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कार्पोरेट सामाजिक दायित्व और निरंतरता पर दिशा-निर्देश


पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक उपक्रम विभाग (डीपीई) द्वारा भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कार्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) की अवधारणा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के निरंतर प्रयासों के चलते इसे देश भर में तेजी से अपनाया गया है। डीपीई ने समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी कर और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रबंधन के साथ नियमित बातचीत कर इसे लागू करने में सफलता प्राप्त की है। डीपीई ने अप्रैल, 2010 में सीएसआर पर पहले दिशा-निर्देश जारी कर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा अपने लाभ में से एक निर्धारित प्रतिशत को सीएसआर गतिविधियों के लिए रखने संबंधी दिशा-निर्देश बनाया था। इसके बाद डीपीई ने कंपनियों द्वारा स्वैच्छिक रूप से सीएसआर को जिम्मेदारी भरे व्यवसाय के रूप में अपनाने का प्रयास किया। सभी अंशधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद डीपीई ने सीएसआर और निरंतरता पर एक अप्रैल, 2013 से प्रभावी संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए। इसमें विश्व स्तर पर चल रहे सर्वोत्तम प्रयासों को जहां सम्मिलित किया गया, वहीं घरेलू सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं पर ध्यान केन्द्रित रखा गया। परिणामस्वरूप डीपीई दिशा-निर्देशों का प्रयोगकर्ताओं, अंशधारकों और सीएसआर विशेषज्ञों ने स्वागत किया, वहीं अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी प्रशंसा हुई और सार्वजनिक उपक्रम विभाग को अंतर्राष्ट्रीय श्रोताओं के सामने अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित भी किया गया।

कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्वों और निरंतरता पर सार्वजनिक उपक्रम विभाग के दिशा-निर्देशों में समावेशी विकास, पिछड़े क्षेत्रों का विकास, समाज के कमजोर और पिछड़े वर्गों की उन्नति, महिलाओं के सशक्तीकरण, पर्यावरणीय निरंतरता और पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा बचाने वाली तकनीक और निरंतरता विकास के सभी विस्तृत पहलू सम्मिलित हैं। डीपीई दिशा-निर्देशों के द्वारा सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। हालांकि इसका प्रभाव जानने के लिए कोई विस्तृत अध्ययन नहीं किया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रबंधन द्वारा सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के तहत व्यवसाय करने, जिससे कि निरंतर विकास को बल मिले, संबंधी सुधार देखे गए हैं।

कंपनी विधेयक, 2013 में सीएसआर के विशेष प्रावधानों को सम्मिलित करने से डीपीई द्वारा इस संबंध में सभी अंशधारकों के साथ मिलकर इसका प्रचार करने और भारत जैसे विकासशील देश में इसका उचित क्रियान्वयन करने के प्रयासों का समर्थन हुआ है। कंपनी विधेयक-2013 में सभी कंपनियां जो लाभ के आधार पर आधारित मापदंडों को पूरा करती हो को सीएसआर गतिविधियों पर पिछले तीन साल के औसत शुद्ध लाभ का कम से कम दो प्रतिशत खर्च करना अनिवार्य किया गया है। भारत संभवतः ऐसा पहला देश है, जिसने कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व को अनिवार्य रूप से पूरा करने के लिए कानून बनाया है। सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम विभाग इस संबंध में अध्ययन कर सीएसआर के क्रियान्वयन को लागू करने और निरंतर विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य कर रहा है। 

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