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पाकिस्तान के हिंदू समुदाय की मांग है कि रावलपिंडी का यह मंदिर फिर से खोला जाए ताकि वे इसमें फिर से पूजा पाठ कर सकें. हिंदू सिख सोशल वेलफेयर परिषद के अध्यक्ष जगमोहन कुमार अरोड़ा ने कहा कि संघीय लोकपाल ने 1996 में आदेश दिया था कि इस मंदिर को खोला जाए.
संपत्ति खाली करवाने के लिए जिम्मेदार बोर्ड (ईटीपीबी) ने अब भी मंदिर को बिना कोई कारण बताए सील करके रखा है. मंदिर 1992 से बंद है. बताया जाता है कि इस मंदिर की देख रेख करने वाले दंपत्ति ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया और उसके बाद इस मंदिर के हिस्सों को वो किराए पर देने लगे.
अरोड़ा ने आरोप लगाया है कि मंदिर की जमीन षडयंत्र के तहत बेचने की कोशिश की जा रही है और इसकी जगह पर एक प्लाजा बनाने की योजना है. अरोड़ा ने कहा कि हिंदू समुदाय ऐसा कतई नहीं होने देगा.
उन्होंने इटीपीबी से अपील की कि वो उन लोगों को पकड़े जो रावलपिंडी के ग्वालामंडी इलाके के मंदिर की जमीन को बेचने की कोशिश कर रहे हैं. अरोड़ा का कहना था कि इससे सिर्फ विभाग ही नहीं पूरे देश की छवि खराब होगी. अरोड़ा ने कहा, "पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी संविधान के रक्षक हैं उन्हें धर्मों की आजादी सुनिश्चित करनी चाहिए."
jarror khulega ...........nhi to pak goes in hell..........
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