अब सभी या‍त्री गाडि़यों में फर्स्‍टएड और चिकित्‍सा सुविधाएं उपलब्‍ध



भारतीय रेलवे ने सभी रेलवे स्‍टेशनों और सभी या‍त्री गाडि़यों में फर्स्‍टएड आपात देखभाल और चिकित्‍सा सुविधाएं उपलब्‍ध कराईं 

रेलगाडि़यों में तैनात सभी कर्मचारियों को प्राथमिक चिकित्‍सा प्रदान करने का समुचित प्रशिक्षण दिया गया

रेल मंत्रालय सभी रेलवे स्‍टेशनों और सभी यात्री गाडियों में फर्स्‍टएड चिकित्‍सा सुविधाएं प्रदान कर रहा है, जिसके लिए सभी तरह की दवाओं, ड्रेसिंग सामग्री से युक्‍त मेडिकल बॉक्‍स और ऑक्‍सीजन सिलेंडर तथा डिलीवरी किट आदि की समुचित व्‍यवस्‍था की गई है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (एम्‍स), नई दिल्‍ली के विशेषज्ञ चिकित्‍सकों की अनुशंसा के अनुसार ये वस्‍तुएं रेलगाड़ी अधीक्षक/गार्ड और स्‍टेशन मास्‍टर/स्‍टेशन अधीक्षकों के पास उपलब्‍ध कराई गई हैं।

रेल यात्रा के दौरान बीमार हो जाने अथवा घायल होने की स्थिति में यात्री प्राथमिक उपचार के लिए रेलगाड़ी अथवा स्‍टेशनों पर तैनात कर्मचारियों से संपर्क कर सकते हैं। रेलगाडि़यों और स्‍टेशनों पर तैनात कर्मचारियों जैसे टिकट चेकिंग स्‍टाफ, रेलगाड़ी अधीक्षकों, गार्डों, स्‍टेशन मास्‍टर आदि को प्राथमिक चिकित्‍सा प्रदान करने का समुचित प्रशिक्षण दिया गया है। यात्रा के दौरान गंभीर चिकित्‍सीय आपात स्थिति होने पर यात्रियों के रूप में मौजूद चिकित्‍सकों की सेवाएं भी ली जा सकती हैं। ऐसे चिकित्‍सकों को यात्रा में रियायत दी जाती है और टीटीई के पास उपलब्‍ध आरक्षण चार्टों में उनकी पहचान अलग से दर्शायी जाती है, जिसे डिब्‍बे में भी प्रदर्शित किया जाता है। चिकित्‍सा सहायता प्रदान करने के लिए मार्ग में अगले स्‍टेशन पर रेलवे के चिकित्‍सक अथवा प्राइवेट प्रेक्टिशनर का भी प्रबंध किया गया है। स्‍टेशन मास्‍टरों के पास निकटवर्ती रेलवे/सरकारी/प्राइवेट अस्‍पतालों/क्लिनिकों और एम्‍बुलेंस सेवाओं की सूची रखी गई है, जिसमें उनके पते, उपलब्‍ध सुविधाओं और फोन नम्‍बर आदि का ब्‍यौरा दिया गया है।         

एशियाई विकास बैंक रेलवे को बुनियादी सुविधाओं के लिए 120 मिलियन डॉलर का ऋण देगा


भारत और एडीबी ने रेलवे की बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को बेहतर करने के लिए 120 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्‍ताक्षर किए 

भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भारतीय रेलवे की परिचालन क्षमता बेहतर करने के लिए ज्‍यादा भीड़-भाड़ वाले गलियारों (कॉरिडोर) से सटे रेल‍वे की पटरियों को दोहरी लाइन में तब्‍दील करने के साथ-साथ वि़द्युतीकरण से संबंधित कार्यों को पूरा करने के लिए आज 120 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

ऋण की यह तीसरी किस्‍त वर्ष 2011 में एडीबी के बोर्ड द्वारा स्‍वीकृत किये गये रेल क्षेत्र निवेश कार्यक्रम से जुड़ी 500 मिलियन डॉलर की बहु-किस्‍त वित्‍त पोषण सुविधा का एक हिस्‍सा है। इस ऋण राशि का उपयोग पूर्ववर्ती किस्‍तों के तहत शुरू किये गये कार्यों को पूरा करने में किया जाएगा।

वित्‍त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में संयुक्‍त सचिव (बहुपक्षीय संस्‍थान) श्री समीर कुमार खरे ने भारत सरकार की तरफ से और एडीबी के इंडिया रेजीडेंट मिशन के कंट्री डायरेक्‍टर श्री केनिची योकोयामा  ने एडीबी की तरफ से इस ऋण समझौते पर हस्‍ताक्षर किये।

इस समझौते पर हस्‍ताक्षर करने के बाद श्री खरे ने कहा, ‘इस परियोजना का उद्देश्‍य देश भर में महत्‍वपूर्ण मार्गों पर रेल लाइनों के दोहरीकरण, विद्युतीकरण और आधुनिक सिग्‍नलिंग प्रणाली को स्‍थापित कर रेलवे की बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की क्षमता को बढ़ाना है। इस कार्यक्रम से कम ऊर्जा खपत, सुरक्षित और विश्‍वसनीय रेल प्रणाली विकसित करने में मदद मिलेगी, जिससे परियोजना के तहत आने वाले रेल रूटों पर सफर की अवधि घटाने में मदद मिलेगी और बेहतर परिचालनगत एवं वित्‍तीय दक्षता सुनिश्चित होगी।’ 

श्री योकोयामा ने कहा कि ऋण की तीसरी किस्‍त के जरिये होने वाले वित्‍त पोषण से लगभग 840 किलोमीटर लंबे रेलमार्गों के दोहरीकरण और अधिक भीड-भाड़ वाले गलियारों से सटे 640 किलोमीटर लंबी पटरियों के विद्युतीकरण से जुड़े कार्यक्रम के लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने में मदद मिलेगी।

इस निवेश कार्यक्रम के तहत छत्‍तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और आन्‍ध्र प्रदेश के व्‍यस्‍त माल एवं यात्री ढुलाई वाले रूटों को लक्षित किया जा रहा है, जिसमें ‘स्वर्णिम चतुर्भुज’ गलियारा भी शामिल है, जो चेन्‍नई, कोलकाता, मुम्‍बई और नई दिल्‍ली को आपस में जोड़ता हैं। रेल खंडों का दोहरीकरण दौंड-टिटलागढ़ खंड, संबलपुर-टिटलागढ़ खंड, रायपुर-टिटलागढ़ खंड और हॉस्पेट-टिनाइघाट खंड पर किया जा रहा है, जबकि विद्युतीकरण का कार्य 641 किलोमीटर लंबे पुणे-वाडी गुंटाकल खंड पर किया जा रहा है।

रेल क्लाउड परियोजना की शुरुआत हुई, पढ़िए क्या होंगे लाभ



रेल क्लाउड परियोजना:

निवारण-शिकायत पोर्टल (रेल क्लाउड के बारे में पहला आईटी एप्लीकेशन)
रेलवे के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए आपात स्थिति में कैशलैस इलाज योजना (सीटीएसई), पहला सीटीएसई कार्ड सौंपा


विभिन्न रेलवे पहलों की शुरूआत के मौके पर रेल राज्य मंत्री श्री राजेन गोहेन, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए.के. मित्तल, रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। रेल मंत्रालय ने अपने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, रेलटेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के सहयोग से रेल क्लाउड परियोजना शुरू की है।

इस अवसर पर रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि समूची रेल प्रणाली को समन्वित डिजिटल मंच पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। रेलवे के डिजिटलीकरण की दिशा में रेल क्लाउड एक अन्य कदम है। रेल क्लाउड लोकप्रिय क्लाउड कम्प्यूटिंग प्रणाली पर कार्य करता है। अधिकतर महत्वपूर्ण कार्य क्लाउड कम्प्यूटिंग के जरिए किए जाते हैं। इससे लागत कम होगी और सर्वर पर सुरक्षित आंकड़े सुनिश्चित हो सकेंगे। इसके साथ ही एक अन्य महत्वपूर्ण कदम आपात स्थिति में कैशलेस इलाज योजना है। लोगों का अनुमानित जीवन काल बढ़ने के कारण स्वास्थ्य संबंधित अनेक समस्याएं पैदा होती है इस योजना से रेलवे कर्मचारियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी।

शुरू की गई पहल की विशेषताएं-

रेल क्लाउड:

भारतीय रेलवे ने रणनीतिक आईटी पहल की है, जिसका उद्देश्य ग्राहक की संतुष्टि में सुधार करना, राजस्व बढ़ाना और प्रभावी, कुशल और सुरक्षित संचालन करना है। रेलवे के लिए एकल डिजिटल मंच के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कुछ मौलिक परियोजनाओं को लागू करना जरूरी था और रेल क्लाउड की स्थापना इस तरह की परियोजना है। क्लाउड कम्प्यूटिंग तेजी से और मांग पर सर्वर संसाधनों को स्थापित करने के लिए उभरती हुई प्रौद्योगिकी है जिसके परिणामस्वरूप लागत कम होती है। तदनुसार रेल क्लाउड चरण-1 को 53.55 करोड़ रुपये की लागत पर मंजूरी दी गई। रेल क्लाउड लागू होने के बाद रेलवे को होने वाले संभावित लाभ इस प्रकार हैः-

एप्लीकेशन का तेजी से और मांग पर फैलाव- रेल क्लाउड एप्लीकेशन के तेजी से फैलाव (परम्परागत समय, सप्ताहों और महीनों की तुलना में 24 घंटे के भीतर) का मार्ग प्रशस्त करेगा, साथ ही क्लाउड हार्डवेयर और परिवेश नए एप्लीकेशन के परीक्षण के लिए उपलब्ध होगा।

सर्वर और स्टोरेज का अधिकतम इस्तेमाल- इस प्रौद्योगिकी से उपलब्ध सर्वर और स्टोरेज का अधिकतम इस्तेमाल हो सकेगा, जिसके परिणामस्वरूप उसी सर्वर की जगह पर अधिक आंकड़े और अधिक एप्लीकेशन समा सकेंगे।

क्लाउड के हिस्से के रूप में वर्तमान बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल- रेलवे के पास उपलब्ध वर्तमान संसाधनों को रेल क्लाउड में मिला दिया जाएगा, ताकि नए संसाधन प्राप्त करने में होने वाले खर्च को कम किया जा सके।

त्वरित मापनीयता और लचीलापन- सर्वर और स्टोरेज की जगह मांग के अनुसार ऊपर-नीचे होगी, इससे सिस्टम अधिक मांग वाले घंटों में कम खर्च के साथ मांग को पूरा कर सकेगा।

आईटी सुरक्षा बढ़ाना और मानकीकरण- यह क्लाउड सरकार के नवीनतम दिशा-निर्देशों के अनुसार सुरक्षा विशेषताओं से लैस होगा। सुरक्षा विशेषताओं को क्लाउड में मौजूद सभी एप्लीकेशनों के लिए अद्यतन किया जा सकता है इसके परिणामस्वरूप अधिक सुरक्षा और स्थिरता कम खर्च में मिल सकेगी।

लागत में कमी- सर्वर और स्टोरेज बुनियादी ढांचा जरूरत के अनुसार लगाया जाएगा, जिससे रेलवे की बचत होगी और जरूरत पड़ने पर मंहगे सर्वर की खरीद पर धनराशि खर्च करने की बजाए इसका इस्‍तेमाल किया जा सकेगा।

बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव- क्लाउड में सर्वर के संसाधन उपयोगकर्ताओं की संख्या के अनुसार ऊपर-नीचे होते है इससे ग्राहकों को बेहतर अनुभव मिलेगा।

निकट भविष्य में प्रबंधित नेटवर्क और वर्चुअल डेस्कटॉप इंटरफेस (वीडीआई) सेवाओं की योजना बनाई गई है ताकि प्रत्येक रेल कर्मचारी को तेजी से और अधिक प्रभावी कार्य का माहौल दिया जा सके।

निवारण- शिकायत पोर्टल रेल क्लाउड पर पहला आईटी एप्लीकेशन:

निवारण- शिकायत पोर्टल रेल क्लाउड पर पहला आईटी एप्लीकेशन है। यह वर्तमान और पूर्व रेलवे कर्मचारियों की शिकायतों के समाधान के लिए मंच है। वर्तमान एप्लीकेशन को परम्परागत सर्वर में डाला गया है। इससे राजस्व की बचत होगी और साथ ही उपयोगकर्ता को बेहतर अनुभव मिलेगा।

आपात स्थिति में कैशलैस इलाज योजना (सीटीएसई):

रेलवे स्वास्थ्य संस्थानों, रेफरल और मान्यता प्राप्त अस्पतालों के जरिए अपने कर्मचारियों को विस्तृत स्वास्थ्य सेवा सुविधा प्रदान करती है। लाभ लेने वालों में उसके सेवानिवृत्त कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य होते है। बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त लाभार्थी विभिन्न शहरों के नव-विकसित उप-नगरों में रहते है। शहर के यह हिस्से अक्सर रेलवे स्वास्थ्य संस्थानों से दूर होते है आपात स्थिति में ऐसे लाभार्थियों के स्वर्णिम घंटे यात्रा में बर्बाद हो जाते है।

सेवानिवृत्त कर्मचारियों को स्वर्णिम घंटे में तत्काल चिकित्सा प्रदान करने के लिए रेलवे बोर्ड ने अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए सूची में सम्मिलित अस्पतालों में आपात स्थिति में कैशलैस इलाज की योजना शुरू की है। निजी अस्पतालों और रेलवे अधिकारियों के बीच एक वेब आधारित संचार प्रणाली विकसित की गई है जिसमें लाभार्थी की पहचान आधार सर्वर में दर्ज बायोमीट्रिक का इस्तेमाल करते हुए स्थापित की जाएगी, पात्रता रेलवे डेटाबेस का इस्तेमाल करते हुए पता लगाई जाएगी तथा आपात स्थिति की पुष्टि निजी अस्पताल की क्लिनिकल रिपोर्ट के आधार पर रेलवे चिकित्सा अधिकारी द्वारा की जाएगी। पूरी प्रणाली ऑनलाइन है और बिल भी ऑनलाइन तैयार होगा। इस योजना से जरूरत के समय सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारियों को मदद मिलेगी।

इस योजना से लाल फीताशाही को खत्म करने के लिए आईटी उपकरणों का इस्तेमाल और कैशलैस लेन-देन को बढ़ावा देने के सरकार के स्वीकृत उद्देश्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

वर्तमान में यह योजना चार महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में शुरू की गई है। इस शहरों के अनुभव के आधार पर इस योजना को पूरे देश में लागू किया जा सकता है।

गर्मियों में सुविधाजनक यात्रा के लिए रेलवे ने उठाये ये विशेष कदम


इस गर्मी के मौसम में सुविधाजनक यात्रा प्रदान करने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे ने कई नई पहल की है 

रेलवे ने यात्रियों को अच्छी यात्रा की सुविधा प्रदान करने हेतु, भारतीय रेलवे ने यात्रियों के लिए कई कदम उठाये हैं। गर्मियों के दौरान पीक सीजन होने के कारण भारतीय रेलवे ने यात्रियों को सुविधाजनक यात्रा की पेशकश करने की तैयारी की है।


उपलब्ध स्थान का ज्यादा-से-ज्यादा उपयोग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे ने निम्नलिखित पहल की है:-   

i) ट्रेन के प्रस्थान करने से 4 घंटे पूर्व पहले आरक्षण चार्ट को अंतिम रूप देना।
   
ii) पहला आरक्षण चार्ट तैयार हो जाने के बाद, दूसरा आरक्षण चार्ट तैयार होने तक वर्तमान टिकट बुकिंग सुविधा टिकट खिड़की तथा इंटरनेट दोनों माध्यमों से प्रदान करना।  
iii) दूसरा आरक्षण चार्ट तैयार होने के बाद उपलब्ध स्थानों (सीटों) का हस्तान्तरण अगले दूरवर्ती स्थान के टिकट के लिए करना।  

iv) निम्नलिखित सुविधाएं आईआरसीटीसी वेबसाइट के माध्यम से भी ऑनलाइन प्रदान की जाती हैं:

अ) जिन यात्रियों का टिकट प्रतीक्षा सूची में रह जाएगा उन्हें बिना किसी अतिरिक्त भार के दूसरे ट्रेन में विकल्प योजना के तहत स्थान उपलब्ध कराया जाएगा। यह सुविधा उन यात्रियों के लिए भी लागू होगी जिन्होंने अपना ई-टिकट 1 अप्रैल 2017 से पहले बुक कराया है।

ब) वैसे यात्री जिन्होंने अपना टिकट बुकिंग खिड़की से आरक्षित (बुक) कराया है वे भी आईआरसीटीसी की वेबसाइट या 139 के माध्यम से आरक्षित टिकट रद्द करा सकते हैं।

स) ई-टिकट वाले यात्री आईआरसीटीसी की वेबसाइट के माध्यम से ट्रेन प्रस्थान करने से 24 घंटे पूर्व बोडिंग स्थान भी बदल सकते हैं।      

द) व्हील चेयर के ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा यात्रियों को मुफ्त में मुहैया कराई जाएगी।

य) आईआरसीटीसी की वेबसाइट के माध्यम से रिटायरिंग कक्षों की ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा की शुरूआत की गई है।  

र) आईआरसीटीसी की वेबसाइट के माध्यम से डिस्पोजेबल बेडरोल्स खरीद जा सकते हैं।

ल) यात्रियों के लिए उपलब्ध भोजन के विकल्प को बढ़ाने हेतु ई-कैटरिंग की सुविधा की शुरूआत की गई है।  

महाकौशल एक्सप्रेस की दुर्घटना पर रेल मंत्रालय का प्रेस नोट


उत्तर प्रदेश में ट्रेन 30.03.2017 को  2:27 बजे जबलपुर-हज़रत निजामुद्दीन महाकौशल एक्सप्रेस की ट्रेन संख्‍या नं 121999 उत्‍तर मध्य रेलवे के झांसी डिवीजन के मानिकपुर-झांसी खंड पर महोबा और कुलपहर स्टेशनों के बीच पटरी से उतरने की दुघर्टना हुई। इस ट्रेन के पिछले आठ डिब्‍बे (चार एसी कोच, दो साधारण द्वितीय श्रेणी के सामान्य कोच, वन स्लीपर क्लास, वन-यात्री कम सामान सह गार्ड (एसएलआर) कोच) पटरी से उतर गए। तुरंत स्‍थानीय एंबुलेंस बुलाई गई और कुछ घायल व्‍यक्‍तियों को प्राथमिक चिकित्‍सा दी गई और अन्‍य घायलों को जिला अस्‍पताल महोबा में चिकित्‍सा के लिए ले जाया गया।

उपलब्ध सूचना के मुताबिक, इस दुर्घटना में कोई भी मृत्‍यु नहीं हुई है और 13 यात्री घायल हुए हैं जिनमें से एक व्यक्ति को फ्रैक्चर हुआ है और बारह को साधारण चोट लगी हैं। प्रभावित डिब्बों के यात्रियों को 4 बसों में बैठाकर झांसी ले जाया गया।

दुर्घटना राहत  चिकित्‍सा वैन डाक्‍टरों, अर्द्धचिकित्‍सा कर्मचारियों और अधिकारियों को लेकर मौके पर पहुंची। महाप्रबंधक उत्‍तर मध्‍य रेलवे, डिविजनल रेल मैनेजर झांसी तथा अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारियों के साथ तुरंत मौके पर पहुंचे तथा राहत व बचाव कार्यों का निरीक्षण किया।

लोगों की सहायता के लिए निजामुद्दीन, आगरा, ग्वालियर, झांसी, औरई और बांदा, जबलपुर स्टेशनों सहित 17 स्टेशनों पर हेल्पलाइन नंबर सुलभ कराए गए। यात्रियों के लिए दुर्घटनास्‍थल और झांसी स्टेशन पर पर्याप्त मुफ्त खान-पान व्यवस्था (खाद्य पैकेट, बिस्कुट, सब्जी-पूरी, पानी की बोतल, चाय, दूध आदि) सुलभ कराई गई। कुछ रेलगाड़ियों को रद्द कर दिया गया है और उनके रूट में परिवर्तन कर दिया गया है। इस खंड पर जल्द से जल्द यातायात बहाल करने के लिए युद्ध स्‍तर पर प्रयास किए गए हैं।

रेल मंत्रालय ने गंभीर रूप से घायल यात्रियों के लिए 50000 रुपये और सामान्‍य रूप से घायल यात्रियों के लिए 25,000 रुपये की बढ़ी हुई अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।

दुर्घटना के कारण का पता लगाने के लिए उत्‍तर मध्‍य रेलवे के वरिष्‍ठ प्रशासनिक श्रेणी (एसएजी) के पांच अधिकारियों की एक टीम द्वारा जांच कराए जाने का आदेश दिया गया है।

रेल मंत्री ने 'शून्‍य दुर्घटनाओं' के उद्देश्य के लिए जारी किये ये निर्देश


रेल मंत्रालय ने सुरक्षा को सर्वोच्‍च प्राथमिकता प्रदान की थी और इस दिशा में नए सिरे से प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि रेल मंत्री द्वारा पिछले बजट भाषण में उल्‍लेखित ‘शून्‍य दुर्घटनाओं’ की आकांक्षा पूरी की जा सके। 

इन उद्देश्‍यों की प्राप्‍ति के लिए रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने सुरक्षा से जुड़े सभी मुद्दों पर नए सिरे से विचार करने, प्रणालीगत खामियों को दूर करने के लिए नए तौर-तरीके अपनाने और महीने भर चलने वाले इस व्‍यापक अभियान के दौरान सभी संभावित असुरक्षित क्षेत्रों को दुरुस्‍त करने की जरूरत को रेखांकित किया है, ताकि भविष्‍य में दुर्घटनाओं को टाला जा सके। उन्‍होंने यह भी निर्देश दिया है कि भारतीय रेलवे के सुरक्षा संबंधी प्रदर्शन में उल्‍लेखनीय सुधार के लिए सभी महाप्रबंधकों को ठोस कदम उठाने चाहिए। 

उन्‍होंने विशेष जोर देते हुए कहा है कि इन उपायों पर अमल किया जाना चाहिए और महीने भर चलने वाले विशेष ‘सुरक्षा जागरूकता अभियान’ के दौरान महाप्रबंधकों और अन्‍य संबंधित अधिकारियों को व्‍यक्‍तिगत रूप से इनकी निगरानी करनी चाहिए। यह अभियान 5 जनवरी से शुरू होकर 5 फरवरी, 2017 तक जारी रहेगा।

तदनुसार, निम्‍नलिखित निर्देश दिए गए हैं:

  • असुरक्षित क्षेत्रों पर फोकस करना: जोनल रेलवे असुरक्षित क्षेत्रों पर अपना ध्‍यान केंद्रित करने के लिए 15 दिनों का विशेष सुरक्षा अभियान 10 जनवरी से लेकर 25 जनवरी तक जारी रखेंगे। रेलगाड़ियों के परिचालनों जैसे कि आवागमन, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिग्नलिंग और सिविल इंजीनियरिंग से सीधे तौर पर जुड़े सभी विभागों को इस अवधि के दौरान इनमें से प्रत्‍येक के लिए अभियान चलाना चाहिए।
  • निर्धारित निरीक्षण और उनका अनुपालन: महाप्रबंधकों को यह अवश्‍य ही सुनिश्‍चित करना चाहिए कि वरिष्‍ठ पर्यवेक्षकों और अधिकारियों के लिए निर्धारित समस्‍त सुरक्षा निरीक्षण बाकायदा किए जाएं और इन निरीक्षणों के दौरान पाई जाने वाली किसी भी खामी को दूर करने के लिए तत्‍काल कार्रवाई की जाए। सभी जोनल रेलवे को समस्‍त वरिष्‍ठ पर्यवेक्षकों एवं अधिकारियों के लिए तय सुरक्षा निरीक्षणों के मानक कार्यक्रमों को प्रसारित कर देना चाहिए और इसके साथ ही सभी संबंधित अधिकारियों द्वारा इन सुरक्षा निरीक्षणों को सुनिश्‍चित करना चाहिए, जिनमें फुटप्‍लेट का निरीक्षण, रात्रि निरीक्षण भी शामिल हैं। 
  • कोहरे से संबंधित सावधानियां: कोहरे के मद्देनजर तय किए तय की गई सभी सावधानियां बरती जानी चाहिए, ताकि रेलगाड़ियों का परिचालन प्रभावित न हो और इसके साथ ही यह असुरक्षित न हो। इस बारे में विस्‍तृत निर्देश रेलवे बोर्ड द्वारा पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
  • जीएम और डीआरएम द्वारा फील्‍ड निरीक्षण : सभी जीएम को अपने जोनल रेलवे के सुरक्षा अभियान के दौरान कम से कम एक खंड का सुरक्षा निरीक्षण अवश्‍य ही करना चाहिए। इसी तरह डीआरएम को भी एक ऐसे खंड का निरीक्षण अवश्‍य करना चाहिए, जिसका निरीक्षण जीएम द्वारा न किया गया हो।
  • विभागों के प्रधान प्रमुख (पीएचओडी) द्वारा कार्यशाला/कार्यस्थल का निरीक्षण: संबंधित पीएचओडी को इस अभियान के दौरान अपने-अपने संबंधित क्षेत्रों में कम से कम एक कार्यशाला/डिपो/कार्यस्‍थल का निरीक्षण अवश्‍य करना चाहिए।
  • सभी खंडों को कवर करने के लिए रात्रि में फुटप्‍लेट का निरीक्षण करना:   सभी अधिकारियों को यात्री/मेल/एक्सप्रेस गाड़ियों द्वारा रात्रि में फुटप्‍लेट का निरीक्षण करने के लिए प्रतिनियुक्त किया जाना चाहिए, ताकि हर रात डिवीजन के सभी खंडों को कवर किया जा सके।
  • जीएम द्वारा हर सप्‍ताह सुरक्षा बैठकें आयोजित करना: सभी महाप्रबंधक हर सोमवार को सुरक्षा संबंधी बैठकें आयोजित करेंगे, ताकि वे अपने-अपने पीएचओडी और डीआरएम के साथ सप्‍ताह के दौरान सुरक्षा प्रदर्शन की समीक्षा कर सकें।
  • डीआरएम द्वारा हर सप्‍ताह सुरक्षा बैठकें आयोजित करना: डीआरएम सुरक्षा संबंधी प्रदर्शन की समीक्षा करने और आवश्‍यक कार्रवाई करने के लिए अपने-अपने शाखा अधिकारियों के साथ साप्‍ताहिक सुरक्षा बैठकें आयोजित करेंगे।
  • दुर्घटना से संबंधित पूछताछ की निगरानी करना: दुर्घटना से संबंधित समस्‍त पूछताछ और सुरक्षा निरीक्षणों के दौरान उठने वाले डीएआर मामलों को अवश्‍य ही तय समय सीमा में अंतिम रूप प्रदान कर देना चाहिए।


रेल में RAC सीटों की संख्या बढ़ाई गई ताकि यात्री अधिक संख्या में बैठ सकें


रेल मंत्रालय ने विभिन्न श्रेणियों के गैर - एलएचबी डिब्बों में सीट रद्द होने पर आरक्षण (आरएसी) के रूप में निर्धारित सीटों की संख्या में संशोधन करने का फैसला किया है। इस कदम से रेलों में अधिक संख्या में यात्रियों को यात्रा करने में मदद मिलेगी : 

           
 श्रेणी


मौजूदा
संशोधित
आरएसी यात्रियों के लिए निर्धारित बर्थ की संख्या
बैठने की सुविधा कराए गए आरएसी यात्रियों की संख्या
आरएसी यात्रियों को उपलब्ध करायी गई अतिरिक्त  सीटों की संख्या
बैठे की जगह उपलब्ध कराए जाने वाले अतिरिक्त आरएसी यात्रियों की संख्या
आरएसी यात्रियों के लिए निर्धारित सीटों की कुल संख्या
कंफर्म सीट उपलब्ध कराए जाने वाले  आरएसी यात्रियों की कुल संख्या
स्लीपर (एसएल)

5 साइड  लोअर बर्थ
10
साइड लोअर बर्थ
4
7 (साइड लोअर)
14
3एसी

साइड लोअर बर्थ
4
साइड लोअर बर्थ
4
4 (साइड लोअर)
8
2एसी

लोअर बर्थ (केबिन में)
4
साइड लोअर बर्थ
2
3 (साइड लोअर)
6

बढ़ी हुई आरएसी सीटें उन रेल गाड़ियों में उपलब्ध होंगी जिनमें 16 जनवरी, 2017 से बुकिंग शुरू की जायेंगी।

रेलवे स्‍टेशनों पर स्‍वच्‍छ शौचालय हमारा मिशन : बिन्‍देश्‍वर पाठक


विश्‍व शौचालय दिवस
19 नवंबर पर पूर्वालोकन

डॉ़ बिन्‍देश्‍वर पाठक
ब्रांड अंबेसडर-स्‍वच्‍छ रेल मिशन


पचास साल से शौचालय और सफाई को लेकर जारी मेरे काम का एक ही मकसद रहा है, स्वच्छता की संस्कृति को बदलना। 1960 के दशक तक तो स्वच्छता को लेकर खास संस्कृति भी नहीं थी। इसका उदाहरण है कि जब भी कभी हमलोग किसी के यहां शौचालय को लेकर बात करने जाते थे तो लोगों का पहला सुझाव यह होता था कि पहले चाय पी लेते हैं, फिर शौचालय की बात करते हैं। पचास साल की कोशिशों का अब बदलाव नजर आने लगा है। अब लोग खुलकर शौचालय की बात करने लगे हैं। स्वच्छता की संस्कृति पर बात करने को लेकर कोई हिचक नजर नहीं आती। वैसे भी 2014 के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपिता गांधी की डेढ़ सौंवीं जयंती तक देश को खुले में शौचालय से मुक्त करने का जो अभियान शुरू किया है, उसने भी देश में स्वच्छता को लेकर नई जागरूकता पैदा की है। शायद एक यह भी वजह है कि स्वच्छता के प्रति मेरी ललक व अनुभव को देखते हुए रेलवे ने तरजीह दी और सबसे बड़ी परिवहन सेवा के साथ मुझे जुड़ने का सौभाग्‍य मिला।

हमारा मानना है कि सफाई की संस्कृति तब और ज्यादा तेजी से विकसित होगी, जब इसे सेवा भाव से लिया जाय। हमारा भारत देश विशाल है और इस देश में जब तक सेवा भाव से काम नहीं किया जाएगा, स्वच्छता की संस्कृति को जन-जन तक पहुंचा पाना और उनकी तरफ से सहज स्वीकारोक्ति हासिल कर पाना आसान नहीं होगा। देश में करीब आठ हजार रेलवे स्टेशन हैं और इसी तरह करीब साढ़े चार लाख स्कूल हैं। यद्यपि रेलवे ने अपने स्टेशनों की सफाई के लिए अभियान शुरू कर रखा है, लेकिन वास्‍तविकता यह है कि देश के दूरदराज के ज्यादातर स्टेशनों पर सफाई की उचित व्‍यवस्‍था नहीं हो पायी है। हमने एक कार्य योजना बनाई है कि रेलवे स्‍टेशनों की सफाई के प्रति जागरूकता अभियान में स्‍कूलों के बच्‍चों को शामिल किया जाएं, इससे न केवल बच्‍चों में स्‍वच्‍छता की भावना का विकास होगा, बल्कि रेलवे स्‍टेशनों पर भी स्‍वच्‍छता का असर दिखाई देने लगेगा।

इस योजना के तहत प्रत्‍येक रेलवे स्टेशन के नजदीक के स्कूलों के बच्चों को हफ्ते या महीने में एक-दो दिन स्टेशन पर बुलाया जाय और उन्हें उन स्टेशनों की सफाई के लिए प्रेरित किया जाय। इस कार्य में हिस्सा लेने वाले छात्रों को सर्टिफिकेट दिए जाएंगे, ताकि उनका उत्साह बना रहे। भविष्‍य के सूत्रधार बच्‍चों में एक नया दृष्टिकोण विकसित होगा और वे गांवों और कस्बों तक इसे पहुंचाने में बहुत मददगार साबित होंगे। बच्‍चें व युवा वास्‍तव में किसी भी समाज के वास्‍तविक ब्रांड अंबेस्‍डर होते है, यदि हम स्‍वच्‍छता के प्रति उनके मन में एक विचार, एक कौंध जागृत कर दें, तो समाज और राष्‍ट्र वास्‍तव में लाभांवित होगा।

भारतीय रेल प्रतिदिन दो करोड़ लोगों को गंतव्‍य तक पहुंचाती हैं। जब यात्रा के दौरान स्‍टेशन पर पहुंचने और उतरने के समय स्‍वच्‍छ टॉयलेट उपलब्‍ध हो, तो व्‍यक्ति के लिए वास्‍तव में यह राहत की बात होती है। यात्रा सचमुच सुखद लगती है। वैसे करीब तीन सौ रेलवे स्टेशनों पर सुलभ की ओर से शौचालयों का रखरखाव किया जा रहा है। सुलभ इंटरनेशनल को रेलवे के साथ काम करने का अनुभव है। इसलिए मुझे लगता है कि हमें इस काम में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

मैंने महसूस किया है कि रेलवे स्टेशनों पर शौचालयों और मूत्रालयों की काफी कमी है। अगर हैं भी तो उनकी साफ-सफाई पर ध्यान कम है। हम इस दिशा में भी काम करेंगे। हम चाहेंगे कि रेलवे स्टेशनों पर मूत्रालयों और शौचालयों की संख्या बढ़े। वैसे रेल मंत्री सुरेश प्रभु के प्रस्ताव पर पहले से पांच रेलवे स्टेशनों पुरानी दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद, ग्वालियर और गोरखपुर में शौचालय के रख-रखाव का काम कर रहे हैं और उन स्टेशनों को साफ रखने के काम में अपना दायित्‍व निभा रहे हैं।

रेलवे ने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर दो शौचालयों के रखरखाव का जिम्मा दिया है तो दो को बनाने की हमें जिम्मेदारी दी है और हम इस दिशा में काम करेंगे। देशभर के रेलवे प्लेटफॉर्मों पर शौचालयों और मूत्रालयों की कमी है, इसे पूरा कर पाना आसान नहीं है। हमारा मानना है कि इस कार्य को बैंकों से कर्ज लेकर पूरा किया जा सकता है और एक बार शौचालय बन गए तो उन्हीं के जरिए बैंक के कर्ज को भी दिया जा सकता है। सुलभ यह काम करने को तैयार है। हम रेलवे से आग्रह करेंगे कि वह सुलभ की गारंटी बैंकों को दे तो यह काम आसानी से पूरा किया जा सकता है। हम प्लेटफॉर्म की सफाई के लिए लोगों से सुझाव मांगेंगे, ताकि जन भागीदारी के तहत इस कार्य को सफल बनाया जाए। इसके लिए पूरे साल हम साफ-सफाई करने के अभियान के साथ-साथ सेमिनार और नुक्कड़ नाटकों के जरिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करेंगे। हमारे देश भर में अभियान से अनेक स्‍वंय सेवक जुड़े हैं इन सभी के सेवाभाव और सहयोग से आज हम शौचालय और सफाई की इस मुकाम तक पहुंचे हैं, हमें इसका दायरा और बढ़ाना है।

हम सिर्फ स्वच्छता की संस्कृति को ही बढ़ावा देने के लिए काम नहीं कर रहे, बल्कि हमने समाज में निचले स्तर पर मैला ढोने वाले लोगों के पुनर्वास से भी जुड़े है। इसके साथ ही हमारे पास दुनिया का एकमात्र टॉयलेट म्यूजियम है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने स्‍वच्‍छता के प्रति जन जागरूकता अभियान की शुरूआत की है। यदि हम सभी देशवासी अपने आसपास एवं सार्वजनिक स्‍थलों, पार्कों, दर्शनीय स्‍थलों, रेलवे स्‍टेशनों पर स्‍वच्‍छता रखेंगे, तो निश्‍चय ही भारतवर्ष स्‍वच्‍छता का लक्ष्‍य पा सकेगा। रेल हमारे समाज की जीवन-रेखा है। स्‍टेशन और शौचालयों की स्‍वच्‍छता यात्रियों को सुखद एहसास प्रदान करती है और गंतव्‍य तक पहुंचना राहत से भरपूर होता है। आइए इस महत्‍वपूर्ण कार्य में हम सब अपना योगदान करें।

लेखक पदमश्री से सम्‍मानित रेल स्‍वच्‍छ मिशन के ब्रांड अंबेसडर हैं। लेख में व्‍यक्‍त विचार उनके निजी हैं।

रेलवे के 163 वर्षों के इतिहास में पहली बार रेल विकास शिविर आयोजित


तीन दिवसीय रेल विकास शिविर की शुरूआत 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी शिविर को संबोधित करेंगे 

शिविर से अनेक अभिनव विचार सामने आयेंगे और रेल मैप का सृजन होगा 

भारतीय रेलवे के 163 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि ऐसा कोई बुद्धिशील और नियोजक आयोजन सभी रेलवे कर्मचारियों को शामिल करके इतने बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा हो 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर भारतीय रेलवे अपने समस्त संगठन को पूरे स्तर पर शामिल करके तीन दिवसीय (18 नवम्बर से 20 नवम्बर, 2016 तक) रेल विकास शिविर का दिल्ली के पास सूरजकुंड में एक मेगा कार्यक्रम के रूप में आयोजन कर रहा है। इस शिविर का उद्देश्य रेल क्षेत्र के सतत विकास के लिए रेलवे परिचालन के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नवाचारी लेकिन व्यवहारिक विचारों का सृजन करना है। भारतीय रेलवे के 163 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि ऐसा कोई बुद्धिशील और नियोजक आयोजन सभी रेलवे कर्मचारियों को शामिल करके इतने बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा हो। कर्मचारियों में गैंगमैन से लेकर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन शामिल हैं। यह शिविर इस मायने में रेलवे के अन्य सम्मेलनों से इसलिए अलग है कि यहां न केवल बाह्य वक्ता इस बात में भागीदारी कर रहे हैं कि रेलवे को क्या करना चाहिए बल्कि सभी स्तरों से संबंधित रेलवे कर्मचारियों को भी आपस में नए विचारों का योगदान देने के लिए और निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस शिविर से भारतीय रेलवे के लिए यह विजन जुटाने में मदद मिलेगी कि इससे संबंधित हर कर्मचारी व्यापार, आकांक्षाओं और भारतीय रेलवे की सामाजिक प्रतिबद्धताओं को प्रतिबिंबित करेगा।

यह शिविर भारतीय रेलवे के इतिहास में महत्वपूर्ण है। इसके परिणामों से भारतीय रेलवे को कायाकल्प, परिवर्तन, आधुनिकीकरण, कार्यकुशलता और उत्पादकता के मार्ग पर तेजी से बढ़ाने में मदद मिलने की संभावना है। इस प्रकार के परिणाम पहले नहीं देखे गए हैं। ऐसा भारतीय रेलवे को विश्व स्तरीय रेलवे प्रणाली बनाने के दृष्टिकोण से किया जा रहा है। 

इस शिविर का महत्वपूर्ण पल वह होगा जब जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी खुद शिविर के पहले दिन देश के आर्थिक विकास के लिए रेलवे क्षेत्र के बारे में अपने मन की बात बताने के साथ-साथ इस मेगा आयोजन के लिए एजेंडा तय करने हेतु अपने दिशा-निर्देश और मार्गदर्शन देंगे। प्रधानमंत्री का संबोधन प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली और सूरजकुंड में शिविर स्थल के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा। प्रधानमंत्री शिविर के समापन दिवस पर प्रतिभागियों के साथ एक विस्तृत बातचीत करने के लिए व्यक्तिगत रूप से फिर से उपस्थित रहेंगे।

रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु जिन्होंने पिछले ढाई वर्षों के दौरान प्रमुख सुधार, पुनर्गठन, पहल, नवाचारों और प्रतिमान प्रणाली में सुधार किए हैं और रेलवे के बारे में प्रधानमंत्री के विजन को पूरा करने के लिए अपने सहयोगी रेल राज्य मंत्री एवं संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनोज सिन्हा और रेल मंत्री श्री राजेन गोहैन के साथ इस महत्वपूर्ण शिविर की अगुवाई कर रहे हैं और इस बारे में आवश्यक दिशा-निर्देश दे रहे हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल के अनेक मंत्रियों को शिविर के समापन दिवस पर आमंत्रित किया गया है। समापन दिवस पर आमंत्रित व्यक्तियों में भारत सरकार के कुछ चुनिंदा सचिवों, प्रधानमंत्री कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय और नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।

जर्मनी भारत को बंदरगाहों के रेल संपर्क में सुधार के लिए करेगा सहयोग


भारतीय बंदरगाहों के रेल संपर्क में सुधार करने के लिए जर्मनी भारत के साथ सहयोग करेगा: पुराने वाहनों को हटाने के लिए प्रौद्योगिकी ला सकती है; भारत फ्लेक्स ईंधन अनुरूप ऑटोमोबाइल के लिए तैयार है 

सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा शिपिंग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि जर्मनी सभी भारतीय बंदरगाहों में रेल संपर्क में सुधार के लिए परियोजनाओं पर सहयोग करने हेतु तैयार है। उन्होंने कहा कि दोनों देश भारतीय पोर्ट रेल निगम लिमिटेड (आईपीआरसीएल) द्वारा कार्यान्वित की जा रही एक लाख करोड़ रुपये की परियोजना पर एक साथ काम करेंगे। मंत्री श्री गडकरी ने जर्मनी के आधारभूत संरचना मंत्री श्री अलेक्जेंडर डॉबरिन्डट और उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ आज नई दिल्ली में इस तरह के सहयोग के लिए तौर-तरीकों के बारे में विस्तार से विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर शिपिंग सचिव श्री राजीव कुमार, सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव श्री संजय मित्रा और दोनों मंत्रालयों के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। आज की ये बैठक इस वर्ष के शुरूआत में संपन्न समुद्री भारत शिखर सम्मेलन (मैरीटाइम इंडिया समिट) के दौरान भारतीय पोर्ट रेल निगम लिमिटेड (आईपीआरसीएल) और जर्मन रेल डॉयचे बान (डीबी) के बीच भारतीय बंदरगाहों की रेल पोर्ट कनेक्टिविटी और बंदरगाह पर रेल सुविधाओं के आधुनिकीकरण में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर की पृष्ठभूमि में हो रहा है। बंदरगाहों से माल की कुशल तरीके से निकासी और साथ ही लागत को कम करने हेतु बंदरगाहों को रेल से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। भारतीय पोर्ट रेल निगम लिमिटेड (आईपीआरसीएल) को विशेष रूप से इस क्षेत्र में काम करने के लिए ही स्थापित किया गया है। 

आज की इस बैठक में आईपीआरसीएल और डीबी के प्रतिनिधियों का एक समूह बनाया गया जिनका उद्देश्य संभावित परियोजनाओं और सहयोग हेतु क्षेत्रों की पहचान करना और साथ ही लागत प्रभावी नई रेल प्रौद्योगिकियों को लागू करने के लिए पहचान कर उस दिशा में काम करना भी है। इससे बंदरगाह रेल संपर्क परियोजनाओं के लिए विदेशी निवेश तथा लागत प्रभावी, पर्यावरण के अनुकूल, अभिनव प्रौद्योगिकी लाने में भी मदद मिलेगी। 

श्री गडकरी ने आगे बताया कि जर्मनी को अंतर्देशीय जलमार्ग के विकास तथा नौकाओं के निर्माण में भी सहयोग करने के लिए आमंत्रित किया गया है। परिवहन क्षेत्र में, भारत में वाहनों को डंप (समाप्त) करने की क्षमता के विकास के लिए सहयोग करने पर भी विचार विमर्श किया गया। भारत ने पुराने वाहनों को समाप्त करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी को साझा करने तथा इससे उत्पन्न अपशिष्ट के प्रसंस्करण के तरीके के लिए भी जर्मनी को आमंत्रित किया है। 

यह प्रदूषण को कम करने की दिशा में क्या एक बड़ा कदम हो सकता है, इसके बारे में श्री गडकरी ने जर्मनी के मंत्री को बताते हुए कहा कि भारत ने फ्लेक्स ईंधन का उपयोग जैसे इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल का उपयोग शुरू कर दिया है।उन्होंने कहा कि जर्मन ऑटोमोबाइल निर्माताओं को, जो कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में फ्लेक्स ईंधन पर चलने वाले वाहनों का निर्माण कर रहे हैं, भारत में कारों के निर्माण के लिए बुलाया जा सकता है। 

श्री गडकरी ने ये विश्वास और आशा व्यक्त की है कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच सहयोग में और तेजी आएगी। 

सुरेश प्रभु ने मुंबई में 8 रेलवे स्टेशनों पर Wi-Fi का शुभारंभ किया


रेलवे स्टेशनों पर हाई स्पीड की वाई-फ़ाई सेवाएं प्रदान करने के अपने सतत प्रयासों के तहत रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने आज (22 अगस्त) महाराष्ट्र में 8 मुंबई उपनगरीय रेलवे स्टेशनों पर वाई-फ़ाई सेवाओं का शुभारंभ किया जिनमें चर्चगेट, बांद्रा, बांद्रा टर्मिनस, दादर पश्चिम रेलवे, दादर मध्य रेलवे, खार रोड, कल्याण और लोकमान्य तिलक शामिल हैं। मुंबई उपनगरीय रेल नेटवर्क के इन 8 व्यस्त स्टेशनों के आगंतुकों और रेल यात्रियों के लिए हाई स्पीड वाली वाई-फाई की सुविधा गूगल के सहयोग से रेलवे के एक पीएसयू रेलटेल ने शुरू की है। 

वाई-फाई सुविधा में 1 जीबीपीएस की गति प्रदान की जा रही है। इन 8 स्टेशनों पर कुल 318 एक्सेस प्वाइंट, 120 एक्सेस स्विच और 30 फाइबर स्विच लगाये गए हैं ताकि बड़ी संख्या में यात्रियों को वाई-फाई सेवाएं प्रदान की जा सकें। 

आज 8 स्टेशनों पर वाई-फाई सेवा लॉन्च करने के अलावा, रेलवायर वाई-फाई को 8 और स्टेशनों (सियालदह, इलाहाबाद, पुणे, पुरी, ताम्बरम, चेन्नई एग्मोर, हजरत निजामुद्दीन और चंडीगढ़) में शुरू किया गया है और औपचारिक रूप से देश के अलग-अलग भागों में जल्द ही शुरू किया जाएगा।

शुभारंभ समारोह के दौरान रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि रेलवे स्टेशन वह स्थान हैं जहां समाज के विभिन्न लोग आते हैं। यह पहल डिजिटल खाई को पाटेगी और सभी रेल उपयोगकर्ताओं को हाई स्पीड इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराएगी। एक बार लागू होने के बाद यह विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक वाई-फाई परियोजनाओं में से एक होगी।

रेलवे अधिकारियों को मिलेगी एमबीए डिग्री, यूनिवर्सिटी से हुआ करार


भारतीय रेलवे ने रेलवे के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को रेलवे के विशिष्‍ट क्षेत्रों में एमबीए डिग्री प्रदान करने के लिए महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा के साथ गठबंधन किया 

रेल मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों को प्रोफेशनल दृष्टि से और कार्य सक्षम बनाने के उद्देश्‍य से एक महत्‍वपूर्ण कदम उठाते हुए अपने अधिकारियों को एमबीए डिग्री हासिल करने के लिए भेजने का निर्णय लिया है। तदनुसार, रेलवे अधिकारियों को प्रशिक्षण देने वाले शीर्ष भारतीय रेलवे प्रशिक्षण संस्‍थान यानी भारतीय रेलवे की राष्ट्रीय अकादमी (नायर), वडोदरा ने भारतीय रेल लेखा सेवा (आईआरएएस), भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा (आईआरपीएस) और भारतीय रेलवे स्टोर सेवा (आईआरएसएस) से संबंधित रेलवे के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को रेलवे के विशिष्‍ट क्षेत्रों में एमबीए डिग्री प्रदान करने के लिए महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा के साथ एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किए हैं। रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की गरिमामय उपस्थिति में इसी सप्‍ताह इस एमओयू पर हस्‍ताक्षर किए गए। इसे रेलवे के विशिष्‍ट क्षेत्रों में रेलवे के परिवीक्षाधीन अधिकारियों की प्रोफेशनल प्रबंधन शिक्षा को बेहतर करने की दृष्टि से एक महत्‍वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह कार्यक्रम अगस्‍त, 2016 से ही शुरू हो जाएगा।

भारतीय रेलवे की राष्ट्रीय अकादमी में फिलहाल प्रशिक्षण पा रहे रेलवे के परिवीक्षाधीन अधिकारीगण अध्‍ययन करके संबंधित क्षेत्रों जैसे कि वित्‍त, मानव संसाधन प्रबंधन, उत्‍पादन व परिचालन प्रबंधन एवं विपणन प्रबंधन में विशेषज्ञता के साथ विश्‍वविद्यालय से एमबीए डिग्री प्राप्‍त करेंगे।

इस औपचारिक गठबंधन से महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय को अपने स्‍तर पर रेलवे अधिकारियों के साथ-साथ एमबीए के लिए विद्यार्थियों के चयन में मदद मिलेगी। इन विद्यार्थियों को भी संबंधित विषयों में एमबीए डिग्री प्रदान की जाएगी। यही नहीं, रेलवे से जुड़े बुनियादी ढांचागत निर्माण ठेकेदारों, आपूर्तिकर्ताओं, मेट्रो एवं पोर्ट रेलवे की जरूरतें भी इससे पूरी हो सकेंगी। वे यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा में शामिल होकर रेलवे में नौकरी की तलाश भी कर सकते हैं।

रेलकर्मी साक्षी मलिक की ओलंपिक में जीत पर मिलेगा 50 लाख रुपये का पुरस्कार

भारतीय रेल कर्मी साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक 2016 में भारत का पदक हासिल करने का लंबा इंतजार समाप्‍त किया 

साक्षी मलिक ने 58 किलोग्राम वर्ग की महिला फ्रीस्‍टाइल कुश्‍ती में ओलंपिक का कांस्‍य पदक जीता
 
रेलवे ने खेलों को प्रोत्‍साहन देने की अपनी प्रतिबद्धता के जरिये देश को फिर से गौरवान्वित किया
 
तीनों रेल मंत्रियों ने साक्षी मलिक को उनकी उपलब्‍धता पर बधाई दी
 
साक्षी मलिक को निर्धारित 50 लाख रुपये नकद पुरस्‍कार और राजपत्रित अधिकारी पद पर पदोन्‍नति दी जाएगी
 
ओलंपिक में इस सफलता से भारत में महिला कुश्‍ती दल को बढ़ावा देने में भारतीय रेल की शानदार भूमिका
 
रियो ओलंपिक्‍स भारतीय दल में एक तिहाई सदस्‍य रेलवे के खिलाड़ी हैं जो किसी ओलंपिक में अब तक की सर्वाधिक संख्‍या है



भारतीय रेल कर्मी साक्षी मलिक ने देश के लिए रियो ओलंपिक्‍स 2016 में पहला पदक हासिल किया। रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु, संचार राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) एवं रेल राज्‍य मंत्री श्री मनोज सिन्‍हा और रेल राज्‍य मंत्री श्री राजन गोहेन ने साक्षी मलिक को देश को गौरवान्वित करने तथा उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई दी है। पूरा रेल विभाग आज गर्व महसूस कर रहा है, क्‍योंकि भारतीय रेल ने आज देश को एक शानदार सफलता प्रदान की है।

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भारतीय रेल कर्मी साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक 2016 में भारत को बहुप्रतीक्षित पदक दिलाया। 

साक्षी मलिक ने 58 किलोग्राम वर्ग की महिला फ्रीस्‍टाइल कुश्‍ती में ओलंपिक कांस्‍य पदक जीता। साक्षी मलिक ने भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली ‘महिला पहलवान’ बनकर इतिहास रच दिया है। जुझारु महिला पहलवान साक्षी मलिक ने पदक जीतने का भारत का लम्‍बा इंतजार समाप्‍त किया। उन्‍होंने किरगिजस्‍तान की अलसुलू टिनीबेकोवा को प्‍लेऑफ प्रतियोगिता में 8-5 से हराकर 58 किलोग्राम वर्ग में कांस्‍य पर कब्‍जा किया। इसके पहले भारतीय रेल की एक अन्‍य कर्मी विनेश फोगट घायल हो जाने के कारण मुकाबले से हट गई थीं। घायल होने के पहले वे शानदार प्रदर्शन  कर रही थीं और 48 किलोग्राम वर्ग में उनसे पदक जीतने की उम्‍मीद थी। उल्‍लेखनीय है कि भारतीय रेल ने पहली बार पूरी महिला पहलवान टीम को आगे बढ़ाया और इस तरह कुश्‍ती के क्षेत्र में भारतीय महिलाओं को आकर्षित करके उनके लिए खिलाड़ी के रूप में एक नया विकल्‍प उपलब्‍ध कराया है।

साक्षी मलिक इस समय उत्‍तर रेलवे के दिल्‍ली प्रखंड में वाणिज्‍य विभाग में कार्यरत हैं। भारतीय रेल ने हर तरह की सुविधाएं प्रदान करके सक्षी मलिक को एक शानदार पहलवान के रूप में आगे बढ़ाया है। उन्‍हें कई तरह के प्रोत्‍साहन भी दिए गए हैं। रेल विभाग के कुश्‍ती  कोच श्री कुलदीप मलिक ने ओलंपिक की बड़ी प्रतिस्‍पर्धाओं के लिए रेलवे की महिला पहलवानों को तैयार किया था। भारतीय रेल के खेल निदेशालय ने हर स्‍तर पर उनके प्रशिक्षण के लिए खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय के साथ समन्‍वय किया था।

खेलों के शुरू होने के पहले रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभारक प्रभु ने पहले ही यह घोषणा कर दी थी कि साक्षी मलिक को 50 लाख रुपये का पुरस्‍कार दिया जाएगा और उन्‍हें अपनी पसंद के जोनल रेल कार्यालय में राजपत्रित अधिकारी के पद पर पदोन्‍नति दी जाएगी।

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भारतीय रेल कर्मी साक्षी मलिक ने 58 किलोग्राम वर्ग की महिला फ्रीस्‍टाइल कुश्‍ती में ओलंपिक कांस्‍य पदक जीता।

खेलों और खिलाडि़यों को प्रोत्‍साहित करने तथा हर प्रकार का समर्थन प्रदान करने की भारतीय रेल की समृ‍द्ध परंपरा रही है। भारतीय रेल देश में हर प्रकार की खेल गतिविधि में सबसे आगे रहा है। पिछले कई वर्षों के दौरान, अपनी स्‍थापना के समय से ही भारतीय रेल के खिलाडि़यों ने ओलंपिक्‍स, ऐशियाड एवं अन्‍य अंतरराष्‍ट्रीय प्रतियोगिताओं में सफलतापूर्वक देश का प्रतिनिधित्‍व किया है। रियो ओलंपिक्‍स में शामिल होने वाले भारतीय दल में एक तिहाई खिला‍ड़ी भारतीय रेल से संबंधित हैं, जिससे यह साबित होता है कि देश में खेलों को प्रोत्‍साहित करने के लिए रेल विभाग अत्‍यंत प्रतिबद्ध है। भारतीय रेल द्वारा प्रोत्‍साहित खिलाडि़यों ने समय-समय पर अपनी निपुणता जाहिर की है और देश को गौरवान्वित किया है।

भारतीय रेलवे में इस सीजन पटरियों के आसपास 5 लाख पेड़ लगाए जाएंगे


रेलवे की भूमि पर वृक्षारोपण के लिए भारतीय रेलवे ने हरियाणा और पंजाब के राज्‍य वन विभागों के साथ एक मॉडल समझौते पर हस्‍ताक्षर करने का निर्णय लिया है। 

इस समझौते से रेलवे की भूमि पर वनीकरण के संबंध में निम्‍नलिखित बेहतरी का मार्ग प्रशस्‍त हुआ है: 

  • रेलवे हरित भारत मिशन में व्‍यापक योगदान दे सकती है। 
  • वन विभाग वृक्षारोपण के साथ-साथ पेड़ों के रख-रखाव एवं निपटान में संलग्‍न है। वन विभाग इस तरह वनीकरण में बेहद आवश्‍यक विशेषज्ञता सुनिश्चित करने में संलग्‍न है।
  • वन विभाग द्वारा रेलवे भूमि सीमा पर रेल पटरियों के किनारे वृक्षारोपण हो सकेगा। रेलवे द्वारा किसी भी समय इस तरह की भूमि की बहाली के प्रावधान के साथ इस तरह की भूमि की घोषणा संरक्षित वन के रूप में किए बिना ही वृक्षारोपण संभव हो पाएगा, जिससे रेलवे के कामकाज/विकास परियोजनाओं में किसी भी तरह की बाधा नहीं होगी।
  • अतिक्रमण से रेलवे की भूमि की रक्षा हो सकेगी। 

अच्छे दिन: अब DEMU रेलगाडियों में होंगे वातानुकूलित डिब्‍बे


भारतीय रेल ने अपनी डेमू (डीईएमयू) रेलगाडियों के लिए अब तक का पहला वातानुकूलित डिब्‍बा (कार) विकसित किया है। अभी तक डीईएमयू रेलगाडियों में केवल गैर वातानुकूलित डिब्‍बे लगाए जाते थे। अब तक के इन पहले वातानुकूलित डिब्‍बों का विनिर्माण भारतीय रेल के चेन्‍नई आधारित इंटीग्रल कोच फैक्‍टरी (आईसीएफ) में किया गया है। वर्तमान 8 डिब्‍बों की डीईएमयू रेलगाडियों में ऐसे 2 नव विकसित वातानुकूलित डिब्‍बे होंगे। जल्‍द ही ऐसी डीईएमयू रेलगाडियां यात्री सेवाओं के लिए भी प्रारंभ की जाएंगी। इंटीग्रल कोच फैक्‍टरी (आईसीएफ) ने 4 डीईएमयू रेलगाडियां चलाने की योजना बनाई है जिसमें से प्रत्‍येक में दो-दो वातानुकूलित डिब्‍बे होंगे। ऐसी रेलगाडियां भविष्‍य में और बनाई जाएं या नहीं, यह उपयोगकर्ताओं से मिलने वाले फीडबैक पर निर्भर करेगा। 

ऐसे वातानुकूलित डिब्‍बों में 5 आरामदायक शयित कुशन युक्‍त चेयर का प्रावधान होगा जिन्‍हें 73 यात्रियों को बिठाने की कुल क्षमता के साथ प्रत्‍येक पंक्ति ( 2 * 3 की रूपरेखा ) में व्‍यवस्थित किया जाएगा। इन वातानुकूलित डिब्‍बों की आंतरिक रूपसज्‍जा इंटरसिटी एसी एक्‍सप्रेस रेलगाडी के डिब्‍बों की तरह होगी। सभी वातानुकूलित डिब्‍बे पर्यावरण अनुकूल जैव शौचालयों से सुसज्जित होंगे। भारतीय रेल वर्तमान में तीन प्रकार की डीईएमयू रेलगाडियों का संचालन करती है जिनके नाम हैं- 700 अश्‍व शक्ति के साथ 6 डिब्‍बों की डीईएमयू रेलगाडियां, 1400 अश्‍व शक्ति के साथ 8 डिब्‍बों की डीईएमयू रेलगाडियां एवं 1600 अश्‍व शक्ति के साथ 10 डिब्‍बों की डीईएमयू रेलगाडियां। 

दिव्यांगों को रियायत प्रमाण पत्र जारी करने के लिए रेलवे ने बदले नियम

रेल मंत्रालय के निवास के परिवर्तन के मामले में तथा और अधिक सुविधा देने सहित कुछ अन्य मामलों में रियायती प्रमाण पत्र के लिए शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों (दिव्यांग) के प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को कारगर बनाने का फैसला किया है। भारतीय रेलवे पहले से ही शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए ऑनलाइन टिकटिंग सहित रियायती टिकटों की बुकिंग को सुविधाजनक बनाया है। विभिन्न मुद्दों को कारगर बनाने के लिए निम्नलिखित निर्णय लिए गए हैं-----

1. उन मामलों में जहां आवेदक एक नई जगह पर स्थानांतरित कर दिया गया और उसकी/उसके रियायत प्रमाण पत्र उसकी/उसके पिछले निवास के सरकारी अस्पताल द्वारा जारी किया गया है, वैसे लोग वर्तमान निवास के डीआरएम कार्यालय (माना ए) में अनुमति के लिए आवेदन दे सकते हैं। यह मंडल उस सरकारी अस्पताल, जो रियायती प्रमाण पत्र जारी करता है, के इलाके के मंडल/जोन (माना बी) द्वारा सत्यापित करायेगा। उसके बाद यह उस मंडल/ जोन को विवरण भेज देगा जिसने सत्यापन अनुरोध भेजा था। सत्यापन विवरण के आधार पर मंडल ए शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति को या उसकी /उसके प्रतिनिधि को (उचित प्राधिकार पत्र के साथ) आईडी कार्ड जारी करेगी। हालांकि मूल प्रमाण पत्र (पते के सबूत के लिए वर्तमान निवास का पता संबंधित प्रमाण) कार्ड के लेते समय दिखाया जाना आवश्यक है। इस तरह के मामलों में आईडी कार्ड जारी करने के निपटान समय सीमा आवेदन प्राप्त होने की तारीख से दो महीने ही है।

2.  शारीरिक रूप से विकलांगों के लिए जारी फोटो आईजी कार्ड जारी होने की तिथि से 5 साल के लिए अथवा जबतक रियायती प्रमाण पत्र मान्य है तथा इनमें से जो भी पहले हो तक जारी किया जाता है, उसके बाद नवीनीकरण/ पुन जारी करने में भी इसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है।

आईआरसीए कोचिंग टैरिफ नंबर 26 पैरा (1) खंड (2) नियम के तहत, कुछ मामलों में रियायती प्रमाण पत्र की मान्यता 5 साल से ज्यादा भी होती है---

  • स्थायी विकलांगकता के मामले में, 26 से 35 वर्ष की आयु तक के लोगों का प्रमाण पत्र 10 वर्ष के लिए मान्य होता है।
  • स्थायी विकलांगकता के मामले में, 35 वर्ष अधिक आयु वर्ग के लोगों का प्रमाण पत्र पूरी उम्र के लिए मान्य होता है।


वैसे मामलों में जहां अस्पताल के अधिकारियों द्वारा जारी रियायती प्रमाण पत्र 10 साल या कुछ मामलों में जहां उम्र भर के लिए वैध हो, रियायत प्रमाण पत्र के नवीकरण के लिए फिर से सत्यापन की आवश्यकता नहीं होती है। बाकी के सारे नियम पहले जैसे ही हैं।

राजन गोहेन ने नये रेल राज्य मंत्री का पद संभाला

श्री राजन गोहेन ने आज यहां रेल मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद संभाल लिया। वे असम के नौगांव लोकसभा सीट से सांसद हैं। वे इस सीट से मई 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में चौथी बार चुने गये हैं। वे इस सीट का 1999 से लगातार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कार्यभार ग्रहण करने कि तुंरत बाद उन्होंने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री ए. के. मित्तल के साथ विस्तार से चर्चा की। उसके बाद मीडिया से बात करते हुए श्री राजन गोहेन ने अपनी प्राथमिकताओं में सुरक्षा और उसके उपायों, रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास और विस्तार, यात्री सुविधाएं और यात्री सेवाओं, समय की पाबंदी, लोक शिकायतों का निवारण और उत्तर-पूर्व में रेल परियोजनाओं का शीघ्र निपटारा जैसे क्षेत्रों को रखा है। 

कला और कानून में स्नातक, श्री गोहेन अपने युवा दिनों से ही सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में सक्रिय रहे हैं। वे नौगांव जिला भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में रहे हैं। अपने लंबे संसदीय कार्यकाल के दौरान श्री राजन गोहेन कई समितियों जैसे गृह मंत्रालय की स्थायी समिति के सदस्य, सदन के पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेजों की समिति के सदस्य, कृषि मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य, जल संसाधन मंत्रालय की स्थायी समिति के सदस्य, सांसदों के लिए कंप्यूटर, पार्टियों के लिए कार्यालय, लोकसभा सचिवालय के कार्यालय के सदस्य, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्थायी समिति के सदस्य, अधीनस्थ विधान संबंधी समिति के सदस्य,आवास समिति के सदस्य, याचिका समिति के सदस्य, रेलवे की स्थायी समिति के सदस्य, अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण संबंधी संसदीय समिति के सदस्य और कृषि मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य भी पहले रह चुके हैं। 

श्री राजन गोहेन ने असम आंदोलन में भी भाग लिया है। उन्होंने असम में विभिन्न जनजातियों के कल्याण के लिए काम किया है। वे विभिन्न क्षेत्रों जैसे इतिहास, खेल, संगीत, कृषि, चाय बागान, रबर, मछली पालन, डेयरी फार्मिंग तथा सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी रुचि रखते है। इन्होंने लाओस, थाईलैंड और ब्रिटेन जैसे कुछ देशों का भी दौरा किया है।

#IRCTC की वेबसाइट नहीं हुई थी हैक : भारतीय रेल

भारतीय रेल यह स्पष्ट करना चाहती है कि IRCTC की वेबसाइट की कोई हैकिंग नहीं हुई है। ई-टिकटिंग वेबसाइट सामान्य रूप से कार्य कर रही है और अनाधिकृत हस्तक्षेप की किसी भी संभावना को नकार रही है। जैसे ही यह मामला 02 मई, 2016 को रेलवे की जानकारी में आया तो ऐसे समाचारों की सच्चाई का पता लगाने के लिए जांच आयोजित की गई। हालांकि, इस तरह की किसी घटना का पता नहीं चला। मंत्रालय यह विश्वास दिलाना चाहता है कि इस वेबसाइट की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक जांच और उपाय किए गए हैं। भारत सरकार के संबंधित विभागों द्वारा नियमित रूप से सुरक्षा आडिट की एक प्रणाली लागू है। इस प्रणाली के सभी घटक सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं और कोई असामान्य गतिविधि नहीं पाई गई है। पासवर्ड जैसे सभी संवेदनशील डाटा को एन्क्रिप्टेड रूप में स्टोर किया गया है। इस के अलावा, पूरे वर्ष 24x7 विशेषज्ञों की तकनीकी टीम इसकी निगरानी करती है इसलिए किसी प्रकार की चिंता या डर का कोई कारण नहीं है। दो दिन पहले गठित रेलवे समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में ई-टिकटिंग प्रणाली के डेटाबेस में किसी प्रकार की सुरक्षा के उल्लंघन का कोई संकेत नहीं पाया है। कोई डेनाएल ऑफ सर्विस अटैक सफल नहीं रहा है और ई-टिकटिंग वेबसाइट सामान्य रूप से काम कर रही है इसलिए अनधिकृत हस्तक्षेप की किसी भी संभावना को समाप्त कर रही है। अप्रैल 2016 को एक ही दिन में 2.66 लाख उपयोगकर्ताओं ने 5.48 लाख टिकटों की बुकिंग की अर्थात प्रति मिनट 13,600 टिकट बुक कराए गए।

ई-टिकटिंग प्रणाली के सभी घटकों की जांच की गई और किसी भी घटक में कोई भी असामान्य गतिविधि नहीं पायी गयी। ई-टिकटिंग प्रणाली की आईटी सुरक्षा को मानकीकरण परीक्षण गुणवत्ता प्रमाणन (STQC) इलेक्ट्रानिक्स विभाग और आईटी, भारत सरकार के निदेशालय द्वारा नियमित रूप से सुरक्षा आडिट के माध्यम से सुनिश्चित किया गया है। इस प्रणाली में पहुंच के लिए लेखा परीक्षा ट्रेल्स का रखरखाव किया जाता है और सभी प्रणाली पासवर्ड आदि के सभी तरह के संवेदनशील डाटा को एन्क्रिप्टेड रूप में जमा किया जाता है। विशेषज्ञों की तकनीकी टीम पूरे साल 24 घंटे इस प्रणाली की निगरानी करती है। क्रिस और आईआरसीटीसी दोनों के अधिकारियों को शामिल करके एक संयुक्त समिति का गठन किया गया है। अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में समिति को ई-टिकटिंग प्रणाली के डेटाबेस में किसी तरह की सुरक्षा के उल्लंघन का कोई संकेत नहीं मिला है। इस समिति की आगे की जांच प्रगति पर है और एक बार कथित लीक डेटा उपलब्ध होने पर मामले में आगे जांच की जाएगी।
मीडिया में IRCTC ई-टिकटिंग प्रणाली के उपयोगकर्ता प्रोफ़ाइल डेटा से ई-मेल तथा मोबाइल नंबरों के कथित लीकेज के संबंध में कुछ इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में समाचार प्रकाशित हुए हैं। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) भारतीय रेल का सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम है। इसकी वेबसाइट irctc.co.in का रेलवे ई-टिकट खरीदने के लिए प्रयोग किया जाता है।

रेलमंत्री ने बनिहाल-बारामूला (डेमू) व बडगाम-बारामूला (डेमू) ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई


रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग राज्यमंत्री श्री जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में 74619/74620 बनिहाल-बारामूला फास्ट पैसेंजर (डेमू) और 74617/74618 बडगाम-बारामूला डेमू का आज रेल भवन, नई दिल्ली और अनंतनाग रेलवे स्टेशन के बीच वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से हरी झंडी दिखाई। जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री सुश्री महबूबा मुफ्ती ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ अनंतनाग रेलवे स्टेशन पर कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह की शोभा बढ़ाई। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, बोर्ड के अन्य सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति रेल भवन में उपस्थित थे। बारामूला-बडगाम-बनिहाल खंड वर्तमान में 13 जोड़े रेल सेवाओं का  परिचालन कर रहा है जिसका अर्थ है कि वर्तमान में 26 एकल सेवाएं परिचालित हैं।

इस अवसर पर रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के सभी जिलों के बीच निर्बाध रेल संपर्क हमेशा इस सुंदर घाटी की दीर्घकालीन मांग रहा है। नई रेल सेवाएं जम्मू-कश्मीर के लोगों को बड़ी राहत प्रदान करने वाली साबित होंगी। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण सड़क परिवहन में बारामूला-बनिहाल के बीच लगभग 6 घंटे लगते हैं, लेकिन अब नई डेमू ट्रेन का उपयोग करके यह दूरी 2 घंटे 20 मिनट में तय की जा सकती है और वह भी  केवल 30 रूपये के किराए में। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य पर्यटन के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण है जहां पूरे वर्ष राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आते रहते हैं।  इस तरह इस जुड़ाव से राज्य में पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि रेलवे ने आईआरसीटीसी की मदद जम्मू-कश्मीर को पर्यटन के नक्शे पर लाने के लिए भी कार्य कर रहा है। इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि हस्तकला उद्योग और राज्य के स्वादिष्ट व्यंजनों को भी बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर राज्य के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है।

इस अवसर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग राज्यमंत्री श्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि घाटी में नई रेल सेवाओं से लोगों को बड़ी राहत मिलेगी और रेलों के अच्छे जुड़ाव से राज्य में पर्यटन, आर्थिक, सामाजिक और अन्य सभी क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि नई रेल सेवा से घाटी के लोगों की यात्रा के समय में कटौती होगी। और यह यात्रा सस्ती भी होगी क्योंकि रेलों के किराए सड़क परिवहन की तुलना में काफी कम हैं।

नई ट्रेनों की मुख्य विशेषताएं -

बनिहाल-बडगाम-बारामूला खंड पर:

बारामूला-बडगाम-बनिहाल खंड पर वर्तमान में रेल सेवा के रेलों के 13 जोड़े परिचालित हैं। विवरण निम्नानुसार हैं: -


 
बारामूला-बनिहाल
बारामूला-बडगाम
बडगाम-बनिहाल
डेमू गाड़ियों के 04 जोड़े
डेमू गाड़ियों के 07 जोड़े
डेमू ट्रेन के 10 जोड़े


समय सारणी अनुबंध- '' दी गई है।


बनिहाल-बारामूला खंड पर 05/05/2016 से 02 जोड़े का अतिरिक्त डेमू गाड़ियों 74619/74620 अर्थात बनिहाल-बारामूला फास्ट पैसेंजर और बडगाम-बारामूला डेमू 74617/74618 की शुरुआत की गई है। इन ट्रेनों के समय और रुकने के स्थानों का विवरण इस प्रकार हैं: -


 
74619 बनिहाल-बारामूला फास्ट पैसेंजर (डेमू)
74617 बडगाम-बारामूला डेमू

(↓) स्टेशन (↑)

74620 बारामूला-बनिहाल फास्ट पैसेंजर (डेमू)
74618 बारामूला-बडगाम डेमू

शनिवार को  छोड़कर

शुक्रवार को  छोड़कर

शुक्रवार को  छोड़कर

शनिवार को  छोड़कर

आगमन
प्रस्थान
आगमन
प्रस्थान
आगमन
प्रस्थान
आगमन
प्रस्थान

07:40


बनिहाल
18:55
--


07:55
07:57


काजीगुंड
18:31
18:32


08:11
08:14


अनंतनाग
18:12
18:17


08:58
09:03


श्रीनगर
17:30
17:32


09:20
09:30
--
15:15
बडगाम
17:16
17:18
11:30
--
09:42
09:43
15:27
15:28
मजहोम
17:02
17:04
11:12
11:13
10:00
10:01
15:59
16:00
सोपोर
16:43
16:44
10:38
10:38
10:20
--
16:20
--
बारामूला
--
16:35
--
10:30

·         गठन : - बनिहाल-बारामूला फास्ट पैसेंजर और बडगाम-बारामूला डेमू - पावर कोच -2, ट्रेलर कोच -6 यानि कुल 8 कोच।

·         दूरी :
·         बारामूला और बनिहाल के बीच की दूरी 137 किमी है।
·         बारामूला और बड़गाम के बीच की दूरी 45 किमी है।
·         बडगाम और बनिहाल के बीच की दूरी 92 किमी है।

·         यात्रा की अवधि :
02 घंटे 40 मिनट         74619 बनिहाल-बारामूला फास्ट पैसेंजर (डेमू)
02 घंटे 20 मिनट         74620 बारामूला-बनिहाल फास्ट पैसेंजर (डेमू)
01 घंटा 05 मिनट         74617 बडगाम-बारामूला डेमू

01 घंटा                   74618 बारामूला-बडगाम डेमू



·         74619/74620 बनिहाल-बारामूला फास्ट पैसेंजर (डेमू) औसत गति क्रमशः 51.37 किमी प्रति घंटे / 58.71 किमी प्रति घंटा है। जबकि 74617/74618 बडगाम-बारामूला डेमू की औसत गति में क्रमश: 41.55 किलोमीटर / 45 किलोमीटर प्रति घंटे है।

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