(1) भारत सरकार ने भारतीय समुद्री क्षेत्र को मजबूत बनाने और इसे बढ़ावा देने के लिए बजट 2016-17 में निम्नलिखित कर प्रोत्साहनों का प्रस्ताव किया है -
(i) जहाजों द्वारा आयात माल की ढुलाई की सेवाओं को यात्रा चार्टर की नकारात्मक सूची से निकालना-
भारत से माल के आयात के लिए शिपिंग कंपनियों द्वारा लिए जाने वाले भाड़े प्रभार को नकारात्मक सूची से बाहर कर दिया गया है और ऐसी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयुक्त सामग्री पर सेनवैट क्रेडिट प्रयोग करने की अनुमति दी गई है। इससे भारतीय और विदेशी शिपिंग कंपनियों के दरमियान कराधान क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी अंतर में संतुलन कायम होगा। इस सकारात्मक परिवर्तन से भारत प्रमुख प्रगतिशील समुद्रीय अधिकार-क्षेत्र के स्तर पर आ जाएगा जिसके तहत पहले ही आयात किये जाने वाले माल के लिए प्रयुक्त सामग्री पर भुगतान किये गए करों का पूरा क्रेडिट दिया जाता है।
(ii) भारतीय जहाजों द्वारा निर्यात माल की ढुलाई की सेवाओं की शून्य रेटिंग-
निर्यात माल की ढुलाई के सेवाओं को निर्यात के रूप में नहीं लिया जा रहा था और माल के निर्यात के लिए सेनवैट क्रेडिट उपलब्ध नहीं था जिससे भारतीय फ्लैगशिपों के लिए सेवाएं महंगी हो रही थी। अब यह प्रस्ताव किया गया है कि भारतीय जहाजों द्वारा देश से बाहर माल की ढुलाई के द्वारा भारतीय शिपिंग कंपनियों द्वारा उपलब्ध करायी गई सेवाओं को सेवा उपलब्ध कराने में प्रयुक्त सामग्रियों के लिए सेनवेट क्रेडिट की उपलब्धता को 01 मार्च, 2016 से जीरो रेटिड किया जाएगा। इससे माल ढुलाई की लागत कम होगी और भारत प्रमुख प्रगतिशील समुद्रीय अधिकार-क्षेत्र के स्तर पर आ जाएगा जहां समुद्री सेवाओं पर कराधान नहीं है और समुद्री सेवाओं में प्रयुक्त सामग्रियों पर भुगतान किये गए करों का पूरा क्रेडिट भी प्रदान किया जाता है।
(iii) तटीय शिपिंग पर सेवा कर मामले में कमी -
सड़क या रेल के बजाय तटीय शिपिंग के माध्यम से माल की ढुलाई को प्रोत्साहित करने की जरूरत को महसूस करते हुए सरकार ने केंद्रीय बजट 2015-2016 में सड़क और रेल के अनुरूप सेवा कर में 70 प्रतिशत के बराबर छूट देने का प्रस्ताव किया गया था। तथापि सेवा में प्रयुक्त सामग्रियों पर सेनवैट क्रेडिट की कमी के कारण शिपिंग कंपनियांग्राहकों को कम लागत पर सेवाएं प्रदान करने में समर्थ नहीं थी। सरकार ने वर्तमान बजट में इस विसंगति में सुधार किया है।
(iv) पूंजीगत वस्तुओं, कच्चे माल और समुद्र में जा रहे जहाजों की मरम्मत में प्रयोग होने वाले पुर्जों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कमी -
इससे समुद्र में जा रहे जहाजों की मरम्मत में प्रयोग की गई सामग्री की लागत में 4 प्रतिशत कमी आएगी। लेकिन यह सामग्री देश में खरीदी गई हो। इस संसोधन में शिपयार्ड को समुद्र में जाने वाले वाहनों की मरम्मत के लिए बिना कोई ड्यूटी का भुगतान किए पूंजीगत वस्तुओं की खरीद ने की अनुमति दी गई है। हालांकि ऐसी सामग्री की खरीद पर अभी तक 12.5 प्रतिशत शुल्क लगता था
(v) जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत के लिए माल की खरीदी को पर सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क में छूट प्राप्त करन की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है -
जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत के लिए केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क की रियायती / शून्य दर खरीददारी करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया गया है। नई प्रक्रिया में रियायती / शून्य दर सामान की खरीददारी के लिए अनुमोदन प्राप्त करने के बजाय केवल सीमा शुल्क विभाग को सूचना देने की जरूरत है। इससे काम करने में आसानी हुई है।
(vi) सभी अप्रत्यक्ष करों के भुगतान में देरी पर ब्याज दरों का युक्तिकरण -
यह महसूस किया गया है कि कम ब्याज दरों पर समुद्री क्षेत्र के वित्तीय भार को कम किया जा सकेगा।
(2.) भारतीय शिपिंग उद्योग को सहूलियत देन और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सरकार ने पहले ही कुछ नीतियों को लागू किया गया है जो इस प्रकार हैं –
i. शिपयार्ड के लिए बुनियादी ढ़ाचे का दर्जा -
बुनियादी ढांचे पर संस्थागत प्रणाली ने 21 दिसंबर, 2015 को जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत करने वाले शिपयार्ड को बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की संगत सूची में शामिल करने की सिफारिश की है।
ii. भारतीय शिपयार्डों के लिए वित्तीय सहायता और पात्रता मदद -
सरकार ने 2 अप्रैल 2016 से 10 वर्षों के लिए भारतीय शिपयार्डों को वित्तीय सहायता देने का अनुमोदन 9 दिसंबर, 2015 को किया था।
iii. स्वदेश निर्मित जहाजों और आयातित जहाजों के बीच समानता -
सरकार ने 24 नवंबर, 2015 को देश में निर्मित जहाजों और आयातित जहाजों के बीच समानता उपलब्ध कराने के लिए जहाजों के निर्माण में प्रयुक्त सामग्रियों पर उत्पादन और सीमा शुल्क को माफ कर दिया गया है।
iv. भारतीय पोत कारखाने के लिए कारोबार करना आसान -
सरकार ने 24 नवंबर, 2015 सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 65 के अधीन सीमा शुल्क नियंत्रण के तहत लाभ उठाने के लिए शुल्क मुक्त आयात या जहाज निर्माण में प्रयुक्त सामग्री की घरेलू खरीद के तहत शिपयार्ड संचालित करने के लिए छूट दी है।
v. तटीय मार्ग के माध्यम से कंटेनरीकृत कार्गो की ढुलाई को बढ़ावा देना -
सरकार ने 17 सितंबर, 2015 को सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद छूट दी गई है। इस कर प्रोत्साहन से तटीय परिवहन की परिचालन लागत में कमी आएगी और भारतीय माल की ढुलाई को प्रोत्साहन मिलने के साथ-साथ भारत में परिवहन केंद्र के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
vi. भारतीय बाजार में विशेष जहाजों की उपलब्धता को बढ़ावा देना -
सड़कों, रेलवे और अंतर्देशीय जल परिवहन में भीड़ के कम करने और तटीय शिपिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2 सितंबर, 2015 को रोल-ऑन रोल-ऑफ (रो-रो), हाइब्रिड रोल-ऑन रोल-ऑफ (हाइब्रिड रो-रो), शुद्ध कार वाहकों, शुद्ध कार और ट्रक वाहकों, एलएनजी जहाजों और ओवर-आयामी कार्गों या परियोजना कार्गों वाहकों पांच साल की अवधि के लिए अनुतट यात्रा में छूट दी है।
vii. भारतीय झंडा जहाजों विदेशी झंडा जहाजों पर कार्यरत भारतीय नाविकों में समता लाना -
सरकार ने भारतीय झंडा जहाजों विदेशी झंडा जहाजों पर कार्यरत भारतीय नाविकों में कर व्यवस्था में समानता का समावेश किया है और यह आदेश भी दिया है कि उनकी भारत में ठहरने की अवधि की गणना उनके सतत निर्वहन प्रमाणपत्र में (सीडीसी) में की गई प्रविष्टियों के अनुसार की जाएगी।
viii. प्रकाश देय राशि के संग्रह और आकलन को सरल बनाना -
प्रकाश देय राशि के ई-भुगतान को 5 मई, 2015 से लागू किया गया है। प्रकाश देय राशि की वसूली के लिए एक सरल कार्यप्रणाली 26 नवंबर, 2014 को पहले ही अपनाई जा चुकी है।
ix. भारतीय तट में काम कर रहे भारतीय झंडा जहाजों और भारतीय ड्रेजरों के लिए राइट ऑफ फस्ट रिफ्यूजल (आरओएफ़आर) को अबाधित करना -
को मजबूत बनाने और एक प्रतिस्पर्धी ढांचे में भारतीय शिपिंग और ड्रेजिंग उद्योग को बढ़ावा देने की सरकार की नीति के ध्यान में रखते हुए सरकार ने 26 मार्च, 2015 को, भारतीय झंडा जहाजों के लिए राइट ऑफ फस्ट रिफ्यूजल (आरओएफ़आर) के दायरों को बढ़ाया है। इससे भारतीय झंडा पोतों के साथ ही ड्रेजरों को भी और अधिक व्यापार प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
x. पोत मरम्मत इकाइयों के पंजीकरण के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण -
देश में जहाज की मरम्मत के व्यापार के माहौल को सरल बनाने के लिए सरकार ने 13 फरवरी, 2015 को पोत मरम्मत इकाइयों के पंजीकरण के लिए प्रक्रिया को सरली बनाया है। इससे अधिक जहाज मरम्मत इकाइयों को स्थापति करने के साथ-साथ अधिकतम रोजगार जुटाने में मदद मिलेगी।
xi. जहाज निर्माण के प्रयोजनों के लिए जहाजों को तोड़ने से प्राप्त रि-रोल्ड इस्पात का उपयोग -
नौकाओं, नदी समुद्र पोतों (आरएसवी 1 और 2 टाइप) और बंदरगाह जहाजों के निर्माण की लागत कम करने के लिए और जहाज और नाव निर्माताओं की स्टील की मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने फरवरी 2018 में जहाजों तोड़ने से प्राप्त रि-रोल्ड इस्पात को इन पोतों के निर्माण में उपयोग करने के लिए प्रमाणित करने का निर्णय लिया।
xii. कानूनी प्रतिमान सरल
एम एस अधिनियम 1958 के अधीन 67 में से 13 नियमों को निरस्त कर दिया गया है। मसौदा मर्चेंट शिपिंग बिल को परिपत्रित किये जाने के अधीन है।
xiii. मंजूरी देने के लिए ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना -
- चार्टर के लिए अपेक्षित शुल्क ई-भुगतान हेतु चार्टर संबंधि मंजूरी के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा 8 दिसंबर, 2015 को शुरू की गई थी।
- मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर लाइसेंस और ऑपरेटरों के लिए अपेक्षित शुल्क के ई-भुगतान के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा 30 नवंबर 2015 से शुरू की गई है।
- नया सीडीसी जारी करने और सीडीसी के नवीकरण / प्रतिस्थापन / डुप्लीकेट प्राप्त करने के लिए अपेक्षित शुल्क के ई-भुगतान के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा 15 जून 2015 से शुरू की गई है।
- जहाज मालिकों के लिए अपेक्षित शुल्क के ई-भुगतान और पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन के लिए सुविधा 20 मार्च 2015 से शुरू की है।
- योग्यता परीक्षाओं के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन और आकलन की ऑनलाइन सुविधा 12 जनवरी, 2015 से शुरू की गई है।
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