चैतन्य महाप्रभु के आगमन की 500 वीं जंयती पर स्मारक और प्रचलन सिक्के जारी


संस्कृति मंत्रालय ने वृंदावन में श्री चैतन्य महाप्रभु के आगमन की 500 वीं जंयती पर स्मारक और प्रचलन सिक्के जारी किए 

संस्कृति सचिव श्री नरेन्द्र कुमार सिन्हा ने “वृंदावन में श्री चैतन्य महाप्रभु के आगमन की 500 वीं जंयती” पर वर्ष भर चलने वाले समारोहों के मद्देनजर 500 रुपये के स्मारक गैर-प्रचलन सिक्के और 10 रुपये के प्रचलन सिक्के जारी किए।

भारत के प्रसिद्ध संत और समाज सुधारक श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने भक्ति योग के वैष्णव संप्रदाय की स्थापना की थी। उन्होंने जो भक्ति आंदोलन शुरू किया था, उसका उद्देश्य मध्य युगीन भारत में व्याप्त जातिवाद की बुराइयों और सामंती प्रणाली का उन्मूलन करना था। श्री चैतन्य महाप्रभु ने भगवान श्री कृष्ण की उपासना का प्रचार किया और “हरे कृष्ण मंत्र” के जाप को लोकप्रिय बनाया। यह जाप बिना किसी भेदभाव के कोई भी कर सकता है।

वर्ष 1515 में श्री चैतन्य महाप्रभु वृंदावन में पधारे थे और उनका उद्देश्य भगवान श्री कृष्ण से जुड़े सभी पवित्र स्थानों को खोजना था। माना जाता है कि अपनी आध्यात्मिक शक्ति से श्री चैतन्य महाप्रभु ने भगवान श्री कृष्ण से जुड़े सभी स्थानों को खोज निकाला और धार्मिक परंपरा की प्राचीन पवित्रता को दोबारा स्थापित किया।

भारत सरकार वृंदावन में श्री चैतन्य महाप्रभु के आगमन की 500 वीं जंयती मना रही है। जिसके तहत विभिन्न कार्यक्रमों तथा वृंदावन अनुसंधान संस्थान तथा इस्कॉन के सहयोग से श्री चैतन्य महाप्रभु के जीवन एवं शिक्षाओं पर प्रदर्शनियों का आयोजन किया जा रहा है। उद्घाटन समारोह 25 नवम्बर, 2015 को वृंदावन में आयोजित किया गया। यह आयोजन वृंदावन अनुसंधान संस्थान ने किया था। 

एक दूसरा कार्यक्रम वृंदावन अनुसंधान संस्थान ने 5 – 7 नवम्बर, 2016 को श्री चैतन्य महाप्रभु के जन्म स्थान मायापुर, नादिया में किया था। “श्री चैतन्य प्रेम रथ” नामक चलित प्रदर्शनी 8 फरवरी, 2016 को वृंदावन से रवाना हुई थी, जो उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा के विभिन्न स्थानों से गुजरते हुए 9 मार्च, 2016 को दिल्ली पहुंची थी। दिल्ली के इस्कॉन ने इस अवसर पर यहां 28 मई, 2016 को एक अलग समारोह का आयोजन किया था। सभी उपरोक्त कार्यक्रमों को संस्कृति मंत्रालय ने प्रायोजित किया था।

संस्कृति मंत्रालय ने नैमिष्‍य पुरस्‍कार के लिए RSS को मंजूरी देने का खंडन किया


नैमिष्‍य सम्‍मान पुरस्‍कार की मंजूरी देने के संबंध में मीडिया के एक वर्ग में तथ्‍यात्‍मक रूप से गलत सूचना प्रकाशित होने के बारे में संस्कृति मंत्रालय का स्‍पष्‍टीकरण 

मीडिया के एक वर्ग में ऐसी रिपोर्ट प्रकाशि‍त हुई है कि संस्‍कृति मंत्रालय ने नैमिष्‍य पुरस्‍कार स्‍थापित करने के लिए आरएसएस की सांस्कृतिक इकाई को अपनी मंजूरी दे दी है और इन पुरस्‍कारों के पहले संस्‍करण को शुरू करने के लिए अगले महीने राष्‍ट्रीय संस्कृति महोत्‍सव के रूप में एक भव्‍य आयोजन वाराणसी में आयोजित किया जायेगा। यह समाचार पूरी तरह से गलत और असत्‍य है। 

मीडिया के एक वर्ग ने यह समाचार संस्कृति मंत्रालय के अधिकृत सूत्रों से पुष्टि किये बिना ही प्रकाशित किया है। इससे संस्कृति मंत्रालय के हितधारकों और आम जनता के मन में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।

इस संदर्भ में संस्‍कृति मंत्रालय यह स्‍पष्‍ट करना चाहता है कि शान्ति, मानव अधिकार, साहित्‍य, अभिनय कला, विज्ञान और शिक्षा के संबंध में नैमिष्‍य सम्‍मान शुरू करने के बारे में कहीं से भी कोई प्रस्‍ताव प्राप्‍त नहीं हुआ है। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि इस मंत्रालय ने नैमिष्‍य सम्‍मान स्‍थापित करने के लिए कोई बजट आवंटित नहीं किया है।

संस्कृति मंत्रालय यह भी स्‍पष्‍ट करना चाहता है कि राष्ट्रीय संस्कृति महोत्‍सव की अवधारणा इस मंत्रालय को 2015 में प्राप्‍त हुई थी इसका उद्देश्‍य कला और शिल्‍प, व्‍यंजन, संगीत और नृत्य आदि सहित भारतीय संस्‍कृति के सभी पहलुओं का प्रदर्शन करना है। नवंबर 2015 में आयोजित प्रथम राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव की भव्य सफलता के बाद मंत्रालय ने इस देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के सभी विभिन्‍न आयामों का प्रदर्शन करने के उद्देश्‍य से अक्‍टूबर 2016 में एक बार फिर इसका आयोजन किया गया है। 

चालू वित्त वर्ष में राष्‍ट्रीय संस्‍कृति महोत्‍सव का वाराणसी में 10 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट से तथा जम्‍मू-कश्‍मीर, अरुणाचल प्रदेश और कनार्टक में 5-5 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट से आयोजन किया जायेगा। यह भी उल्‍लेखनीय है कि नैमिष्‍य सम्‍मान राष्‍ट्रीय संस्‍कृति महोत्‍सव का हिस्‍सा नहीं है।

संस्‍कृति मंत्रालय एक वर्ष के लिए मना रहा है नानाजी देशमुख की जन्म शताब्दी


संस्कृति मंत्रालय 11 अक्‍तूबर, 2016 से 11 अक्‍तूबर 2017 तक "नानाजी देशमुख की जन्म शताब्दी का आयोजन कर रहा है। इस अवधि के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित किया जाएगा। इस स्मरणोत्सव के तहत गतिविधियों के एक हिस्‍से के रूप में आज नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय, नई दिल्ली में उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। हरियाणा के राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने मुख्य अतिथि के रूप में इस समारोह की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम में केन्‍द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती, संस्कृति और पर्यटन राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) डॉ महेश शर्मा, संस्कृति मंत्रालय में सचिव श्री एन. के. सिन्हा और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी और अन्य मेहमानों ने नानाजी देशमुख पर आयोजित फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया और उसके बाद दीप प्रज्जवलित करके महान नेता नानाजी देशमुख को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी और विशेष अतिथि सुश्री उमा भारती ने नानाजी देशमुख के जीवन से संबंधित विभिन्न पहलुओं के बारे में प्रकाश डाला। उन्‍होंने नानाजी देशमुख के साथ अपनी-अपनी यादों और अच्‍छे संबंधों के बारे में जानकारी साझा की।

सभा को संबोधित करते हुए संस्कृति मंत्री, डॉ महेश शर्मा ने कहा कि नानाजी देशमुख एक महान व्यक्ति थे, जिन्‍होंने यह साबित कर दिया है कि अगर किसी भी कार्य को राष्ट्रवाद की भावना के साथ किया जाता है तो उसकी सफलता निश्चित रहती है। वे चाहते थे कि समाज के गरीब से गरीब व्यक्ति तक सभी सुविधाओं का लाभ पहुँचना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार ने चित्रकूट के पर्यटन के विकास के लिए 43 करोड़ की राशि स्‍वीकृत की है। संस्कृति मंत्रालय आईजीएनसीए, जनपथ, नई दिल्ली के परिसर में 15 से 23 अक्टूबर 2016 तक ग्रामीण भारत पर आधारित राष्‍ट्रीय संस्कृति महोत्‍सव-2016 का आयोजन कर रहा है। इस महोत्‍सव में भारतीय कला और परंपराओं के प्रदर्शन के अलावा संस्कृति मंत्रालय के अधीन सभी सातों क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केन्‍द्र, कला और संस्‍कृति के शो आयोजित करेंगे और विभिन्‍न स्‍टालों के माध्‍यम से खाद्य संस्‍कृति का भी प्रदर्शन किया जाएगा।

नानाजी देशमुख द्वारा स्थापित दीनदयाल उपाध्याय अनुसंधान संस्थान के महासचिव श्री अतुल जैन ने सभा को संबोधित किया और नानाजी देशमुख के जीवन पर प्रकाश डाला। संस्‍कृति सचिव श्री एन. के. सिन्हा ने इस अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन दिया।

संस्‍कृति मंत्रालय ने विदेश में भारत महोत्‍सव के लिए आवेदन आमंत्रित किए

अंतरराष्‍ट्रीय सांस्‍कृतिक संबंधों को मजबूत करने और भारत की सॉफ्ट पावर बढ़ाने की ध्‍यान केंद्रित रणनीति के हिस्‍से के रूप में विदेश में भारत महोत्‍सवों (एफओआई) के आयोजन की जिम्‍मेदारी संस्‍कृति मंत्रालय पर ही है। यह योजना मंत्रालय द्वारा वर्ष 2013 में पुन: शुरू की गई थी। भारत महोत्‍सव में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में आमतौर पर नृत्‍य, संगीत, थियेटर, फिल्‍म, खाद्य पदार्थ, साहित्‍य महोत्‍सव, योग प्रदर्शन, लोक कला, कला प्रदर्शन, प्रदर्शनियां व कार्यशालाएं इत्‍यादि शामिल होते हैं। उल्‍लेखनीय है कि भारत महोत्‍सव के तहत मुख्‍य रूप से स्‍थानीय लोगों को जोड़ने और उनके मन में भारत के प्रति धारणा को बेहतर करने पर ध्‍यान केंद्रित किया जाता है।

विदेश में स्थित भारतीय मिशनों के जरिये विभिन्‍न देशों में भारत महोत्‍सव का आयोजन किया जाता है। इस तरह के प्रयासों के तहत स्‍वायत्‍त संगठन, निजी संस्‍थान/एनजीओ/विश्‍वविद्यालय/विभिन्‍न तरह के लोग भारत महोत्‍सव को सफल बनाने में अपनी ओर से अहम योगदान करते हैं।

संस्‍कृति मंत्रालय विदेश में स्थित प्रमुख क्रियान्‍वयनकारी एजेंसी भारतीय मिशनों से संपर्क साध कर भारत महोत्‍सव के लिए उनकी इस दिलचस्‍पी से अवगत होता है कि क्‍या वे अपने देश में इसका आयोजन करना चाहते हैं। मंत्रालय उनके अवलोकन/चयन के लिए उन्‍हें प्रस्‍तावित कार्यक्रमों की सूची भेजता है।

संस्‍कृति मंत्रालय में भारत महोत्‍सव से जुड़ा प्रकोष्‍ठ एक समेकित प्रस्‍ताव पेश करने के लिए सभी संबंधित प्रतिभागी एजेंसियों के साथ समन्‍वय स्‍थापित करता है। इस प्रस्‍ताव में तैयारियों के संभावित पहलुओं के बारे में विस्‍तृत जानकारियां होती हैं, जिनमें समारोह स्‍थल से लेकर कार्गो के संचालन एवं बजटीय आवश्‍यकताएं तक शामिल होती हैं।

विदेश में होने वाले भारत महोत्‍सव में भाग लेने की इच्‍छुक सभी एजेंसियों से यह आग्रह किया जाता है कि वे इस संबंध में संस्‍कृति मंत्रालय की वेबसाइट: http://www.indiaculture.nic.in/  पर अवश्‍य जाएं और विदेश में होने वाले भारत महोत्‍सव में कलाकारों/कार्यक्रमों को शामिल करने के लिए एक निर्धारित प्रारूप में कार्यक्रमों/प्रदर्शन का ब्‍यौरा तय समय में संस्‍कृति मंत्रालय के भारत महोत्‍सव (एफओआई) प्रकोष्‍ठ को निश्चित तौर पर दें। हर कार्यक्रम के लिए लिंक के साथ एक संक्षिप्‍त अवधारणा प्रपत्र को भी शामिल किया जा सकता है। जिन कलाकारों ने पहले से ही आवेदन कर रखा है और जिन्‍हें मंत्रालय की ओर से ग्रेडिंग प्राप्‍त है, उन्‍हें फिर से आवेदन करने की कोई जरूरत नहीं है।

सीडी/डीवीडी के साथ प्रस्‍ताव की हार्ड कॉपी निम्‍नलिखित पते पर भेजी जानी चाहिए: संस्कृति मंत्रालय, भारत महोत्सव प्रकोष्‍ठ - आईसीआर प्रभाग, केंद्रीय सचिवालय पुस्तकालय, प्रथम  तल, शास्त्री भवन, नई दिल्ली -110001। इसके साथ ही एमएस वर्ड डॉक्‍यूमेंट में एक सॉफ्ट कॉपी भी ईमेल के जरिये  foicell-culture@gov.in पर भेजी जानी चाहिए।    

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