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भारतीय रेल के आ गए अच्छे दिन, पढ़िए कैसे ?


रेल पटरियों की त्रुटियों का समय पर पता लगाने के लिए स्थिति आधारित निगरानी प्रणाली लागू करने की भारतीय रेल की योजना 

रेलवे बोर्ड के मेंबर मैकेनिकल ने इस निगरानी प्रणाली को रेलगाड़ियों के संचालनों में सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया 

बिजली एवं डीजल दोनों से चलने वाली एक लोकोमोटिव का भी विकास किया जा रहा है 

रेलवे बोर्ड के मेंबर मैकेनिकल श्री हेमंत कुमार ने आज रेलवे के मैकेनिकल डायरेक्टोरेक्ट द्वारा हाल में शुरू की गई नवीन पहलों की सूची की जानकारी देने के लिए यहां एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया। श्री हेमंत कुमार ने कहा कि रेलवे, रेल पटरियों की त्रुटियों का समय पर पता लगाने के लिए तथा पटरियों की स्थानीय रूप से निगरानी करने के लिए एक स्थिति आधारित निगरानी प्रणाली लागू करने की योजना बना रही है। श्री हेमंत कुमार ने रेल ईटीरियरों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एवं अंतर्राष्ट्रीय रेल उपकरण प्रदर्शनी (आईआरईई) नामक हाल में आयोजित दो सम्मेलनों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। श्री हेमंत कुमार ने यह भी बताया कि वाराणसी के डीजल लोकोमोटिव वर्क्स में बिजली एवं डीजल दोनों से चलने वाली एक लोकोमोटिव का भी विकास किया जा है। यह लोको न केवल संचालनों को अधिक लचीला बनाकर प्रवाह क्षमता बनाएगा, बल्कि इसका परिणाम ईंधन की बचत के रूप में भी सामने आएगा। रेलवे बोर्ड के मेंबर मैकेनिकल द्वारा उद्धृत बिन्दुओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार हैः

1. हाल के सम्मेलन:

क. रेल ईटीरियरों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन- का आयोजन 9 एवं 10 अक्टूबर, 2015 को कोच ईंटीरियरों में नई अवधारणाओं और प्रौद्योगिकियों को साझा करने एवं संभावनाओं की तलाश करने के लिए किया गया था, जिसका उद्देश्य यात्रियों को बेहतर आराम एवं सुरक्षा मुहैया कराना था।

ख. अंतर्राष्ट्रीय रेल उपकरण प्रदर्शनी (आईआरईई)- का आयोजन 14 से 16 अक्टूबर, 2015 तक भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से किया गया। आईआरईई के लिए जापान साझेदार देश था। इसमें 20 देशों के प्रदर्शकों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया और रेलवे से संबंधित नवीनतम प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित करते हुए लगभग 400 स्टॉल लगाए गए।

इन दोनों सम्मेलनों में कोच ईंटीरियरों के लिए निम्नलिखित विषयों की पहचान की गई, जिससे कि वेंडरों का और अधिक मूल्यांकन, क्रियान्वयन और विकास किया जा सकेः

  1. टिकाऊ और अग्निरोधी कुशनों जैसी नई फर्निशिंग सामग्रियां
  2. श्रम-दक्षता की दृष्टि से डिजाइन किए गए बर्थ एवं सीट
  3. आग का पता लगाने एवं उसे बुझाने की प्रणालियां
  4. कोच के विभाजन एवं दीवारों के लिए नई सामग्री एवं डिजाइन की अवधारणा
  5. स्क्रैच रोधी कोटिंग्स
  6. थर्मल एवं ध्वनि रोधक सामग्रियां एवं पेन्टस चादरों के लिए गंदगी रोधी एवं टिकाऊ सामग्रियां
  7. ज्ञानरंजन प्रणालियां
  8. सुरक्षा प्रणालियां
  9. कंपोजिट्स जैसी हल्के वजन की सामग्रियां


इन विषयों का और आगे अनुसरण किया जाएगा तथा उनके क्रियान्वयन योजना पर एक महीन के भीतर फैसला कर लिया जाएगा।

2. स्थिति आधारित निगरानी प्रणाली:

भारतीय रेलवे रेल पटरियों की त्रुटियों का समय पर पता लगाने के लिए तथा पटरियों की स्थानीय रूप से निगरानी करने के लिए एक स्थिति आधारित निगरानी प्रणाली लागू करने की योजना बना रही है। इस प्रणाली में दो उप-प्रणालियां-ऑनबोर्ड प्रणाली तथा रोडसाइड प्रणाली। ऑनबोर्ड प्रणाली रॉलर बियरिंग्स, कोच संस्पेंशन एवं अस्थानीय पटरियों से संबंधित त्रुटियों का पता लगाएगी, जबकि रोडसाइड प्रणाली पहियों की त्रुटियों, लटकते हिस्सों, टूटे स्प्रंगस आदि का पता लगाएगी।

कोच के पानी के टेंकों में जल स्तर संकेतक लगाने की योजना है, जिससे कि यात्रियों को होने वाली असुविधाओं को समय पर दूर किया जा सके। टेंक भरते समय यह जल की बर्बादी को भी कम करने में सहायक होगा।

3. यात्रियों की सुविधा के लिए अन्य कदम

i) रेलगाडि़यों में सफाई के लिए उठाए गए कदम

ऑन बोर्ड हाउस कीपिंग सेवाएं (ओबीएचएस):

कुल मिलाकर 571 रेलगाडि़यों में यह सुविधा उपलब्‍ध कराई है जिसमें 2015-16 के दौरान उपलब्‍ध कराई गई 46 रेलगाडि़यां भी शामिल हैं। 140 अन्‍य रेलगाडि़यों की भी इसके लिए पहचान की गई है इससे यह सुविधा वाली रेलगाडि़यों की कुल संख्‍या 711 हो जाएगी। ओबीएचएस के प्रावधान के मानदंडों को अब अभी हाल ही में संशोधित किया गया है जिससे सभी मुख्‍य रेलगाडि़यों में यह सुविधाएं लागू की जा सकें। ऐसा करने से लगभग 414 और अधिक रेलागाडि़यों में यह सुविधा उपलब्‍ध होने से 2016-17 तक ऐसी रेलगाडि़यों की कुल संख्‍या 1125 हो जाएगी।

स्‍वच्‍छ रेल स्‍टेशन योजना (सीटीएस):

भारतीय रेलों में पहचान किए गए 43 स्‍थलों में से 37 सीटीएस कार्यरत हैं और शेष स्‍टेशनों के लिए निविदाएं प्रक्रियाधीन हैं।

रेलगाडि़यों में कचरा निस्‍तारण थैलों का प्रावधान:

ए. मध्‍य और उत्‍तरी रेलवे में बजट घोषित, पायलट परीक्षण पहले ही शुरू हो चुके हैं। कुछ रेलगाडि़यों में परीक्षण की योजना है।
बी.  दोहरे उद्देश्‍य के लिए लीनेन थैलों को पुन: डिजाइन किया गया है।
सी. यात्रियों से सकारात्‍मक फीडबैक मिल रहा है।

लांड्रीज:

·ए. 38 लांड्रीज पहले स्‍थापित की जा चुकी हैं। इस वर्ष लगभग 10 और लांड्री शुरू किए जाने की उम्‍मीद है। अगले दो वर्षों के दौरान कुल 64 लांड्रीज स्‍थापित करने की योजना है।

·बी. मैसूर, चंडीगढ़, लखनऊ, वाराणसी, डिब्रूगढ़, अमृतसर और तिरूपति में कार्य प्रगति पर है।
·
ii) डिब्‍बों में बायो-टॉयलट का प्रावधान:

अभी तक 8700 डिब्‍बों में 25,500 बायो-टॉयलेट फिट किए गए हैं। इनमें से इस वर्ष सितंबर तक 5700 बायो-टॉयलेट फिट किए गए हैं। इंटेग्रल कोच फैक्‍ट्री और रेलकोच फैक्‍ट्री कपूरथला अब सभी डिब्‍बों में केवल बायो-टॉयलेट ही लगा रहा है।

iii) अनुभूति डिब्‍बों का निर्माण:

बजट में घोषित अनुभूति क्‍लास रेल डिब्‍बों (प्रोटोटाइप) की आईसीएफ चेन्‍नई में योजना बनाई गई है।

iv) उन्‍नत इंटीरियर वाले मॉडल रेक:

उन्‍नत सुविधाओं युक्‍त पहले मॉडल रेक को बीपीएल वर्कशाप में तैयार किया जाएगा।

v) डेमू युक्‍त वातानुकूलित डिब्‍बा:

इस वर्ष आईसीएफ ने डेमू युक्‍त वातानुकूलित डिब्‍बों का निर्माण शुरू किया है।

vi) 1 (डीपीसी) + 4 टीसी विन्‍यास युक्‍त 1600 एचपी देश में विकसित 3 फेस एसी-एसी डेमू को अपनाना-1+3 ऑफ 1400 एचपी-डीसी के सापेक्ष जिसे पिछले महीने तैयार किया गया है।
vii) 200 किमी./प्रति घंटे दौड़ने में उपयुक्‍त प्रोटोटाइप डिब्‍बा-आरसीपी में विकास के अंतर्गत है।

4. पर्यावरण संक्षरण के लिए कदम:

i) बायोडीजल-5 प्रतिशत बायोडीजल सम्मिश्रण लागू किया गया है। 13 रेलों द्वारा 6200 किलो लीटर के आदेश दिए गए हैं जिनमें से 1200 किलो लीटर की आपूर्ति की गई है।

ii) सौर ऊर्जा का उपयोग- भारतीय रेल ने रेलवे कर्मशालाओें/उत्‍पादन इकाइयों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्‍थापित करने की पहल की है। 1.8 मेगावाट का एक ऐसा ही संयंत्र पटियाला स्थिति डीजल आधुनिकीकरण वर्क्‍स पर स्‍थापित किया जाएगा। बडनेरा विशाखापट्टनम और विदिशा स्थिति वैगन पीओएच कर्मशालाओं में सौर पीवी पैनल लगाए जा रहे हैं।

iii) ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली के लिए प्रत्‍यायन - 3 सार्वजनिक उपक्रम और एक वर्कशाप को ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली आईएसओ 50001 पर प्रत्‍यायन के लिए पायलट आधार पर कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।

iv) वाटर रिसाइक्लिंग संयंत्र – 2014-15 तक 29 स्‍थानों पर वाटर रिसाइक्लिंग संयंत्र उपलब्‍ध कराए गए हैं जिससे प्रतिदिन 12 मिलियन लीटर जल की प्रतिदिन बचत हो रही है। 2015-16 के दौरान 10 प्रमुख डिपो और 32 प्रमुख स्‍टेशनों पर वाटर रिसाइक्लिंग संयंत्र लगाने की स्‍वीकृति दी गई है।

v) ऊर्जा रूपांतरण संयंत्रों के लिए अपशिष्‍ट – नई दिल्‍ली और जयपुर में दो पायलट संयंत्र स्‍थापित करने के लिए परियोजना प्रबंधन कार्य राइट्स को सौंपा गया है। जिसने सौंपी गई मसौदा रिपोर्ट में प्रौद्योगिकी और कार्यप्रणाली का अध्‍ययन शुरू कर दिया है।

vi) डबल मोड लोकोमोटिव – बिजली और डीजल दोनों पर चलने वाले लोकोमोटिव का डीजल लोकोमोटिव वर्क्‍स वाराणसी में विकास किया जा रहा है यह लोकोमोटिव न केवल परिचालन को अधिक लचीला बनाएगा बल्कि प्रवाह क्षमता बढ़ने से ईंधन की बचत भी करेगा।

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