
फोर्ब्स मैगजीन ने उन्हें पिकासो ऑफ इंडिया कहा था। उन्होंने पिछले साल ही कतर की नागरिकता ले ली थी।उनका जन्म 1915 पंढरपूर में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा इंदौर में हुई।
चित्रकारी के प्रति बचपन से ही रुझान को देखते हुए उन्होंने 1935 में मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया।उनकी उपलब्धियों को देखते हुए 1966 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा। 1973 में उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।
सांप्रदायिकता फ़ैलाने वाले का अन्त हुआ।
ReplyDeleteहिंदुत्व और भारतीयता के प्रति घ्रणा की मानसिकता रखने वाला ब्यक्ति, हमारे आराध्य देवी-देवताओं और भारत माता का अपमान करनेवाला, कानून का भगोड़ा, ..... ऐसे ब्यक्ति की मौत पर किसी भी प्रकार की सहानुभूति भारतीयता का अपमान है.
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