड, हिंदू महासभा ने अपना-अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखा।

गौरतलब है कि अयोध्या मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच 24 सितंबर को फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन पिछले सप्ताह (23 सितंबर को) रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट रमेश चंद्र त्रिपाठी की अंतरिम याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक सप्ताह के लिए टाल दिया था।

सरकार पर अयोध्या पर फैसले को टलवाने का आरोप

अयोध्या की विवादित जमीन पर मालिकाना हक के मामले में सुलह की कोशिशें तो परवान चढ़ती दिखी नहीं, उल्टे अब केंद्र सरकार ऐन राष्ट्रमंडल खेलों से पहले फैसला आने से आशंकित है। केंद्र के शीर्ष पदस्थ सूत्र साफ कह रहे हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट फैसले को नहीं टालता तो बेहतर था कि 24 सितंबर को ही इलाहाबाद हाईकोर्ट निर्णय सुना देता।

हालांकि, मामला टालने की तोहमत खुद पर न लगे, इसलिए फैसले के आड़े आना भी सरकार के लिए मुश्किल हो रहा है। इसी राजनीतिक कश्मकश के चलते कांग्रेस ने खुद पर लग रहे आरोपों के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाकर भाजपा पर ही प्रहार शुरू कर दिए हैं।

कांग्रेस पर मामले को टालने के लग रहे आरोपों की काट के लिए पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह ने कमान संभाली और उल्टे भाजपा पर प्रहार कर दिया। सुलह से फार्मूला निकाले जाने की याचिका दायर करने वाले रमेशचंद्र त्रिपाठी पर अगर भाजपा ने कांग्रेसी होने का आरोप मढ़ा तो दिग्विजय सिंह ने त्रिपाठी के वकील मुकुल रोहतगी को आगे कर दिया। उन्होंने कहा कि 'मामले को टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले वकील मुकुल रोहतगी तो भाजपा के नरेंद्र मोदी का मुकदमा भी लड़ रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस कैसे मामले में देरी करा रही है? हम चाहते हैं कि कानून अपना काम करे और फैसला निर्धारित प्रक्रिया से आए।' उन्होंने फैसले में देरी के लिए कांग्रेस पर साजिश रचने के आरोपों को सिरे से खारिज किया।

संप्रग सरकार व कांग्रेस इस मामले में देरी के लिए खुद पर लग रही तोहमत के मद्देनजर इस मामले में बेहद सतर्क रवैया अपना रही हैं। लिहाजा, वह फैसले में देरी की अपील तो नहीं कर रही है, लेकिन सरकार के शीर्ष सूत्र मान रहे हैं कि इतने कम समय में सुलह की कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकतीं। राष्ट्रमंडल खेलों से पहले इस संवेदनशील मुद्दे पर फैसले से सरकार डरी तो है, लेकिन इससे ज्यादा चिंता उसे इस फैसले को टलवाने के लग रहे आरोपों से है। कांग्रेस के सूत्र कह रहे हैं कि यद्यपि इस फैसले के लिए यह सही वक्त नहीं है, लेकिन सरकार या पार्टी अपनी तरफ से फैसले को रोकने की कोशिश करते कहीं नहीं दिखेंगे।

कश्मीर में खुले 100 दिन बाद स्कूल, हुर्रियत ने किया विरोध

कश्मीर घाटी में स्कूल अशांति के कारण करीब 100 दिन तक बंद रहने के बाद, आज फिर खुल गए और कई इलाकों में कर्फ्यू तथा निषेधाज्ञा के बावजूद सुरक्षा बलों ने विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को रोके बिना जाने दिया।

बहरहाल, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने अभिभावकों से बच्चों को स्कूल, कॉलेज न भेजने का आह्वान किया है जिसकी वजह से स्कूलों में उपस्थिति क्षीण रही।

घाटी में जारी अशांति के कारण शिक्षा प्रणाली को नुकसान हुआ है। यहाँ 11 जून को पुलिस द्वारा आँसू गैस के गोले छोड़ने के कारण 17 वर्षीय एक छात्र के मारे जाने के बाद हिंसा शुरू हुई थी।

छात्रों और स्कूलों के कर्मचारियों को जाने आने में सुविधा मिले और शिक्षण संस्थाओं का कामकाज निर्बाध हो सके, यह सुनिश्चित करने के लिए उमर अब्दुल्ला की सरकार ने राज्य परिवहन निगम की 170 से अधिक बसें शहर के 11 मार्गों पर चलाई हैं।

स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति करीब 20 फीसदी ही रही लेकिन प्रशासन को उम्मीद है कि कल से स्कूल जाने वाले छात्रों की संख्या बढ़ेगी।

राज्य के शिक्षा मंत्री पीरजादा मोहम्मद सईद ने कल घाटी में अध्ययन प्रक्रिया फिर से शुरू करने और सालाना परीक्षाएँ आयोजित करने की व्यायक योजना का ऐलान किया था।

मुसलमान ‘राम जन्मभूमि’ पर से अपना दावा छोड़ दें या कानून बनाये सरकार -कल्याण सिंह

पूर्व भाजपा नेता और राम मंदिर आंदोलन के प्रबल पक्षधर रहे कल्याण सिंह ने दोहराया कि कोई अदालत अयोध्या विवाद का सर्वमान्य फैसला नहीं दे सकती, क्योंकि यह करोड़ों लोगों की आस्था और विश्वास का विषय है।
1992 में 6 दिसम्बर को अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह ने बयान में कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि आस्था और विश्वास के इस मुद्दे पर कोई अदालत सर्वमान्य हल नहीं निकाल सकती।’’
उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला अब और टाला नहीं जाना चाहिए और बातचीत से इस समस्या के समाधान खोजने के जो भी प्रयास हो रहे हैं, वे महज ‘नाटक’ हैं, इसलिए भी कि पूर्व में ऐसी सारी कोशिशें नाकाम रही हैं।

सिंह ने दोहराया कि इस मामले के केवल दो समाधान संभव हैं। पहला यह कि मुसलमान ‘राम जन्मभूमि’ पर स्वेच्छा से अपना दावा छोड़ दें और राम मंदिर के निर्माण में सहयोग करें।

दूसरा रास्ता यह है कि केंद्र सरकार ने जिस तरह शाहबानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम समाज की भावनाओं के अनुकूल कानून बनाया था, उसी तरह राम मंदिर के निर्माण के लिए भी संसद से कानून पारित कराया जाए।

कश्मीरी पंडितों ने वाशिंगटन में सौंपा एंटनी को ज्ञापन

अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन आधारित कश्मीरी पंडितों ने यहां आए रक्षा मंत्री एके एंटनी को एक ज्ञापन सौंपते हुए कहा है कि घाटी में इस समुदाय के लोगों को राजनीतिक, आर्थिक और शारीरिक सुरक्षा का माहौल न देकर भारत एक बड़ी गलती कर रहा है।

इंडो-अमेरिकन कश्मीर फोरम के अंतरराष्ट्रीय संयोजक विजय के साजवाल ने कहा केंद्र सरकार घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए राजनीतिक, आर्थिक और शारीरिक सुरक्षा का माहौल न देकर बहुत बड़ी गलती कर रही है। यह ज्ञापन कनाडा और ब्रिटेन के कश्मीरी पंडितों की ओर से भी सौंपा गया।

उन्होंने बताया इसके अलावा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने भी कश्मीरी पंडितों से न मिलकर उनके अधिकारों की उपेक्षा की है। घाटी के इस समुदाय की मांग की बार-बार उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है इसकी बजाए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने घाटी के सिख समुदाय से मुलाकात की।

साजवाल के मुताबिक गृहमंत्री पी चिदंबरम ने घाटी में अशांति खत्म करने के लिए आठ सूत्रीय योजना की घोषणा की है, जिसे मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने भी अनुमति दे दी है। हालांकि मैं एक तरफ आशा कर रहा हूं कि सरकार इस उद्देश्य में सफल हो, लेकिन वास्तविकता ये है कि इसमें कश्मीरी पंडितों की उपेक्षा करके यह योजना अपने व्यापक उद्देश्य में सफल नहीं हुई है और इसलिए हो सकता है कि यह असफल हो जाए।

भड़काऊ एसएमएस भेजने का आरोपी गिरफ्त में

अयोध्या मसले को लेकर देशभर में हलचल तेज होने के बीच पुलिस ने यहां 31 वर्षीय व्यक्ति को धर दबोचा जिस पर सौ से ज्यादा लोगों को भड़काऊ एसएमएस भेजने का आरोप है।

पुलिस ने बताया कि शहर के छत्रीपुरा थाना क्षेत्र में शहजाद खान को मुखबिर की सूचना पर रविवार रात दबिश देकर गिरफ्तार किया गया। उसका मोबाइल भी जब्त कर लिया गया। पुलिस को जांच में पता चला है कि 31 वर्षीय खान ने सौ से ज्यादा लोगों को भड़काऊ एसएमएस भेजा।

उसके खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 153 [क] और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।इससे पहले, शहर में भड़काऊ एसएमएस को लेकर पुलिस दो मामले दर्ज कर चुकी है। ये मामले अज्ञात आरोपियों के खिलाफ दर्ज किए गए थे।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग नहीं - अब्दुल बासित

पाकिस्तान ने तीखे तेवर अपनाते हुए रविवार को राग अलापा कि भारत कश्मीर को लेकर अपनी कठोर नीति बदले। उसने दावा किया कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग नहीं है। लिहाजा, मसले का हल भारत के संविधान के दायरे में संभव नहीं है।

पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल बासित ने एक न्यूज चैनल से कहा कि भारत की कश्मीर नीति में बदलाव आने पर ही दोनों देशों के बीच वार्ता कामयाब होगी। उन्होंने कहा कि कश्मीर समस्या अंतरराष्ट्रीय मसला है। संयुक्त राष्ट्र इसे लेकर प्रस्ताव भी पारित कर चुका है। समस्या का हल कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप ही संभव है।

उन्होंने आरोप लगाया कि भारत बीते जून से जम्मू-कश्मीर में ‘क्रूर ताकत’ का इस्तेमाल कर रहा है। पाकिस्तान चाहता है कि भारत के जुल्म तत्काल बंद हों। उन्होंने कहा कि कश्मीर पर दोनों देश दशकों से बातचीत कर रहे हैं। समग्र वार्ता प्रक्रिया के एजेंडे में भी यह सर्वोच्च प्राथमिकता में है। लेकिन भारत ने कभी गंभीरता नहीं दिखाई।

भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने कश्मीर और आतंकवाद पर मतभेदों के बावजूद वार्ता की जरूरत को रेखांकित किया है। पाक विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने यहां एशिया सोसायटी को संबोधित करते हुए कहा कि वार्ता से किसी समस्या का हल खोजना ही सही तरीका है। उधर, भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने भारतीय मिशन में आयोजित समारोह में कहा कि वार्ता के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

राममंदिर के लिए समझौता करने वाले संगठन देशद्रोही - विनय कटियार

भाजपा के उपाध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य विनय कटियार ने सरकार पर राम जन्मभूमि के विभाजन की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा.

कटियार ने अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा कि राम जन्मभूमि विवाद का हल किसी याचिका के निपटारे से नहीं निकल सकता.

उन्होंने कहा कि सन 1525 से मंदिर के लिए जो संघर्ष होता आया है, वह आगे भी जारी रहेगा.उन्होंने कहा कि राममंदिर के लिए समझौता करने वाले संगठन या संस्था को देशद्रोही माना जाएगा क्योंकि राम जन्मभूमि बदली नहीं जा सकती.

रिक्शा चालक सलीम अली को सम्मानित किया विहिप ने

स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने शनिवार को यहां अदम्य साहस के साथ जामा मस्जिद के हमलावरों का पीछा करने वाले साहसी रिक्शा चालक सलीम अली को विशेष आर्शीवाद देकर सम्मानित किया। सरस्वती जी ने कहा कि यदि इसी प्रकार साहस के साथ युवक आगे आएं तो देश में पनप रहे आतंकवाद, नक्सलवाद व राष्ट्रद्रोहियों के कुचक्र को नष्ट किया जा सकता है।

विहिप के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश सिंहल ने कहा कि साहसी और वीर पुरुषों का सम्मान करना हमारी परम्परा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि सशस्त्र आतंकियों का मुकाबला करने वाले सलीम को सम्मानित करने में हमें हर्ष की अनुभूति हो रही है।

दिल्ली के पहाड़गंज स्थित उदासीन आश्रम में हुए कार्यक्रम में सलीम को 21 हजार रुपये व झण्डेवालान देवी मंदिर का नारियल प्रसाद भेंटकर माता की चुन्नी ओढ़ाई गई।

इस मौके पर विहिप के अन्य पदाधिकारियों के साथ ही आम लोगों ने भी देश के अंदर चल रहे आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया।

राष्ट्रमंडल खेल प्रकरण से भारत की छवि बहुत खराब हुई है - माइक फेनेल

खेलगांव पर सदस्य देशों की चिंताओं का निवारण करते हुए राष्ट्रमंडल खेल महासंघ के प्रमुख माइक फेनेल ने आज कहा कि हालात में सुधार तो हुआ है लेकिन अभी भी काफी गुंजाइश बाकी है।

फेनेल ने खेल गांव के दौरे और टीमों के अभियान प्रमुखों और कल कैबिनेट सचिव से मुलाकात के बाद आज पत्रकारों से कहा, ‘‘हालात में पिछले तीन चार दिन में काफी सुधार हुआ है लेकिन अभी खेल गांव पूरी तरह तैयार नहीं है। काफी सुधार की गुंजाइश है।’’ उन्होंेने स्वकीार किया कि इस पूरे प्रकरण से भारत की छवि बहुत खराब हुई है लेकिन इसे एक सबक की तरह लेना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे भारत को बहुत नुकसान हुआ है क्योंकि भारत राष्ट्रमंडल का सबसे बड़ा सदस्य देश है। सीजीएफ ने भी इससे सबक लिया है कि भारत जैसे देश में किस तरह आयोजन किया जाना चाहिए।’’ वहीं आलोचनाओं के शिकार आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने आयोजन स्थल समय पर नहीं मिलने पर दोष मढ़ते हुए कहा कि सिर्फ आयोजन समिति को कसूरवार ठहराना ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘सात साल पहले जब हमें मेजबानी मिली तो मेजबान शहर का अनुबंध करते समय सभी की जिम्मेदारियां तय हो गई थी। आयोजन समिति का काम स्थलों को तैयार करना नहीं है। हमें आयोजन स्थल देर से मिले। इसके अलावा मीडिया में बजट को लेकर भी गलत धारणा है। आयोजन समिति का बजट 1600 करोड़ रुपये है। बाकी बुनियादी ढांचों पर खर्च हुआ है।’’

दिल्ली सरकार की आपात बैठक

राष्ट्रमंडल खेलों की शुरुआत से महज एक हफ्ते पहले लंबित काम जल्द से जल्द निपटाने की मशक्कत कर रहे अधिकारी खेलगांव के 100 से ज्यादा फ्लैटों में बिजली और पानी के कनेक्शन से जुड़े काम पूरा करने में व्यस्त हैं

एक आपात बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने खेलगांव की स्थिति का जायजा लिया । इस बैठक में दिल्ली सरकार के आला हुक्मरानों के अलावा डीडीए और राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के अधिकारी शामिल रहे ।

बैठक के दौरान अधिकारियों ने उन समस्याओं पर चर्चा की जो सामने आ रही हैं।

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