रेलवे स्‍टेशनों पर स्‍वच्‍छ शौचालय हमारा मिशन : बिन्‍देश्‍वर पाठक


विश्‍व शौचालय दिवस
19 नवंबर पर पूर्वालोकन

डॉ़ बिन्‍देश्‍वर पाठक
ब्रांड अंबेसडर-स्‍वच्‍छ रेल मिशन


पचास साल से शौचालय और सफाई को लेकर जारी मेरे काम का एक ही मकसद रहा है, स्वच्छता की संस्कृति को बदलना। 1960 के दशक तक तो स्वच्छता को लेकर खास संस्कृति भी नहीं थी। इसका उदाहरण है कि जब भी कभी हमलोग किसी के यहां शौचालय को लेकर बात करने जाते थे तो लोगों का पहला सुझाव यह होता था कि पहले चाय पी लेते हैं, फिर शौचालय की बात करते हैं। पचास साल की कोशिशों का अब बदलाव नजर आने लगा है। अब लोग खुलकर शौचालय की बात करने लगे हैं। स्वच्छता की संस्कृति पर बात करने को लेकर कोई हिचक नजर नहीं आती। वैसे भी 2014 के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपिता गांधी की डेढ़ सौंवीं जयंती तक देश को खुले में शौचालय से मुक्त करने का जो अभियान शुरू किया है, उसने भी देश में स्वच्छता को लेकर नई जागरूकता पैदा की है। शायद एक यह भी वजह है कि स्वच्छता के प्रति मेरी ललक व अनुभव को देखते हुए रेलवे ने तरजीह दी और सबसे बड़ी परिवहन सेवा के साथ मुझे जुड़ने का सौभाग्‍य मिला।

हमारा मानना है कि सफाई की संस्कृति तब और ज्यादा तेजी से विकसित होगी, जब इसे सेवा भाव से लिया जाय। हमारा भारत देश विशाल है और इस देश में जब तक सेवा भाव से काम नहीं किया जाएगा, स्वच्छता की संस्कृति को जन-जन तक पहुंचा पाना और उनकी तरफ से सहज स्वीकारोक्ति हासिल कर पाना आसान नहीं होगा। देश में करीब आठ हजार रेलवे स्टेशन हैं और इसी तरह करीब साढ़े चार लाख स्कूल हैं। यद्यपि रेलवे ने अपने स्टेशनों की सफाई के लिए अभियान शुरू कर रखा है, लेकिन वास्‍तविकता यह है कि देश के दूरदराज के ज्यादातर स्टेशनों पर सफाई की उचित व्‍यवस्‍था नहीं हो पायी है। हमने एक कार्य योजना बनाई है कि रेलवे स्‍टेशनों की सफाई के प्रति जागरूकता अभियान में स्‍कूलों के बच्‍चों को शामिल किया जाएं, इससे न केवल बच्‍चों में स्‍वच्‍छता की भावना का विकास होगा, बल्कि रेलवे स्‍टेशनों पर भी स्‍वच्‍छता का असर दिखाई देने लगेगा।

इस योजना के तहत प्रत्‍येक रेलवे स्टेशन के नजदीक के स्कूलों के बच्चों को हफ्ते या महीने में एक-दो दिन स्टेशन पर बुलाया जाय और उन्हें उन स्टेशनों की सफाई के लिए प्रेरित किया जाय। इस कार्य में हिस्सा लेने वाले छात्रों को सर्टिफिकेट दिए जाएंगे, ताकि उनका उत्साह बना रहे। भविष्‍य के सूत्रधार बच्‍चों में एक नया दृष्टिकोण विकसित होगा और वे गांवों और कस्बों तक इसे पहुंचाने में बहुत मददगार साबित होंगे। बच्‍चें व युवा वास्‍तव में किसी भी समाज के वास्‍तविक ब्रांड अंबेस्‍डर होते है, यदि हम स्‍वच्‍छता के प्रति उनके मन में एक विचार, एक कौंध जागृत कर दें, तो समाज और राष्‍ट्र वास्‍तव में लाभांवित होगा।

भारतीय रेल प्रतिदिन दो करोड़ लोगों को गंतव्‍य तक पहुंचाती हैं। जब यात्रा के दौरान स्‍टेशन पर पहुंचने और उतरने के समय स्‍वच्‍छ टॉयलेट उपलब्‍ध हो, तो व्‍यक्ति के लिए वास्‍तव में यह राहत की बात होती है। यात्रा सचमुच सुखद लगती है। वैसे करीब तीन सौ रेलवे स्टेशनों पर सुलभ की ओर से शौचालयों का रखरखाव किया जा रहा है। सुलभ इंटरनेशनल को रेलवे के साथ काम करने का अनुभव है। इसलिए मुझे लगता है कि हमें इस काम में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

मैंने महसूस किया है कि रेलवे स्टेशनों पर शौचालयों और मूत्रालयों की काफी कमी है। अगर हैं भी तो उनकी साफ-सफाई पर ध्यान कम है। हम इस दिशा में भी काम करेंगे। हम चाहेंगे कि रेलवे स्टेशनों पर मूत्रालयों और शौचालयों की संख्या बढ़े। वैसे रेल मंत्री सुरेश प्रभु के प्रस्ताव पर पहले से पांच रेलवे स्टेशनों पुरानी दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद, ग्वालियर और गोरखपुर में शौचालय के रख-रखाव का काम कर रहे हैं और उन स्टेशनों को साफ रखने के काम में अपना दायित्‍व निभा रहे हैं।

रेलवे ने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर दो शौचालयों के रखरखाव का जिम्मा दिया है तो दो को बनाने की हमें जिम्मेदारी दी है और हम इस दिशा में काम करेंगे। देशभर के रेलवे प्लेटफॉर्मों पर शौचालयों और मूत्रालयों की कमी है, इसे पूरा कर पाना आसान नहीं है। हमारा मानना है कि इस कार्य को बैंकों से कर्ज लेकर पूरा किया जा सकता है और एक बार शौचालय बन गए तो उन्हीं के जरिए बैंक के कर्ज को भी दिया जा सकता है। सुलभ यह काम करने को तैयार है। हम रेलवे से आग्रह करेंगे कि वह सुलभ की गारंटी बैंकों को दे तो यह काम आसानी से पूरा किया जा सकता है। हम प्लेटफॉर्म की सफाई के लिए लोगों से सुझाव मांगेंगे, ताकि जन भागीदारी के तहत इस कार्य को सफल बनाया जाए। इसके लिए पूरे साल हम साफ-सफाई करने के अभियान के साथ-साथ सेमिनार और नुक्कड़ नाटकों के जरिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करेंगे। हमारे देश भर में अभियान से अनेक स्‍वंय सेवक जुड़े हैं इन सभी के सेवाभाव और सहयोग से आज हम शौचालय और सफाई की इस मुकाम तक पहुंचे हैं, हमें इसका दायरा और बढ़ाना है।

हम सिर्फ स्वच्छता की संस्कृति को ही बढ़ावा देने के लिए काम नहीं कर रहे, बल्कि हमने समाज में निचले स्तर पर मैला ढोने वाले लोगों के पुनर्वास से भी जुड़े है। इसके साथ ही हमारे पास दुनिया का एकमात्र टॉयलेट म्यूजियम है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने स्‍वच्‍छता के प्रति जन जागरूकता अभियान की शुरूआत की है। यदि हम सभी देशवासी अपने आसपास एवं सार्वजनिक स्‍थलों, पार्कों, दर्शनीय स्‍थलों, रेलवे स्‍टेशनों पर स्‍वच्‍छता रखेंगे, तो निश्‍चय ही भारतवर्ष स्‍वच्‍छता का लक्ष्‍य पा सकेगा। रेल हमारे समाज की जीवन-रेखा है। स्‍टेशन और शौचालयों की स्‍वच्‍छता यात्रियों को सुखद एहसास प्रदान करती है और गंतव्‍य तक पहुंचना राहत से भरपूर होता है। आइए इस महत्‍वपूर्ण कार्य में हम सब अपना योगदान करें।

लेखक पदमश्री से सम्‍मानित रेल स्‍वच्‍छ मिशन के ब्रांड अंबेसडर हैं। लेख में व्‍यक्‍त विचार उनके निजी हैं।

नोटबंदी अचल संपत्ति और आवास के लिए वरदान : विनोद बहल,वरिष्‍ठ पत्रकार


नोटबंदी के कदम से संपत्ति की कीमतें कम होंगी,  इससे 'सभी के लिए आवास' के सपने को साकार करने में मदद मिलेगी

                                                        
उच्च मूल्य के नोटों के चलन को बंद करने के कदम के जरिए काले धन के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक अचल संपत्ति क्षेत्र को हिला कर रख देगी, क्‍योंकि इस क्षेत्र में मुख्‍यत: अघोषित पैसे से ही लेन-देन होते रहे हैं। इस ऐतिहासिक कदम से शुरू में इस सेक्टर को सुस्‍ती का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन काला धन बाहर निकालने एवं पारदर्शिता लाने के उद्देश्‍य से की गई यह बड़ी अहम पहल अचल संपत्ति क्षेत्र के लिए एक वरदान साबित होगी।

रियल एस्टेट एक परिसंपत्ति वर्ग है जिसमें बड़े पैमाने पर काला धन लगाया जाता रहा है। आधिकारिक दर और बाजार दर में बड़ा अंतर होने के कारण संपत्ति के लेन-देन में भारी-भरकम नकदी का इस्‍तेमाल होता रहा है। वैसे तो बैंकों के जरिए मिलने वाले आवास ऋण की बदौलत प्राथमिक बाजार विशेषकर आवासीय क्षेत्र में नकद राशि का लेन-देन बेहद कम संख्‍या में होता है, लेकिन द्वितीयक बाजार में 30 फीसदी या उससे भी ज्‍यादा नकद राशि लगाई जाती रही है। महंगे लक्‍जरी मकानों के लिए होने वाले सौदों में भी नकदी का लेन-देन होता है। जहां तक जमीन का सवाल है, उससे संबंधित सौदों में 40 से लेकर 60 फीसदी तक की नकदी के इस्‍तेमाल की संभावना रहती है। अचल संपत्ति से जुड़े डेवलपर संपत्ति के मूल्‍य पर छूट की पेशकश करके नकद भुगतान को प्रोत्‍साहित करते हैं। काला धन रखने वाले निवेशक सटोरिया खरीदारी करते रहे हैं, जिससे कीमतें कृत्रिम रूप से बढ़ जाती हैं और इससे मुनाफावसूली को बढ़ावा मिलता है। विगत वर्षों के दौरान बदस्‍तूर जारी रहे इस चलन से मकानों की कीमतें इतनी ज्‍यादा बढ़ गईं कि वे आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गए।

हालांकि‍, नोटबंदी के जरिए सरकार द्वारा काले धन के खिलाफ उठाये गए इस अहम कदम से बेहिसाब पैसा रखने वाले सटोरिये बाजार प्रणाली से बाहर हो जाएंगे, जिसके परिणामस्‍वरूप संपत्ति की कीमतें नीचे आ जाएंगी। इससे पहले संपत्ति के लेन-देन में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। विगत दो वर्षों के दौरान सरकार ने अचल संपत्ति एवं आवास क्षेत्र में अनेक सुधारों को लागू किया है, ताकि जहां एक ओर यह क्षेत्र और ज्‍यादा विश्‍वसनीय, पारदर्शी एवं निवेशक अनुकूल बन सके, वहीं दूसरी ओर मकानों की कीमतें आम आदमी के लिए किफायती हो सके। इस व्‍यापक उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने ‘वर्ष 2022 तक सभी के लिए आवास’ नामक अपना प्रमुख कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत सरकार ने छह करोड़ म‍कान बनाने का एक महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य रखा है और इस उद्देश्‍य की प्राप्ति के लिए सरकार किफायती एवं कम लागत वाले मकानों को बढ़ावा दे रही है क्‍योंकि सर्वाधिक किल्‍लत इसी सेगमेंट में है। सरकार ने किफायती मकानों को बढ़ावा देने के लिए राष्‍ट्रीय आवास बैंक को 4000 करोड़ रुपये का आवंटन किया और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए मकान एवं झुग्गी बस्तियों के पुनर्विकास को सीएसआर के दायरे में ला दिया। निर्मित क्षेत्र और पूंजीकरण संबंधी आवश्‍यकताओं के लिए छूट दी गई, ताकि एफडीआई तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित हो सके। दस लाख रुपये तक की कम लागत वाले मकानों के लिए छह फीसदी की रियायती ब्‍याज दर की शुरुआत की गई।

आसानी से सस्‍ता कर्ज न मिलना अचल संपत्ति क्षेत्र के लिए अभिशाप साबित हुआ है। इस क्षेत्र में वित्‍त पोषण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एफडीआई के नियम आसान कर दिए और वित्‍त पोषण के विभिन्‍न स्‍वरूपों में भेदभाव समाप्‍त कर दिया। इन  सुधारों के अलावा सरकार ने अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण ‘अचल संपत्ति नियमन अधिनियम’ का मार्ग प्रशस्‍त कर दिया, जो लंबे समय से अटका हुआ था। संपत्ति के लेन-देन को और पारदर्शी एवं सुरक्षित बनाने के लिहाज से यह एक ऐतिहासिक विधान है। इससे संपत्ति, विशेषकर मकान के खरीदारों के हितों की रक्षा होगी, जो बेईमान डेवलपर्स के जाल में फसंते रहे हैं। इसके अलावा जीएसटी विधेयक के साथ–साथ एकल खिड़की मंजूरी वाली प्रस्‍तावित प्रणाली से कारोबार करने में सुगमता को बढ़ावा मिलेगा।

बेनामी संपत्ति अधिनियम के साथ-साथ सरकार के इस नोटबंदी कदम को इसी पृष्‍ठभूमि यानी सरकार की बहुआयामी नीति के रूप में देखा जाना चाहिए, जिससे त्‍वरित आर्थिक विकास के लिए संस्‍थागत एवं नियामक ढांचे का सृजन होगा। इन सभी कदमों से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और विदेशी निवेशकों के लिए अचल संपत्ति निवेश के लिहाज से एक आकर्षक परिसंपत्ति वर्ग में तब्दील हो सकेगी। इसका असर पहले से ही देखा जा रहा है क्‍योंकि वैश्विक पेंशन फंडों ने अचल संपत्ति एवं बुनियादी ढांचे में अरबों डॉलर के निवेश का वादा किया है।  

नोटबंदी का एक अन्‍य असर ब्‍याज दरों में और कटौती के रूप में देखा जा रहा है, जिनमें पिछले तकरीबन 18 महीनों में 1.5 प्रतिशत की कमी आ चुकी है। नोटबंदी से बैंकिंग प्रणाली में तरलता को बढ़ावा मिला है और घटती महंगाई को ध्‍यान में रखते हुए बैंकर एवं वित्‍तीय विश्‍लेषक आरबीआई द्वारा दिसंबर में की जाने वाली नीतिगत समीक्षा के दौरान रेपो रेट में 0.25 फीसदी से लेकर 0.50 फीसदी तक की कटौती की उम्‍मीद कर रहे हैं, जिससे प्रभावी ब्‍याज दरें 9 फीसदी से नीचे आ जाएंगी।

नव वर्ष में हम वाजपेयी सरकार के युग में अग्रसर होने की उम्‍मीद कर सकते हैं, जब ब्‍याज दरें 7 से लेकर 8 फीसदी की रेंज में थीं। संपत्ति की कीमतों के नीचे आने और ब्‍याज दरों में कमी के रूप में नोटबंदी के इस दोहरे असर से मकान सस्‍ते होंगे और ‘सभी के लिए आवास’ का सपना साकार होगा। जब नोटबंदी के कारण उपजी आरंभिक अस्थिरता खत्‍म हो जाएगी तो अचल संपत्ति क्षेत्र सतत विकास की दिशा में अपेक्षाकृत अधिक स्थिरता एवं सामर्थ्‍य के साथ और मजबूत होकर उभरेगा।

लेखक विनोद बहल दिल्‍ली में कार्यरत वरिष्‍ठ पत्रकार हैं और वह अचल संपत्ति एवं बुनियादी ढांचागत क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर प्रमुख समाचार पत्रों में नियमित रूप से लिखते रहे हैं।

इस लेख में व्‍यक्‍त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं।

जनजातीय विभाग ने गोरखाओं को ST का दर्जा दिए जाने पर मांगे सुझाव


केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने सिक्किम और गोरखा आबादी की बहुलता वाले अन्‍य राज्‍यों एवं क्षेत्रों में रहने वाले 11 गोरखा समुदायों अर्थात भूजेल, गुरुंग, मंगर, नेवार, जोगी, खस, राय, सुनवर, थामी, याखा, (दीवान) और धीमल को ‘एसटी’ का दर्जा देने के मसले पर विभिन्‍न राज्‍यों से उनके विचार आमंत्रित किए हैं। राज्‍यों से इन समुदायों के संदर्भ में ऐतिहासिक एवं मानव जाति विज्ञान संबंधी विवरण के साथ-साथ शिक्षा, व्यावसायिक स्थिति इत्‍यादि सहित जनसांख्यिकीय प्रोफाइल भी देने का आग्रह किया गया है। राज्‍यों को यदि इन समुदायों की ओर से कोई ज्ञापन मिलता है, तो वे इन्‍हें भी आगे सुपुर्द कर सकते हैं। 

उल्‍लेखनीय है कि जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 14 सितंबर, 2016 के अपने आदेश के तहत एक समिति गठित की है, जिसे इन समुदायों को एसटी का दर्जा देने के मसले पर गौर करने और फिर इस आशय की सिफारिश करने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है। जनजातीय कार्य मंत्रालय में उप महानिदेशक श्रीमती विष्‍णु मणि इस समिति की अध्‍यक्ष हैं। समिति से कहा गया है कि वह सिक्किम एवं गोरखा आबादी की बहुलता वाले अन्‍य समस्‍त संबंधित राज्‍यों की सरकारों से सलाह-मशविरा करे और इन समुदायों के लिए आरक्षण की निष्‍पक्षता सुनिश्चित करने की व्‍यवस्‍था के साथ इन्‍हें एसटी का दर्जा देने का सुझाव दे। समिति से तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है। 

#EPFO #ESIC : मृत्‍यु दावों का निपटान 7 दिनों में और सेवानिवृत्ति दावों का उसी दिन


मृत्‍यु दावों का निपटान 7 दिनों के भीतर और सेवानिवृत्ति दावों का निपटान अवकाश प्राप्ति के दिन ही कर दिया जाएगा 

वैधानिक योगदान का भुगतान अब से केवल इंटरनेट बैंकिंग के जरिए ही होगा 

भारत के प्रधानमंत्री ने 26 अक्‍टूबर को ‘प्रगति’ समीक्षा बैठक के दौरान यह इच्‍छा व्‍यक्‍त की थी कि मृत्‍यु मामलों से जुड़े दावों को प्राथमिकता देते हुए इनके निपटान में तेजी लाई जाए, जबकि सेवानिवृत्ति दावों का निपटान अवकाश प्राप्ति के दिन ही कर दिया जाए। तदनुसार, संबंधित प्रक्रियाओं की समीक्षा की गई है और क्षेत्रीय कार्यालयों को मृत्‍यु दावों का निपटान संबंधित प्रस्‍ताव की प्राप्ति की तारीख के बाद 7 दिनों के भीतर और सेवानिवृत्ति दावों का निपटान अवकाश प्राप्ति के दिन ही करने का निर्देश दिया गया है। 

क्षेत्रीय कार्यालयों के सुविधा केंद्रों में कार्यरत पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे दावों की जांच-पड़ताल करें और दावा करने वाले व्‍यक्तियों का मार्गदर्शन करें, ताकि वे संबंधित दस्‍तावेजों को सही ढंग से पेश कर सकें। दावों की इस श्रेणी के लिए ईपीएफओ के सुविधा केंद्रों में एक पदाधिकारी को तैनात किया गया है। 

नियोक्‍तागण आजकल ईपीएफ की वैधानिक बकाया रकम जमा करने के लिए इंटरनेट बैंकिंग का व्‍यापक इस्‍तेमाल कर रहे हैं, क्‍योंकि ईपीएफओ ने ईपीएफ की बकाया रकम की प्राप्ति के लिए इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। अक्‍टूबर 2016 में 96.03 प्रतिशत योगदान ऑनलाइन ही प्राप्‍त हुए थे। 

अपने कालेधन के लिए दूसरों के बैंक खाते का दुर्पयोग करने पर होगी कड़ी कार्यवाही



अपने काले धन को नए नोटों में परिवर्तित करने के लिए अन्य व्यक्तियों के बैंक खातों का उपयोग करने वाले कर चोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी 

इस उद्देश्‍य के लिए अपने बैंक खातों के दुरुपयोग की अनु‍मति देने वाले लोगों पर उकसाने के लिए आयकर अधिनियम के तहत मुकदमा चल सकता है,सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे काले धन को परिवर्तित करने वालों के लालच में न आएं और इस तरीके से काले धन को सफेद करने के अपराध में भागीदार न बनें तथा इसे समाप्‍त करने में सरकार से जुड़कर उसकी मदद करें

सरकार ने पहले इस आशय की घोषणा की थी कि कारीगरों, कामगारों,गृहणियों इत्‍यादि द्वारा बैंकों में जमा की जाने वाली छोटी राशियों पर आयकर विभाग वर्तमान आयकर छूट सीमा के 2.5 लाख रुपये रहने के तथ्‍य को ध्‍यान में रखते हुए कोई भी सवाल नहीं करेगा। इस बीच, ऐसी जानकारियां मिली हैं कि कुछ लोग अपने काले धन को नये नोटों में बदलने के लिए अन्‍य व्‍यक्तियों के बैंक खातों का उपयोग कर रहे हैं, जिसके लिए उन खाताधारकों को इनाम भी दिया जा रहा है जो अपने खातों के इस्‍तेमाल की अनुमति देने पर सहमत हो जाते हैं। इस तरह की गतिविधि जन धन खातों में भी होने की सूचना मिली है।

यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि यदि यह बात साबित हो जाती है कि किसी बैंक खाते में जमा की गई राशि खाताधारक के बज़ाय किसी और व्‍यक्ति की है तो इस तरह की कर चोरी पर आयकर के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यही नहीं, जो व्‍यक्ति इस उद्देश्‍य के लिए अपने खाते के दुरुपयोग की अनुमति देगा उस पर उकसाने के लिए आयकर अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

हालांकि, अपनी ही नकद बचत राशि को बैंक खाते में जमा करने वाले वास्‍तविक व्‍यक्तियों से कोई भी सवाल नहीं पूछा जायेगा।



Exposed: Why the New Rs.2,000 Notes are being Issued


Probable Reasons as to why the new Rs. 2,000 notes are being issued and actions already being taken before demonetization:

Great move by Narendra Modi for Demonetization of Old High Denomination Notes and I would support the Notification for a very big and bold move to reduce Black money and Corruption.

We would like to explain why Rs 2,000 notes been issued in place of Rs 1,000 notes.

Let us simply take 2 Scenarios to understand this!

Scenario A: If  Rs. 2000 Note are not issued but only New Rs. 1000 Notes are issued.

Let’s say, for example Mr. X has Rs. 1,00,000/- black money in 100 Old Notes of Rs. 1000 each.

Mr. X divides that Rs. 1,00,000/- into 10 Equal Bundles, each comprising of 10 Old Notes of Rs. 1000 each and puts each Stack on a Table.

On Day 1 , in the morning Mr. X would deposit the first Bundle i.e. 10 Old Notes of Rs. 1000 valued at Rs. 10,000 into the bank and on same Day 1 in the Evening he would withdraw 10 New Notes of Rs. 1000 again valued at Rs. 10,000 and put it in the Locker in his house.

Now the real Game starts.

On Day 2: Morning , Mr. X would deposit the second bundle of 10 Old Notes of Rs. 1000 valued at Rs. 10,000 kept on the Table. However in his books of accounts submitted to Income Tax Department, he will show that he has deposited the same 10 New Notes which was withdrawn on Day 1 : Evening (which is actually still lying in the Locker of House)

On Day 2: Evening, Mr. X would again withdraw 10 New Notes of Rs. 1000 valued at Rs. 10,000/- and keep the same in Locker. So at the end of Day 2, Mr. X has Rs. 80,000 on Table in Old Notes and Rs. 20,000/- in New Notes in Locker.

Now Day 3 will come in next week as there is a limit of Rs. 20000 per week.

The same exercise shall continue till Day 10 and by the end of Day 10, Mr. X shall have no Old Notes and Rs. 1,00,000 in 100 New 1000 Rupee Note in the Locker.

However, to the Income Tax Department, Mr. X has shown that he was having only Rs. 10,000/- as black money initially (i.e. one bundle of 10 Notes of Rs. 1000) and he has rotated the same Rs. 10,000/- by depositing it into Bank account in the morning and withdrawing it in the evening and again depositing the same on next day and so on.

Thus, Mr. X has paid tax only on initial Rs. 10,000 whereas he has managed to convert all his Black money of Rs. 1,00,000 into new Notes.

This Modus operandi is called Peak theory i.e. theory of rotation of same money which is accepted by most of the High Courts and Tribunals.  Revenue is also helpless to catch Mr. X because the above scenario can also occur in genuine cases where you withdraw money from bank to purchase something and then when you think that no good deal is available, you may again deposit the same money into your bank account and are not required to pay tax again.

honest-people-need-not-worry

Scenario B:  Now if New Rs. 2000 Rupee Note instead of Rs. 1000:

Mr. X deposits first bundle of 10 Old Notes lying on Table in the Bank on Day 1 : Morning and then he withdraws 5 New Notes of Rs. 2000 on Day 1: Evening and keeps it in locker.

Now on Day 2 : Morning when he goes to deposit second bundle of 10 Old Notes of Rs. 1000 each and wrongly shows the Income Tax Department that he has redeposit the same money which was withdrawn on Day 1:Evening – Bingo !!!

He is caught red handed !! Because the Bank slip on Day 2 submitted to bank shows deposition of 10 Notes of Rs. 1000 each whereas the Govt knows that Mr. X could never have withdrawn on Day 1 any note of Rs. 1000 because they were never Printed !!!!

Now Isn’t it really a Master Stroke by Mr. Narendra Modi, the beloved Prime Minister of our country ?!

The above example also gives you an explanation as to why the withdrawal limit is kept so low because the above modus operandi can still be done with Rs. 500 note however, the incentive would be less because Mr. X cannot withdraw more than Rs. 10000/- in a day and even if he withdraws Rs. 10,000/-, there is every possibility that Banks shall give Mr. X,  2000 Rupee note. So Mr. X cannot follow the above modus operandi.

Each and every condition in the Notification is seen to take care of the problems likely to be faced by Citizens and at the same time making sure that such Sophisticated theories are not resorted to by Black money hoarders.

Now, what actions which were already taken in progress before demonetization of Old High Denomination notes:

PM Modi had a full blue print for the development of our country right from Day 1 of his being elected.

Firstly they asked for all the bank account number in your Return of Income

Then they linked your PAN with Aadhar

They linked all the subsidies, pension and other benefits directly to your bank account through Direct Benefit Transfer Scheme.

Then they gave opportunity to all the common men to open an account with bank through Jan Dhan Yojna

They entered into revised treaty with most of the countries in which unaccounted money goes through HAWALA e.g. Mauritius and thus the route of Black Money coming from Mauritius which everyone knew is stopped.

They passed few strict laws to overcome the evil of black money such as Benami Transaction Act and Foreign Black Money Act

They levied Excise duty on Gold.

They also made TCS compulsory for Cash transactions above 2 lakhs.

They withdrew lakhs of pending income tax and service tax litigations where Common men had won at Appeal level and Department had gone further.

They also entered into information exchange agreement with such countries.

Then they gave last opportunity to all black money hoarders through Income Declaration Scheme, 2016

Now they have a Scheme for Dispute Resolution Panel again to reduce Litigation till December 2016.

They also given an option to Black money evaders to declare there unaccounted income in Income Declaration Scheme.

Now the masterstroke, that they have banned Rs. 500 &  Rs. 1000 denominations.

Not only the destination of this whole process is commendable but even the journey or the chronology of these events is interesting which explains the ultimate destination and who knows , may be the journey is still not over \

Conclusion:

So with the above explanation, it has already been cleared that this notification has been issued to eradicate black money from the economy. No doubt, with one single decision this will result in fighting against corruption, terrorism and enhancing digital payment (part of PM Modi vision of Digital India).




ई-पर्यटक वीजा पर भारत आने वाले पर्यटकों की संख्‍या में 86.4% की बढ़ोतरी


अक्टूबर, 2016 में ई-पर्यटक वीजा पर आये पर्यटकों की संख्‍या में अक्टूबर, 2015 के मुकाबले 86.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी 

अक्टूबर, 2016 के दौरान ई-पर्यटक वीजा सुविधा का लाभ उठाने वाले देशों में ब्रिटेन लगातार शीर्ष पर, इसके बाद क्रमश: अमेरिका और फ्रांस का स्‍थान 

अक्टूबर, 2016 में ई-पर्यटक वीजा पर कुल मिलाकर देश में 1,05,268 पर्यटकों का आगमन हुआ, जबकि अक्टूबर,2015 में 56,477 पर्यटक आए थे। इस तरह अक्टूबर, 2016 में ई-पर्यटक वीजा पर आए पर्यटकों की संख्‍या में अक्टूबर, 2015 की तुलना में 86.4 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। पर्यटक वीजा सुविधा का लाभ उठाने में ब्रिटेन (22.9 प्रतिशत) लगातार शीर्ष स्‍थान पर रहा। उसके बाद अमेरिका (12.1 प्रतिशत) और फ्रांस (6.6 प्रतिशत) रहे।

ई-पर्यटक वीजा सुविधा भारत में 16 हवाई अड्डों पर 150 देशों के नागरिकों के लिए उपलब्‍ध है। अक्टूबर, 2016 के दौरान ई-पर्यटक वीजा सुविधा का लाभ उठाने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्‍या में अक्टूबर, 2015 की अवधि की तुलना में महत्‍वपूर्ण वृद्धि हुई है।

अक्टूबर,2016 के दौरान ई-पर्यटक वीजा की मुख्य बातें निम्नलिखित रहीं:

(i) अक्टूबर, 2016 के दौरान 86.4 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय बढ़ोतरी के साथ ई-पर्यटक वीजा पर कुल मिलाकर 1,05,268 पर्यटक आए, जबकि अक्टूबर,2015 में महज 56,477 पर्यटक ही आए थे।

(ii) जनवरी-अक्टूबर,2016 के दौरान ई-पर्यटक वीजा पर कुल मिलाकर 7,80,570 पर्यटक आये, ज‍बकि जनवरी-अक्टूबर, 2015 में यह संख्‍या 2,58,182 थी। अत: इस तरह पर्यटकों की संख्‍या में 202.3 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

(iii) यह बढ़ोतरी 150 देशों के लिए ई-पर्यटक वीजा की पेशकश करने से ही संभव हुई है, जबकि पहले यह संख्या केवल 113 ही थी।

(iv) अक्टूबर, 2016 के दौरान ई-पर्यटक वीजा सुविधाओं का लाभ उठाने वाले शीर्ष 10 स्रोत देशों की हिस्सेदारी प्रतिशत में निम्नलिखित रही:

ब्रिटेन (22.9 प्रतिशत), संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (12.1 प्रतिशत), फ्रांस (6.6 प्रतिशत) चीन (5.8 प्रतिशत), रूस संघ(5.6 प्रतिशत), जर्मनी (5.5 प्रतिशत), ऑस्‍ट्रेलिया (4.5 प्रतिशत),कनाडा (3.6 प्रतिशत), स्‍पेन (2.3 प्रतिशत) और नीदरलैंड (2.1 प्रतिशत)।

(v) अक्टूबर, 2016 के दौरान ई-पर्यटक वीजा पर आए पर्यटकों के मामले में शीर्ष 10 हवाई अड्डों की हिस्सेदारी प्रतिशत में निम्नलिखित रही:

नई दिल्ली हवाई अड्डा (51.67 प्रतिशत), मुंबई हवाई अड्डा (18.65 प्रतिशत), डाबोलीन (गोवा) हवाई अड़डा (6.20 प्रतिशत) बेंगलुरू हवाई अड्डा (5.18 प्रतिशत), चेन्नई हवाई अड्डा (4.97 प्रतिशत), कोच्चि हवाई अड्डा (3.15 प्रतिशत), अमृतसर हवाई अड्डा (2.42 प्रतिशत) हैदराबाद हवाई अड्डा (2.18 प्रतिशत),कोलकाता हवाई अड्डा (2.08 प्रतिशत) और तिरुअनंतपुरम हवाई अड्डा (1.28प्रतिशत)।

रेलवे के 163 वर्षों के इतिहास में पहली बार रेल विकास शिविर आयोजित


तीन दिवसीय रेल विकास शिविर की शुरूआत 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी शिविर को संबोधित करेंगे 

शिविर से अनेक अभिनव विचार सामने आयेंगे और रेल मैप का सृजन होगा 

भारतीय रेलवे के 163 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि ऐसा कोई बुद्धिशील और नियोजक आयोजन सभी रेलवे कर्मचारियों को शामिल करके इतने बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा हो 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर भारतीय रेलवे अपने समस्त संगठन को पूरे स्तर पर शामिल करके तीन दिवसीय (18 नवम्बर से 20 नवम्बर, 2016 तक) रेल विकास शिविर का दिल्ली के पास सूरजकुंड में एक मेगा कार्यक्रम के रूप में आयोजन कर रहा है। इस शिविर का उद्देश्य रेल क्षेत्र के सतत विकास के लिए रेलवे परिचालन के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नवाचारी लेकिन व्यवहारिक विचारों का सृजन करना है। भारतीय रेलवे के 163 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि ऐसा कोई बुद्धिशील और नियोजक आयोजन सभी रेलवे कर्मचारियों को शामिल करके इतने बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा हो। कर्मचारियों में गैंगमैन से लेकर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन शामिल हैं। यह शिविर इस मायने में रेलवे के अन्य सम्मेलनों से इसलिए अलग है कि यहां न केवल बाह्य वक्ता इस बात में भागीदारी कर रहे हैं कि रेलवे को क्या करना चाहिए बल्कि सभी स्तरों से संबंधित रेलवे कर्मचारियों को भी आपस में नए विचारों का योगदान देने के लिए और निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस शिविर से भारतीय रेलवे के लिए यह विजन जुटाने में मदद मिलेगी कि इससे संबंधित हर कर्मचारी व्यापार, आकांक्षाओं और भारतीय रेलवे की सामाजिक प्रतिबद्धताओं को प्रतिबिंबित करेगा।

यह शिविर भारतीय रेलवे के इतिहास में महत्वपूर्ण है। इसके परिणामों से भारतीय रेलवे को कायाकल्प, परिवर्तन, आधुनिकीकरण, कार्यकुशलता और उत्पादकता के मार्ग पर तेजी से बढ़ाने में मदद मिलने की संभावना है। इस प्रकार के परिणाम पहले नहीं देखे गए हैं। ऐसा भारतीय रेलवे को विश्व स्तरीय रेलवे प्रणाली बनाने के दृष्टिकोण से किया जा रहा है। 

इस शिविर का महत्वपूर्ण पल वह होगा जब जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी खुद शिविर के पहले दिन देश के आर्थिक विकास के लिए रेलवे क्षेत्र के बारे में अपने मन की बात बताने के साथ-साथ इस मेगा आयोजन के लिए एजेंडा तय करने हेतु अपने दिशा-निर्देश और मार्गदर्शन देंगे। प्रधानमंत्री का संबोधन प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली और सूरजकुंड में शिविर स्थल के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा। प्रधानमंत्री शिविर के समापन दिवस पर प्रतिभागियों के साथ एक विस्तृत बातचीत करने के लिए व्यक्तिगत रूप से फिर से उपस्थित रहेंगे।

रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु जिन्होंने पिछले ढाई वर्षों के दौरान प्रमुख सुधार, पुनर्गठन, पहल, नवाचारों और प्रतिमान प्रणाली में सुधार किए हैं और रेलवे के बारे में प्रधानमंत्री के विजन को पूरा करने के लिए अपने सहयोगी रेल राज्य मंत्री एवं संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनोज सिन्हा और रेल मंत्री श्री राजेन गोहैन के साथ इस महत्वपूर्ण शिविर की अगुवाई कर रहे हैं और इस बारे में आवश्यक दिशा-निर्देश दे रहे हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल के अनेक मंत्रियों को शिविर के समापन दिवस पर आमंत्रित किया गया है। समापन दिवस पर आमंत्रित व्यक्तियों में भारत सरकार के कुछ चुनिंदा सचिवों, प्रधानमंत्री कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय और नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।

स्वच्छ भारत जागरूकता अभियान में अभी तक अलीगढ़ सबसे आगे


शहरी क्षेत्रों में चलाए जा रहे स्वच्छ भारत जागरूकता अभियान में अलीगढ़ सबसे आगे 

वसई-विरार, हैदराबाद, गुरूग्राम, चंडीगढ़, मदुरै, वडोदरा, तिरुपति, मैसूर भी शीर्ष पर 

सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) प्रयासों पर इस पखवाड़े के दौरान शौचालयों की कार्यक्षमता को बढ़ावा देने के लिए 500 शहरों के स्वच्छ सर्वेक्षण में विशेष महत्व दिया जाएगा 

शहरी विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ सर्वेक्षण – 2017 के तहत 500 शहरों में आवश्यक पाक्षिक विषयगत गतिविधियों के अधीन चलाई गई स्वच्छ जागरूकता गतिविधियों में अलीगढ़ सबसे आगे हैं। मंत्रालय की आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधियों के मूल्यांकन के दौरान अलीगढ़ ने सबसे अधिक अंक अर्जित किए हैं। आईईसी कार्य प्रदर्शन का मंत्रालय द्वारा मूल्यांकन किया गया है, जबकि स्वच्छ सर्वेक्षण – 2017 के अन्य मानकों का मूल्यांकन भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा किया जाएगा।

सभी शहरों से पार्कों, सरकारी कार्यालयों, आवासीय कालोनियों, पर्यटन स्थलों, स्कूलों आदि की साफ-सफाई और सफाई कामगारों के कल्याण के बारे में मीडिया कवरेज के सबूत के साथ नागरिकों को शामिल करके आईईसी गतिविधियों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। 

इस संबंध में अन्य शीर्ष 10 शहरों में के नाम हैं - वसई-विरार (महाराष्ट्र), हैदराबाद, गुरूग्राम, चंडीगढ़, मदुरै (तमिलनाडु), वडोदरा और राजकोट (गुजरात), तिरुपति (आंध्र प्रदेश) और मैसूर (कर्नाटक)। इन शहरों को सर्वेक्षण 2017 के तहत आईईसी के लिए 50 प्रतिशत आवंटित भार के अधीन अंक दिए गए हैं। 

शहरी विकास मंत्रालय ने स्वच्छ सर्वेक्षण – 2017 में शामिल सभी 500 शहरों को सूचित किया है कि इस रैंकिंग के अधीन आईईसी घटक के लिए बकाया 50 प्रतिशत भार की गणना कल से शुरू स्वच्छता पखवाड़े के दौरान व्यक्तिगत, समुदाय और सार्वजनिक शौचालयों को कार्यात्मक बनाने के लिए समुदाय भागीदारी के लिए किए गए उनके प्रयासों के आधार पर की जाएगी। स्वच्छ सर्वेक्षण – 2017 के अंतिम परिणामों की घोषणा जनवरी, 2017 में की जाएगी।

नोटबंदी : किसानों,छोटे कारोबारियों और कर्मचारियों के लिए केंद्र की नयी योजनायें


500 रूपये तथा 1000 रूपये के प्रचलन को निरस्‍त किये जाने के बाद केन्‍द्र सरकार ने किसानों, छोटे कारोबारियों, केन्‍द्र सरकार के ग्रुप-सी के कर्मचारियों और रक्षा तथा अर्धसैनिक बलों, रेलवे, केन्‍द्रीय सार्वजनिक प्रतिष्‍ठानों के समकक्ष स्‍तर के कर्मचारियों की सहायता के लिए अनेक कदम उठाये है। 

18 नवम्‍बर, 2016 से पूरे देश में बैंकों से 500 रूपये तथा 1000 रूपये के नोटों को बदलने की सीमा 4500 रूपये से घटाकर 2000 रूपये करने का निर्णय लिया गया।


500 रूपये तथा 1000 रूपये के नोटों के लीगल टेंडर स्‍वरूप निरस्‍त किये जाने के बाद भारत सरकार को विभिन्‍न सुझाव प्राप्‍त हुए। राज्‍य सरकारों से भी सुझाव मिले। सरकार ने विभिन्‍न सुझावों पर विचार किया है तथा योजना संचालन के कुछ पहलुओं पर निम्‍नलिखित निर्णय लिया है। 

  1. हम रबी फसल की शुरूआत में है। किसानों को खेती के लिए तरह-तरह की आवश्‍यकताएं होती है। सरकार बैंकिंग और डिजिटल प्रणाली के माध्‍यम से भुगतान को प्रोत्‍साहित करना चाहती है। यह महसूस किया गया कि किसानों को उनकी खेती की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए उनके पास कुछ धन उपलब्‍ध होना चाहिए। इसलिये यह निर्णय लिया गया है कि किसानों को उनके केवाईसी अनुपालन वाले खातों से प्रति सप्‍ताह 25 हजार रूपये निकालने की अनुमति होगी। नकद निकासी सामान्‍य ऋण सीमा और शर्तों के साथ बंधी होगी। यह सुविधा किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर भी मिलेगी।
  2. किसान अभी अपनी खरीफ सीज़न के उत्‍पाद एपीएमसी बाजारों/मंडियों में बेच रहे हैं, जो किसान चैक/आरटीजीएस के माध्‍यम से अपने खातों में भुगतान प्राप्‍त कर रहे है, उन्‍हें प्रति सप्‍ताह 25 हजार रूपये नकद निकालने की अनुमति होगी। इन खातों के लिए केवाईसी अनुपालन आवश्‍यक है। इस सुविधा से किसान अपनी खेती की आवश्‍यकता पूरी कर सकेंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्र में तरलता काफी बढ़ेगी
  3. एपीएमसी बाजारों/मंडियों से पंजीकृत कारोबारियों को कारोबार के लिए प्रति सप्‍ताह केवाईसी अनुपालन वाले खातों से 50 हजार रूपये प्रति सप्‍ताह निकालने की अनुमति होगी। इस सुविधा से कारोबारी वेतन दे सकेंगे और मंडियों में सहज रूप से सामान उतारने चढ़ाने तथा अन्‍य गतिविधियां होगी। 
  4. फसल बीमा प्रीमियम के भुगतान के लिए राज्‍य अपनी स्‍थानीय आवश्‍यकताओं और परिस्थितियों के आधार पर समय सीमा तय करते है। परिणामस्‍वरूप, भुगतान की अंतिम अवधि विभिन्‍न तिथियों को पूरी होती है। अब फसल बीमा प्रीमियम भुगतान की अंतिम अवधि 15 दिन बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
  5. चेक और डिजिटल माध्‍यमों से शादी-विवाह के खर्चों को पूरा करने में प्रोत्‍साहन देते हुए शादी विवाह वाले परिवारों को अपने बैंक खातों से 2,50,000 रूपये नकद निकालने की अनुमति देने का फैसला किया गया है। इन खातों के लिए केवाईसी अनुपालन आवश्‍यक है। यह राशि माता-पिता या विवाह सूत्र में बंधने वाले व्‍यक्ति ही निकाल सकते हैं। इनमें से केवल एक को राशि निकालने की अनुमति होगी। 2,50,000 रूपये की सीमा लड़के और लड़की दोनों के परिवारों के लिए अलग-अलग लागू होगी। ऐसी राशि निकालने वाले व्‍यक्ति को अपने ‘पैन’ का ब्‍यौरा देना होगा। राशि निकालने वाले व्‍यक्ति को यह स्‍वत: घोषित करना होगा कि उसके परिवार का केवल एक व्‍यक्ति ही राशि निकाल रहा है। आशा की जाती है कि लोग यह सुनिश्चित करने में सहयोग देगे कि दिशानिर्देशों का पालन हो रहा है। सुविधा का किसी तरह के दुरूपयोग के मामले में स्‍वघोषणा तथा अन्‍य ब्‍यौरों के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी। 
  6. वर्तमान में काउंटर से 500 रूपये और 1000 रूपये के नोट बदलने की सीमा प्रति व्‍यक्ति 4500 रूपये है। यह सूचना मिली है कि एक ही व्‍यक्ति बार-बार काउंटर पर जाकर नोट बदल रहे है और इस सुविधा का लाभ स्‍वयं उठा रहे हैं और नोट बदलने से अन्‍य लोगों को वंचित कर रहे हैं। यह सूचना भी मिली है कि कुछ संगठित समूह अपने काले धन को सफेद बनाने के खेल में लगे है। यह आशा की जाती है कि लोग अपने पुराने नोट बैंकों में जमा करवायेंगे। लोगों की सुविधा के लिए काउंटर से 500 रूपये और 1000 रूपये के नोट बदलने की अधिकतम सीमा 4500 रूपये से 2000 रूपये करने का फैसला लिया गया है। यह सुविधा केवल एक व्‍यक्ति को मिलेगी। 4500 रूपये से नोट बदलने की अधिकतम सीमा घटाकर 2000 रूपये करने का निर्णय 18 नवम्‍बर, 2016 से लागू होगा। 
  7. केन्‍द्र सरकार के ग्रुप-सी के कर्मचारियों तथा रक्षा और अर्धसैनिक बलों, रेलवे तथा केन्‍द्रीय सार्वजनिक प्रतिष्‍ठानों के समकक्ष स्‍तर के कर्मचारियों को 10,000 रूपये नकद तक वेतन अग्रिम निकालने का विकल्‍प होगा। यह राशि नवम्‍बर, 2016 के वेतन में समायोजित की जाएगी। आशा की जाती है कि इस निर्णय से बैंकों पर दवाब कम होगा। 

30 दिसंबर के बाद सरकार ऐसे पहचान लेगी कालेधन वालों को


काले धन के खिलाफ सबसे बड़ी मुहिम चलाने से पहले सरकार के सामने इस चीज पर नजर रखने की चुनौती थी कि ब्लैक मनी जमा वाले इसे व्हाइट में तबदील न कर पांए। इस मुश्किल को हल किया भारत कि उस एजेंसी ने जो ऐसे हर ट्रांजेक्शन पर नजर रखती है। देश की 'फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट', ही वो ऐजेंसी है जो देश में ही नहीं, विदेशों से होने वाले काले धन के लेन देन का भी पूरा ब्यौरा रखती है।

2004 में बनाई की गई फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट का असली काम होता है देश की दूसरी एजेंसियों से तालमेल बनाकर ब्लैक मनी पर कड़ी नजर रखना। नोटबंदी के फैसले से पहले इसी यूनिट ने बैंकों पर नजर रखने के लिए एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया। एजेंसी ने सबसे पहले 'फिनेक्स' (एफआईएनईएक्स) नाम के अपने सर्वर को अपग्रेड किया। सर्वर की कई बार डेटा टेस्टिंग की गई, जिसके बाद इसे देश के सभी बैंकों से जोड़ा गया ताकि हर एक लेन-देन पर नजर रखी जा सके।

देश का हर बैंक इस यूनिट और उसके सिस्टम से जुड़ा हुआ है और आपके खाते की हर एंट्री इस फिनेक्स में भी दर्ज होती है। यही कारण है कि नए नोट बदलने और बैंकों में रुपये जमा कराने की 50 दिन की मियाद खत्म होने के बाद, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट के इसी सर्वर के सहारे सरकार उन लोगों पर शिकंजा कसेगी जिन्होंने अपने काले धन को सफेद किया है। 30 दिसंबर के बाद सरकार की जांच एजेंसियों के साथ, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट, फिनेक्स सर्वर में दर्ज आंकड़ों का आंकलन करेगी। इसके बाद इनकम टैक्स और काले धन के खिलाफ कार्रवाई करने वाली दूसरी एजेंसियां अपनी कार्रवाई शुरू करेंगी।

गाँवों में रोजगार के लिए सहकारिता की बड़ी भूमिका - राधा मोहन सिंह


ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा करने में सहकारिता बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है: राधा मोहन सिंह

डेयरी से जुड़े सहकारी संस्थाओं ने डेयरी में बड़ी संख्या में रोजगार सृजित किया है: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री 

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा करने में सहकारिता बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है और डेयरी से जुड़े सहकारी संस्थाओं ने डेयरी में बड़ी संख्या में रोजगार सृजित कर इस बात को साबित कर दिखाया है। श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि सहकारिता ने हर क्षेत्र में अपनी प्रभुत्ता बनायी है और सहकारिता के विशाल नेटवर्क से दुनिया भर में 100 मिलियन लोगों को रोजगार मिला है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने ये बात आज यहां अशोक होटेल में आयोजित 12वीं अंतर्राष्ट्रीय सहकारी संघ-एशिया प्रशांत (आईसीए) की रीजनल असैम्बली की बैठक एवं 9वीं सहकारी फोरम में कही। श्री सिंह ने सम्मेलन में हिस्सा ले रहे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के करीब 250 विदेशी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन भारत और एशिया-प्रशांत की सहकारिता को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगा ।

केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरूआत की है जैसे स्कूलों में शौचालय, जन - धन योजना, स्वच्छ - भारत अभियान, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, मेक इन इंडिया, सॉयल हेल्थ कार्ड स्कीम आदि। इन्हें लागू करने में सहकारिता संस्थाएं काफी काम की साबित हो सकती है क्योंकि सहकारिता का विशाल और विस्तृत नेटवर्क गांवों और सूदूर क्षेत्रों में फैला हुआ है। श्री सिंह ने कहा कि सरकार ने कौशल युक्त रोजगार के सृजन पर काफी बल दिया है और आज जबकि देश की 65 प्रतिशत जनसंख्या 38 साल से कम लोगों की है, ऐसे में सहकारिता की ग्रामीण इलाकों में विस्तृत पहुँच, रोजगार के अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

श्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि आईसीए रिजनल अंसेंबली का थीम ’सतत् विकास’ है जो आज के संदर्भ में काफी प्रांसगिक है। यह संयुक्त राष्ट्र के 2030 के सतत् विकास एजेंडा के अनुरूप है जिसने ’सतत विकास’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये एक दूरगामी नीति बनाने पर बल दिया है जिसमें गरीबी-उन्मूलन, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार सृजन, जलवायु परिवर्तन की रोकथाम जैसे विषय शामिल हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देश में 6 लाख से ज्यादा सहकारी समितिया हैं जिनकी सदस्य संख्या 2491.20 मिलियन है। इन समितियों ने सहकारी आंदोलन को विश्व में सबसे बड़ा आंदोलन बनाया है। ये समितियां उर्वरक वितरण, चीनी उत्पादन, हथकरघा, रिटेल क्षेत्र में कार्यरत हैं। सहकारी क्षेत्र 17.80 मिलियन लोगों को स्व-रोजगार प्रदान करता है और मत्स्य, श्रम, हथकरघा, और महिला सहकारिताओं ने समाज के निर्बल वर्ग की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दूध सहकारिता ने श्वेत क्रान्ति द्वारा भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बना दिया है। आवास सहकारिता ने समाज के कमजोर वर्ग को कम दाम पर आवास की सुविधायें प्रदान की हैं।

आधार टोल फ्री हेल्‍प लाइन नंबर - 1947 की शुरूआत हुई


आधार टोल फ्री हेल्‍प लाइन नंबर - 1947 की शुरूआत 

आधार कार्ड धारकों को सुविधा तथा समाधान मुहैया कराएगा हेल्‍प लाइन नंबर- 1947 

बैंकिंग, सरकारी कल्‍याणकारी योजनाओं जैसी सेवाओं से संबंधित लेनदेन में आधार कार्ड के बढ़ते उपयोग के साथ भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने अपना नया टोल फ्री हेल्‍प लाइन नंबर 1947 शुरू किया है, जिससे लोगों को आधार से संबंधित जानकारी तुरंत हासिल हो सकें। 

यह हेल्‍प लाइन नंबर 1947 शुल्‍क मुक्‍त रहेगा, जो पूरे साल आईवीआरएस मोड़ पर चौबीसों घंटे उपलब्‍ध रहेगा, जबकि कॉल सेन्‍टर प्रतिनिधि सुबह सात बजे से रात 11 बजे तक (सोमवार से शनिवार) उपलब्‍ध रहेंगे। रविवार के दिन प्रतिनिधि सुबह आठ बजे से शाम 5 बजे तक ही उपलब्‍ध रहेंगे। हेल्‍प लाइन नंबर प्रतिदिन औसतन डेढ़ लाख कॉल प्राप्‍त हो रही हैं। 

यूआईडीएआई के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी डॉक्‍टर अजय भूषण पांडे ने कहा, ‘हमारी टोल फ्री हेल्‍पलाइन नंबर 1947 दोबारा शुरू की गई है, ताकि ज्‍यादा से ज्‍यादा इनकमिंग कॉल्‍स को प्राप्‍त किया जा सकें और हर नागरिक को आधार के और नजदीक लाया जा सके। इस नंबर पर मोबाइल अथवा लैंडलाइन के जरिये कॉल की जा सकती है। बैंकिंग क्षेत्र में आधार के तेजी से बढ़ते इस्‍तेमाल से लोगों की पहचान करने के लिए यह विशेष रूप से फायदेमंद रहेगा’। 

यह हेल्‍प लाइन नंबर 1947 लोगों को आधार नामांकन केन्‍द्रों, नामांकन करने के बाद आधार नम्‍बर की स्थिति और अन्‍य आधार संबंधी जानकारी प्रदान करेगा। इसके अलावा अगर किसी का आधार कार्ड खो गया है या डाक से अभी प्राप्‍त नहीं हुआ है, तो इस स्थिति में यह उसकी भी जानकारी प्रदान करेगा। 

प्रेस स्व-नियंत्रित होना चाहिए : राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस पर मोदी

राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस के कार्यक्रम में शामिल हुए प्रधानमंत्री 

मीडिया के लिए स्व-नियंत्रण सबसे बेहतर- वेंकैया नायडू 

सूचना प्रसारण मंत्री ने पत्रकारिता में उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किए 

           

प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस पर प्रेस काउंसिल द्वारा आयोजित समारोह में हिस्सा लिया। इस मौके पर प्रेस काउंसिल की स्वर्ण जयंती भी मनाई गई। इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने प्रेस की आजादी के मह्त्व पर जोर दिया और कहा कि प्रेस स्व-नियंत्रित होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रेस पर बाहरी हस्तक्षेप और नियमन नहीं नहीं होना चाहिए।  प्रधानमंत्री ने हाल के दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में पत्रकारों की हत्या पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सच्चाई बताने वाले पत्रकार का अपनी जान गंवाना बेहद ही गंभीर मसला है।

इससे पहले केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि मीडिया में स्व-नियंत्रण ही सबसे बेहतर नीति है। इससे पत्रकारिता की नैतिकता और लोकतांत्रिक आदर्श सुरक्षित रहेंगे। सरकार संचार के किसी भी माध्यम पर किसी तरह की रोक का समर्थन नहीं करती है लेकिन देश की एकता, संप्रभुता, सुरक्षा और कानून व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए संयम बरतने की जरूरत है।

मीडिया की जिम्मेदारी पर विस्तार से बोलते हुए श्री नायडू ने कहा कि मुंबई आतंकी हमले की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रसारण को लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी एतराज जताया था, जिसमें कहा गया था टीवी चैनल इस तरह की आतंकी वारदात की हालत में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर दिखाकर खुद को पाक साफ नहीं ठहरा सकते। उन्होंने पठानकोट कवरेज पर भी ध्यान दिलाते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की ऐसी कवरेज से आम नागरिकों और सैनिकों की जान खतरे में पड़ सकती है।

इस अवसर पर मंत्री महोदय ने भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में क्षेत्रीय मीडिया की भूमिका के बारे में भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदायों और स्थानीय भाषा के साथ अपनी निकटता के कारण मीडिया की भूमिका क्षेत्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण हो जाती है जिससे नागरिकों की भागीदारी क्षमता बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों तक पहुँचने के माध्यम से क्षेत्रीय मीडिया स्वस्थ्य लोकतंत्र के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


सरकार की नई प्रिंट मीडिया विज्ञापन नीति के बारे में, श्री नायडू ने कहा कि यह पैनल प्रक्रिया में छूट प्रदान कर क्षेत्रीय भाषाओं / बोलियों, छोटे और मध्यम समाचार पत्रों को समान रूप से विशेष प्रोत्साहन प्रदान करेगा।

सोशल मीडिया द्वारा की पेश किए गये अवसरों के बारे में मंत्री महोदय ने कहा कि यह संचार का नया उपकरण है जो सहज और क्रियात्मक है। इस तरह के माध्यम में अवसर और चुनौतिया दोनों होती हैं। संचार की इस विधा को व्यापक राष्ट्रीय हित और व्यक्तिगत भलाई के लिए विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।


इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़, और भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सी के. प्रसाद भी उपस्थित थे। इस अवसर पर पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए प्रमुख पत्रकारों और फोटो पत्रकारों को सम्मानित किया गया, जिनमें श्री सुरेन्द्र निहाल सिंह, श्रीमती मृणाल पांडे, श्री रघु राय, श्री रंजीत जॉन, श्री अरविंद कुमार सिंह, श्री जेवियर सेल्वा कुमार शामिल थे।

महिला उद्यमियों को अब 30% तक ऋण/फिर 30 लाख रूपये की सहायता


महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) “व्यापार संबंधित उद्यमिता सहायता और विकास योजना (टीआरईएडी)” नामक एक योजना पर काम कर रही है। इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को व्यापार, उत्पाद, सेवाओं इत्यादि के क्षेत्र में प्रशिक्षण, सूचना और परामर्श देकर महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत, भारत सरकार ने 30 प्रतिशत तक ऋण/फिर 30 लाख रूपये तक की सहायता देने का प्रावधान किया है।   

ऋण देने वाले संस्थानों/बैंकों के माध्यम से गैर कृषि गतिविधियों को शुरू करने के लिए गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के माध्यम से महिलाओं के समूह को वित्तीय सहायता मिल सकती है।

वर्ष
लाभान्वित होने वाली एनजीओ/संस्थानों की संख्या
लाभान्वित होने वाली महिलाओं की संख्या
जारी कुल अनुदान(करोड़ रूपया में)
2014-15
24
8265
2.54
2015-16
12
3560
2.00


वर्ष
लाभान्वित होने वाली पूर्वोत्तर राज्यों के एनजीओ की संख्या
लाभान्वित होने वाली पूर्वोत्तर राज्यों के महिलाओं की संख्या
पूर्वोत्तर राज्यों के लिए जारी कुल अनुदान (करोड़ रूपया में)
2014-15
3
750
0.225
2015-16
0
0
0

खादी इकाईयों के आधुनिकीकरण के लिए हुए अभूतपूर्व निर्णय


सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के माध्यम से, खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा खादी इकाइयों के आधुनिकीकरण के लिए निम्नलिखित केन्द्रीय योजनाओं को लागू किया जाता है:

1. कमजोर खादी संस्थानों को अपने संसाधन बढ़ाने के लिए तथा उनको फिर से सुचारू रूप से कार्यान्वित करने हेतु, केवीआईसी आउटलेट का पुनरूत्थान करने, राज्य खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड को मजबूत करने एवं बिक्री केन्द्रों की संख्या बढ़ाने हेतु सहायता देने का प्रावधान किया गया है।

2. पारंपरिक उद्योग के उत्थान के लिए कोष (स्फूर्ति) की योजना के माध्यम से खादी समूहों को और अधिक उत्पादक और प्रतिस्पर्धी बनाने हेतु एवं उनके सतत विकास के लिए सहयोग दिया गया है।

3. केवीआईसी ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कार्यक्रम के तहत शोध कार्य का संचालन करने के लिए अग्रणी तकनीकी संस्थानों के साथ इंटरफेस के गठन का फैसला किया है।

2014 के बाद से खादी उत्पादों की बिक्री में वृद्धि हुई है। खादी बिक्री का विवरण निम्न तालिका द्वारा दिया गया है:

वर्ष
खादी की बिक्री (करोड़ रूपया में)
प्रतिशत बढ़ोतरी
2013-14
1081.04
-
2014-15
1170.38
8.26%
2015-16
1510.00
29.02%
2016-17*
1810.00
19.87%
                 *लक्ष्य


खादी की बिक्री आलेख द्वारा:


शहरी क्षेत्रों में शौचालयों के काम-काज के ऑडिट के आदेश


कल से शुरू होने वाले स्‍वच्‍छता पखवाड़े के अधीन राज्‍यों और शहरों से शौचालयों के कामकाज की लेखा परीक्षा करने के लिए कहा गया 

अधिक से अधिक शौचालयों के निर्माण को बढ़ावा देने, जल आपूर्ति सुनिश्चित करने और व्‍यवहार में परिवर्तन लाने के प्रयासों में तेजी लाना 

राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए गूगल टॉयलेट लोकेटर की शुरुआत की जायेगी 

शहरी विकास मंत्रालय ने सभी राज्‍यों और शहरों के प्रशासन से कल से शुरू होने वाले स्‍वच्‍छता पखवाड़े के दौरान अगले 15 दिनों में शहरी क्षेत्रों में शौचालयों के काम-काज की व्‍यापक लेखा परीक्षा कराये जाने के लिए कहा है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि क्‍या शौचालय ठीक तरह से कार्य कर रहे हैं और उनका पूरी तरह से इस्‍तेमाल हो रहा है।

राज्‍य और शहरी प्रशासन को अगले 15 दिनों के लिए भेजी गई कार्य योजना में व्‍यक्तिगत घरेलू शौचालयों और समुदाय तथा घरेलू शौचालयों के कामकाज की प्रभावी रूप से लेखा परीक्षा करने के लिए समुदाय प्रतिनिधियों तक पहुंच कायम करने और जल उपलब्‍धता सहित पाई जाने वाली खामियों को दूर करने के लिए कहा गया है।

राज्‍यों और शहरों से पखवाड़े की शुरुआत में कम-से-कम दो अभियान शुरू करने और एक सप्‍ताह बाद शौचालयों के निर्माण के लिए लाभार्थियों को प्रोत्‍साहित करने के लिए कहा गया है। समुदाय एवं सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के लिए शिलान्‍यास किये जाने हैं जो अब निविदा चरण में हैं।

व्‍यक्तिगत घरेलू शौचालयों के निर्माण के लिए लाभार्थियों को बकाया राशि का भुगतान करने के लिए विशेष कैंप आयोजित किये जा रहे हैं। व्‍यवहार में परिवर्तन लाने के एक हिस्‍से के रूप में ‘असली तरक्‍की अभियान’ के बारे में पोस्‍टर, स्‍कूटर या टीवी सेट खरीदने जैसी जरूरत के मुकाबले शौचालय के निर्माण को प्राथमिकता देने के कार्यों से संबंधित होर्डिंग और पोस्‍टरों को भी इस पखवाड़े के दौरान अधिक प्रमुखता और व्‍यापक रूप से प्रदर्शित किया जायेगा।

राज्यों और शहरी प्रशासन को व्‍यापक प्रचार-प्रसार तथा स्‍वच्‍छता प्रक्रियाओं के बारे में लोगों को प्रोत्‍साहित करने के लिए प्रस्‍तावित गतिविधियां आयोजित करते समय मीडिया को शामिल करने की भी सलाह दी गई है। शहरी विकास मंत्रालय राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोगों की भलाई के लिए जल्‍दी ही गूगल टॉयलेट लोकेटर की शुरुआत करेगा। इससे उपयोग के लिए नजदीकी शौचालय का पता लगाने में मदद मिलेगी।

प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 337 से 500 ग्राम हो जाने की संभावना


प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता प्रतिदिन 337 ग्राम के मौजूदा स्तर से 2021 -22 तक प्रतिदिन 500 ग्राम हो जाने की संभावना : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री 


दूध एवं दूध उत्पादों की मांग में वृद्धि हो रही है और 2025 तक दूध की मांग बढकर 24 करोड़ टन हो जाने की संभावना है: श्री राधा मोहन सिंह

भारत कृषि रसायनों (कीटनाशकों) का सबसे कम खपत करने वाला देश है: श्री सिंह

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि डेयरी में लगे लोगों की मेहनत और केन्द्र सरकार के अथक प्रयासों की वजह से भारत ने दूध - उत्पादन में 4.2 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर हासिल कर विश्व के 2.2 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर को पीछे छोड़ दिया है। 2015-16 में भारत में दूध – उत्पादन की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही। कृषि मंत्री ने ये बात आज राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड में डेयरी उद्योग के हितधारक सम्मेलन में कही। श्री सिंह ने कहा कि दूध उत्पादन में वृद्धि से देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता प्रतिदिन 337 ग्राम के मौजूदा स्तर से 2021 -22 तक प्रतिदिन 500 ग्राम हो जाने की संभावना है। इस योजना में 2242 करोड़ रुपये खर्च होंगे। उन्होंने कहा कि पशु स्वास्थ्य की दिशा में लगातार जागरुकता फैलाना और पशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना भी बेहद जरूरी है।



केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि भारत 15 वर्षों से दूध उत्पादन में विश्व में नंबर वन बना हुआ है और इसका श्रेय छोटे दूध उत्पादकों को जाता है। उन्होंने कहा कि दूध एवं दूध उत्पादों की मांग में वृद्धि हो रही है और 2025 तक दूध की मांग बढकर 24 करोड टन हो जाने की संभावना है। 

 श्री राधा मोहन सिंह ने इस अवसर पर कहा कि डेयरी में विज्ञान और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना अब बेहद जरूरी हो गया है क्योंकि भारत में दुनिया की सबसे अच्छी गौ प्रजातियां होने के बावजूद यहां दूध की उत्पादकता नहीं बढ़ रही है।

श्री सिंह ने बताया कि कृषि मंत्रालय ने दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं जिसमें गोकुल मिशन प्रमुख है। इसके अंतगर्त वर्ष 2014-15 से 2016-17 के लिए 500 करोड की धनराशि का प्रावधान किया गया है । विश्व बैंक और केन्द्र सरकार के सहयोग से एन.डी.डी.बी. ने केन्द्रीय क्षेत्र योजना “राष्ट्रीय डेयरी योजना चरण -1 (एनडीपी-1) के तहत कई कदम उठाए हैं। इसमें गोजातीय आबादी में अनुवाशिंक सुधार, गांवों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना और दूध उत्पादकों को अतिरिक्त दूध बेचने के अवसर मुहैया कराना शामिल है। एनडीपी -1 की शुरुआत 14 राज्यों से हुई थी और अभी इसे झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और तेलंगाना सहित 18 राज्यों में चलाया जा रहा है।

केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि विकास के लिए दूध उत्पादन में 6 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होनी चाहिए। इसके लिए उन्नत प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण, मार्केटिंग, वैज्ञानिक पशु प्रबंधन, दूध उत्पादन से संबंधित जानकारी और बेहतर ऋण सुविधा से संचालित डेयरी जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि डेयरी में महिलाओं और युवाओं को अच्छा रोजगार मिल रहा है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करनी है और इस लक्ष्य को हासिल करने मे डेयरी की अहम भूमिका है।

श्री राधा मोहन सिंह ने इसके बाद नेशनल एग्रिकल्चरल साइंस कॉम्प्लेक्स, पूसा में सोसायटी ऑफ पेस्टीसाइड साइंस इंडिया के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि फसल के विभिन्न रोगों और कीटों ने खाद्य उत्पादन पर गंभीर प्रभाव डाला है। इन कीटों तथा बीमारियों के कारण वैश्विक स्तर पर फसल उत्पादन में 15 से 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष तक की कमी हो रही है। यह अनुमान है कि कृषि उत्पादन मे विभिन्न स्तरों तथा भंडारण के दौरान कीटों, बीमारियों, खरपतवार, चूहों, पक्षियों और निमेटोड्स आदि के कारण कुल फसल उत्पादन का 35 प्रतिशत नष्ट हो जाता है। कीटनाशकों की खपत में भारत दुनिया में 10वें स्थान पर है और यह कृषि रसायनों (कीटनाशकों) का सबसे कम खपत करने वाला देश है। पहले कीटनाशकों की प्रयोग दर 2 से 5 कि ग्राम. प्रति हैक्टेयर थी जो घटकर 100 से 200 ग्राम प्रति हैक्टयर तक आ गयी है। पिछले कुछ सालों में कीटनाशकों के अवेशष कई फसलों में पाये जाने के कारण कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रभाव पड़ा है। इसलिए  इनके मानीटरिंग की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कल शाम नोटों की आपूर्ति के लिए ये निर्णय


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कल शाम करेंसी नोटों की आपूर्ति एवं उपलब्‍धता के बारे में स्‍थिति की समीक्षा की एवं बैंकिंग संवाददाताओं (बीसी), डाकघरों, एटीएम, बैंकों एवं ई-पेमेंट प्रणालियों के नेटवर्कों के द्वारा नकदी बांटने को और सक्रिय बनाने के लिए कुछ निर्णय लिए 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कल (13 नवंबर, 2016) देर शाम करेंसी नोटों की आपूर्ति एवं उपलब्‍धता की समीक्षा की बैठक की। बैठक आधी रात के बाद तक चलती रही। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय वित्‍त एवं कंपनी मामले मंत्री श्री अरूण जेटली, केंद्रीय शहरी विकास एवं सूचना प्रसारण मंत्री श्री वेंकैया नायडू, केंद्रीय कोयला एवं बिजली राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल एवं केंद्रीय वित्‍त राज्‍य मंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार के अलावा और अन्‍य अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर एवं डिप्‍टी गवर्नर वित्‍त मंत्रालय के सभी सचिव एवं प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
बैठक में नोटों की आपूर्ति एवं उपलब्‍धता के बारे में ताजा स्‍थिति की समीक्षा की गई एवं बैंकिंग संवाददाताओं (बीसी), डाकघरों, एटीएम, बैंकों एवं ई-पेमेंट प्रणालियों के नेटवर्कों के द्वारा नकदी बांटने को और सक्रिय बनाने के लिए कुछ निर्णय लिए गए। आम जनता की सुविधाओं को ध्‍यान में रखते हुए निम्‍नलिखित निर्णय भी लिए गए।

बैंकिंग संवाददाता (बीसी) नेटवर्क:    

1.  बैंक प्रत्‍येक बीसी के लिए नकदी रखने की सीमा को कम से कम 50,000 रूपये तक बढ़ाएंगे। बैंक उपयुक्‍त मामलों में उच्‍चतर सीमा की भी अनुमति देंगे।

2.  बैंक बीसी की आवश्‍यकता के अनुसार एक दिन में कई बार बीसी की नकदी की पुन: पूर्ति करेंगे।

बीसी की ग्रामीण क्षेत्रों में व्‍यापक उपस्‍थिति है। कुल मिला कर, देश में 1.2 लाख बीसी व्‍यापक उपस्थिति है। उपरोक्‍त निर्णय बैंकों को ग्रामीण क्षेत्रों में खातों से विनिमय (एक्‍सचेंज) एवं नकदी की निकासी में व्‍यापक पहुंच सुलभ कराने में सहायता देंगे।

डाक नेटवर्क:

3.  देश में लगभग 1.3 लाख डाकघर शाखाएं हैं। डाक खातों से नकदी निकासी को सुगम बनाने के लिए डाकघर शाखाओं में नकदी की आपूर्ति को बढ़ाने का निर्णय किया गया है।

उल्‍लेखनीय है कि 1.2 लाख बीसी एवं 1.3 लाख डाकघर शाखाओं को और सक्रिय बनाया जा रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 2.5 लाख स्‍थान नकदी का वितरण करने तथा बैंक खातों से नकदी निकासी के लिए उपलब्‍ध हो जाएंगे।

एटीएम नेटवर्क:

4.  एटीएम को दुरूस्‍त कराने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्‍टी गवर्नर की अध्‍यक्षता में एक कार्यबल की स्‍थापना की जा रही है, जिसमें बैंकों एवं वित्‍त मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह कार्यबल कार्य योजना तैयार करेगा एवं एटीएम के शीघ्र अंशांकन के लिए इस कार्य योजना का क्रियान्‍वयन सुनिश्‍चित करेगा, जिससे कि उन्‍हें 500 एवं 2000 रूपये के नए बैंक नोट वितरित करने में सक्षम बनाया जा सके।

5.  इस बीच, एटीएम के लिए लागू नकदी सीमा तक डेबिट/क्रेडिट कार्ड से संबंधित नकदी बांटने के लिए सूक्ष्‍म एटीएम भी स्‍थापित किए जाएंगे।

बैंकों का नेटवर्क एवं पहुंच:

6. प्रति सप्‍ताह 20,000 रूपये की निकासी सीमा को बढ़ाकर 24,000 कर दिया गया है।  प्रति दिन 10,000 रूपये की निकासी सीमा समाप्‍त कर दी गई है।

7. पुराने 500 एवं 1000 रूपये के नोट के बदले काउंटर एक्‍सचेंज के लिए 4000 रूपये की सीमा को बढ़ाकर 4500 रूपये कर दी गई है।

8. एटीएम को लगातार दुरूस्‍त बनाया जा रहा है, उनके दुरूस्‍त हो जाने पर ऐसे एटीएम की नकदी सीमा प्रति निकासी 2500 रूपये तक बढ़ा दी जाएगी।

9.  चालू खाता रखने वाले व्‍यवसायिक संस्‍थान जो पिछले तीन महीनों या इससे अधिक समय से परिचालन में है, को प्रति सप्‍ताह  50,000 रूपये की निकासी की अनुमति दी जाएगी।

10.  जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के पास पर्याप्‍त नकदी उपलब्‍ध कराई जाएगी, जिससे कि वर्तमान खातों से निकासी को सुगम बनाया जा सके।

ई-भुगतान:

11.   केंद्र सरकार के सभी विभागों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अधिकतम संभव सीमा तक ई-भुगतान की विधि का उपयोग करने के निर्देश दिए जा रहे हैं।

12.  भारतीय रिजर्व बैंक ने राष्‍ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) को 31 दिसंबर, 2016 तक नेशनल फिनेंशियल स्‍विच (एनएफएस) के माध्‍यम से निपटाए गए लेन-देन पर अपने ट्रांजेक्‍शन शुल्‍कों को माफ करने की सलाह दी है।

13.  बैंकों को भी उनके द्वारा लगाए गए इस प्रकार के प्रभारों को माफ करने की सलाह दी गई है।

जनता की सुविधा के  लिए व्‍यवस्‍था :

14. बैंकों को वरिष्‍ठ नागरिकों एवं दिव्‍यांग व्‍यक्‍तियों के लिए उनकी शाखाओं में अलग कतारों की व्‍यवस्‍था करने की सलाह दी गई है।

15. पेंशनरों को नवंबर के महीने के दौरान वार्षिक जीवन प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत करने की आवश्‍यकता होती है। इस समय सीमा को बढ़ाकर 15 जनवरी, 2017 कर दिया गया है।

16. कुछ विशेष प्रकार के लेन-देनों के लिए पुराने 500 एवं 1000 रूपये के नोटों को स्‍वीकार करने के लिए वर्तमान छूटों को 14 नवंबर, 2016 की मध्‍य रात्रि से 24 नवंबर, 2016 की मध्‍य रात्रि तक बढ़ाया जा रहा है।   

आवश्‍यकता की पूर्ति के लिए प्रणाली में पर्याप्‍त नकदी उपलब्‍ध है, इसलिए आम लोगों को किसी भी प्रकार से घबड़ाने की आवश्‍यकता नहीं है।


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