अब पढ़िए #DGMO द्वारा जारी #SerjicalStrike पर पूरा प्रेस नोट


यह गंभीर चिंता का विषय है कि जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार से आतंकवादियों की घुसपैठ लगातार जारी है, जो क्रमश: पूंछ और उड़ी में 11 और 18 सितंबर 2016 को हुए आतंकवादी हमलों के रूप में परिलक्षित हुआ है। भारतीय सेना ने इस वर्ष नियंत्रण रेखा पर करीब 20 घुसपैठ के प्रयासों को नाकाम करने में सफलता प्राप्त की है।

इन आतंकवादी हमलों और घुसपैठ की कोशिशों के दौरान हमें कई ऐसी चीजें जैसे जीपीएस और सामान मिले हैं जिनका सीधा संबंध पाकिस्तान से है। पाकिस्तान या पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रहने वाले पकड़े गये आतंकवादियों ने यह स्वीकार किया है कि उन्हें प्रशिक्षण और हथियार पाकिस्तान में या पाकिस्तान के नियंत्रण वाले इलाके में मिले हैं। हमने यह मामला उच्चतम राजनयिक स्तर पर और सैन्य चैनलों के माध्यम से भी उठाया था । भारत ने अपने बयान को सत्यापित करने के लिए पाकिस्तान के इन गिरफ्तार आतंकवादियों को दूतावास सहायता की पेशकश की है। इसके साथ ही हमने यह भी प्रस्ताव दिया था कि पूंछ और उड़ी में मारे गये आतंकवादियों के उंगलियों के निशान और डीएनए के नमूने जांच के लिए पाकिस्तान को उपलब्ध करा सकते हैं।

हमारे लगातार आग्रह के बावजूद पाकिस्तान द्वारा जनवरी 2004 में की गई अपनी प्रतिबद्धता, पाकिस्तान अपनी जमीन या अपने नियंत्रण में आने वाले इलाके को भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल की इजाजत नहीं देगा, का सम्मान करना चाहिए। लेकिन नियंत्रण रेखा के पार से घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियों में कोई कमी नहीं आई है।

अगर क्षति सीमित था, तो यह मुख्य रूप से घुसपैठ में आतंकवादियों को निष्क्रिय करने में बहु-स्तरीय जवाबी घुसपैठ ग्रिड में तैनात हमारे सैनिकों के प्रयासों की वजह से था जिन्होंने आतंकवादियों के घुसपैठ को निष्क्रिय करने में सफलता प्राप्त किया। मौजूदा खतरे को देखते हुए भारतीय सशस्त्र बलों को अत्यधिक सतर्क कर दिया गया है।

विशिष्ट और विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर कि कुछ आतंकवादी घुसपैठ करने के लिए नियंत्रण रेखा पर तैयार हैं जो जम्मू-कश्मीर और दूसरे महानगरों में आतंकवादी हमलों को अंजाम देंगे। ऐसे में भारतीय सेना ने सर्जिकल हमले करते हुए आतंकवादियों के घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम कर दिया है। हमारा यह अभियान इस पर केन्द्रित था कि ये आतंकवादी किसी भी सूरत में अपने मंसूबों में कामयाब न हो पायें ।

आतंकवादियों के खिलाफ इस अभियान के दौरान आतंकवादियों को तो नुकसान पहुंचाया ही गया साथ ही उनको समर्थन देने वालों को भी बख्शा नहीं गया है। आतंकवादियों को निष्क्रिय करने के उद्देश्य से इस काम को अंजाम दिया गया। हमें इसे आगे जारी रखने की कोई योजना नहीं है। हालांकि भारतीय सशस्त्र बल किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

मैं पाकिस्तान सेना के डीजीएमओ के साथ लगातार संपर्क में हूं और हमने उन्हें इस बारे में अवगत करा दिया है कि यह इस क्षेत्र में शांति और सौहार्द बनाए रखने की भारत की मंशा है।लेकिन किसी भी सूरत में नियंत्रण रेखा के पार से आंतकवादियों को हम अपने देश के नागरिकों पर हमले की अनुमति नहीं दे सकते। हम पाकिस्तान को जनवरी 2004 में की गई प्रतिबद्धता कि पाकिस्तान अपनी जमीन या अपने नियंत्रण में आने वाले इलाके को भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल की इजाजत नहीं देगा, को याद दिलाना चाहते हैं और हम पाकिस्तानी सेना से यह आशा करते हैं कि पाकिस्तानी सेना इस क्षेत्र से आतंकवाद के को मिटाने में हमारा सहयोग करे।


भारत में घुसपैठ के लिए पाकिस्तान दे रहा अल-कायदा का साथ

जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों से पूछताछ के बाद इस बात का पता चला कि पाकिस्तान का इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) सभी प्रकार के आतंकवादियों को आश्रय, संरक्षण और धन उपलब्ध करा कर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। 

03 सितंबर, 2014 को एक वीडियो अपलोड किया गया था, जिसमें अल-कायदा के शेख अय्यम अल-जवाहिरी का भाषण शामिल है। इसमें अल-जवाहिरी ने 'भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा' (एक्यूआईएस) नामक अल-कायदा की एक नई शाखा स्थापित करने की घोषणा की थी। पता चला है कि असीम उमर और उस्माना महमूद को एक्यूआईएस का क्रमशः 'अमीर' और 'प्रवक्ता' नियुक्त किया गया है। 

सरकार ने गृह/आंतरिक मंत्री/सचिव स्तरीय वार्ताओं, विदेश सचिव स्तरीय वार्ताओं आदि जैसे अनेक मंचों पर विभिन्न आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान की ओर से मिल रही सहायता का मुद्दा उठाया है और पाकिस्तान के अधिकारियों को संबंधित तथ्य/डोजियर सौंपे गए हैं। इतना ही नहीं, सरकार अपनी ओर से भारत में पाकिस्तान आधारित/समर्थित आतंकवादी संगठनों की नापाक गतिविधियों को विफल करने के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रही है। 

सीमा के खुले भागों से आतंकियों की घुसपैठ होगी नाकाम

बांग्‍लादेश में स्थित और वहां से संचालित हो रहे भारतीय उपद्रवी समूह (आईआईजी) दोनों देशों के बीच खुली सीमा का फायदा उठाते हुए भारत में घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं। राज्‍यसभा में एक प्रश्‍न का लिखित उत्‍तर देते हुए गृह राज्‍यमंत्री श्री किरेण रिजिजु ने बताया कि केवल भारत-बांग्‍लादेश, भारत-पाकिस्‍तान की सीमा के साथ और भारत-म्‍यांमा के छोटे से भाग पर बाड़ लगाई गई है। भारत-बांगलादेश और भारत-पाकिस्‍तान सीमाओं पर बाड़ रहित यानी खुले भागों की सीमा सुरक्षा बल ने पहचान कर ली है। भारत-बांगलादेश सीमा पर ऐसे 783 और भारत-पाकिस्‍तान सीमा पर 149 स्‍थान है। 

सरकार ने खुले सीमा भागों को मजबूत बनाने के लिए बहुधारीय दृष्टिकोण अपनाया है इस दिशा में उठाए गए कदमों में निम्‍नलिखित शामिल हैं : 

सीमा पर गश्‍त नाकाओं द्वारा 24 घंटे निगरानी और देश की अंतर्राष्‍ट्रीय सीमा पर निगरानी चौकियों की मौजूदगी के जरिए सीमा पर निगरानी तंत्र का प्रभुत्‍व बनाया गया। देश की अंतर्राष्‍ट्रीय सीमाओं पर नदी क्षेत्र पर सीमा सुरक्षाबल की स्‍पीड बोट, पानी के वाहनों, तैरती सीमांत चौकियों की मदद से गश्‍त की जा रही हैं और निगरानी तंत्र का प्रभुत्‍व बनाया गया। 

बलों की संख्‍या में कई गुना बढ़ोतरी करना और अति तकनीकी निगरानी उपकरणों की तैनाती। सीमा पर निगरानी तंत्र के प्रभुत्‍व को और मजबूत करने के लिए दिन और रात में समुचित प्रकाश में काम करने वाले नवीनतम निगरानी उपकरण प्राप्‍त करने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं। 

सीमा पर आउट पोस्‍ट के उन कमजोर इलाकों जो सीमा पर अवैध घुसपैठ और सीमापर अपराधों की दृष्टि से संवेदनशील हैं उनका मानचित्रीकरण किया गया। इन चयनित चौकियों को बलों की अतिरिक्‍त तैनाती, विशेष निगरानी उपकरणों, वाहनों, अन्‍य आधारभूत सहायक उपकरणों से मजबूत बनाया गया। 

खुफिया नेटवर्क और सहयोगी एजेंसियों के साथ तालमेल को उन्‍नत बनाया गया और सीमाओं पर विशेष अभियान चलाए गए। 

बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान DNA टेस्ट से कराने पर विचार


असम में हुए भयावह दंगों के बाद केंद्र सरकार वहां घुसपैठियों की पहचान की योजना के काम में तेजी लाने जा रही है। राज्य में इस साल के अंत तक एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन) का कार्य शुरू किया जाएगा।

इसके साथ ही वहां बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान के लिए वैज्ञानिक जांच का सहारा लेने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके तहत संदिग्ध मामलों में संबंधित व्यक्ति का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा, ताकि यह पता किया जा सके कि वह असम मूल का है या बांग्लादेशी है। 

दो साल पहले इस रजिस्टर को अपडेट करने का काम शुरू किया गया था। लेकिन कुछ इलाकों में इसकी वजह से हुए उपद्रव के बाद काम बंद कर दिया गया था।

असम देश का ऐसा राज्य है जहां पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के साथ ही राज्य के नागरिकों की गणना के लिए एनआरसी की व्यवस्था है। इस रजिस्टर का अंतिम अपडेट 1951 में हुआ था। 

असल में असम में बोडो कार्यकर्ताओं के साथ ही स्थानीय निवासी बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले पर लामबंद होते रहे हैं। उनका आरोप है कि राज्य में 25-30 प्रतिशत आबादी बांग्लादेशी घुसपैठियों की है। उनकी मांग है कि बांग्लादेशियों की पहचान कर उन्हें वापस उनके देश भेजा जाए, ताकि स्थानीय निवासियों को उनके राज्य के संसाधन का वास्तविक और पूरा हक मिले। लेकिन सभी बांग्लादेशियों की पहचान करना टेढ़ी खीर है।

ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को कहा है कि वह एनआरसी बनाने के दौरान ऐसे चुनिंदा मामले को वैज्ञानिक जांच के लिए चिन्हित करे जिसमें कागजी प्रमाण-पत्र (इसमें वोटर आई-कार्ड, राशन कार्ड, अन्य पहचान पत्र) होने के बावजूद किसी की नागरिकता को लेकर संदेह है।

जिस वैज्ञानिक जांच की सलाह उसने दी है उसमें डीएनए टेस्ट भी शामिल है। कहा जा रहा है कि हाल ही में जो उपद्रव असम में हुआ है उसकी वजह भी उल्फा कार्यकर्ताओं और एक बांग्लादेशी समूह के बीच तकरार है। इसने बाद में उग्र रूप धारण कर लिया और यह असम के चार जिलों के 8000 किमी में फैले 400 गांव तक फैल गया। इसमें अभी तक 80 से अधिक लोगों की मौत की सूचना है। 

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'राज्य में एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस) रजिस्टर का काम जब शुरू होगा तो संदिग्ध मामलों में वैज्ञानिक टेस्ट का सहारा लेने की कवायद की जा रही है।

यह खासा संवेदनशील मसला है ऐसे में यह प्रयोग सिर्फ ऐसे मामलों में किया जाएगा जहां अन्य विकल्प, जिसमें विभिन्न तरह के कागजात-प्रमाण पत्र, किसी तरह के परिणाम देने में अक्षम नजर आएंगे। राज्य सरकार भी इस तरह के टेस्ट को लेकर प्रारंभिक स्तर पर सहमत है। राज्य सरकार से पूर्व में दो साल पहले और उसके बाद हाल ही में करीब पांच महीने पहले इस पर चर्चा की गई है।' 

Join our WhatsApp Group

Join our WhatsApp Group
Join our WhatsApp Group

फेसबुक समूह:

फेसबुक पेज:

शीर्षक

भाजपा कांग्रेस मुस्लिम नरेन्द्र मोदी हिन्दू कश्मीर अन्तराष्ट्रीय खबरें पाकिस्तान मंदिर सोनिया गाँधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राहुल गाँधी मोदी सरकार अयोध्या विश्व हिन्दू परिषद् लखनऊ जम्मू उत्तर प्रदेश मुंबई गुजरात दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश श्रीनगर स्वामी रामदेव मनमोहन सिंह अन्ना हजारे लेख बिहार विधानसभा चुनाव बिहार लालकृष्ण आडवाणी मस्जिद स्पेक्ट्रम घोटाला अहमदाबाद अमेरिका नितिन गडकरी सुप्रीम कोर्ट चुनाव पटना भोपाल कर्नाटक सपा सीबीआई आतंकवाद आतंकवादी पी चिदंबरम ईसाई बांग्लादेश हिमाचल प्रदेश उमा भारती बेंगलुरु केरल अरुंधती राय जयपुर पंजाब इस्लामाबाद उमर अब्दुल्ला डा़ प्रवीण भाई तोगड़िया धर्म परिवर्तन महाराष्ट्र सैयद अली शाह गिलानी हिन्दुराष्ट्र अरुण जेटली मोहन भागवत राष्ट्रमंडल खेल वाशिंगटन शिवसेना इंदौर गंगा दवा उद्योग हिंदू कश्मीरी पंडित गोधरा कांड बलात्कार भाजपायूमो मंहगाई यूपीए साध्वी प्रज्ञा सुब्रमण्यम स्वामी चीन बी. एस. येदियुरप्पा भ्रष्टाचार शिवराज सिंह चौहान हिंदुत्व हैदराबाद इलाहाबाद काला धन गौ-हत्या चंडीगढ़ चेन्नई तमिलनाडु नीतीश कुमार शीला दीक्षित सुषमा स्वराज हरियाणा अशोक सिंघल कोलकाता जन लोकपाल विधेयक नई दिल्ली नागपुर मायावती मुजफ्फरनगर मुलायम सिंह रविशंकर प्रसाद स्वामी अग्निवेश अखिल भारतीय हिन्दू महासभा आजम खां उत्तराखंड फिल्म जगत ममता बनर्जी लालू यादव अजमेर प्रणव मुखर्जी बंगाल मालेगांव विस्फोट विकीलीक्स अटल बिहारी वाजपेयी आशाराम बापू ओसामा बिन लादेन नक्सली अरविंद केजरीवाल एबीवीपी कपिल सिब्बल क्रिकेट तरुण विजय तृणमूल कांग्रेस बजरंग दल बसपा बाल ठाकरे राजिस्थान वरुण गांधी वीडियो सोहराबुद्दीन केस हरिद्वार असम गोवा मनीष तिवारी शिमला सिख विरोधी दंगे सिमी इसराइल एनडीए कल्याण सिंह पेट्रोल प्रेम कुमार धूमल सैयद अहमद बुखारी अनुच्छेद 370 जदयू भारत स्वाभिमान मंच हिंदू जनजागृति समिति आम आदमी पार्टी विडियो-Video हिंदू युवा वाहिनी कोयला घोटाला मुस्लिम लीग छत्तीसगढ़ हिंदू जागरण मंच सीवान
registration for Z.com Research India

लोकप्रिय ख़बरें

ख़बरें और भी ...

राष्ट्रवादी समाचार. Powered by Blogger.

नियमित पाठक