केंद्र सरकार ने इस साल देश में हुए सांप्रदायिक दंगों में मारे गए और घायल हुए लोगों का धर्म आधारित आंकड़ा जारी किया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी हिसाब-किताब के मुताबिक, देश में इस साल 479 दंगे हुए जिनमें 66 मुस्लिम और 41 हिंदुओं समेत 107 लोगों की जान गई। संघर्ष में 794 हिंदू, 703 मुसलमानों समेत 1697 लोग घायल हुए हैं। दंगों व संघर्ष को रोकने की कोशिश में दो सौ पुलिसवाले भी खून से लथपथ हुए हैं। यह पहला मौका है जब सरकार ने दंगों में मारे गए हिंदू और मुसलमानों का अलग अलग ब्योरा दिया है।
गृह मंत्रालय की ओर से जारी दस्तावेजों के मुताबिक, 15 सितंबर 2013 तक उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर समेत देश भर में 479 दंगे हुए, जिसमें 107 लोग काल का ग्रास बने। सबसे ज्यादा 62 लोग उप्र में काल का ग्रास बने। लड़की से छेड़छाड़ और फिर तीन लोगों के कत्ल के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भड़के दंगों में 42 मुस्लिमों और 20 हिंदुओं की जान गई। मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से सितंबर के दौरान सूबे में 93 दंगे व तनाव की 108 घटनाएं घटीं जिनमें 219 मुस्लिम और 134 हिंदू घायल हुए।
बिहार में इस साल अब तक सांप्रदायिक उपद्रव की 40,तनाव की 25 घटनाएं सामने आयीं। दंगों में पांच हिंदुओं, चार मुस्लिमों समेत 9 की मौत हुई। 123 हिंदू और 66 मुसलमान घायल हुए। नरेंद्र मोदी शासित राज्य गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा की 54 और तनाव की 21 घटनाओं में तीन हिंदू और तीन मुस्लिमों समेत 6 के प्राण गए। 85 हिंदू, 57 मुस्लिम व पांच पुलिसकर्मी घायल हुए। कांग्रेस शासित राज्य महाराष्ट्र में सांप्रदायिक उपद्रव की 56 और तनाव की 100 घटनाएं घटीं, जिनमें तीन हिंदू और सात मुसलमान काल का ग्रास बने। 101 हिंदू, 106 मुस्लिम व 64 पुलिसकर्मी घायल हुए। आंकड़ों के मुताबिक, देश में वर्ष 2012 में सांप्रदायिक उपद्रव की 640 घटनाएं घटी थी, जिनमें 48 मुस्लिम और 44 हिंदुओं समेत 93 लोगों की मौत हुई थी। 1010 हिंदू, 787 मुस्लिम, 222 पुलिसकर्मी और 48 अन्य समेत 2067 लोग घायल हुए थे।
''पीड़ितों की गणना धर्म के आधार पर किया जाना सही नहीं। यह पंथनिरपेक्ष सरकार की मूल भावना के खिलाफ है।''
-आरके सिंह, पूर्व केंद्रीय गृह सचिव
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