सुगम्य डिजिटल भारत की तरफ एक कदम आगे बढ़ते हुए ‘सुगम्य पुस्तकालय’ (दृष्टिबाधित लोगों के लिए एक ऑनलाइन पुस्तकालय) का शुभारंभ आज विधि एवं न्याय और संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने किया। समाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय के विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा आयोजित एक समारोह में इस पुस्तकालय की शुरूआत की गई। इस समारोह की अध्यक्षता सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने की। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर और सामाजिक न्याय और आधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर और श्री रामदास अठावले मुख्य अतिथि थे। उद्घाटन समारोह से पहले सुगम्य डिजिटल भारत पर एक पैनल परिचर्चा का आयोजन भी हुआ।
इस अवसर पर श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह सूचना और प्रौद्योगिकी का दौर है क्योंकि यह दोनों ही बड़ी शक्तियां है। डिजिटल इंडिया के माध्यम से हम संपन्न और वंचितों के बीच के अंतर को खत्म करने का प्रयास कर रहे है। हमनें देश में सामान्य सेवा केन्द्रों से दिव्यांगजनो को जोड़ा है साथ है राष्ट्रीय सूचना केन्द्र दिव्यांगजनों के अनुकूल 100 सरकारी वेबसाइट बनाने की प्रक्रिया में है, जिनमें से 16 को पहले ही दिव्यांगजनों के इस्तेमाल में आसान बना दिया गया है। उन्होंने गैर-सरकारी संगठनों और नागरिकों से सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव देने के लिए ‘My Gov’ वेबसाइट इस्तेमाल करने का भी आह्वन किया।
वहीं थावरचंद गहलोत ने कहा कि उनका मंत्रालय सुगम्य भारत अभियान के लिए प्रतिबद्ध है और कई शहरों में इमारतों को सुगम्य बनाया जाएगा। 6 लाख से भी ज्यादा दिव्यांगजनों को उपकरण दिए गए है। जबकि ऐसे लोगों को सम्मानित करने के लिए चार हजार शिविर भी लगाए गए हैं। दिव्यांगजनों और समाज के दबे-कुचले लोगों को ऊपर उठाने के लिए यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 18 नई ब्रेल प्रिंटिंग प्रेस स्थापित करने के लिए अनुमति दे दी गई है। त्रिवेंद्रम के दिव्यांग कॉलेज को दिव्यांग विश्वविद्यालय में परिवर्तित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वाराणसी में जब 1500 दिव्यांगजनों को उपकरण वितरित किए जाएगे तो यह एक विश्व रिकॉर्ड होगा।
अपने संबोधन में मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि उनका मंत्रालय दिव्यांगजनों को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि उनका पहला दीक्षांत संबोधन चित्रकूट में दिव्यांग विश्वविद्यालय में होगा।
इस अवसर पर श्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि दिव्यांगजनों को लोगों की दया की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उन्हें प्यार, स्नेह और सहायता चाहिए। सुगम्य पुस्तकालय की शुरूआत के जरिए उन्हें महत्वपूर्ण जानकारी हो सकेगी। साथ ही इस पहल में प्रकाशकों का सहयोग भी उन्होंने मांगा।
श्री रामदास अठावले ने कहा कि समाज के दिव्यांगजनों और पिछड़ों के हितों और बेहतरी के लिए काम करना उनके मंत्रालय की पहली प्राथमिकता है। साथ ही उन्होंन उम्मीद जताई कि यह पहल अपना लक्ष्य हासिल करेगी।
इस अवसर पर सक्षम ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्ट्री श्री दीपेन्द्र मनोचा ने ई-लाइब्रेरी सुगम्य पुस्तकालय पर एक संक्षिप्त प्रस्तावना पेश की।
"सुगम्य पुस्तकालय" एक ऑनलाइन मंच है, जहां पर प्रिंट विकलांग लोगों के लिए सुलभ सामग्री उपलब्ध करायी जाती है। इस पुस्तकालय में विविध विषयों और भाषाओं तथा कई सुलभ प्रारूपों में प्रकाशन उपलब्ध है। इसे डेज़ी फोरम ऑफ इंडिया संगठन के सदस्यों और टीसीएस एक्सेस के सहयोग से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग द्वारा तैयार किया गया है। यहां पर दृष्टिहीन और अन्य प्रिंट विकलांग लोगों के लिए सुलभ प्रारूपों में पुस्तकें उपलब्ध हैं। विविध भाषाओं में दो लाख से अधिक किताबें हैं। देश और दुनिया भर में सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय पुस्तकालय, बुकशेयर सहित पुस्तकालयों का एकीकरण किया जा रहा है।
अंतिम उपयोगकर्ता यानि प्रिंट विकलांग व्यक्ति के मामले में: अब अगर प्रिंट विकलांग जन किताब पढ़ना चाहता है तो इसके लिए उसे किसी पढ़ कर सुनाने वाले व्यक्ति या स्कैन और संपादन करने के लिए स्वयंसेवकों की तलाश करने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। सुगम्य पुस्तकालय पर शीघ्र खोज के बटन को क्लिक करते ही उसे अपनी पसंद की पुस्तके मिल जायेंगी। इसके लिए उसे डीएफआई संगठन में प्रिंट विकलांग सदस्य के रूप में पंजीकरण करवाना होगा। जिसके बाद वह अपनी सदस्यता के जरिये पुस्तक डाउनलोड कर सकता है या ऑफ लाइन खरीद सकता है। वह एक बटन क्लिक कर पुस्तकालय की सभी किताबों तक पहुंच सकता है। मोबाइल फोन, टेबलेट, कम्प्यूटर, डेजी प्लेयर जैसे अपनी पसंद के किसी भी उपकरण पर ब्रेल लिपि में भी पुस्तकें पढ़ी जा सकती है। ब्रेल प्रेस वाले संगठन के सदस्य के जरिये वे ब्रेल लिपि की प्रतिलिपि भी मंगवा सकते हैं।
स्कूल/कॉलेज/पुस्तकालय के मामले में : विश्वविद्यालय, स्कूल पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय या इस प्रकार के अन्य संस्थान डीएफआई के सदस्य बन सकते हैं अथवा अपने प्रिंट विकलांग सदस्यों या छात्रों को सुगम्य पुस्तकालय का पूरा संग्रह उपलब्ध कराने के लिए ऑन लाइन पुस्तकालय के सदस्य बन सकते हैं। शैक्षिक संस्थान भी इस पुस्तकालय में अपने छात्रों के लिए सुलभ प्रारूप में उपलब्ध कराने के लिए तैयार की गई पुस्तकों का योगदान दे सकते हैं ताकि अन्य संस्थानों के छात्रों को भी वही पुस्तकें उपलब्ध हो सके और कई स्थानों पर ऐसी पुस्तकों को दोबारा तैयार करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी।
प्रकाशक/सरकारी प्रकाशक/पाठ्य पुस्तक प्रकाशक के मामले में : ये लोग विकासशील देश में सबसे अधिक पहुंच वाले ऑन लाइन पुस्तकालय का निर्माण कर इतिहास का एक हिस्सा बन सकते हैं। प्रिंट विकलांग लोगों को शामिल कर अपने पाठक आधार को बढ़ाने के लिए वे अपने प्रकाशनों को सुलभ प्रारूपों में सुगम्य पुस्तकालय पर साझा कर सकते हैं। पुस्तकालय की पहले से ही रीडर्स डाइजेस्ट और इंडिया टूडे जैसे प्रकाशनों के साथ साझेदारी है और वह बड़ी संख्या में निजी और सरकारी प्रकाशन विभाग और प्रकाशनों के साथ नई साझेदारी करना चाहता है। पाठ्यपुस्तक प्रकाशन विभाग, राज्य पाठ्य पुस्तक बोर्ड (एससीईआरटी/ एनसीईआरटी) इस मंच के जरिये प्रिंट विकलांग छात्रों के लिए अपनी सामग्री उपलब्ध कराकर शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) के अंतर्गत अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर सकते हैं। सुगम्य पुस्तकालय से जो सामान्य प्रिंट नहीं पढ़ पाते हैं केवल उन्हें पुस्तकें देने से पुस्तकें संरक्षित रहेंगी।
गैर-सरकारी संगठन के मामले में : वे एक सदस्य के रूप में प्रिंट विकलांग लोगों के लिए पुस्तकालय सेवा शुरू कर सकते हैं और अपने सदस्यों को सुगम्य पुस्तकालय की पूरी सामग्री उपलब्ध करा सकते हैं।
कॉरपोरेट के मामले में : उनके कर्मचारी स्वयं अपनी इच्छा से सामग्री तैयार कर करोड़ो प्रिंट विकलांग लोगों की मदद कर सकते हैं। सूचना प्रोद्योगिकी उद्योग सभी भारतीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री के लेखन और पाठन में खामियों को दूर करने के लिए प्रोद्योगिकी विकसित कर योगदान दे सकते हैं।
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