केरल के कैथोलिक चर्च की एक पूर्व नन ने पादरियों और ननों के व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा में किया है। इसके अलावा गर्भ में ही बच्चों को मार देने की बढ़ती प्रवृत्ति का भी उल्लेख है। इससे हंगामा खड़ा हो गया है।
चर्च में होने वाले अनैतिक कृत्यों से परेशान सिस्टर मैरी चांडी ने 12 साल पहले कान्वेंट छोड़ दिया था। उनकी आत्मकथा 'ननमा निरंजवले स्वस्ति' औपचारिक रिलीज से पहले ही विवादित हो चुकी है।
उन्होंने इसमें चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त 'अंधेरे' को उजागर करने की कोशिश की है। सिस्टर मैरी ने कहा, 'मैंने वायनाड गिरिजाघर में हासिल अनुभवों को सहेजने की कोशिश की है। चर्च के भीतर की जिंदगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी।
एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी। मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचाई थी।'
केरल के कैथोलिक समुदाय को झकझोर कर रखने वाली यह पहली किताब नहीं है। कुछ समय पहले चर्च की ही एक अन्य नन सिस्टर जेस्मी की पुस्तक 'आमेन: द आटोबायोग्राफी आफ ए नन' ने भी कॉन्वेंट में ढाए जा रहे जुल्मों को सामने लाने का काम किया था
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