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हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से पेश दलील सुनने के बाद प्रणेश पिल्लई उर्फ़ जावेद शेख़ के पिता गोपीनाथ पिल्लई की अदालत की अवमानना की याचिका ख़ारिज कर दी.इशरत जहाँ और जावेद शेख़ सहित चार लोगों को अहमदाबाद के बाहरी हिस्से में पुलिस ने मार दिया था.
पुलिस का कहना है कि वे चरमपंथी थे और नरेंद्र मोदी को मारने के इरादे से अहमदाबाद आए थे. लेकिन इशरत जहाँ और अन्य लोगों के संबंधी इसे ग़लत बताते हैं और दावा करते रहे हैं कि पुलिस ने फ़र्ज़ी मुठभेड़ में उन्हें मारा था.
गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि राज्य के गृहमंत्रालय ने एसआईटी के गठन की अधिसूचना 16 नवंबर को जारी कर दी थी और 19 नवंबर को राज्य गजट में इसकी अधिसूचना भी प्रकाशित कर दी गई है.हाईकोर्ट ने पहले ही एसआईटी के गठन के आदेश दिए थे. इसके अनुसार इसका नेतृत्व दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्रन करनैल सिंह करेंगे और राज्य के दो पुलिस अधिकारी मोहन झाकोलिया और सतीश वर्मा इसके सदस्य होंगे.
अधिसूचना में यह साफ़ कर दिया गया है कि एसआईटी प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से ऐसे किसी पुलिस अधिकारी की मदद नहीं लेगी जिसका इस मुठभेड़ से कोई संबंध रहा हो.हाईकोर्ट ने गत सितंबर में एसआईटी का गठन कर दिया था और कहा था कि दो हफ़्ते के भीतर इसकी अधिसूचना जारी हो जानी चाहिए और तीन महीने के भीतर एसआईटी हाईकोर्ट को रिपोर्ट करे.गुजरात सरकार ने इस आदेश का पालन करने के स्थान पर इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी कि एसआईटी के गठन का अधिकार राज्य सरकार को है न कि हाईकोर्ट को.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 12 नवंबर को यह याचिका ख़ारिज कर दी थी और राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वह हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करे.यह मामला हाईकोर्ट में भी तब पहुँचा था जब एक निचली अदालत ने इशरत जहाँ मुठभेड़ के मामले पर सुनवाई करने के बाद इसे फ़र्ज़ी मुठभेड़ क़रार दिया था और राज्य सरकार ने इस फ़ैसले को चुनौती दी थी.हाईकोर्ट ने हालांकि इस फ़ैसले पर रोक लगा दी थी लेकिन इसकी जाँच के लिए एसआईटी के गठन के आदेश दिए थे.
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