अयोध्या में विवादित स्थल को लेकर आए फैसले के एक पक्षकार हिन्दू महासभा ने बातचीत से इसके हल के प्रयास का विरोध करने का निर्णय लिया है जबकि फोरम फार पीस एंड यूनिटी का मानना है कि इसका एकमात्र हल बातचीत ही है।
हिन्दू महासभा का कहना है कि अयोध्या की जमीन का तीन हिस्सों में बँटवारा उसे मान्य नहीं है और संगठन इसके लिए उच्चतम न्यायालय में जाएगा। महासभा के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने आज यहाँ कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पिछले 30 सितम्बर को अपने फैसले में जमीन को रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बीच बराबर-बराबर बाँटने का आदेश दिया है जो मान्य नहीं है।
महासभा इसके लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी। उन्होंने कहा कि पूरी जमीन रामलला की है जिस पर उनका भव्य मंदिर बनेगा। बातचीत से इसका हल नहीं निकाला जा सकता।
अयोध्या मसले के हल के लिए मालिकाना हक के मुकदमें में एक पक्षकार हाशिम अंसारी ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास से अयोध्या में मुलाकात की थी और दोनों के बीच बंद कमरे में एक घंटे तक बातचीत हुई थी।
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