अंंतरराष्ट्रीयवाद निराधार नहीं है, अपितु वह सनातन धर्म से भारित है !
योगी अरविंद की संकल्पना में भारत में तथाकथित धर्मनिरपेक्षता, मतपेटी की राजनीति एवं भारतीय संस्कृति के परित्याग के लिए स्थान नहीं था । तात्त्विकदृष्टि से योगी अरविंद अंतरराष्ट्रीयवाद के समर्थक थे; परंतु उनकी दृष्टि से अंतरराष्ट्रीयवाद खोखले विश्वबंधुत्व का नहीं, अपितु सनातन धर्म के अनुसार था ।
सनातन धर्म ही राष्ट्रवाद है !
योगी अरविंद ने अपने एक भाषण में ‘हिन्दूराष्ट्र’ एवं सनातन धर्म का दृढ संबंध स्पष्ट करते हुए कहा है कि ‘हिन्दूराष्ट्र’ सनातन धर्म के साथ ही स्थापित हुआ है एवं ‘हिन्दूराष्ट्र’ सनातन धर्म के मार्ग पर अग्रसर होकर ही उत्कर्ष प्राप्त करेगा । जब सनातन धर्म की अवनति होगी, तब ‘हिन्दू राष्ट्र’ की भी अवनति अटल है । यदि सनातन धर्म नष्ट होने की संभावना है, तो ‘हिन्दू राष्ट्र’ भी नष्ट होगा । सनातन धर्म ही राष्ट्रवाद है । नैतिक दृष्टि एवं परंपरा से भारतीय राष्ट्रवाद हिन्दू ही है; क्योंकि यह भूमि एवं उसमें रहनेवाली जनता भूमि की ऐतिहासिक श्रेष्ठता, संस्कृति एवं अभेद्य पौरुष पर ही टिकी है, तभी तो इस भूमि में इस्लाम धर्म, उसकी संस्कृति एवं परंपरा को समा लेने की क्षमता है ।
कांग्रेस समान मुसलमानों की चापलूसी कर हिन्दू-मुसलमान एकता होना असंभव !
हिन्दू-मुसलमान एकता के विषय में योगी अरविंद कहते हैं कि भारत में हुए इस्लाम के उदय के लिए मुंह टेढा करने में कोई अर्थ नहीं है । आरंभ में इस्लाम की पूरी शक्ति, ऊर्जा एवं कृत्य भारत में इस्लामी राष्ट्र स्थापित करने हेतु ही थी । तब भी यदि मुसलमान प्रामाणिकता से स्वदेशी को स्वीकार करेंगे, तो उनके साथ मित्रता रखना संभव है; परंतु यह इस पर निर्भर करता है कि राजनीतिक पटल पर मुसलमानों के साथ एकता बनाए रखने के प्रयास के समय वे भाईचारे के नाते आलिंगन देंगे अथवा शत्रुभाव से लडाई करेंगे । केवल राजनीतिक सुविधा के रूप में अथवा कांग्रेस समान चापलूसी कर हिन्दू-मुसलमान एकता होना असंभव है । मन से ही एकत्रित आने पर यदि उसमें कोई अडचनें आर्इं, तो मूल कारणों का संशोधन कर उस पर समाधान ढूंढना पडेगा । तभी हिन्दू-मुसलमान एकता संभव है । हिन्दू-मुसलमान एकता के लिए हिन्दुओं को अपनी दुर्बलता छिपाने, स्वार्थ हेतु भाई-भाई कहना अथवा उनकी मिथ्या प्रशंसा करना योगी अरविंद को स्वीकार नहीं है । योगी ने कहा कि इस दृष्टि से राष्ट्रवादियों को प्रयास करने चाहिए ।
वन्दे मातरम् धार्मिक नहीं, अपितु राष्ट्रीय गीत है !
जिस समय वन्दे मातरम् गीत को ‘राष्ट्रगीत’ का स्तर देने का विरोध हुआ, उस समय योगी अरविंद के कुछ शिष्यों ने उन्हें कहा कि समाज में कांग्रेस के कुछ लोग वन्दे मातरम् गीत में से देवी-देवताओं के संदर्भवाले कुछ भाग हटाने की मांग कर रहे हैं । क्योंकि ‘दुर्गा’ शब्द समान कुछ शब्द मुसलमानों को स्वीकार नहीं हैं । इस पर योगी अरविंद ने कहा कि वन्दे मातरम् कोई धार्मिक गीत नहीं, अपितु वह एक राष्ट्रीय गीत है एवं उसमें ‘दुर्गा’, यह भारतमाता का रूप है । यह मुसलमानों को अस्वीकार क्यों होना चाहिए ? इस गीत में काव्यस्वरूप दुर्गा की प्रतिमा का वर्णन किया गया है । भारतीयता की संकल्पना में हिन्दू देवी-देवताओं का उल्लेख होना अपरिहार्य है ।
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