अपनी शैक्षणिक योग्यता पर उठ रहे सवालों पर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने चुप्पी तोड़ दी है. उन्होंने कहा है कि मेरा मूल्यांकन मेरे काम के आधार पर हो और पार्टी ने मेरी योग्यता को परखते हुए मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.
स्मृति ने कहा 'काम से ध्यान भटकाने के लिए ये मुद्दा उठाया गया है. आज तक मैंने अपने संगठन से जो भी पाया वो अपनी योग्यता के आधार पर पाया है. मैं हाथ जोड़कर निवेदन करती हूं कि मुझे मेरे काम के आधार पर ही आंका जाएं.' हलफनामे में विसंगति को लेकर बोलने से उन्होंने इनकार कर दिया.
स्मृति की डिग्रियों को लेकर बवाल तब शुरू हुआ जब स्मृति ईरानी को मानव संसाधन मंत्री बनाए जाने को लेकर कांग्रेस नेता अजय माकन की टिप्पणी की. माकन ने स्मृति ईरानी के 'स्नातक' भी नहीं होने और उन्हें मानव संसाधन मंत्रालय जैसा बड़ा और अहम मंत्रालय दिए जाने को लेकर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि जिस व्यक्ति ने अपनी शैक्षिक योग्यता के बारे में स्पष्ट रूप से जिक्र नहीं किया, उसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय का प्रभारी कैसे बनाया जा सकता है. स्मृति स्नातक भी नहीं हैं.
इसके बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने माकन के बयान को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार देते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी को अपने मामले पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. नयी सरकार के कैबिनेट की पहली बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में रविशंकर प्रसाद ने दावा किया कि उन्हें मोदी ने उनकी ‘क्षमताओं’ के आधार पर विभाग दिया है. प्रसाद ने कहा, ‘जिस तरीके से स्मृति हिंदी और अंग्रेजी में बोलती हैं प्रधानमंत्री ने उन्हें (मानव संसाधन) विभाग उनकी क्षमताओं के आधार पर दिया है.’ प्रसाद दूरसंचार और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री भी हैं.
चुनाव आयोग को सौंपे गए हलफनामे में ईरानी ने अपनी अंतिम शिक्षा ‘बैचलर ऑफ कॉमर्स पार्ट-1, स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (पत्राचार), दिल्ली विश्वविद्यालय-1994 के तौर पर उल्लेख किया है. राज्यसभा की वेबसाइट पर ईरानी के बायोडाटा में ‘होली चाइल्ड ऑक्जिलियम, दिल्ली और स्कूल ऑफ कॉरेस्पॉन्डेंस एंड कंटिनुइंग एजुकेशन, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली’ से शिक्षित बताया गया है.
वहीं भाजपा की वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री उमा भारती ने बुधवार को कहा था कि पहले वे बताएं कि सोनिया गांधी कितना पढ़ी हैं.
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