स्वच्छ भारत जागरूकता अभियान में अभी तक अलीगढ़ सबसे आगे


शहरी क्षेत्रों में चलाए जा रहे स्वच्छ भारत जागरूकता अभियान में अलीगढ़ सबसे आगे 

वसई-विरार, हैदराबाद, गुरूग्राम, चंडीगढ़, मदुरै, वडोदरा, तिरुपति, मैसूर भी शीर्ष पर 

सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) प्रयासों पर इस पखवाड़े के दौरान शौचालयों की कार्यक्षमता को बढ़ावा देने के लिए 500 शहरों के स्वच्छ सर्वेक्षण में विशेष महत्व दिया जाएगा 

शहरी विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ सर्वेक्षण – 2017 के तहत 500 शहरों में आवश्यक पाक्षिक विषयगत गतिविधियों के अधीन चलाई गई स्वच्छ जागरूकता गतिविधियों में अलीगढ़ सबसे आगे हैं। मंत्रालय की आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधियों के मूल्यांकन के दौरान अलीगढ़ ने सबसे अधिक अंक अर्जित किए हैं। आईईसी कार्य प्रदर्शन का मंत्रालय द्वारा मूल्यांकन किया गया है, जबकि स्वच्छ सर्वेक्षण – 2017 के अन्य मानकों का मूल्यांकन भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा किया जाएगा।

सभी शहरों से पार्कों, सरकारी कार्यालयों, आवासीय कालोनियों, पर्यटन स्थलों, स्कूलों आदि की साफ-सफाई और सफाई कामगारों के कल्याण के बारे में मीडिया कवरेज के सबूत के साथ नागरिकों को शामिल करके आईईसी गतिविधियों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। 

इस संबंध में अन्य शीर्ष 10 शहरों में के नाम हैं - वसई-विरार (महाराष्ट्र), हैदराबाद, गुरूग्राम, चंडीगढ़, मदुरै (तमिलनाडु), वडोदरा और राजकोट (गुजरात), तिरुपति (आंध्र प्रदेश) और मैसूर (कर्नाटक)। इन शहरों को सर्वेक्षण 2017 के तहत आईईसी के लिए 50 प्रतिशत आवंटित भार के अधीन अंक दिए गए हैं। 

शहरी विकास मंत्रालय ने स्वच्छ सर्वेक्षण – 2017 में शामिल सभी 500 शहरों को सूचित किया है कि इस रैंकिंग के अधीन आईईसी घटक के लिए बकाया 50 प्रतिशत भार की गणना कल से शुरू स्वच्छता पखवाड़े के दौरान व्यक्तिगत, समुदाय और सार्वजनिक शौचालयों को कार्यात्मक बनाने के लिए समुदाय भागीदारी के लिए किए गए उनके प्रयासों के आधार पर की जाएगी। स्वच्छ सर्वेक्षण – 2017 के अंतिम परिणामों की घोषणा जनवरी, 2017 में की जाएगी।

घर वापसी कार्यक्रम रोका तो भुगतने होंगे गंभीर परिणाम-विहिप

अलीगढ़ में क्रिसमस पर प्रस्तावित 'घर वापसी' (धर्म परिवर्तन) के कार्यक्रम को संघ परिवार हर कीमत पर करने पर आमादा है। विश्व हिंदू परिषद ने को एलान कर दिया कि सरकार ने कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

विहिप के ब्रज प्रांत अध्यक्ष प्रमोद जाजू ने शुक्रवार को कासगंज में कहा कि इस कार्यक्रम को धर्मांतरण कहना गलत है, क्योंकि हम सिर्फ उन लोगों को वापस बुला रहे हैं, जो पूर्व में विभिन्न कारणों से हिंदू धर्म को छोड़ गए थे। लिहाजा, यह घर वापसी कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ का कार्यक्रम तय है, जिसमें कोई तब्दीली नहीं होगी।

संघ परिवार की गुरिल्ला नीति सबसे सफल रणनीति मानी जाती है। जब भी विवादित कार्यक्रम हुए, संघ परिवार ने इसी रणनीति का सहारा लिया। तैयारी यह है कि अगर सरकार कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाती है और हिंदू नेताओं की गिरफ्तारी होती है, तब भी कार्यक्रम में लोग पहुंचेंगे। इसके लिए दो-दो तीन-तीन टीमें तैयार की जा रही हैं। अगर प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी भी हो जाती है, तब भी कार्यक्रम में लोग पहुंचेंगे। चाहे भेष बदलकर जाना पड़े या अन्य किसी भी तरह, मगर कार्यक्रम जरूर होगा।

अलीगढ़ जैसा ही कार्यक्रम पिछले वर्ष क्रिसमस के दिन यहां कछला गंगा घाट पर हो चुका है। इस कार्यक्रम में प्रदेश के 11 जिलों से आए 5500 लोगों ने ईसाई धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया था।

जबसे धर्मांतरण का मुद्दा सुर्खियों में आया है, सरकारी मशीनरी हरकत में है। गृह सचिव ने पिछले वर्षों में एटा-कासगंज में हुए धर्मांतरण कार्यक्रमों की रिपोर्ट मांगी है। यह जानकारी भी भेजने को कहा गया है कि धर्म जागरण समिति का नेटवर्क कैसा है। कौन-कौन लोग इससे जुड़े हैं। इस पर खुफिया तंत्र सभी जानकारी जुटा रहा है।

सपा के मुस्लिम चेहरे आजम खां एक बार भी मुजफ्फरनगर नहीं गए - कल्बे जव्वाद

शिया धर्म गुरु व ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कल्बे जव्वाद ने उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां पर निशाना साधते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी में वे मुसलमानों के चेहरा बताए जाते हैं, लेकिन मुजफ्फरनगर में दंगा पीड़ितों का हाल जानने तक नहीं गए। मुसलमानों ने बड़ी उम्मीद से सपा को चुना था, लेकिन दो साल बाद भी वह खरी नहीं उतर पाई है।

मंगलवार को यहां अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए कल्बे जव्वाद ने कहा कि अखिलेश यादव नौजवान हैं। उन्हें देखते हुए ही मुसलमानों ने विश्वास जताया था। मुजफ्फरनगर दंगे पर उनका कहना था कि वहां सपा के छुटभैया नेता व अधिकारियों ने स्थिति खराब की। अगर मुख्यमंत्री तत्काल जाकर जायजा लेते तो शायद हालात न बिगड़ते। सबसे बड़ा अफसोस यह रहा कि आजम खां एक बार भी मुजफ्फरनगर नहीं गए, जबकि सरकार उन्हें मुसलमानों का चेहरा बताती है।

आम आदमी पार्टी (आप) के बारे में उनका कहना था कि पार्टी की अभी शुरुआत है। भ्रष्टाचार से तंग आकर दिल्ली की जनता ने 'आप' पर भरोसा जताया है। देखना ये होगा कि यह पार्टी जनता के विश्वास को बनाए रखती है या अन्य पार्टियों की तरह हो जाती है।

लोकसभा चुनाव में किस पार्टी का समर्थन करेंगे? इस सवाल के जवाब में उनका कहना था कि जो कांग्रेस और भाजपा को हराएगा, उसे ही वोट दिया जाएगा। सपा के बारे में उनका कहना था कि दो साल में भी यह पार्टी मुसलमानों से किए वायदे पूरे करने में नाकाम रही है।

मोदी को रोकने के लिए कांग्रेस का साथ देना जरूरी है - आज़म खां

उत्तरप्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खां सोमवार की रात अलीगढ़ में एक निजी कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए कांग्रेस का साथ देना मजबूरी नहीं, जरूरी है।

उन्होंने कहा कि किसी हाल में किसी कातिल को हिंदुस्तान का बादशाह नहीं बनने देंगे। नगर विकास मंत्री आजम खां रामपुर से कार से सोमवार की रात करीब 11 बजे यहां पहुंचे और नौरंगाबाद में एक विवाह समारोह में शरीक हुए।

मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए आजम खां ने कहा कि कर्मचारी काम ही कहां करते हैं जो हड़ताल का अहसास हो। उन्होंने कहा कि पता ही नहीं चल रहा है कि प्रदेश में कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है।

मुजफ्फरनगर में दंगा पीड़ितों से अभी तक न मिलने के सवाल पर आजम खां ने कहा कि इसका जबाव तो आरएसएस से पूछिए। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर में जो हुआ, वह सब आरएसएस की ही देन है।

लोकसभा चुनावों में सपा की स्थिति पर उन्होंने कहा कि हम पूरा प्रदेश जीतेंगे। दरअसल, अब लगने लगा है कि फासिस्ट ताकतों का ग्राफ गिर रहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग बीमारी का मजाक उड़ा रहे हैं, उन्हें अपने गिरेबां में झांक लेना चाहिए। सही मानिए सपा में बापू का कोई हत्यारा नहीं है।

मंत्री ने कहा कि सपा सरकार में मिल जुलकर काम होता है। भाजपा में आरएसएस की तानाशाही चलती है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी को रिजेक्ट कर हमारे मुलायम सिंह यादव को पीएम बनाइए। इस दौरान सपा के प्रदेश सचिव मुजाहिद किदवई मौजूद थे। 

भाजपा के वरिष्ठ नेता की हत्या

प्रदेश बीजेपी के सीनियर नेता यशपाल चौहान व उनके भाई की जनपद के कस्बा कासिमपुर में दिनदहाड़े गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। हमले में यशपाल चौहान के दो भतीजे भी घायल हुए हैं, जिन्हें गंभीर हालत में जे. एन. मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। वारदात को अंजाम देने के बाद हमलावर मौके से भाग निकलने में कामयाब रहे। घटना के मूल में ठेकेदारी में पैसे के लेनदेन का विवाद बताया जा रहा है। डीएम-एसएसपी ने हत्यारों को पकड़ने के लिए पुलिस टीम गठित कर दी है।

पुलिस के मुताबिक बीजेपी युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष यशपाल चौहान, उनके भाई अनिल चौहान व दो भतीजे कार में सवार थे। कासिमपुर स्थित पंजाब नैशनल बैंक की शाखा के सामने कई बाइक पर सवार लगभग आधा दर्जन हमलावरों ने घेरकर कार पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। अचानक हुए इस हमेल में यशपाल व अनिल की मौके पर ही मौत हो गई। घटना में एक अन्य व्यक्ति का भी घायल होना बताया जा रहा है, जो पैसे के लेनदेन के सिलसिले में बैंक शाखा आया था। उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ठाकुर जयबीर सिंह के गृह एवं विधानसभा क्षेत्र में हुई इस घटना को लेकर सनसनी व चर्चा है। अलीगढ़ परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक ने बताया है कि यशपाल चौहान का कासिमपुर स्थित हरदुआगंज तापीय विद्युत परियोजना के स्क्रैप आदि की नीलामी के ठेके में कुछ लोगों से धन के लेनदेन का विवाद चल रहा था। घायलों व उनके परिजनों ने पुलिस को हमलावरों के रूप में कुछ लोगों के नाम बताये हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। इस गोलाबारी में करीब पचास राउंड फायरिंग होने की बात कही जा रही है।

कांग्रेस में अन्तर्कलह : चूर हो रहे राहुल के सपने

कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2012 में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए कारगर उम्मीदवारों की तलाश की जिम्मेदारी दस पर्यवेक्षकों को सौंपी है। इनमें इक्के-दुक्के को छोड़ दें तो अधिकांश पर्यवेक्षक राहुल के मंसूबों को ध्वस्त करते नजर रहे हैं। अन्तर्कलह की आंच पार्टी को अलग झुलसा रही है।

उम्मीदवारों के चयन के लिए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने एक नई प्रक्रिया अपनायी और इसकी जिम्मेदारी विभिन्न राज्यों से चयनित 10 पर्यवेक्षकों को सौंपी है। लेकिन अधिकांश पर्यवेक्षक या तो तैनाती वाले क्षेत्रों में जा नहीं रहे और अगर जा रहे हैं तो भी उनका काम रस्मअदायगी से ऊपर नहीं उठ पा रहा है। कानपुर में अभी तक कोई पर्यवेक्षक नमूदार नहीं हुआ। कहा जा रहा है कि पर्यवेक्षक की आमद महाधिवेशन के बाद होगी। इटावा के पर्यवेक्षक मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री डा. गोविन्द सिंह ने तीन-चार दौरे जरूर किये, लेकिन उनका समय असंतुष्टों को समझाने-बुझाने में ही बीत गया। फर्रुखाबाद में पर्यवेक्षक ने होटल में बैठकर ही सारी औपचारिकता पूरी कर डाली। वाराणसी अंचल में कोई पर्यवेक्षक ही अब तक नहीं आया।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और पूरब की चालीस विधान सभा क्षेत्रों के पर्यवेक्षक सईद मुजफ्फर हुसैन कहते हैं कि दावेदारों के संबंध में पब्लिक से सीधी बात की जानी है। जनता के लिए पार्टीजन के प्रयास का लिटमस टेस्ट शुरू है। अबकी केवल कार्यकर्ताओं से नारेबाजी करवाने वाले टिकट नहीं हासिल कर पाएंगे। वह विधानसभा क्षेत्रों में चौपाल लगाकर संभावित प्रत्याशी की खोज का अभियान चलाकर चर्चा में हैं।

आगरा, मेरठ, अलीगढ़ में कांग्रेस की जनसंदेश यात्रा में कांग्रेस की गुटबाजी साफ नजर आई। मेरठ जिले में कांग्रेस के पर्यवेक्षक पवन घटोवार और एआरओ जेडी सीलम ने अब तक पांच बैठकें की। इन दौरान खेमेबाजी उभर कर सामने आई। असंतुष्टों ने घटोवर और सीलम के पुतले भी फूंके। मुजफ्फर नगर में हरियाणा से सांसद रामप्रकाश को बतौर पर्यवेक्षक भेजा गया। सहारनपुर में रिटायर्ड आईएएस व पूर्व लोकसभा प्रत्याशी देवीदयाल को पर्यवेक्षक नियुक्त जरूर किया गया मगर उनके आगमन पर कांग्रेसी एक-दूसरे से भिड़ गए।

आगरा की जनसंदेश यात्रा में संयोजक के अलावा यात्रा में कोई दिग्गज नेता नहीं पहुंचा। अलीगढ़ में पर्यवेक्षक भारत भूषण ने भी पार्टी की नब्ज गेस्ट हाउस से ही टटोली। जनता के बीच जाना उन्होंने ठीक नहीं समझा। आंवला में स्थानीय नेताओं ने पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं पर खूब भड़ास निकाली। प्रदेश में इस छोर से लेकर उस छोर तक संगठन में खींचतान बनी हुई है।

जहां-जहां पार्टी की जनसंदेश यात्रा निकली वहां-वहां आपसी रार और तकरार देखने को मिली। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्यों के चयन में तो इस कदर भद पिटी कि पूछिये मत। कई बार जारी की गयी सूची में बदलाव का क्रम बना रहा। हास्यास्पद तब हो गया जब प्राय: सभी जिलों में बनाने और हटाने का खेल चलता रहा। निसंदेह वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के जरिए प्रदेश में ढाई दशक बाद वापस लौटने का सपना देख रही कांग्रेस की राह में कांटे ही कांटे हैं। खोई ताकत पाने के लिए पार्टी के बनाये फार्मूले पर अमल नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि कांग्रेस अपने युवराज राहुल गांधी के सपनों को कैसे पूरा करेगी।

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