विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने सदन की पटल पर रखे वक्तव्य में कहा है कि नेपाल के साथ साझा भूगोल, इतिहास, संस्कृति, भाषा और धर्म पर आधारित तथा करीबी राजनीतिक संबंधों, व्यापक आर्थिक सहयोग और जनता के बीच गहरी मैत्री द्वारा चित्रित हमारे विलक्षण, सदियों पुराने संबंध वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दो यात्राओं सहित सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर निरंतर संपर्क के कारण मई 2014 के बाद से और प्रगाढ़ हुए हैं।
प्रधानमंत्री श्री के.पी. ओली के निर्वाचित होने पर 11 अक्टूबर 2015 को प्रधानमंत्री ने उन्हें फोन करके हार्दिक बधाई दी। माननीय विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने 30 सितम्बर 2015 को न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री श्री महेंद्र बहादुर पांडेय से मुलाकात की। उन्होंने 18 अक्टूबर 2015 को उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री श्री कमल थापा की मेजबानी की।
नेपाल द्वारा 20 सितम्बर 2015 को संविधान लागू किए जाने के विरोध में, नेपाली आबादी के असंतुष्ट वर्ग नेपाल की तरफ से भारत-नेपाल सीमा पर रुकावटें खड़ी कर रहे हैं। भारत की ओर से कोई रुकावट नहीं है। भारत सरकार ने जहां तक संभव हो सका है, आपूर्ति में सहायता प्रदान की है। बॉडर क्रॉसिंग पर, हफ्तों से भारतीय सीमा की तरफ हजारों ट्रक फंसे हैं और सीमा पार जाने का इंतजार कर रहे हैं। हमारे दो-तिहायी व्यापार के लिए उत्तरदायी, प्रमुख रक्सौल- बीरगंज क्रॉसिंग, नेपाल की तरफ से दो महीने से ज्यादा अर्से तक बंद है। हालांकि जो क्रॉसिंग प्वाइंट्स खुले और उपलब्ध हैं, उनके माध्यम से रोजाना हजारों मालवाहक ट्रक अभी भी सीमा पार जा रहे हैं। रुकावटों के बावजूद, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने जहां तक संभव हो सका है, पीओएल की आपूर्ति पहुंचायी है। नवम्बर 2015 में, भारत-नेपाल सीमा से सैंकड़ों मेडिकल खेप भिजवायी गई है, इनमें से कुछ खेप ट्रक के जरिये भेजी गई है। हम, फंसे हुए पीओएल टैंकरों और चिकित्सा संबंधी आपूर्ति ले जा रहे वाहनों का रास्ता बदलकर उन्हें अन्य उपलब्ध क्रॉसिंग प्वाइंट्स से और विमान के जरिये भी भिजवाने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत, सदैव नेपाल में शांति, समृद्धि और प्रगति का पक्षधर रहा है, जो भारत के भी हित में है। नेपाल में संविधान निर्माण की पूरी प्रक्रिया के दौरान भारत ने व्यापक और समावेशी संविधान का समर्थन किया है। भारत, नेपाल सरकार को लगातार सलाह देता आ रहा है कि नेपाल को जिन मसलों का सामना करना पड़ रहा है, वे राजनीतिक प्रकृति के हैं, और उन्हें बलपूर्वक नहीं सुलझाया जा सकता।
समस्त राजनीतिक पार्टियों को टकराव के मौजूदा हालात के मूलभूत कारणों को विश्वसनीय और प्रभावी रूप से हल करने की सलाह और प्रोत्साहन देना जारी रखते हुए, भारत उसके साथ करीबी संपर्क और द्विपक्षीय आदान-प्रदान जारी रखेगा, साथ ही साथ शांति, स्थायित्व और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए नेपाल की जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप हर सम्भव सहायता उपलब्ध करायेगा। भारत सरकार जहां तक सम्भव हो सकेगा आपूर्तियों में सहायता देना जारी रखेगी।
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