
बिहार कैबिनेट ने हर एमएलए और एमएलसी को क्षेत्र में विकास के नाम पर हर साल मिलने वाले 1 करोड़ रुपये के फंड को सैद्धांतिक रूप से खत्म करने का फैसला ले लिया है। हालांकि विपक्षी दल आरजेडी ने इस पर कुछ सवाल जरूर उठाए, पर वह भी इसके समर्थन में है। मालूम हो कि यह फंड भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। ऐसी शिकायते हैं कि सभी विधायक अपने-अपने क्षेत्र में इस फंड की 30 फीसदी राशि का कॉन्ट्रेक्ट पसंदीदा लोगों को दिलवाते हैं।
भ्रष्टाचार की नकेल कसने के क्रम में सीएम नीतीश कुमार ने एक और कदम उठाया है। अब अप्रैल 2011 तक बिहार के मुख्यमंत्री, मंत्री, नौकरशाह और थर्ड ग्रेड के कर्मचारी अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश करेंगे। इसी तरह से आनेवाले बजट सत्र में विधानसभा में राइट टू सर्विस बिल पास होगा, जिसके तहत निश्चित अवधि के दौरान लोगों को सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
कुछ दिन पहले बिहार कोर्ट स्पेशल ऐक्ट, 2010 के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए सरकार ने एक भ्रष्ट अधिकारी की लगभग 44 लाख रुपये की प्रॉपर्टी जब्त कर ली।
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