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सूचना अधिकार [आरटीआइ] कानून के तहत मांगी गई जानकारी पर रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने कहा कि ये दस्तावेज मिल नहीं सके हैं। फरवरी, 1989 में किए गए इस समझौते के मुताबिक यूनियन कार्बाइड कंपनी इस हादसे की आपराधिक और नागरिक जिम्मेदारी लेते हुए ब्याज सहित 47 करोड़ डॉलर का भुगतान करने पर सहमत हो गई थी।
उल्लेखनीय है कि 2-3 दिसंबर, 1984 की रात भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी जहरीली मिथाइल आइसो साइनाइट गैस ने करीब 25 हजार लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। एक आरटीआइ कार्यकर्ता ने इस समझौते से जुडे़ सारे दस्तावेजों की जानकारी विदेश मंत्रालय से मांगी थी।
शुरुआत में मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया। जब केंद्रीय सूचना आयोग ने कैबिनेट सचिवालय को कारण बताओ नोटिस जारी किया, तो उसने कहा कि आवेदन गलत जगह किया गया था। सचिवालय ने इसे रसायन और उर्वरक मंत्रालय के पास भेज दिया। मंत्रालय ने आवेदक को दिए अपने जवाब में कहा, 'समझौते से जुड़े दस्तावेजों को खोजा नहीं जा सका है।' मंत्रालय ने कहा कि इन्हें सुप्रीम कोर्ट से हासिल किया जा सकता है।
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