1. मैं देश के कई भागों में इन्फ्लुइएंजा ए एच1एन1 के हालिया प्रकोप के बारे में माननीय सदस्यों को अवगत करवाना चाहता हूं। हालांकि इन्फ्लुएंजा की प्रकृति मौसमी होती है जिसका वर्ष में इस समय सर्वाधिक प्रभाव होता है, तथापि इन्फ्लुएंजा के कारण होने वाली रूग्णता और इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण मौतें हम सबके लिए गंभीर चिंता का विषय है।
2. माननीय सदस्यों को याद होगा कि भारत और विश्व के अन्य भाग वर्ष 2009 और 2010 में इन्फ्लुएंजा ए एच1एन1 से प्रभावित थे। 2009 में सूचित मामलों की संख्या 27236 और 2010 में 20604 थी। वर्ष 2009 में मौतों की संख्या 981 तथा 2010 में 1763 थी। ए, बी और सी-तीन टाइप के विषाणुओं की वजह से इन्फ्लुएंजा होता है। ए टाइप के विषाणु से पूरे विश्व में बड़े पैमाने पर फैले हैं। इसका कारण यह है कि ए टाइप के इन्फ्लुएंजा में परिवर्तन (म्यूटेशन) होता है जिससे प्रभावित आबादी को पर्याप्त प्रतिरक्षा नहीं मिल पाती। इन्फ्लुएंजा ए के सब टाइपों में एच1एन1, एच2एन2 और एच3एन2 शामिल हैं। अगस्त 2010 में इस बीमारी के खत्म होने की घोषणा करते समय विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यह बताया था कि एच1एन1 विषाणु आने वाले कुछ वर्षों में मौसमी इन्फ्लुएंजा विषाणु के रूप में संचारित होता रहेगा। मौजूदा वर्ष में 01 जनवरी से 22 फरवरी, 2015 तक राज्यों द्वारा सूचित रोगियों की संख्या 14673 और उसी अवधि में मौतों की संख्या 841 है। इन्फ्लुएंजा ए एच1एन1 के संबंध में वर्ष 2009 से 2015 तक सूचित किए गए रोगियों तथा मौतों के वर्ष-वार आंकड़ों को माननीय सदस्यों की सूचना के लिए सदन के पटल पर रखा जा रहा है (अनुलग्नक)। तथापि इनमें से अधिकतर मौतें रोगियों में पहले से ही मौजूद सह-रूग्णताओं की वजह से हो सकती हैं।
3. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इन्फ्लुएंजा ए एच1एन1 की स्थिति की गहन निगरानी करता रहा है। हम प्रभावित राज्यों की सरकारों के लगातार सम्पर्क में हैं। इस मौसमी इन्फ्लुएंजा के प्रभाव को रोकने के लिए राज्यों को जांच, रोगियों के जोखिम संबंधी वर्गीकरण, नैदानिक रोगी प्रबंधन और वैंटिलेटर प्रबंधन के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इन्फ्लुएंजा ए एच1एन1 के उपचार के लिए ओसेल्टामिविर औषध की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, रोगियों के संपर्क में आने वाले स्वास्थ्य परिचर्या कार्मिकों में इस रोग के संचरण की रोकथाम के लिए एन-95 मास्क और व्यक्तिगत सुरक्षात्मक सामग्री अपेक्षित होती है। हम उपर्युक्त मदों के स्टॉक की स्थिति के बारे में राज्य सरकारों से नियमित आधार पर जायजा ले रहे हैं। यदि राज्य सरकार को अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत पड़ रही है तो हम उनकी पूर्ति कर रहे हैं। हम प्रभावित राज्यों को ओसेल्टामिविर के 58,000 कैप्सूलों, 3000 एन-95 मास्कों और 9500 व्यक्तिगत सुरक्षात्मक सामग्रियों की पहले ही आपूर्ति कर चुके हैं। हम ओसेल्टामिविर औषध का आपातकालीन स्टॉर भी रख रहे हैं ताकि किसी भी तत्कालिक जरूरत को पूरा किया जा सके। इसके अलावा, हमारे पास 10,000 एन-95 मास्क और पर्याप्त संख्या में व्यक्तिगत सुरक्षात्मक सामग्री स्टॉक में हैं। राज्य सरकारों का मार्गदर्शन करने तथा उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की टीमें तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश भेजी गईं हैं। आईसीयू और वेंटिलेटर प्रबंधन के संबंध में मार्गदर्शन के लिए डॉक्टरों की एक टीम दो बार राजस्थान भेजी गई थी। राज्यों के साथ समीक्षा करने के लिए सचिव (स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण) और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर वीडियो कान्फ्रेंस भी की जा रही है। 19 फरवरी 2015 को, मंत्रिमंडल सचिव ने कठिनाइयों का पता लगाने और आवश्यकताओं का आकलन करने के लिए भी, यदि कोई हो, प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ एक वीडियो सम्मेलन का आयोजन किया। मेरे स्तर पर नियमित समीक्षा भी की जा रही है। मैं माननीय सदस्यों को आश्वस्त कर सकता हूँ कि प्रकोप से निपटने के लिए राज्य सरकारों द्वारा अपेक्षित कोई भी मदद, हमारे द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है।
4. कुछ मीडिया रिपोर्टों में इन्फ्लुएंजा ए एच1एन1 के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ओसेल्टामिविर दवा की कमी के बारे में गलत ढंग से उल्लेख किया गया है। मैं माननीय सदस्यों को सूचित करना चाहता हूं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सिफारिश की गई इस दवा का निर्माण भारत में किया जाता है। हमने दो अवसरों पर निर्माताओं के साथ बैठक की है। इन स्वदेशी निर्माताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि उनके पास मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त क्षमता और सक्रिय फार्मास्युटिकल अवयवों का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। वास्तव में, इन निर्माताओं में से एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। हांलाकि ओसेल्टामिविर दवा की बिक्री काउंटर पर नहीं की जा सकती है। इसे केवल योग्य चिकित्सक के नुस्खे पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए तथा औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम की अनुसूची एक्स के तहत लाइसेंसशुदा दवा की दुकान के माध्यम से बेचा जाना चाहिए। इसके अलावा, यह दवा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के माध्यम से उपलब्ध है। हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं कि दवा के गलत इस्तेमाल से दवा इस वायरस का मुकाबला करने लायक न रह जाए। तथापि, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आम जनता को दवा प्राप्त करने में किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े, हमने राज्य सरकारों को सलाह दी है कि वे अनुसूची एक्स फार्मेसियों के स्थानों की समीक्षा करें और अल्पनिरूपित या अनिरूपित स्थानों के लिए नए लाइसेंस जारी करें।
5.एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के प्रयोगशाला नेटवर्क में भारत के विभिन्न हिस्सों में 21 प्रयोगशालाएं शामिल हैं, जो इन्फ्लुएंजा ए एच1एन1 की निःशुल्क जांच की सुविधा प्रदान कर रही हैं। इन प्रयोगशालाओं के पास पर्याप्त क्षमता और नैदानिक सामग्री की उपलब्धता है। स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। रिएजेंट्स की अतिरिक्त मात्रा की खरीद के लिए पहले से ही आदेश दे दिए गए है। प्रभावित राज्यों ने परीक्षण करने के लिए निजी नैदानिक प्रयोगशालाओं को अधिकृत करके इन प्रयासों को पूरा किया है। हम कुछ मीडिया रिपोर्टों में दी गई इन खबरों के बारे में चिंतित थे कि कुछ निजी प्रयोगशालाओं द्वारा बहुत उच्च दर पर शुल्क लिया जा रहा है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक ने राज्य सरकारों को सलाह दी गई है कि वे यह सुनिश्चित करें कि निजी प्रयोगशालाओं द्वारा उच्च दरें न वसूली जाएं। बल्कि ये दरें राज्य सरकारों द्वारा तय की जानी चाहिए।
6.राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (आईसीएमआर के तहत) और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र (दिल्ली)-दोनों द्वारा इस बात की पुष्टि की गई है कि वर्तमान में सूचित किए जा रहे इन्फ्लुएंजा ए के मामले एच1एन1 के हैं। दूसरे शब्दों में, यह वायरस वर्ष 2009 के वायरस की तरह है और वायरस में कोई परिवर्तन नहीं है। परिणामस्वरूप, वर्ष 2009-2010 की विश्वमारी के दौरान प्रयुक्त ओसेल्टामिविर दवा अभी भी इलाज के लिए प्रभावी बनी हुई है। जैसा कि मैंने पहले कहा है, हमारे पास नैदानिक क्षमता है और हम इस वायरस का पता लगाने में पूरी तरह से सक्षम हैं।
7. मैं माननीय सदस्यों को सूचना करना चाहूंगा कि केवल स्वास्थ्य देखभाल कार्मिकों के लिए ही टीके की सिफारिश की गयी है । इस संबंध में राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। विशेषज्ञों के परामर्श और उनकी सलाह पर ही यह निर्णय लिया गया है। इस समय इसे लोक स्वास्थ्य कार्यनीति के रूप में जन-साधारण के लिए टीकाकरण का समर्थन नहीं किया गया है। मैं माननीय सदस्यगण की जानकारी में लाना चाहता हूँ कि टीकाकरण का प्रभाव तीन चार सप्ताह के बाद होता है और प्रतिरक्षण केवल एक वर्ष के लिए ही होता है। इसके अलावा यह टीका पूरी तरह से वायरस से संरक्षण प्रदान नहीं करता है। स्वास्थ्य देखभाल कार्मिकों को सलाह दी जाती है कि वे इन्फलुएंजा ए एच1एन1 रोगियों की जांच करते समय व उनकी देखभाल करते समय पूर्ण सावधानी बरतें। इसके अतिरिक्त, उन्हें कहा गया है कि वे ओसेल्टामिविर की रोगनिरोधी डोज भी लें ।
8. राज्य सरकारों से एकत्र की गयी जानकारी से प्रतीत होता है कि कई मौतें इन्फलुएंजा ए एच1एन1 ग्रस्त रोगियों की सहरुग्णता के कारण ही हुई हैं । ऐसे व्यक्ति इम्यूनो-काम्प्रो माइज्ड होते हैं और परिणाम रोग के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते है। इस श्रेणी में कैंसर, मधुमेह, क्षयरोग और अन्य श्वसन रोग, इत्यादि से ग्रस्त रोगी आते हैं । राज्यों ने यह भी सूचित किया है कि कई मामलों में प्रभावित व्यक्ति बड़ी देरी से चिकित्सा के लिए आए जिससे रोगी की हालत और ज्यादा खराब हो गई।
9.जनसाधारण में जागरूकता बढ़ाने के लिए राज्य बड़े पैमाने पर विभिन्न मीडिया साधनों के माध्यम से सूचना शिक्षा संप्रेषण अभियान चला रहे हैं । अभियान में रोग के संक्रमण को और इस बात रोकने और इस बात पर ध्यान केन्द्रित किया गया है कि खांसी, बुखार इत्यादि के लक्षण दिखाई देने पर क्या एहतियात बरतनी चाहिए। केन्द्र सरकार भी राज्यों के आईइसी प्रयत्नों में योगदान दे रही है। देश भर में, जनवरी व फरवरी 2015 में 200 से भी ज्यादा समाचार पत्रों में नियमित रूप से विज्ञापन प्रकाशित किए गये हैं। इसमें विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में जारी किए गये विज्ञापन भी शामिल हैं। सूचना के प्रचार-प्रसार के लिए रेडियो और टेलीविजन का भी इस्तेमाल किया गया है। राज्यों को आईइसी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए पहले ही सलाह दे दी गयी है ।
10. मैं माननीय सदस्यों को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि हम स्थिति की बहुत गंभीरता से निगरानी रख रहे हैं और राज्यों को अपेक्षित सहायता प्रदान की जा रही है। दवाईयों, मास्क और पीपीई का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। मैं माननीय सदस्यों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि स्थिति से निपटने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी जाएगी ।
अनुलग्नक
इन्फ्लुएंजा ए-एच1 एन1
वर्ष
|
2009
|
2010
|
2011
|
2012
|
2013
|
2014
|
2015
|
रोगी
|
27236
|
20604
|
603
|
5044
|
5253
|
937
|
14673*
|
मौतें
|
981
|
1763
|
75
|
405
|
699
|
218
|
841*
|
22.02.0215 के अनुसार
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